उप्र कोआपरेटिव बैंक आधार कार्ड बनाने के लिए किया गया नामित

लखनऊ। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण UIDAI द्वारा उप्र कोआपरेटिव बैंक लि. को आधार कार्ड बनाने के लिए अधिकृत किया गया है। उप्र कोआपरेटिव बैंक लि. देश का पहला सहकारी बैंक है, जिसको आधार कार्ड बनाने की एजेंसी नामित किया गया है। यह जानकारी सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जे.पी.एस. राठौर ने आज यहां दी है।

उप्र कोआपरेटिव बैंक लि. को आधार कार्ड बनाने का काम मिलने पर सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री राठौर ने केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में बेहतर काम करने से सहकारी बैंकों की विश्वसनीयता देश-प्रदेश में बढ़ी है। आधार कार्ड का काम अत्यधिक संवेदनशील है, आधार कार्ड भारत के नागरिकों की विशिष्ट व प्रमाणिक पहचान का मजबूत साक्ष्य है। इसमें लापरवाही से काम करने से बड़ी गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए इसको एक एसओपी बनाकर, कार्मिकों को प्रशिक्षित कर काम को आगे बढ़ाया जाएगा।

प्रमुख सचिव, सहकारिता विभाग सौरभ बाबू ने कहा कि आधार कार्ड का काम मिलना सहकारिता विभाग की बड़ी उपलब्धि है। शुरूआत में उप्र कोआपरेटिव बैंक लि. की शाखाओं से आधार कार्ड बनाए जाएंगे, बाद में प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समिति (पैक्स) स्तर तक इसको ले जाया जाएगा।

दिव्यांग युवाओं की सुरक्षा सर्वोपरि, शैक्षिक संस्थानों में सजगता अनिवार्य: योगी

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की समीक्षा में बोले सीएम, यूपी के सभी 18 मंडलों में खुलेंगे दिव्यांग पुनर्वास केंद्र

दिव्यांग छात्रों को भटकाने की साजिश पर मुख्यमंत्री योगी सख्त, संस्थानों को सतर्क रहने के दिए निर्देश

* प्रशासनिक तंत्र को संवेदनशील और सजग बनाए जाने पर बल, योजनाओं को गति देने का आह्वान

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की योजनाओं और कार्यों की समीक्षा करते हुए संबंधित अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने विभागीय प्रशासनिक तंत्र को संवेदनशील, सजग और सतर्क बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ अराजक तत्व सुनियोजित ढंग से दिव्यांगजनों को भ्रमित कर अवांछित गतिविधियों की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए सभी दिव्यांग शैक्षिक संस्थानों में सुरक्षा और मानसिक-सामाजिक संरक्षण सुनिश्चित किया जाए। बाहरी संस्थाओं की सहायता के नाम पर प्रस्तावों को स्वीकार करने से पूर्व उनकी पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाए।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के ‘ममता’, ‘स्पर्श’, ‘संकेत’ विद्यालयों, समेकित विद्यालयों, डे केयर और मानसिक आश्रय केंद्रों का व्यापक निरीक्षण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों की जरूरतों, अभिलाषाओं और अभिभावकों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं और सुदृढ़ की जाएं। साथ ही रिक्त पदों को शीघ्र भरे जाने, तथा आवश्यकता पड़ने पर योग्य युवाओं की अस्थायी नियुक्ति और भविष्य में चयन प्रक्रिया में उन्हें वेटेज दिए जाने की बात भी कही गई।

मुख्यमंत्री योगी ने विभाग की सभी योजनाओं को पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुसज्जित बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि विगत आठ वर्षों में विभाग के बजट में दस गुना वृद्धि की गई है, जो सरकार की संवेदनशील प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दिव्यांगजन पेंशन योजना के अंतर्गत 11.04 लाख लाभार्थियों को ₹1,300 करोड़ की पेंशन वितरित की गई है। वहीं, 12,000 कुष्ठ रोग पीड़ितों को ₹3,000 मासिक की दर से सहायता दी जा रही है।

पिछले वित्तीय वर्ष में 35,136 दिव्यांगजनों को ट्राइसाइकिल, व्हीलचेयर, ब्रेल किट्स आदि के लिए ₹28.93 करोड़ की सहायता दी गई। मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल योजना के तहत 270 अत्यंत दिव्यांगजनों को ₹2 लाख तक के उपकरण दिए गए।

31 लाख से अधिक दिव्यांगजन राज्य परिवहन की निःशुल्क बस यात्रा सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने सांसदों और विधायकों से आग्रह किया कि वे अपनी निधियों से मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल योजना में योगदान करें।

लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय और चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय में कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता देने और इन संस्थानों का राष्ट्रीय प्रचार-प्रसार करने की बात भी कही गई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के 18 मण्डल मुख्यालयों पर ‘दिव्यांग पुनर्वास केंद्र’ की स्थापना प्राथमिकता पर की जाए ताकि पुनर्वास, शिक्षा और कौशल विकास से जुड़ी सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराई जा सकें।

उत्तर प्रदेश में पर्यटन विकास को मिली रफ्तार, दो वर्षों में 134.57 करोड़ की योजनाएं स्वीकृत

-- हर विधानसभा क्षेत्र में अल्पज्ञात स्थलों को पर्यटन मानचित्र पर लाने की योजना

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के पर्यटन विकास को गति देने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पर्यटन सहभागिता योजना के अंतर्गत पिछले दो वर्षों में 61 परियोजनाओं के लिए 134.57 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई है। यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य प्रदेश के अल्पज्ञात ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का विकास कर उन्हें पर्यटन मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करना है। इससे न केवल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

स्थानीय विरासत और संस्कृति को मिलेगा संरक्षण

मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इन परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय विरासत और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे इन स्थलों की महत्ता और पहचान दोनों बढ़ेगी। सरकार का यह प्रयास पर्यटन को आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक सशक्त माध्यम बनाने की दिशा में है।

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक प्रमुख स्थल का होगा चयन

मुख्यमंत्री पर्यटन सहभागिता योजना के अंतर्गत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक प्रमुख स्थल का चयन किया जाएगा। इन स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय, प्रकाश, बैठने की व्यवस्था, साइनबोर्ड आदि का विकास किया जाएगा। इसके अलावा, पर्यटन सेवा प्रदाताओं को आकर्षित करने के प्रयास भी किए जाएंगे।

योजनाओं में जन सहभागिता का विशेष महत्व

परियोजनाओं के क्रियान्वयन में जन सहभागिता को विशेष महत्व दिया गया है। मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित योजनाओं में 50% धनराशि प्रस्तावक द्वारा और शेष 50% पर्यटन विभाग द्वारा वहन की जाती है। जनप्रतिनिधियों के अलावा कोई भी प्रतिष्ठित या सक्षम व्यक्ति, संस्था, ट्रस्ट, नगर निकाय, ग्राम पंचायत अथवा कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत भी प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं।

वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में योजनाएं

वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 42 योजनाओं के लिए लगभग 116.51 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। वहीं, 2024-25 में 19 परियोजनाओं के लिए करीब 18.06 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।

प्रोफेसर अली खान को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत, सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिबंध

-- ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी के बाद हुई थी गिरफ्तारी, जांच के लिए SIT के गठन का आदेश

नई दिल्ली। एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद, जिन्हें सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर टिप्पणी करने के बाद 18 मई को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है। अदालत ने जमानत के साथ कुछ सख्त शर्तें लगाई हैं, जिनमें सोशल मीडिया पर आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी न करना और पासपोर्ट जमा कराना शामिल है।

बुधवार को जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने के आदेश भी दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट शर्तें

मंगलवार को सुनाए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता अली खान को हिदायत दी कि वह भारतीय धरती पर हुए आतंकी हमलों जैसे संवेदनशील विषयों पर कोई भी सोशल मीडिया पोस्ट न करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा कोई आचरण जमानत की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान को अपना पासपोर्ट संबंधित प्राधिकरण के पास जमा कराने का निर्देश दिया है ताकि विदेश यात्रा पर रोक लगाई जा सके। कोर्ट का कहना है कि यह कदम जमानत के दुरुपयोग की आशंका को रोकने के लिए आवश्यक है।

आपत्तिजनक सामग्री मिलने पर कड़ी कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने जांच अधिकारियों को यह निर्देश भी दिया है कि यदि अली खान की ओर से कोई आपत्तिजनक या भड़काऊ सामग्री पाई जाती है, तो उसे तत्काल सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाए ताकि आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा सके।

अभिव्यक्ति बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन की बहस एक बार फिर चर्चा में है। कोर्ट के इस निर्णय को न्यायिक संतुलन का प्रतीक माना जा रहा है, जहां एक ओर व्यक्ति के अधिकारों को महत्व दिया गया है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्र की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई है।

मामले की पृष्ठभूमि

प्रोफेसर अली खान पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे बयान और पोस्ट किए जो भारतीय सैन्य कार्रवाई और आतंकवाद जैसे विषयों को लेकर विवादास्पद माने गए। हालांकि, प्रोफेसर ने इन आरोपों से इनकार किया है, लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ही उन्हें केवल शर्तों के साथ राहत प्रदान की है।

प्रदेश में एआई प्रज्ञा से शासकीय कार्यों में आएगी क्रांति

* एआई प्रज्ञा कार्यक्रम के अंतर्गत सचिवालय अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और डिजिटल तकनीक में दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए "ए.आई. प्रज्ञा" (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम फॉर रिसोर्स, अवेयरनेस, ग्रोथ एंड यूथ एडवांसमेंट) कार्यक्रम के तहत आज प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन सेंटर फॉर ई-गवर्नेंस, उत्तर प्रदेश समिति द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग अमित कुमार घोष द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित उपकरणों के माध्यम से शासकीय कार्यप्रणाली को अधिक सशक्त, पारदर्शी एवं दक्ष बनाया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सुरक्षित व उत्तरदायी उपयोग की ओर प्रेरित किया।

इस प्रशिक्षण में अधिकारियों को ए.आई. उपकरणों के दैनिक जीवन एवं औद्योगिक क्षेत्रों में प्रयोग, चैट जी.पी.टी. की समझ, प्रभावी संवाद लेखन, जी.पी.टी. प्रॉम्प्ट्स का कुशल उपयोग, दस्तावेजों का एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपांतरण (जैसे को-पायलट जैसे औजारों के माध्यम से), डिजिटल एवं सूचना सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, साइबर अपराधों (फिशिंग, साइबर स्टॉकिंग, उत्पीड़न, मैलवेयर आदि) की पहचान और रोकथाम, तथा भारत में लागू प्रमुख साइबर क़ानूनों से अवगत कराया गया।

कार्यक्रम में विशेष सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग एवं राज्य समन्वयक, सेंटर फॉर ई-गवर्नेंस श्रीमती नेहा जैन ने अवगत कराया कि सचिवालय के अनुभाग अधिकारी, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, निजी सचिव एवं अपर निजी सचिव को पूर्व में प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है और वर्तमान में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को इस विषय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रमुख सचिव श्री घोष ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभावी उपयोग करते हुए अधिकारी अपनी कार्य क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं और शासकीय कार्यों का निष्पादन कम समय में अधिक दक्षता से कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ए.आई. उपकरणों के प्रयोग में गोपनीयता और साइबर सुरक्षा संबंधी नियमों का कड़ाई से पालन आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से आगामी वर्षों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और यह तकनीक प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग अमित कुमार घोष, विशेष सचिव सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग एवं राज्य समन्वयक श्रीमती नेहा जैन सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी उपस्थित रहे।

छात्रवृत्तियों को सुलभ और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम, मंत्रियों ने किया मंथन

समाज कल्याण विभाग बना नोडल, तकनीक आधारित पोर्टल और नई नीतियों पर हुआ विस्तार से विचार

लखनऊ। राज्य सरकार द्वारा छात्रवृत्तियों को अधिक सुलभ, पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए मंगलवार को गोमतीनगर स्थित भागीदारी भवन में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभागों के मंत्रीगण एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आयोजित इस बैठक में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं की समीक्षा की गई और इन्हें और बेहतर बनाने के उपायों पर मंथन हुआ। हाल ही में छात्रवृत्ति संबंधी सभी योजनाओं का नोडल विभाग समाज कल्याण विभाग को बनाया गया है, जिसने इस दिशा में एक 6 सदस्यीय ट्रांसफॉर्मेशन टीम का गठन किया था। इस टीम ने आज अपनी प्रस्तुति दी।

- प्रमुख मंत्रियों की उपस्थिति

बैठक में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे: ओमप्रकाश राजभर, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

नरेंद्र कश्यप, पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)असीम अरुण, समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दानिश आज़ाद, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री

तीनों विभागों के प्रमुख सचिव, निदेशक, और तकनीकी टीम के सदस्य भी बैठक में मौजूद रहे।

- छात्रवृत्ति से जुड़ी समस्याओं पर खुलकर चर्चा

प्रस्तुतीकरण में असीम अरुण ने बताया कि छात्रवृत्ति प्राप्त करने में विद्यार्थियों और विभागों को कई तकनीकी और प्रक्रियागत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इन चुनौतियों को दूर करने के लिए संभावित समाधानों को साझा किया।

- लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय:

छात्रवृत्ति पोर्टल पूरे वर्ष खुला रहेगा, ताकि विद्यार्थी कभी भी आवेदन कर सकें।

तीनों विभागों के निदेशकों की संयुक्त टीम बनाई जाएगी, जो नियमित रूप से बैठक कर समस्याओं का समाधान करेगी।

सेमेस्टर आधारित छात्रवृत्ति प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे वार्षिक देरी और गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा।

तकनीकी कारणों से छात्रवृत्ति रुके तो छात्रों को अवसर दिया जाएगा, ताकि वे इससे वंचित न रहें।

नवीन तकनीक आधारित पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित किया जाएगा, जिसमें नोटिफिकेशन सुविधा भी होगी।

सभी वर्गों के लिए समान नीति प्रक्रिया लागू की जाएगी।

फर्जी छात्रों को रोकने के लिए फेस रिकॉग्निशन आधारित उपस्थिति प्रणाली लाई जाएगी।

* बजट की कोई कमी नहीं होगी – इस बिंदु पर भी स्पष्ट सहमति बनी।

इस मंथन से साफ है कि राज्य सरकार छात्रवृत्ति को आधुनिक, पारदर्शी और छात्र हितैषी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। तकनीकी नवाचारों, संयुक्त प्रयासों और नीतिगत सुधारों के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी पात्र छात्र छात्रवृत्ति से वंचित न रहे और शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसरों को बढ़ावा मिले।

उप्र राज्य संग्रहालय द्वारा ग्रीष्मकालीन कार्यशाला आयोजित

लखनऊ। राज्य संग्रहालय लखनऊ द्वारा ग्रीष्मकालीन कार्यशालाओं के अंतर्गत आज 20 मई को लखनऊ पब्लिक स्कूल, वृंदावन योजना, सेक्टर-9 के संयुक्त तत्वावधान में 12 दिवसीय टेराकोटा म्यूरल्स एवं मूर्ति कला कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में लखनऊ पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला 31 मई, 2025 तक प्रत्येक दिवस में प्रातः 8ः00 से 11ः00 बजे तक आयोजित होगी।

भारतीय सेना के शौर्य को समर्पित तिरंगा यात्रा : पश्चिम विधानसभा से परशुराम चौराहा तक देशभक्ति का जुलूस

* नीरज सिंह और आनंद द्विवेदी ने दिखाई झंडी, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को किया नमन

लखनऊ। भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान को समर्पित करते हुए आज पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में एक भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा एमआईएस चौराहा से प्रारंभ होकर परशुराम चौराहा तक निकाली गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ युवा नेता नीरज सिंह और महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने तिरंगा यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया।

तिरंगा यात्रा में सेंट जोसेफ स्कूल के बैंड, दीन दयाल डिग्री कॉलेज के एनसीसी छात्र, भूतपूर्व सैनिक, सिविल डिफेंस, परिवार, विश्व हिंदू परिषद, व्यापार मंडल, और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने भाग लेकर देशभक्ति का संदेश दिया।

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को किया गया नमन

कार्यक्रम के समापन पर नीरज सिंह ने भारतीय सेना के "ऑपरेशन सिंदूर" की ऐतिहासिक सफलता, वीर सैनिकों के अदम्य साहस, बलिदान और राष्ट्र के प्रति समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि यह तिरंगा यात्रा हर भारतवासी को गौरव और आत्मविश्वास से भर देती है।

जन-जन तक पहुंचे वीरता की गाथा

महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने कहा कि देशभर में तिरंगा यात्राओं के माध्यम से भारतीय सैनिकों की शौर्यगाथा को हर जन तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे सैनिकों से प्रेरणा लें और देश सेवा में आगे आएं।

जनता और संगठनों का आभार

पश्चिम विधानसभा के उपविजेता अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने तिरंगा यात्रा को सफल बनाने के लिए स्थानीय जनता, सामाजिक संगठनों, और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

प्रमुख उपस्थितजन

इस मौके पर अनेक गणमान्य नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही, जिनमें शामिल हैं: दीप प्रकाश सिंह (मंडल अध्यक्ष), विमल चौधरी, सोमेन्द्र पाण्डेय, संदीप तिवारी, डॉ. यू.एन. पाण्डेय, सतेन्द्र सिंह, चंद्र प्रकाश अवस्थी, मयंक वाजपेयी, राहुल शुक्ला, पार्षद कौमुदी त्रिपाठी, गौरी सवारियाँ, रोशनी रावत, रेखा सिंह, रीता रॉय, कमलेश देवी, अजय दीक्षिती, विनोद यादव, अनूप कमल सक्सेना, शिव कुमार यादव (गुड्डू), धर्मेंद्र सिंह, मनीष रस्तोगी आदि।

बड़े मंगल पर रविंद्र गार्डन अलीगंज में आयोजित भंडारे में शामिल हुए वित्त मंत्री, भक्त जनों को बांटा प्रसाद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना मंगलवार को लखनऊ स्थित रविन्द्र गार्डेन में ज्येष्ठ माह के द्वितीय बड़े मंगल के पावन अवसर पर आयोजित प्रसाद वितरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की मंगलकामना की। उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया। श्री खन्ना ने कहा कि हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित बड़े मंगल का दिन उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से राजधानी लखनऊ में एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बड़ा मंगल उत्तर भारतीय लोक आस्था का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। लखनऊ की धरती पर यह पर्व सामाजिक समरसता, सहयोग और श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।

श्री खन्ना ने इस अवसर पर कहा कि हनुमान जी समाज को शक्ति, भक्ति और सेवा का संदेश देते हैं। हम सबको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और अपनी आस्था को सेवा में बदलना चाहिए। जब हम एक-दूसरे की मदद करेंगे, तभी सच्चे अर्थों में धर्म की विजय होगी और मानवता का कल्याण होगा।

ज्येष्ठ महीने के इस दूसरे बड़े मंगल के अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, हजरतगंज में पूजा अर्चन कर भंडारे का शुभारंभ किया। राजधानी लखनऊ में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में जगह-जगह भंडारे का आयोजन हुआ। हर तरफ हनुमान जी के नाम के गुणगान वाले भजन सुनाई पड़ रहे थे , साथ ही जय सियाराम के जयकारें लग रहे थे।

सीएम युवा उद्यमी योजना बनी आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नई पहचान, 40 हजार से अधिक युवाओं को मिला ऋण

-- बिना ब्याज व गारंटी के 5 लाख तक का ऋण, महिलाओं और पिछड़े वर्गों को मिल रहा विशेष प्रोत्साहन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के संकल्प को मूर्त रूप देते हुए मुख्यमंत्री युवा उद्यमी (सीएम युवा) योजना के माध्यम से प्रदेश को उद्यमिता का मॉडल राज्य बना दिया है। इस योजना के तहत युवाओं को बिना ब्याज और बिना गारंटी के 5 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे वे स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ा सकें।

अब तक योजना के तहत 53,649 युवाओं के ऋण आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं, जिनमें से 39,835 युवाओं को ऋण वितरित किया जा चुका है। यह योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आत्मनिर्भर भारत के विजन को गति दे रही है और पूरे देश में एक मॉडल के रूप में देखी जा रही है।

10 लाख युवाओं को स्वरोजगार का लक्ष्य

"हर कदम उद्यमिता की ओर, हर युवा आत्मनिर्भरता की ओर" के मिशन के साथ शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में 10 लाख युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है। 16 मई 2025 तक इस योजना के अंतर्गत कुल 2,44,045 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 1,10,105 आवेदन बैंकों को अग्रेषित किए गए।

महिलाओं और पिछड़े वर्गों को मिल रही खास प्राथमिकता

इस योजना की खास बात यह है कि यह समावेशी विकास को बढ़ावा देती है। ऋण प्राप्त करने वालों में लगभग 30% महिलाएं हैं, जबकि 48.5% लाभार्थी ओबीसी वर्ग से हैं। साथ ही 15% अनुसूचित जाति और 2.5% अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को भी इसका लाभ मिला है।

मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में हो रहा निवेश

युवा इस योजना के तहत प्राप्त धनराशि का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में कर रहे हैं। 36% से अधिक ऋण का उपयोग मैन्युफैक्चरिंग जैसे फर्नीचर निर्माण, आटा चक्की, डेयरी आदि में किया गया है, जबकि 64% लाभार्थियों ने सेवा क्षेत्र जैसे टेंट हाउस, मोबाइल रिपेयरिंग, प्रिंटिंग प्रेस, फिटनेस सेंटर में निवेश किया है।

टॉप-5 जिलों में कानपुर नगर सबसे आगे

ऋण वितरण में कानपुर नगर सबसे आगे है, जहां 1339 युवाओं को योजना का लाभ मिला है। इसके बाद बरेली (1032), आगरा (1016), महाराजगंज (988), और वाराणसी (961) टॉप-5 जिलों में शामिल हैं।

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। सरकार का लक्ष्य न केवल रोजगार देना है, बल्कि युवाओं को स्वयं का उद्यम खड़ा करने वाला लीडर बनाना है।