अब तुर्की का होगा मालदीव जैसा हाल, पाकिस्तान का साथ देकर बड़ी गलती कर बैठे एर्दोगन
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पिछले साल जनवरी में मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के दौरान अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद भारत और मालदीव के बीच विवाद काफी बढ़ गया। इस दौरान भारत सरकार के पहले भारतीय अपने प्रधानमंत्री की ढाल बनकर खड़े हो गए थे। भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार शुरू कर दिया, जिसने कुछ ही समय में मालदीव के नेताओं को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। अब लगता है मालदीव के बाद तुर्की की बारी है।
दरअसल, 22 अप्रैल को पाकिस्तान की ओर से आए आतंकियों ने पहलगाम में 26 लोगों का धर्म पूछकर नरसंहार कर दिया। भारत ने आतंकी हमला का जवाब देते हुए पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद आतंक को पालने वाला पाकिस्तान तिलमिला गया और भारत पर ड्रोन और मिसाइल दागने लगा। पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन से हमला किया था। इन हमलों को भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इसके बाद पाकिस्तान घुटने पर आ गया। तुर्की ने इस तनाव के वक्त में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ दिया। तुर्की की मीडिया ने प्रोपेगेंडा चलाने में पाकिस्तान का पक्ष लिया। जिससे गुस्साए भारतीय पर्यटकों ने तुर्की का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। अब टूर ऑपरेटर्स ने तुर्की का दौरा कैंसिल करना शुरू किया। भारत की कई टूर कंपनियों ने तुर्की, चीन और अजरबैजान की बुकिंग कैंसिल करनी शुरू कर दी है।
तुर्की को भारी पड़ सकता है भारत का बहिष्कार
अब बड़ा सवाल ये है कि भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार से तुर्की को कितना नुकसान होगा? पिछले कुछ सालों में भारी संख्या में भारतीय पर्यटकों ने घुमने के लिए तुर्की को चुना है। साल 2023 में करीब 2.74 लाख भारतीय नागरिक घुमने के लिए तुर्की गये थे। जबकि 2024 में तुर्की जाने वाले भारतीय पर्यटकों का ये आंकड़ा बढ़कर करीब 3.5 लाख पहुंच गया। भारतीय लोगों के बीच शादी करने, हनीमुन मनाने और फैमिली ट्रिप्स के लिए तुर्की तेजी से पॉपुलर हो रहा था।
भारतीयों के बहिष्कार से तुर्की को कितना नुकसान?
बात अगर तु्र्की को भारतीय पर्यटकों से होने वाले फायदे की करें तो तुर्की की सरकार ने 2025 में भारतीय टूरिज्म से 300 मिलियन डॉलर तक की इनकम करने की उम्मीद की थी। अगर बहिष्कार लंबे समय तक चला तो अनुमान है कि 150–200 मिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। वहीं टूरिज्म सेक्टर से जुड़े होटल, ट्रांसपोर्ट, गाइड्स को मिलाकर नुकसान 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है। वहीं भारतीय काफी खर्च करने के लिए जाने जाते है। वो चीनियों की तरह खर्च करने में कंजूस नहीं होते हैं। भारत का एक पर्यटक मालदीव या तुर्की जैसे देशों में 2500 डॉलर से ज्यादा खर्च करता है। इसके अलावा शादियों और अन्य तरह का आयोजन करने के लिए भी भारती के लोग तुर्की जाते हैं। शादियों का खर्च और भी ज्यादा होता। जिससे भारत का बहिष्कार तुर्की को भारी पड़ सकता है।
तुर्की से आयातित सेब की बिक्री पर भी असर
भारत के लोगों का गुस्सा सिर्फ तुर्की की यात्रा का बहिष्कार करने तक नहीं है। भारतीय बाजारों में तुर्की से आयातित सेब की बिक्री पर भी असर पड़ा है। थोक व्यापारी बता रहे हैं कि अब ग्राहक तुर्की के सेब नहीं खरीद रहे हैं। 2024-25 में भारत ने तुर्की से करीब 1.6 लाख टन सेब आयात किए थे जो कुल विदेशी सेब बाजार का 6-8% हिस्सा रखते थे। अब सेब उत्पादक संघ तुर्की से आयात पर पूरी तरह से रोक की मांग कर रहा है।
May 14 2025, 19:39