पीएम मोदी ने फ्रांस के मार्सिले पहुंचते ही वीर सावरकर को याद किया, क्या है कारण?
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प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस दौरे के दौरान फ्रांस के दूसरे सबसे बड़े शहर और बंदरगाह मार्सिले का भी पहुंचे। मार्सिले एक ऐसा शहर जो नेपोलियन बोनापार्ट और फुटबॉलर जिनेदिन जिदान जैसी हस्तियों का घर है। यहां दुनियाभर से पर्यटक घूमने आते हैं और इस शहर की खूबसूरती का आनंद लेते हैं। वैसे, इस शहर से भारत का भी एक पुराना नाता रहा है। इस दौरान मोदी ने एक्स पर मार्सिले में 115 साल पुरानी घटना का जिक्र कर विनायक दामोदर सावरकर को भी याद किया।
फ्रांस के मार्सिले शहर में पीएम मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की। मार्सिले में उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर को याद किया। पीएम मोदी ने वीर सावरकर की तारीफ भी की।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया और लिखा, "भारत की स्वतंत्रता की खोज में इस शहर का विशेष महत्व है। यहीं पर महान वीर सावरकर ने साहसपूर्वक भागने का प्रयास किया था। मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में न सौंपा जाए। वीर सावरकर की बहादुरी आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करती है!"
मार्सिले से सावरकर के जुड़ाव की क्या है कहानी?
भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान, सावरकर को गिरफ्तार कर मुकदमे के लिए ब्रिटिश जहाज मोरिया से भारत लाया जा रहा था, तब उन्होंने 8 जुलाई, 1910 को कैद से भागने का प्रयास किया था। कहा जाता है सावरकर जहाज के पोर्टहोल से निकलकर तैरते हुए किनारे पहुंच गए थे, लेकिन बाद में उन्हें फ्रांसीसी अधिकारियों ने पकड़ लिया और उन्हें ब्रिटिश जहाज अधिकारियों की हिरासत में वापस सौंप दिया था। इसके बाद उन्हें काला पानी की सजा हुई।
मार्सिले शहर का भारत के लिए महत्व
मार्सिले में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शहर में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया है। मार्सिले दक्षिणी फ्रांस में है और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर होने के साथ बंदरगाह भी लिए है, जिससे व्यापार का बड़ा केंद्र है। मार्सिले भूमध्य सागर के तट पर भारत-फ्रांस के लिए एक व्यापारिक गेटवे का काम करता है। यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट में से एक है।





* मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार (9 फरवरी, 2025) को इंफाल के राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा। मणिपुर सीएम का इस्तीफा विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले हुआ है। दरअसल, चर्चा थी कि मणिपुर में विपक्षी नेता सत्र के दौरान एन बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे थे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने का फैसला किया।अब सवाल ये है कि मणिपुर के अगले मुख्यमंत्री के रूप में बीरेन सिंह की जगह कौन लेगा? मणिपुर में लंबे समय से चल रहे हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है। एन.बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा फिलहाल कोई नया सर्वमान्य चेहरा तलाश नहीं पाई है। पार्टी के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी और सांसद डॉ.संबित पात्रा ने मंगलवार को इंफाल में पार्टी विधायकों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में किसी नए नाम पर सहमति नहीं बनी है। पार्टी की कोशिश ऐसे चेहरे को चुनने की रही, जिसको लेकर मैतेई और कुकी दोनों समुदायों का भरोसा हो। यदि नए सीएम के लिए सर्वसम्मति नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की प्रबल संभावना है। *क्या है नियम* दरअसल संविधान के मुताबिक राज्यों की विधानसभा की दो बैठकों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए पर मणिपुर विधानसभा के संदर्भ में ये संवैधानिक समय सीमा आज (बुधवार) को खत्म हो रही है। संविधान के अनुसार, मणिपुर विधानसभा का अगला सत्र 12 फरवरी से पहले होना चाहिए। सत्र शुरू होने के 15 दिन पहले स्पीकर को इसकी घोषणा करनी होती है। स्पीकर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश के बाद ही सत्र बुला सकते हैं। अगर सत्र नहीं होता है, तो राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी होगी। इस दौरान विधानसभा स्थगित रहेगी। *सरकार गठन की संभावना तलाशने की कोशिश* हालांकि सूत्रों का ये भी दावा है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच अधिकतम 6 महीने के अंतर पर संवैधानिक प्रावधान ये स्पष्ट तौर पर नहीं कहते कि 6 महीने बाद विधानसभा को भंग ही कर दिया जाना चाहिए। ऐसे में सरकार गठन को लेकर संभावना तलाशने की कोशिश जारी रहेगी। अगर सरकार गठन को लेकर कुछ ठोस संभावना नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अब केंद्र की तरफ से आगे उठाए जाने वाले कदम पर सभी की निगाहें टिकीं हैं। जिस पर फैसला पीएम मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद हो सकता है। *मणिपुर में सियासी संकट* मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर की एक रैली के बाद हिंसा भड़क उठी थी जिसमें करीब 200 लोग मारे गए थे। यह रैली मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश देने के बाद हुई थी। हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में सुरक्षा बंदोबस्त मजबूत करने के अलावा दोनों समुदायों में मेलजोल के प्रयास किए लेकिन पूर्णत: शांति के हालात नहीं बने। हाल में गृह सचिव पद से रिटायर हुए अजय भल्ला को राज्यपाल बनाकर भेजा गया है। इस बीच मुख्यमंत्री पद से बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद सियासी संकट खड़ा हो गया है।
* लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एमपी एमएलए कोर्ट ने तलब किया है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के सिलसिले में लखनऊ की एक अदालत ने समन भेजा है। एमपी एमएलए कोर्ट ने राहुल गांधी को 24 मार्च को हाजिर होने का आदेश दिया है। ये मुकदमा बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के पूर्व डायरेक्टर उदय शंकर श्रीवास्तव ने दर्ज कराया है। 16 दिसंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर राहुल गांधी ने टिप्पणी की थी, जिसको लेकर ये मामला दर्ज हुआ है। शिकायतकर्ता के मुताबिक, राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा था, '9 दिसंबर 2022 को चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय सैनिकों की पिटाई के बारे में कोई कुछ नहीं पूछता?' 12 दिसंबर 2022 को भारतीय सेना ने राहुल गांधी के बयान का खंडन किया था। सेना ने आधिकारिक बयान दिया, 'चीनी सेना अरुणाचल में अवैध रूप से घुसी थी, जिसका भारतीय सेना ने माकूल जवाब दिया और चीनी सेना वापस चली गई।' उदय शंकर श्रीवास्तव के मुताबिक वो सेना का सम्मान करते हैं और राहुल गांधी ने सेना का मजाक उड़ाकर मानहानि की।
Feb 12 2025, 20:07
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