जेपीसी की बैठक में शिया वक्फ बोर्ड ने किए तीखे सवाल, संपत्तियों के भविष्य को लेकर जताई चिंता
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को लेकर जेपीसी की बैठक संपन्न गई है। जिसमें जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, जेपीसी के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी समेत 11 सदस्य शामिल हुए। बैठक में शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी और दीगर मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि तथा सरकार के नुमाइंदे शामिल हुए। जेपीसी बिल पर मुस्लिम धर्मगुरुओं और संगठनों से सुझाव और आपत्तियां ली गईं। इस दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता जताई। शिया वक्फ बोर्ड ने कई कानूनी पहलू भी जेपीसी के सामने रखे।
उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा, मसौदे में ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात है। ऐसे में सवाल यह है, अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा। उन्होंने जेपीसी को बताया कि इमामबाड़े, दरगाहें, खानकाहें, कर्बलाएं और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं जो इस्तेमाल में आती हैं। मगर, वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं। इनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है।
बैठक में शामिल उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि बैठक में जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी। राजभर के मुताबिक सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते अगस्त में संसद में वक्फ विधेयक-2024 पेश किया था। इसके जरिए साल 1995 में तत्कालीन सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधन में बदलाव करने का प्रस्ताव है। लोकसभा में पेश होने के बाद इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय कमेटी गठित कर उसके सुपुर्द दिया गया था। यह जेपीसी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित हुई है।
Jan 21 2025, 20:12