कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारी ने मनाया बसपा सुप्रीमो मायावती का 69 वां जन्मदिन

गोरखपुर। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री पूर्व सांसद सुश्री बहन कुमारी मायावती का 69वा जन्म दिवस वैष्णवी लान सिविल लाइन गोरखपुर में धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गोरखपुर मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी सुधीर कुमार भारती रहे, तथा अध्यक्षता जिला अध्यक्ष ऋषि कपूर व विशिष्ट अतिथि हरि प्रकाश निषाद मुख्य सेक्टर प्रभारी व दिलीप कुमार मुख्य सेक्टर प्रभारी रहे।

मुख्यअतिथि जी ने अपने संबोधन में कहा कि बहन जी का जन्मदिन जन कल्याणकारी के रूप में मनाया जाता है ।बसपा गरीबों में मजुल्मो ,दबे कुचले ,वंचित, समाज की पार्टी है। हमारे कार्यकर्ता ही पार्टी के रीड है उनके सहयोग से ही पार्टी चलती है आज हम लोगों को यहां से संकल्प लेकर जाना है कि 2027 में बसपा की सरकार बनाना है अभी से भाईचारा बनाते हुए बसपा शासन में किए हुए विकास कर को बताना है। क्योंकि बसपा में ही सभी वर्ग के लोग सुरक्षित थे मान सम्मान सिर्फ बसपा में ही है बसपा से विरोध करने वाले लोग आज कहीं के नहीं है भारतीय जनता पार्टी में आज पूरा प्रदेश व देश परेशान है विशिष्ट अतिथि हरि प्रकाश निषाद ने अपने संबोधन में कहा कि बहन जी के शासन में जिस समाज का राजनीतिक दुनिया कभी थी ही नहीं बसपा सरकार में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला आज देखिए बीजेपी के शासन में सपा की तरह जातिवाद धर्म बाद हो रहा है।

दिलीप कुमार, नवल किशोर नथनी, अमरचंद दुबे, संजय पांडे जी ने भी अपनी-अपने विचार रखें। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला अध्यक्ष ऋषि कपूर ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा आप ही की बदौलत उत्तर प्रदेश में चार-चार बसपा की सरकार बनी आज बहन जी के जन्म दिवस पर आप सभी सम्मानित कार्यकर्ता साथी बूथ कमेटी, सेक्टर कमेटी मजबूत करें ताकि 2027 में प्रचंड बहुमत के साथ बसपा की सरकार बने कार्यक्रम में सर्वश्री विद्यानंद यादव पार्षद प्रतिनिधि शैलेंद्र कुमार कमलेश कुमार गौतम जिला प्रभारी वकील राज जी धर्मवीर भारती भवनाथ राय एजाज अहमद राजू गुप्ता लक्ष्मण राणा रामदेव पासवान घनश्याम रही किरण चौहान माता पार्वती गुड़िया जायसवाल पशुपतिनाथ रघुकुल देवकीनंदन सुरेंद्र भारती राम गति निषाद रामप्रीतू सिया असलम अली संतोष ठठेरा राजेश पांडे जनार्दन सिंह रमेश चंद्र त्रिपाठी योगेंद्र बौद्ध दुधराम वीरेंद्र राधेश्याम अमरचंद दुबे मेराज अहमद ओम नारायण पांडे संगम गौतम हरिश्चंद्र गौतम सुनील कुमार भारती जयकर प्रसाद राम यू पवन त्यागी दीपू कुमार राम मिलन निराला महानंद गौतम राजेश मलिक श्री नारायण श्री राम बाबू विरेंद्र राव धर्म भाई चमार राजेंद्र जाटव दिनेश कुमार विवेक कनौजिया संदेश कन्नौजिया सैयद हसन अंसारी सहित हजारों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

गोरखपुर। मैनपुरी की लोकप्रिय सांसद श्रीमती डिंपल यादव जी {भाभीजी} का जन्मदिन मनाया गया।

लोकप्रिय सांसद श्रीमती डिंपल यादव के जन्मदिन के शुभ अवसर पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ महानगर के पूर्व सचिव आफताब अहमद एवं समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य जावेद खा के नेतृत्व में शाहपुर स्थित एशियन सेवा संस्थान अनाथ आश्रम में अनाथ बच्चों के बीच में केक काटकर मिठाई, फल, चॉकलेट इत्यादि वितरित कर उत्साह पूर्वक मनाया गया।

डिंपल यादव जी के जन्मदिन समारोह के पावन अवसर पर अपना विचार व्यक्त करतें हुए समाजवादी पार्टी के पूर्व महानगर सचिव आफ़ताब अहमद एवं जावेद खा ने कहा कि लोकप्रिय सांसद श्रीमती डिंपल यादव जी उत्तर प्रदेश की भविष्य और उम्मीद हैं। उनके मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा मिलेगी l माननीया भाभीजी सादगी, शालीनता, सरलता, सहजता की मिशाल हैं।

जन्मदिन समारोह के अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए मीडिया प्रभारी इम्तियाज़ अहमद व ने कहा कि पुर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार में, महिला हेल्प लाईन 1219 एवं महिला सुरक्षा के लिए बनाई गयी महत्वपूर्ण योजनाएं, डिम्पल यादव के सुझाव से बनाई गईं थीं और आज भी इन कल्याणकारी योजनाओं से महिलाएँ अपने आप को सुरक्षित महसूस करतीं हैं l

इस मौके पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य जावेद खा, गुड़िया खातून, कंचन श्रीवास्तव, खालिक अली सोनू, हिमालय, विजयनाथ यादव, आफताब अहमद, इम्तियाज अहमद, आमिर अंसारी, शहाबुद्दीन अली, कुमार, मोहम्मद नदीम, टिंकू, आमिना खातून, सत्य प्रकाश जायसवाल, अभिमन्यु मौर्य, ध्रुव त्रिपाठी विनोद यादव, विजय यादव, राहुल निषाद, पंचदेव यादव, सोनू सिंह, अंकित गॉड, शिवम यादव, कमलेश यादव, मुन्ना, नीतीश वर्मा, नीतीश वर्मा, अशोक सिंह, कृष्णा सिंह, गोलू यादव, अनूप यादव, सद्दाम हुसैन, आदि लोग उपस्थित रहे।

खजनी थाना क्षेत्र में बनेंगी दो नई पुलिस चौकियां

खजनी गोरखपुर।थाना क्षेत्र में उनवल नगर पंचायत पुलिस चौकी और महुआडाबर पुलिस चौकी के बाद दो नई पुलिस चौकियां खुलने जा रही हैं। घनी आबादी और क्षेत्र में शांति सुरक्षा व्यवस्था के बेहतरीन प्रबंधन के लिए पुलिस चौकियों से आम जन मानस को बड़ी सहूलियत मिलती है। इसके साथ ही सामान्य विवादों, छोटी बड़ी आपराधिक घटनाओं, आकस्मिक दुर्घटनाओं तथा शांति सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने और त्वरित कार्रवाई में पुलिस के लिए भी आसानी रहती है।

खजनी थाने के भगवानपुर एरिया महुआडाबर पुलिस चौकी तथा खजनी थाने से दूर स्थित है। आकस्मिक घटनाओं के दौरान लगभग 10/12 किलोमीटर की दूरी तय करके मौके पर पहुंचने में समय लगता है, कुछ इसी प्रकार हरनहीं सिसवां सोनबरसां मार्ग पर स्थित रकौली और खजुरी बाजार की दूरी भी अधिक है।

बीते दिनों जिले के पुलिस कप्तान एसएसपी डाॅक्टर गौरव ग्रोवर के निर्देश पर

एसपी साउथ जितेंद्र कुमार

एवं क्षेत्राधिकारी उदय प्रताप सिंह के मार्गदर्शन में खजनी थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा के प्रयास से भगवानपुर ग्रामसभा के ग्रामप्रधान शैलेन्द्र सिंह के द्वारा गांव के मझवां टोले पर स्थित 17 डेसीमल ग्राम समाज की सरकारी जमीन चिह्नित कर पुलिस चौकी के लिए उपलब्ध कराई गई। मौके पर पहुंच कर लेखपाल के द्वारा जमीन चिह्नित कर दी गई है। जिसे जिलाधिकारी कृष्ण करूणेश एवं एसएसपी डाॅक्टर गौरव ग्रोवर के द्वारा नई पुलिस चौकी बनाने के लिए सहजनवां तहसील में खतौनी में दर्ज करा दिया गया है। इसी प्रकार रकौली बाजार में दुघरा मार्ग पर स्थित एक सरकारी अर्द्धनिर्मित भवन को पुलिस चौकी बनाने के लिए चिन्हित किया गया है।

सूत्रों की मानें तो गणतंत्र दिवस तक समय मिलते ही भगवानपुर पुलिस चौकी के निर्माण कार्य का शुभारंभ शिलान्यास किया जाएगा।

इस संदर्भ में थानाध्यक्ष खजनी सदानंद सिन्हा ने बताया कि एसएसपी सर की अनुमति मिलते ही भूमि पूजन शिलान्यास के बाद नई पुलिस चौकी का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

*श्रद्धा पूर्वक मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व*

खजनी गोरखपुर।इलाके में मकर संक्रांति पर्व श्रद्धापूर्वक धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने आस्था के साथ प्रात:स्नान और दान पूण्य किए साथ ही बड़ी संख्या में गोरखनाथ मंदिर पहुँच कर खिचड़ी चढाई, घरों में भी पारंपरिक ढंग से खिचडी मनाई गई। मकर संक्रांति के मौके पर क्षेत्र से बड़ी संख्या में पर्व स्नान के लिए लोग प्रयागराज में गंगा स्नान और संगम स्नान के लिए रवाना हुए वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या, बड़हलगंज, और गोला बाजार सरयू नदी में तथा गोरखपुर राप्ती नदी में स्नान और दान पुण्य किए। घरों में कुलपुरोहितों को दान दिए।

तहसील क्षेत्र के उनवल, खजनी, बहुरीपार, रामपुर पाण्डेय, बढ़नी, रकौली, सिसवां, खजुरी, हरनहीं आदि स्थानों से लोग पर्व स्नान के लिए रवाना हुए।कई स्थानों पर सार्वजनिक रूप से भंडारा करके खिचडी का प्रसाद बाँटा गया।

*बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर सीएम योगी ने की लोकमंगल की कामना*

गोरखपुर। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में चार बजे गोरखनाथ मंदिर में नाथपंथ की विशिष्ट परंपरा के अनुसार शिवावतार महायोगी गोरखनाथ को विधि विधान से आस्था की पवित्र खिचड़ी चढ़ाई। इस अवसर पर उन्होंने भगवान गोरखनाथ से लोकमंगल, सभी नागरिकों के सुखमय और समृद्धमय जीवन तथा राष्ट्र कल्याण की प्रार्थना की।

*गोरखपुर एम्स के कार्यकारी निदेशक ने आपातकालीन विभाग का किया औचक निरीक्षण*

गोरखपुर, 14 जनवरी 2025: एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय सिंह ने आज आपातकालीन विभाग का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान विभाग में वरिष्ठ डॉक्टरों की अनुपस्थिति पाई गई, जिसे उन्होंने गंभीर लापरवाही करार दिया।

डॉ. सिंह ने मौके पर मौजूद स्टाफ से चर्चा की और विभाग की स्थिति का व्यक्तिगत जायजा लिया। उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों की उपस्थिति अनिवार्य है। इस संदर्भ में उन्होंने जल्द ही एक आधिकारिक परामर्श जारी करने की घोषणा की। इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश होंगे कि आपातकालीन विभाग में हर समय वरिष्ठ चिकित्सक उपलब्ध रहें। एम्स गोरखपुर ने यह आश्वासन दिया है कि मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और देखभाल के मानकों को सुधारने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

*खिचड़ी मेले में श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा*

गोरखपुर, 14 जनवरी। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित विश्व प्रसिद्ध खिचड़ी मेले में आए लाखों श्रद्धालु योगी सरकार की तरफ से किए गए अभिवादन से अभिभूत हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर खिचड़ी मेले में आए श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। इस अभूतपूर्व स्वागत से हर्षित श्रद्धालुओं ने शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ के खूब जयकारे लगाए और मुख्यमंत्री के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की।

गोरखनाथ मंदिर का खिचड़ी मेला श्रद्धालुओं की संख्या के मामले में अभूतपूर्व रहा तो उनका स्वागत भी दिल जीतने वाला रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशानिर्देश पर मेले में आए श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। आसमान से अपने ऊपर स्वागत के फूल गिरते देख श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। पुष्पवर्षा के साथ पहले से गुंजित गुरु गोरक्षनाथ के जयकारे की गति तेज और ध्वनि गगनभेदी हो गई। श्रद्धालुओं ने कहा कि मुख्यमंत्री की यह पहल हृदय को स्पंदित करने वाली है।

*नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपित पाॅक्सो एक्ट में जेल भेजा गया*

खजनी गोरखपुर।थाना क्षेत्र के एक निवासी नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर भगाने और उसके साथ दुष्कर्म के आरोपित को खजनी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कहीं भागने के फिराक में खड़े कटघर चौराहे से गिरफ्तार कर लिया। विधिक कार्रवाई के बाद उसे जेल भेज दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार नाबालिग लड़की के पिता की तहरीर पर पुलिस ने बीते वर्ष 2024 में 21 नवंबर को मुकदमा अपराध संख्या 453/2024 में बीएनएस की धारा 137(2) में अपहरण का केस दर्ज कर लड़की की तलाश शुरू कर दी थी। नाबालिग लड़की को तेलंगाना राज्य के कामा रेड्डी से बरामद कर लिया था। पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपित शहाबुद्दीन उर्फ सलमान पुत्र इम्तियाज निवासी टेकवार उनवल थाना खजनी के खिलाफ बीएनएस की धाराओं 87, 64 और 3/4 पाॅक्सो एक्ट दर्ज कर अभियुक्त की तलाश तेज कर दी थी।

थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा के निर्देश पर एसआई सत्यदेव ने अपने मातहत कांस्टेबल बृजेश के साथ आरोपित को खजनी कस्बे के निकट कटघर चौराहे से गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है।

*स्वास्थ्य रक्षा अभियान में आयुर्वेद व एलोपैथ को साथ लेकर चलने की आवश्यकता : डॉ. वीररत्न*

गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) की तरफ से आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के पारस्परिक अंतरसंबंधों को समझने के लिए आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मंगलवार को हुआ। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आयुर्वेद के मर्मज्ञ डॉ. टी. वीररत्न ने कहा कि वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में आयुर्वेद की महत्ता को दुनिया ने एक बार फिर स्वीकार किया है। आज आवश्यकता है कि आयुर्वेद और एलोपैथ को मिलाकर स्वास्थ्य रक्षा का अभियान आगे बढ़ाया जाए।

डॉ. टी. वीररत्न ने आयुर्वेद को विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति बताते हुए कहा कि आयुर्वेद एक पवित्र चिकित्सकीय पद्धति है जो शरीर ही नहीं, आत्मा तक को शुद्ध और प्रसन्न करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग के अनुसार जीवनशैली अपनाने वाले लोग कम बीमार पड़ते हैं और यदि बीमार पड़ भी गए आयुर्वेद की दवाओं से शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेते हैं। यही कारण है कि वैश्विक दवा बाजार में आयुर्वेद की औषधियों की मांग निरंतर बढ़ रही है। इसके साथ ही दुनिया के लोग निरोगी काया के लिए योग के प्रति प्रेरित हो रहे हैं।

समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि इंग्लैंड से आए आयुर्वेद के वैद्य डॉ. वीएन जोशी ने कहा कि आयुर्वेद और योग दोनों को नाथपंथ ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि नाथपंथ का संबंध भगवान रुद्र और गौमाता से है। नाथपंथ के प्रवर्तक आदियोगी शिव ने ही योग और आयुर्वेद को अनुप्राणित किया है। विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति संस्कृति विश्वविद्यालय मथुरा डॉ. तन्मय गोस्वामी ने कहा कि चिकित्सा जगत में आयुर्वेद, योग और नाथपंथ को समाहित कर हुई यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि महर्षि चरक के अनुसार हमारा एक लक्ष्य होना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ रखना और रोगी को रोगमुक्त करना।

इस अवसर पर आयुष विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति डॉ. एके सिंह ने कहा कि आयुष के पूरे देश में एक सौ सात आयुर्वेदिक कालेज हैं। देश-विदेश के विभिन्न आयुर्वेद कालेजों से आए हम सभी वैद्य यदि पांच-पांच गांव गोद लेते हैं तो आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति घर घर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें हर्बल औषधियों की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। प्रायः देखा जाता है कि सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किए जाने वाले उत्पाद शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं लेकिन यदि सौन्दर्य प्रसाधनों में प्रयोग आने वाले पारद आदि धातुओं को यदि आयुर्वेदिक पद्धतियों से शोधन करके बनाते हैं तो यह शरीर के लिए हानिकारक नहीं होता है।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरिंदर सिंह ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ने मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जो निष्कर्ष निकाले हैं, वे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आयुर्वेद दवा कंपनियों की मांग के देखते हुए हमें वैल्यू एडेड कोर्स शुरू करने चाहिए। उन्होंने इस संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बीएचयू के वरिष्ठ आचार्य डॉ. के. रामचंद्र रेड्डी, आयुर्वेद कालेज के प्राचार्य, प्राध्यापकों, सभी डेलीगेट्स और बीएमएस विद्यार्थियों को साधुवाद प्रदान किया। संगोष्ठी के अंत मे सर्वश्रेष्ठ शोध प्रस्तुति सम्मान गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूटऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. अश्विथी नारायण और मेडिकल कॉलेज की डॉ. प्रियंका को प्राप्त हुआ।

आभार ज्ञापन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम, संचालन डॉ. मोहित व मंगलाचरण डॉ. सुमेश ने किया। इस अवसर पर इजरायल से आए गुई लेविन, अनत लेविन, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, डॉ. अरविंद कुशवाहा, डॉ. नवीन, डॉ. दीपू मनोहर, डॉ. विनम्र शर्मा, डॉ. साध्वी नन्दन पाण्डेय, डॉ. देवी, डॉ. प्रिया सहित देश के अन्य राज्यों और विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।

महाकुंभ 2025 और मकर संक्रांति का वैज्ञानिक आधार

गोरखपुर। वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला ( तारामण्डल) गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के खगोल विद अमर पाल सिंह के द्वारा एक संक्षिप्त खगोलीय विश्लेषण ।

यह बात आज से लगभग हजारों वर्षों पहले की है, जब से मानव सभ्यता का प्रादुर्भाब हुआ है तब से आज तक मानव सभ्यताओं ने जाने या अनजाने में ही सही लेकिन आकाश को अपने अपने नजरियों से निहारा तो है ,चाहें हम बात करें उन प्राचीन कालीन मानव सभ्यताओं की जिन्होने रात्रि के आकाश में टिमटिमाते आकाश दीपों को देख कर और उनसे निर्मित कुछ विशिष्ट आकार प्रकार की आकृतियों को अपने अपने हिसाब से समय, देश काल और परिस्थितियों में अनेकों कहानियों को भी गढ़ा ,जिस से आगे आने वाली पीढ़ियों को भी निरन्तर इस गूढ़ ज्ञान की धारा का विशेष लाभ ,खगोलीय ज्ञान और भान के रूप में होता रहे और जिस ज्ञान की अविरल धारा को आगे चलकर खगोल विज्ञान कहा गया ,इस प्रकार हम पाते हैं कि तमाम भारतीय प्राचीन कालीन पर्व और त्यौहारों में भी विज्ञान सम्मिलित है जिनमें कुछ प्राचीन तो कुछ आधुनिक वैज्ञानिक आधार भी प्राप्त होते हैं, आज हम एक प्राचीन कालीन पहलू पर बात करेंगे, जैसा कि हम जानते हैं कि परिवर्तन ब्रह्मांडीय नियम है जो होता है ,होता था ,और होता रहेगा, और होना अपरिहार्य है, उसी कड़ी में मानव सभ्यताओं ने भी समय के साथ अपने आप को भी ढाला है और इस बदलाव रूपी ऊबड़ खाबड़ ढलान से गुजरते हुए प्राचीन कालीन सभ्यताओं से भी समय के साथ में, आगे चल कर केबल कुछेक रीति रिवाजें , संस्कृति ,परंपराएं और रूढ़ी वादियां छूट गईं और कुछ समय विशेष के साथ रूढ़ हो गईं और कुछ समय के साथ परिभाषित होकर परिवर्तित हो गईं और कुछ ख़ास ने मानवीय परंपराओं का रूप ले लिया उनमें से एक विशेष है मकर संक्रांति और महाकुम्भ महोत्सव का संयोजन, खगोल विद अमर पाल सिंह आपको बताने जा रहे हैं इन दोनों से सम्बन्धित कुछ ख़ास बातें , जोकि जनहित में अति महत्वपूर्ण हैं,

महाकुंभ और मकर संक्रांति दोनों का गहरा वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व भी है, जो आकाशीय पिंडों की गतिविधियों और पृथ्वी पर उनके प्रभाव में निहित है। इन घटनाओं के पीछे का वैज्ञानिक आधार कुछ इस प्रकार है: खगोल विद अमर पाल सिंह के अनुसार:

मकर संक्रांति: वैज्ञानिक व्याख्या, यह एक खगोलीय घटना है , खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति के पीछे का विज्ञान_ पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण हम दिन ब रात का अनुभव करते हैं, लेकिन ये दिन ब रात सम्पूर्ण पृथ्वी पर सब जगह एक जैसा नहीं होता है , जितनी सूर्य की किरणें प्रथ्वी के जिस भाग पर पड़ रही होती हैं उसी हिसाब से दिन तय होता है, जैसे प्रथ्वी को दो गोलार्धों में बांटा गया है एक उत्तरी गोलार्ध ब दूसरा दक्षिणी गोलार्ध जिनमें जिस पर पड़ने बाली सूर्य की किरणें प्रथ्वी पर दिन तय करती हैं, और इसका अपने अक्ष पर 23.5 अंश झुके होने के कारण दोनो गोलार्धों में मौसम भी अलग अलग होता है, अगर हम बात करें उत्तरायण ब दक्षिणायन की तो हम पाते हैं कि यह एक खगोलीय घटना है, 14/15 जनवरी के बाद सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर या जाता हुआ होता है,जिसमें सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश ( दक्षिण से उत्तर की ओर गमन प्रतीत ) करता है, इसे उत्तरायण या सूर्य उत्तर की ओर के नाम से भी जाना जाता है, वैज्ञानिकता के आधार पर इस घटना के पीछे का मुख्य कारण है पृथ्वी का छः महीनों के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर बलन करना,जो कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है ,जो लोग उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं उनके लिए सूर्य की इस राशि परिबर्तन के कारण 14/15 जनवरी का दिन मकर संक्रांति के तौर पर मनाते हैं,और उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही समय के साथ धीरे धीरे मकर मण्डल के आधार पर ही मकर संक्रांति की संज्ञा अस्तित्व में आई है, मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का क्रांतिवृत्त के दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु पर पहुंचना, प्राचीन काल से सूर्य मकर मण्डल में प्रवेश करके जब क्रांतिवृत्त के सबसे दक्षिणी छोर से इस दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु पर पहुंचता था, तब वह दिन ( 21 या 22 दिसंबर) सबसे छोटा होता था, अमर पाल सिंह ने बताया कि मगर अब सूर्य जनवरी के मध्य में मकर मण्डल में प्रवेश करता है, वजह यह है कि अयन चलन के कारण दक्षिणायनांत (या उत्तरायनारंभ) बिंदु अब पश्चिम की ओर के धनु मण्डल में सरक गया है, अब बास्तबिक मकर संक्रांति (दक्षिणायनांत या उत्तरायनारंभ बिंदु) का आकाश के मकर मण्डल से कोई लेना देना नहीं रह गया है, मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक होता है जो सूर्य की उत्तर की ओर यात्रा (उत्तरायण) का संकेत देता है,

यह परिवर्तन शीतकालीन संक्रांति के बाद होता है जब उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे होने लगते हैं, जो गर्मी और नवीनीकरण की शुरुआत का भी प्रतीक है,

सौर विकिरण में परिवर्तन

सूर्य के कर्क रेखा की ओर बढ़ने से उत्तरी गोलार्ध में सौर ऊर्जा बढ़ती है, जो जलवायु और कृषि चक्र को तो प्रभावित करती ही है और साथ साथ यह संक्रमण जैविक लय को प्रभावित करता है, जोकि इस समय ख़ासकर उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले लोगों में कायाकल्प और जीवन शक्ति को प्रोत्साहित करता है,

जैसे कि विटामिन डी का अवशोषण आदि

इस अवधि के दौरान, लोग पारंपरिक रूप से धूप सेंकते हैं या धूप में अधिक समय बिताते हैं, जिससे शरीर को अधिक विटामिन डी का उत्पादन करने में मदद मिलती है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा के लिए एक हद तक आवश्यक होता है।

इसके साथ ही अगर हम बात करें संस्कारों में निहित वैज्ञानिक आधारों की तो हम पाते हैं कि कुछ संस्कारों का वैज्ञानिक आधार भी प्राप्त होता है, खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि जैसे कि

तिल और गुड़ का सेवन केवल सांस्कृतिक ही नहीं है ,बल्कि ये खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं जो ठंड के महीनों के दौरान शरीर को गर्म और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं,

अब हम बात करते हैं महाकुम्भ और इसमें निहित वैज्ञानिक आधारों की तो हम पाते हैं कि

खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि

महाकुंभ और इसकी वैज्ञानिक व्याख्या में हम पाते हैं कि यह अति प्राचीन एवं बृहद त्यौहार भी खगोलीय संरेखण पर आधारित हैं,

जैसा हम जानते हैं कि आज की अंतर्राष्ट्रीय खगोल वैज्ञानिक संघ की ग्रहीय परिभाषा के अनुसार आज हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं , जिनका सूर्य से दूरी के क्रम में नाम निम्नानुसार है बुद्ध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और बरुण हैं,उनमें से सबसे बड़ा ग्रह है बृहस्पति, जिसे गुरु भी कहा जाता है,प्राचीन कालीन सभ्यताओं ने भी पांच ग्रहों को अपनी साधारण आंखों से ही पहचान लिया था, जिनमें से बृहस्पति भी एक था, आज के समय में भी अगर आप भी थोड़ा अधिक प्रयास करेंगे तो अलग अलग रात्रि के दौरान दिखाई देने वाले इन पांचों ग्रहों को विभिन्न समय पर आप भी पहचान सकते हैं , बृहस्पति जोकि शुक्र ग्रह के बाद सबसे ज्यादा चमकीला पिण्ड है, यह मुख्य रूप से लगभग 75 प्रतिशत हाइड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम ब अन्य से बना हुआ है, दूरबीन से देखने पर इस पर बाहरी वातावरण में दृश्य पट्टियां भी दिखाई देती हैं और एक लाल धब्बा भी है जिसे ग्रेट रेड स्पॉट कहा जाता है , जिसे गैलीलियो ने 17वीं सदी में अपनी दूरबीन से देखा था, और सर्व प्रथम 1610 में गैलीलियो गैलिली ने इसके चार बड़े चंद्रमाओं को भी खोजा था, जिनके नाम हैं, गैनिमेड, यूरोपा, आयो, कैलिस्टो, खगोलीय अनुसंधान से प्राप्त जानकारी से यूरोपा पर निकट या दूर भविष्य में ही सही लेकिन इस पर जीवन की प्रबल संभावना है क्योंकि इस पर पानी का भण्डार जो मौजूद है, अगर हम बृहस्पति ग्रह की तुलना अपनी पृथ्वी से करें तो हम पाते हैं कि इसमें लगभग 1331 पृथ्वियां समा सकती हैं, और इसका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 14 गुना ज्यादा शक्तिशाली है, और यह सूर्य से लगभग 77 करोड़ 80 लाख किलोमीटर दूर है, और सूर्य का एक चक्कर लगाने में 11.86 वर्ष का समय लगता है जोकि लगभग 12 बर्ष के बराकर होता है, बृहस्पति का अक्षीय झुकाब केबल 3.13 डिग्री है जिस कारण इस पर कोई मौसम परिवर्तन नहीं होता है, यह बहुत तेज़ गति से घूर्णन करता है अपने अक्ष पर 09 घंटा 56 मिनट्स में एक बार घूमता है, इसका मतलब होता है कि इसका दिन लगभग 10 घंटे का ही होता है,

अमर पाल सिंह ने बताया कि इसे आधुनिक खगोल विज्ञान में वैक्यूम क्लीनर भी कहा जाता है, जोकि पृथ्वी पर आने वाली धूमकेतुओं से भी बचाता है, बृहस्पति ग्रह जिसे गुरु भी कहा जाता है का हमारे देश में एक विशेष स्थान है क्योंकि भारत में कुम्भ मेला आयोजित होता है, कुम्भ का शाब्दिक अर्थ होता है कलश, कलश का मतलब होता है घड़ा, सुराही या पानी रखने वाला बर्तन और मेला का मतलब होता है कि जहां पर मिलन होता है, इस मेला के दौरान शिक्षा, प्रवचन, सामूहिक सभाएं, मनोरंजन और यह सामुदायिक वाणिज्यिक उत्सव भी हैं, बड़ी बात यह है कि यह त्यौहार दुनिया की सबसे बड़ी सभा माना जाता है, इस उत्सव को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है, खगोलीय गणनाओं के हिसाब से यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है और जब एक ख़ास खगोलीय संयोजन घटित होता है तभी यह मेला घटित होता,

महाकुंभ तब आयोजित होता है जब सूर्य मकर राशि में, चंद्रमा मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है, इस बार वर्ष 2025 में प्रयागराज में पूर्ण कुम्भ मेला आयोजित किया जा रहा है,

महाकुम्भ मेला प्रयाग में प्रत्येक 144 वर्ष अर्थात 12 पूर्ण कुम्भ मेलों के बाद आयोजित होता है, महाकुम्भ मेला अगली बार 2157 में लगेगा, जब गुरु कुम्भ राशि में सूर्य मेष राशि में और चन्द्रमा धनु राशि में होता है तब कुम्भ मेला हरिद्वार में लगता है, और जब गुरु वृषभ राशि में सूर्य, चन्द्रमा मकर राशि में होते हैं तब प्रयागराज में कुम्भ मेला आयोजित होता है, और जब गुरु सिंह राशि में सूर्य,चन्द्रमा कर्क राशि में होते हैं तो नासिक में कुम्भ मेला आयोजित होता है और जब गुरु सिंह राशि में सूर्य, चन्द्रमा मेष राशि में होते हैं तो कुम्भ मेला उज्जैन में आयोजित होता है जब गुरु सिंह राशि में होते हैं तो त्रांबकेशर नासिक और उज्जैन में आयोजित होता है जिसे सिंहस्थ कुंभ मेला भी कहा जाता है,

निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि दोनों घटनाएँ, मकर संक्रांति और महाकुंभ, महत्वपूर्ण खगोलीय गतिविधियों के साथ संरेखित होती हैं जो मौसमी परिवर्तनों, मानव शरीर विज्ञान और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। जोकि हमारे पूर्वजों के विशिष्ट प्राचीन ज्ञान को भी दर्शाते हैं जो खगोलीय ज्ञान को स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं के साथ एकीकृत भी करता है ।