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5 hours ago

क्या खत्म होगा गहलोत-सचिन विवाद? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज दिल्ली में दोनों नेताओं से करेंगे मुलाकात

#ashok_gehlot_sachin_pilot_meet_mallikarjun_kharge_today

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जंग जारी है। इसका कांग्रेस को आने वाले चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच चल रही सियासी जंग को जल्द खत्म करने की पार्टी हाईकमान कोशिश कर रही है। इसी क्रम में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पालयट से मुलाकात करेंगे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये बैठक पायलट के उस ‘अल्टीमेटम’ के ठीक बाद प्रस्तावित हुई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर इस महीने के अंत तक राज्य सरकार से उनकी तीन मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।पायलट की एक मांग है कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

कहा जा रहा है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान गहलोत और पायलट को एक मंच पर लाने के लिए अलग-अलग मुलाकात करेगा। रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को एक साथ लाने में सफल रहे और पार्टी अब इसी फॉर्मूले को राजस्थान में आजमाना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में राजस्थान के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, गोविंद सिंह डोटासरा, अशोक गहलोत, सचिन पायलट समेत डॉ. सीपी जोशी को बुलाया गया है। इसके अलावा, रघु शर्मा, हरीश चौधरी, भंवर जितेंद्र सिंह, रघुवीर मीणा, कुलदीप इंदौर भी बैठक में मौजूद रहेंगे।

दरअसल, पायलट ने अपनी मांगों को लेकर अजमेर से जयपुर तक एक जन संघर्ष यात्रा निकाली थी।इस यात्रा के दौरान वह अपनी ही सरकार को घेरते हुए दिखाई दिए थे। जब जन संघर्ष यात्रा खत्म हुई तो पायलट ने गहलोत सरकार के सामने अपनी तीन मांगे रखीं। पायलट ने प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि पहले की बीजेपी सरकार यानि वसुंधरा सरकार के अंदर जो भी भ्रष्टाचार हुए हैं, उस पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही अपनी दूसरी मांग में पायलट ने पेपर लीक अभ्यथियों को मुआवजा देने की भी बात दोहराई थी। उन्होंने कहा था कि अगर उनकी ये मांगे नहीं मानी गईं तो वह प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे।

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May 26 2023, 15:46

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC ने खारिज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा- अगली बार लगेगा जुर्माना

नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से करवाने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ऐसी याचिका दोबारा लगाई गई तो कोर्ट जुर्माना भी लगा देगा।

SC ने लगाई फटकार

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि ये याचिका किस कारण डाली गई है। कोर्ट ने इसी के साथ याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे किसका हित होने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं की सुनवाई करना हमारा काम नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मु से उद्घाटन की थी मांग

सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल हुई है, जिसमें यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र को ये निर्देश दे कि नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है, “लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।”

भारतीय संविधान का उल्लंघन- याचिकाकर्ता

अधिवक्ता जया सुकिन द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में ये कहा गया था

याचिका में कहा गया कि सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। भारत में राष्ट्रपति दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा को बुलाने और टालने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति रखते हैं, इसलिए ये कार्य भी उन्हें ही करना चाहिए।

21 दलों ने की उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा

कांग्रेस, टीएमसी और आप समेत कुल 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बिना भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय “राष्ट्रपति का अपमान करना है और संविधान का उल्लंघन भी है”।

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May 25 2023, 13:25

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pilfiledinsupremecourtfornewparliamentbuilding_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

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May 25 2023, 13:24

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pil_filed_in_supreme_court_for_new_parliament_building_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

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May 15 2023, 19:10

*राजस्थान का रारःसचिन पायलट की गहलोत सरकार को खुली चुनौती, 15 दिन का दिया अल्टीमेटम*

#sachinpilotgive15dayultimatumtoashokgehlot_govt

राजस्थानकांग्रेस में गहलोत-पायलट के बीच चल रहा सियासी बवाल एक कदर और बढ़ गया है। सचिन पायलट ने अब खुलकर कांग्रेस की गहलोत सरकार को चुनौती दे डाली है। पायलट ने जयपुर में शक्ति प्रदर्शन करते हुए 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए 3 मांगें पूरी करने की बात कही है। उन्होंने ऐलान किया है कि 15 दिन में मांगें पूरी नहीं हुई तो वो प्रदेशभर में आंदोलन करेंगे। 

जन संघर्ष यात्रा की समाप्ति पर सोमवार को राजधानी जयपुर में आयोजित जनसभा में पायलट ने गहलोत सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए खुली चेतावनी दे डाली है। पायलट ने कहा कि अगर सरकार ने पेपर लीक से प्रभावित हुए अभ्यर्थियों को मुआवजा नहीं दिया और वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच नहीं कराई तो वे पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। इसके साथ ही पायलट ने आरपीएससी की वर्तमान व्यवस्था को भंग करने की भी मांग की।

पायलट ने सरकार के सामने ये तीन मांगें रखी

पायलट ने सभा के मंच से पहली मांग आरपीएससी (राजस्थान लोक सेवा आयोग) को भंग करने की रखी। पेपर लीक मामले को लेकर पायलट ने आपीएससी के चेयरमैन और सदस्यों के नियुक्ति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा पूरे तंत्र का पुनर्गठन करें, नए कानून मापदंड बनें और पारदर्शिता से लोगों का चयन हो।दूसरी मांग अब तक की प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी से प्रभावित युवाओं को आर्थिक मुआवजा देने की रखी। उन्होंने कहा पेपर लीक से प्रभावित प्रत्‍येक नौजवान को उच‍ित आर्थिक मुआवजा दिया जाना चाहिए। तीसरी मांग में उन्होंने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच की की बात कही। उन्होंने वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्‍च स्‍तरीय जांच कराने की मांग रखी।

महीने के आखिर तक का अल्टीमेटम

सचिन पायलट ने कहा कि इस महीने के आखिर में अगर तीनों मांगे नहीं मानी गई तो युवाओं के लिए, भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन करूंगा। हम गांव में हर जगह जनता के साथ पैदल चलेंगे। मैंने कभी किसी पर आरोप नहीं लगाया किसी के खिलाफ बुरा शब्द नहीं निकाला। आप मुझे गाली दो, आरोप लगाओ मुझे चिंता नहीं। जनता ही जनार्दन होती है। जिन बच्चों के पेपर रद्द हो गये वो हताश होते हैं, लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं।

हमारा संघर्ष किसी नेता के खिलाफ नहीं-पायलट

पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि हमारा संघर्ष किसी नेता के खिलाफ नहीं है। ये भ्रष्टाचार के खिलाफ है। राजस्थान में हमारी सरकार हटी थी तब कांग्रेस की बहुत कम सीट थी। तब मुझे कहा गया कि आपको कांग्रेस का अध्यक्ष बनना है। हमने पांच साल एकजुट होकर काम किया। वसुंधरा राजे के शासन में जो भ्रष्टाचार हुआ उस पर हमने आरोप लगाया। जब हमारी सरकर बनी तो जो हमने कहा था वो हमने किया, लेकिन जो आरोप हमने लगाया था उसको आज साढ़े चार साल हो गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पायलट के साथ मंत्री-विधायक भी मंच पर

सचिन पायलट ने अपनी 5 दिवसीय जन संघर्ष यात्रा के दौरान अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों को दूर रखा। लेकिन अंतिम दिन सोमवार को जयपुर में आयोजित सभा में पायलट के साथ मंच पर विधायक भी थे और मंत्री भी। गहलोत के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले पायलट समर्थक लगभग सभी बड़े नेता मंच पर मौजूद नजर आए। इसमें राज्‍य सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा व हेमाराम चौधरी के साथ साथ विधायक जीआर खटाना, वेद सोलंकी, सुरेश मोदी, राकेश पारीक, हरीश मीणा, खिलाड़ीलाल बैरवा, गिर्राज मलिंगा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, इंद्राज गुर्जर और रामनिवास गावड़िया भी शामिल हुए।

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May 09 2023, 14:36

पायलट का पलटवारःकहा- सोनिया नहीं वसुंधरा हैं गहलोत की नेता,जानें क्या है पूरा मामला?

#sachin_pilot_reply_over_cm_ashok_gehlot_statement 

अशोक गहलोत के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर दिए गए बयान के बाद राजस्थान की राजनीति एक बार फिर से गर्म है।सूबे के मुखिया अशोक गहलोत ने रविवार को एक तीर से कई निशाने एक साथ लगाए। एक तरफ उन्होंने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सरकार बचाने में साथ देने का दावा किया। तो वहीं, पायलट खेमे की बगावत का जिक्र करते हुए विधायकों को अमित शाह से लिए पैसे लौटाने की बात कही।गहलोत के विस्फोटक बयान के बाद उनके धुर प्रतिद्वंदी सचिन पायलट ने उन पर बड़ा हमला किया है। पायलट ने कहा कि सीएम की नेता सोनिया गांधी नहीं वसुंधरा राजे हैं।

राहुल गांधी के उदयपुर दौरे के बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य के सीएम अशोक गहलोत पर बड़ा हमला बोला। पायलट ने कहा, साल 2020 में मैं उप मुख्यमंत्री था, उस समय राजद्रोह के आरोप में मुझ पर कार्रवाई करने की कोशिश की गई थी। नेतृत्व परिवर्तन चाहते थे, इसलिए दिल्ली गए एआईसीसी से बात रखी, जिसके बाद एक कमेटी का गठन हुआ। कमेटी ने सबकी बात सुनी और उसके आधार पर एक रोड मैप तैयार किया गया। इसके बाद से हर छोटे-बड़े कार्य में सभी साथियों ने मिलकर काम किया और मेहनत की, अनुशासन तोड़ने का कार्य कभी किसी ने की।

अब समझ में आया बीजेपी सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच क्यों नहीं हुई-पायलट

पायलट ने आगे कहा कि मुझे कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद मैंने जी-जान लगाकर मेहनत की लेकिन कभी अनुशासन तोड़ने का काम मैंने नहीं किया। पायलट ने कहा कि मुझे गद्दार, कोरोना क्या कुछ नहीं कहा लेकिन मैंने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम कभी नहीं किया।पायलट ने कहा कि मैंने बीजेपी सरकार के समय के भ्रष्टाचार की जांच के लिए सीएम को कई चिट्ठियां लिखीं लेकिन अब समझ आ रहा है कि उनमें जांच क्यों नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मैं जब-जब वसुंधरा सरकार के करप्शन की बात करता हूं तो कोई जवाब नहीं आता है।

25 सितंबर वाली घटना गद्दारी

पायलट ने कहा कि 25 सितंबर को सोनिया गांधी ने अजय माकन और खरगे को विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर भेजा था लेकिन वह मीटिंग नहीं हो पाई। पायलट ने कहा कि 25 सितंबर को विधायकों के बहिष्कार करने से हमारी पार्टी अध्यक्ष की बेईज्जती हुई, उनका अपमान किया गया वो गद्दारी थी।

जन संघर्ष यात्रा की घोषणा

कांग्रेस नेता ने कहा मैंने फैसला लिया है कि 11 तारीख को अजमेर से एक यात्रा निकालूंगा। जनता के बीच जाकर जनता की आवाज सुनेंगे और जनता के मुद्दों को उठाएंगे। नौवजानों के मुद्दों को उठाकर जन संघर्ष यात्रा निकालने जा रहे हैं, जो लगभग 125 किलोमीटर लंबी होगी। सचिन पायलट का कहना है कि सही फैसले तब लिए जाएंगे, जब जनता का प्रेशर सरकार पर बनेगा।

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May 08 2023, 19:59

अशोक गहलोत का एक तीर से कई शिकार, सचिन पायलट की बगावत की याद दिलाते हुए बीजेपी के इन नेताओं को भी लपेटा

#ashokgehlotbjpvasundhararajesachinpilot

राजस्थान विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासत तेज होती जा रही है।इस बीच गहलोत ने एक बार फिर 2020 की घटना की याद दिलाते हुए सियासी पारा चढ़ा दिया है।गहललोत ने कहा है कि पिछले साल जब पार्टी के विधायकों की बगावत की वजह से सरकार गिरने के कगार पर थी, तो मुझे उस समय बीजेपी नेता और राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समेत उनकी पार्टी के तीन नेताओं का साथ मिला था।खुलेआम वसुंधरा को अपनी सरकार का संकटमोचक बताते हुए गहलोत ने कहा कि राजे ने उनकी सरकार बचाई थी। इससे राजस्थान की राजनीति में बवाल हो गया है।

गहलोत का बड़ा आरोप

रविवार को गहलोत ने धौलपुर में कहा कि 2020 में सचिन पायलट के विद्रोह के समय उनकी सरकार को वसुंधरा राजे, कैलाश मेघवाल और शोभारानी कुशवाहा ने बचाया था। गहलोत ने आगे कहा कि जब भैरो सिंह शेखावत की सरकार थी और मैं कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष था तब शेखावत की सरकार गिराने के लिए बीजेपी वाले मेरे पास आए थे, लेकिन मैंने मना कर दिया था। गहलोत ने अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत पर उनकी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया। साथ ही दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीजेपी नेता कैलाश मेघवाल और शोभारानी कुशवाहा ने संकट के दौरान सरकार को बचाने में उनकी मदद की थी।

क्या बीजेपी में दरार पैदा करने की कोशिश?

धौलपुर की एक जनसभा में सीएम गहलोत ने कहा कि जिन विधायकों ने 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान अमित शाह से पैसा लिया था। उनको वो पैसा लौटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले कांग्रेस विधायकों को जो पैसे बांटे गए थे, अब उस पैसे को बीजेपी वापस नहीं ले रही है। मुझे चिंता है कि पैसे क्यों वापस नहीं ले रहे जबकि मैं कह रहा हूं कि जो पैसे विधायकों से खर्च हो गए है, उस पार्ट को मैं दे दूंगा, कांग्रेस पार्टी से दिला दूंगा। खास बात ये है कि अशोक गहलोत का यह बयान सचिन पायलट गुट पर हमले के साथ-साथ बीजेपी में दरार पैदा करने की कोशिश वाला बयान माना जा रहा है।

क्या हुआ था 2020 में

बता दें कि 2020 में कांग्रेस के विधायकों ने सचिन पायलट की अगुवाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी।स्थिति कुछ ऐसी बन गई थी कि लग रहा था सीएम गहलोत की सरकार किस भी वक्त गिर सकती है। हालांकि, बाद में दिल्ली से आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बाद राज्य में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को दूर कर लिया गया था।

Gorakhpur

Apr 26 2023, 20:26

*मलेरिया के लक्षण दिखें तो आशा कार्यकर्ता से करें सम्पर्क-सीएमओ*

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Apr 21 2023, 14:13

एयर इंडिया के पायलट ने उड़ान के दौरान नियमों को ताक पर रखा, महिला मित्र को कॉकपिट में बिठाया

#a_pilot_of_air_india_allowed_a_female_friend_in_cockpit

एअर इंडिया के एक पायलट ने नियमों को ताक पर रख अपनी महिला मित्र को कॉकपिट में बैठने की अनुमति दी। इतना ही नहीं अपनी मित्र को बिजनेस क्लास का खाना भी खिलाया। घटना 27 फरवरी को दुबई से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया के फ्लाइट की है। मामले की जानकारी के बाद डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविलि एविएशन (डीजीसीए) केबिन क्रू को पूछताछ के लिए समन भेजा है।

मामला तब सामने आया तब पायलट के खिलाफ डीजीसीए में शिकायत की गई। केबिन क्रू के एक सदस्य की शिकायत के अनुसार, 27 फरवरी को दुबई से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया फ्लाइट के पायलट ने अपनी महिला मित्र को कॉकपिट में एंट्री दी। कहा जा रहा है कि मामले का संज्ञान लेने के बाद डीजीसीए ने केबिन क्रू को पूछताछ के लिए समन भेजा है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पायलट पर आरोप है कि उसने कॉकपिट को लिविंग रूम जैसा बनाकर रख दिया। वह अपनी महिला मित्र के स्वागत के लिए केबिन क्रू को पहले से निर्देश दे चुका था। पायलट पर ये भी आरोप है कि उसने अपनी मित्र को बिजनेस क्लास में खाना खिलवाया था। क्रू मेंबर की शिकायत के अनुसार, पायलट ने केबिन क्रू से पूछा था कि क्या बिजनेस क्लास में खाली सीटें हैं? क्योंकि उसकी दोस्त इकोनॉमी क्लास में यात्रा कर रही थी। क्रू मेंबर ने उन्हें सूचित किया कि कोई सीट खाली नहीं है, तब पायलट ने कॉकपिट में ही उसे बैठने की अनुमति दे डाली। इसके अलावा उन्होंने वहां स्नैक्स और शराब का भी इंतजाम करने को कहा।

कहा जा रहा है कि एयर इंडिया के पायलट ने क्रू मेंबर्स को खास निर्देश दिए थे। पायलट ने कहा था कि एंट्री होते ही उनकी महिला मित्र का गर्मजोशी से स्वागत होना चाहिए।बताया जा रहा है कि वह करीब तीन घंटे तक कॉकपिट में रही।

भारत के विमानन नियामक ने इस घटना की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। डीजीसीए ने शुक्रवार को कहा कि वह मामले की जांच कर रहा है और तथ्यों की जांच करेगा। डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए एएनआई को बताया कि यह विमानन नियामक डीजीसीए सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन करता है। अधिकारी ने कहा कि पायलट की हरकतें न केवल सुरक्षा का उल्लंघन थीं, बल्कि ऐसी गलती भी थी जो उड़ान और यात्रियों की सुरक्षा में चूक पैदा कर सकती थी। अधिकारी ने कहा कि जांच के परिणाम के आधार पर पायलट को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें उसका लाइसेंस निलंबित करना या रद्द करना शामिल है।

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5 hours ago

क्या खत्म होगा गहलोत-सचिन विवाद? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज दिल्ली में दोनों नेताओं से करेंगे मुलाकात

#ashok_gehlot_sachin_pilot_meet_mallikarjun_kharge_today

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जंग जारी है। इसका कांग्रेस को आने वाले चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच चल रही सियासी जंग को जल्द खत्म करने की पार्टी हाईकमान कोशिश कर रही है। इसी क्रम में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पालयट से मुलाकात करेंगे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये बैठक पायलट के उस ‘अल्टीमेटम’ के ठीक बाद प्रस्तावित हुई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर इस महीने के अंत तक राज्य सरकार से उनकी तीन मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।पायलट की एक मांग है कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

कहा जा रहा है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान गहलोत और पायलट को एक मंच पर लाने के लिए अलग-अलग मुलाकात करेगा। रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को एक साथ लाने में सफल रहे और पार्टी अब इसी फॉर्मूले को राजस्थान में आजमाना चाहती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में राजस्थान के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, गोविंद सिंह डोटासरा, अशोक गहलोत, सचिन पायलट समेत डॉ. सीपी जोशी को बुलाया गया है। इसके अलावा, रघु शर्मा, हरीश चौधरी, भंवर जितेंद्र सिंह, रघुवीर मीणा, कुलदीप इंदौर भी बैठक में मौजूद रहेंगे।

दरअसल, पायलट ने अपनी मांगों को लेकर अजमेर से जयपुर तक एक जन संघर्ष यात्रा निकाली थी।इस यात्रा के दौरान वह अपनी ही सरकार को घेरते हुए दिखाई दिए थे। जब जन संघर्ष यात्रा खत्म हुई तो पायलट ने गहलोत सरकार के सामने अपनी तीन मांगे रखीं। पायलट ने प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि पहले की बीजेपी सरकार यानि वसुंधरा सरकार के अंदर जो भी भ्रष्टाचार हुए हैं, उस पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही अपनी दूसरी मांग में पायलट ने पेपर लीक अभ्यथियों को मुआवजा देने की भी बात दोहराई थी। उन्होंने कहा था कि अगर उनकी ये मांगे नहीं मानी गईं तो वह प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे।

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May 26 2023, 15:46

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर SC ने खारिज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा- अगली बार लगेगा जुर्माना

नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से करवाने की मांग वाली याचिका आज सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ऐसी याचिका दोबारा लगाई गई तो कोर्ट जुर्माना भी लगा देगा।

SC ने लगाई फटकार

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि ये याचिका किस कारण डाली गई है। कोर्ट ने इसी के साथ याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे किसका हित होने वाला है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिकाओं की सुनवाई करना हमारा काम नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मु से उद्घाटन की थी मांग

सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन इस मामले में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल हुई है, जिसमें यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र को ये निर्देश दे कि नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है, “लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।”

भारतीय संविधान का उल्लंघन- याचिकाकर्ता

अधिवक्ता जया सुकिन द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में ये कहा गया था

याचिका में कहा गया कि सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। भारत में राष्ट्रपति दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा को बुलाने और टालने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति रखते हैं, इसलिए ये कार्य भी उन्हें ही करना चाहिए।

21 दलों ने की उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा

कांग्रेस, टीएमसी और आप समेत कुल 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के बिना भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय “राष्ट्रपति का अपमान करना है और संविधान का उल्लंघन भी है”।