आजमगढ़::आईए जानते हैं महाकुंभ के विशेष जानकारी-भूपेंद्रानंद जी महाराज
उपेन्द्र कुमार पांडेय
आजमगढ़::इस वर्ष महाकुम्भ मेला 13जनवरी 2025 से 26फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन तक चलेगा, महाकुम्भ का अर्थ- कुम्भ का अर्थ घडे से लिया जाता है, वैदिक ग्रन्थों में इसका अर्थ जल (अमृत )के विषय में है। मेला शब्द का अर्थ - किसी एक स्थान पर मिलना ,या साथ चलना ,या विशेष रुप से सामुदायिक उत्सव में उपस्थित होना, यह अमरत्व का मेला है। कहा -कहा लगता है- प्रयाग (त्रिवेणी) 2-हरिद्वार (गंगा) 3-उज्जैन (शिप्रा )३-नासिक ( गोदावरी) सूर्य चन्द्र और बृहस्पति की जब युति होती है ,तब महाकुम्भ लगता है। जब वृष के बृहस्पति होते है तब माध मास मे प्रयागराज में महाकुम्भ लगता है,
ब्रह्मा के द्वारा चार तीर्थ जल में अमृत डालने का आदेश देव गुरु बृहस्पति को दिए थे ,और इसके साक्षी सूर्य और चन्द्रमा बने ,इसीलिए जब सूर्य चन्द्र की जब भी युति होती है, तो अमावस्या योग बनता है, इसलिए अमावस्या स्नान मुख्य माना जाता है। " मेष राशिगते जीवे मकरे चन्द्र भास्करौं। अमावस्या तदा योगः कुंभख्यस्तीर्थ नायके ।" महाकुम्भ मोक्ष का साधन है, अमृत कुम्भ का मुख अकाश की ओर होता है ,जो विशिष्ट क्षण में तीर्थ मे गिरता है ,इसी का पान करने के लिए-देव दनुज ,किन्नर, मनुष्य ,अमृत स्नान करने आते है , गोस्वामी जी लिखते है । माध मकरगत रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेंनी, सादर मज्जहि सकल त्रिवेणी ।। आचार्य भूपेन्द्रानन्द गुरु जी (महाराज)
Jan 09 2025, 18:51