ABVP रजत जयंती अधिवेशन में शामिल हुए झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार


धनबाद : धनबाद के के.के. पॉलिटेक्निक कॉलेज में चल रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड प्रदेश के तीन दिवसीय रजत जयंती प्रदेश अधिवेशन का आज झारखंड के महामहिम राज्यपाल श्री संतोष गंगवार जी की उपस्थिति में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया..

कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष गंगवार जी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय मंत्री क्षमा शर्मा जी,विशिष्ट अतिथि आईएसएम धनबाद के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्र , धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो जी, स्वागत समिति के अध्यक्ष रवि चौधरी जी ,स्वागत समिति के मंत्री मुकेश पांडे जी, प्रदेश अध्यक्ष डॉ मौसमी पाल जी एवं प्रदेश मंत्री मनोज सोरेन जी के द्वारा विधिवत रूप से मां सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा के समक्ष दीप एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उद्घाटन किया गया..

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एक ऐसा छात्र संगठन है जिससे समाज का हर वर्ग जुड़कर कार्य करना चाहता है। मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के नाते अपने छात्र जीवन में कार्य नहीं कर पाया लेकिन आज जबकि इस अधिवेशन में अतिथि के नाते उपस्थित होना हुआ है तो गर्व की अनुभूति हो रही है। 

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद राज्य के शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और हम सभी मिलकर शिक्षा क्षेत्र में झारखंड में एक सकारात्मक माहौल स्थापित करने का कार्य करेंगे..

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय मंत्री क्षमा शर्मा ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कहीं भी जब छात्र हित का हनन होता है तो छात्र समुदाय उम्मीद भरी नजरों से विद्यार्थी परिषद की ओर देखता है। उन्होंने कहा कि आज के वर्तमान दौर में छात्राओं को सशक्त करने के लिए और बंगाल में जिस प्रकार की असामाजिक घटनाएं लगातार बढ़ रही है उसको देखते हुए छात्राओं को मिशन साहसी के माध्यम से आत्मरक्षा के शिक्षा दी जा रही है ताकि सरकार की नाकामी होने पर राज्य की छात्राएं स्वयं अपनी सुरक्षा कर सकें..

उद्घाटन सत्र में युवाओं को संबोधित करते हुए स्वागत समिति के अध्यक्ष रवि चौधरी जी ने संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड का या रजत जयंती अधिवेशन यहां के छात्र युवाओं को अपने हक व झारखंड के अस्मिता संस्कृति को बचाने के लिए जागृत करने वाला अधिवेशन है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का एक-एक कार्यकर्ता अपने सभ्यता अपनी संस्कृति को आत्मसात कर राष्ट्र पुनर्निर्माण के उद्देश्य के लिए एक-एक परिसर में पूरी तन्मयता के साथ लगा रहता है। आईएसएम धनबाद के निदेशक प्रोफेसर सुकुमार मिश्रा ने कहा कि आज के टेक्नोलॉजी के इस दौर में युवा विभिन्न माध्यमों से अपने करियर को एक नई दिशा दे सकता है..

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता परिसर में विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार के साथ युवा किस क्षेत्र में अपना करियर चुने इस हेतु वर्ष भर सकारात्मक दिशा में प्रयत्न करते रहते हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड प्रदेश की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मौसमी पॉल ने कहा कि विद्यार्थी परिषद का यह रजत जयंती अधिवेशन युवाओं के लिए शिक्षा क्षेत्र में बेहतर कार्य करने स्वयं के व्यक्तित्व निर्माण हेतु प्रयत्न करने सहित विभिन्न रूपों से लाभकारी साबित होगा..

प्रदेश मंत्री मनोज सोरेन ने कहा कि यह अधिवेशन केवल एक अधिवेशन मात्रा नहीं है बल्कि यह एक महामंथन है जिसके माध्यम से झारखंड के शिक्षा क्षेत्र में , सामाजिक क्षेत्र में सुधार हेतु निष्कर्ष के रूप में अमृत कलश लेकर विभिन्न जिलों से आए युवा तरुणाई अपने-अपने जिलों में जाकर वर्ष भर शिक्षा और सामाजिक सुधार हेतु कार्य करेंगे।उद्घाटन सत्र में मुख्य रूप से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री गोविंद नायक जी, क्षेत्रीय संगठन मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला जी, अखिल भारतीय जनजातीय कार्य प्रमुख प्रमोद राउत जी, प्रांत प्रमुख डॉ. पंकज कुमार , निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. दीपनारायण जायसवाल,अखिल भारतीय जनजातीय कार्य सह प्रमुख निलेश सोलंकी जी, प्रदेश संगठन मंत्री निलेश कटारे जी सहित शिक्षाविद प्रशासनिक जगत के लोग सामाजिक क्षेत्र के लोग के साथ हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे…

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार रांची के टाउन सीओ भेजे गए जेल,किया गया निलंबित

आय से अधिक सम्पति मामले में भी चलेगी उन पर केस, घर से बरामद 11.42 लाख का नहीं दे सके हिसाब

झारखंड डेस्क 

 भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वत के 37 हजार रुपयों के साथ रांची के टाउन सीओ को कल गिरफ्तार किया था. जिसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

वहीं गिरफ्तार अंचालधिकारी की मुश्किलें बढ़ सकती है. आय से अधिक संपत्ति मामले में उन पर शिकंजा कसने की भी तैयारी चल रही है। घूस लेते रंगे हाथों पकड़ाये सीओ ने पूछताछ में ये भी नहीं बता सके, कि उनके घर में मिला 11.42 लाख रुपया कैश किसका है?

 आपको बता दें कि सीओ की गिरफ्तारी के बाद एसीबी ने रांची के मोरहाबादी के पुष्पांजलि अपार्टमेंट स्थित उनके फ्लैट में भी छापेमारी की थी. यहां तलाशी के दौरान नकद 11.42 लाख रुपए बरामद किये गये थे. 

कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने पर एसीबी ने बरामद रुपयों को जब्त कर लिया था.इस बीच सूचना मिली कि है कि उनका निलंबन आदेश जारी हो गया है 

इससे पहले एसीबी ने उनकी गिरफ्तारी की विधिवत सूचना राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को भेज दी है. इधर, एसीबी ने उनकी संपत्ति की जांच भी शुरू कर दी है.

 जांच में आय से अधिक संपत्ति अर्जित किये जाने से संबंधित तथ्य और साक्ष्य मिलते हैं.जाहिर है, इस मामले में एसीबी सरकार से पीई की अनुमति मांगेगी.पीई की अनुमति मिलते ही संपत्ति के संबंध में विस्तार से जांच की जायेगी.

 छापेमारी के दौरान अपने फ्लैट से बरामद नकद 11.42 लाख रुपए के बारे में सीओ मुंशी राम ने एसीबी के अधिकारियों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है. एसीबी के अधिकारी बरामद रुपयों के स्रोत के बारे में भी पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा कि इस मामले में उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली है.

आपको बता दें कि सिरमटोली मौजा स्थित सरदार गली भट्ठी टोली स्थित तीन कट्ठा आठ छटाक जमीन का सीमांकन करने के नाम पर मुंशी राम ने एक व्यक्ति से 50 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी, हालांकि, बाद में वे 37 हजार रुपए में काम करने को तैयार हो गये थे. अंचल कार्यालय में छापेमारी कर सीओ मुंशी राम को 37 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया था.

68वी राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता की मेजबानी करेगा झारखंड, 5 जनवरी को होगा उद्घाटन, रांची पहुंची टीमें


नेशनल स्कूल गेम्स का थीम सॉन्ग "खेलेगा इंडिया-जीतेगा इंडिया" लॉन्च, दिखेगी अबतक हुए खेलो की झलक 

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : 68वी राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता की मेजबानी को लेकर आज राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने खेल आयोजन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी। इस दौरान जेईपीसी के प्रशासनिक पदाधिकारी सच्चिदानंद दि. तिग्गा, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन सोरेंग, झारखंड ओलिंपिक संघ के कोषाध्यक्ष शिवेन्द्रनाथ दुबे उपस्थित थे।

 5 जनवरी को 68वी राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता का आयोजन मोरहाबादी के बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन द्वारा उद्घाटन किया जाएगा। वही उन्होंने कहा कि इस आयोजन को लेकर टीमों का रांची आना शुरू हो गया है आज और कल देश की 35 टीमें रांची आ रही है। उनके लिए आवासन और चिकित्सा सेवाओं की व्यवस्था पूरी कर ली गयी है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था संभालने के लिए 17 समितियों को जिम्मेदारी दी गयी है। इन समितियों के कार्यो को लगातार मॉनिटर किया जाएगा। 

 राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने रांची में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता का थीम सॉन्ग "खेलेगा इंडिया-जीतेगा इंडिया" को लॉन्च किया। राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी के निर्देशानुसार बने थीम सॉन्ग के बोल एम मोदस्सर ने लिखा है, वहीं इस गीत को संगीतकार रोहन देव पाठक ने अपने सुरों से सजाया है। थीम सॉन्ग के विजुअल में अब तक राज्य में आयोजित हुए राज्य स्तरीय खेलो झारखंड प्रतियोगिता एवं राष्ट्रीय स्कूली खेल के दृश्य दिखाई देंगे।

 रांची पहुंची देश की अन्य टीमों का परंपरागत स्वागत किया गया। लोटा पानी और झारखंड के ट्राइबल गमछे के साथ टीमों का अभिनंदन किया गया। टीम में शामिल खिलाड़ियों को पुष्प माला पहनाकर उनका उत्साहवर्धन किया गया।

झारखंड के पलामू से आया अजीबो-गरीब मामला सामने, एक फर्जी एसडीएम ने बीडीओ, से माँगा 3 लाख, थानेदार को भी हड़काया

झा. डेस्क 

झारखंड के पलामू जिले में अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. पलामू जिला के लेस्लीगंज के प्रखंड विकास पदाधिकारी को एक फोन कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को एसडीएम बताया और 3 लाख रुपये की मांग की.

मामला लेस्लीगंज ब्लॉक का .

बताया जा रहा है कि लेस्लीगंज ब्लॉक के बीडीओ को अनजान नंबर से फोन आया. उसने खुद को एसडीएम बताकर 3 लाख रुपये मांगे. केवल इतना ही नहीं! उस शख्स ने लेस्लीगंज थाना प्रभारी राजू कुमार गुप्ता को भी फोन किया. यहां खुद को आरडीएम बताकर पुलिस अधीक्षक का नंबर मांगा.

पुलिस जाँच में आया सच सामने 

पुलिस की छानबीन में पता चला है कि युवक मानसिक रूप से अस्वस्थ है. 15 दिन पहले अपनी पत्नी से झगड़ा करके घर से चला गया था.

छानबीन में क्या पता चला

लेस्लीगंज थाना प्रभारी को फोन करके इस शख्स ने पूछा कि मैं आरडीएम बोल रहा हूं. पूछने पर कि कौन आरडीएम तो फोन करने वाले ने कड़क लहजे में कहा कि आपको नहीं पता कि आरडीएम क्या होता है.

कॉल रिकॉर्डिंग पर है. एसपी का नंबर दीजिए. इतना कहकर फोन काट दिया.

लेस्लीगंज थाने की पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की. कॉल करने वाले का नंबर सर्विलांस पर डाला. पता चला कि वह युवक मानसिक रूप से अस्वस्थ है. उसका पत्नी से झगड़ा हो गया था. 15 दिनों से घर नहीं गया

अमर शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा के 34वें शहादत दिवस पर झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि


झा.डेस्क

धनबाद : धनबाद में शुक्रवार को अमर शहीद एसपी रणधीर प्रसाद वर्मा की 34वीं पुण्यतिथि पर एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने शहर के रणधीर वर्मा चौक पर उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उनके साथ राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश, सांसद ढुलू महतो, विधायक राज सिन्हा, रागिनी सिंह, शत्रुघ्न महतो और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।

राज्यपाल और दीपक प्रकाश ने किया स्मरण

कार्यक्रम में बोलते हुए राज्यपाल संतोष गंगवार और दीपक प्रकाश ने रणधीर वर्मा की शहादत को याद करते हुए कहा कि उनकी देशभक्ति और साहसिक कार्य हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि रणधीर वर्मा जैसे वीर सपूत हमारे समाज और राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं।

3 जनवरी 1991 की घटना

रणधीर वर्मा ने 3 जनवरी 1991 को बैंक ऑफ इंडिया की हीरापुर शाखा में डकैती की घटना के दौरान असाधारण साहस का परिचय दिया। डकैतों का सामना करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन समाज की सुरक्षा के लिए अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटे। उनके इस अद्वितीय बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार “अशोक चक्र” से सम्मानित किया गया।

संगीतमय श्रद्धांजलि और सुरक्षा के कड़े इंतजाम

कार्यक्रम के दौरान धनबादवासियों ने रणधीर वर्मा को संगीतमय श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। शहरवासियों और गणमान्य अतिथियों ने उनकी स्मृतियों को सहेजने और उनके आदर्शों को बनाए रखने का संकल्प लिया।

धनबाद के लोग आज भी इस वीर सपूत की वीरता और बलिदान को याद करते हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा लेते हैं।

हज़ारीबाग़ के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार की मुश्किलें बढ़ी,उसकी पत्नी को जला कर मारने के आरोप में होगी पूछताछ


झा. डेस्क 

एसडीओ अशोक कुमार की मुश्किलें बढ़ने वाली है। माना जा रहा है कि जल्द ही हजारीबाग की जांच टीम मामले में एसडीओ से पूछताछ करेगी। वहीं एसआईटी को एसडीओ के आवास स्टाफ से पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं। कर्मचारियों के बयान के आधार पर ही एसडीओ से पूछताछ की तैयारी है। 

किस दिन पूछताछ होगी, ये तो पता नहीं, लेकिन ये जरूर माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक आरोपी एसडीओ से पूछताछ हो सकती है। इधर गुरुवार को एलआरडीसी राज किशोर प्रसाद ने सदर एसडीओ का पदभार ग्रहण कर लिया।

इधर, हजारीबाग के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार सिंह से उनके बॉडीगार्ड वापस ले लिया गया है। वहीं, जो सरकारी गाड़ी उन्हें दी गई थी वह भी वापस ले ली गई है। ये सुविधाएं एसडीओ को 30 दिसंबर तक दी गयी थी, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से तबादला आदेश के बाद उनसे ये सुविधा वापस ले ली गयी। आपको बता दें कि 30 दिसंबर को ही झारखंड सरकार कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की ओर से उनका तबादला कर दिया गया था।

इधर इस मामले में फूंक फूंककर कदम बढ़ा रही है। पुलिस की टीम मृतका अनीता देवी के परिजनों से कई दौर की पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ में एसडीओ के व्यवहार और प्रताड़ना की बड़ी शिकायत मिली है। 

लिहाजा अशोक कुमार से उन तमाम सवालों का जवाब लेना अब जरूरी हो गया है। हालाकिं अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि एसडीओ से पूछताछ कब और कैसे होगी।

आपको बता दें कि पिछले महीने हजारीबाग के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार पर पत्नी को जलाकर मार डालने का गंभीर आरोप लगा था। इस मामले में बोकारो में उनसे प्रांरभिक पूछताछ हुई थी, लेकिन ये पूछताछ उस वक्त हुई थी, जब उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया था। मामला दर्ज होने के बाद उनसे पूछताछ जल्द हो सकती है।

रांची रेलवे ने सिरमटोली-मेकन फ्लाईओवर के लिए फिर दिया ब्लॉक, कई ट्रेनें हुई रद्द कई के रूट में बदलाव

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : राजधानी रांची के सिरमटोली-मेकन फ्लाइओवर में केबल स्टे ब्रिज बनाने के लिए रेलवे ने एक बार फिर ब्लॉक दिया है। इस रेलवे ट्रैक के ऊपर केवल स्टे ब्रिज बनाने के लिए रेलवे ने 7 जनवरी से 16 जनवरी तक के लिए पथ निर्माण विभाग को ब्लॉक दे दिया है। रेलवे की ओर से इसके लिए शिड्यूल तय हो गया है।

रेलवे ने केबल स्टे ब्रिज के लिए दो पेज में ब्लॉक दिया है पहले 7 से 12 जनवरी तक रोजाना 4 घंटे का ब्लॉक रहेगा। वहीं,13 जनवरी से 16 जनवरी तक रोजाना 2 घंटे का ब्लॉक दिया गया है। 

अभी केबल स्टे ब्रिज में तीन सेगमेंट का काम बाकी है। इस बार ब्लॉक की समाप्ति के बाद केबल के स्ट्रेंथनिंग पर काम किया जायेगा। कार्य पूरा करने के लिए फिर ब्लॉक की जरूरत होगी। फिलहाल कंपनी की ओर से रांची रेलवे लाइन के ऊपर केबल स्टे ब्रिज का काम हो रहा है। कंपनी रेलवे लाइन के दोनों ओर से काम कर रही है। दोनों ओर क्रेन लगाये गये हैं।

ब्लॉक के कारण कुछ ट्रेनों को रद्द व कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है। ट्रेन संख्या 18602/18601 हटिया-टाटानगर-हटिया एक्सप्रेस सात से 16 जनवरी तक रद्द रहेगी।

ट्रेन संख्या 18628/18627 रांची-हावड़ा-रांची एक्सप्रेस सात एवं 12 जनवरी को रद्द रहेगी। 

ट्रेन संख्या 68036/68035 हटिया-टाटानगर-हटिया मेमू सात से 12 जनवरी तक रद्द रहेगी।

ट्रेन संख्या 58663/58664 हटिया-सांकी-हटिया मेमू व ट्रेन संख्या 18036/18035 ट्रेन रद्द रहेगी।

 हटिया-खड़गपुर-हटिया एक्सप्रेस सात से 16 जनवरी तक रद्द रहेगी। वहीं ट्रेन संख्या 18175/18176 हटिया-झारसुगुड़ा-हटिया एक्सप्रेस सात से 12 जनवरी तक रद्द रहेगा।

ट्रेन संख्या 58034/58033 रांची-बोकारो स्टील सिटी-रांची मेमू सात से 16 जनवरी तक रद्द रहेगी। रेलवे ने नववर्ष व क्रिसमस को लेकर ट्रेनों में भीड़ को देखते हुए एक सप्ताह के लिए ब्लॉक हटा दिया था।

समय परिवर्तन

ट्रेन संख्या 20887 रांची-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस सात से 12 जनवरी तक निर्धारित प्रस्थान समय के स्थान पर 30 मिनट विलंब से रांची से प्रस्थान करेगी।

मार्ग परिवर्तन

 ट्रेन संख्या 07255 हैदराबाद-पटना स्पेशल एक्सप्रेस 8 जनवरी को अपने निर्धारित मार्ग राउरकेला- रांची- कोटशिला के स्थान पर परिवर्तित मार्ग राउरकेला-सिनी-चांडिल-मुरी-कोटशिला होकर चलेगी। ट्रेन संख्या 13425 मालदा टाउन-सूरत एक्सप्रेस 11 जनवरी को अपने निर्धारित मार्ग कोटशिला-मुरी-रांची-राउरकेला के स्थान पर परिवर्तित मार्ग कोटशिला-मुरी-चांडिल- सिनी-राउरकेला होकर चलेगी।

ट्रेन संख्या 07055 रक्सौल- सिकंदराबाद स्पेशल एक्सप्रेस 7 जनवरी को अपने निर्धारित मार्ग कोटशिला-मुरी-रांची-राउरकेला के स्थान पर परिवर्तित मार्ग कोटशिला-मुरी-चांडिल-सिनी-राउरकेला होकर चलेगी।

राज्य कर्मियों को अब 53 प्रतिशत डीए मिलेगा,वित्त विभाग ने राजपत्र में प्रकाशन का संकल्प पत्र जारी किया


झा. डेस्क 

रांची : राज्यकर्मियों के महंगाई भत्ता में बढोत्तरी को लेकर वित्त विभाग ने राजपत्र में प्रकाशन का संकल्प पत्र जारी कर दिया है। कैबिनेट के फैसले के बाद अब अगले महीने से राज्यकर्मियों को बढ़े हुए वेतन का लाभ मिलने लगेगा। 

वित्त विभाग की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक 1 जुलाई 2024 से राज्यकर्मियों को 50 से बढ़ाकर 53 फीसदी डीए मिलेगा।

हालांकि छह महीने के एरियर्स के संदर्भ में संकल्प पत्र में में कोई जिक्र नहीं है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार की तरफ से एरियर्स के नकद भुगतान या जीपीएफ में समायोजन को लेकर अलग से निर्देश जारी कर सकती है।

 वित्त विभाग के संकल्प पत्र के मुताबिक राज्य सरकार ने राज्यकर्मियों को वर्तमान पुनरीक्षित वेतनमान में 1 जुलाई 2024 की तिथि में महंगाई भत्ता की दरों में संशोधन का निर्णय लिया गया है।

निर्णय के तहत 1 जुलाई 2024 के प्रभाव से वेतन का 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता स्वीकृत किया गया है। आदेश में उल्लेख है कि महंगाई भत्ता सिर्फ मूल वेतन पर देय होगा। विशेष वेतन, व अन्य भत्तों पर ये देय नहीं होगा।

शहादत दिवस पर विशेष:अशोक चक्र विजेता शहीद रणधीर वर्मा जिसने बैंक लूटने आये भगोड़े आतंकी से मुठभेड़ करते हो गए थे शहीद

झा.डेस्क

वर्ष था 1991 ! आज हीं का दिन यानी 3 जनवरी का वह मनहूस दिवस । जब हम अपने एक आईपीएस ऑफिसर को आतंकवादियों से मुठभेड़ करते शाहीद होने के कारण खो दिया था।

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और तत्कालीन धनबाद के आरक्षी अधीक्षक रणधीर प्रसाद वर्मा ने अपने कर्तव्य के बलिवेदी पर धनबाद के एक बैंक को पंजाब के भगोड़े आतंकवादियों से लूटने से बचाया था। ये आतंकवादी झारखंड क्षेत्र में पैर जमाने का साहस किया था अगर रणधीर प्रसाद वर्मा ने अदम्य साहस नही दिखाया होता तो उसे मौका मिल गया होता, और हो सकता है कि नक्सलवाद की समस्या से कराहते झारखंड की सूरत और भी बदरंग हो चुकी होती।

पर इस जांबाज पुलिस अधिकारी ने ने रण में युद्ध करते हुए मृत्यु का वरण करना ज्यादा पसंद किया और वीरगति को प्राप्त करके राष्ट्र की शान बढ़ाई। इसमें दो राय नहीं कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस पंजाब के भगोड़े आतंकवादी अपने को आर्थिक रूप से सशक्त करके झारखंड क्षेत्र में पांव जमाने के लिए धनबाद के हीरापुर स्थित बैंक आफ इंडिया पर जिस तरह धाव बोला था, वह एक देशभक्त पुलिस अधिकारी के लिए रण में युद्ध जैसा ही था।

इस घटना के सत्ताइस साल होने को हैं। पर जनता की जेहन में आज भी वह घटना छाई हुई है और अपने जांबाज पुलिस अधिकारी की शहादत की याद ताजा है। वह दिन 1991 का 3 जनवरी था, जब रणधीर वर्मा ने उस दुर्दांत आतंकवादियों से अकेले मोर्चा लेते हुए मृत्यु को वरण किया और वीरगति पाई थी।

 एक मामूली रिवाल्वर से एके 47 एसाल्ट राइफल का मुकाबला करना एक कर्तव्यनिष्ठ और भारत माता के सच्चे सपूत का ही निर्णय हो सकता था।

 नतीजतन आतंकवादियों में से एक ने तत्काल दम तोड़ दिया और बाकी भाग खड़े हुए थे। इस तरह झारखंड क्षेत्र में पैर जमाने की एक बड़ी साजिश नाकाम हो गई थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने मरणोपरांत उन्हें वीरता का विशिष्ट पदक “अशोक-चक्र” से सम्मानित किया था, जिससे उद्घोषित हुआ कि राष्ट्र का यह सपूत भारतीय पुलिस सेवा में एक अनोखा उदाहरण है।

बिहार के सहरसा जिले में 3 फरवरी 1952 को जन्मे रणधीर वर्मा एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जो बीए (आनर्स) की परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अंग बने थे। उनके दुस्साहसी, जोशीला और निष्ठावान होने के प्रमाण विद्यार्थी जीवन में ही मिलने लगा था, जब वे संत जांस हाई स्कूल रांची और पटना कालेज में पढ़ने गए। 

खेल-कूद में उनकी गहरी रूचि थी। पर उन्होंने मुख्यत क्रिकेट में पहचान बनाई। गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों ही भूमिका में वह सफल रहे। इसका प्रभाव उनके भावी जीवन पर भी पड़ा।

रणधीर वर्मा ने पुलिस की नौकरी जीविका के लिए नहीं, वरण सेवा के रूप में स्वीकार की। 

पुलिस सेवा के प्रारंभिक प्रशिक्षण काल में ही उन्होंने मटका-जुआरियों के कुख्यात गिरोह को ध्वस्त किया। रांची नगर के प्रभारी सहायक आरक्षी अधीक्षक के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए अथक प्रयास किया। तब अविभाजित बिहार के दक्षिणी छोटानागपुर का कोई न कोई कोना सांप्रदायिकता के प्रभाव से रोता-विलखता रहता था। इन परिस्थितियों से निबटने के लिए श्री वर्मा ने एक कार्य-योजना बनाई और सबके हृदय से समां गए।

रणधीर वर्मा ने पुलिस सेवा की नौकरी 1974 में अपनाई तो तो वे इस बात से अवगत थे कि वह एक ऐसे पेश में गए हैं, जिसकी कर्तव्यनिष्ठा, कार्यकुशलता और ईमानदारी को लेकर लोगों के मन में हमेशा सवाल बना रहता है। उन्होंने विवेक, कर्त्तव्यपरायणता तथा हिम्मत के बल पर किसी के आगे न झुकने वाला एक निर्भीक व्यक्तित्व बनाया, जो नाना प्रकार के विकारों से वंचित था। पर निर्णय में कठोर था। 

उनके प्रभावशाली क्रिया-कलापों के कुछ नमूने प्रारंभ में ही सरकार के सामने आए। अत: सरकार ने उन्हें बेगूसराय जौसे अपराधग्रस्त जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया था।

श्री वर्मा ने बेगूसराय में आरक्षी अधीक्षक पद पर योगदान करते ही माफिया कामदेव सिंह के आतंक से जनता को मुक्ति दिलाने के लिए अभियान चलाया। राजनीतिक संरक्षण के कारण कामदेव सिंह पर दबिश बनाना आसान काम नहीं था। लेकिन श्री वर्मा की कर्तव्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के आगे किसी की एक न चली और रणधीर वर्मा को विजयी हाथ लगी।

 कामदेव सिंह की लाश गिरते ही उसके गिरोह का गरूर ध्वस्त हो गया। इस घटना के बाद रणधीर वर्मा जनता के हृदय सम्राट बन गए थे।

कुख्यात कामदेव गिरोह के सफाए के बाद सरकार को बड़ी राहत मिली थी। जाहिर है कि इस घटना के बाद सरकार के लिए भी संकटमोचन बनकर उभरे। सिंहभूमि जिला में कोल्हान आंदोलन उग्रता हो चुका था। कई पुलिसकर्मियों की जानें जा चुकी थीं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से सरकार को रणधीर वर्मा की याद आई। श्री वर्मा को कोल्हान की जिम्मेदारी दी गई। श्री वर्मा ने कोल्हान की जनता पर बिना बल प्रयोग किए शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति को काबू में किया और वे कोल्हान की जनता के नायक बन गए।

श्री वर्मा सन् 1983 में जब मुजफ्फरपुर के पुलिस अधीक्षक थे तो एक अपहृत बालक अपहरण हो गया था। उन्होंने रिक्शाचालक का वेष धारण करके उस बालक को अपहर्त्ताओं से मुक्त कराया था। पश्चिम चंपारण में फिरौती के लिए अपहरण करने वाले गिरोहों पर ऐसी लगाम लगाई कि जनता को वर्षों बाद जंगल राज से मुक्ति मिली थी। अपराधियों के राइफल, बंदूक और खंजर पर लगे जंग तब छूटे जब राजनीतिक दबाव में श्री वर्मा का तबादला हो गया। 

अपने कार्य-कलापों से लोकप्रियता प्राप्त करने के बावजूद राजनीतिक दबाव में तबादला यह कोई पहली घटना नहीं थी। श्री वर्मा तो इसके मानों आदी हो गए थे।

सन् 1989 में संकट की घंटी धनबाद में बजी तो श्री वर्मा का बेचैनी से स्मरण किया गया। बहुचर्चित पत्रकार कांड के कारण पुलिस और जनता में छत्तीस का रिश्ता बन गया था। इस विषम समस्या का समाधान एक लोकप्रिय पुलिस अधिकारी ही कर सकता था। ऐसा हुआ भी। रणधीर वर्मा सूझ-बूझ, मधुर व्यवहार तथा व्यापक दृष्टि के कारण धनबाद के लोगों के कंठहार बने। इससे पुलिस को काफी सम्मान मिला। माफिया गिरोहों पर पुलिस की पकड़ बनी। सांप्रदायिक सौहार्द्र बरकरार रहा।

3 जनवरी 1991 को श्री वर्मा अपने दफ्तर में थे। तभी उन्हें बैंक पर आक्रमण की सूचना मिली। वे व्यक्तिगत सुरक्षा की चिंता किए बगैर अपने अंगरक्षक के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। आतंकवादियों को ललकारते हुए पहली मंजिल स्थित बैंक की सीढ़ियों पर चढ़ने लगे। गोलियां चलीं। घायल रणधीर वर्मा ने रिवाल्वर से ही दो आतंकवादियों को मार गिराया। ....और खुद वीरगति को प्राप्त हुए।

रणधीर वर्मा की शहादत के साथ ही एक ऐसी दीपशिखा बुझी, जिसकी लौ में अनेक की आशा-आकंक्षाएं चमकती थीं। यही कारण है कि चौदह किलोमीटर लंबी शव-यात्रा में धनबाद की रोती-विलखती जनता उमड़ पड़ी थी।

झारखंड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी जिन्हें मिलेगा अर्जुन अवार्ड, कभी बांस के स्टीक से खेलती थी,संघर्ष ऐसा की आंखों में आ जाए आंसू

रिपोर्टर : जयंत कुमार 

रांची: झारखंड की बिटिया का चयन युवा एवं खेल मंत्रालय ने अर्जुन अवार्ड 2024 के लिए किया गया है। 17 जनवरी को उसे महिला हॉकी खिलाड़ी को पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। झारखंड की स्टार महिला हॉकी खिलाड़ी और भारतीय हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को इस वर्ष अर्जुन पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।

सलीमा टेटे झारखंड की पहली महिला व दूसरी हॉकी खिलाड़ी है, जिन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा जाएगा। वही हॉकी जगत में ही सिलवानुस डुंगडुंग और सुमराय टेटे को मेजर ध्यानचंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

झारखंड के सिमडेगा जिला के बड़की छापर गांव में सलीमा टेटे का बचपन पूरे परिवार के साथ गांव के कच्चे मकान में बीता। आपको बता दें कि सलीमा के पिता सुलक्षण टेटे और मां सुभानी टेटे किसान हैं। इसके अलावा उनके पिता सुलक्षण टेटे भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं। इसका फायदा उन्हें मिला और आरंभिक कोच के रूप में उनके पिता ही रहे। बचपन में जब सलीमा ने हॉकी खेलना शुरू किया तो उसे वक्त हॉकी स्टिक नहीं बल्कि बांस से बने स्टिक से उसने अपनी शुरुआत की थी। जिसके बाद धीरे-धीरे जिला, राज्य, देश और फिर विश्व स्तर पर अपने हुनर का लोहा मनवाया।

2016 में पहली बार जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में चुनी गई और स्पेन दौरे पर गईं। 2016 में ही बैंकॉक में आयोजित अंडर-18 एशिया कप के लिए जूनियर भारतीय महिला टीम की उपकप्तान बनाई गईं। जिसके बाद यह सिलसिला थमा नहीं, सलीमा को 2018 में हुए यूथ ओलंपिक से बड़ी पहचान मिली। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने इस प्रतियोगिता में रजत पदक जीता था। 2024 में सलीमा टेटे को भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया।

 सलीमा के घर की विडंबना देखिए कि जब वह टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय महिला हॉकी टीम के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में खेल रही थीं. उस दौरान सलीमा के पैतृक घर में एक टीवी भी उपलब्ध नहीं था। उनकी खेल की प्रतिभा को घर वाले देख भी नहीं पा रहे थे। यह खबर मीडिया पर प्रकाशित होने के बाद अविलंब सरकार के पहल के बाद उसके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इनवर्टर लगाया गया, ताकि घर वाले आराम से अपनी बेटी का मैच देख सके।