बनारस का लाल पेड़ा: जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खाते हैं, जानिए इसकी खासियत।

धीरे-धीरे होने की एक सामूहिक लय, दृढ़ता से बांधे है इस समूचे शहर को…हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर रहे कवि केदारनाथ सिंह की इन पंक्तियों को ठीक से समझना हो तो आप बनारस के उदय प्रताप कॉलेज के कैंपस में बनने वाले लाल पेड़ा की मेकिंग देख कर समझ सकते हैं. धीमी आंच पर खोये को भूनते हुए देखना और इसकी सोंधी सोंधी खुशबू धीरे धीरे पूरे माहौल को “बनारस” बना देती है.

आप ये पढ़कर नॉस्टैल्जिक हो गए होंगे, लेकिन यकीन जानिए यहां बनने वाला लाल पेड़ा और इसे बनाने का तरीका कुछ ऐसा ही है. इस पेड़े का हर कोई दीवाना है. इनमें केदारनाथ सिंह, नामवर सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, चंद्रशेखर और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी आता है. ये लाल पेड़ा सबको बहुत पसंद आता है. छात्र जीवन में कभी केदारनाथ सिंह लाल पेड़ा खाते हुए मौज में कहा करते थे कि “गुरू जवन मजा बनारस में, उ न पेरिस में न फारस में”

लाल पेड़ा बनाने का तरीका

1911 में राजर्षि उदय प्रताप सिंह, जो यूपी कॉलेज के फाउंडर थे. उन्होंने छात्रों को शुद्ध और स्वादिष्ट मिठाइयां मिले और वो बनारस की एक पहचान दूध और रबड़ी खा सकें. इसके लिए लोकल हलवाई लालता और बसंता यादव को कॉलेज कैंपस में मिठाई की दुकान शुरू करने की इजाजत दी. इन्हीं लालता और बसंता ने अपने कारीगर नगई के साथ मिलकर लाल पेड़ा बनाने का तरीका ईजाद किया था. अब इस दुकान की जिम्मेदारी यहां की तीसरी पीढ़ी जय सिंह यादव संभाल रहे हैं.

113 साल पुरानी दुकान

आज यूं तो बनारस के हर इलाके में आपको लाल पेड़ा मिल जाएगा, लेकिन इसकी ओरिजिन इसी यूपी कॉलेज के कैंपस में स्थित इसी 113 साल पुरानी दुकान से हुई थी. कहा जाता है कि एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, जो इसी कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके थे. जब यूपी कॉलेज पहुंचे तो ये लाल पेड़ा उनको खाने के लिए दिया गया. लाल पेड़ा देखते ही वो फूट फूट कर रोने लगें. उन्हें अपना छात्र जीवन याद आ गया.

लाल पेड़ा को GI टैग

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की यूपी कॉलेज में राजा साहब के नाम से आज भी चर्चा होती है. छात्र जीवन में वीपी इस मिठाई के दीवाने तो थे ही साथ ही प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी स्पेशली ये मिठाई बनारस से मंगाते थे. ऐसे ही चंद्रशेखर भी थे. पीएम मोदी के समय कार्यकाल में इस लाल पेड़ा को GI टैग भी मिल गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस लाल पेड़ा को बनारस की सरहद से निकालकर पूरी दुनियां तक पहुंचाने का काम किया. आज बनारस के अमूल प्लांट से तैयार लाल पेड़ा पूरी दुनियां में पहुंच रहा है. लाल पेड़ा सामाजिक और धार्मिक समारोहों, त्यौहारों और शुभ अवसरों पर नियमित रूप से दिखाई देता है.

इस पेड़ा में खास क्या है?

बाबा विश्वनाथ से लेकर संकट मोचन तक को इसका भोग लगाया जाता है. इसकी सेल्फ लाइफ लगभग 15 से 20 दिन रहती है. पूछने पर जय सिंह बताते हैं कि इस क्लासिक मिठाई की तैयारी में इस्तेमाल किया जाने वाला खास दानेदार खोया इसे देश भर में बनने वाले पेड़ों से अलग करता है. दानेदार खोया और चीनी को एक खुले बर्तन में तेज आंच पर गर्म किया जाता है. बीच बीच में घी डालना होता है. इसको तब तक लगातार हिलाया जाता है जब तक कि एक समान लाल-भूरा रंग न आ जाए. आंच से उतारने पर इसकी बनावट चिकनी होनी चाहिए.

गाजियाबाद की सोसायटी में रहने वाले लोग हेलमेट पहनकर घूमते हैं, जानिए क्या है इसकी वजह?

दोपहिया वाहन पर हमेशा हेलनेट पहन कर सफर करें… आपने ये तो सुना ही होगा. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा भी देखा है कि पैदल चलने वाले हेलमेट पहने हों? नहीं ना? क्योंकि पैदल चलने के लिए हेलमेट की क्या ही जरूरत. मगर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में कुछ लोग रोजाना हेलमेट पहन कर बाहर घूमने पर मजबूर हैं. मामला गुलमोहर एनक्लेव सोसायटी का है.

इस सोसायटी में रहने वाले लोगों के लिए हेलमेट पहनना अब जरूरी हो गया है. सोसायटी में कुछ दिनों पहले एक फ्लैट की बालकनी से गमला गिरने से 72 वर्षीय दिनेश सिंह बाल-बाल बच गए थे. इस घटना के बाद से ही दिनेश सिंह सुबह-शाम टहलने के लिए हेलमेट पहनकर निकल रहे हैं. सोसायटी के अन्य लोगों ने भी उन्हें देखकर हेलमेट पहनना शुरू कर दिया है.

RWA से की थी शिकायत

सोसायटी के लोगों का कहना है कि दिनेश सिंह के ऊपर जब गमला गिरा तो इसकी शिकायत RWA से की गई. लेकिन इसका कोई भी हल नहीं निकाला गया. कहीं किसी और के साथ दोबारा ऐसा हादसा न हो जाए, इसलिए लोग रोजाना घर से हेलमेट पहनकर निकलते हैं. फिर हेलमेट के साथ ही सोसायटी में टहलते हैं.

तार से बंधे गमले

दिनेश सिंह ने बताया कि लोगों ने बालकनी से बाहर बिना तार से बंधे हुए गमले रख रखे हैं जो अचानक से गिर जाते हैं, जिससे जान को खतरा बना रहता है. इसीलिए वह हेलमेट पहनकर सुबह शाम घूमते हैं. वहीं, गुलमोहर एनक्लेव आरडब्लूए के पूर्व महासचिव आर के गर्ग ने भी सभी निवासियों से अपने घरों के ऊपर बिना जाली लगे गमलों को हटाने की अपील की है.

पाकिस्तान में पोलियो का संकट: क्या कभी हो पाएगा पोलियो मुक्त? जानें

पोलियो—एक ऐसा नाम जिसने दशकों तक दुनिया के लाखों लोगों को विकलांगता की गिरफ्त में जकड़ा. जहां भारत और पड़ोसी देश इसे मिटाने में कामयाब हो चुके हैं, वहीं पाकिस्तान अभी भी पोलियो के खिलाफ जंग लड़ रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक दुनियाभर में दो ऐसे देश ही हैं जहां पोलियो का खात्मा नहीं हो पाया है. एक है पाकिस्तान और दूसरा अफगानिस्तान.

4.5 करोड़ बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए पाकिस्तान में इस साल का अंतिम वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो चुका है. इस साल जनवरी से अब तक पाकिस्तान में पोलियो के 63 मामले सामने आए हैं. लेकिन यहां चुनौती सिर्फ बीमारी नहीं, बल्कि वो हमले भी हैं, जो इस अभियान को बार-बार पटरी से उतार रहे हैं

पाक में पोलियो कितनी बड़ी समस्या?

पोलियो का वायरस ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि पोलियो के हर 200 मामलों में से एक मामले में हमेशा के लिए लकवा मार देता है. अमूमन टांगों में. पैरालाइज होने वाले बच्चों में करीब 10 फीसदी बच्चे सांस लेने की मांसपेशियों के भी पैरालाइज हो जाने की वजह से मर जाते हैं.

पोलियो से मुक्ति के लिए सबसे ज्यादा जोर इसलिए टीकाकरण को ही दिया जाता है. इसकी मदद से ही दुनिया के ज्यादातर इलाकों में इस बीमारी को मिटाने में कामयाबी मिली है.भूटान 1986, श्रीलंका 1993, बांग्लादेश और नेपाल साल 2000 और भारत साल 2011 में पोलियो मुक्त हो चुका है. भारत को मार्च 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था. पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 में मिला था.

पाक में पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए 1994 में प्रोग्राम चलाया. उस वक्त सालभर में 20 हजार केस रिपोर्ट होते थे. तब से लेकर अब तक पाक 30 करोड़ से ज्यादा, करोड़ों पैसे खर्च हो चुके हैं लेकिन हर साल पोलियो के केस दर्ज होते रहते हैं.

इससे निजात पाने के तमाम उपाय नाकाम ही होते जा रहे हैं. इस समस्या की जड़ में पोलियो वैक्सीन को लेकर फैले अंधविश्वास और कट्टरपंथियों का दुष्प्रचार है. इस वजह से न सिर्फ वैक्सीन कैंपन ठप्प हो रहा है बल्कि पोलियो कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले और हिंसक घटनाओं के मामले भी बढ़ रहे हैं.अधिकारियों का दावा है कि वो देश से पोलियो को मिटाने के आखिरी पड़ाव पर हैं.

वैक्सीनेशन कैंपन पर लगातार होते हमले

वैक्सीनेशन प्रोग्राम को चलाने में 3 लाख 50 हजार से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स शामिल हैं. ये सभी स्वास्थ्य कर्मचारी घर घर जाकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका लगाने का काम करते हैं. मगर इस प्रोग्राम को पाकिस्तान में चलाना इतना आसान भी नहीं है. वहां पोलियो की खुराक पिलाने वाली टीम पर हमले की खबरे भी अक्सर देखने सुनने को मिलती रहती है.

स्वास्थ्य कर्मियों और उनके साथ आए सुरक्षा अधिकारियों को शारीरिक रूप से परेशान किया जाता है. 16 दिसंबर सोमवार को ही खैबर पख्तूनख्वा के करक में पोलियो अभियान टीम पर हमला हुआ, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और एक स्वास्थ्यकर्मी घायल हो गया.

स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रशासन के मुताबिक, 1990 के बाद से पोलियो टीमों के 200 से अधिक सदस्य और उनकी सुरक्षा के लिए नियुक्त पुलिसकर्मी चरमपंथियों के हमलों में मारे गए हैं.

वैक्सीनेशन को लेकर अफवाह

पाकिस्तान में दश्कों से वैक्सीनेशन का विरोध चला आ रहा है. कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी ग्रुप अक्सर पोलियो कैंपन को ठप्प करने की कोशिश करते रहते हैं. वहां के लोगों के मन में पोलियो वैक्सनी को लेकर ये डर बैठ गया है कि पोलियो वैक्सीनेशन यहां के बच्चों को स्टेरिलाइज यानी नपुंसक बनाने की पश्चिमी देशों की साजिश है. वैक्सीन में हराम चीजें शामिल होने की भी अफवाह उड़ाई जाती है.

पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण का विरोध तब 2011 के बाद और बढ़ गया. 2011 ओसामा को अमेरिका की एजेंसी सीआईए ने ऑपरेशन कर मार गिराया था. लेकिन इस ऑपरेशन से पहले सीआईए ने एबटाबाद में एक फर्जी मेडिकल अभियान चलाया, हेपेटाइटिस बी.

जब अमेरिका की स्पाई एजेंसी सीआईए की तरफ से अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को ट्रैक करने के लिए नकली हेपेटाइटिस टीकाकरण अभियान चलाया गया. जिसे 2011 में अमेरिकी विशेष बलों ने पाकिस्तान में मार गिराया था.

भारत ने पोलियो को कैसे हराया?

भारत को मार्च 2014 में पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था. पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 में मिला था. सर्विलांस के जरिए लोगों को ढूंढ़ा, मामलों की पड़ताल की और वैक्सीनेशन शुरू किया. जब भारत में पोलियो का संक्रमण चरम पर था तब यहां 6 लाख से ज्यादा पोलियो बूथ बनाए गए थे.

पोलियो से मुक्ति अभियान में करीब 23 लाख लोग काम कर रहे थे. सरकार को पोलियो उन्मूलन में अभियान में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और एजेंसियों की मदद भी मिली जिनके जरिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाई गई.

दिल्ली में AQI 450 के पार, तीन दिन से प्रदूषण का प्रकोप जारी

दिल्ली में सर्दी बढ़ने के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है, जहां का AQI तीसरे दिन भी 400 से ज्यादा है. दिल्ली में हवा की धीमी गति की वजह से अचानक प्रदूषण बढ़ गया, जिसके बाद दिल्ली में फिर से GRAB-4 के नियम लागू कर दिए गए हैं. दिल्ली में आज यानी बुधवार को 441 AQI, बहुत खराब श्रेणी में है. यहां दृष्यता भी बेहद कम है और धुंध छाई हुई है.

जहां दिल्ली में शनिवार तक AQI 200 से 250 के बीच था. वहीं सोमवार शाम से अचानक दिल्ली में प्रदूषण बढ़ गया. इसको लेकर मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि हवा की धीमी गति होने की वजह से प्रदूषण बढ़ा और AQI में इजाफा हुआ है. आज भी दिल्ली के कई इलाकों का AQI 450 के पार है. इनमें कुछ ऐसे इलाके भी शामिल हैं, जहां पर मंगलवार को 400 से कम AQI था और आज, बुधवार को यहां 450 के पार AQI पहुंच गया.

इन इलाकों में 450 के पार AQI

दिल्ली के अलीपुर में AQI- 473, आनंद विहार में AQI- 481, अशोक विहार में AQI- 461, बवाना में AQI- 472, बुराड़ी क्रॉसिंग में AQI- 483, मथुरा रोड़ में AQI- 466, सोनिया विहार में AQI- 463, नेहरू नगर में AQI- 480, द्वारका सेक्टर-8 में AQI- 457, IG एयरपोर्ट में 418, ITO में AQI- 455, जहांगीरपुरी में AQI- 469, RK पुरम में AQI- 462, मेजर ध्यानचंद में AQI- 446, मुंडका में AQI- 473 के अलावा और इलाकों में 400 से ज्यादा AQI है.

यहां पर भी हालात खराब

मंदिर मार्ग में AQI- 430,नरेला में AQI- 463, DTU में AQI- 432,, नॉर्थ कैंपस में AQI- 437, ओखला फेज-2 में AQI- 467, प्रतापगढ़ में AQI- 466, पंजाबी बाग में AQI- 460, पूसा में AQI- 415, जवाहरलाल नेहरू में AQI- 441, रोहिणी में AQI- 466, शादीपुर में AQI- 421, कर्णी सिंह में AQI- 448, सीरीफोर्ट में- विवेक विहार में AQI- 465, वजीरपुर में भी AQI- 466 है.

दो दिन बाद मिल सकती है राहत

दिल्ली के सिर्फ तीन इलाकों में 400 से कम वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) है. इनमें दिलशाद गार्डन का AQI- 344, लोधी रोड़ का AQI- 392, नजफगढ़ का AQI- 363 दर्ज किया गया है. कल भी कोहरा छाए रहने और हवा बेहद खराब श्रेणी में रहने की संभावना है. हालांकि CPCB के मुताबिक दो दिन बाद थोड़ी राहत मिलने की संभावना है, जहां 20 दिसंबर, शुक्रवार को आसमान साफ रहेगा.

अहमदाबाद के ख्याति अस्पताल में आयुष्मान कार्ड बनाने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा, 8 आरोपी गिरफ्तार।

गुजरात के अहमदाबाद के ख्याति अस्पताल में आयुष्मान कार्ड बनाने के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रहे लोगों का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. अस्पताल में पिछले 8 महीने में 3 हजार से ज्यादा आयुष्मान कार्ड बनाए गए. मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जो फर्जी तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाते थे. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह अस्पताल के कहने पर ही कार्ड बनाते थे और एक कार्ड बनाने के 1500 रुपये लेते थे.

यह मामला तब सामने आया जब ख्याति अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत 19 लोगों की एक दिन में एंजियोग्राफ़ी और सात लोगों की एंजियोप्लास्टी की गई थी. तब इस मामले में क्राइम ब्रांच ने जांच की और 8 लोगों को गिरफ्तार किया. अस्पताल में PMJAY पोर्टल से जुड़े काम करने वाले मेहुल पटेल ने पूछताछ में बताया कि अस्पताल में आने वाले जिस मरीज के पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता था, तो उसे दो शख्स के पास भेजा जाता था.

PMJAY पोर्टल के डाटा से छेड़छाड़

अहमदाबाद पुलिस में जॉइंट पुलिस कमिश्नर (JPC) शरद सिंघल ने बताया कि मरीजों को अस्पताल के सीईओ चिराग राजपूत और डायरेक्टर कार्तिक पटेल के पास भेजा जाता था. फिर 1500 रुपये में आयुष्मान कार्ड बनवाया जाता था. जांच में सामने आया कि कार्तिक और चिराग निमिष नाम के शख्स की मदद से कार्ड बनवाते थे. निमिष PMJAY पोर्टल के डाटा से छेड़छाड़ कर कार्ड बनाने का काम करता था. इसके बाद मरीज की सर्जरी की जाती और इसी कार्ड पर योजना के तहत पैसों का दावा किया जाता था.

3000 फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाए

यही नहीं जांच में ये भी सामने आया कि अस्पताल में ऐसे लोगों के भी कार्ड बनाए जाते थे, जो इस कार्ड के लिए एलिजिबल भी नहीं हैं यानी वो इस दायरे में नहीं आते लेकिन फिर भी उनके कार्ड बना दिए गए. अब पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जो 3 हजार कार्ड बनाए गए हैं. वो किस के नाम हैं और उन कार्ड से कितना पैसा क्लेम किया गया है. क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि 150 कार्ड का इस्तेमाल ख्याति अस्पताल में ही किया गया.

Google का डोला सिंहासन, OpenAI ने लॉन्च किया ChatGPT Search, फ्री में ढूंढें सबकुछ

ओपनएआई ने लंबे इंतजार के बाद चैटजीपीटी सर्च इंजन को लॉन्च कर दिया है. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)के जरिए इंटरनेट पर सर्च करने की सुविधा देगा. कंपनी ने दुनिया भर के लिए यूजर्स के लिए इसे फ्री में लॉन्च किया है. गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है, लेकिन चैटजीपीटी सर्च इंजन के आने से गूगल सर्च के लिए खतरा पैदा हो गया है. अब लोग गूगल के अलावा चैटजीपीटी पर भी सर्च कर सकते हैं.

ओपनएआई ने चैटजीपीटी डॉट कॉम वेबसाइट पर सर्च करने की सुविधा दी है. इसके अलावा चैटजीपीटी के एंड्रॉयड और आईओएस मोबाइल ऐप पर भी चैटजीपीटी सर्च जारी किया गया है. आप गूगल वॉयस सर्च की तरह अपनी कुछ बोलकर भी चैटजीपीटी पर सर्च कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि चैटजीपीटी सर्च कैसे चलाया जा सकता है.

सबके लिए फ्री है चैटजीपीटी सर्च

ऐसा नहीं है कि चैटजीपीटी सर्च पहली बार आया है. यह इस साल की शुरुआत में ही लॉन्च हो गया था, लेकिन सिर्फ पेड कस्टमर्स के लिए. मगर अब चैटजीपीटी सर्च हर किसी के लिए लॉन्च हो गया है. आप बिना पैसा खर्च चैटजीपीटी सर्च का फायदा उठा सकते हैं.

चैटजीपीटी सर्च इंजन का इस्तेमाल करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें.

चैटजीपीटी सर्च के लिए आपको चैटजीपीटी डॉट कॉम वेबसाइट पर जाना होगा. यहां चैटजीपीटी में लॉगइन करें. अगर चैटजीपीटी पर अकाउंट नहीं बनाया है, तो पहले रजिस्ट्रेशन करते हुए अकाउंट बनाएं.

लॉगइन करने के बाद आपको ‘message ChatGPT’ बॉक्स के नीचे एक नया ग्लोब का निशान दिखेगा. जब आप इस निशान पर क्लिक करेंगे तो वेब सर्च ऑप्शन चालू हो जाएगा.

मोबाइल ऐप पर भी आपको डेस्कटॉप जैसा इंटरफेस दिखेगा. जैसे ही चैटजीपीटी एक्टिव होगा, ट्रेंडिंग सर्च की लिस्ट नजर आएगी. यहां आपको जो भी सर्च करना है, वो लिखना है, और एंटर बटन पर टैप करना है.

इसके बाद चैटजीपीटी कई सोर्सेज से आपके सर्च का जवाब देते हुए जानकारी देगा. रिजल्ट में मीडिया, टेक्स्ट और वीडियो शामिल रहेंगे. सबसे नीचे सोर्सेज की लिस्ट रहेगी.

इस बात का ध्यान रखें कि आप सर्च करने के लिए जो भी लिखते हैं, उसे परखकर चैटजीपीटी बिना ग्लोबल आइकन पर टैप किए भी सर्च रिजल्ट दिखा सकता है.

इंदौर में भीख देने पर होगी कार्रवाई, मध्य प्रदेश सरकार की बड़ी पहल।

मध्य प्रदेश को यूं ही अजब-गजब प्रदेश नहीं कहा जाता. मध्य प्रदेश के इंदौर में अब भिखारियों को कोई भी भीख देता पाया गया तो उस पर कार्रवाई होगी. दरअसल, प्रदेश में मोहन सरकार भिखारी मुक्त प्रदेश बनाने के लिए अभियान चला रही है. इसी कड़ी में इंदौर में जब प्रशासन भिखारियों के पास पहुंचा तो उनके पास जमा रुपए देखकर सब हैरान रह गए. कई भिखारी प्लॉट, मकान और जमीनों के मालिक निकले.

बता दें कि बीते एक हफ्ते में इंदौर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने 323 भिखारियों को पकड़कर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा है. जांच में पता चला कि कुछ की महीने की कमाई तो 50 हजार से लेकर 60 हजार रुपए तक है. किसी के पास 10 बीघा जमीन तक है. एक महिला का 500 रुपए का रोजाना खर्च ड्रग्स लेने का है. हाल ही में एक महिला भिखारी के पास से 75 हजार रुपए मिले थे. महिला ने बताया था कि ये तो उसकी एक हफ्ते की कमाई है.

सेवाधाम आश्रम भेजे गए भिखारी

इंदौर में भिखारियों से ड्रग्स का धंधा करवाया जा रहा है. यहां तक कि इसके तार राजस्थान से भी जुड़े हैं. ड्रग्स के धंधे को खत्म करने के लिए इंदौर कलेक्टर ने ये फैसला लिया है. वहीं उज्जैन के सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर भाई गोयल का कहना है कि हमारे आश्रम में कई भिखारियों को प्रशासन छोड़कर गया है. किसी के पास कई बीघा जमीन है तो किसी के पास लाखों रुपए हैं. कई तो दिनभर नशा करने के आदि हैं. अब हम धीरे-धीरे इनकी ज़िंदगी सुधार रहे हैं.

मोहन सरकार प्रदेश को कर्ज मुक्त बनाए

सरकार की इस पहल पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि सरकार तो वैसे भी विदेशों में जाकर निवेश की भीख मांग रही है. भिखारी मुक्त होने के बजाय सरकार प्रदेश को कर्ज मुक्त बनाती तो बेहतर होता. अगर ड्रग्स का धंधा नहीं रोक सकती सरकार तो कम से कम भिखारियों की मदद तो न रोके.

किसी को भी भीख मांगने की जरूरत नहीं- मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल

वहीं इस मामले पर मोहन सरकार में राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का कहना है कि ये एक अच्छी पहल है. इंदौर स्वच्छता में नंबर-1 है. ये एक अभिनंदनीय फैसला है. जीवन व्यापन के लिए तो सरकार ही इतनी योजनाएं चला रही है कि किसी को भीख मांगने की जरूरत ही नहीं है.

मध्य प्रदेश में भीख मांगना अपराध

हालाकि केंद्र सरकार ने भिक्षा देने पर कोई भी कानून नहीं बनाया है, लेकिन मध्य प्रदेश भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1973 के तहत भीख मांगना दंडनीय अपराध है. इस अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर दो साल और दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है.

भीख मांगने को बीएनएस की धारा-133 के तहत सार्वजनिक परेशानी (पब्लिक न्यूसेंस) माना गया है. फिलहाल देखना दिलचस्प होगा सरकार के इस कड़े फैसले के बाद भी मध्य प्रदेश भिक्षुक मुक्त होता है या नहीं.

बांसवाड़ा: खेल-खेल में मासूम ने निगला विक्स का ढक्कन, गले में अटकने से मौत

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के लोहारी थाना क्षेत्र के सरेड़ी बड़ी कस्बे में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई. यहां 14 महीने के मासूम ने खेलते-खेलते विक्स की डिब्बी का ढक्कन निगल लिया, जिससे उसकी मौत हो गई. बच्चे के परिजन उसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले, जिसके कारण परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा. परिजनों ने अस्पताल के गेट पर ताला जड़ दिया और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. जानकारी होने पर पुलिस और चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिजनों शांत कराया.

घटना सरेड़ी बड़ी कस्बे में हिरेन जोशी के घर हुई, जहां उनका 14 महीने का बेटा मानविक विक्स की डिब्बी से खेल रहा था. इस दौरान उसने ढक्कन निगल लिया. जब परिजनों को इसकी जानकारी हुई तो वह तुरंत मासूम को सरेड़ी बड़ी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे. यहां पर केवल एक नर्स और चपरासी मौजूद थे, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं था. इसके बाद परिजनों ने मासूम को बांसवाड़ा अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया, लेकिन रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई.

डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल लौटकर हंगामा किया और आरोप लगाया कि डॉक्टरों की गैरमौजूदगी के कारण मासूम को समय पर इलाज नहीं मिल पाया और उसकी जान चली गई. गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के गेट पर ताला लगा दिया और चिकित्सा विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. उन्होंने डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और स्टाफ की कमी को लेकर भी नाराजगी जताई.

18 साल बाद जन्मा था कोई लड़का

मानविक के पिता ने बताया कि वह एक सरकारी शिक्षक हैं और उनकी पत्नी गृहणी हैं. परिवार में 18 साल बाद एक बेटा हुआ था, जिसके लिए उन्होंने कई मन्नतें मांगी थीं. बेटे के जन्म से परिवार में खुशियां छाई थीं, लेकिन अब उनकी दुनिया पल भर में टूट गई है और वे गहरे दुख में डूबे हुए हैं.

मामले की सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक सुदर्शन सिंह और थाना पुलिस मौके पर पहुंची. ग्रामीणों ने सीएमएचओ और बीसीएमओ को बुलाने की मांग की, जिसके बाद बीसीएमओ दीपिका मौके पर पहुंचीं और ग्रामीणों को समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया. इसके बाद मृतक बच्चे के परिजनों ने प्रदर्शन को समाप्त किया.

बादशाह के काफिले ने उड़ाई ट्रैफिक नियमों की धज्जियां, गुरुग्राम पुलिस ने 15 हजार 500 का काट दिया चालान

मशहूर सिंगर और रैपर बादशाह को रॉन्ग साइड पर गाड़ी चलाना महंगा पड़ गया है. गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस ने बादशाह का 15 हज़ार 500 रुपये का चालान काट दिया है. रविवार को बादशाह अपनी तीन कारों के काफिले को लेकर करण औजला के कॉन्सर्ट में पहुंचे थे. ये कॉनसर्ट गुरुग्राम के सेक्टर 68 में हुआ था. इस दौरान उनकी गाड़ी रॉन्ग साइड पर दौड़ाई गई, जिसका खमियाजा अब उन्हें चालान के तौर पर भुगतना पड़ा है.

गुरुग्राम में सेक्टर 68 के एरिया मॉल में रविवार को पंजाबी सिंगर करण औजला का लाइव कॉन्सर्ट था. इस कॉन्सर्ट में बादशाह भी शामिल हुए थे. बादशाह के काफिले में तीन कारें थीं, जिनें एक थार भी थी. बादशाह का काफिला जैसे ही गुरुग्राम के बादशाहपुर में पहुंचा तो बादशाह के काफिले ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बादशाहपुर से एरिया मॉल तक रॉन्ग साइड ड्राइविंग की. जिसकी तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गईं.

किसके नाम पर रजिस्टर्ड है गाड़ी?

वही गुरुग्राम पुलिस की मानें तो इस काफिले में एक थार गाड़ी शामिल थी, जिसमें नंबर प्लेट लगी हुई थी. वहीं, काफिले में जो बाकी गाड़ियां थीं, उसमें टेंपरेरी नंबर लगा हुआ था. पुलिस ने बताया कि इसी गाड़ी में रैपर सिंगर बादशाह बैठे हुए थे. हालांकि ये गाड़ी पानीपत के दीपेंद्र माली के नाम पर रजिस्टर्ड है. बादशाह के कार काफिले का चालान काटकर ट्रैफिक पुलिस ने संदेश देने की कोशिश की है कि कानून की नज़र में सब बराबर है.

पुलिस ने क्या बताया?

गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता संदीप ने कहा, “तीन गाड़ियां थीं. सोहना रोड पर कोई म्यूजिक इवेंट था. उस इवेंट में जाने के लिए उन्होंने गलत दिशा का प्रयोग किया. रॉन्ग साइड में गाड़ी चलाई गई. जिस पर गुरुग्राम पुलिस के द्वारा कार्रवाई की गई है. तीन गाड़ियां थीं. एक पर नंबर प्लेट थी. करीब 15 हज़ार रुपये का चालान रॉन्ग साइड और खतरनाक ड्राइविंग के लिए किया गया है. चालान के दौरान पता लगा कि ये काफिला सिंगर बादशाह का था.”

फ्रांस में चक्रवात चिडो ने मचाई तबाही, पीएम मोदी ने जताया दुख, X पर किया पोस्ट

फ्रांस के मायोट में चक्रवात चिडो ने तबाही मचाई है. इसकी वजह से सैकड़ों लोग मारे गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या हजारों में हो सकती है. प्रकृति के कहर से सब अस्त-व्यस्त हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस तबाही पर दुख जताया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा, मायोट में चक्रवात चिडो के कारण हुई तबाही से मैं बहुत दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं.

पीएम मोदी ने इसी पोस्ट में आगे कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में फ्रांस इस त्रासदी से दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के साथ उबर जाएगा. भारत फ्रांस के साथ एकजुटता में खड़ा है और हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है. उधर, मायोट प्रीफेक्ट फ्रांकोइस-जेवियर बियुविले ने टीवी चैनल मायोट ला1एरे से कहा, मुझे लगता है कि इस तबाही में सैकड़ों लोग मारे गए हैं. शायद ये संख्या करीब एक हजार हो सकती है या फिर हजारों में भी पहुंच सकती है.

90 साल में मायोट में आया सबसे भयंकर चक्रवाती तूफान

उन्होंने पहले कहा था कि ये (चिडो) 90 साल में मायोट में आया सबसे भयंकर चक्रवाती तूफान है. बियुविले ने कहा कि शनिवार को मायोट में आए भीषण चक्रवात के कारण हुई मौतों और घायलों की सटीक संख्या का पता लगाना बहुत कठिन है. चक्रवात की वजह से एयरपोर्ट सहित सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है.

चक्रवात चिडो की वजह से कई इलाके तबाह हो गए हैं. बिजली आपूर्ति ठप हो गई है. बता दें कि रविवार को फ्रांस के गृह मंत्रालय ने 11 लोगों की मौत और 250 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि की थी.फ्रांस ने राहत और बचाव कार्यों के लिए 140 नागरिक सुरक्षा सैनिकों और अग्निशमन कर्मियों सहित अतिरिक्त बल भेजे हैं. ये चक्रवात दक्षिणपूर्वी हिंद महासागर से गुजरा, जिसका असर कोमोरोस और मेडागास्कर पर भी पड़ा है. मायोट सीधे चक्रवात के रास्ते में आ गया. इस वजह से यहां भारी नुकसान हुआ.