राम की पैड़ी पर बही सुरों की धारा
अयोध्या।राम की पैड़ी पर हों रहे दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय रामायण कॉनक्लेव का रंग शाम होते ही गीत,संगीत,और नृत्य के रंगो में घुलकर और भी मोहक हो गया। सांस्कृतिक सत्र में देश के प्रख्यात कलाकारों ने अपने अपने तरीके से श्रीराम जी के चरित्र के विभिन्न पक्षों को जीवंत करके उपस्थितजन को विभोर कर दिया।
सबसे पहले नगाड़ों की धमक की गूंज पर रंग बिरंगे पोशाक में थिरकते बमरसिया लोक नृत्य के कलाकारों ने उपस्थित दर्शकों को सम्मोहित कर दिया। दल के 8 वर्षीय नन्हे कलाकार के नृत्य ने सभी को मोह लिया। राजस्थान के इस लोक नृत्य में गायक,वादक और नर्तक सभी को अपनी भूमिका बदल बदल कर प्रस्तुति देते हुए देखना एक रोमांचकारी अनुभव था। नगाड़ों की थाप और कलाकारों की लचक पर दर्शक भी खुद को रोक नहीं पाए और तालियों से साथ देने लगे।
लोक नृत्य धोबिया के कलाकारों ने इसके बाद मंच पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों और लोक गीतों के साथ अपनी प्रस्तुति दी। लाल रंग की पोशाक में कलाकारों ने मंच पर अपने करतबों से सभी को अचंभित कर दिया। उनके वाद्ययंत्र और वेशभूषा सभी को आकर्षित कर रही थी।
दर्शकों के समर्थन और उत्साह के मध्य मंच पर आराध्य गौतम के दल ने जैसे ही बधावा लाई मालिनियां पर नृत्य किया तो पूरा वातावरण भक्ति रस में डूब गया।अयोध्या में अभी भी राम विवाह के छाए रंग में दुल्हा बने है रघुनाथ की प्रस्तुति में दर्शक स्वयं को बाराती समझ कर आनंदित हो रहे थे तो आज मिथिला नगरिया निहाल सखियां पर भावनाओं का ज्वार मानो रामायण कॉनक्लेव में उमड़ आया हो,सभी अपनी जगह पर नृत्य करके कलाकारों का साथ देने लगे।
इसके बाद सहारनपुर से आए नृत्य में दो विश्व कीर्तिमान बना चुके रंजना नेव के दल ने गणपति वंदना से अपनी प्रस्तुति का आरंभ किया। राम जन्म से लेकर लवकुश प्रंसग तक के मंचन में कलाकारों की वेशभूषा,ध्वनि और प्रकाश का सुंदर समन्वय एक ओर जहां मंच पर त्रेता का युग जीवंत कर रहा था वही कलाकारों की प्रस्तुति में लोक और शास्त्रीय नृत्यों का समन्वय दर्शकों को अपने से जोड़ रहा था। आनंद के उत्कर्ष की अनुभूति तब हुई जब रामजन्म के दृश्य में कलाकारों ने मंच के सामने आकर लोक शैली में नृत्य करके हुए दर्शकों को भी अपने साथ शामिल कर लिया। सरयू किनारे रामकथा के मंचन में शामिल होकर भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से आए दर्शक अभिभूत थे।
ढलती हुई शाम के साथ बहती ठंडी हवाओं में भी राम नाम की ऊर्जा महसूस करते दर्शकों का उत्साह अपने चरम पर पहुंच गया जब मंच पर मुंबई से आए गायक हेमंत बृजवासी का आगमन हुआ। आइए अपनी जिव्हा को पवित्र करते है जय श्री राधे कहते ही पूरी राम की पैड़ी राधे राधे के साथ जय श्री राम के उद्घोष से गुंजायमान हो गई। राधे राधे के कीर्तन के बाद अयोध्या पुरी में रामलला की आराधना करते हुए मेरे राम जानकी,बैठे है मेरे सीने में गया तो दर्शक भाव विभोर हो गए। अपनी प्रस्तुति में सरगम के माध्यम से दर्शकों को थिरकाने वाले बृजवासी ने इसके बाद अयोध्या धाम में श्रीराम के आराध्य शिव के स्थान नागेश्वरनाथ के सामने
है तेरे भगत निराले,शिवशंकर डमरू वाले प्रस्तुत कर एक अदभुत आध्यात्मिक मिलन का साक्षी बनने का सौभाग्य उपस्थित श्रद्धालुओं को कराया।
इसके बाद अपने राम जी से कहना हमरी राम राम राम, गाकर रामलला के समक्ष अपनी हाजिरी लगाई तो सभी तालियों से साथ देने लगे। दर्शकों की मांग पर हेमंत बृजवासी ने देर रात तक दर्शकों को श्रीराम,हनुमान,शिव समेत पंजाबी भजन भी सुनाकर विभोर कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक देश दीपक मिश्र ने अपने अंदाज में करके सभी को बांधे रखा। अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या के निदेशक और नगर आयुक्त संतोष शर्मा ने कलाकारों का सम्मान पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह,और अंगवस्त्र प्रदान करके किया। इस अवसर पर संस्थान के सलाहकार आशुतोष द्विवेदी,रमेश कुमार, नैना सुमन,अभय,समेत भरी संख्या में विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु उपस्थित रहे।
Dec 11 2024, 19:04