थियेटर और सांस्कृतिक मंच के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा।
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला में इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मची हुई है। पर्यटन विभाग के मुख्य पंडाल में रोज हो रहे कार्यक्रमों को देखने के लिए देर रात तक श्रोता बैठे रह रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि थियेटर व मेले के सांस्कृतिक मंच के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। अरसे बाद इस बार मेले का सांस्कृतिक मंच भी कार्यक्रमों से पट गया है।
श्रोताओं का कहना है कि इस बार जिला प्रशासन, कला संस्कृति एवं पर्यटन विभाग ने सोनपुर मेला के पुराने गौरव को वापस लौटाने को लेकर सकारात्मक प्रयास किया है। इसका परिणाम भी सुखद देखने को मिल रहा है। पूर्व में युवाओं की भीड़ को आकर्षित कर रहे थिएटर से कम भीड़ सांस्कृतिक मंच में नहीं हो रही है।
पहले अधिकतर युवा शाम होते ही थिएटर के टिकट काउंटर पर कतारबद्ध हो जाते थे, लेकिन अब सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने के लिए उत्सुकता बढ़ी है। पड़ोसी राज्य यूपी से भी काफी संख्या में युवा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने के लिए सोनपुर मेला में पहुंच रहे हैं। बलिया, गोरखपुर, देवरिया से काफी संख्या में युवा संस्कृति कार्यक्रम का लुत्फ उठाने के लिए ट्रेन व निजी सवारी से भी मेला परिसर में पहुंच रहे हैं।
वहीं सांस्कृतिक मंच से लोक कलाओं की विभिन्न विधाओं की प्रस्तुति दी जा रही है
, स्वाति मिश्रा व साबरी ब्रदर्स के हुए कार्यक्रम अभी भी लोगों का सिर चढ़कर बोल रहा है। फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज लोग भी टॉक शो के माध्यम से अपनी बात नवोदित कलाकारों के समक्ष रख चुके हैं।
प्रतिदिन दिवाकालीन व संध्याकालीन सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बनाये गये पंडाल में भारी भीड़ जुट रही है। मुख्य पंडाल की साज-सज्जा पर भी इस बार विशेष ध्यान दिया गया है। स्थानीय कलाकार भी अपनी प्रतिभा से लोगों का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं। स्थानीय कलाकारों ने कहा कि इस बार पिछले साल की तुलना में अधिक प्रस्तुति करने का मौका मिल रहा है। मुख्य पंडाल में श्रोताओं का जो प्रोत्साहन मिल रहा है उससे उनको काफी ऊर्जा भी मिल रही है।
पिछले एक सप्ताह से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद उठा रहे पटना के कंकड़बाग निवासी शुभम कुमार ने कहा कि वह सचिवालय में नौकरी करते हैं लेकिन प्रतिदिन शाम में आठ बजे मुख्य पंडाल में सपरिवार पहुंचते हैं और कार्यक्रम का आनंद उठाते हैं। इस तरह की बात सिर्फ शुभम कुमार की ही नहीं बल्कि कई अन्य लोगों ने भी कहीं। सबसे सुखद पहिया है कि मुख्य पंडाल में आधी आबादी की भी संख्या इस बार पिछले साल की तुलना में अधिक देखने को मिल रही है। इनमें युवतियों की भी संख्या अच्छी खासी बताई जा रही है।
कई जिले के कलाकार हो रहे शामिल
सारण ही नहीं बल्कि वैशाली, पटना, दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, गया, सीवान, गोपालगंज, मोतिहारी, आरा व अन्य जिलों से भी कलाकार सोनपुर मेला में आकर गायन, नृत्य, वादन, नाटक आदि की प्रस्तुति दे रहे हैं। लोक कलाओं के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति व परंपराओं से अवगत होने का अवसर भी मिल रहा है। कजरी, झूमर, सोहर, एकांकी, वीरगाथा, पारंपरिक गीत, विवाह गीत, लोककवि भिखारी ठाकुर की रचनाएं, महेंद्र मिश्र की पूर्वी समेत सारण गाथा मेले में आये लोगों को मिल रहा है।
Dec 09 2024, 16:34