गया में मेट्रो रेल परियोजना के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा, दो मुख्य कॉरिडोर का खाका तैयार, कुल लंबाई होगी 36 किमी, लिए गए सुझाव
गया। गया में मेट्रो ट्रेन सेवा की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राइट्स (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस) कंपनी ने गया में मेट्रो रेल परियोजना के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। इसके बाद शहर में दो मुख्य कॉरिडोर का खाका तैयार किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य शहर को आधुनिक परिवहन सुविधा से लैस करना और यातायात की भीड़ को कम करना है।
गया में मेट्रो सेवा के लिए दो मुख्य कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए हैं।
1. उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर (कॉरिडोर -1): यह कॉरिडोर
गया शहर के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों को जोड़ेगा। इसमें आईआईएम गया, मगध विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, गया हवाई अड्डा, बस स्टैंड और गया रेलवे जंक्शन जैसे
प्रमुख स्थान शामिल होंगे।
लंबाई: 22.5 किमी
स्टेशनों की संख्या: 18
डिपो की जगह: आईआईएम गया के पास जिंदापुर में 20 हेक्टेयर भूमि पर डिपो की योजना। यह रूट बोधगया को भी जोड़ेगा, जिससे महाबोधि मंदिर
आने वाले पर्यटकों को सुविधा होगी।
2. पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (कॉरिडोर-2): यह कॉरिडोर गया के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ेगा।
लंबाई: 13.5 किमी
स्टेशनों की संख्या: 10
डिपो की जगह: लखनपुर में 12 हेक्टेयर भूमि पर डिपो प्रस्तावित।
यह रूट बीआईपीएआरडी (बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट) और विष्णुपद मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों को कनेक्ट करेगा। सर्वेक्षण में शामिल प्रमुख पहलू राइट्स ने मेट्रो के रूट के लिए 21 से 23 अगस्त 2024 तक विस्तृत सर्वे किया। इसमें शहर के सभी प्रमुख यात्रा गलियारों का अध्ययन किया गया।
संरेखण के लिए ध्यान में रखे गए बिंदु
• सड़क की चौड़ाई और मौजूदा बुनियादी ढांचा।
• फ्लाईओवर और रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी)।
•मेट्रो डिपो और टर्मिनलों के लिए उपयुक्त स्थान।
• यातायात घनत्व और जनसंख्या का विश्लेषण।
सर्वेक्षण में पाया गया कि शहर की सड़कें संकरी (6-12 मीटर) हैं। प्रमुख सड़कों पर डिवाइडर नहीं हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण भूमि अधिग्रहण की जरूरत होगी।
संरेखण विकल्प और चुनौतियां
• गया-नवादा रोड : इस रूट पर बाजार क्षेत्र के कारण ज्यादा संपत्ति अधिग्रहण की आवश्यकता है। इसलिए इसे छोड़ दिया गया।
मानपुर रोड:पुराने और भीड़भाड़ वाले इलाके होने के
कारण इसे भी व्यवहार्य नहीं माना गया।
• तकनीकी विशेषज्ञता के साथ रूट तय
राइट्स ने गया-डोभी रोड और पटना-गया रोड को
प्राथमिकता दी। इससे यात्री इंटरचेंज और सीमित ट्रैक कनेक्टिविटी के लिए अनुकूल मार्ग चुना गया।
• परियोजना से संभावित लाभ
• शहर में यातायात की भीड़भाड़ कम होगी।
• स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए सफर आसान होगा।
• महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका।
प्रदेश के वन मंत्री डॉ प्रेम कुमार, बेलागंज की विधायक
मनोरमा देवी, बोधगगया के विधायक कुमार सर्वजीत, डीएम त्यागराजन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मेट्रो के इस प्रारूप पर विस्तृत चर्चा की। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों के सुझाव भी लिए गये।
वहीं पूर्व डिप्टी मोहन श्रीवास्तव ने सीताकुंड के किनारे से मानपुर तक कॉरिडोर को निकालने की बात कही। इस पर राइट्स की टीम ने कहा कि अभी इस पर विचार किया जा रहा है। यह फाइनल नही है।
पूरी तरह एलिवेटेड मेट्रो का प्रस्ताव
गया मेट्रो परियोजना की कुल लंबाई 36 किमी होगी, जो पूरी तरह एलिवेटेड होगी। यह परियोजना भविष्य में गया शहर के विकास और कनेक्टिविटी को एक नई दिशा देगी। इसका मतलब यह है कि मेट्रो ट्रेन जमीन पर नहीं बल्कि सड़क के ऊपर बनाए गए मेट्रो पुल के ऊपर चलेगी। मेट्रो ट्रेन केवल अपने स्टेशन पर ही जमीन पर उतरेगी।
गया को स्मार्ट सिटी बनाने की ओर यह बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार चला, तो 2028 तक गया शहर में मेट्रो का सपना साकार हो सकता है। मेट्रो की कुल लागत 76 करोड़ से ऊपर की है।
Dec 08 2024, 15:14