अजब-गजब: रुपए लेकर जमीन की हेराफेरी का मामला, एसडीएम के आदेश को एसडीएम ने ही पलटा
केराकत जौनपुर। "बंदे हैं हम उसके, हमपर किसका जोर,उम्मीदों के सूरज निकले चारों ओर" यह गीत साल 2013 में आई फिल्म धूम-3 का हैं। फिल्म में अभिनय करते हुए कलाकार लगातार अपनी चोरी में सफल होकर, नियम व सिस्टम के साथ खूब आंख-मिचौली करता रहता हैं। कुछ ऐसा ही वाकया जौनपुर की केराकत तहसील में हुआ है। यहां एक तत्कालीन एसडीएम ने सरकारी तंत्र का हिस्सा रहते हुए,नियम की बखिया उधेड़ दी थी।
नियमों को ताक पर रखते हुए,मनमाने तरीके से नाऊपुर गांव सभा की भूमि को थाना गद्दी स्थित एक विद्यालय के नाम कर दिया था। जिनके आदेश को लेकर विरोध के स्वर सुनाई देने लगे थे, लेकिन मोहतरमा (एसडीएम) को इसका जरा भी भान नहीं था, वह पूरी तरह से नौकरशाही के गुरुर में मगरूर होकर कायदे कानून से अपने को उपर मान बैठी थीं। खैर कहते हैं सत्य की देर से ही सही लेकिन जीत होती है। यही इस मामले में भी हुआ है।
तत्कालीन एसडीएम पर यह लाइन सटीक बैठती हैं। जिनसे शासन व आम जनता तो न्याय व नियमों के पालन के इंतजार में थी, लेकिन एसडीएम ने धूम 3 के चर्चित लाइन को चरितार्थ करने में जुटी रहीं।नाऊपुर के समाजसेवी रितेश सिंह के अदम्य पैरवी व साहस शिकायत के आगे अवैध तरीके से पारित आदेश को मौजूदा एसडीएम ने ही पलट दिया है।
मालूम हो कि तत्कालीन एसडीएम केराकत नेहा मिश्रा ने नियमों को ताक पर रखते हुए, ग्रामसभा नाऊपुर के नवीन परती खाते की भूमि को कृषक इंटर कॉलेज थानागद्दी के नाम पर दर्ज कर दिया था। उक्त मामले की जानकारी जब नाऊपुर के ग्राम प्रधान व समाजसेवी रितेश सिंह को हुई तो उन्होंने जिले के अधिकारियों के यहां लिखित शिकायत दर्ज कराई। लेकिन "ढाक के तीन पात" मामला जस का तस रहा। कोई कार्रवाई न होने से क्षुब्ध ग्राम प्रधान ने कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को शिकायत पत्र दिया।
जिसमें कहा कि एसडीएम नेहा मिश्रा ने भारी रकम लेकर उक्त जमीन को नियमों से परे जाकर बिना किसी जांच पड़ताल के कृषक इंटर कॉलेज के नाम कर दिया। मंत्री ने लेटर हेड पर मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए,एसडीएम के खिलाफ जांच की मांग कर दी। जिससे जिले में हड़कंप मच गया। तत्कालीन एसडीएम नेहा मिश्रा के घुस लेने की खबर सोशल मीडिया पर तैरने लगी। इसी बीच देवरिया के रणधीर सिंह ने लोकयुक्त से एसडीएम के संपत्ति जांच की मांग कर दी। हालांकि पूरे मामले के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी। कुछ दिन बाद खबर दब गई,तब तक एसडीएम का ट्रांसफर बस्ती हो गया। समाजसेवी रितेश सिंह के अनवरत पैरवी से पूर्व की तरह नवीन परती को सरकारी अभिलेख में दर्ज करवा दिए। जिसकी चर्चा जोरों पर हैं। वहीं बुद्धिजीवियों का कहना हैं कि केराकत तहसील में भ्रष्टाचार आकंठ तक भरा हुआ हैं,अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। तत्कालीन एसडीएम नेहा मिश्रा के ऊपर विधिक कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार करने वालों को सबक मिले।
कानूनी लड़ाई में सच की हुई जीत:रितेश
एक साल की अनवरत पैरवी से हासिल जीत पर समाजसेवी रितेश सिंह ने बताते हैं कि विधि विरुद्ध कार्य से लोगों में काफी आक्रोश था,जिसकी शिकायत गांव के सभ्यजनों ने बड़े भाई कुंवर दीपक से मिलकर बताया। इस पूरे वाकए को सुनकर भाई कुंवर दीपक हतप्रभ थे,मुझे बुलाकर कहा कि रितेश इस मामले को तुम देखोगे क्या करना हैं करो अगर नियम विरुद्ध कार्य हुआ हैं तो तत्काल शिकायत करो। जहां भी कोई मदद या जरूरत महसूस हो तुरंत बताना। गांव की जमीन को वापस लाना हैं। जिसके बाद मैने वरिष्ठ वकील से मशवरा करके तत्कालीन एसडीएम के आदेश को चुनौती दीं, नियमों को दरकिनार कर हुए आदेश को वर्तमान एसडीएम सुनील कुमार ने पूर्व में पारित आदेश रद्द करते हुए,उक्त भूमि को अभिलेख में गांवसभा का नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया।
Dec 06 2024, 17:56