बसपा सुप्रीमो मायावती को फिर आने लगे पुराने नेताओं की याद
लखनऊ ।लगातार पिछले कई चुनावों में हार मिलने के बाद बहुजन समाज पार्टी को फिर से अपने पुराने नेताओं की याद आने लगी है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को यूपी और उत्तराखंड के पदाधिकारियों की बैठक में 15 जनवरी से पार्टी संगठन का विस्तार करने का निर्देश देने के साथ पुराने कर्मठ नेताओं को भी दोबारा जोड़ने को कहा है। बसपा सुप्रीमो के निर्देश के बाद ऐसे नेताओं के लिए पार्टी में वापसी का रास्ता खुल गया है।
बसपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस बाबत कहा कि बसपा सुप्रीमो की चिंता वाजिब है। बीते करीब एक दशक में पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जबकि अन्य दलों से बसपा में आने वाले नेताओं की संख्या न के बराबर है। उनका कहना है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बसपा का विस्तार होने की संभावना थी, लेकिन बसपा सुप्रीमो ने सपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला हड़बड़ी में ले लिया, जिससे पार्टी की इस मुहिम को नुकसान पहुंचा। वहीं इसका फायदा सपा को मिला और वह बसपा के कई बड़े नेताओं को अपने पाले में करने में कामयाब हो गई। बाद में सपा ने इन नेताओं को टिकट देकर चुनाव में भी उतारा। अब बसपा को अपनी इस गलती का अहसास हो रहा है, जिसकी वजह से पुराने नेताओं को मनाने की कवायद शुरू होने जा रही है।
बसपा छोड़कर जाने वाले नेताओं ने दूसरे दलों को खूब मजबूत किया। इनमें ब्रजेश पाठक, लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्य, बाबू सिंह कुशवाहा, नकुल दुबे, लालजी निर्मल, केके गौतम, इंद्रजीत सरोज, सुनील चित्तौड़, बृजलाल खाबरी, अफजाल अंसारी समेत सौ से अधिक बड़े नेता शामिल हैं। इनमें से कई राज्य सरकार व राजनीतिक दलों में अहम पदों पर हैं। सुनील चित्तौड़ जैसे कर्मठ नेता वर्तमान में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रदेश अध्यक्ष हैं, जो बसपा के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही है।
Dec 04 2024, 16:09