प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, दिए जरूरी दिशानिर्देश

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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताई। जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सवाल किया कि दिन के समय भी ट्रकों की आवाजाही क्यों हो रही है? सुप्रीम कोर्ट ने एंट्री प्वाइंट पर लापरवाही को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से 113 एंट्री प्वाइंट्स पर सख्त निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि राजधानी में ट्रकों की एंट्री कैसे रोकी जा रही है। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि सभी मालवाहक वाहनों को रोका जा रहा है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वीडियो में ट्रक वाले कह रहे हैं कि पुलिस को 200 रुपये देकर एंट्री कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि पिछले आदेश का अनुपालन दिखाया जाए, जिसमें हमने कहा था कि आप टीमें बनाएं और सुनिश्चित करें कि इन चीजों की निगरानी हो और उन पर नियंत्रण रखा जाए। आपका हलफनामा बहुत अस्पष्ट है। यह भी नहीं बताया कि कितने चेकपोस्ट बनाए हैं। ⁠अगर वहां तैनात अधिकारियों को आवश्यक वस्तुओं की छूट के बारे में पता नहीं है तो आप जो प्रतिबंध बता रहे हैं वह पूरी तरह से मनमाना है। सभी कर्मचारियों को स्पष्ट बताया जाए कि क्या सामान लेकर जा रहे ट्रकों की एंट्री हो सकती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में भयानक रूप ले रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कुछ दिशानिर्दश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे दिल्ली में प्रवेश के सभी 113 बिंदुओं पर तुरंत चेकपॉइंट स्थापित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर तैनात कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं के अंतर्गत स्वीकार्य वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 113 प्रवेश बिंदुओं में से 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर निगरानी रखी जाती है ताकि ग्रैप चरण IV के खंड A और B का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगभग 100 प्रवेश बिंदु मानव रहित हैं और ट्रकों के प्रवेश की जांच करने वाला कोई नहीं है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के दूसरे राज्यों से 3 दिन में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने एनसीआर के सभी राज्य के 12वीं तक की कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में चलाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के साथ काम करने पर भी विचार करें।

कौन होगा महायुति का मुख्यमंत्री? फडणवीस, शिंदे या अजित, नतीजों से पहले कुर्सी के खींचतान

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महाराष्‍ट्र में वोटों की गिनती से पहले महायुति और महाविकास अघाड़ी के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि मुख्‍यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा? वोटों की गिनती शनिवार को होगी, तब पता चलेगा कि किस खेमे को जनता ने चुना है। लेकिन इससे पहले सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के भीतर इस बात को लेकर मतभेद उभर आए हैं कि अगली सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, क्योंकि दोनों खेमों के दल मुख्यमंत्री पद पर दावा कर रहे हैं। 

महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी भी नंबर गेम में फंसी है। महायुति और महा विकास अघाड़ी दोनों गठबंधनों ने सीएम चेहरे का नाम उजागर नहीं किया है। सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर अपने शीर्ष नेताओं को सीएम प्रोजेक्ट कर रही हैं। महा विकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे, नाना पटोले, पृथ्वीराज चौहान जैसे दावेदार हैं तो महायुति में एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार भी सीएम की रेस में हैं।

अधिकांश एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की है कि बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति सत्ता बरकरार रखेगी। एग्जिट पोल ने बीजेपी के लिए सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने का भी दावा किया है। ज्यादातर राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि बीजेपी ही अकेली सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी होगी, लेकिन कोई यह दावा नहीं कर रहा कि बीजेपी सिर्फ अपने विधायकों के दम पर सरकार बना लेगी।

अगर बीजेपी के 100 से कम विधायक जीतकर आते हैं, तो खेल दिलचस्प होगा। बीजेपी सत्ता के लिए फिर शिंदे और अजित पर निर्भर हो जाएगी। इस निर्भरता की कीमत उसे फिर मुख्यमंत्री पद देकर चुकानी पड़े, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मराठा मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे और अजीत पवार दोनों ही तैयार बैठे हैं। 

महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा, जनता ने किसको कितने नंबर दिए हैं, इस पर सारा खेला निर्भर है। इस बार बड़ी संख्या में बागी और निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा है, अगर वे अच्छी-खासी संख्या में जीते, तो शिंदे और अजित से पहले बीजेपी उन्हें ही पसंद करेगी। उन्हें साथ लेकर बीजेपी अपना सीएम बनाने की कोशिश करेगी। अगर निर्दलीयों के दम पर सरकार बनी, तो निर्विवाद रूप से देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की पहली पसंद होंगे।

वहीं, इस गठबंधन में सीएम पद को लेकर चल रही सुगबुगाहट के बीच बारामती में कुछ पोस्टर्स लगे हैं जिसमें लिखा है प्रदेश के अगले सीएम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष अजित पवार होंगे। पोस्टर ऐसे समय में लगाया गया है, जब राज्य में राजनीतिक हलचल तेज है और अजित पवार की मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं को लेकर चर्चा हो रही है। इन पोस्टरों के जरिए यह संकेत दिया जा रहा है कि अजित पवार को पार्टी और समर्थकों की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। अलग-अलग जगह लगे इन पोस्टर में लिखा गया है कि अजित पवार का लगातार आठवीं बार विधायक चुनकर आने के लिए अभिनंदन।

अजित पवार महाराष्ट्र में चार बार के उपमुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा वो कई बार मंच से कर चुके हैं। चाचा शरद पवार से अलग होने के बाद अजीत पवार और उनके कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि प्रदेश की कमान उन्हें सौंपी जाए।

इससे पहले देवेंद्र फडणवीस के कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताते हुए बैनर लगाए थे। विधानसभा चुनावी नतीजों को लेकर कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है। ऐसे में राज्य में भावी मुख्यमंत्री के बैनर दिखने से राजनीतिक माहौल गरमाने की आशंका जताई जा रही है।

महाराष्ट्र में नतीजों से पहले सियासी हलचल तेज, सबके अपने-अपने दावा

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए। अब नतीजों का इंतजार है। एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में ज्यादातर एग्जिट पोल में महायुति की जीत की भविष्यवाणी की गई है। हालांकि, एग्जिट पोल के नतीजे सही होंगे या नहीं, 23 नवंबर को यह साफ हो जाएगा। इससे पहले राज्य में सियासी हलचल तेज है।

एग्जिट पोल के नतीजों पर उद्धव वाली शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में एमवीए की सरकार बनेगी। हमें 160 सीटें मिल रही हैं। महाराष्ट्र बड़ा राज्य है। एमवीए के सभी विधायकों को जीत के बाद मुम्बई आएंगे। उनके ठहरने के लिए यहाँ व्यवस्था की जा रही है। वो मुम्बई आएंगे तो उनके ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। कल सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री कौन होगा? यह हम बताएंगे। मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एमवीए में कोई फार्मूला तय नहीं हुआ है। ऐसा नहीं कि जिसकी सीट ज़्यादा होगी उसका ही सीएम बनेगा। एमवीए सभी नेता एक साथ बैठेंगे, फिर मुख्यमंन्त्री कौन बनेगा… यह तय करेंगे?

खोखे वालों का प्रेशर भी रहेगा-राउत

वहीं, संजय राउत ने आगे कहा कि खोखे वालों का प्रेशर भी रहेगा। कई लोग बाहर से भी आएंगे तो कहां रहेंगे, इसके लिए हम होटल में व्यवस्था बना रहे हैं। हमारा पूरा बहुमत रहेगा। सब एक साथ मिलकर रहेंगे। वहीं, वंचित बहुजन आघाड़ी को लेकर राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर ने ये तो नहीं कहा कि बीजेपी के साथ जा रहे हैं। सरकार बनाने से हमें कोई रोक नहीं सकता। हमारे छोट-छोटे घटक दल भी होंगे। बाद में बैठ कर विचार करेंगे। हमारा डॉयलॉग सभी से चल रहा है जो लोग मजबूत स्थिति में हैं। सब मिलकर सीएम पद का चेहरा चुनेंगे। अभी तक किसी फॉर्मूले को लेकर कोई चर्चा नहीं है। ये महाराष्ट्र है, महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर यहां वोट किया है।

बीजेपी के होर्डिंग्स पर फडणवीस की तस्वीरें

महाराष्ट्र चुनाव को लेकर आए तमाम एग्जिट पोल में बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति की सरकार बनाने की संभावना जताई गई है। ऐसे में बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति के लिए सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा। बीजेपी ने इन चुनावों में सबसे ज्यादा सीटों (152) पर चुनाव लड़ा है और उसे उम्मीद है कि वह करीब 100 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। बारामती में अजीत पवार के ‘भावी मुख्यमंत्री’ के पोस्टर लगाए गए हैं। अलग-अलग जगह लगे इन पोस्टर में लिखा गया कि अजित पवार को लगातार आठवीं बार विधायक चुनकर आने के लिए अभिनंदन, इन पोस्टर के बाद महायुति के अंदर इनकी जमकर चर्चा हो रही है।

शिंदे कैंप का दावा- एकनाथ शिंदे ही रहेंगे सीएम

वहीं, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ग्रुप के कुछ विधायकों ने जैसे संजय शिर्सेट ने कहा कि शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। क्योंकि वे बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं और इस पद पर बने रहना उनका हक है। शिंदे ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा है कि महायुती खेमे में सीएम पद को लेकर कोई खींचतान नहीं है और नतीजे आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

जिंदा शख्स का कर दिया पोस्टमार्टम, चिता के आग लगते ही हिलने लगा शरीर, अब लापरवाही के आरोप में 3 डॉक्टर्स सस्पेंड
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* राजस्थान के झुंझुनूं जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक शख्स की मौत के बाद उसे अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लाया गया, लेकिन चिता पर लिटाने के दौरान उसकी धड़कन लौट आई और शरीर में हरकत होने लगी। मौके पर मौजूद लोग ये नजारा देखकर डर गए और आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाकर शख्स को अस्पताल पहुंचाया गया। इसके साथ ही जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने घोर लापरवाही खुलकर सामने आ गई। जिले के राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में डॉक्टरों ने एक जिंदा आदमी का तथाकथित पोस्टमार्टम करके उसे मृत घोषित कर डीप फ्रीजर में रखवा दिया। मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह के लोग जब उसे दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट ले गए और चिता पर लिटाया तो वहां उसकी सांसें चलने लगीं और मामले का खुलासा हुआ। बगड़ थाना इलाके में स्थित मां सेवा संस्थान में रहने वाले रोहिताश नाम के युवक के साथ यह पूरा घटनाक्रम घटित हुआ है। रोहिताश पच्चीस साल का है और वह इसी आश्रय स्थल में रह रहा है। गुरुवार दोपहर अचानक उसकी तबियत बिगड़ गई और उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसके बाद उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करनी शुरू कर दी गई। उसके शव को मुर्दाघर में रखवाया गया और उधर पुलिस अन्य रिपोर्ट्स तैयार करने में जुट गई। अंतिम संस्कार की तैयारी होने लगी। लेकिन इस बीच उसके शव को डीप फ्रीज में करीब तीन घंटे तक रखा गया। उसके बाद पुलिस और डॉक्टर्स ने पूरी रिपोर्ट तैयार कर दी और शव को एंबुलेंस के जरिये शमशान घाट ले जाया गया। वहां चिता सजाई गई और रोहिताश को उस पर लेटा दिया गया। जैसे ही आग लगाने की तैयारी की जाने लगी तो रोहिताश में हलचल हुई, वह उठने की कोशिश करने लगा। वहां अचानक भगदड़ जैसे हालात हो गए। बाद में पता चला कि रोहिताश जिंदा है तो उसी एंबुलेंस में उसे फिर से अस्पताल ले जाया गया। वहां उसका इलाज जारी है। इधर, कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के लिए समिति गठित की है। वहीं, देर रात को जिला कलेक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ व डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया।
इस दिन से शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र, वक्फ बिल समेत 16 विधेयक लाने की तैयारी में मोदी सरकार

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संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर यानी सोमवार से शुरू हो रहा है। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा। इसी साल हुए आम चुनाव में नई सरकार के गठन के बाद इस पहले शीतकालीन सत्र में सरकार कुछ पेंडिंग विधेयक पारित कराने की तैयारी में है तो वहीं कुछ नए विधेयक भी कार्यसूची में हैं। शीतकालीन सत्र के लिए जो कार्यसूची सामने आई है, उसमें नए-पुराने कुल 16 विधेयकों के नाम हैं।इनमें पांच नए विधेयक भी शामिल हैं। इन पांच नए प्रस्तावित कानूनों में एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापना से जुड़ा विधेयक भी है। लंबित विधेयकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक भी शामिल है जिसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति की ओर से लोकसभा में अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद चर्चा और फिर पास करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

इस लिस्ट में सबसे चर्चित विधेयक हैं वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024। यह विधेयक संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ही लोकसभा में पेश के गए थे। विपक्षी दलों के विरोध और हंगामे के बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक लोकसभा में पेश किया था। संसद में पेश होते ही इन विधेयकों को बगैर किसी चर्चा के संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था।

जेपीसी को इस दिन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। जेपीसी की अगुवाई कर रहे जगदंबिका पाल ने कहा भी है कि हमारी रिपोर्ट तैयार है। हालांकि, विपक्षी दलों के सांसद जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

ये बिल सूची में

इसके अलावा, कोस्टल शिपिंग बिल और इंडियन पोर्ट्स विधेयक को भी पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक सहित आठ विधेयक लोकसभा में लंबित हैं। दो अन्य राज्यसभा के पास हैं। उधर वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि मसौदा कानून में बदलावों का अध्ययन करने के लिए उन्हें और समय चाहिए।

एक देश एक चुनाव विधेयक सूचीबद्ध नहीं

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से जुड़ा कोई विधेयक फिलहाल सूचीबद्ध नहीं है। हालांकि, किरेन रिजिजू ने वन नेशन, वन इलेक्शन से संबंधित बिल इसी सत्र में लाए जाने की तैयारी के संकेत दिए थे। रामनाथ कोविंद कमेटी इसे लेकर अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप चुकी है और उस रिपोर्ट को कैबिनेट मंजूरी भी मिल चुकी है लेकिन 16 विधेयकों की लिस्ट में इससे संबंधित विधेयक का जिक्र नहीं है।

सऊदी अरब ने इमरान खान को सत्ता से हटवाया? बुशरा बीबी का बड़ा दावा

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पाकिस्तान और सऊदी अरब दोस्त माने जाते हैं। लेकिन सऊदी अरब पर ही पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने का आरोप लगा है। ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने लगाया है। एक वीडियो संदेश में बुशरा बीबी ने साल 2022 में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने में सऊदी अरब की भूमिका की बात कही है।वीडियो संदेश में बुशरा बीबी ने पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का भी नाम लिया है। बुशरा बीबी के वीडियो बयान को पाकिस्तान तहरीक के इंसाफ (पीटीआई) के आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर किया गया है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने पति की सत्ता से बाहर होने के मामले में बड़ा खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि सऊदी अरब ने उनके पति इमरान खान को सत्ता से हटाने में अहम भूमिका निभाई है। बुशरा बीबी ने इस मामले में एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि सऊदी अधिकारियों ने पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर जावेद बाजवा से संपर्क किया और खान के नेतृत्व पर चिंता जाहिर की। साथ ही कहा कि इमरान खान जैसे व्यक्ति को सत्ता में क्‍यों आने दिया गया।

बुशरा बीबी ने दावा किया कि सऊदी अधिकारियों ने बाजवा से कहा कि 'ये अपने साथ किस आदमी को उठा लाए हो... हम इस मुल्क में शरीयत का निजाम खत्म करना चाहते हैं और तुम शरीयत के ठेकेदारों को उठा लाए हो। हम ऐसे आदमी को नहीं चाहते।' उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद से उन्होंने हमारे खिलाफ 'बदनामी का अभियान शुरू कर दिया और इमरान को यहूदी एजेंट कहना शुरू कर दिया।

धरने में शामिल होने की अपील

बुशरा बीबी ने वीडियो संदेश में पीटीआई समर्थकों से 24 नवम्बर को इस्लामाबाद में होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पीटीआई संस्थापक ने संदेश भेजा है कि सभी 24 नवम्बर के विरोध प्रदर्शन में शामिल होना चाहिए। 'किसी भी हालत में तारीख नहीं बदली जाएगी।' उन्होंने कहा कि जब तक इमरान खान खुद बाहर आकर ऐलान नहीं करते, 24 नवम्बर के धरने की तारीख नहीं बदली जाएगी।

बुशरा बीबी के दावे पर बाजवा का जवाब

बुशरा बीबी के इन आरोपों पर पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने जवाब दिया है। द एक्स्प्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए कमर बाजवा ने कहा कि कोई भी देश ऐसे दावे नहीं करेगा, खासकर वो देश जिसके साथ पाकिस्तान के लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हों। उन्होंने कहा कि बुशरा बीबी की सऊदी अरब यात्राओं के दौरान, जिनमें खान-ए-काबा और पैगंबर की मस्जिद जैसे पवित्र स्थलों की यात्राएं भी शामिल थीं, उनका बड़े सम्मान के साथ स्वागत किया गया और उन्हें कई महंगे गिफ्ट्स भी दिए गए थे। उन्होंने कहा कि “इस महिला के दावे (बुशरा बीबी) मुझे हैरान कर रहे हैं। ये 100 प्रतिशत झूठ हैं। ऐसा लगता है कि इमरान खान भी भविष्य में इस कथन का समर्थन करना शुरू कर सकते हैं।

गौतम अडानी पर लगे आरोपों पर आया व्हाइट हाउस का बयान, भारत से संबंधों पर कही ये बात

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भारत के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अदानी पर अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने रिश्वत और धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है।अडानी और उनके सात सहयोगियों के ख़िलाफ न्यूयॉर्क की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी किया गया है। अडानी इस मामले में चौतरफा घिर गए हैं। इस बीच पूरे मामले में अब व्हाइट हाउस का बयान आया है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन-पियरेने कहा है, हम इन आरोपों से वाकिफ हैं। इन आरोपों पर अमेरिका के सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) और न्याय विभाग (डीओजी) ही अधिक जानकारी दे पाएंगे। प्रवक्ता से पूछा गया कि गौतम अदानी पर लगे आरोपों के कारण क्या दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान होगा। इसके जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते काफी मज़बूत नींव पर टिके हैं। मुझे यकीन है कि यह संबंध आगे भी बने रहेंगे।

अडानी समूह पर क्या आरोप हैं?

अडानी समूह पर आरोप हैं कि उसने कथित तौर पर सौर उर्जा अनुबंधों के लिए 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 2,100 करोड़ रुपये) रिश्वत दी थी, जिसके बाद के बाद अमेरिकी अभियोजकों ने जांच शुरू की है। न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में हुई सुनवाई में गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों की धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप लगे हैं। यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का कहना है कि अडानी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (करीब 2200 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी।

क्या है मामला?

पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है। 24 अक्टूबर 2024 को यह मामला अमेरिकी कोर्ट में दर्ज किया गया, जिसकी सुनवाई बुधवार को हुई. अडानी के अलावा शामिल सात अन्य लोग सागर अडानी, विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल हैं। अडानी पर आरोप है कि रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए अमेरिकी, विदेशी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला। सागर और विनीत अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं। सागर, गौतम अडानी के भतीजे हैं. गौतम अडानी और सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के अतिक्रमण के खिलाफ लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे साधु-संत और किसान

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कर्नाटक समेत देशभर में जिस तेजी से वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों को क्लेम करता जा रहा है उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उसके खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। ताजा मामला कलबुर्गी का है, जहां साधु-संतों, किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड की ओर से कथित अतिक्रमण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विशाल रैली निकालकर आक्रोश जताया गया।

वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ नेगिलायोगी स्वाभिमान वेदिके के बैनर तले प्रदेश के मठों के हिन्दू संत, भाजपा नेताओं और किसान समर्थक संगठनों के सदस्यों ने “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” तीन दिवसीय विरोध मार्च निकाला है। इस दौरान प्रदर्शन करते हुए संतों और भाजपा नेताओं ने प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया औऱ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। विरोध मार्च कलबुर्गी के नागेश्वर स्कूल से निकाला गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “ज़मीर हटाओ, ज़मीन बचाओ”, “रायता देशदा आस्थी”, “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” नारे लिखी तख्तियां ले रखा था।

इस मौके पर कर्नाटक विधान परिषद के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि आप स्थिति देख सकते हैं। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह विरोध प्रदर्शन कलबुर्गी में हो रहा है। हम मंत्री ज़मीर अहमद खान और कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी प्रदेश महासचिव प्रीतम गौड़ा ने कहाा था कि कहा कि हजारों प्रभावित व्यक्तियों और किसानों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए पूरे दिन मंच पर आमंत्रित किया गया है। हम जिलेवार मुद्दों की गंभीरता की समीक्षा कर रहे हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पहले ही तीन टीमों की घोषणा कर दी है। ये टीमें किसानों, धार्मिक संस्थाओं और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जिलों में जाएंगी और उनके निष्कर्षों पर आगामी बेलगावी विधानसभा सत्र में चर्चा की जाएगी।

कनाडा फिर बैकफुट, पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल पर किए गए दावे से पलटा

#canada_justin_trudeau_govt_rejects_canadian_media_report

पहले दावे करना और फिर उससे पलट जाना। हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा एक बार फिर अपने दावों से पीछे हट गई है। कनाडा सरकार ने माना है कि निज्जर हत्याकांड में पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजित डोभाल का न तो कोई कनेक्शन है और न ही कोई सबूत है। ट्रूडो सरकार ने उस कनाडाई मीडिया के दावे को खारिज किया है, जिसने यह आरोप लगाया था। इससे पहले द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।

भारत की सख्ती के बाद कनाडा के तेवर नरम पड़ते दिख रहे हैं। भारत की सख्ती के बाद ट्रूडो सरकार ने बयान जारी किया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए जस्टिन सरकार ने कहा, ‘कनाडा सरकार ने यह बयान नहीं दिया है, न ही उसे प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, या एनएसए अजित डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों की जानकारी है। यह रिपोर्ट अटकलों पर आधारित और गलत है। 

ट्रूडो सरकार ने क्या कहा?

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर रहा कि, 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण आरसीएमपी और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया था। बयान में आगे कहा गया है कि, कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए अजित डोभाल के कनाडा के भीतर किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल होने के कोई भी सबूत नहीं है, न ही उसे इसकी जानकारी है। 

निराधार आरोपों पर चिंताएं

कनाडा सरकार ने इस मामले में मीडिया और अन्य स्रोतों से अनुरोध किया कि वे किसी भी बिना साक्ष्य के आरोपों को बढ़ावा न दें। सरकार का कहना था कि इस तरह के निराधार आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और दोनों देशों के बीच विश्वास को भी चोट पहुंचा सकते हैं।

कनाडा सरकार का यह बयान दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति को और स्पष्ट करता है। हालांकि, कनाडा ने यह भी माना है कि सार्वजनिक सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर खतरे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन अब इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय नेताओं का इस आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इस स्थिति के बाद किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए थे।

निज्जर की हत्या के मामले में पहली बार सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था।

बेंजामिन नेतन्याहू की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी, जानें इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के इस फैसले के पीछे की वजह

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इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध ने बड़ा रूप धारण कर लिया है। पिछले साल अक्‍टूबर में हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर हजार से ज्‍यादा लोगों की निर्मम तरीके से हत्‍या कर दी थी और 250 से ज्‍यादा इजरयली नागरिकों को अगवा कर लिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने बदला लेने की कसम खाई। जिसके बाद शुरू हुई जंग बढ़ती ही जा रही है। इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान 40 हजार से ज्‍यादा मौत के घाट उतारे जा चुके हैं। जबकि एक लाख से ज्‍यादा घायल हुए हैं। इस बीच इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) ने गुरुवार को युद्ध और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

आईसीसी के जजों ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलंट और हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद डेफ के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है। आईसीसी ने कहा कि इन नेताओं पर इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप है। कोर्ट ने नेतन्याहू के खिलाफ आरोपों को लेकर जांच कराने का भी आदेश दिया है।

रिर्पोट के मुताबिक, आईसीसी ने पीएम नेतन्याहू और इजराइल के रक्षा मंत्री पर इजराइली सेना को फिलिस्तीनी नागरिकों को जानबूझ कर मारने का आदेश देने और गाजा में अंतराष्ट्रीय मानवीय मदद को पहुंचने से रोकने के मामले में दोषी पाया, जिससे वजह से वहां पर भुखमरी के स्तिथी बनी। कोर्ट ने अपने जांच में पाया कि इजराइली पीएम ने जंग के बहाने फिलिस्तीनियों नागरिकों की हत्याएं करवाईं और गाजा को तहस नहस करने का भी आदेश दिया। आईसीसी के जजों ने इन सभी पहलुओं को देखते हुए उनके खिलाफ वारंट जारी करने का फैसला लिया।

इजराइल के राष्ट्रपति ने कहा- आईसीसी का ये फैसला एक मजाक

इस फैसले पर इजराइल के राष्ट्रपति आइजैक हर्जोग ने कहा कि आईसीसी का यह फैसला एक मजाक बन गया है। फैसला आतंकवाद के पक्ष में गया है। वहीं, फिलिस्तीनी नेता मुस्तफा बारघौती ने नेतन्याहू और गैलंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का स्वागत किया और आईसीसी से इस्राइल के खिलाफ नरसंहार के मामले में जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया।

अमेरिका ने क्या कहा?

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के इस फैसले पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि इजरायल को आत्‍मरक्षा का पूरा अधिकार है। पीएम नेतन्‍याहू और अन्‍य के खिलाफ आईसीसी की ओर से जारी अरेस्‍ट वारंट के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि उन्‍हें कौन और कहां की पुलिस गिरफ्तार करेगी? दरअसल, निर्धारित प्रावधानों के तहत आईसीसी के सदस्‍य देशों की पुलिस नेतन्‍याहू को गिरफ्तार कर सकती है। बता दें कि अमेरिका आईसीसी का सदस्‍य देश नहीं है। हालांकि, आईसीसी के फैसले पर अमल काफी मुश्किल है