अलीगढ़ में भीषण सड़क हादसा: बस-ट्रक टक्कर में 5 की मौत, 15 घायल.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भीषण सड़क हादसा हुआ है. यमुना एक्सप्रेसवे पर बस ने एक ट्रक में जोरदार टक्कर मार दी. इस हादसे में बस में सवार 5 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई, वहीं 15 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. सूचना पर मौके पर पुलिस पहुंची है. पुलिस ने घायलों को बस से निकालकर स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया है.

यह हादसा देर रात हुआ. दिल्ली से मऊ जा रही एक डबल डेकर प्राइवेट बस, जो अयोध्या के कृष्णा ट्रेवल्स की बताई जा रही है, अलीगढ़ के पास यमुना एक्सप्रेसवे 56 नंबर पर बीयर की बोतलों से भरे स्क्रैप ट्रक में पीछे से टकरा गई. हादसा इतना भीषण था कि बस के परखच्चे उड़ गए. इस हादसे में जिन पांच लोगों की मौत हुई है, उनमें एक पांच महीने का बच्चा, एक महिला और तीन पुरुष शामिल हैं. मृतकों में से तीन की पहचान हो चुकी है, जबकि दो की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है.

खिड़कियां तोड़कर यात्री बस से बाहर निकले

इस हादसे में 15 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 11 महीने की बच्ची, एक छोटी लड़की, पांच साल का बच्चा, तीन महिलाएं और नौ पुरुष शामिल हैं. हादसे के बाद बस में सवार लोग खिड़कियां तोड़कर बाहर निकले. हादसे के कारण कई शव बस के अंदर फंसे रह गए. घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर सभी घायलों को बस से बाहर निकाला.

पुलिस ने सभी घायलों को जेवर के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया है. मृतकों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हादसे का मुख्य कारण तेज गति और लापरवाही मानी जा रही है. यह डबल डेकर बस यात्रियों को लेकर दिल्ली से मऊ के लिए निकली थी. यात्रियों का कहना है कि बस का ड्राइवर बहुत तेज गाड़ी चला रहा था और सामने ट्रक को देखकर समय पर ब्रेक नहीं लगा पाया. एक अधिकारी ने कहा कि मृतकों के परिजन को सूचित किया जा रहा है.

अर्थी से अचानक उठ बैठी महिला, हाथ हिलाया और करने लगी बात, फिर परिवार में खुशी की लहर.

तमिलनाडु के त्रिची से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है. यहां एक घर में रहने वाली 65 साल की वृद्ध महिला की बीमारी से मौत हो गई थी. महिला की मौत के बाद जब बुधवार को उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर पहुंचे तो अचानक एक ‘चमत्कार’ हुआ. महिला के शव को इससे पहले कि चिता में रखते, उसके शरीर में हलचल होने लगी. यह देख सभी डर गए. वो अर्थी से कई फीट दूर हो गए. तभी महिला उठ खड़ी हुई. यह देख लोग हैरान रह गए. महिला को जिंदा देख उसके परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी.

मामला मनाप्पराई के मारुंगापुरी स्थित करुमलाई सुरंगमपट्टी गांव का है. यहां पम्पैयान (72) और उनकी पत्नी चिन्नाम्मल (65) रहते हैं. परिवार के बाकी सदस्य भी उनके घर के आस-पास ही रहते हैं. 16 नवंबर का दिन था. दोपहर का खाना खाते ही चिन्नामल की तबीयत अचानक से बिगड़ने लगी. यह देख पति पम्पैयान घबरा गए. उन्होंने परिवार के बाकी सदस्यों की मदद से चिन्नामल को अस्पताल पहुंचाया.

लेकिन रास्ते में ही महिला की तबीयत बिगड़ गई और उसके शरीर में हलचल होना बंद हो गया. परिवार वाले यह देख घबरा गए. उन्होंने नब्ज चेक की. पाया कि नब्ज ने काम करना बंद कर दिया है. महिला सांस भी नहीं ले रही थी. परिजनों ने सोचा कि महिला की मौत हो गई है. इसलिए वो वापस महिला को घर ले आए. यहां महिला के अंतिम संस्कार की तैयारी की गई.

हिलने-डुलने लगा शव

घर के लोगों ने बाल मुंडवाए. पंडित को बुलाकर सारे रस्म क्रियाएं पूरी कीं. फिर अर्थी को सजाया गया. उसके बाद महिला का अंतिम संस्कार करने शव को एम मेट्टुपट्टी के श्मशान घाट पर ले गए. इस दौरान महिला के कई रिश्तेतार और गांव वाले भी मौजूद थे. चिता पर लकड़ियां रखी गईं. जैसे ही परिजन महिला के शव को चिता पर रखने के लिए उठाने लगे तो पाया कि डेड बॉडी तो हिल-डुल रही है. यह देख वहां मौजूद लोग घबरा गए.

‘मृत’ महिला उठ गई

फिर देखा कि अचानक से महिला उठ गई. पहले उसने हाथ-पांव हिलाए. अंगड़ाई ली फिर वो यहां वहां सभी को देखने लगी. महिला खुद भी हैरत में थी कि ये सब क्या हो रहा है. तब लोगों ने उसे पूरी बात बताई. अब यह मामला पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

बिटकॉइन घोटाले में ईडी ने रायपुर में गौरव मेहता के ठिकानों पर की छापेमारी

ईडी 2018-19 में हुए बिटकॉइन सकैम में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. गौरव मेहता की एनसीपी नेता सुप्रिया सुले और कांग्रेस नेता नाना पटोले के साथ बातचीत का ऑडियो और स्क्रीटशॉट वायरल हो गया है. बीजेपी ने ऑडियो और स्क्रीनशॉट जारी किए हैं. ईडी अमित भारद्वाज और उसके परिवार के खिलाफ इस साल आरोपपत्र दाखिल की है.

दरअसल इस सकैम का मास्टरमाइंड अमित भारद्वाज नाम का शख्स था, जिसने बिटकॉइन में इन्वेस्टमेंट के नाम पर स्कैम किया था, जिसमें सैकड़ों इन्वेस्टर के साथ धोखाधड़ी की गई. बिटकॉइन में इन्वेस्ट कर हर महीने 10 परसेंट रिटर्न्स का वादा किया गया था. इस तरह 2017 में 6600 करोड़ की कीमत के बिटकॉइन इकठ्ठा कर लिए गए.

अमित भारद्वाज इस स्कैम करने के बाद दुबई भाग गया था,लेकिन उसे वापस भारत डिपोर्ट कर दिया गया था. अमित भारद्वाज कि साल 2022 में हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी.

शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पर लगे हैं आरोप

इसी स्कैम में शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को यूक्रेन में बिटकॉइन माइनिंग फार्म खोलने के नाम पर 285 बिटकॉइन अमित भारद्वाज ने दिए थे. इन बिटकॉइन की कीमत उस वक्त करीब 150 करोड़ रुपये थी. इस मामले में करीब 40 एफआईआर महाराष्ट्र और पंजाब में दर्ज हुई थी.

इस मामले की जांच के लिए पूर्व आईपीएस और साइबर एक्सपर्ट रविन्द्र नाथ को भी जांच टीम में लिया गया था. आरोप है कि उस वक्त के पुणे पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता और एक आईपीएस भाग्य श्री ने बिटकॉइन के इन वॉलेट को हथिया लिया था. और बदले में वो बिटकॉइन वॉलेट रख दिये गए जिनमे पैसे नही थे.

रविंद्र नाथ गुप्ता ने गिरफ्तारी के बाद खोला था राज

इस स्कैम में रविंद्र नाथ को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. रविंद्रनाथ को जब जेल भेजा गया था तो उस समय गौरव मेहता ने इस मामले में गवाही दी थी. गौरव मेहता में इस मामले में महत्वपूर्ण किरदार हैं. रविन्द्र नाथ का दावा है कि उसे गौरव मेहता ने फोन पर बताया था कि आपको अमिताभ गुप्ता और भाग्यश्री ने फंसाया है.

आरोप लगा कि बिटकॉइन को जो असली वॉयलेट वो उनके पास है और उस पर एक लेयर है. नाना पटोले के साथ-साथ सुप्रिया सुले भी शामिल हैं. इस मामले में ED ने शिम्पी भारद्वाज, नितिन गौड़ और निखिल महाजन को गिरफ्तार किया था

शिंपी भारद्वाज अमित भारद्वाज के भाई अजय भारद्वाज की पत्नी है. इसके लिए सबूत के रूप में ऑडियो क्लिपिंग भेजे गए. इनका 2019 और 2024 में इस्तेमाल हुआ.।

हाथरस में बंदरों की मौत का मामला: एफसीआई गोदाम में 145 बंदरों की मौत, जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एफसीआई के एक गोदाम में गेहूं में मिलाया जाने वाला पदार्थ खाकर बड़ी संख्या में बंदरों की मौत हो गई. एफसीआई गोदाम के कर्मियों ने बिना प्रशासन को सूचित किए, इन बंदरों के शवों को गोदाम परिसर में ही गड्ढा खुदवाकर दफन करा दिया. इस घटना को लेकर कुछ हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता को जानकारी हुई तो उन्होंने एफसीआई गोदाम पर जाकर हंगामा किया और कार्रवाई की मांग की है.

वहीं इस मामले की जैसे ही प्रशासन को जानकारी मिली तो एडीएम सदर, एसडीएम सदर, सीओ सिटी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए. अधिकारियों ने जब गोदाम के कर्मचारियों से पूछताछ की गई. वहीं, एफसीआई के गोदाम में टेक्नीशियन के पद पर तैनात एक कर्मचारी ने 145 बंदरों की मौत की बात प्रशासनिक अधिकारियों के सामने कही है. और बिना प्रशासन को सूचित किए इन बंदरों को गोदाम परिसर में ही दफना दिया गया था. वहीं गोदाम के इंचार्ज ने कहा कि मृतक बंदरों की आत्मा की शांति के लिए शनिवार को वह अपनी ओर से परिसर में सुंदरकांड का पाठ कराएंगे.

मामले की जांच के आदेश

प्रशासनिक अधिकारी पूरे मामले की जांच पड़ताल में जुट गए. अधिकारियों ने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है और यदि जरूरत होगी तो जहां बंदरों के शव को दफनाया गया है उस जगह की खुदाई भी कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हुई तो बंदरों का पोस्टमार्टम भी कराया जाएगा. प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि कहीं न कहीं लापरवाही तो हुई है.

आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

इस मामले में हाथरस नगर पालिका परिषद की चेयरमैन के पति तथा पूर्व सांसद राजेश दिवाकर भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि मामले में लापरवाही तो हुई है जिसके संबंध में दोषी कर्मचारियों के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा. उन्होंने यह भी बताया है कि नगर पालिका की ओर से शीघ्र बंदरों को पकड़ने की कार्रवाईकराईजाएगी.

दिल्ली में सोलर क्रांति: मुख्यमंत्री आतिशी ने शुरू किया सोलर पोर्टल, 2026 तक 25% बिजली सोलर से हासिल करने का लक्ष्य

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सोलर पोर्टल शुरू करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने हमेशा क्लीन नॉन पोल्यूटिंग एनर्जी पर फोकस रखा है. सरकार की मंशा दिल्ली में प्रदूषण को कम करना और सोलर बिजली की खपत को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने 14 मार्च 2024 को अपनी सोलर पालिसी जारी की थी. दिल्ली सरकार 2026 तक खपत होने वाली कुल बिजली का 25% हिस्सा नॉन रिन्यूवल एनर्जी से हासिल कर लेना चाहती है. जिसमें 750 MW बिजली रूफ टॉप सोलर पैनल से आए.

सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले ही तय कर लिया था कि सरकारी इमारतों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाएगी, अब इसका काम तेज गति से चल रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पोर्टल पर रूफ टॉप सोलर लगाने आने वाले वेंडर की डिटेल और रेट लिस्ट भी मौजूद है. यह पोर्टल सिंगल विंडो ऑफ इनफार्मेशन के लिए है. अगर आपके सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली आपकी खपत से ज्यादा है तो दिल्ली सरकार आपको 3 रुपये पर यूनिट बिजली के हिसाब से पैसे भी देगी.

रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने की कोशिश

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2027 तक दिल्ली में एक एनर्जी का एक बड़ा हिस्सा नॉन पोल्यूटिंग एनर्जी सिस्टम से पैदा करना है. 750 मेगावाट बिजली हम रूफटॉप सोलर से बना सकते हैं. रूफटॉप सोलर लोग अपने घरों पर लगा सकते हैं. इसकी काफी मांग थी. दिल्ली में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपने घरों पर सोलर पैनल लगा सकता है.

सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्ली सोलर पॉलिसी क्या है? इसे लगाया कैसे जा सकता है? इस सोलर पॉलिसी से क्या फायदा मिलेगा? इन सब सवालों का जवाब पोर्टल पर मिलेगा. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति रूफ टॉप सोलर पैनल लगाएगा नेट मीटरिंग के लिए भी एलिजिबल होंगे.

सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने होंगे

उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के जरिए किसी भी सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. छत पर कितनी सोलर एनर्जी जनरेट हो सकती है और कितने वॉट के सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं, वह जानकारी भी इसी सोलर पोर्टल के जरिए मिलेगी. इस पॉलिसी से सिर्फ आपका बिजली बिल का बिल जीरो नहीं होगा बल्कि आप इसके जरिए पैसे भी कमा सकते हैं. अगर लोग ज्यादा बिजली सोलर पैनल के जरिए बनाएंगे तो दिल्ली सरकार इंसेंटिव भी देगी.

स्वामी रामभद्राचार्य फिर अस्पताल में भर्ती, देहरादून के सिनर्जी हॉस्पिटल में चल रहा इलाज

तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य की छाती में संक्रमण हो गया है. उन्हें देहरादून के सिनर्जी अस्पताल में मंगलवार को भर्ती कराया गया है. उनकी जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि रामभद्राचार्य के स्वास्थ्य को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. उनकी छाती में हुए संक्रमण का इलाज किया जा रहा है. वैसे भी रामभद्राचार्य डायबिटिज और हार्ट के रोगी हैं और वह हर छह महीने पर रूटीन चेकिंग के लिए देहरादून आते हैं. अस्पताल के डॉ. कृष्ण अवतार के मुताबिक फिलहाल उन्हें सांस लेने में दिक्कत की थी.

उपचार के बाद उन्हें अब राहत है. जानकारी के मुताबिक, रामभद्राचार्य को पहले से डायबिटिज है. इधर, मौसम बदलने की वजह से उन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत होने लगी थी. ऐसे हालात में उन्हें देहरादून के सिनर्जी अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने उनकी हालत देखकर भर्ती कर लिया है. सभी तरह की जांच कराने के बाद सिनर्जी अस्पताल के एमडी डॉ. कृष्ण अवतार ने बताया कि उनकी छाती में संक्रमण की वजह से सांस लेने में दिक्कत हुई थी.

सुगर के मरीज हैं रामभद्राचार्य

अब अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्हें राहत मिल गई है. इसके अलावा उनके डायबिटिज और हार्ट की जांच का भी समय हो गया था. डॉक्टरों के मुताबिक जांच में सबकुछ ठीक पाया गया है. ऐसे में जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. उधर, रामभद्राचार्य की तबियत खराब होने की खबर से उनसे जुड़े भक्तों को चिंता सताने लगी थी.

जल्द पहुंचेंगे चित्रकूट

लोग तुलसी पीठ में फोन कर उनका हालचाल ले रहे थे. बड़ी संख्या में लोग उनके आश्रम भी पहुंच गए. ऐसे में रामभद्राचार्य ने अपने शुभचिंतकों को परेशान नहीं होने का संदेश दिया है. उनके शुभचिंतकों तक पहुंचाई जा रही खबर में बताया गया है कि उनकी तबियत पहले से बेहतर है और जल्द ही वह डिस्चार्ज होकर चित्रकूट पहुंच जाएंगे.

दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए बड़ा फैसला: 50% सरकारी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे

राजधानी दिल्ली में कल यानि 21 नवंबर से 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे. बढ़ते प्रदूषण और GRAP-4 लागू होने पर दिल्ली सरकार ने ये फैसला लिया है. दिल्ली सरकार और MCD की जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी ऑफिस के कर्मचारी 50 प्रतिशत कैपिसिटी के साथ काम करेंगे. दिल्ली सरकार ने प्राइवेट कंपनियों के लिए भी 50 प्रतिशत कैपेसिटी के साथ ऑफिस चलाने के निर्देश दिए हैं.

बता दें कि दिल्ली नगर निगम (MCD) सहित दिल्ली सरकार के लगभग 80 विभागों और विभिन्न एजेंसियों में लगभग 1.4 लाख लोग काम करते हैं. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को एक्स पर ट्वीट कर कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार के कार्यालयों के 50 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करेंगे. गोपाल राय ने प्राइवेट कंपनियों, उद्योगों और व्यवसायों से भी शहर के वायु प्रदूषण संकट को कम करने में मदद के लिए इसी तरह के उपाय लागू करने का आग्रह किया.

कर्मचारियों के लिए बस सेवाएं दें कंपनियां

गोपाल राय ने सुझाव दिया कि प्राइवेट कंपनियां व्यस्त समय के दौरान वाहनों की भीड़ को कम करने के मद्देनजर ऑफिस समय को सुबह 10:30 से 11:00 बजे के बीच करने पर विचार करें. उन्होंने कहा कि ऑफिस समय को समायोजित करने से न केवल ट्रैफिक का दबाव कम होगा, बल्कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर भी अंकुश लगेगा. वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने बड़ी कंपनियों को कर्मचारियों के लिए बस सेवा की व्यवस्था करने की सलाह दी.

आज दिल्ली का AQI 426 दर्ज किया गया

गोपाल राय ने कहा कि हम प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने का फैसला इसी प्रयास का हिस्सा है. हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा. दिल्ली में बुधवार को भी जहरीली हवा और प्रदूषण चरम पर रहा. दिल्ली में आज AQI 426 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में है. इसके अलावा बीती रात को दिल्ली में इस मौसम की अब तक की सबसे सर्द रात दर्ज की गई.

बीपी के मरीजों के लिए नई दवा की उम्मीद: एम्स की स्टडी में 70 फीसदी मरीजों में दिखा असर

बीपी के मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर है. दरअसल एम्स और इंपीरियल लंदन की रिसर्च टीम ने दो दवाओं के कॉम्बिनेशन से एक सिंगल डोज दवाई तैयार किया है जो कि बीपी को कंट्रोल कर सकता है. स्टडी में दावा किया गया है कि अनकंट्रोल ब्लड प्रेशर के लिए ये काफी प्रभावशाली है.

स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि यह कॉम्बेनिशेन बीपी के 70 फीसदी मरीजों में कारगर पाई गई. वहीं पहले की तुलना में यह दवा पांच गुना अधिक फायदेमंद साबित हुई है. स्टडी को इंटरनैशनल जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी कार्डियोवैस्कुलर रिस्त एंड प्रिवेंशन ने अपने हाल के अंक में प्रकाशित किया है.

इस स्टडी का महत्व कितना बड़ा है?

ICMR-इंडिया डायबिटीज की स्टडी कहती हैं कि भारत में 3 करोड़ 15 लाख लोग हाई ब्लड प्रेशर के पेशेंट हैं. बीपी से कई दूसरी बीमारियां भी होती है, जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक वगैरह. ठंड में तो ये और बढ़ जाती है. इसलिए इसे काबू करना अहम है.

1,981 लोगों पर आधारित एम्स की स्टडी भारत के 35 जगहों पर की गई जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल थे. भाग लेने वाले मरीजों की उम्र 30 से 79 वर्ष के बीच थी. और ये पहली बार भी है कि इस भारत की जनसंख्या के लिए इस तरह की रिसर्च की गई है.

मार्केट में बीपी की कई दवाएं मौजूद है. दो दवाओं के कॉम्बिनेशन से बनी डोजा भी दी जाती है. मगर अभी तक इस पर स्टडी नहीं की गई थी कौन सी दवा किस मरीज पर कारगर है. इससे पहले अफ्रीकन कॉम्बिनेशन वाली डोज की मदद से इलाज किया जाता था. इसलिए इस स्टडी की मदद से डॉक्टरों को हाई बीपी के इलाज के लिए सही कॉम्बिनेशन चुनने में मदद मिलेगी.

70 फीसदी मरीजों का बीपी हुआ कंट्रोल

इस स्टडी में तीन प्रमुख कॉमन कॉम्बिनेशन दवा का इस्तेमाल किया गया. एमलोडिपाइन+पेरिंडोप्रिल, एमलोडिपाइन+ इंडापामाइड और पेरिंडोप्रिल+इंडापामाइड. रिसर्च के मुताबिक सिंगल पिल से 70 फीसदी मरीजों में बीपी कंट्रोल करने में सफलता मिली. लगभग 70 फीसदी मरीजों का बीपी <140/90 mmHg तक पहुंच गया जो कि भारत की मौजूदा कंट्रोल की दर से 5 गुना बेहतर है. 3 फीसदी से भी कम लोगों ने साइड इफेक्ट्स के कारण दवा छोड़ी.

कर्नाटक में नक्सली विक्रम गौड़ा का एनकाउन्टर: पुलिस की बड़ी सफलता

कर्नाटक के उडुपी जिले में एएनएफ यानि एंटी-नक्सल फोर्स ने 46 साल के एक खतरनाक नक्सली को मार गिराया. अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नक्सली विक्रम गौड़ा करकला तालुक के ईडू गांव का रहने वाला था. राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि एएनएफ इस नक्सली को करीब 20 साल से पकड़ने की कोशिश में जुटा हुआ था. आंतरिक सुरक्षा की पुलिस महानिरीक्षक डी रूपा मौदगिल ने बताया कि विक्रम गौड़ा नक्सलियों के ‘कबिनी 2’ समूह का नेतृत्व करता था.

उन्होंने कहा कि विक्रम गौड़ा के खिलाफ कर्नाटक में हत्या और जबरन वसूली सहित कई केस दर्ज कराए गए हैं. उसपर कर्नाटक में कुल 61 और केरल में 19 मामले दर्ज कराए गए हैं. गृहमंत्री ने उसे खूंखार नक्सली बताते हुए कहा कि वो मुठभेड़ समय पुलिस को चकमा देकर कई बार भाग चुका था. उसने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था.

तलाशी अभियान के दौरान दिखा नक्सली

अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षाबलों की तरफ से गहन तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. उसी समय एएनएफ के अधिकारियों ने नक्सलियों के एक बड़े समूह को देखा. नक्सलियों ने एएनएफ को देखते ही तेज गोलीबारी शुरू कर दी.नक्सलियों पर एएनएफ फोर्स की तरफ से जवाबी कार्रवाई की गई. जवाबी कार्रवाई में विक्रम गौड़ा मारा, जो 20 सालों से फरार था, उसे मार गिराया गया. वहां मौके पर मौजूद दूसरे नक्सली मौके से भाग निकले.

एएनएफ के अधिकारियों ने बताया कि नक्सली विक्रम गौड़ा पिछले दो दशकों से दक्षिण भारत में कई सारे नक्सली अभियानों की देख-रेख कर रहा था. उसने कुछ समय केरल और फिर बाद में तमिलनाडु के कुछ इलाकों में छिपा रहा. इसी बीच वो कई बार कर्नाटक के कोडागु भी पहुंचा. जी परमेश्वर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विक्रम गौड़ा काफी सालों से सक्रिय था. वो एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर रहता था.

20 सालों से नहीं पकड़ा जा सका था

जी परमेश्वर ने बताया कि एएनएफ उसे पकड़ने के लिए लगातार उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा था. इसके बावजूद भी 20 सालों से उसे पकड़ा नहीं जा सका. पिछले हफ्ते राजू और लता नाम के नक्सलियों को एएनएफ की टीम ने देखा था. उस समय वो पकड़े नहीं जा सके थे, इसलिए समय-समय पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा था. कर्नाटक के पश्चिमी घाट में नक्सलियों के दो बड़े समूह सक्रिय हैं और उनमें से सबसे बड़े समूह का नेतृत्व विक्रम गौड़ा कर रहा था. अधिकारियों के मुताबिक, विक्रम गौड़ा की टीम के खास 3-4 लोग फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.

छत में दरारें, कभी भी गिर सकता है पंखा… जान हथेली पर लेकर बच्चे कर रहे पढ़ाई

स्कूल हो बदहाल तो कैसे पढ़ेंगे नौनिहाल, ऐसा इसीलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के धोबनपुरी के सरकारी स्कूल में कुछ भी ठीक नही चल रहा है. सरकार लाख दावे कर ले स्कूल शिक्षा को सुधारने और गुणवत्ता लाने की मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. स्कूल के हालात इतने खराब हैं कि ठंड के मौसम में भी छात्रों को जमीन में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. स्कूल की इमारत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. छत का प्लास्टर गिर रहा है. हालांकि जिम्मेदारों ने स्कूल की तरफ देखना तो दूर इसकी जानकारी लेना भी छोड़ दिया है.

जानकारी के मुताबिक छात्रों को स्कूल के बरामदे में जमीन में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. वहीं प्रधान पाठक का कार्यालय स्कूल के बाहर बरामदे में लग रहा है. इसके अलावा अब छात्रों के लिए गांव के सामुदायिक भवन का भी सहारा लिया गया है. हालांकि जहां बच्चे पढ़ रहे हैं वहां की दीवारों में पान की पिचकारी नजर आ रही है.

जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं है मामले की जानकारी

मामले में गांव की सरपंच की माने तो सभी जगह आवेदन दिया सरकार सिस्टम को जगाने की कोशिश को मगर कुछ नहीं हुआ. वहीं स्कूल के प्रिसिंपल ने इसको लेकर बताया कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को हालात के बारे में बताया मगर उन्होंने आज तक स्कूल का निरीक्षण कर ये भी जानने की कोशिश नहीं की आखिर स्कूल कैसे चल रहा है? ऐसे में मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से जब बात की गई तो उन्हें अपने जिले के शिक्षा व्यवस्था व स्कूल भवन की जानकारी ही नहीं है.

जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश

जानकारी के मुताबिक जर्जर स्कूल से निजात पाने के लिए बालोद जिले में स्कूली बच्चों, पालकों और ग्रामीणों ने आंदोलनों, चक्काजाम और स्कूलों में तालाबंदी तक की है, लेकिन इसके बावजूद जिले के सरकारी स्कूल की हालात में कोई सुधार नहीं नजर आया. जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस मामले से अंजान बनकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं.