लाइव फुटबॉल मैच में गिरी बिजली, 1 खिलाड़ी की मौत, कई प्लेयर जख्मी, मच गया हड़कंप

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खेल जगत से एक दुखद खबर सामने आ रही है, जिसने फैन्स समेत दिग्गजों को भी निशब्द कर दिया है. एक फुटबॉल मैच के दौरान अचानक मैदान पर आकाशीय बिजली गिर गई. इसकी चपेट में आने से एक खिलाड़ी की मौत हो गई. जबकि रेफरी समेत कई खिलाड़ी बुरी तरह जख्मी हो गए हैं.

गंभीर रूप से जख्मी खिलाड़ियों और रेफरी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है. यह दुखद घटना पेरू से सामने आ रही है. पेरू के चिलका में 3 नवंबर को दो घरेलू क्लब जुवेटड बेलाविस्टा और फैमिलिया चोका के बीच मैच चल रहा था. इसी दौरान यह हादसा हुआ.

यह हादसा उस वक्त हुआ, जब मैच का पहला हाफ चल रहा था. इस दौरान तक जुवेंटड बेलाविस्टा ने मैच में 2-0 से बढ़त बना रखी थी. इसी दौरान मौसम ज्यादा खराब हो गया, तो रेफरी ने विसल बजाकर गेम रोक दिया. साथ ही खिलाड़ियों को मैदान से बाहर जाने को कहा.

खिलाड़ी जा ही रहे होते हैं कि अचानक बिजली गिर जाती है. यह बिजली 39 साल के प्लेयर जोस होगो डे ला क्रूज मेजा पर गिरती है. जिनकी मौत हो जाती है. बिजली गिरने से रेफरी समेत एक साथ 5 खिलाड़ी जमीन पर गिर पड़ते हैं.

पहले भी बिजली गिरने से हुई फुटबॉलर की मौत

इस हादसे में 40 साल के गोलकीपर हुआन चोका गंभीर रूप से झुलस जाते हैं. उनके शरीर पर जलने के निशान भी हैं. बिजली गिरने के बाद जमीन पर गिरे प्लेयर्स में से 1-2 उठने की भी कोशिश करते हैं. इन सभी घायल खिलाड़ियों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.

बिजली गिरने से फुटबॉलर की मौत की यह घटना पहली नहीं है. इसी साल फरवरी में इंडोनेशिया के वेस्ट जावा के सिलिवांगी स्टेडियम में एक दोस्ताना फुटबॉल मैच हुआ था. तब अचानक बिजली गिरने से 35 साल के सेप्टन राहराजा की मौत हो गई थी. तब राहराजा जख्मी हुए थे. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया था.

डिप्टी CM पवन कल्याण ने सनातन की रक्षा के लिए उठाया बड़ा कदम, BJP का भी मिला साथ, ‘भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले को मिलेगी सजा’

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आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने ‘नरसिंह वाराही विंग’ बनाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जनसेना ‘आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सनातन धर्म की रक्षा’ के लिए प्रयास के तहत ‘नरसिंह वाराही विंग’ की स्थापना करेगी.

पवन कल्याण ने कहा, ‘हिंदू मंदिरों में जाने और सनातन धर्म का पालन करते समय कुछ मूल्यों को बरकरार रखा जाना चाहिए. हमें यह समझना होगा कि सनातन धर्म के बिना देश वैसा नहीं रह पाएगा. सनातन न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए एक मार्गदर्शक ज्योति है.’

उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म या सनातन धर्म का मजाक उड़ाने वाली कोई भी पोस्ट बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उस दिशा में एक कदम के रूप में, जेएसपी ने सनातन धर्म संरक्षण विंग या नरसिंह वाराही समूह का गठन किया है.’

पवन कल्याण की घोषणा पर बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा, ‘लोग हद पार कर सनातन धर्म के बारे में बेतुकी बातें कह चुके हैं. देखिए तमिलनाडु के डिप्टी सीएम ने सनातन के बारे में क्या कहा. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना एक बीमारी से कर दी. क्या किसी भी धर्म के बारे में ऐसा कहा जाना चाहिए? सनातन को ही निशाना क्यों? अगर कोई सनातन धर्म को मजबूत करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है?’

पवन कल्याण ने कहा, ‘चर्च और मस्जिद का भी सम्मान करना होगा. साथ ही अगर कोई सनातन धर्म के खिलाफ कुछ भी करके लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है तो उसे सजा मिलेगी. मैं जनसेना की ओर से बोल रहा हूं, न कि एनडीए सरकार की ओर से. कई लोगों ने हमसे एक यूथ विंग, कल्चरल विंग आदि रखने के लिए कहा. इन सबके पहले, लक्ष्मी नरसिंह स्वामी का आशीर्वाद लेकर, मैं घोषणा करना चाहता हूं कि हम सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक विंग बनाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हम नरसिंह वाराही गणम की घोषणा कर रहे हैं, जो सनातन धर्म की रक्षा के लिए जन सेना का समूह है. हम दोनों तेलुगु राज्यों में सनातन धर्म की रक्षा के लिए इसका गठन करेंगे. मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं लेकिन अहम बात यह है कि मैं सनातन धर्म की रक्षा करना चाहता हूं और इसके लिए काम करूंगा.’

उल्टा लटकाकर पूरे शहर में घुमाऊंगा', इंदौर में हुए पथराव पर बोले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय

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मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दीपावली पर पटाखे फोड़ने को लेकर हुए विवाद पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शांति भंग करने वाले तत्वों से सख्ती से निपटा जाएगा। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजयवर्गीय ने उपद्रवियों को चेतावनी दी, "अगर वे मेरे हाथ लग गए तो मैं उन्हें उल्टा लटका दूंगा और पूरे शहर में घुमाऊंगा। इस शहर में कोई अशांति नहीं फैला सकता।"

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "प्रशासन इस मामले में बहुत सक्रियता से काम कर रहा है। अगर जरूरत पड़ी, तो हम भी इसमें शामिल होने से पीछे नहीं हटेंगे। हम इस शहर की शांति बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।" मंत्री विजयवर्गीय ने विवाद से प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। एक महिला ने उनसे कहा कि इलाके में डर का माहौल है। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि अब किसी की हिम्मत नहीं होगी किसी को डराने की।

पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि भी पहुंचे। इलाके में किसी अप्रिय हालात से बचने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। गौरतलब है कि शहर के छत्रीपुरा थाना क्षेत्र में 1 नवंबर को पटाखे फोड़ने को लेकर दो समूहों में झड़प हो गई थी, जिसमें 6 लोग मामूली रूप से चोटिल हुए। पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया है।

निजी संपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-हर प्राइवेट प्रॉपर्टी को सरकार नहीं ले सकती

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सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने मंगलवार को निजी संपत्तियों के अधिग्रहण किए जाने को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा कि हर निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत सामुदायिक संपत्ति का हिस्सा नहीं माना जा सकता। बेंच ने अपने अहम फैसले में कहा कि सरकार सभी निजी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक कि सार्वजनिक हित ना जुड़ रहे हों। इस फैसले के साथ ही 9 जजों की पीठ ने 1978 के सुप्रीम कोर्ट के ही ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह जजमेंट संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूंड़ की अगुवाई वाली 9 जजों की बेंच दशकों पुराने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 जजों की बेंच के मामले में बहुमत से अपना फैसला सुनाया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिय था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मामले में फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'तीन जजमेंट हैं, मेरा और 6 जजों का... जस्टिस नागरत्ना का आंशिक सहमति वाला और जस्टिस धुलिया का असहमति वाला। हम मानते हैं कि अनुच्छेद 31सी को केशवानंद भारती मामले में जिस हद तक बरकरार रखा गया था, वह बरकरार है।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि सरकार के निजी संपत्तियों पर कब्जा कर सकने की बात कहने वाला पुराना फैसला विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी निजी संपत्तियां भौतिक संसाधन नहीं हो सकती हैं, इसलिए सरकार की ओर से इन पर कब्जा नहीं किया जा सकता। बहुमत ने फैसले में व्यवस्था दी है कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है, राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सार्वजनिक हित के लिए हैं और समुदाय के पास हैं।

1978 के फैसलों को पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही 1978 के जस्टिस कृष्णा अय्यर के उस निर्णय को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी संपत्तियों का सरकार द्वारा अधिग्रहण किया जा सकता है। जस्टिस अय्यर के पिछले फैसले में कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि पुराना शासन एक विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था।

सलमान को फिर मिली जान से मारने की धमकी, अबकी बार मांगे 5 करोड़
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* सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के निशाने पर हैं। बॉलीवुड स्टार सलमान खान को लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही है। एक बार फिर सलमान खान के लिए धमकी भरा मैसेज मिला है। सलमान खान को लॉरेंस बिश्नोई के नाम एक धमकी भरा मैसेज मुंबई पुलिस की ट्रैफिक कंट्रोल सेल को मिला है। इसमें सलमान खान से मंदिर जाकर माफी मांगने और पांच करोड़ रुपये देने की मांग की गई है। पिछले हफ्ते 30 अक्तूबर को मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल को सलमान खान के खिलाफ इसी तरह की धमकी मिली थी। तब सलमान से दो करोड़ रुपये की मांग की गई थी। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल सेल को लॉरेंस बिश्नोई के नाम से धमकी भरा मैसेज आया है। ट्रैफिक कंट्रोल रूम को भेजे गए मैसेज में दावा किया गया है कि लॉरेंस बिश्नोई के भाई की तरफ से यह धमकी भरा मैसेज भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि अगर सलमान खान जिंदा रहना चाहते हैं, तो उन्हें हमारे मंदिर में जाकर माफी मांगनी चाहिए या फिर 5 करोड़ रुपये देने चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता, तो वो सलमान खान को जान से मार देंगे। इस मैसेज में लिखा गया है कि हमारी गैंग आज भी सक्रिय है। *मैसेज में लॉरेंस बिश्नोई के भाई होने का दावा* पुलिस सूत्रों की मानें तो मुंबई पुलिस के ट्रैफिक कंट्रोल रूम को बीती रात व्हाट्सएप पर गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम से एक धमकी भरा संदेश मिला। ट्रैफिक कंट्रोल रूम को भेजे गए संदेश में दावा किया गया है कि वह लॉरेंस बिश्नोई का भाई है। *30 अक्तूबर को इसी तरह की धमकी मिली थी* पुलिस संदेश की जांच कर रही है। इसे पहले पिछले हफ्ते 30 अक्तूबर को मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल को सलमान खान के खिलाफ इसी तरह की धमकी मिली थी। तब बॉलीवुड अभिनेता से कथित तौर पर दो करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गई थी और इसे न देने पर उन्हें जान से मार डालने की धमकी दी गई थी। जिसके बाद मुंबई पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद मुंबई पुलिस ने एक व्यक्ति को मुंबई के बांद्रा इलाके से गिरफ्तार किया गया था। *बाबा सिद्दीकी के मर्डर के बाद फिर गरमाया मामला* बता दें कि अभी कुछ दिन पहले सलमान के करीबी दोस्त और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की मुंबई के बांद्रा में उनके कार्यालय के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाबा सिद्दीकी पहले कांग्रेस के नेता थे। इसके बाद वह एनसीपी में शामिल हो गए थे। उनकी हत्या 12 अक्टूबर को अज्ञात व्यक्तियों ने की थी। सलमान और बाबा सिद्दीकी करीबी दोस्त थे। लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली थी। कहा गया कि सलमान के करीबी होने की वजह से वह लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर आए। हालांकि, पुलिस हत्या के मामले की जांच कर रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावःकैसे चुना जाता है नया राष्ट्रपति, क्या है 'इलेक्टोरल कॉलेज' सिस्टम

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अमेरिका में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं, अब से कुछ ही घंटों बाद जब अमेरिका में सुबह होगी तो लाखों करोड़ों अमेरिकी अपने-अपने मतों का इस्तेमाल करने घर से बाहर निकलेंगे। अमेरिका में महीनों से चल रही राष्ट्रपति पद की रेस का प्रचार 4 नवंबर की रात थम गया। अब इंतजार है मंगलवार की सुबह 7 बजे से शुरु होने वाले मतदान का जो तय करेगा कि व्हाइट हाउस में अगले 4 साल के लिए कौन सा चेहरा होगा। अमेरिका के दो सबसे प्रमुख राजनीतिक दल रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस चुनावी मैदान में हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होनी है, लिहाजा चुनावी नतीजे भी काफी चौंकाने वाले हो सकते हैं।

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वोटिंग का समय क्या है?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग अलग-अलग राज्यों के स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से लेकर 9 बजे के बीच शुरू होगी। यह भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे से लेकर रात 9:30 बजे तक का समय होगा। वहीं मतदान के लिए अंतिम समय की बात करें तो ज्यादातर वोटिंग सेंटर्स शाम 6 बजे से लेकर देर रात तक जारी रह सकते हैं। यानी अमेरिका में वोटिंग खत्म होने तक भारत में अगला दिन शुरू हो जाएगा। यानी अमेरिका में मतदान भारतीय समयानुसार बुधवार की सुबह 4:30 बजे तक खत्म हो सकते हैं। कई राज्यों में यह समय और अधिक हो सकता है क्योंकि अमेरिका के राज्य कई अलग-अलग टाइम जोन में बंटे हुए हैं।

कब आएंगे नतीजे?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही मतों की गिनती शुरू हो जाएगी। काउंटिंग खत्म होने पर पॉपुलर वोट (जनता के वोट) का विजेता घोषित किया जाता है, लेकिन यह हर बार जरूरी नहीं कि जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा पॉपुलर वोट मिले हैं वह वाकई में राष्ट्रपति पद का विजेता हो। क्योंकि अमेरिका में असल में राष्ट्रपति का चुनाव पॉपुलर वोट्स नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज करते हैं। इसके अलावा कई बार ऐसा भी हो सकता है कि किसी राज्य में अनुमानित विजेता घोषित किया जा रहा हो जबकि दूसरे में वोटिंग जारी हो। लिहाजा कई बार सटीक नतीजे आने में एक-दो दिन का समय लग जाता है। वहीं दिसंबर में इलेक्टर्स की वोटिंग के बाद 25 दिसंबर तक सारे इलेक्टोरल सर्टिफिकेट सीनेट के प्रेसिडेंट को सौंप दिए जाएंगे। इसके बाद 6 जनवरी, 2025 को कांग्रेस के संयुक्त सत्र में इलेक्टर्स के वोटों की गिनती होगी, इसी दिन उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस सदन में विजेता के नाम का ऐलान करेंगी।

इलेक्टोरल कॉलेज क्या होते हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका सबसे अहम होती है। इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिका के हर राज्य के लिए तय किए गए इलेक्टर्स की संख्या है। किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए 538 में से 270 इलेक्टोरल कॉलेज जीतने होंगे। हर राज्य को यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और अमेरिकी सीनेट में उसके प्रतिनिधियों की संख्या के अनुसार ही इलेक्टर्स मिलते हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा 55 इलेक्टर्स कैलिफोर्निया स्टेट में हैं, वहीं सबसे कम इलेक्टर्स की संख्या 3 है, जो कि अमेरिका के वायोमिंग समेत 6 राज्यों में हैं। हालांकि सबसे ज्यादा अहमियत 7 स्विंग स्टेट्स की होती है क्योंकि ज्यादातर राज्यों की तरह इनका रुख पहले से साफ नहीं होता है और यही वजह है कि इन स्विंग स्टेट्स को प्रमुख ‘बैटल फील्ड’ माना जाता है।

किस 'स्विंग स्टेट' में कौन आगे?

अमेरिका चुनाव से पहले ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक नेवादा में ट्रंप को 51.2 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि हैरिस को 46 प्रतिशत। इसी तर्ज पर नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप को 50.5 प्रतिशत और हैरिस को 47.1 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। उधर, जॉर्जिया की बात की जाए तो यहां डोनाल्‍ड ट्रंप को 50.1% से 47.6% के अंतर से कमला हैरिस से आगे हैं। मिशिगन में ट्रंप को 49.7 प्रतिशत तो हैरिस को 48.2 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही पेंसिल्वेनिया में ट्रंप को 49.6 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47.8 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। उधर, विस्कॉन्सिन में ट्रंप 49.7 प्रतिशत और कमला हैरिस 48.6 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं।

क्या होते हैं स्विंग स्टेट?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स या युद्धक्षेत्र वाले राज्य, उन राज्यों को कहा जाता है, जो चुनाव में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी, किसी भी तरफ झुक सकते हैं। अमेरिका में कई राज्य अक्सर किसी एक ही पार्टी को वोट देते आए हैं, लेकिन जिन राज्यों में मुकाबला कड़ा रहता है और जिनका तय नहीं है कि वे किस तरफ जाएंगे, उन्हें ही स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन राज्यों में दोनों पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के दौरान ज्यादा धन और समय लगाते हैं। स्विंग स्टेट की पहचान के लिए कोई परिभाषा या नियम नहीं है और चुनाव के दौरान ही इन राज्यों का निर्धारण होता है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में मंदिर पर हुए हमले पर पहले पीएम मोदी ने सुनाया, अब एस जयशंकर बोले- ये बेहद चिंताजनक

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कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू महासभा मंदिर को खालिस्तान समर्थकों ने निशाना बनाया। हिंदू भक्तों पर भी हमला भी किया गया। हिंदू मंदिर और हिंदू समुदाय के लोगों पर खालिस्तानियों के हमले की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।कनाडा मामले पर पीएम मोदी ने पहली बार बोला और कनाडा को खूब सुनाया। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जस्टिन ट्रूडो की सरकार घेरा है।कनाडा मामले पर एस जयशंकर ने साफ कहा कि कनाडा चरमपंथी ताकतों को जगह देता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि घटना बेहद चिंताजनक है।

हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते-जयशंकर

विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने मंगलवार को अपने बयान में कहा कि 'सोमवार को खालिस्तानी झंडे लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा टोरंटो के पास कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में की गई हिंसा 'बेहद चिंताजनक' है।' विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक दौरे पर हैं और वहीं से उन्होंने यह बयान दिया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में भी विदेश मंत्री ने कनाडा की घटना पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने लिखा कि 'मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने के कायराना प्रयास भी उतने ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकते। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून व्यवस्था बनाए रखेगी।'

कनाडा घटना पर पीएम मोदी ने क्या कहा?

इससे पहले कनाडा में मंदिर में हमले की पीएम मोदी ने निंदा की। पीएम मोदी ने कहा कि हिंसा के ऐसे काम भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य कभी भी भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे। हम कनाडा सरकार से न्याय सुनिश्चित करने और कानून के शासन को बनाए रखने की उम्मीद करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सख्त लहजे में ये प्रतिक्रिया दी है। इसे कायराना हरकत करार दिया है।

पीएम मोदी के बयान से कनाडा के हिन्दुओं का भी हौसला जगा है। कनाडा के ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा है कि कनाडा में हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है। आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित बने रहेंगे। उन्होंने कहा, आज हम लोगों को अपने बारे में नहीं अपने आने वाली संतति के बारे में सोचना पड़ेगा। सबको एक होना पड़ेगा। हम किसी का विरोध नहीं करते हैं।

भारत ने हिंसा में शामिल लोगों पर कार्रवाई की उम्मीद जताई

वहीं, सोमवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत कट्टरपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करता है और उम्मीद करता है कि हिंसा में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया जाएगा। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में टोरंटो के उपनगर ब्रैम्पटन में खालिस्तानियों का हिंदू मंदिर पर अटैक साफ दिख रहा है। उन्होंने झंडे के डंडे से वार मंदिर और मंदिर में मौजूद लोगों पर हमला किया। इस घटना ने कनाडा और भारत के बीच और सिख अलगाववादियों और भारतीय राजनयिकों के बीच तनाव बढ़ा दिया है।

दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, पूछा- प्रतिबंध के बाद भी क्यों फोड़े गए पटाखे

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देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक लेबल पर पहुंच गया है। बढ़ते प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखों को लेकर दिए गए आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए दिल्ली सरकार को खूब फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली में दीवाली पर पटाखों के इस्तेमाल को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। कोर्ट ने पटाखों पर बैन के बावजूद उनके इस्तेमाल पर गहरी आपत्ति जताई और पूछा कि अगले साल इस प्रतिबंध का पालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

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पटाखों पर बैन सख्ती से क्यों लागू नहीं किया गया?

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस ओका के नेतृत्व वाली दो सदस्यीय बेंच ने सवाल किया, अखबारों में बड़े पैमाने पर खबरें आ रही हैं कि पटाखों पर प्रतिबंध लागू नहीं हुआ। दिल्ली सरकार की ओर से कौन पेश हो रहा है? दिल्ली सरकार जवाब दे कि यह बैन क्यों सख्ती से लागू नहीं किया गया? इस बेंच में जस्टिस ओका के अलावा जस्टिस ऑगस्टीन मसीह भी शामिल थे

दिल्ली सरकार को नोटिस

सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमाइकस ने जिस रिपोर्ट का हवाला दिया, उससे यह बात साफ हो गई है कि इस बार प्रदूषण का स्तर अब तक के उच्चतम स्तर पर है। यहां तक कि रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ताड़ की आग भी उच्च समय पर बढ़ रही थी। हम दिल्ली सरकार को प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।

पराली जलाने पर भी हलफनामा देने का निर्देश

इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त को प्रतिबंध लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दायर करने का भी निर्देश देते हैं। दोनों को इस बात पर प्रकाश डालना चाहिए कि वे क्या कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं ताकि अगले साल ऐसा न हो। इसमें सार्वजनिक अभियान के कदम भी शामिल होने चाहिए। अदालत ने कहा कि पंजाब और हरियाणा राज्यों द्वारा पराली जलाने के पिछले 10 दिनों के विवरण के संबंध में हलफनामा भी दायर किया जाना चाहिए।

बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। दिवाली के बाद इसमें और बढ़ोतरी हुई। कई इलाकों में एक्यूआई 400-500 के बीच दर्ज किया गया। दमघोंटू हवा का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। इसके बाद भी प्रदूषण के स्तर पर में अभी तक कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस, भारत के लिए कौन होगा बेहतर?

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अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पांच नवंबर को वोटिंग होगी। जिसके लिए कुठ ही घंटे बचे हुए हैं।मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का विश्व राजनीति और विभिन्न देशों के साथ उसके संबंधों पर गहरा असर पड़ता है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका और भारत के संबंध मजबूत रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति पद पर इस बार किसका कब्जा होता है, इससे इन संबंधों की दिशा बदल सकती है। एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप हैं जो भारत के साथ दोस्ताना संबंधों के पक्षधर हैं और उनकी पीएम मोदी के साथ दोस्ती जगजाहिर है। तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीबी मानते हैं।

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हाल के सालों में भारत-अमेरिका के रिश्तों रहे सकारात्मक

अमेरिका के चुनाव नतीजों का भारत समेत पूरी दुनिया पर असर पड़ता है। भारत के लिहाज़ से भी कई चीज़ें हमेशा इस बात पर टिकी होती हैं कि अमेरिका का भारत के लिए रुख़ कैसा है? भारत और अमेरिका के रिश्तों का इतिहास हाल के वर्षों में काफी सकारात्मक रहा है। चाहे डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल हो या वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन का, भारत के साथ संबंध लगातार मजबूत बने रहे हैं। अब अगर चुनाव के बाद व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है तो पीएम मोदी के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिल सकता है। अमेरिका और भारत समेत दुनिया के सामने सबसे बड़ा चुनौती चीन से है। इस मोर्चे पर, ट्रंप और बाइडन दोनों की नीतियां चीन को लेकर सख्त और यथार्थवादी रही हैं। लोगों का मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है।

भारत के लिए रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर रहा

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों की मानें तो भारत के लिए नीतिगत स्तर पर रिपब्लिकन प्रशासन बेहतर साबित होता आया है। जितने भी बड़े इतिहास बनाने वाले समझौते हुए हैं, वो रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान हुए हैं, लेकिन इस बार के उम्मीदवारों की बात करें, तो डोनाल्ड ट्रंप का पीएम मोदी के साथ रिश्ता अपनी जगह है। ट्रंप की व्यापार नीति में संरक्षणवाद इतना हावी है कि इससे भारत के लिए अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। भारत को अब अपना माल जितनी जल्दी हो सके, जितना ज़्यादा हो सके विदेशों में बेचना है उसी से भारत उन्नति कर सकता है। तो उसके रास्ते में ट्रंप का प्रशासन आता है तो बहुत बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।

आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती हो सकती है चुनौती

आप्रवासन नीति में भी ट्रंप की सख्ती भारत के हितों को चुनौती देती है। वे खुद को एक ऐसे नेता के रूप में पेश करते हैं जिनसे अन्य देश डरते हैं, लेकिन उनकी अनिश्चितता के कारण भरोसे का मुद्दा भी उठता है।

भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा कम

वहीं, नई दिल्ली स्थित विदेश नीति थिंक टैंक, नेटस्ट्रैट के वरिष्ठ रिसर्च फेलो डॉ. राज कुमार शर्मा की भी राय है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का मतलब भारत के आंतरिक मामलों में बहुत कम हस्तक्षेप होगा। स्पुतनिक इंडिया से बात करते हुए शर्मा ने कहा, ट्रंप को भारत के आंतरिक मुद्दों जैसे मानवाधिकार की स्थिति और देश में लोकतंत्र की स्थिति की बहुत कम परवाह है। इसकी तुलना में, वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ हालिया टिप्पणियां की हैं, जो भारत के साथ कभी भी अच्छी नहीं रहीं।

टैरिफ के मुद्दे पर खड़ी कर सकते हैं परेशानी

टैरिफ के मुद्दे पर भी ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ट्रंप पहले भी टैरिफ के मुद्दे पर भारत की आलोचना कर चुके हैं। इसमें संदेह नहीं है कि अगर ट्रंप जीतते हैं, तो वह बड़ी संख्या में बहुत भारी टैरिफ लगाने का प्रयास करेंगे। वह किस हद तक सफल होंगे यह कांग्रेस के समर्थन पर निर्भर करेगा। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने भारतीय इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क भी बढ़ाया।

कश्मीर को लेकर मुखर रही हैं हैरिस

वहीं, कमला हैरिस की बात करें तो वो आधी भारतीय हैं। उनकी मां तमिलनाडु से थीं और पिता जमैका से थे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हैरिस को भारतीय परंपराओं और भारतीय विश्वदृष्टिकोण की बहुत ज्यादा समझ है। कई मुद्दों पर उनके पिछले बयानों और रुख को देखते हुए, कोई यह नहीं कह सकता कि वह वास्तव में भारत समर्थक हैं। भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, तो हैरिस ने कहा, “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर स्थिति की मांग हो तो हस्तक्षेप करने की जरूरत है।'' उन्होंने इशारों-इशारों में यहां तक कह दिया कि अमेरिका, भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने पर विचार कर सकता है।

नुक्ताचीनी की रही है डेमोक्रेट्स की नीतियां

जानकारों का ये भी मानना है कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनती हैं, तो बाइडन की वर्तमान विदेश नीति जारी रह सकती है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि जब भारत और भारतीय मामलों की बात आती है तो वह हमेशा बाइडन प्रशासन की नीति पर चलती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान बाइडन प्रशासन ने भारत में घरेलू मुद्दों के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं - विशेष रूप से मानवाधिकार की स्थिति और लोकतंत्र की स्थिति जैसे विषयों पर। उदाहरण के लिए, बाइडन प्रशासन ने मोदी सरकार पर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया है, पिछले जून में वाशिंगटन की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस आरोप का खंडन किया था। लेकिन अभी यह अनिश्चित है कि हैरिस इस नीति का पालन करेंगी या नहीं।

कनाडा में गूंजा योगी आदित्‍यनाथ का 'बंटोगे तो कटोगे' का नारा, मंदिरों ने कनाडाई नेताओं की एंट्री पर लगाया बैन

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिया नारा अब कनाडा तक पहुंच गया है। कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर खालिस्तानी हमले के बाद हिंदुओं ने एकजुट होने का आह्वान किया है।खालिस्तान समर्थकों के हमले से नाराज हिंदू एकजुटता के लिए सीएम योगी के ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे का इस्तेमाल किया है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के पास रविवार को भक्‍तों पर हमला किया गया। बताया जा रहा है कि खालिस्तानी चरमपंथियों के प्रदर्शन ने हिंसात्मक रूप ले लिया। हिंसा से जुड़े एक वीडियो में कुछ लोग हाथापाई और एक-दूसरे पर डंडों से हमला करते हुए नजर आ रहे हैं। मंदिर से जुड़ा एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें हिंदू समुदाय के लोग यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नारे 'बंटोगे तो कटोगे' लगाते नजर आ रहे हैं।

ब्रेम्पटन मंदिर के पुजारी ने हिंदुओं से एकजुटता की अपील करते हुए ‘बंटोगे तो कटोगे’ का नारा लगाया। पुजारी लोगों से नारे लगवाते हुए कहते हैं, “बटोगे तो कहोगे।” इसके बाद उन्होंने कहा, ये हमला कोई अकेला हमला नहीं है। ये हमला हिंदू सभा पर हमला नहीं है। ये हमला पूरे विश्व में जितने हिंदू हैं उनके ऊपर है। उन्होंने कनाडा में मौजूद हिंदू समुदाय से कहा कि अगर हम एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित रहें। इस नारे को सुनकर वहां मौजूद लोग करतल ध्‍वनि के बीच हाथ उठाकर समर्थन कर रहे हैं।

इसके अलावा ये भी खबर सामने आई है कि कनाडा की राष्ट्रीय हिंदू परिषद और हिंदू फेडरेशन ने मंदिर के नेताओं और हिंदू समूहों के साथ मिलकर हिंदू मंदिर पर हमले के बाद एक आधिकारिक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अब किसी राजनीतिक दलों के किसी राजनेता को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मंदिर की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इससे पहले रविवार को ब्रेम्पटन मंदिर और भक्तों के समूह पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर दिया। खालिस्तान समर्थकों ने भक्तों से हाथापाई कर डंडे से वार किया। जानकारी के मुताबिक हमलावर मंदिर के बाहर नारेबाजी कर रहे थे, रोके जाने पर इन लोगों ने भक्तों के साथ मारपीट की। आरोप हैं कि स्थानीय पुलिस घटना के वक्त मंदिर के बाहर मौजूद थी लेकिन उसने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया।