पटरी पर लौट रहे भारत-चीन के कूटनीतिक संबंध, डिसइंगेजमेंट के बाद पड़ोसी देश के साथ रिश्तों पर क्या कुछ बोले जयशंकर

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भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर सैन्य तनाव कम हो रहा है। 2020 में हुए टकराव के बाद दोनों देशों की सेना पीछे हट चुकी हैं।डेमचोक और देपसांग में दोनों देशों के सैनिक पीछे हट चुके हैं। संयुक्त रूप से गश्त शुरू हो गई है। भारत और चीन के बीच सीमा समझौते के बाद दोनों देशों के रिश्ते पटरी पर दिख रहे हैं। ये बात खुद भारतीय विदेश मंत्री एस जशंकर ने कही है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया में कार्यक्रम के दौरान कहा कि पहले भारत-चीन के संबंध बेहद खराब हो गए थे लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे सुधर रही है।

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विदेशमंत्री एस जयशंकर इन दिनों ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं।यहां उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत और चीन के संदर्भ में हां, हमने कुछ प्रगति की है। आप जानते हैं, हमारे संबंध बहुत बहुत अशांत थे, जिसके कारण आप सभी जानते हैं। हमने उस दिशा में कुछ प्रगति की है जिसे हम विघटन कहते हैं। सैनिक एक-दूसरे के बहुत करीब थे, जिससे कुछ अप्रिय घटना होने की संभावना थी, लेकिन डिसइंगेजमेंट काफी सुधरी है।

विदेश मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे और बदले में हमने भी जवाबी तैनाती की। इस अवधि के दौरान संबंधों के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं। इसलिए स्पष्ट रूप से, हमें पीछे हटने के बाद देखना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ते हैं। जयशंकर ने कहा, लेकिन, हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है। इससे यह संभावना खुलती है कि अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं।

जयशंकर ने कहा कि पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात के बाद उम्मीद थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और मैं दोनों अपने समकक्षों से मिलेंगे। तो चीजें इस तरह हुई हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत विकास के पथ पर अग्रसर है और दुनिया के साथ आगे बढ़ना चाहता है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के देशों में भारत के साथ काम करने की सदिच्छा और भावना है।

महाराष्ट्र चुनाव: महायुति और एमवीए को राहत! मनोज जरांगे नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, सभी सीटों से वापस लेंगे नामांकन

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए आवेदन वापस लेने के आखिरी दिन सोमवार को मनोज जरांगे पाटिल ने बड़ा ऐलान किया है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे मनोज जारांगे पाटिल ने आगमा विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।मनोज जरांगे ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने नामांकन के अंतिम दिन अपने समर्थकों को नामांकन वापस लेने की सलाह दी। साथ ही मनोज जरांगे पाटील ने साफ कर दिया है कि उनका संगठन किसी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेगा।

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मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे। इससे पहले, जरांगे ने विशिष्ट निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों का समर्थन या विरोध करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने अपना फैसला बदल दिया है। अंतरवाली सारथी गांव में बोलते हुए जंरागे ने कहा कि काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है। मेरा किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल से कोई संबंध या समर्थन नहीं है। जरांगे ने कहा कि ऐसा करने के लिए उनके ऊपर किसी भी दल की तरफ से दबाव नहीं है। जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय खुद फैसला लेगा कि समर्थन करना है।

बता दें कि एक दिन पहले ही उन्होंने 25 में से 15 सीटों पर चुनाव लड़वाने को ऐलान कर दिया था। आज बाकी बची 10 सीटों पर भी आज फैसला होना था। लेकिन आज मनोज जरांगे ने कहा कि सभी भाई अपना नामांकन वापस लेंगे। उन्होंने आज सुबह एक प्रेस वार्ता में बताया कि हम रात में साढ़े 3 बजे तक चर्चा कर रहे थे। हम दलित और मुस्लिमों को मैदान में उतारना चाह रहे थे, एक जाति के दम पर चुनाव लड़ना और जीतना संभव नहीं है। हम नए हैं।

मनोज जारांगे पाटिल ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरक्षण मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन जारी है, उन्होंने बताया कि चुनाव खत्म होने के बाद हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसी एक जाति पर चुनाव लड़ना संभव नहीं है। हम एक जाति से नहीं जीत सकते। जारांगे पाटिल ने बताया कि अकेले कैसे लड़ सकते हैं। जारांगे पाटिल ने कहा कि वह चुनाव से पीछे नहीं हटे हैं लेकिन आप इसे गुरिल्ला रणनीति (जेनेमी कावा) कह सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 निरस्त के खिलाफ प्रस्ताव, सीएम अब्दुल्ला बोले-इसका कोई औचित्य नहीं

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नई सरकार बनने के बाद सोमवार को विधानसभा की पहली बैठक शुरू हुई। विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र शुरू होते ही हंगामा हो गया। दरअसल, सत्र के पहले ही दिन पीडीपी विधायक वहीद-उर-रहमान ने सदन में जम्मू-कश्मीर में फिर से अनुच्छेद 370 लागू करने और राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव पेश कर दिया। बीजेपी विधायकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। इस पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पुलवामा के विधायक वहीद उर रहमानपारा ने अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। भाजपा द्वारा टिप्पणी को हटाने और प्रस्ताव को अस्वीकार करने की मांग के बाद विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया।

इस प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं- उमर अब्दुल्ला

वहीं, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 370 के खिलाफ प्रस्ताव की कोई अहमियत नहीं है। सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो वे पहले हमसे इस पर चर्चा करते। हमें पता था कि इसके लिए एक सदस्य द्वारा तैयारी की जा रही है। वास्तविकता यह है कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं। अगर उन्होंने इसे स्वीकार किया होता, तो आज के नतीजे अलग होते। सदन इस पर कैसे विचार करेगा, यह कोई एक सदस्य तय नहीं करेगा।

सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी विधायक द्वारा आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है, यह केवल कैमरों के लिए है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो वे पहले हमसे इस पर चर्चा करते। इसके बाद उन्होंने स्पीकर से सदन को स्थगित करने का रिक्वेस्ट किया। इसके बाद स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी।

महबूबा ने प्रस्ताव की सराहना की

पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के लिए पीडीपी नेता की सराहना की। महबूबा मुफ़्ती ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध करने और विशेष दर्जा बहाल करने के संकल्प के लिए वहीद पारा द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने पर मुझे गर्व है।

अब्दुल रहीम राथर चुने गए स्पीकर

इस बीच सदन में सोमवार को उसके अध्यक्ष का चुनाव हुआ। विधायक अब्दुल रहीम राथर को सदन का स्पीकर चुना गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि वह पूरे सदन की ओर से राथर को बधाई देते हैं। आप स्पीकर पद के स्वाभाविक दावेदार थे। आपका किसी एक भी सदस्य ने विरोध नहीं किया। अब आप इस सदन के कस्टोडियन हैं।

अमेरिका ने भारत की 19 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, भारत के रक्षा क्षेत्र में इन प्रतिबंधों का कितना होगा असर?

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अमेरिका ने रूस की मदद करने के आरोप में हाल ही में दुनियाभर की करीब 400 कंपनियों पर बैन लगाया था। इनमें कुछ भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। इनमें 19 भारतीय कंपनियां और दो व्‍यक्ति भी शामिल हैं। अमेरिका का आरोप है कि ये कंपनियां फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस को ऐसा साजो-सामान उपलब्ध करवा रही हैं, जिनका इस्तेमाल रूस युद्ध में कर रहा है।अमेरिकी प्रतिबंध के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत-अमेरिका के रिश्‍ते बिगड़ेंगे? सवाल ये भी है कि कंपनियों पर बैन लगाने से क्या इसका भारत पर कोई असर पड़ेगा?

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों में तो रजिस्टर्ड डायरेक्टर और शेयरधारक रूसी नागरिक भी हैं। उदाहरण के लिए, डेन्‍वास सर्विसेज मुख्य रूप से अलग-अलग सेवाओं के लिए डिजिटल कियोस्क सप्लाई करती है। इस कंपनी में रूसी नागरिकों की हिस्सेदारी है। भारतीय कानून के मुताबिक, भारतीय कंपनियों में विदेशी नागरिकों का डायरेक्टर होना कानूनी है और रूसी संस्थाओं के साथ काम करने पर कोई रोक नहीं है। इस कंपनी पर आरोप है कि यह अमेरिका में बने माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण रूस को उसके आधुनिक हथियारों में इस्तेमाल करने के लिए दे रही थी।

इन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध

सबसे पहले हम उन कं‍पनियों के बारे में जान लेते हैं, जिन पर रूस को ऐसी सामग्री मुहैया कराने का आरोप है, जिसका इस्‍तेमाल वह युद्ध के लिए हथियार बनाने में कर रहा है। अमेरिका ने आभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एमसिस्टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड, लोकेश मशीन्स लिमिटेड, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिबंधित सूची में रखा है।

भारतीय कंपनियों पर क्‍या होगा असर?

अमेरिका के प्रतिबंध के जरिए इन कंपनियों को स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम में ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। इससे कंपनियां उन देशों से लेन-देन नहीं कर पाती हैं, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ हैं। जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा है, उनकी संपत्तियां भी उन देशों में फ्रीज हो सकती हैं, जो इस बैन के पक्ष में हैं। लेकिन, जानकारों का कहना है कि प्रतिबंधों से भारतीय कंपनियों पर ज्‍यादा असर नहीं होगा।

किसी कानून का उल्लंघन नहीं

इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार जिन कंपनियों पर बैन लगाया गया है उनमें से किसी के पास न तो अमेरिकी बिजनस अकाउंट हैं और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण संधि का उल्लंघन किया है। सूत्रों के मुताबिक विदेश व्यापार महानिदेशालय के सख्त नियम हैं और उन नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। जिन भारत कंपनियों पर अमेरिका ने बैन लगाया है, वे गैर-डॉलर और गैर-यूरो पेमेंट मैकेनिज्म के माध्यम से तीसरे देशों के जरिए काम कर सकती हैं। यानी कह सकते हैं कि अमेरिका की ओर से बैन लगाने पर भी इस कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

इन 19 कंपनियों में से सिर्फ आरआरजी इंजीनियरिंग ही ऐसी कंपनी है जो भारतीय रक्षा क्षेत्र के साथ थोड़ा-बहुत काम करती है। इसने आरआरजी के साथ काम किया है और कुछ सैन्य यूनिट को जरूरी सामान सप्लाई किए हैं। इस कंपनी पर आरोप है कि इसने अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित रूसी कंपनी आर्टेक्स लिमिटेड कंपनी को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स की 100 से ज्यादा खेप भेजी हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक, आरआरजी ने पहले आरआरजी की कुछ प्रयोगशालाओं में डेटा सेंटर और आईटी नेटवर्क बनाने के लिए कर्मचारी भी मुहैया कराए थे। इसने अलग-अलग सैन्य यूनिट को सीमित संख्या में परमाणु, जैविक और रासायनिक हमले का पता लगाने वाले उपकरण भी सप्लाई किए हैं। कंपनी का दावा है कि इसने सैटकॉम स्टेशन बनाने में भी काम किया है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि ऐसे उपकरण भारत में आसानी से मिल जाते हैं और जरूरत पड़ने पर इन्हें आसानी से खरीदा जा सकता है।

अपडेट न्यूज़,अल्मोड़ा में सवारियों से भरी बस खाई में गिरी, 22 लोगों की मौत, कई घायल

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उत्तराखंड/अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद भीषण व दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। यहां के तहसील सल्ट अन्तर्गत कुपि मोटर मार्ग पर आज रामनगर जा रही एक बस खाई में गिर गई। बताया जा रहा है कि अब तक पांच शव को निकाले जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि हादसे में 22 लोगों की मौत की खबर है। यह बस गोलिखाल क्षेत्र से यात्रियों को लेकर चली थी।हादसा अल्मोड़ा के कूपी के पास हुआ। बस में 42 यात्री सवार थे। पुलिस की माने तो अभी मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है राहत और बचाव कार्य जारी हैं।

जानकारी के अनुसार, नैनी डांडा से रामनगर जा रही एक बस आज सुबह खाई में गिर गई। गीत जागीर नदी के किनारे गिरी बस में 15 लोगों की मौत हो गई है। जबकि कई लोग घायल हैं। शुरुआती जानकारी मिली है कि हादसे का शिकार हुई बस नैनीडांडा के किनाथ से सवारियों को लेकर जा रही थी। बस को रामनगर जाना था। यूजर्स कम्पनी की बस है। बस सारड बैंड के पास नदी में गिरी है।आपदा प्रबंधन अधिकारी अल्मोड़ा विनीत पाल ने बताया कि 22 से अधिक यात्रियों की मौत हो चुकी है। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। टीम रेस्क्यू में जुटी है। हादसे में कितने यात्रियों की मौत हुई है, यह रेस्क्यू होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।

सूचना मिलते ही एसएसपी, थाना सल्ट, फायर स्टेशन रानीखेत, तहसीलदार सल्ट, राजस्व उप निरीक्षक देवायल और एसडीआरएफ की टीम मौके के लिए रवाना हुए। एसडीएम सल्ट संजय कुमार ने बताया कि पांच शव निकाल लिए गए हैं। नैनीताल पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जनपद अल्मोड़ा के मार्चुला में हुई दुर्भाग्यपूर्ण बस दुर्घटना में यात्रियों के हताहत होने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। जिला प्रशासन को तेजी के साथ राहत एवं बचाव अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने आवश्यकता पड़ने पर गंभीर रूप से घायल यात्रियों को एयरलिफ्ट करने के लिए भी निर्देश दिए हैं।

अल्मोड़ा में सवारियों से भरी बस खाई में गिरी, 15 लोगों की मौत, कई घायल

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उत्तराखंड/अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद भीषण व दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। यहां के तहसील सल्ट अन्तर्गत कुपि मोटर मार्ग पर आज रामनगर जा रही एक बस खाई में गिर गई। बताया जा रहा है कि अब तक पांच शव को निकाले जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि हादसे में 15 लोगों की मौत की खबर है। यह बस गोलिखाल क्षेत्र से यात्रियों को लेकर चली थी।हादसा अल्मोड़ा के कूपी के पास हुआ। बस में 42 यात्री सवार थे। पुलिस की माने तो अभी मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है राहत और बचाव कार्य जारी हैं।

जानकारी के अनुसार, नैनी डांडा से रामनगर जा रही एक बस आज सुबह खाई में गिर गई। गीत जागीर नदी के किनारे गिरी बस में 15 लोगों की मौत हो गई है। जबकि कई लोग घायल हैं। शुरुआती जानकारी मिली है कि हादसे का शिकार हुई बस नैनीडांडा के किनाथ से सवारियों को लेकर जा रही थी। बस को रामनगर जाना था। यूजर्स कम्पनी की बस है। बस सारड बैंड के पास नदी में गिरी है।आपदा प्रबंधन अधिकारी अल्मोड़ा विनीत पाल ने बताया कि 15 से अधिक यात्रियों की मौत हो चुकी है। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। टीम रेस्क्यू में जुटी है। हादसे में कितने यात्रियों की मौत हुई है, यह रेस्क्यू होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी।

सूचना मिलते ही एसएसपी, थाना सल्ट, फायर स्टेशन रानीखेत, तहसीलदार सल्ट, राजस्व उप निरीक्षक देवायल और एसडीआरएफ की टीम मौके के लिए रवाना हुए। एसडीएम सल्ट संजय कुमार ने बताया कि पांच शव निकाल लिए गए हैं। नैनीताल पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जनपद अल्मोड़ा के मार्चुला में हुई दुर्भाग्यपूर्ण बस दुर्घटना में यात्रियों के हताहत होने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। जिला प्रशासन को तेजी के साथ राहत एवं बचाव अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने आवश्यकता पड़ने पर गंभीर रूप से घायल यात्रियों को एयरलिफ्ट करने के लिए भी निर्देश दिए हैं।

अमेरिका राष्‍ट्रपति चुनावः कब होगी वोटिंग, किस दिन होगी काउंटिंग और कब आएंगे नतीजे?

#usapresidentelectionkamalaharrisvsdonald_trump

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अमेरिका में नए राष्ट्रपति का इंतजार अब खत्म ही होने वाला है। कुछ ही घंटों में अमेरिका के लोग अपने अगले राष्ट्रपति को चुन लेंगे। चुनावी मैदान में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपनी-अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है। अगर कमला हैरिस ये चुनाव जीत जाती हैं, तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी और अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में बाजी मारते हैं, तो वह दूसरी बार राष्ट्रपति की सीट पर विराजमान हो जाएंगे।

तय है वोटिंग का दिन

अमेरिका में चुनाव 5 नवम्बर मंगलवार को होंगे। 5 नवंबर को होने वाले चुनाव से पहले ही 4.1 करोड़ से अधिक अमेरिकी अपने मतपत्र डाल चुके हैं। अमेरिका के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी नागरिक नवम्बर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को मतदान करेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाला उम्मीदवार 20 जनवरी को पद की शपथ लेता है और अगले चार साल वॉइट हाउस में सेवा देगा।

चुनाव के बाद वोटों की गिनती

अमेरिका में चुनाव के बाद 5 नवम्बर को ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी, लेकिन यह पता लगने में कई दिन लग सकते हैं कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा। आम तौर पर मीडिया हाउस अपने पास मौजूद आंकड़ों के आधार पर चुनाव की रात या अगले दिन राष्ट्रपति चुनाव के विजेता की घोषणा करते हैं। अगर कोई उम्मीदवार 270 या उससे अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल करता है, तो उसे चुनाव का विजेता घोषित किया जाएगा।

'स्विंग स्टेट' तय करेंगे नतीजे

ज्यादातर वोटर रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी के रजिस्टर्ड वोटर्स होते हैं, जो अमूमन अपनी पार्टी के लिए वफादार रहते हैं। ऐसे ही कुछ स्विंग स्टेट्स हैं, जहां के मतदाता चुनाव परिणाम तय करते हैं।ताजा सर्वेक्षण से पता चला है कि चुनाव नतीजे सात स्विंग स्टेट्स एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलिना और जॉर्जिया से तय होंगे। अब चूंकि लड़ाई आखिरी चरण में है और मंगलवार को मतदान ही होना है, ऐसे में सारा दारोमदार स्विंग स्टेट्स पर टिक गया है। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को जानते हैं, यही वजह है कि उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा इन स्विंग राज्यों में चुनाव प्रचार पर लगा दी है।

किस 'स्विंग स्टेट' में कौन आगे?

अमेरिका चुनाव से पहले ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक नेवादा में ट्रंप को 51.2 प्रतिशत समर्थन मिला जबकि हैरिस को 46 प्रतिशत। इसी तर्ज पर नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप को 50.5 प्रतिशत और हैरिस को 47.1 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। उधर, जॉर्जिया की बात की जाए तो यहां डोनाल्‍ड ट्रंप को 50.1% से 47.6% के अंतर से कमला हैरिस से आगे हैं। मिशिगन में ट्रंप को 49.7 प्रतिशत तो हैरिस को 48.2 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। ऐसे ही पेंसिल्वेनिया में ट्रंप को 49.6 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47.8 प्रतिशत लोग पसंद कर रहे हैं। उधर, विस्कॉन्सिन में ट्रंप 49.7 प्रतिशत और कमला हैरिस 48.6 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद हैं।

क्या होते हैं स्विंग स्टेट

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स या युद्धक्षेत्र वाले राज्य, उन राज्यों को कहा जाता है, जो चुनाव में डेमोक्रेट या रिपब्लिकन पार्टी, किसी भी तरफ झुक सकते हैं। अमेरिका में कई राज्य अक्सर किसी एक ही पार्टी को वोट देते आए हैं, लेकिन जिन राज्यों में मुकाबला कड़ा रहता है और जिनका तय नहीं है कि वे किस तरफ जाएंगे, उन्हें ही स्विंग स्टेट कहा जाता है। इन राज्यों में दोनों पार्टी के उम्मीदवार प्रचार के दौरान ज्यादा धन और समय लगाते हैं। स्विंग स्टेट की पहचान के लिए कोई परिभाषा या नियम नहीं है और चुनाव के दौरान ही इन राज्यों का निर्धारण होता है।

अब संजय राउत के भाई के बिगड़े बोल, शिंदे गुट की महिला उम्मीदवार को कहा ‘बकरी’

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महाराष्ट्र चुनाव में बदजुबानी जारी है। पहले शिवसेना उद्धव गुट के नेता अरविंद सांवत ने शायना एनसी को “इम्पोर्टेड माल” कहकर संबोधित किया था। अब शिवसेना उद्धव गुट के ही संजय राउत के भाई और उम्मीदवार सुनील राउत ने महिला उम्मीदवार का अपमान किया है। सुनील राउत ने महिला उम्मीदवार को बकरी कहकर संबोधित किया है।

संजय राउत के भाई सुनील राउत का विवादित वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में सुनील राउत बता रहे हैं कि उनके सामने कोई उम्मीदवार ही नहीं है। उन्होंने कहा, वो दस से साल से विधायक है। अब कोई उम्मीदवार नहीं मिला तो एक बकरी को लाकर मेरे सामने खड़ा कर दिया। अब बकरी आई तो बकरे को सर झुकाना ही पड़ेगा।

बता दें कि सुनील राउत विक्रोली विधानसभा से तीसरी बार शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के उम्मीदवार बने हैं। अब उन्हें उम्मीद है वो जीतेंगे ही नहीं बल्कि इस बार मंत्री भी बनेंगे।वहीं, सुनील राउत के सामने शिवसेना शिंदे गुट ने इलाके की पार्षद सुवर्णा करंजे को उम्मीदवार बनाया है। जिन्हें सुनाल राउत ने बकरी कह कर संबोधित कर रहे हैं।

इससे पहले शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सांवत पहले ही शिंदे गुट की उम्मीदवार शायना एनसी को माल कहकर संबोधित कर चुके हैं। ऐसे में एक बार फिर उद्धव गुट के नेता ने बदजुबानी की है।

कनाडा में हिंदू सभा मंदिर में खालिस्तानियों का हमला, श्रद्धालुओं के साथ की मारपीट

#khalistanis_target_hindu_sabha_temple_in_brampton_canada

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कनाडा में खालिस्तानियों ने एक बार फिर हिंदू मंदिर को निशाना बनाया है। कनाडा के ब्रैम्पटन में रविवार को हिंदू सभा मंदिर में आए लोगों पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला कर दिया। हमलावरों के हाथों में खालिस्तानी झंडे थे। उन्होंने मंदिर में मौजूद लोगों पर लाठी-डंडे बरसाए। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को मंदिर में हिंदू भक्तों पर हुए हमले की निंदा की है।

कनाडा में हिंदुओं की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। वहां उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा है। ताजा मामला ब्रैम्पटन का है, जहां खालिस्तानियों ने ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर और वहां मौजूद भक्तों पर हमला कर दिया। ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने अचानक से धावा बोल दिया। इस पूरी वारदात का एक वीडियो हिंदू फोरम कनाडा ने अपने एक्स हैंडल पर शेयर किया है, जिसमें खालिस्तानी हाथों में पीले झंडे लेकर मंदिर परिसर में हंगामा करते हुए दिख रहे हैं। कुछ खालिस्तानी हिंदू श्रद्धालुओं पर डंडे से हमला करते हुए इस वीडियो में देखे जा सकते हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस घटना की निंदा की है। ट्रूडो ने कहा, “ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में आज हुई हिंसा की घटनाएं अस्वीकार्य हैं। हर कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से पालन करने का अधिकार है।” उन्होंने समुदाय की सुरक्षा और इस घटना की जांच के लिए त्वरित कार्रवाई करने के लिए पुलिस को धन्यवाद दिया।

वहीं, भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि खालिस्तानी चरमपंथियों ने लाल रेखा पार कर ली है। सांसद ने घटना का वीडियो ट्वीट करते हुए कहा, कनाडाई खालिस्तानी चरमपंथियों ने आज एक लाल रेखा पार कर ली है। ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के परिसर के अंदर हिंदू-कनाडाई भक्तों पर खालिस्तानियों द्वारा किया गया हमला दिखाता है कि कनाडा में खालिस्तानी हिंसक चरमपंथ कितना गहरा और बेशर्म हो गया है।

घटना के बाद से इलाके में तनाव है। भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है। पील रीजनल पुलिस चीफ निशान दुरईप्पा ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हिंसा और अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

हालांकि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को मंदिर में हिंदू भक्तों पर हुए हमले की निंदा की है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या सिर्फ निंदा से हो जाएगा। क्योंकि कनाडा में आए दिन हिंदूओं को निशाना बनाया जाता है। मंदिर को भी खूब निशाना बनाया जाता है और इसके दिवारों पर अपशब्द और इसके अंदर तोड़फोड़ की जाती है। कनाडा में पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों और समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने से भारतीय समुदाय चिंतित है। पिछले कुछ सालों में ग्रेटर टोरंटो एरिया, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा में बाकी जगहों पर हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया है।

कौन बनेगा जम्मू-कश्मीर विधानसभा का अध्यक्ष? इस नेता के नाम की खूब हो रही है चर्चा

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डेस्क: जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र सोमवार से शुरू होने वाला है। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। नेशनल कांफ्रेंस (NC) के वरिष्ठ नेता अब्दुल रहीम राथर के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का पहला अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है। वे चरार-ए-शरीफ से सात बार विधायक रह चुके हैं।

विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी सत्र के कैलेंडर के अनुसार, सदन सोमवार को पहली बैठक में अध्यक्ष का चुनाव करेगा। नेशनल कांफ्रेंस (NC) के सूत्रों ने कहा कि पार्टी की ओर से 80 वर्षीय राथर को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने की पूरी संभावना है। नेकां के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘‘हम सहज स्थिति में हैं क्योंकि सत्ता पक्ष के पास पर्याप्त संख्या है। अब राथर साहब विधानसभा का अध्यक्ष बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’

अब्दुल रहीम राथर इससे पहले पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। वह 2002 से 2008 तक विपक्ष के नेता भी थे जब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने राज्य में शासन किया था। विधायक दल की रविवार को हुई बैठक के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नरिंदर सिंह रैना को अपना उम्मीदवार नामित किया। हालांकि भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए किसी उम्मीदवार का नाम नहीं बताया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि विधानसभा में इन प्रमुख पदों पर सरकार और विपक्ष के बीच कोई अनौपचारिक सहमति बनी है या नहीं।

छह साल से अधिक के अंतराल के बाद सोमवार को सदन की बैठक होगी। विधानसभा का आखिरी सत्र जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से एक साल पहले 2018 की शुरुआत में आयोजित किया गया था। विधानसभा सत्र के लिए कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं। सदन की बैठकों के कैलेंडर के अनुसार, सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और इसके बाद उपराज्यपाल (LG) का अभिभाषण होगा।