सोनभद्र: बंद खदानों में आखिरकार कब तक दबती रहेंगी गरीबों की सांसें
सोनभद्र। जिले के खनन कारोबार से भले ही सरकार को लाखों करोड़ों का राजस्व मिलता आया हो, लेकिन यह कारोबार गरीबों की जिंदगी भी लेता आया है। कितने घरों में असमय हुई मौत की वज़ह भी यहीं खदानें बनी हैं।
बावजूद इसके इससे सुरक्षित रहने का फिलहाल अभी तक कोई ठोस जतन नहीं किया जा सका है। जिले के ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी के खनन क्षेत्र में पिछले दिनों सुभाष गौड़ नामक युवक की मिली लाश ने बंद पड़ी खदानों के औचित्य पर सवाल खड़े किए हैं तो वहीं इसे संयोग या साजिश भी करार दिया जा रहा है।
बंद पड़ी गहरी खदान में लाश मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैली रही है। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर आस पास के सैकड़ों लोग जमा हो गये थें। तो वहीं इस घटना के बाद खनन क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया हैं।
लोग सवाल दाग रहें हैं कि यह महज़ एक संयोग रहा है या फिर कोई गहरी साज़िश का हिस्सा रहा है। क्यों कि हत्या इत्यादि के बाद लाश को सुरक्षित ठिकानें लगाने का बंद पड़ी खदानें एक बेहतर ठिकाना भी साबित होती रही हैं।
बंद पड़ी खदान में युवक की लाश मिलने के बाद एक बार फिर खदानों में सुरक्षा नियमों की अनदेखी पर सवाल उठने लगा है।
बंद पड़े खदान में सुभाष गौड़ की मिली थी लाश, संयोग या कोई गहरी साज़िश
गौरतलब हो कि पिछले दिनों ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में स्थित एक बंद खदान में 30 वर्षीय एक अज्ञात व्यक्ति की 150 मीटर गहरी खाई में लाश मिलती है, पुलिस ने गहरी खाई में गिर जाने से जहां मौत होना बताया था, वहीं इसको लेकर तरह तरह की चर्चा भी होती रही है। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खदान से बाहर निकलवाया था। इसके बाद उसकी पहचान कराने का प्रयास किया गया, बाद में उसकी पहचान
ओबरा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत सेमरिया शेरहवां निवासी सुभाष गौड़ (24) पुत्र मुन्नर सिंह के रूप में हुई थी। मृतक के साथ कार्य करने वाले युवक ने बताया था कि वह वैभव स्टोन में काम करता था। बीते रविवार 27 अक्टूबर को प्लांट से मजदूरी पाने के बाद घर जाने के लिए कहकर निकला था। तब से उसका कही पता नहीं था। खदान में लाश मिलने के बाद परिचित लालचंद ने मौके पर ओबरा कोतवाली पहुंचकर मृतक की पहचान की थी। दूसरी ओर घटना की जांच कर रहे एसआई धर्म भार्गव ने बताया कि मृतक का शव महादेव इंटरप्राइजेज के बंद पड़ी खदान में मिला था। बताया जा रहा है कि युवक की करीब 200 फीट ऊंचाई से गिरने के कारण जान चली गई है। जबकि इसको लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है कि आखिरकार मृतक बंद पड़ी खदान की ओर क्यों गया था?
लोगों की माने तो इन हादसों के बाद सुरक्षा नियमों की अनदेखी का सवाल हर बार उठता है पर इसके अनुपालन को लेकर विभागीय सख्ती पूरी तरह धरातल पर दिखलाई नहीं देती है। यही कारण है कि खदानों में सुरक्षा और संरचना को लेकर की जाने वाली कवायदें फेल हो जाती हैं। कुछ माह के अंतराल में इस तरह की घटनाएं होती रहती है। गौरतलब है कि क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा पत्थर खदानें संचालित है। पत्थर खनन के कारण ही ओबरा डाला में अर्थव्यवस्था सरपट दौड़ रही है। आश्चर्य तब होता है जब पत्थर खदान में जोखिम भरा रिस्क लेकर व सुरक्षा नियमों का ताख पर रखकर गहरे खदान में श्रमिकों से कार्य कराया जाता है और उनकी जान जाने पर कुछ रूपयों की गड्डी फेंक उनके जान की क़ीमत लगाकर चुप्पी साध ली जाती है।
Oct 30 2024, 15:21