*हो चुका है हमास चीफ याह्या सिनवार का खात्मा, इजरायल ने डीएनए जांच के बाद की मारे जाने की पुष्टि

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गाजा में इजरायल के मिलिट्री ऑपरेशन में हमास चीफ याह्या सिनवार की मौत हो गई है। इजरायल ने याह्या सिनवार के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि कर दी है। डीएनए जांच से इसकी पुष्टि हुई है। गाजा में इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने गुरुवार को एक अभियान में हमास के तीन लड़ाके मार गिराए। आईडीएफ और इजराइल सिक्योरिटी एजेंसी (आईएसए) शुरुआत में यह जांच कर रहे थे कि क्या इनमें से याह्या सिनवार भी शामिल है या नहीं। बाद में आडीएफ ने पुष्टि की कि सिनवार मारा गया है। वहीं, इस्राइली विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सिनवार के मारे जाने की पुष्टि की है।

गुरुवार को इजराइली सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी है कि गाजा में एक ऑपरेशन के दौरान मारे गए तीन आतंकियों में से एक याह्या सिनवार हो सकता है। गाजा पर भीषण हवाई हमले के बाद ही इजरायली सेना ने सिनवार के मारे जाने की आशंका जाहिर की थी, मगर इसकी पुष्टि के लिए डीएनए जांच कराने की बात कही थी। मगर तब दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई थी। अब इजरायल की ओर से आधिकारिक रूप से घोषणा में यह कहा गया है कि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में 1200 लोगों का नरसंहार करने वाला हमास नेता याह्या सिनवार मारा गया है। वह इजरायल पर हमले की साजिश रचने और उसके लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार था।

सिनवार के शव को कथित तौर पर दिखाने वाली तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। अब खुद बेंजामिन नेतन्याहू की पुष्टि के बाद गाजा में आतंक का एक नाम हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया है। याह्या सिनवार की मौत आतंकी संगठन हमास के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

कुछ दिनों पहले सिनवार को लेकर दावा किया गया था कि वह इजराइली बंधकों के बीच छिपा हुआ है, जिससे इजराइल उसे आसानी से निशाना न बना सके, वहीं इससे पहले भी सिनवार के मारे जाने की खबर आई थी लेकिन इजराइली सेना उसकी पुष्टि नहीं कर पाई थी।

कौन है याह्या सिनवार?

याह्या सिनवार हमास का पॉलिटिकल चीफ है, उसे इस्माइल हानिया की मौत के बाद अगस्त में ही संगठन की कमान सौंपी गई थी। सिनवार का जन्म 1962 में गाजा पट्टी के शरणार्थी शिविर में हुआ था। इजराइल ने सिनवार को 3 बार गिरफ्तार किया था लेकिन 2011 में एक इजराइली सैनिक के बदले में इजराइल को 127 कैदियों के साथ सिनवार को भी रिहा करना पड़ा। वहीं, सितंबर 2015 में अमेरिका ने सिनवार का नाम इंटरनेशनल आतंकियों की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था।

सलमान का हाल बाबा सिद्दीकी से भी बुरा होगा’, मुंबई पुलिस को धमकी भरा मैसेज

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एक्टर सलमान खान को लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नाम से एक बार फिर से धमकी मिली है। यह मैसेज सीधे पुलिस को दिया गया है। मुंबई ट्रैफिक पुलिस को सलमान खान के लिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग की ओर से धमकी मिली है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने मुंबई ट्रैफिक पुलिस के व्हाट्सएप नंबर पर मैसेज भेजा है। इसमें सलमान खान से पांच करोड़ रुपये की मांग की गई है।

मैसेज भेजने वाले ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के हवाले से कहा है कि अगर सलमान खान जिंदा रहना चाहते हैं और लॉरेंस बिश्नोई गैंग से दुश्मनी खत्म करना चाहते हैं तो उन्हें पांच करोड़ रुपये देने होंगे। इसे हल्के में लेने की गलती न करें। मैसेज में कहा गया कि अगर उन्होंने पैसे नहीं दिए तो उनका हाल बाबा सिद्दीकी से बुरा होगा। मुंबई पुलिस ने कहा कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

पहले भी सलमान को मिल चुकी है धमकी

लॉरेंस बिश्नोई और सलमान खान की दुश्मनी काफी पुरानी है। यह गैंग अक्सर उन्हें जान से मारने की धमकी देता रहता है। कुछ महीने पहले लॉरेंस गैंग के गुर्गे ने उनके घर के बाहर फायरिंग भी की थी। बाबा सिद्दीकी की हत्या को भी सलमान से जोड़कर देखा जा रहा है। बाबा सिद्दीकी सलमान खान के अच्छे दोस्त थे। बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से ऐसा कहा जा रहा है कि लॉरेंस गैंग ने हत्या बाबा सिद्दीकी की है लेकिन डराया सलमान खान को है।

बढ़ाई गई सलमान खान की सुरक्षा

बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से सलमान खान के घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। एक्टर के परिवार की तरफ से करीबियों और दोस्तों से अनुरोध किया गया है कि वो एक्टर से मिलने ना जाएं। ये फैसला उनकी सुरक्षा को लेकर लिया गया है।नवी मुंबई पुलिस ने सलमान खान के पनवेल स्थित फार्म हाउस की सुरक्षा बढ़ा दी है। अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को लगाया गया है जो फार्म हाउस के अंदर के और बाहर के भी हिस्से में तैनात रहेंगे। बिश्नोई गैंग इसके पहले भी फार्म हाउस की कई बार रेकी करा चुका है लेकिन फार्म हाउस पर कभी वो कामयाब नहीं हो पाया बल्कि सलमान के घर गैलेक्सी अपार्टमेंट पर जरूर फायरिंग हुई है।

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका, 6 बार के विधायक कैप्टन अजय यादव ने छोड़ी पार्टी

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हरियाणा में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। दक्षिणी हरियाणा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेज दिया है। बता दें कि कैप्टन यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू यादव के समधी भी हैं।

अजय यादव ने अपनी इस्तीफे की जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा कि उन्होंने एआईसीसी ओबीसी विभाग के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपा है। इस पोस्ट में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को भी टैग किया।

बताई पार्टी से मोहभंग होने की वजह

उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे के कारण को बताते हुए कहा, यह निर्णय मेरे लिए वास्तव में कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्षों का गहरा संबंध है। मेरे पिता, स्वर्गीय राव अभय सिंह साल 1952 में विधायक बने और उसके बाद मैंने इस पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाया, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मुझे पार्टी के उच्चतम स्तर से खराब व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसके चलते मुझे पार्टी से मोहभंग हुआ।

पार्टी में अपनी अनदेखी से थे नाराज

इसी साल के फरवरी महीने में पूर्व वित्त एवं सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव के कांग्रेस से नाराज होने के खबर सामने आई थी। वे हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज थे। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए यह कहते हुए आवेदन भी नहीं किया था कि वे पार्टी के सीनियर नेता हैं। उन्हें आवेदन करने की जरूरत नहीं है। यदि पार्टी को लगता है कि उनकी उपयोगिता है तो वह उन्हें चुनाव लड़वा सकती है अन्यथा वे स्वयं आगे होकर आवेदन नहीं करेंगे।

अहीरवाल में बड़ा झटका

कैप्टन का कांग्रेस को छोड़ना अहीरवाल में बड़ा झटका है। वे पार्टी के एकमात्र बड़े नेता थे। 2019 में वह कैप्टन अजय सिंह यादव गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे। कैप्टन अजय सिंह यादव ने ऐसे वक्त पर पार्टी छोड़ी है जब शुक्रवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चुनाव होना है। अहीरवाल में कांग्रेस के पास एक वक्त राव इंद्रजीत सिंह और कैप्टन अजय यादव की जोड़ी थी लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के बाद अब कैप्टन अजय सिंह यादव ने भी हाथ छोड़ दिया है।

क्या मारा गया हमास चीफ याह्या सिनवार? इजरायली सेना का दावा

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पिछले एक साल से हमास के साथ जारी जंग के बीच इजराइल की सेना को बहुत बड़ी कामयाबी मिलती नजर आ रही है। इजरायली हमले में हमास चीफ याह्या सिनवार के मारे जाने की खबर आ रही है।इजरायल की सेना ने दावा क‍िया उसने गाजा में तीन आतंक‍ियों को मार ग‍िराया है। संभवत: इसमें याह्या सिनवार भी शामिल था। इजरायली सेना ने गुरुवार को कहा है कि वह इसकी जांच कर रही है। 7 अक्तूबर को इजरायल पर हुए हमले का यह मास्टरमाइंड है। इसी हमले के बाद से गाजा का युद्ध शुरू हुआ, जो पिछले एक साल से चल रहा है।अगर याह्या सिनवार के मारे जाने की खबर सही निकलती है तो यह इजरायल के लिए एक बड़ी कामयाबी होगी।

इजरायली सेना आईडीएफ ने बयान जारी कर कहा है गाजा में 3 आतंकी मारे गए हैं, तस्वीरों को देखकर माना जा रहा है कि उनमें से एक याह्या सिनवार हो सकता है। इजराइली सेना पहचान करने में जुटी हुई है कि हमले में मारा गया आतंकी सिनवार ही है या कोई और, हालांकि इजराइली मीडिया तस्वीरों के आधार पर सिनवार के मारे जाने का दावा कर रही है।

जिस इमारत में इन आतंकियों का खात्मा किया गया, उस इलाके में इजरायली बंधकों की मौजूदगी के कोई निशान नहीं थे। क्षेत्र में सक्रिय इजरायली सुरक्षा बल आवश्यक सावधानी के साथ आगे का अभियान जारी रखा है। बता दें कि इससे पहले इजरायली सेना ने ईरान में हमास के पूर्व चीफ इस्माइल हानिया उर्फ इस्माइल हनियेक को भी मार गिराया था। हालांकि इजरायल ने आज तक आधिकारिक रूप से इस्माइल हानिया के हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली, मगर ईरान हमेशा येरूशलम पर हानिया की हत्या का आरोप लगाता रहा है। इस्माइल हानिया उस वक्त तेहरान में मारा गया था, जब वह ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेश्कियन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचा था।

सिनवार को अगस्त में ही हमास चीफ बनाया गया था, 31 जुलाई को तेहरान में इस्माइल हानिया की मौत के बाद याह्या सिनवार को हमास की कमान सौंपी गई थी। इस्‍माइल हान‍िया के मारे जाने के बाद सिनवार ही हमास को कंट्रोल कर रहा था। उसी के इशारे पर हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर लोगों की हत्‍याएं की थीं और उन्‍हें बंधक बनाकर गाजा ले गए थे। 

कुछ द‍िन पहले खबर आई थी कि याह्या सिनवार बंकर में छिपकर रह रहा है। उसके साथ इजरायल के तमाम बंधक भी हैं। ये भी दावा क‍िया जा रहा था क‍ि उसके हाथ में एक बैग है, जिसमें 15 क‍िलो से ज्‍यादा डाइनामाइट भरा हुआ है। वह इसे साथ लेकर इसल‍िए चल रहा है, क्‍योंक‍ि बंधक न मारे जाएं, इस डर से इजरायल उस पर हमला नहीं करेगा।

कौन है याह्या सिनवार?

याह्या सिनवार हमास का पॉलिटिकल चीफ है, उसे इस्माइल हानिया की मौत के बाद अगस्त में ही संगठन की कमान सौंपी गई थी। सिनवार का जन्म 1962 में गाजा पट्टी के शरणार्थी शिविर में हुआ था। इजराइल ने सिनवार को 3 बार गिरफ्तार किया था लेकिन 2011 में एक इजराइली सैनिक के बदले में इजराइल को 127 कैदियों के साथ सिनवार को भी रिहा करना पड़ा। वहीं, सितंबर 2015 में अमेरिका ने सिनवार का नाम इंटरनेशनल आतंकियों की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था।

कनाडा के साथ तनाव के बीच स्ट्राइकर खरीदने की योजना “खटाई” में! जानें भारत के लिए कितना बड़ा झटका

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कनाडा के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। इंडियन आर्मी का स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियां खरीदने का प्लान खटाई में पड़ता दिख रहा है। दरअसल, ये गाड़ियां कनाडा में बनती हैं। पिछले साल नवंबर में भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका ने 'स्ट्राइकर' के सह-उत्पादन पर जोर दिया था। अमेरिका ने भारत को इसके एयर डिफेंस सिस्टम वेरिएंट की पेशकश की थी, लेकिन भारत-कनाडा विवाद के चलते 'स्ट्राइकर' बख्तरबंद वाहनों की खरीदी डील अधर में दिखाई पड़ रही है।

इसी साल जून से ‘स्ट्राइकर’ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत शुरुआती चरण में थी और इसकी क्षमताओं का प्रदर्शन भारतीय सेना के सामने किया जाना था। लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल भारत ने ‘स्ट्राइकर’ की खरीद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है।कनाडा से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब इस डील पर संशय के बादल छा गए हैं। सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले में आगे कोई बात नहीं हुई है और न ही गाड़ियां खरीदने को लेकर कोई फैसला लिया गया है।

पिछले एक साल से कनाडा की इन गाड़ियों को भारत को बेचने की पुरजोर कोशिशें हो रही थीं। इस प्रोजेक्ट को 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का हिस्सा बताया जा रहा था। शुरुआती प्लान के मुताबिक, पहले तो कनाडा से सीधे कुछ गाड़ियां खरीदी जातीं और फिर बाद में कनाडा की कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स के साथ मिलकर भारत में ही इनका निर्माण किया जाता।

हालांकि, भारत की अपनी रक्षा कंपनियों को यह बात रास नहीं आ रही थी। उनका कहना था कि उन्होंने इसी तरह की गाड़ियां बनाने में अपनी पूंजी और मेहनत लगाई है और अब विदेशी कंपनी को मौका देना सही नहीं होगा। भारतीय कंपनियों ने सरकार से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि हमारे पास ऐसी गाड़ियां बनाने की पूरी तकनीक और क्षमता है, तो फिर स्ट्राइकर गाड़ियों के लिए कनाडा के साथ समझौता करने का क्या मतलब?

जानकारी के मुताबिक इन वाहनों को सेना बॉर्डर के आगे के क्षेत्रों में उपयोग के लिए भेजा जाना था, खासकर लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भारत इनकी तैनाती करना चाहता था, लेकिन भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों ने इस योजना पर संदेह पैदा कर दिए हैं।

'दो महीने में जम्मू-कश्मीर को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा', सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका

#supreme_court_agrees_to_list_plea_for_restoration_of_statehood_in_j&k

जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की समयसीमा तय करने का अनुरोध से जुड़ी याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन ने भारत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच से अनुरोध किया कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि वह तय समय के अंदर जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा।

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द समयबद्ध तरीके से बहाल करने के लिए उचित निर्देश पारित किए जाए।याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस, जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के सामने इस मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

कश्मीर के रहने वाले शिक्षक जहूर अहमद भट और सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद मलिक ने यह याचिका दाखिल की है। उन्होंने केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए बयान का हवाला दिया है। अनुच्छेद 370 मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से बोलते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे। इसके बाद उसका राज्य का दर्जा भी बहाल होगा।

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा न देना भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है। वहां विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए। सुरक्षा से जुड़ी चिंता, स्थानीय हिंसा या किसी दूसरी गड़बड़ी की कोई आशंका नजर नहीं आती। ऐसे में जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर राज्य का दर्जा देने में कोई बाधा नहीं है। इसलिए, कोर्ट केंद्र को निर्देश दे कि वह 2 महीने में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे।

बता दें कि अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और धारा 35ए को खत्म किया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के जरिए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया था। जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य का दर्जा खोकर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। हालांकि, जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले सभी भाजपा समेत सभी दलों ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलवाया जाएगा।

भोपाल में छापेमारी के दौरान जूनियर ऑडिटर के घर में मिला 'कुबेर का खजाना', चल रहा लोकायुक्त का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त की टीम ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत छापेमारी की, जिसमें लाखों रुपये के आभूषण, नकदी तथा एक अवैध पिस्तौल बरामद की गई। तत्पश्चात, आरोपी के खिलाफ गांधी नगर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। यह कार्रवाई देर रात तक चली, जिसमें जेवरात, नकदी एवं संपत्ति के दस्तावेज भी मिले।

दरअसल, लोकायुक्त टीम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले की शिकायत पर तकनीकी शिक्षा विभाग के जूनियर ऑडिटर रमेश हिंगोरानी के घर सहित 6 अलग-अलग स्थानों पर छापा मारा। छापेमारी में रमेश हिंगोरानी के घर, स्कूलों और उनके बेटों के दफ्तर सम्मिलित थे। बैरागढ़ में दो, गांधी नगर में तीन और श्यामला हिल्स के पास एक दफ्तर पर कार्रवाई की गई। छापे के चलते रमेश हिंगोरानी के पास आय से अधिक संपत्ति मिली। टीम को कैश, डायमंड तथा सोने-चांदी के कीमती आभूषण, कई संपत्तियों के दस्तावेज, निवेश से जुड़े कागजात, चार कार और पांच दोपहिया वाहन मिले।लोकायुक्त की टीम ने 1014 ग्राम सोने के जेवरात जब्त किए, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 70 लाख रुपये है। इसके अतिरिक्त 1021 ग्राम चांदी के आभूषण भी बरामद हुए, जिनकी कीमत तकरीबन 55,500 रुपये आंकी गई।

छापेमारी में कुल 12,17,950 रुपये नकद भी जब्त किए गए। गांधी नगर के प्रेरणा किरण स्कूल एयरोसिटी में तलाशी के चलते एक देसी पिस्तौल भी मिली, जिसकी सूचना तत्काल गांधी नगर थाने को दी गई। नीलेश हिंगोरानी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच आरम्भ की गई है। तलाशी के चलते कई संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी मिले, जिनकी तहकीकात की जा रही है ताकि उनकी वैधता और सही मूल्यांकन हो सके। छापेमारी अभी भी जारी है तथा अफसरों का मानना है कि जांच से और भी खुलासे हो सकते हैं। बरामद दस्तावेजों एवं संपत्तियों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह छापेमारी भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का हिस्सा है।

शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, भारत के सामने आगे क्या है रास्ता?

#arrest_warrant_issued_against_former_bangladesh_pm_sheikh_hasina

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद देश छोड़ कर भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हाल में छात्रों के व्यापक आंदोलन के दौरान मानवता के विरुद्ध कथित अपराध के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस मामले में हसीना के अलावा अन्य शीर्ष अवामी लीग नेताओं सहित 45 लोगों के खिलाफ बृहस्पतिवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

अंतरराष्‍ट्रीय अपराध प्राधिकरण को शेख हसीना ने ही बनाया था ताकि साल 1971 में पाकिस्‍तानी सेना के नरसंहार में मदद करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई किया जा सके। अब इसी प्राधिकरण का इस्‍तेमाल करके मोहम्मद यूनुस की कार्यकारी सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करा दिया है।इस प्राधिकरण ने सरकार से कहा है कि वह शेख हसीना और 45 अन्‍य लोगों को अरेस्‍ट करके 18 नवंबर तक पेश करे। जिन लोगों को अरेस्‍ट करने का आदेश दिया गया है, उनमें शेख हसीना सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं।

अभियोजन पक्ष ने हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हत्याओं में कथित रूप से शामिल 50 अन्य लोगों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है। ट्रिब्यूनल को अब तक निर्वासित नेता और उनकी अवामी लीग के सहयोगियों के खिलाफ जबरन गायब करने, हत्या और सामूहिक हत्याओं की 60 शिकायतें मिल चुकी हैं। हसीना के 15 साल के शासन में व्यापक मानवाधिकार हनन देखने को मिले, जिसमें उनके राजनीतिक विरोधियों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लेना और उनकी हत्याएं शामिल हैं।

बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के बाद से सत्ता छोड़कर 5 अगस्त को भारत चलीं आई थीं। वह यूरोपिय देशों में शरण लेने की कोशिश में थी। हालांकि, किसी अन्य देश में शरण नहीं मिल पाने के वजह से तब से वह भारत में रह रहीं हैं। हसीना ढाका से भागने और भारत में शरण लेने के बाद से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई हैं।

बांग्लादेश में कई बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठ चुकी है। इस मामले में भारत के सामने कूटनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। माना जा रहा है कि शेख हसीना की वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। दरअसल, भारत और बांग्लादेश के मध्य एक प्रत्यर्पण संधि 2013 में हुई थी। अब सवाल उठता है कि अगर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करती है तो क्या भारत उसके अनुरोध को स्वीकार करेगा?

शाहरूख खान के बेटे को जेल भेजने वाले समीर वानखेड़े की महाराष्ट्र चुनाव में एंट्री! ये पार्टी दे रही टिकट

#sameerwankhedetocontestmaharashtraassemblyelection

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। इस बीच बड़ी खबर आ रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब एक हाई प्रोफाइल अधिकारी की एंट्री होने वाली है। शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के खिलाफ कथित ड्रग्स मामले में कार्रवाई से चर्चा में आये पूर्व एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े अब चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं।

किस सीट से लड़ेंगे चुनाव?

सूत्रों के मुताबिक समीर वानखेड़े आगामी विधानसभा में ताल ठोकेंगे। सूत्रों की माने तो आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े शिवसेना शिंदे गुट से जुड़ेंगे। उन्हें शिंदे गुट मुंबई की किसी एक विधानसभा सीट से टिकट दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस बात चर्चा काफी जोरों पर है कि वे धारावी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि समीर वानखेड़े ने अभी तक सरकारी नौकरी से इस्तीफा नहीं दिया है।

कौन हैं समीर वानखेड़े?

44 साल के समीर वानखेड़े 2008 बैच के आईआरएस भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं। 2021 तक उन्होंने मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर के रूप में काम किया। एनसीबी में शामिल होने से पहले, वानखेड़े ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी और एयर इंटेलिजेंस यूनिट के साथ काम किया।अपने पूरे करियर के दौरान, वानखेड़े ने ड्रग एन्फॉर्समेंट से जुड़ी कानून प्रवर्तन एजेंसियों में विभिन्न पदों पर काम किया है। समीर वानखेड़े ड्रग तस्करों और उनके नेटवर्क को निशाना बनाकर छापे मारने, खुफिया ऑपरेशन करने और अंडरकवर जांच करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। अपने 15 साल के करियर के दौरान उन्हें 17,000 किलोग्राम नशीले ड्रग्स पदार्थ और 165 किलोग्राम सोना जब्त करने का श्रेय दिया जाता है।

इन मामलों से बटोरीं सुर्खियां

अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद गिरोह के ड्रग्स नेक्सस को तोड़ना, इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामला, सिंगर मिका सिंह को कस्टम चोरी मामला,शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान की कोर्डलिया क्रूज ड्रग्स मामले में जेल डालने जैसे केस हैंडल करने वाले समीर वानखेड़े को जांबाज अधिकारियों में गिना जाता है।

संसद-हाईकोर्ट-एयरपोर्ट, सब वक्फ की जमीन पर, मुस्लिमों को वापस दे सरकार, वरना अंजाम भुगतना होगा..', अजमल की धमकी से फैली सनसनी

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में संसद भवन और उसके आसपास का इलाका वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना है। उन्होंने कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की जमीन पर बना हुआ है और सरकार इस 9.7 लाख बीघा वक्फ संपत्ति को हड़पना चाहती है। अजमल ने सरकार से मांग की है कि यह जमीन मुस्लिम समाज को वापस दी जाए।

अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है और यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के इन जमीनों का इस्तेमाल कर रही है, जो गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा, तो मोदी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर अजमल और कांग्रेस की आलोचना की है। उधर, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में संसदीय आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित किया।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि पाल ने कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक के तहत अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने का निमंत्रण दिया था, जो समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका यह भी दावा है कि JPC की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप लगाए गए थे, जो कि विधेयक से संबंधित नहीं थे।

बता दें कि, अनवर ने आरोप लगाए थे कि खड़गे ने अपने राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए वक्फ की जमीन हड़पी है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया था। वहीं, हाल ही में कांग्रेस प्रमुख खड़गे के परिवार पर कर्नाटक में भी डिफेंस के लिए आवंटित 5 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगा था, जब इस मामले में भाजपा ने शिकायत की, और जांच का खतरा मंडराने लगा, तो खड़गे परिवार ने चुपचाप 5 एकड़ जमीन सरकार को वापस सौंप दी। वहीं, कर्नाटक के सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने MUDA घोटाला यानी अपनी सस्ती जमीन के बदले सरकार से पॉश इलाके में 14 सम्पत्तियाँ ले ली थीं, पहले तो सिद्धारमैया इस आरोप से इंकार करते रहे। फिर जब गवर्नर ने जांच का आदेश दिया, तो सिद्धरमैया हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, और अदालत ने कहा कि तथ्यों और सबूतों को देखते हुए इस मामले की जांच जरूरी है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने वो 14 सम्पत्तियाँ चुपचाप सरकार को लौटा दी। जिसके बाद से गंभीर सवाल खड़े हुए थे कि, अगर कांग्रेस नेताओं ने घोटाला नहीं किया, तो वो जमीनें वापस क्यों लौटा रहे हैं।

वक्फ बिल पर भारत सरकार के 4 मुख्य संशोधन

इसमें चार मुख्य संशोधन हैं, पहले हम कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून की बात करें तो, इसमें सेक्शन 40 के तहत पहला प्रावधान ये था कि, अगर वक्फ अपने विश्वास के आधार पर किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंकता है, तो वो संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, उसे कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी और इस मामले में जिसे आपत्ति हो, वो वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाकर ही गुहार लगाए। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, पीड़ित, रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट आदि जा सकेगा।

कांग्रेस सरकार के कानून में दूसरा प्रावधान ये था कि, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा, यानी वो जो कहे, वही सत्य। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, इससे वक्फ की मनमानी ख़त्म होगी।

कांग्रेस सरकार के कानून के मुताबिक, तीसरा प्रावधान ये था कि, कहीं कोई मस्जिद है, मजार है, मदरसा है, या जमीन को इस्लामी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो जमीन अपने आप वक्फ की हो जाएगी, भले ही उसे किसी ने दान किया हो या नहीं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बयान में कह ही चुके हैं कि, ''एक बार जब मुस्लिम किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो वह जगह हमेशा के लिए मुस्लिमों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।'' ऐसे में अगर समुदाय, किसी पार्क, मैदान, रेलवे स्टेशन को इबादतगाह मानकर वहां नमाज़ पढ़ने लगेगा, तो क्या वो जमीन वक्फ की हो जाएगी ? इस मामले में भाजपा सरकार का संशोधन ये है कि, जब तक कोई जमीन वक्फ को दान ना की गई हो, तब तक वो संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती, भले ही वहां मस्जिद या मज़ार मौजूद हो।

कांग्रेस सरकार के कानून के चौथे प्रावधान के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाएगा। भाजपा सरकार का कहना है कि, बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।

आज वक्फ के पास देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है, जो भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है।