'दो महीने में जम्मू-कश्मीर को मिले पूर्ण राज्य का दर्जा', सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका

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जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की समयसीमा तय करने का अनुरोध से जुड़ी याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन ने भारत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच से अनुरोध किया कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि वह तय समय के अंदर जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा।

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द समयबद्ध तरीके से बहाल करने के लिए उचित निर्देश पारित किए जाए।याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस, जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के सामने इस मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

कश्मीर के रहने वाले शिक्षक जहूर अहमद भट और सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद मलिक ने यह याचिका दाखिल की है। उन्होंने केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए बयान का हवाला दिया है। अनुच्छेद 370 मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से बोलते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे। इसके बाद उसका राज्य का दर्जा भी बहाल होगा।

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा न देना भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है। वहां विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए। सुरक्षा से जुड़ी चिंता, स्थानीय हिंसा या किसी दूसरी गड़बड़ी की कोई आशंका नजर नहीं आती। ऐसे में जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर राज्य का दर्जा देने में कोई बाधा नहीं है। इसलिए, कोर्ट केंद्र को निर्देश दे कि वह 2 महीने में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे।

बता दें कि अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और धारा 35ए को खत्म किया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के जरिए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया था। जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य का दर्जा खोकर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। हालांकि, जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले सभी भाजपा समेत सभी दलों ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलवाया जाएगा।

भोपाल में छापेमारी के दौरान जूनियर ऑडिटर के घर में मिला 'कुबेर का खजाना', चल रहा लोकायुक्त का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकायुक्त की टीम ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत छापेमारी की, जिसमें लाखों रुपये के आभूषण, नकदी तथा एक अवैध पिस्तौल बरामद की गई। तत्पश्चात, आरोपी के खिलाफ गांधी नगर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। यह कार्रवाई देर रात तक चली, जिसमें जेवरात, नकदी एवं संपत्ति के दस्तावेज भी मिले।

दरअसल, लोकायुक्त टीम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले की शिकायत पर तकनीकी शिक्षा विभाग के जूनियर ऑडिटर रमेश हिंगोरानी के घर सहित 6 अलग-अलग स्थानों पर छापा मारा। छापेमारी में रमेश हिंगोरानी के घर, स्कूलों और उनके बेटों के दफ्तर सम्मिलित थे। बैरागढ़ में दो, गांधी नगर में तीन और श्यामला हिल्स के पास एक दफ्तर पर कार्रवाई की गई। छापे के चलते रमेश हिंगोरानी के पास आय से अधिक संपत्ति मिली। टीम को कैश, डायमंड तथा सोने-चांदी के कीमती आभूषण, कई संपत्तियों के दस्तावेज, निवेश से जुड़े कागजात, चार कार और पांच दोपहिया वाहन मिले।लोकायुक्त की टीम ने 1014 ग्राम सोने के जेवरात जब्त किए, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 70 लाख रुपये है। इसके अतिरिक्त 1021 ग्राम चांदी के आभूषण भी बरामद हुए, जिनकी कीमत तकरीबन 55,500 रुपये आंकी गई।

छापेमारी में कुल 12,17,950 रुपये नकद भी जब्त किए गए। गांधी नगर के प्रेरणा किरण स्कूल एयरोसिटी में तलाशी के चलते एक देसी पिस्तौल भी मिली, जिसकी सूचना तत्काल गांधी नगर थाने को दी गई। नीलेश हिंगोरानी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच आरम्भ की गई है। तलाशी के चलते कई संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी मिले, जिनकी तहकीकात की जा रही है ताकि उनकी वैधता और सही मूल्यांकन हो सके। छापेमारी अभी भी जारी है तथा अफसरों का मानना है कि जांच से और भी खुलासे हो सकते हैं। बरामद दस्तावेजों एवं संपत्तियों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह छापेमारी भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का हिस्सा है।

शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, भारत के सामने आगे क्या है रास्ता?

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद देश छोड़ कर भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हाल में छात्रों के व्यापक आंदोलन के दौरान मानवता के विरुद्ध कथित अपराध के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस मामले में हसीना के अलावा अन्य शीर्ष अवामी लीग नेताओं सहित 45 लोगों के खिलाफ बृहस्पतिवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

अंतरराष्‍ट्रीय अपराध प्राधिकरण को शेख हसीना ने ही बनाया था ताकि साल 1971 में पाकिस्‍तानी सेना के नरसंहार में मदद करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई किया जा सके। अब इसी प्राधिकरण का इस्‍तेमाल करके मोहम्मद यूनुस की कार्यकारी सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करा दिया है।इस प्राधिकरण ने सरकार से कहा है कि वह शेख हसीना और 45 अन्‍य लोगों को अरेस्‍ट करके 18 नवंबर तक पेश करे। जिन लोगों को अरेस्‍ट करने का आदेश दिया गया है, उनमें शेख हसीना सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं।

अभियोजन पक्ष ने हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हत्याओं में कथित रूप से शामिल 50 अन्य लोगों के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है। ट्रिब्यूनल को अब तक निर्वासित नेता और उनकी अवामी लीग के सहयोगियों के खिलाफ जबरन गायब करने, हत्या और सामूहिक हत्याओं की 60 शिकायतें मिल चुकी हैं। हसीना के 15 साल के शासन में व्यापक मानवाधिकार हनन देखने को मिले, जिसमें उनके राजनीतिक विरोधियों को बड़े पैमाने पर हिरासत में लेना और उनकी हत्याएं शामिल हैं।

बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के बाद से सत्ता छोड़कर 5 अगस्त को भारत चलीं आई थीं। वह यूरोपिय देशों में शरण लेने की कोशिश में थी। हालांकि, किसी अन्य देश में शरण नहीं मिल पाने के वजह से तब से वह भारत में रह रहीं हैं। हसीना ढाका से भागने और भारत में शरण लेने के बाद से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई हैं।

बांग्लादेश में कई बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठ चुकी है। इस मामले में भारत के सामने कूटनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। माना जा रहा है कि शेख हसीना की वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। दरअसल, भारत और बांग्लादेश के मध्य एक प्रत्यर्पण संधि 2013 में हुई थी। अब सवाल उठता है कि अगर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करती है तो क्या भारत उसके अनुरोध को स्वीकार करेगा?

शाहरूख खान के बेटे को जेल भेजने वाले समीर वानखेड़े की महाराष्ट्र चुनाव में एंट्री! ये पार्टी दे रही टिकट

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। इस बीच बड़ी खबर आ रही है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब एक हाई प्रोफाइल अधिकारी की एंट्री होने वाली है। शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के खिलाफ कथित ड्रग्स मामले में कार्रवाई से चर्चा में आये पूर्व एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े अब चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं।

किस सीट से लड़ेंगे चुनाव?

सूत्रों के मुताबिक समीर वानखेड़े आगामी विधानसभा में ताल ठोकेंगे। सूत्रों की माने तो आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े शिवसेना शिंदे गुट से जुड़ेंगे। उन्हें शिंदे गुट मुंबई की किसी एक विधानसभा सीट से टिकट दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस बात चर्चा काफी जोरों पर है कि वे धारावी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि समीर वानखेड़े ने अभी तक सरकारी नौकरी से इस्तीफा नहीं दिया है।

कौन हैं समीर वानखेड़े?

44 साल के समीर वानखेड़े 2008 बैच के आईआरएस भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं। 2021 तक उन्होंने मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर के रूप में काम किया। एनसीबी में शामिल होने से पहले, वानखेड़े ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी और एयर इंटेलिजेंस यूनिट के साथ काम किया।अपने पूरे करियर के दौरान, वानखेड़े ने ड्रग एन्फॉर्समेंट से जुड़ी कानून प्रवर्तन एजेंसियों में विभिन्न पदों पर काम किया है। समीर वानखेड़े ड्रग तस्करों और उनके नेटवर्क को निशाना बनाकर छापे मारने, खुफिया ऑपरेशन करने और अंडरकवर जांच करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। अपने 15 साल के करियर के दौरान उन्हें 17,000 किलोग्राम नशीले ड्रग्स पदार्थ और 165 किलोग्राम सोना जब्त करने का श्रेय दिया जाता है।

इन मामलों से बटोरीं सुर्खियां

अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद गिरोह के ड्रग्स नेक्सस को तोड़ना, इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामला, सिंगर मिका सिंह को कस्टम चोरी मामला,शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान की कोर्डलिया क्रूज ड्रग्स मामले में जेल डालने जैसे केस हैंडल करने वाले समीर वानखेड़े को जांबाज अधिकारियों में गिना जाता है।

संसद-हाईकोर्ट-एयरपोर्ट, सब वक्फ की जमीन पर, मुस्लिमों को वापस दे सरकार, वरना अंजाम भुगतना होगा..', अजमल की धमकी से फैली सनसनी

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को विवादास्पद बयान देकर सनसनी फैला दी है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में संसद भवन और उसके आसपास का इलाका वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना है। उन्होंने कहा कि वसंत विहार से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट तक का क्षेत्र वक्फ की जमीन पर बना हुआ है और सरकार इस 9.7 लाख बीघा वक्फ संपत्ति को हड़पना चाहती है। अजमल ने सरकार से मांग की है कि यह जमीन मुस्लिम समाज को वापस दी जाए।

अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की सूची सामने आ रही है और यह मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के इन जमीनों का इस्तेमाल कर रही है, जो गलत है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा जारी रहा, तो मोदी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दलित नेता और लेखक दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर अजमल और कांग्रेस की आलोचना की है। उधर, विपक्षी सांसदों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक में संसदीय आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण ढंग से संचालित किया।

विपक्षी सांसदों का कहना है कि पाल ने कर्नाटक वक्फ घोटाला रिपोर्ट 2012 पर आधारित वक्फ विधेयक के तहत अनवर मणिप्पाडी को समिति के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत करने का निमंत्रण दिया था, जो समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका यह भी दावा है कि JPC की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप लगाए गए थे, जो कि विधेयक से संबंधित नहीं थे।

बता दें कि, अनवर ने आरोप लगाए थे कि खड़गे ने अपने राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए वक्फ की जमीन हड़पी है, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया था। वहीं, हाल ही में कांग्रेस प्रमुख खड़गे के परिवार पर कर्नाटक में भी डिफेंस के लिए आवंटित 5 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगा था, जब इस मामले में भाजपा ने शिकायत की, और जांच का खतरा मंडराने लगा, तो खड़गे परिवार ने चुपचाप 5 एकड़ जमीन सरकार को वापस सौंप दी। वहीं, कर्नाटक के सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया पर भी आरोप लगा था कि उन्होंने MUDA घोटाला यानी अपनी सस्ती जमीन के बदले सरकार से पॉश इलाके में 14 सम्पत्तियाँ ले ली थीं, पहले तो सिद्धारमैया इस आरोप से इंकार करते रहे। फिर जब गवर्नर ने जांच का आदेश दिया, तो सिद्धरमैया हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, और अदालत ने कहा कि तथ्यों और सबूतों को देखते हुए इस मामले की जांच जरूरी है। इसके बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने वो 14 सम्पत्तियाँ चुपचाप सरकार को लौटा दी। जिसके बाद से गंभीर सवाल खड़े हुए थे कि, अगर कांग्रेस नेताओं ने घोटाला नहीं किया, तो वो जमीनें वापस क्यों लौटा रहे हैं।

वक्फ बिल पर भारत सरकार के 4 मुख्य संशोधन

इसमें चार मुख्य संशोधन हैं, पहले हम कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए कानून की बात करें तो, इसमें सेक्शन 40 के तहत पहला प्रावधान ये था कि, अगर वक्फ अपने विश्वास के आधार पर किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंकता है, तो वो संपत्ति वक्फ की हो जाएगी, उसे कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी और इस मामले में जिसे आपत्ति हो, वो वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाकर ही गुहार लगाए। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, पीड़ित, रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, हाई कोर्ट आदि जा सकेगा।

कांग्रेस सरकार के कानून में दूसरा प्रावधान ये था कि, वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा, यानी वो जो कहे, वही सत्य। भाजपा सरकार का संशोधन है कि, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी, इससे वक्फ की मनमानी ख़त्म होगी।

कांग्रेस सरकार के कानून के मुताबिक, तीसरा प्रावधान ये था कि, कहीं कोई मस्जिद है, मजार है, मदरसा है, या जमीन को इस्लामी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो जमीन अपने आप वक्फ की हो जाएगी, भले ही उसे किसी ने दान किया हो या नहीं। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बयान में कह ही चुके हैं कि, ''एक बार जब मुस्लिम किसी जगह को इबादतगाह के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर देता है तो वह जगह हमेशा के लिए मुस्लिमों की संपत्ति बन जाती है और अब मोदी सरकार उस प्रावधान को बदल रही है।'' ऐसे में अगर समुदाय, किसी पार्क, मैदान, रेलवे स्टेशन को इबादतगाह मानकर वहां नमाज़ पढ़ने लगेगा, तो क्या वो जमीन वक्फ की हो जाएगी ? इस मामले में भाजपा सरकार का संशोधन ये है कि, जब तक कोई जमीन वक्फ को दान ना की गई हो, तब तक वो संपत्ति वक्फ की नहीं हो सकती, भले ही वहां मस्जिद या मज़ार मौजूद हो।

कांग्रेस सरकार के कानून के चौथे प्रावधान के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाएगा। भाजपा सरकार का कहना है कि, बोर्ड में 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को सदस्य बनाया जाएगा।

आज वक्फ के पास देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन है, जो भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है।

अरुणकुमार नंबूदरी बने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के नए मुख्य पुजारी, जानिए, क्या है चयन प्रक्रिया और कैसे किया गया चयन

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के नए मुख्य पुजारी के रूप में एस अरुणकुमार नंबूदरी को चुना गया है। अरुणकुमार, जो कि कोल्लम के शक्तिकुलंगरा के निवासी हैं, 15 नवंबर को सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मेलशांति (मुख्य पुजारी) का कार्यभार संभालेंगे। इससे पहले वे तिरुवनंतपुरम के अट्टुकल मंदिर में भी मुख्य पुजारी रह चुके हैं।

अरुणकुमार ने पुजारी चुने जाने पर खुशी जताते हुए इसे भगवान अयप्पा की कृपा बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस खबर की जानकारी सुबह की पूजा के बाद मिली। उनका नाम पिछले छह साल से ड्रा में था, और उन्होंने इस मौके का धैर्यपूर्वक इंतजार किया। अरुणकुमार का कहना है कि उन्होंने बचपन से भगवान अयप्पा की सेवा का संकल्प लिया है और वे अपना पूरा जीवन इसी में समर्पित करेंगे। त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) ने कुल 24 पुजारियों के पैनल से अरुणकुमार को ड्रा के जरिए सबरीमाला मंदिर का मुख्य पुजारी चुना है। इसी तरह, कोझिकोड के वासुदेवन नंबूदरी को मलिकप्पुरम देवी मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में चुना गया है। दोनों पुजारी अगले साल तक अपने पदों पर रहेंगे।

यह चयन प्रक्रिया पंडालम राजपरिवार के ऋषिकेश वर्मा के द्वारा लकी ड्रॉ के माध्यम से की गई, जिसमें पर्ची राजपरिवार की वैष्णवी द्वारा निकाली गई। अरुणकुमार अयप्पा मंदिर के 16वें मेलशांति बने हैं। वे बचपन से ही मंदिर के माहौल में पले-बढ़े हैं, क्योंकि उनके पिता भी श्री धर्म सष्णा मंदिर में पुजारी थे, और अरुणकुमार उन्हें पूजा में सहायता करते थे।

हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी सरकार, नायब सैनी बने सीएम, ये चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल
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* हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार सरकार बना ली है। नायब सैनी ने पंचकूला में आयोजित भव्य समारोह में सीएम पद की शपथ ली। उनके साथ ही 13 मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली।सबसे पहले नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद दूसरे नंबर पर अनिल विज को शपथ दिलाई गई। *अनिल विज ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* नायब सिंह सैनी के बाद अनिल विज ने मंत्री पद की शपथ ली। अनिल विज हरियाणा में बीजेपी के सबसे सीनियर विधायक हैं। उन्होंने अंबाला कैंट निर्वाचन क्षेत्र से लगातार सातवीं बार जीत हासिल की। विज मनोहर लाल खट्टर के सरकार में हरियाणा के गृह मंत्री थे। विज के पास स्वास्थ्य और खेल जैसे कई विभाग भी रहे हैं। साल 2014 से पहले वह राज्य में बीजेपी विधायक दल के नेता थे। विज पंजाबी समुदाय से आते हैं। *कृष्ण लाल पंवार बने कैबिनेट मंत्री* अनिल विज के बाद बीजेपी विधायक कृष्ण लाल पंवार ने मंत्री पद की शपथ ली। वह दूसरी बार मंत्री बने हैं। पंवार दलित समुदाय से आते हैं। कृष्ण लाल पंवार पानीपत के इसराना सीट से विधायक हैं। वह कुल सात बार विधानसभा चुनाव लड़े जिनमें से पांच बार जीत दर्ज की। पंवार ने अभी हाल में ही राज्यसभा सांसद से इस्तीफा दिया था। कृष्ण लाल कभी पानीपत के थर्मल फ्लांट में बिजली बोर्ड के कर्मचारी थे। उन्होंने इनेलो से राजनीतिक पारी शुरू की। वह इनेलो छोड़कर 2014 में बीजेपी में शामिल हुए। *विपुल गोयल क मिला कैबिनेट मंत्री का पद* विपुल गोयल फरीदाबाद सीट से जीते हैं। वह वैश्य समुदाय से आते हैं। गोयल दूसरी बार मंत्री बने हैं। गोयल 2014 में भी विधायक बने थे। जब 2016 से जब मनोहर लाल कैबिनेट का विस्तार हुआ तो विपुल गोयल को पर्यावरण एवं उद्योग मंत्री बनाया गया था। *राव नरवीर सिंह ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* गुरुग्राम के बादशाहपुर से विधायक राव नरवीर को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। नरवीर तीसरी बार विधायक बने हैं। 2019 में उनका टिकट काट दिया गया था। हालांकि 2024 में उन्हें टिकट मिला और कांग्रेस उम्मीदवार वर्धन यादव को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। नरवीर यादव समुदाय से आते हैं। *महिपाल ढांडा ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* बीजेपी नेता महिलापल ढांडा ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। ढांडा जाट समुदाय से आते हैं। महिलापल लगातार दूसरी बार सैनी कैबिनेट में शामिल हुए हैं। वह पानीपत ग्रामीण सीट से विधायक हैं। वह 2019 में भी यहां से विधायक चुने गए थे। *श्रुति चौधरी ने ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ* बीजेपी नेता श्रुति चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। वह तोशाम सीट से पहली बार विधायक बनी हैं। वह जाट समुदाय से आती हैं। श्रुति राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी हैं। श्रुति की मां किरण चौधरी भी हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। तोशाम सीट श्रुति चौधरी के परिवार के पास 50 साल से ज्यादा समय से है। मां-बेटी चुनाव से पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। *आरती राव ने ली शपथ* नारनौल के अटेली विधान सभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक आरती राव राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हैं। नव निर्वाचित विधायक आरती राव अंतरराष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी रही है। आरती राव ने 2001 तथा 2012 में शूटिंग वर्ल्ड कप में भाग लिया तथा चार बार एशियन चैंपियन में मेडल जीते। आरती ने 2017 में खेलों से संन्यास ले लिया और उसके बाद से राजनीति में रुचि ले रही हैं। हरियाणा विधान सभा चुनाव 2024 में आरती राव ने अटेली विधान सभा से पहली बार चुनाव लड़ा और एक कड़े मुकाबले में बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर अतरलाल को 3000 मतों से शिकस्त देकर विधायक चुनी गई हैं। *अरविंद शर्मा बने कैबिनेट मंत्री* बीजेपी नेता अरविंद शर्मा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह 2024 के लोकसभा चुनाव में रोहतक से चुनाव हार गए थे। विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने गोहाना सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। अरविंद शर्मा 2019 में रोहतक से सांसद चुने गए थे। वह ब्राह्राण समुदाय से आते हैं। *श्याम सिंह राणा भी बने कैबिनेट मंत्री* राजपूत समुदाय से आने वाले श्याम सिंह राणा पहली बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। वह यमुनानगर के रादौर सीट से विधायक बने हैं। रादौर सीट कांग्रेस से छीनकर उन्होंने बीजेपी की झोली में डाली जिसका फल उन्हें मंत्री पद के रुप में मिला। इससे पहले वह 2014 में भी यहां से विधायक बने थे। खट्टर सरकार में वह मुख्य संसदीय सचिव भी बनाए गए थे। *रणबीर गंगवा को भी बनाया गया मंत्री* रणबीर गंगवा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में वह डिप्टी स्पीकर थे। गंगवा हिसार जिले की बरवाला सीट से विधायक हैं। वह नलवा से भी विधायक रह चुके हैं। 2010 में वह इनेलो के टिकट पर राज्यसभा सांसद चुने गए थे। 2014 में उन्होंने इनेलो के टिकट पर नलवा सीट जीत दर्ज की। 2019 में बीजेपी के टिकट पर नलवा से लड़े और जीत भी दर्ज की। इस तरह गंगवा लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। दो बार बीजेपी के टिकट पर विधायक बने। रणबीर गंगवा ओबीसी समुदाय से आते हैं।
चीन ने ताइवान को चौतरफा घेरा, क्या अटैक की है तैयारी?

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दुनिया युद्ध की चपेट में हैं। एक तरफ इजराइल-हमास के बीच जंग जारी है तो दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन के बीच। मिडिल ईस्ट और यूक्रेन-रूस के बाद जंग का तीसरा फ्रंट खुल रहा है। इस युद्ध का सेंटर ताइवान होगा। चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। चीन लगातार ताइवान में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। गुरुवार सुबह एक बार फिर चीन के 20 विमानों और आठ नौसैनिक जहाजों ने ताइवान में प्रवेश किया।

चीन ने ताइवान के पास ‘ज्वॉइंट स्वॉर्ड-2024 नाम से एक्सरसाइज’ की। कुल 9 जगहों पर चीन ने अपनी सेना तैनात की। इस मिलिट्री ड्रिल में चीन की नेवी और एयरफोर्स शामिल हुई। चीन के नेवी की जंगी वॉरशिप ‘लियाओनिंग’ भी इस युद्धाभ्यास में शामिल की गई। चीन की ज्यादातर कोशिश ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों पर नाकाबंदी करने की थी। इस एक्सरसाइज के बाद चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर लिया है। चीन इस मिलिट्री ड्रिल के बहाने ताइवान के आसपास बारूद बरसा रहा है। साथ ही तेजी के साथ ताइवान की सीमा के करीब आ रहा है। चीन के कई युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर ताइवान को घेरे हुए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के 153 एयरक्राफ्ट ताइवान के पास देखे गए। इसमें 111 एयरक्राफ्ट ने मीडियन लाइन को पार किया. मीडियन लाइन को चीन सीमा रेखा नहीं मानता है।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के लड़ाकू विमान, वॉरशिप और जहाज ताइवान की सीमा के करीब देखे गए। ताइवान ने भी चीन की हरकतों का माकूल जवाब दिया। चीन के खतरे को देखते हुए ताइवान ने अपने एयरफोर्स को रेडी-टू-अटैक मोड में रखा है और चीन को जवाबी हमले की चेतावनी भी दे दी है। ताइवान की सेना ने चीन के युद्धाभ्यास के बाद अपने ड्रोन और मिसाइलों तैनात कर दी हैं। ताइवान के ड्रोन और मिसाइलें समुद्री सीमा के पास चीन की सेना को करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं। ताइवान स्ट्रेट में ताइवान के ड्रोन चीन की सेना के हर कदम पर बराबर निगाह रखे हुए हैं। इसके अलावा ताइवान ने अपने वॉरशिप, लड़ाकू विमान और एंटी-शिप मिलाइलें भी तैनात कर दी हैं।

ताइवान का क्‍या रहा है इत‍िहास ?

ली ने एक बयान में कहा, ‘यह उन लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं और हमारी राष्ट्रीय संप्रभुत्ता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।’ इसके साथ ही चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय ने सोमवार को घोषणा की कि वह ताइवान की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के काम के लिए ताइवान के दो लोगों पूमा शेन और रॉबर्ट त्साओ पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में चीन के साथ एकीकृत होने से पहले ताइवान एक जापानी उपनिवेश था। 1949 में यह उससे अलग हो गया जब माओ त्से तुंग के कम्युनिस्टों के चीन में सत्ता में आने के बाद उनके विरोधी च्यांग काई-शेक के समर्थक भागकर ताइवान आ गए।

नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, धारा 6A की वैधता बरकरार रखी

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए को संवैधानिक करार दिया है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया। 

सुप्रीम कोर्ट असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की सांविधानिक वैधता को चुनौती वाली याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुनाया। इस धारा को असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में एक संशोधन के माध्यम से संविधान मे शामिल किया गया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई।

बहुमत के फैसले को पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि धारा 6A का अधिनियमन असम के सामने आने वाली एक अनूठी समस्या का राजनीतिक समाधान था क्योंकि बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के भारी संख्‍या में यहां आने से इसकी संस्कृति और डेमोग्राफी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिटिजनशिप एक्‍ट पर कहा, केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि यह असम के लिए था। आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम में अधिक है। असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है, क्योंकि असम का भूमि क्षेत्र पश्चिम बंगाल से कम है।

नागरिकता कानून 1955 की धारा 6A क्या है?

यह धारा 1955 के अधिनियम में राजीव गांधी सरकार द्वारा 1985 में डाला गया एक विशेष प्रावधान है, जिसके तहत 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई। असम समझौते के बाद 1985 में लागू किए गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6A ने 1966-1971 के बीच भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों की नागरिकता पर रोक लगा दी और उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया था।

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: ऑस्ट्रेलिया-तुर्की में बनी पिस्तौल, यूट्यूब पर ट्रेनिंग, एक-एक कर खुल रहे राज

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महाराष्ट्र में एनसीपी के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी शूट आउट केस में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इसी क्रम में अब मुंबई पुलिस ने बताया है कि एनसीपी नेता की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल बरामद कर ली गईं हैं। दावा किया गया कि इनमें से एक ऑस्ट्रेलियाई मेड ग्लॉक पिस्‍टल तो दूसरी तुर्की मेड पिस्‍टल है। वहीं तीसरी एक देसी पिस्‍टल है। पुलिस ने तीनों हथियार बरामद कर लिए हैं। इससे पहले, मुंबई पुलिस ने बताया था कि जांच में पता चला है कि हत्या में शामिल शूटर्स ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर हथियार चलाना सीखा था।

मुंबई पुलिस पहले ही यह साफ कर चुकी है कि वारदात से चंद दिन पहले ही शूटर्स के पास ये हथियार पहुंचाए गए थे। हमलावरों ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर ये पिस्टल चलानी सीखी थी। बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर की रात को उनके विधायक बेटे जीशान सिद्दीकी के निर्मल नगर इलाके में मौजूद ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में पुलिस के अनुसार तीन शूटरों ने उनकी हत्या की थी। हालांकि मामले में मुबंई पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस पुलिस ने अब तक जिन चार लोगों को अरेस्‍ट किया है, जिनमें दो कथित शूटर हरियाणा के रहने वाले गुरमेल बलजीत सिंह और उत्तर प्रदेश का धर्मराज राजेश कश्यप है। इसके अलावा हरीशकुमार बालकराम निषाद और पुणे का सह-साजिशकर्ता प्रवीण लोनकर भी इस हत्‍याकांड में शामिल हैं। निषाद और कश्यप उसी गांव के हैं, जहां का फरार आरोपी शिवकुमार गौतम है।

इस मामले में अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि शिवकुमार गौतम ने उत्तर प्रदेश में शादियों में जश्न के दौरान की जाने वाली फायरिंग के दौरान बंदूक चलाना सीखा था। अधिकारी ने गुरमेल सिंह और धर्मराज कश्यप से पूछताछ का हवाला देते हुए बताया कि शिवकुमार गौतम को इस वारदात में 'मुख्य शूटर' के तौर पर रखा गया था, क्योंकि वह बंदूक चलाना जानता था।

उन्होंने बताया कि शिवकुमार गौतम ने ही धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह को कुर्ला में किराए के घर में हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था, जहां उन्होंने खुली जगह की कमी के कारण ड्राई प्रैक्टिस (बिना गोली के गोली चलाना) किया था। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने करीब चार हफ्ते तक यूट्यूब वीडियो देखकर हथियार लोड करना और उतारना सीखा। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि कथित सह-षड्यंत्रकारियों में से एक शुभम लोनकर से पुलिस ने जून में अभिनेता सलमान खान के बांद्रा में मौजूद घर के बाहर गोलीबारी के सिलसिले में पूछताछ की थी, ये पूरी वारदात कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के नेटवर्क से जुड़ी हुई है।