पेरासिटामोल-पैंटोसिड-बी कॉम्प्लेक्स समेत 53 दवाएं क्वॉलिटी टेस्ट में फेल, कंपनियों ने माना नकली !

भारत के औषधि नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा किए गए ताजा गुणवत्ता परीक्षण में 50 से अधिक दवाएं, जिनमें कैल्शियम और विटामिन डी3 की खुराक, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की गोलियां शामिल हैं, फेल हो गई हैं। CDSCO ने अपनी मासिक औषधि चेतावनी सूची में 53 दवाओं को "मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं" (NSQ) घोषित किया है। ये अलर्ट राज्यों द्वारा औषधि के नमूनों की जांच के आधार पर जारी किए जाते हैं।

इस सूची में विटामिन डी3 की गोली शेल्कल, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन सी सॉफ्टजेल, एंटीएसिड पैन-डी, पैरासिटामोल 500 एमजी, मधुमेह की दवा ग्लिमेपिराइड, उच्च रक्तचाप की दवा टेल्मिसर्टन जैसी कई महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं। ये दवाएं एल्केम लैबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड और हेटेरो ड्रग्स जैसी प्रसिद्ध कंपनियों द्वारा निर्मित हैं। एक प्रमुख उदाहरण पेट के संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेट्रोनिडाजोल की है, जो हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई और परीक्षण में असफल पाई गई।

इस परीक्षण में विफल होने वाली कुछ दवाओं को नकली भी माना गया है, जैसे कि एल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक क्लेवम 625 और पैन डी। इसी प्रकार हेटेरो द्वारा निर्मित बच्चों के लिए गंभीर संक्रमण के इलाज में उपयोग की जाने वाली सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन को घटिया गुणवत्ता का बताया गया है। अक्सर गैस, एसिडिटी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पैंटासिड भी क्वालिटी टेस्ट में फेल पाई गई है। हालाँकि, कंपनियों ने इस विफलता के बाद जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है और दावा किया है कि यह दवाएं नकली हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह बैच उनके द्वारा नहीं बनाया गया था और यह नकली दवाएं हो सकती हैं, जिसकी जांच की जा रही है।

अगस्त में भी SDSCO ने 156 से अधिक फिक्स्ड-डोज़ दवा संयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उन्हें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाया गया था। इन दवाओं में बुखार, दर्द निवारक और एलर्जी की दवाएं शामिल थीं। अब सवाल यह उठता है कि पेरासिटामोल, बी काम्प्लेक्स जैसी दवाएं, जो लगभग हर घर में इस्तेमाल होती हैं, अगर गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो जाती हैं, तो क्या इन दवाओं को बनाने वाली कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा? आखिर लोगों की सेहत के साथ हुए इस खिलवाड़ के लिए कौन जवाबदेह होगा?

लेबनान में घुसने जा रही इजरायली सेना, दिए जमीनी हमले के दिए संकेत

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इजरायल द्वारा सोमवार को लेबनान पर भीषण हवाई हमला शुरू किए जाने के बाद से यहां 600 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इजरायली सेना ने बमबारी कर हिज्बुल्लाह के कई ठिकानों को तबाह कर दिया है। अब इजरायल हिज्बुल्लाह का सफाया करने के लिए लेबनान में जमीनी हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इजराइल सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हेरजी हालेवी ने अपने सैनिकों को लेबनान में जमीनी हमले के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। पहले इजराइल की लेबनान में जमीनी हमले की योजना नहीं थी, लेकिन अब जैसे हालात बन गए हैं और हिजबुल्ला ने इस्राइल को धमकी दी है, उसके बाद जमीनी हमले की आशंका बढ़ गई है।

इजरायली सेना के प्रमुख ने बुधवार को सैनिकों से कहा कि लेबनान में उसके हवाई हमलों का लक्ष्य हिजबुल्लाह के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना और इजरायली बलों के लिए रास्ता साफ करना है। इजरायली सेना प्रमुख हर्जी हलेवी ने लेबनान के साथ उत्तरी सीमा का दौरा किया। उन्होंने कहा, 'आप जेट विमानों की आवाज सुनते हैं। हम पूरा दिन हमला करते हैं। उन्होंने आगे कहा, 'यह आपके लेबनान में घुसने के लिए जमीन तैयार करने और हिजबुल्लाह को अपमानित करने के लिए है।

हालेवी ने कहा कि लेबनान में सेना के जाने का लक्ष्य उत्तरी सीमा पर तनाव के कारण अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हजारों लोगों को वापस लाना है। उन्होंने कहा, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, हम एक नई चाल चलेंगे। इसका मतलब है कि हमारे सैनिक लेबनान में घुसेंगे। दुश्मन के इलाकों में प्रवेश करेंगे। उन गांवों में प्रवेश करेंगे जिन्हें हिजबुल्लाह ने बड़ी सैन्य चौकियों के रूप में तैयार किया है। हालेवी ने कहा, लेबनन में घुसने से उन्हें पता चलेगा कि एक प्रोफेशनल, अत्यधिक कुशल और युद्ध में अनुभवी सेना से लड़ने का क्या मतलब है।

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा है कि वह पश्चिम एशिया में युद्धविराम की कोशिश कर रहा है और इजरायल और लेबनान के बीच तनाव को कम करने के प्रयास कर रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इजरायल और लेबनान से शांति बनाए रखने की अपील की है और चेताया है कि अगर युद्ध हुआ तो इससे पूरे पश्चिम एशिया में तबाही आ सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने एक बयान में कहा है कि 'इस्राइल लेबनान में पूर्ण युद्ध छिड़ने की स्थिति में पूरे पश्चिम एशिया में तबाही आने का खतरा है। उन्होंने कहा कि अगर इस्राइल और लेबनान के बीच युद्धविराम होता है तो इससे वेस्ट बैंक और गाजा में भी युद्धविराम के आसार बनेंगे।

यूएस में नहीं थम रहे मंदिरों पर हमले, अब स्वामीनारायण मंदिर को निशाना बनाया, हिंदू विरोधी नारे लिखे*
#us_swaminarayan_temple_in_sacramento_vandalized
अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमलों की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले कुछ दिनों में कई हिंदू मंदिरों पर हमला देखा गया है।अब कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर को निशाना बनाया गया है। मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर हिंदू विरोधी टिप्पणी लिखी गई है। अमेरिका में एक ही महीने में स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की ये दूसरी घटना है। अमेरिका और कनाडा में हिंदू मंदिरों पर इस तरह के हमले खालिस्तान समर्थकों की ओर से किए जाते रहे हैं। सैक्रामेंटो काउंटी के पुलिस अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। रैंचो कॉर्डोवा क्षेत्र में आर्मस्ट्रांग एवेन्यू पर बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर मौजूद है। सैक्रामेंटो माथेर हवाई अड्डे के ठीक उत्तर में यह मौजूद है। मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर 'हिंदुओं वापस जाओ' लिखा था।पार्किंग स्थल के सामने लगे साइन बोर्ड पर भारत सरकार का उल्लेख करते हुए टिप्पणी लिखी गई। सैक्रामेंटा काउंटी का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनेटर अमी बेरा ने मंदिर में हुई इस घटना की निंदा करते हुए लोगों से असहिष्णुता के खिलाफ आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट जारी कर कहा कि सैक्रामेंटो काउंटी में धार्मिक कट्टरता और नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। सभी को मिलकर असहिष्णुता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हमारे समुदाय में हर धर्म के लोग सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें। पिछले दिनों ऐसा ही मामला न्यूयॉर्क से सामने आया था। वहां पर भी स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी।17 सितंबर को न्यूयॉर्क के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की घटना हुई थी। न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने भी बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की तोड़फोड़ की निंदा की थी और इसे अस्वीकार्य करार दिया था। कई अमेरिकी सांसदों ने न्यूयॉर्क में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के अनादर की निंदा की और अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की।
यूएस में नहीं थम रहे मंदिरों पर हमले, अब स्वामीनारायण मंदिर को निशाना बनाया, हिंदू विरोधी नारे लिखे

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अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमलों की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले कुछ दिनों में कई हिंदू मंदिरों पर हमला देखा गया है।अब कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर को निशाना बनाया गया है। मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर हिंदू विरोधी टिप्पणी लिखी गई है। अमेरिका में एक ही महीने में स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की ये दूसरी घटना है। अमेरिका और कनाडा में हिंदू मंदिरों पर इस तरह के हमले खालिस्तान समर्थकों की ओर से किए जाते रहे हैं।

सैक्रामेंटो काउंटी के पुलिस अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। रैंचो कॉर्डोवा क्षेत्र में आर्मस्ट्रांग एवेन्यू पर बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर मौजूद है। सैक्रामेंटो माथेर हवाई अड्डे के ठीक उत्तर में यह मौजूद है। मंदिर के बाहर लगे बोर्ड पर 'हिंदुओं वापस जाओ' लिखा था।पार्किंग स्थल के सामने लगे साइन बोर्ड पर भारत सरकार का उल्लेख करते हुए टिप्पणी लिखी गई।

सैक्रामेंटा काउंटी का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनेटर अमी बेरा ने मंदिर में हुई इस घटना की निंदा करते हुए लोगों से असहिष्णुता के खिलाफ आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट जारी कर कहा कि सैक्रामेंटो काउंटी में धार्मिक कट्टरता और नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। सभी को मिलकर असहिष्णुता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हमारे समुदाय में हर धर्म के लोग सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें।

पिछले दिनों ऐसा ही मामला न्यूयॉर्क से सामने आया था। वहां पर भी स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी।17 सितंबर को न्यूयॉर्क के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की घटना हुई थी। न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने भी बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की तोड़फोड़ की निंदा की थी और इसे अस्वीकार्य करार दिया था। कई अमेरिकी सांसदों ने न्यूयॉर्क में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर के अनादर की निंदा की और अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की।

नाडा ने विनेश फोगाट को जारी किया नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

#nada_sends_notice_to_vinesh_phogat

हरियाणा चुनाव में दांव आजमा रही भारतीय दिग्गज पहलवान विनेश फोगाट मुश्किलों में घिरती नजर आ रही हैं। चुनाव प्रचार के बीच विनेश की परेशानी बढ़ती दिख रही है। विनेश फोगाट को नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) की ओर से एक नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में 14 दिन के अंदर जवाब मांगा है।नाडा ये नोटिस डोप टेस्ट के लिए तय समय और स्थान पर एथलीट के नहीं मिलने की स्थिति में जारी करता है क्योंकि इसे नियमों का उल्लंघन माना जाता है।

नाडा ने अपने नोटिस में पहलवान से राजनेता बनीं विनेश को बताया कि उन्होंने अपने रहने के स्थल की जानकारी नहीं बताने की गलती की है क्योंकि वह नौ सितंबर को सोनीपत के खरखौदा गांव में अपने घर पर डोप जांच के लिए उपलब्ध नहीं थीं। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाने के बावजूद अधिक वजन होने के कारण पदक नहीं हासिल करने की निराशा के बाद खेल से संन्यास की घोषणा की थी। विनेश और उनके साथी पहलवान बजरंग पूनिया हाल में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और वह जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं।

नाडा के नोटिस में कहा गया है, आपको डोपिंग रोधी नियमों के अंतर्गत रहने के स्थल की जानकारी संबंधित जरूरतों का पालन करने में स्पष्ट विफलता के बारे में सूचित करने के लिए एक औपचारिक नोटिस दिया जाता है। इस मामले पर अंतिम फैसला लेने से पहले आपको इस पर सफाई देने के लिए कहा जाता है। इसमें कहा गया, एक डोप नियंत्रण अधिकारी (डीसीओ) को आपकी जांच के लिए उस समय उस दिन उस स्थल पर भेजा गया था लेकिन वह ऐसा करने में असमर्थ रहा क्योंकि आप उस जगह पर मौजूद नहीं थीं।

विनेश को या तो इस उल्लघंन को स्वीकार करना होगा या यह सबूत देना होगा कि वह उस स्थान पर लगभग 60 मिनट तक मौजूद थीं। पर यहां यह जिक्र किया जा सकता है कि ठहरने की जगह संबंधित विफलता डोपिंग रोधी नियम का उल्लंघन नहीं है। कोई खिलाड़ी अगर 12 महीने में तीन बार स्थल की जानकारी संबंधित नियमों का उल्लघंन करता है तो ही नाडा एथलीट पर कोई एक्शन ले सकता है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी परमाणु हमले की चेतावनी, पश्चिम देशों में मची खलबली

#vladimir_putin_issues_nuclear_warning

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर पश्चिमी देशों को बड़ी चेतावनी दी है। उनके बयान के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है।राष्ट्रपति पुतिन ने आज परमाणु निरोध पर चर्चा के लिए मॉस्को की शीर्ष सुरक्षा परिषद के साथ तत्काल बैठक की। इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिम को चेतावनी जारी की कि रूस हवाई हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए परमाणु इस्तेमाल से भी पीछे नहीं हटेगा।

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए ढाई साल का वक्‍त बीत चुका है। एक तरफ भारत रूस-यूक्रेन जंग को खत्म कराने के लिए प्रयासरत है। वहीं, अमेरिका समेत पश्चिमी देश भी चाहते हैं की युद्ध रूक जाए। हालांकि, अमेरिका और ब्रिटेन ने यूक्रेन को अब रूस में घुसकर हमले की खुली छूट दे दी है। यूक्रेन को ऐसे-ऐसे हथियार मिल रहे हैं, जिसके दम पर रूस में अब काफी अंदर तक हमले संभव हैं। ताजा हालातों को देखते हुए व्‍लादिमीर पुतिन ने साफ कहा है कि अगर रूस में यूक्रेनी मिसाइलों से नुकसान पहुंचता है तो फिर वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगे।

पिछले हफ्ते ब्रिटेन ने कथित तौर पर रूस पर बमबारी करने के लिए अपनी 'स्टॉर्म शैडो' क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाडन से मिलने के लिए वाशिंगटन डीसी भी गए। कथित तौर पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन द्वारा रूसी धरती पर हथियारों के इस्तेमाल पर चर्चा की।

रूसी खुफिया विभाग की रिपोर्टों के बाद, राष्ट्रपति पुतिन ने इस महीने कहा था कि अगर पश्चिम यूक्रेन को क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल की अनुमति देता है तो वह सीधे तौर पर रूस से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे परिदृश्य में मॉस्को को उचित निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

रूसी खुफिया एजेंसी ने सितंबर की शुरुआत में कहा था कि यूक्रेन युद्ध को वेस्‍टर्न देशों द्वारा बढ़ावा दिए जने के बाद अब रूस के लिए परमाणु सिद्धांत को संशोधित करना आवश्यक हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन ने इस मीटिंग के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा क्रूज मिसाइलों को लॉन्च करने की अनुमति देने पर गहरी चिंता जताई। जिसके बाद कहा कि अगर वेस्‍ट यूक्रेन को रूस पर बमबारी करने के लिए ऐसे हथियार चलाने की इजाजत देता है तो यह सीधे रूस के साथ युद्ध जैसा होगा। मॉस्को को ऐसी स्थिति में सही निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

कंगना रनौत के बयान पर राहुल गांधी का पलटवार, बोले-सरकार की नीति कौन तय कर रहा, एक सांसद या पीएम मोदी?

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कांग्रेस ने भाजपा सांसद कंगना रनौत की तीन कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग वाली टिप्पणी को लेकर भाजपा पर हमला तेज कर दिया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि इस मामले में पीएम मोदी को जवाब देना चाहिए। उन्होंने बीजेपी सांसद कंगना रनौत की टिप्पणी को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह निरस्त किए जा चुके तीनों ‘काले’ कृषि कानूनों को फिर से लाना चाहते हैं या नहीं।

कंगना के वापस लिए जा चुके कृषि कानूनों की वापसी की वकालत करने वाले बयान पर राहुल ने कहा कि सरकार की नीति कौन तय कर रहा है? एक भाजपा सांसद या प्रधानमंत्री मोदी? 700 से ज्यादा किसानों, खास कर हरियाणा और पंजाब के किसानों की शहादत ले कर भी भाजपा वालों का मन नहीं भरा। अगर प्रधानमंत्री ने उन कानूनों को फिर से लाने जैसा कोई कदम उठाया तो हमारा गठबंधन 'INDIA' हमारे अन्नदाताओं के विरुद्ध भाजपा का कोई भी षडयंत्र कामयाब नहीं होने देगा। अगर किसानों को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई भी कदम उठाया जाएगा तो प्रधानमंत्री को फिर से माफी मांगनी पड़ेगी।

राहुल गांधी ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग विचारों को लेकर जांच-परख करते रहते हैं। वे किसी से कहते हैं कि सार्वजनिक रूप से विचार रखिए और फिर देखते हैं कि प्रतिक्रिया क्या होती है। यही हुआ है। इनके एक सांसद ने काले कृषि कानूनों को फिर से लाने की बात की है। पीएम मोदी स्पष्ट कीजिए कि क्या आप उन कानूनों को फिर से लाना चाहते हैं। आप फिर से ‘बदमाशी’ तो नहीं करेंगे? उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद किसानों के लिए संसद में दो मिनट का मौन भी नहीं रखने दिया था।

इससे पहले एक वीडियो में कंगना को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि किसानों के वह कानून, जो अब वापस ले लिए गए हैं, मुझे पता है कि यह बयान विवादास्पद हो सकता है, लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए। तीन कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे। जैसे बाकी जगहों के किसान समृद्ध हो रहे हैं, हमारे किसानों को समृद्ध होना चाहिए। कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के कारण सरकार ने इन्हें वापस ले लिया था। किसान देश के विकास में स्तंभ हैं। मैं उनसे हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि वे अपने भले के लिए कानूनों को वापस मांगें।

हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद बीजेपी सांसद ने 2021 में निरस्त किये गये कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग संबंधी अपना बयान बुधवार को वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि ये उनके ‘निजी’ विचार हैं और पार्टी के रूख को प्रदर्शित नहीं करते हैं।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने कंगना के बयान से किनारा कर लिया है। पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, 'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भाजपा सांसद कंगना रनौत का केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि बिलों पर दिया गया बयान वायरल हो रहा है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह बयान उनका निजी बयान है। कंगना रनौत भाजपा की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। यह कृषि बिलों पर भाजपा के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाता है। हम इस बयान को अस्वीकार करते हैं।'

देश के किसी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकते”, जानें सीजेआई ने क्यों कही ये बात?

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कहा जा सकता है। चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज के मामले में सुनवाई के दौरान की। जज ने बेंगलुरु के एक हिस्से को पाकिस्तान कह दिया था। कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वी श्रीशनंदा के इस कमेंट का वीडियो वायरल हो गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले की सुनवाई शुरू की।

वीडियो के वायरल होने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने बिना परमिशन के कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगा दी थी।कर्नाटक हाईकोर्ट के विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पीठ का गठन किया था। सीजेआई चंद्रचूड़ की आगुवाई वाली पांच जजों की पीठ, जिसमें जस्टिस एस खन्ना, बीआर गवई, एस कांत और एच रॉय शामिल हैं।

जस्टिस श्रीशानंद के खिलाफ कार्रवाई को बंद करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, कोई भी भारत के किसी भी हिस्से को ‘पाकिस्तान’ नहीं कह सकता। यह देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। हमारा मकसद कोर्ट में हुए मुद्दे को प्रकाश में ला कर फोकस में रखना है, ना कि उसे दबाना। इस विवाद इसका जवाब, अदालत को बंद करना नहीं है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने आज कहा, ‘कोर्ट में आचानक की गई टिप्पणियां व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों की ओर इंगित करती हैं, खासकर आप जब किसी खास लिंग या समुदाय को टारगेट करते हैं। इसलिए आपको भी पितृसत्तात्मक या स्त्री-द्वेषी टिप्पणी करने से सावधान रहना चाहिए। हम एक खास लिंग या समुदाय पर टिप्पणियों के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। ऐसी टिप्पणियों को नकारात्मक रूप में समझा जा सकता है। हमें उम्मीद है और भरोसा है कि सभी हितधारकों को सौंपी गई जिम्मेदारियों को बिना किसी पूर्वाग्रह और सावधानी के पूरा किया जाएगा।

इसके बाद जस्टिस श्रीशनंदा ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली। सीजेआई की बेंच ने माफी मंजूर करते हुए केस बंद कर दिया है।

कर्नाटक सीएम सिद्दरमैया की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने लोकायुक्त को सौंपी जांच; तीन महीने में देनी होगी रिपोर्ट

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। हाईकोर्ट के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को बुधवार को एमपी/एमएलए कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाला में सीएम सिद्दरमैया के खिलाफ लोकायुक्त जांच की मंजूरी दी है। कर्नाटक लोकायुक्त की मैसूरु जिला पुलिस को MUDA घोटाले की जांच कर 3 महीने में रिपोर्ट सौंपनी होगी।

न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने मामले की जांच मैसूर जिले के लोकायुक्त अधीक्षक को सौंपी है। उन्हें तीन महीने यानी 24 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।जांच अधिकारी के पास सीएम से पूछताछ करने और गिरफ्तार करने का भी अधिकार होगा। अदालत ने स्पष्ट कहा कि मामले की जांच सीआरपीसी की धारा 156 (3) के प्रावधानों के तहत की जाएगी। सीएम सिद्दरमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू की जाएगी।

बता दें, याचिकाकर्ता कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने एक निजी शिकायत के साथ जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसी पर कोर्ट ने जांच का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के सामने मुडा घोटाला उठाया था। राज्यपाल ने सीएम के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी दी थी। मगर 19 अगस्त को सीएम सिद्दरमैया ने राज्यपाल के आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी। मगर वहां भी राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को बरकरार रखा।

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कल धारा 17 ए के तहत जांच का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जन प्रतिनिधि अदालत ने फैसला सुनाया है। कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने के बाद मैं जवाब दूंगा। उन्होंने कहा कि मैं जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं। मुझे जांच से कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरे आदेश की कॉपी मिलने के बाद अगला निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट का आदेश मिलने के बाद वह वकील से चर्चा करेंगे और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।

हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपनाया “योगी मॉडल”, रेहड़ी-पटरी वालों को लगानी होगी नाम और फोटो ID

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हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की राह पर चलती दिख रही है।शिमला से शुरू हुई मस्जिद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मस्जिद विवाद के साथ सड़क किनारे बैठे बाहरी लोगों को लेकर भी आन्दोलन हों रहे हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में भी हर भोजनालय और फास्टफूड रेड़ी पर ओनर की आईडी लगाने का फैसला लिया गया है। यह बात हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कही।

हिमाचल सरकार ने आज बुधवार को नई स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी तैयार की है। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शिमला के एमएलए मेयर और व्यापार मंडल के साथ बैठक की। बैठक में 2014 की केन्द्र की स्ट्रीट वेंडर नीति को लागू करने की चर्चा के आलावा चयनित जगह में जरूरतमंद लोगों को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि शिमला में 1060 स्ट्रीट वेंडर पंजीकृत हैं। इसके अलावा 540 लोग ऐसे ही बैठें हैं। इसमें कमेटी देखेगी की नियमों के तहत कहां किसको जगह देनी है।

नई पॉलिसी के तहत अब हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी, पटरी और होटल वालों को अपनी आईडी दिखानी होगी। नई पॉलिसी के तहत खाने-पीने की चीज बेचने वालों को अब अपनी नेमप्लेट लगानी होगी। साथ ही आईडी कार्ड भी दिखाना होगा. हर तरह के वेंडर को अपना नाम और फोटो पहचान दिखाना होगा। इन सभी का रजिस्ट्रेशन भी किया जाएगा. स्ट्रीट वेंडिग कमेटी की ओर से आईडी कार्ड जारी किए जाएंगे। ये सारी प्रक्रिया 30 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी।

विक्रमादित्य सिंह यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्वच्छ भोजन बेचा जाए, सभी स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक निर्णय लिया गया है. लोगों ने बहुत सारी चिंताएं और आशंकाएं व्यक्त की थी और जिस तरह से उत्तर प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि उनको अपना नाम-आईडी लगानी होगी।