कोलकाता कांड: सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया,सुनवाई कल
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता कांड को लेकर स्वतः संज्ञान लिया है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस की स्वतः संज्ञान वाली याचिका पर कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर सकता है. पिछली सुनवाई 9 सितंबर को की गई थी. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक ये याचिका चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जज मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए पहली याचिका के रूप में लिस्टेड है.
इस याचिका पर सुनवाई इसलिए अहम है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी चिकित्सकों को राज्य सरकार की कार्रवाई से बचने के लिए 10 सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश देने के बावजूद डॉक्टरों का विरोध-प्रदर्शन जारी है. राज्य सरकार ने दावा किया है कि चिकित्सकों के काम पर न आने के कारण पश्चिम बंगाल में नौ सितंबर तक 23 मरीजों की मौत हो चुकी है.
बंगाल सरकार और जूनियर डॉक्टरों का गतिरोध जारी
इसी बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को सोमवार को पांचवीं और आखिरी बार बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. प्रस्तावित बैठक के लाइव प्रसारण के मुद्दे पर मतभेद के कारण सरकार और प्रदर्शनकारी डाक्टरों के बीच बातचीत की कोशिश दो दिन पहले विफल हो गई थी.
प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को भेजे एक ईमेल में राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने उनसे बातचीत के लिए सोमवार को शाम पांच बजे कालीघाट में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर पहुंचने के लिए कहा था. ममता ने 14 सितंबर को प्रदर्शन स्थल का दौरा कर आंदोलनकारी चिकित्सकों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था. उन्होंने डॉक्टरों को उनकी मांगें मानने का भरोसा दिलाने की कोशिश की, बावजूद इसके दोनों पक्षों में बातचीत की कोशिश अभी तक सफल नहीं हो पाई है.
शनिवार को प्रस्तावित बैठक विफल हो गई, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री आवास के द्वार पर तीन घंटे तक इंतजार करने के बाद उनसे अमर्यादित रूप से वहां से जाने के लिए कहा गया था. सरकार की बातचीत के सीधे प्रसारण की मांग को ठुकराए जाने के कारण डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने से इनकार कर दिया था.
पिछली सुनवाई में जूनियर डॉक्टरों को दिए थे निर्देश
जूनियर डॉक्टरों के लगातार विरोध और बड़े पैमाने पर जन आक्रोश के बीच चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने पेश किए गए रिकॉर्ड में चालान की गैर-मौजूदगी पर नौ सितंबर को चिंता जताई थी. पीठ ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट तलब की थी. उसने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को राज्य सरकार की दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए 10 सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश भी दिया था.
शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद राज्य सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आश्वासन दिया था कि अगर प्रदर्शनकारी डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो उनके खिलाफ ट्रांसफर सहित कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी.
Sep 18 2024, 09:38