मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन पूरेःअब तक कितनी सफल रही सरकार, आगे होगीं ये चुनौतियां
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9 जून 2024 को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गए हैं। मोदी सरकार 3.O के 100 दिन के कार्यकाल में कई अहम कदम उठाए गए लेकिन गठबंधन की मजबूरी के चलते अमलीजामा नहीं पहना सके। इसके बावजूद मोदी सरकार पूरे कॉन्फिडेंस में नजर आ रही है।
*मोदी 3.0 में ये टारगेट पूरे*
- मोदी 3.0 ने अपने कार्यकाल के पहले 100 दिन पूरे कर लिए हैं। सरकार के सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित कई टारगेट को पूरा कर लिया है। 2024 के आम चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू करने से पहले, पीएम ने अधिकारियों को 100 दिनों का काम सौंपा था। केंद्र ने सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और वायुमार्गों पर प्राथमिक ध्यान देने के साथ 100 दिनों में 3 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कैपेक्स को 11.11 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाने से रोजगार सृजन होगा।
- मोदी सरकार के पहले 100 दिनों में खेती के क्षेत्र में भी सख्ती से काम किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी कर दी गई। 9.3 करोड़ किसानों को 20,000 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। अब तक कुल 12 करोड़ 33 लाख किसानों को 3 लाख करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं, 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में वृद्धि हुई है, जिससे देश के 12 करोड़ किसानों को लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का बेनिफिट हुआ है।
- मोदी 3.0 ने 12,100 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ आंध्र प्रदेश में पोलावरम सिंचाई परियोजना को भी मंजूरी दी। केंद्र ने 14,200 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ सात प्रमुख योजनाओं को भी मंजूरी दी है, जिनमें कृषि क्षेत्र में दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए डिजिटल कृषि मिशन शामिल हैं।
- पहले 100 दिनों में व्यापार करने में आसानी और युवाओं के लिए किए गए काम पर भी जोर दिया।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पहले 100 दिनों में युवाओं के बीच रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 2 लाख करोड़ रुपए के पीएम पैकेज की घोषणा की गई है। लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 41 मिलियन युवाओं को लाभान्वित करना है. 1 करोड़ युवाओं को भत्ते और एकमुश्त सहायता के साथ शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप मिलेगी। 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सुधार के साथ 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार ने 15,000 से अधिक नई नियुक्तियों की घोषणा की है।
- महिला सशक्तिकरण के मोर्चे पर पहले 100 दिनों में पीएम मोदी ने 11 लाख नई लखपति दीदियों को प्रमाणपत्र दिए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब 1 करोड़ से ज्यादा लखपति दीदियां प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से ज्यादा कमाती हैं। मुद्रा लोन 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है।
- प्रधानमंत्री के विकसित आदिवासी ग्राम अभियान के तहत पहले 100 दिनों में 63,000 आदिवासी गांवों का विकास किया जाएगा, जिससे 5 करोड़ आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में 75,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ी गई हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने और विदेशी चिकित्सा शिक्षा पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग देश में डॉक्टरों का एक केंद्रीकृत भंडार बनाने के लिए एक राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर तैयार कर रहा है।
*कुछ चुनौतियों के कारण पीछे हटी सरकार*
चुनाव में जब कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं कर पाती तो गठबंधन के माध्यम से सरकार बनाना एक मजबूरी बन जाती है। गुजरात और फिर में केंद्र में लगभग ढाई दशक तक बहुमत वाली सरकारों की अगुवाई करने के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार एक गठबंधन वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में गठबंधन की सरकार का चलाना हर कोई उनके लिए चुनौतिपूर्ण मानकर चल रहा था। साथ ही मजबूत होते विपक्ष का असर भी सरकार के पैसले पर होना माना जा रहा था। मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में मजबूत होते विपक्ष का दबाव कहीं न कहीं दिखाई पड़ रहा है। सरकार को कुछ मौकों पर कदम भी पीछे खींचने पड़े हैं। सरकार के पीछे हटने का पहला मामला अगस्त की शुरुआत में सामने आया, जब वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया। इसके तुरंत बाद प्रसारण सेवा विधेयक वापस कर लिया। सरकार ने नवंबर 2023 में डिजिटल और अन्य मीडिया के नियमन को कड़ा करने के उद्देश्य से एक मसौदा प्रकाशित किया था। उसके बाद अगस्त के ही महीने में सरकार ने सिविल सेवा के बाहर के लोगों से वरिष्ठ नौकरशाही पदों के लिए आवेदन मांगने वाले एक विज्ञापन को वापस ले लिया। इस विज्ञापन पर भी काफी हंगामा हुआ। विपक्ष की ओर से यह कहा गया कि उसकी ओर से उठाए गए सवाल के बाद सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए।
*पांचों राज्यों में जीत की चुनौती*
मोदी सरकार अपने शुरूआती 100 दिनों में सफल दिख रही है। हालांकि, आगे काफी हद तक चुनौतियों का समना करना है। 2024 के लोकसभा नतीजे के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन ने एनडीए को कड़ी चुनौती दी है। ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव की हार से बाहर निकलने के लिए सबसे बड़ी चुनौती देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव है। बीजेपी के हाथों से फिसलती सियासी जमीन को समेटना ही नहीं बल्कि जनता के बीच अपनी पैठ जमाए रखने की चुनौती है। बीजेपी अगर पांच राज्यों में चुनावी जंग फतह करने में कामयाब रहती है तो फिर से अपना दबदबा कायम कर सकती है। यही वजह है कि पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक ने चुनाव की कमान संभाल रखी है। बीजेपी की कोशिश पांच राज्यों में से कम से कम तीन राज्य में अपनी सरकार बनाने की है। बीजेपी अगर इसमें सफल रहती है तो उसका हौसला बुलंद हो सकता है।
*मूल एजेंडे को आगे बढ़ाना होगी बड़ी चुनौती*
पीएम मोदी दूसरी बार सत्ता में आए तो उन्होंने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया। इसके बाद अयोध्या में राम मंदिर का उदघाटन किया। केंद्र में तीसरी बार सरकार गठन को लेकर भले ही एनडीए में सबकुछ ठीकठाक रहा हो, लेकिन बीजेपी के एजेंडे को अमलीजामा पहनाना पहले की तरह आसान नहीं दिख रहा। बीजेपी के मूल एजेंडे में शामिल यूसीसी, धर्मांतरण विरोधी कानून की राह में आगे बढ़ने पर तब इन दलों का क्या रुख होगा? जाहिर तौर पर आगाज अच्छा होने के बावजूद बीजेपी के सामने इन मुद्दों पर आगे बढ़ कर अपने मूल वोट बैंक को साधे रहने और इसके लिए सहयोगी दलों को राजी करने की बड़ी चुनौती है। इनमें सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी और जेडीयू अपने-अपने राज्य में मुस्लिम वोट बैंक को साधे रखना चाहते हैं। ऐसे में बीजेपी को अपने मूल एजेंडे पर आगे बढ़ने और इसे अमलीजामा पहनाने की बड़ी चुनौती है।
Sep 18 2024, 08:42