पंजाब पुलिस के हाथ लगी बड़ी कामयाबी,नाभा जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड रोमी को लाया जा रहा भारत वापस

पंजाब पुलिस को बड़ी सफलता हासिल हुई है. नाभा जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड रमन जीत सिंह उर्फ रोमी को वापस भारत लाया जा रहा है. 22 अगस्त को शाम 4 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर पंजाब पुलिस के सुरक्षा एजेंसियों के ऑपरेशन में मास्टरमाइंड को भारत लाया जा रहा है. रमन जीत नाभा जेल ब्रेक मामले में भगोड़ा है. एजेंसियों के मुताबिक नाभा जेल ब्रेक मामले में रमनजीत की मुख्य भूमिका थी, जिसमें कई गैंगस्टर पुलिसकर्मी बनकर जेल पहुंचे थे और हाई सिक्योरिटी जेल को तोड़कर 6 गैंगस्टर और बड़े अपराधियों को छुड़ाकर ले गए थे.

नाभा जेल ब्रेक के मामले में रोमी ने अपराधियों को पैसा, हथियार और दूसरे लॉजिस्टिक स्पोर्ट मुहैया कराए थे. रोमी के खिलाफ साल 2017 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद हांगकांग पुलिस ने रोमी को साल 2018 में पकड़ लिया था और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. हाल ही में 6 अगस्त 2024 को हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र ने 6 अगस्त को रमनजीत के सरेंडर का ऑर्डर जारी किया था.

6 साल बाद मिली सफलता

पंजाब पुलिस के मुताबिक साल 2018 से ही वो रमनजीत उर्फ रोमी के प्रत्यपर्ण की कोशिश कर रही थी. लेकिन रोमी को भारत लाने के लिए पंजाब पुलिस को काफी पापड़ बेलने पड़े. यहां तक की इस मामले के संबंध में पंजाब पुलिस हांगकांग भी गई थी. 6 साल बाद अब जाकर इस मामले में पुलिस को सफलता हाथ लगी है. जहां हांगकांग के एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन ने अब रोमी के प्रत्यर्पण की मंजूरी दी है और पंजाब पुलिस 22 अगस्त को उसे दिल्ली लेकर आ रही है.

शातिर अपराधी है रोमी

रोमी एक बहुत शातिर अपराधी है, जिसने फिल्मी तरीके से हाई सिक्योरिटी के बावजूद भी जेल को तोड़कर गैंगस्टर को भगा दिया था. अब जब रोमी को भारत वापस लाया जा रहा है तो अब पूरा खुलासा होगा कि इस पूरे गेम में उसके साथ और कौन-कौन शामिल था. उस पर गैंगस्टर गुरप्रीत सिंह के साथ संपर्क में होने का भी आरोप था. गुरप्रीत सिंह उन 6 अपराधियों में शामिल है, जिसे रोमी ने जेल से भगाया था. साल 2016 में पंजाब के लुधियाना के नाभा जेल से 6 कैदी भागने वाले एक गैंगस्टर विक्की गौंडर का पुलिस एनकाउंटर कर चुकी है.

नोएडा में मंदिर की घंटी बजाने से हुआ ध्वनि प्रदूषण,AOA ने की सोसाइटी के लोगों से ये अपील

 ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सौंदर्यम सोसाइटी में मंदिर की घंटी बजने से एक निवासी को इतनी परेशानी हुई कि उसने इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कर दी. शिकायत के आधार पर यूपीपीसीबी ने एओए को नोटिस जारी जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. साथ ही प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए संबंधित अधिकारी को जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं.

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सौंदर्यम सोसाइटी में मंदिर की घंटी बजने से एक निवासी को इतनी परेशानी हुई कि उसने इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कर दी. शिकायत के आधार पर यूपीपीसीबी ने एओए को नोटिस जारी जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. साथ ही प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए संबंधित अधिकारी को जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं. 

यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने नोटिस में कहा है कि किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण न किया जाए, जिससे किसी को कोई समस्या हो. नोटिस मिलने के बाद एओए ने मंदिर की घंटी को धीरे से बजाने की अपील सोसाइटी के लोगों से की है. 

रोजाना घंटी बजने से होती है परेशानी

दरअसल, गौर सौंदर्यम सोसाइटी के फ्लैट नंबर 368 में रहने वाले मुदित बंसल ने 30 जुलाई को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ऑनलाइन एक शिकायत की थी. अपनी शिकायत में उन्होंने बताया कि उनके फ्लैट के पास मंदिर बना हुआ है. जहां से रोजाना घंटी बजाने की आवाज आती है, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है. 

मुदित बंसल की शिकायत मिलने पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के कर्मचारियों ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान ध्वनि की तीव्रता अधिक मिली. जिसे देखते हुए एओए को एक नोटिस जारी किया गया. जिसमें ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए कहा गया है. मंदिर का घंटा बजने से किसी को कोई परेशानी ना हो. 

सोसाइटी के लोगों से ये अपील 

सोसाइटी के एओए बीके बंसल ने बताया कि विभाग से प्राप्त हुए नोटिस की सूचना सभी निवासियों दे दी है.लोगों से कहा गया है कि घंटी को इतना ज्यादा तेज न बजाएं कि किसी को परेशानी हो. 

क्षेत्रीय अधिकारी डीके गुप्ता ने बताया कि ऑनलाइन एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसके आधार पर मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया गया. निरीक्षण में ध्वनि की तीव्रता 70 डेसीबल से अधिक मिली, जो मानकों से अधिक है. ध्वनि प्रदूषण अधिक होने के आधार पर एओए को नोटिस जारी किया गया. साथ ही एओए को ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने को कहा गया है. 

किसानों के लिए अच्छी खबर,इस तारीख को जारी हो सकती है अगली किस्त,ऐसे पूरी करें अपनी ई-केवाईसी

भारत सरकार देश के किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई जाती हैं. जिनका देश के करोड़ों किसानों को फायदा होता है .

साल 2019 में भारत सरकार ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की थी. इस योजना में किसानों को सालाना 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है.

भारत सरकार अब तक योजना की 17 किस्तें जारी कर चुकी हैं. अब किसानों को योजना की 18वीं किस्त का इंतजार है.

 अक्टूबर के महीने में 18वीं किस्त जारी की जा सकती है. लेकिन उससे पहले जिन किसानों ने ई केवाईसी नहीं करवाई वह करवा लें. क्योंकि बिना इसके किस्त रुक सकती है.

ई केवाईसी करवाने के लिए सबसे पहले आप किसान योजनी की अधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जाना होगा. उसके बाद आपको राइट साइड में e-KYC का ऑप्शन दिखाई देगा. उसपर क्लिक करना होगा.

इसके बाद आपके सामने नया पेज ओपन होगा. यहां पर आपको अपना आधार नंबर दर्ज करना होगा.इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर OTP आएगा, उसे दर्ज करना होगा.

फिर आपको 'Submit' के ऑप्शन पर क्लिक कर देेना होगा. Submit करने के बाद आपकी e-ई केवाईसी की प्रोसेस कंप्लीट हो जाएगी.

दिल्ली के द्वारका इलाके में पति की हत्या के आरोप में पत्नी गिरफ्तार

दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका इलाके में मंगलवार को उस समस सनसनी फैल गई, जब एक व्यक्ति का सड़ा-गला शव उसके किराए के मकान से पुलिस ने बरामद किया. इस मामले में पुलिस को संदेह है कि निजी कंपनी में 'कॉल ऑपरेटर' के रूप में काम करने वाले सचिन की हत्या उसकी पत्नी काव्या ने की है. प्रारंभिक जांच के बाद थाना पुलिस ने आरोपी काव्या को उत्तम नगर से हिरासत में ले लिया. 

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार की शाम (20 अगस्त) को पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) को मिली सूचना में आरोप लगाया गया था कि एक व्यक्ति की उसकी पत्नी ने हत्या कर दी है. 

तो काव्या ने इस वजह से की पति की हत्या

सूचना मिलने पर पुलिस डाबरी इलाके के चाणक्य प्लेस-2 पहुंची, जहां एक मकान से सचिन का सड़ा-गला शव बरामद हुआ. पुलिस अधिकारी के मुताबिक प्रारंभिक जांच से पता चला है कि सचिन की हत्या शनिवार और रविवार की मध्य रात्रि में काव्या ने घरेलू हिंसा के कारण की थी. पुलिस को मृतक सचिन के शरीर पर चाकू के कई घाव मिले हैं.

दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने कहा, 'सचिन ने तीन साल पहले एक मंदिर में काव्या से शादी की थी. कुछ समय बाद से ही दोनों के बीच संबंध बिगड़ने के संकेत मिलने लगे. उसके बाद से दोनों के बीच अक्सर बहस और झगड़ा होता रहता था, जिससे तंग आकर काव्या ने सचिन की हत्या कर दी.' 

पत्नी को किया गिरफ्तार

सचिन की हत्या के बाद काव्या घर से फरार हो गई थी. इस मामले का खुलासा होने के बाद काव्या को थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अब इस वारदात को लेकर पुलिस काव्या से पूछताछ कर रही है. वहीं, पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद सचिन का शव उसके परिजनों को सौंप दिया. 

मंगलवार (20 अगस्त) की रात को मौर्या एनक्लेव इलाके से भी पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद, हत्या में तब्दील होने का मामला सामने आया था. इस मामले में पति संजय ने अपनी पत्नी की हत्या तकिए से उसका मुंह और नाक दबाकर कर दी थी. पति संजय ने गलती का अहसास होने के बाद थाना पहुंचकर सरेंडर कर दिया था. संजय ने पुलिस को बताया कि उसने गुस्से में आकर पत्नी की हत्या कर दी. 

एअर इंडिया फ्लाइट में मिली बम होने की धमकी,135 यात्रियों को सुरक्षित फ्लाइट से उतारे गए

22 अगस्त को मुंबई से तिरुवनंतपुरम के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट को बम की धमकी मिलने से हड़कंप मच गया. इसके तुरंत बाद तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर इमरजेंसी घोषित कर दी गई है.

एयर इंडिया की फ्लाइट करीब 8 बजे तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर लैंड हुई. इसके बाद उसे आइसोलेशन बे में रखा गया. जहां तिरुवनंतपुरम में 135 यात्रियों को सुरक्षित उतारा गया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक AI 657 (BOM-TRV) 22 अगस्त को 7:30 बजे बम की धमकी की सूचना दी. 07:36 पर टीआरवी हवाई अड्डे पर पूर्ण आपातकाल घोषित कर दिया गया. फ्लाइट को सुरक्षित तरीके से उतारा गया, जिसके बाद विमान को आइसोलेशन बे में पार्क किया गया. राहत की बात ये रही कि फ्लाइट में मौजूद सभी यात्री सुरक्षित हैं. किसी के हताहत होने की खबर अभी तक सामने नहीं आई है. हवाईअड्डे का संचालन फिलहाल शांत है.

पायलट ने दी जानकारी

विमान के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के पास पहुंचने पर पायलट ने बम की धमकी मिलने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विमान में 135 यात्री सवार हैं. हालांकि अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि बम कि धमकी किसने दी और कैसे दी है.

पोलैंड में पीएम मोदी ने जामसाहेब मेमोरियल पर दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय पोलैंड यात्रा पर हैं. पीएम ने बुधवार को पोलैंड के वारसॉ में जाम साहब ऑफ नवानगर मेमोरियल पर जाकर श्रद्धांजलि दी. यहां द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैकड़ों पोलिश बच्चों को शरण देने वाले नवानगर के महाराजा दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा की प्रतिमा है. इस पर जामनगर राजघराने के वंशज जाम साहब शत्रुशीयसिंहजी दिग्विजयसिंकी जडेजा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर धन्यवाद भी किया.

इस मौके पर नवानगर के जाम साहब विंग कमांडर शत्रुशीयसिंहजी दिग्विजयसिंकी जडेजा ने अपनी खुशी साझा की कि प्रधानमंत्री ने पोलैंड में उनके विस्तारित परिवार के साथ बातचीत की. उन्होंने पोलिश लोगों द्वारा सहन की गई अकल्पनीय परीक्षाओं और कष्टों के प्रति गहरी श्रद्धा पर चर्चा भी की. उन्होंने एक लिखित बयान में कहा कि प्रधानमंत्री के ये विवेकपूर्ण भाव महाराजा दिग्विजय सिंहजी रणजीत सिंहजी जडेजा की भावना और मानवता को दर्शाते हैं.

पीएम मोदी से किया ये अनुरोध

दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पर उन्होंने पीएम के विचारों और उनके हाव भाव की तारीफ भी की. इसके साथ उन्होंने ये भी बताया कि विरासत को आगे बढ़ाने और भारत-पोलैंड के लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री से दोनों देशों के बीच युवा, छात्र और सांस्कृतिक आदान-प्रदान स्थापित करने पर विचार करने का भी अनुरोध किया.

पीएम मोदी ने शेयर की तस्वीरें

जाम साहब मेमोरियल में दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तस्वीरें भी शेयर की है. इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि जाम साहब मानवता और करुणा के एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण दुनिया की महत्वपूर्ण नींव हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जाम साहब को पोलैंड में डोबरी महाराजा के नाम से याद किया जाता है.

गुजरात सीएम ने भी किया पोस्ट

इसको लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने भी इस यात्रा का स्वागत किया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर गुजराती भाषा में पोस्ट करते हुए कहा कि भारत और पोलैंड के संबंधों में गुजरात की भूमिका इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में संरक्षित है. प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और पोलैंड के संबंधों को और भी ज्यादा मजबूत करेगी.

आंध्र प्रदेश की फार्मा कंपनी में लगी आग,4 कर्मचारियों की मौत,30 लोग गंभीर रूप से घायल

आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली अच्युतपुरम में एक बड़ा हादसा हो गया. यहां सेंसिया कंपनी में बुधवार दोपहर एक रिएक्टर फार्मा यूनिट में विस्फोट के बाद आग लग गई. आग में चार मजदूरों की मौत हो गई है जबकि 30 लोग घायल हो गए हैं. आग लगने की खबर के बाद दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाने की कोशिश की गई. कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

अच्युतपुरम पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी के मुताबिक आग लगने से रामबिली मंडल के चार मजदूर चपेट में आए हैं. विस्फोट काफी भयानक था जिसके बाद आग तेजी से फैलनी शुरू हुई, जिससे मजदूरों को बाहर आने का टाइम नहीं मिला, ऐसे में लगभग 30 मजदूर बुरी तरह से घायल हो गए.

दूर तक केवल धुंआ ही धुंआ

घायलों को इलाज के लिए अनकापल्ली और अच्युतपुरम के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. चश्मदीदों के मुताबिक उन्होंने एक जोरदार धमाके की आवाज सुनी जिससे वह दहल गए. दूर तक केवल धुंआ ही धुंआ था. मौके पर अफरा-तफरा मच गई. चीख पुकार के बीच फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही थी लेकिन आग और धुंआ इतना ज्यादा था कि अंदर सही से कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. आग लगने की पूरी घटना फैक्ट्री में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.

पुलिस ने दर्ज किया मामला

फार्मा कंपनी में लगभग 1000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. आग इतनी भीषण थी कि उसमें से उठता काला घना धुआं 5 किमी दूर से भी दिखाई दे रहा था. अनकापल्ली के एसपी मुरली कृष्णा ने बताया कि फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. आग की घटना कैसे हुई और इसमें प्रबंधन की कोई लापरवाही थी या नहीं, इसकी जांच की जाएगी. फायर ब्रिगेड की टीम से भी हादसे को लेकर जानिकारियां जुटाई जा रही हैं.

आइए जानते हैं इंसान ने खाना बनाने की शुरुआत कब से की थी

खाना बनाना इंसान की सबसे पुरानी कलाओं में से एक है. यह सिर्फ भूख मिटाने का जरिया ही नहीं, बल्कि संस्कृति, समाज और इतिहास का एक अहम हिस्सा भी है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इंसान ने पहली बार खाना बनाना कब शुरू किया? इस सवाल का सटीक जवाब देने के लिए हमें कुछ रिसर्च पर गौर करना होगा, क्योंकि उस समय कोई लिखित रिकॉर्ड मौजूद नहीं था.

सबसे पहले कुकिंग कब शुरू हुई? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमें ऑर्कियोलॉजिस्ट्स और साइंटिस्ट्स पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि उन्होंने कई तरह के सबूतों को स्टडी किया है.

खाना पकाना जरूरी था, क्योंकि कुछ रिसर्चर्स का मानना ​​है कि इसी वजह से हमारे मानव पूर्वजों को बड़ा दिमाग विकसित करने के लिए जरूरी एक्स्ट्रा कैलोरी पाने में मदद मिली. तो खाना पकाने का आविष्कार कब हुआ?

कितने साल पहले खाना पकाना हुआ शुरू?

समय के बारे में कुछ साफ नहीं है, लेकिन सबूत बताते हैं कि लोग कम से कम 50,000 साल पहले और सबसे ज्यादा शुरुआती समय की बात की जाए तो 20 लाख साल पहले से खाना पका रहे हैं. यह सबूत दो जगह से आते हैं- ऑर्कियोलॉजी और बायोलॉजी.

खाना पकाने के लिए आर्कियोलॉजिकल सबूत का एक हिस्सा दांतों का कैलकुलस या सख्त डेंटल प्लाक (पीली परत) में पाए जाने वाले पके हुए स्टार्च के दाने हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी के रिटायर्ड प्रोफेसर और “कैचिंग फायर: हाउ कुकिंग मेड अस ह्यूमन” (बेसिक बुक्स, 2009) के ऑथर रिचर्ड रैंगहम बताते हैं कि लोग इस चीज को 50,000 साल पुराने दांतों में पा सकते हैं.

आग और खाना पकाना

लेकिन उससे पहले के सबूत कुछ साफ इशारा नहीं करते हैं. आम तौर पर साइंटिस्ट्स इस बात के सबूत तलाशते हैं कि लोग आग को काबू कर रहे थे. लेकिन आग को काबू करने का सबूत जरूरी नहीं कि खाना पकाने का सबूत हो. लोग उस आग का इस्तेमाल गर्मी के लिए या कुछ औजार बनाने के लिए कर सकते थे

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑर्कियोलॉजिकल जियोकैमिस्ट बेथन लिंस्कॉट के मुताबिक, आर्कियोलॉजिकलिक रिकॉर्ड में आग के सबूत हर जगह मौजूद हैं. लेकिन समस्या यह है कि यह काबू हुई आग थी या फिर आग को इकट्ठा करके जलाया गया था. आप सोचिए कि एक जंगली आग है और आपके पास ऐसे होमिनिन हैं जो सुलगती हुई टहनी को उठाकर उसका फायदा उठा सकते हैं और शायद औजारों को तैयार कर सकते हैं या खाना बना सकते हैं.

जब आप आग पर काबू के सबूत की तलाश कर रहे होते हैं तो सबसे जरूरी चीजों में आग जलाने की एक खास जगह (जैसे-चूल्हा) होती है. इसलिए शायद पत्थरों को एक गोल घेरे के आकार में लगाया गया हो और फिर बीच में कुछ राख हो, शायद कुछ फाइटोलिथ (लंबे समय से मरे हुए पौधों से निकला सिलिका स्ट्रक्चर) और जली हुई कलाकृतियां और चीजें हों.

यहां मिले आग काबू करने के सबूत

रिसर्चर्स ने इन कलाकृतियों को कई जगहों पर पाया है जो होमो सेपियन्स से पहले की हैं, जिसका मतलब है कि पहले के होमिनिन भी आग का इस्तेमाल करते थे. इजराइल में केसेम गुफा में जांच कर रही एक टीम को कटे हुए जानवरों के अवशेषों के पास 3 लाख साल पुराने चूल्हे के सबूत मिले, और इंग्लैंड के सफोक में एक गुफा की जगह पर 4 लाख साल पुराना चूल्हा है जिसमें जली हुई हड्डियां और औजार बनाने के चकमक पत्थर हैं.

इससे और भी पहले दक्षिण अफ्रीका में वंडरवर्क गुफा में राख की वजह से साइंटिस्ट्स को शक हुआ कि 10 लाख साल पहले भी खाना पकाया जाता था. लगभग 30 मीटर (100 फीट) गहरी गुफा से यह मुमकिन नहीं है कि 10 लाख साल पहले यह राख प्राकृतिक रूप से बनी हो.

केन्या में 16 लाख साल पहले की काबू पाई आग के सबूत भी मिले हैं. इजराइल में गेशर बेनोट या’आकोव नामक एक साइट पर काम करते समय रिसर्चर्स को 7.8 लाख साल पहले खाना पकाने के और भी पुख्ता सबूत मिले. वहां न केवल पत्थरों के घेरे थे जो चूल्हे का इशारा करते थे, बल्कि मछली की हड्डियां भी थीं जो गर्म होने के सबूत दिखाती थीं.

कच्चा खाना खाने से हुआ बदलाव

खाना पकाने की शुरुआत कब हुई, इसका जैविक प्रमाण मानव शरीर के विकास के तरीके में मौजूद है. हम पृथ्वी पर हर दूसरी प्रजाति से अलग हैं क्योंकि हम जैविक रूप से पका हुआ खाना खाने के आदी हैं. उदाहरण के लिए कच्चा खाना खाने वाले लोगों पर की गई एक स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि इन लोगों का वजन कम होने लगा और एक तिहाई महिलाओं में मासिक धर्म बंद हो गया.

मानव पूर्वज और मौजूदा इंसान

कुकिंग की शुरुआत मॉडर्न इंसानों के उभरने से भी पहले हो सकती है. होमो इरेक्टस (Homo erectus) पहला होमिनिन था जिसके शरीर का अनुपात प्राइमेट जैसा कम और इंसान जैसा ज्यादा था. कुछ विशेषताओं से पता चलता है कि वे खाना पकाने वाले पहले व्यक्ति हो सकते हैं.

इंसानों और हमारे प्राइमेट कजिन के बीच एक बड़ा फर्क हमारी आंत का आकार है. क्योंकि खाना पकाने के लिए हमें कम पाचन करना पड़ता है, इसलिए हमारी आंतें उनकी तुलना में छोटी होती हैं.

हमारी बड़ी आंत, हमारा कोलोन, आंत का आखिरी हिस्सा, उस आकार का लगभग दो-तिहाई है जो अगर हम चिम्पांजी, बोनोबो या गोरिल्ला होते तो होता. इसका मतलब है कि उनके मुकाबले हमारे पेट सपाट हैं, न कि उभरे हुए हैं.

उन बड़ी आंतों को एडजस्ट करने के लिए गैर-मानव प्राइमेट्स में चौड़े पेल्विस और उभरी हुई पसलियां होती हैं. हमारे मानव पूर्वजों ने लगभग 20 लाख साल पहले ये विशेषताएं खो दी थीं.

चबाने वाले दांतों से मिला ये संकेत

उसके बाद जो दूसरी चीज हुई वह मानव विकास के इतिहास में चबाने वाले दांतों के आकार में सबसे बड़ी गिरावट थी. इसलिए फिर से यह इस विचार से बहुत मेल खाता है कि अचानक खाने में कुछ बदल गया है. खास तौर पर खाना चबाना आसान हो गया है, क्योंकि शायद यह नरम था. यह लगभग उसी समय हुआ था, 18 लाख साल पहले.

इसलिए यहां बड़ी कहानी यह है कि खाना पकाने की शुरुआत लगभग 19 लाख साल पहले उस प्रजाति की उत्पत्ति के साथ हुई जो मानव विकास में सबसे ज्यादा हमारे जैसी दिखती है, यानी होमो इरेक्टस. रैंगहम को लगता है कि खाना पकाना और आग पर काबू पाना होमो इरेक्टस के विकास के लिए जिम्मेदार था.

लेकिन उस समय के आग को काबू करने वाले सबूतों के बिना, यह सोचना कि होमो इरेक्टस पहला रसोइया था, अभी भी बहस का विषय है. अभी भी बहुत से लोग इस पर काम कर रहे हैं, और यह लंबे समय तक चलता रहेगा. लिंस्कॉट के अनुसार, शायद साइंटिस्ट्स कभी भी सटीक तौर पर यह नहीं बता पाएंगे कि खाना बनाने की शुरुआत कब हुई थी.

प्रभास की फिल्म में हुई पाकिस्तान की इस बड़ी एक्ट्रेस की एंट्री,जाने

साउथ की बड़ी प्रोडक्शन कंपनी मैत्री मूवी मेकर्स अपनी अगली तेलुगु फिल्म बनाने के लिए तैयार है. यह फिल्म एक पीरियड एक्शन ड्रामा है, जिसके लीड रोल में पैन इंडिया सुपरस्टार प्रभास दिखने वाले हैं. इस फिल्म के टाइटल और इसकी लीड फीमेल एक्ट्रेस को लेकर काफी समय से कन्फ्यूजन बनी हुई थी, जो कि अब खत्म हो गई है. टाइटल को लेकर कहा गया है कि अस्थायी तौर पर इसका नाम ‘फौजी’ रखा गया है, इसके साथ ही फीमेल एक्ट्रेस की भी बात की गई है.

पहले खबर थी कि इस फिल्म में मृणाल ठाकुर या इमानवी प्रभास के अपोजिट नजर आ सकती हैं, लेकिन अब इस खबर को क्लियर कर दिया गया है. हाल ही में मैत्री मूवी मेकर्स की तरफ से ‘फौजी’ की ऑफिशियल अनाउंसमेंट की गई है. ये फिल्म इंडियन सिनेमा की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक होगी. इस फिल्म का डायरेक्शन ‘सीता रामम’ के डायरेक्ट हनु राघवपुडी कर रहे हैं. इस फिल्म के लिए 17 अगस्त को हैदराबाद में पूजा रखी गई थी, जिसकी तस्वीरों को मैत्री मूवी मेकर्स ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया था. यह एक पीरियड ड्रामा एक्शन-एडवेंचर फिल्म होगी.

ये पाकिस्तानी एक्ट्रेस निभाएंगी रोल

फिल्म की पूजा के दौरान एक्ट्रेस और डांसर इमानवी भी मौजूद थीं, इसी दौरान उनकी फिल्म में मुख्य भूमिका में होने की बात कही गई थी. हाल ही में फिल्मफेयर की रिपोर्ट के मुताबिक, अब फिल्ममेकर ने इस फिल्म के लिए दूसरे चेहरे को शामिल किया है. यह चेहरा भारत से लेकर पाकिस्तान तक जाना जाता है. ‘फौजी’ में प्रभास के साथ बड़े पर्दे पर पाकिस्तानी एक्ट्रेस सजल अली नजर आने वाली हैं. पिछले कुछ महीनों से सजल के इस फिल्म में काम करने की बात सामने आ रही थी.

बड़े कलाकार होंगे फिल्म में शामिल

‘फौजी’ एक पीरियड-एक्शन ड्रामा होगी, जो कि 1940 के समय में सेट होगी. यह फिल्म एक योद्धा की कहानी पर बेस्ड है, जो कि न्याय के लिए लड़ता है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और जया प्रदा जैसे बेहतरीन कलाकार भी शामिल हो सकते हैं.इस फिल्म की शूटिंग 24 अगस्त से शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.

श्रीदेवी के साथ ‘मॉम’ में आई थीं नजर

सजल पाकिस्तान में काफी फेमस चेहरा है, सजल ने बॉलीवुड की फिल्म ‘मॉम’ में काम किया है, जो कि 2017 में रिलीज हुई थी. उनकी यह फिल्म दिवंगत एक्ट्रेस श्रीदेवी के साथ थी और यह श्रीदेवी की आखिरी फिल्म थी. सजल अली पाकिस्तान की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक हैं और इनका नाम पाकिस्तान की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेसेस की लिस्ट में भी शामिल है. पाकिस्तान गवर्नमेंट की तरफ से सजल को तमगा-ए-इम्तियाज अवॉर्ड दिया गया है. सजल ने 2009 में ‘नादानियां’ से अपने करियर की शुरुआत की थी, जो कि जियो टीवी पर आई थी.

पाकिस्तान से इराक जा रही शिया तीर्थयात्रियों की बस दुर्घटना में 28 लोगों की मौत,14 लोग घायल

पाकिस्तान से हर साल कई शिया तीर्थयात्रियों इराक जाते है. लेकिन 20 अगस्त की रात को इराक जा रही एक बस ईरान के यज्द में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. दुर्घटना के समय इस बस में 51 लोग सवार थे. बताया जा रहा है कि इनमें से कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई. स्थानीय आपातकालीन अधिकारी मोहम्मद अली मालेकजादेह ने बताया कि ये दुर्घटना मंगलवार रात को ईरानी प्रांत यज़्द में हुई. उन्होंने बताया कि दुर्घटना में 23 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 14 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है.

दुर्घटना का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. ईरान के सड़क सुरक्षा मुद्दे अच्छी तरह से लिखित हैं. देश में यातायात कानूनों के खराब पालन, असुरक्षित वाहनों की वजह से हर साल लगभग 17,000 से ज्यादा ऐसी घटनाएं होती हैं. 20 अगस्त को हुई इस घटना के अगले ही दिन बुधवार की सुबह सिस्तान और बलूचिस्तान में एक और बस दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई और 18 लोग घायल हो गए. अब दोनों दुर्घटनाओं की जांच की जा रही है.

शहादत को याद करते हैं

हर साल कई मुस्लिम इस तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं. इसमें सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं कई और देशों से भी लोग वहां जाते हैं. शिया मुस्लिम खासतौर पर इराक जाते हैं. इस यात्रा को करने वाले लोगों को अरबाइन कहा जाता है, जो उनके लिए एक खास अहमियत रखती है. दरअसल इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक ये यात्रा मुहर्रम के दसवें दिन और आशूरा के चालीस दिन बाद होती है. इस दिन शिया मुस्लिम पैगंबर मुहम्मद के पोते और इमाम हुसैन की कर्बला की लड़ाई में हुई शहादत को याद करते हैं.

50 हजार लोग गायब

दुनियाभर से जियारत के लिए इराक के कर्बला पहुंचने वालों शिया मुस्लिमों की संख्या करोड़ो में होती है. लोग अलग-अलग देशों से यहां पहुंचते हैं. पाकिस्तान से भी हर साल लोग इस तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं. लेकिन कुछ दिन पहले जानकारी सामने आई थी कि पाकिस्तान से इराक तीर्थयात्रा के लिए गए लगभाग 50 हजार श्रद्धालु अचानक गायब हो गए थे. रिपोर्ट् के मुताबिक इस बात की जानकारी खुद पाकिस्तान सरकार की धार्मिक मामलों के मंत्री चौधरी सालिक हुसैन ने दी थी.