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Aug 04 2024, 13:10

मुख्यमंत्री निवास में हरेली तिहार पर छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का अनूठा नजारा

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निवास कार्यालय में आज हरेली पर्व पर खेती-किसानी, कला-संस्कृति, खान-पान और वेशभूषा का अनूठा नजारा देखने को मिला। हरेली पर्व में शामिल लोग छत्तीसगढ़िया परिधान पहने लोक संस्कृति के रंग में सरोबार नजर आए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय एवं मंत्रीगण पारंपरिक वेशभूषा में खुमरी पहने हुए थे। छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहां हर एक अवसर और कार्यों के लिए विशेष प्रकार के पारंपरिक उपकरणों एवं वस्तुओं का उपयोग किया जाता रहा है। हरेली पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में इन्हीं पारंपरिक कृषि यंत्रों एवं परिधानों का नजारा देखने को मिला जो छत्तीसगढ़ की समृद्धि संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

काठा - इस चित्र में सबसे बाएं दो गोलनुमा लकड़ी की संरचना दिख रही है, जिसे काठा कहा जाता है। पुराने समय में जब गांवों में धान मापन के लिए तौल कांटा-बाट का प्रचलन नही था, तब काठा से धान का मापा जाता था। सामान्यतः एक काठा में चार किलो धान आता है। काठा में ही नाप कर पहले मजदूरी के रूप में धान का भुगतान किया जाता था।

खुमरी - सिर के लिए छाया प्रदान करने के लिए बांस की पतली-पतली खपच्ची से बनी, गुलाबी रंग से रंगी और कौड़ियों से सजी घेरेदार संरचना खुमरी कहलाती है। यह प्रायः गाय चराने वाले चरवाहें अपने सिर पर धारण करते हैं। जिससे धूप और बारिश से बचाव होता है। पहले चरवाहा कमरा (रेनकोट) और खुमरी लेकर पशु चराने निकलते है। कमरा जो कि जूट के रेशे से बने ब्लैंकेट नुमा मोटा वस्त्र होता था, जो कि बारिश बचने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

कांसी की डोरी - खुमरी के बगल में डोरी का गोलनुमा गुच्छा कांसी पौधे के तने से बनी डोरी है। यह पहले चारपाई या खटिया में उपयोग होने वाले निवार के रूप में प्रयोग किया जाता है। डोरी बनाने की प्रक्रिया को डोरी आंटना कहा जाता है। बरसात के शुरुआती मौसम के बाद जब खेत के मेड़ों में कांसी पौधे उग आते है, तब उसके तने को काटकर डोरी बनाई जाती है, जो कि चारपाई बुनने के काम आती है।

झांपी - चित्र के सबसे दाएं तरफ ढक्कन युक्त लकड़ी की गोलनुमा बड़ी संरचना झाँपी कहलाती है। यह पुराने जमाने में छत्तीसगढ़ में बैग या पेटी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता था। यह खासकर विवाह के अवसर पर बारात जाने के समय दूल्हे का कपड़ा, श्रृंगार समान, पकवान आदि सामग्रियां रखने का काम आता था। यह बांस की लकड़ी से बनी मजबूत संरचना होती थी, जो कई वर्षों तक खराब या नष्ट नहीं होती है।

कलारी - बांस के डंडे के छोर पर लोहे का नुकीला हुक लगाकर कलारी बनायी जाती है। इसका उपयोग धान मिंजाई के दौरान धान को उलटने-पलटने में होता है।

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Aug 04 2024, 08:21

स्टेट फार्मेसी काउन्सिल से कहा गायब हो गए अनुभव प्रमाण पत्र, जिम्मेदार दे रहे आग में जलाने का हवाला, RTI से खुली पोल

रायपुर-     छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउन्सिल में 4 हजार से ज्यादा पंजीयन अनुभव के आधार पर किए गए है, जिनके अनुभव प्रमाण पत्र कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। कौंसिल में हजारों अवैध पंजीयन दर्ज है। IPA के सदस्यों ने बताया एक व्यक्ति के नाम से दो पंजीयन दर्ज है। चुनाव में दो मतपत्र जारी होते रहे हैं और एक व्यक्ति के दो वोट डाले गए हैं। वहीं अनुभव प्रमाण का कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर एमपी कार्यालय में आग लगने का हवाला दिया जा रहा है। सूचना के अधिकार अधिनियम में इसका खुलासा हुआ है।

IPA के सचिव वर्मा ने कहा कि ऐसे फर्जी पंजीयनों को छुपाने अवैध रूप से नियम विरोधी लाइफ टाइम पंजीयन किया गया है ताकि नवीनीकरण के समय गड़बड़ी पकड़ी न जा सके। उन्होंने कहा कि फार्मेसी एक्ट में लाइफ टाइम पंजीयन का कोई प्रावधान ही नहीं है। 30 हजार पंजीयन में से लगभग 4000 पंजीयन लाइफ टाइम किया गया हैं। शासन-प्रशासन को शिकायत करने पर भी जांच एवं कार्रवाई नहीं की जा रही है।

कौंसिल के रजिस्ट्रार बदलते रहे लेकिन किसी ने कार्रवाई की हिम्मत नहीं की। पूर्व सरकार ने जांच समिति बनाई थी लेकिन जांच समिति में अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई, जिनके पास पहले ही ज़्यादा काम हैं नतीजन जांच हो नहीं सकी। फार्मेसी पंजीयन का उपयोग मुख्यतः मेडिकल स्टोर खोलने ड्रग लाइसेंस बनवाने किया जाता है।

मौत के बाद पंजीयन का दुरुपयोग

आजीवन पंजीयन नियम में कही नहीं है लेकिन पंजीयन किया गया है पंजीयन धारी सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। उसके बाद भी उनकी पंजीयन निरस्त नहीं किया गया है और मौत के बाद उसकी पंजीयन का उपयोग जारी है।

आगजनी की घटना का हवाला देते हुए किया जा रहा गुमराह

IPA के सचिव ने बताया कि अनुभव के आधार पर पंजीयन पहले होता था, जो बंद हो गया है। अनुभव के आधार पर पंजीयन हुआ है तो अनुभव प्रमाण पत्र कहां है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हमने जानकारी मांगी तो कहा गया कि इन लोगों का अनुभव प्रमाण पत्र छत्तीसगढ़ में नहीं है। मौखिक तौर पर यह भी कहा गया कि MP में आग लगी थी तो जल गया है। वहां से दस्तावेज़ नहीं दिए गए है। जब MP में सूचना के अधिकार अधिनियम लगाया गया तो वहां से लिखित में बताया गया कि यहां कोई आग नहीं लगी है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

छत्तीसगढ़ स्टेट मेडिकल फ़ार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्वनी गुरदेकर ने कहा अनुभव के आधार पर पहले रजिस्ट्रेशन होता था। अनुभव प्रमाण पत्र नहीं होने की जानकारी मिल रही है तो ये सही नहीं है। इसमें जांच की जाएगी। आगज़नी की घटना को लेकर कहा कि ऐसे तो कहासुनी में हमने भी सुना है कि आग लगी थी लेकिन इसका कोई प्रमाण हमारे पास नहीं है। MP में आग लगी थी या नहीं यह एक बार हम पूछेंगे फिर आगे आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई की जाएगी।

पंजीयन निरस्त किया जाएगा

छत्तीसगढ़ स्टेट फ़ार्मेसी काउंसिल के वाइस प्रेसीडेंट राहुल तिवारी का कहना है मुद्दा गम्भीर है और इस मुद्दे को काउंसिल की बैठक में उठाया गया था। लगभग छह हज़ार लोगों का लाइफ़टाइम पंजीयन कराया हुआ है, जिनकी कोई जानकारी नहीं है। अब हम इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पता लगा रहे हैं कि कितने लोग जीवित है कितने लोग नहीं है, जीवित हैं तो आगे नियमानुसार कार्रवाई होगी अगर जीवित नहीं है तो उनका पंजीयन निरस्त किया जाएगा।

कम में फायदा नहीं ज्यादा में नुकसान

बीमारियों में जो दवा खाते हैं वो फार्मासिस्ट की ओर से दी जाती है। अगर हम कम डोज लेते हैं तो बीमारी पर दवा असर नहीं करती और ज्यादा डोज लेते हैं तो कई तरह के रिएक्शन का शिकार होते हैं जान भी जा सकती है।

गाइडलाइन बनाकर तुरंत शुरू करें – डॉ राकेश गुप्ता

इस मामले में काउंसिल के सदस्य डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल और मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट और डॉक्टरों की संख्या हमेशा भ्रम की स्थिति रही है. राज्य बनने के बाद लगातार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ही हुई है. वास्तव में प्रैक्टिस कर रहे फार्मासिस्ट और डॉक्टरों की सही संख्या का अनुमान नवीनीकरण न होने से हमेशा संदेह के दायरे में है. कभी-कभी सर्टिफिकेट की मान्यता भी संदेह के घेरे में आती रही है. नवीनीकरण होने से सही संख्या और सर्टिफिकेट में योग्यता की सत्यता प्रमाणित हो सकेगी. इसे शासन के स्तर पर गाइडलाइन बनाकर तुरंत शुरू किया जाना चाहिए.

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Aug 04 2024, 08:14

आपत्तियों के निराकरण किए बिना अधिसूचना जारी, परिसीमन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

बिलासपुर- बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन के लिए जारी अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि आपत्तियों का निराकरण किए बिना अधिसूचना जारी कर दी गई। इसमें कई तरह की अनियमितताएं है, इसलिए परिसीमन रद्द कर पूर्व प्रक्रिया अनुसार निगम चुनाव कराए जाएं।

बिलासपुर के पूर्व कांग्रेसी विधायक शैलेश पांडेय और कांग्रेस के चार ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू, मोती थारवानी, जावेद मेमन, अरविंद शुक्ला ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में बताया गया है कि इससे बिलासपुर शहर की जनता को परेशानी का सामना करना पड़ेगा और उनके पते बदल जाएंगे। इससे राशन कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज को बदलने की जरूरत पड़ेगी। यह परिसीमन बिना किसी जरूरत के किया जा रहा है।

शासन की ओर से पूरे प्रदेश में परिसीमन के लिए दिशा निर्देश जून में दिए गए। बिलासपुर में कांग्रेस कमेटी ने इसका विरोध किया, क्योंकि बिना जरूरत के परिसीमन करना उचित नहीं था। इसके बाद भी शासन ने हड़बड़ी में दावा आपत्तियों को दरकिनार कर अधिसूचना जारी कर दी। याचिका में अधिसूचना पर रोक और पूर्व के परिसीमन के आधार पर ही आगामी निगम चुनाव कराने की मांग की गई है।

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Aug 04 2024, 08:09

मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेशवासियों को हरेली त्यौहार की बधाई और शुभकामनाएं दी
रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को हरेली त्यौहार की बधाई और शुभकामनाएं दी है। अपने शुभकामना संदेश में श्री साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति यहां के उत्सवों में प्रमुखता से दिखाई देती है। छत्तीसगढ़ का लोक त्यौहार हरेली छत्तीसगढ़ के जन-जीवन में रचा-बसा खेती-किसानी से जुड़ा पहला त्यौहार है। इसमें अच्छी फसल की कामना के साथ खेती-किसानी से जुड़े औजारों की पूजा की जाती है। इस दिन धरती माता की पूजा कर हम भरण पोषण के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अनुरोध करते हुए कहा है कि इस बार हम धरती माता का आभार उनकी पूजा करने के साथ ’एक पेड़ माँ के नाम’ लगाएं और हरेली की खुशियां मनाएं। श्री साय ने कहा कि हरेली त्यौहार प्रदेशवासियों के जीवन में खुशियां और समृद्धि लेकर आए।

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Aug 03 2024, 22:09

IPS अशोक जुनेजा बन रहेंगे राज्य के डीजीपी, 6 माह का दिया गया एक्सटेंशन

रायपुर-    अशोक जुनेजा को 6 महीने का एक्सटेंशन मिल गया है। केंद्र सरकार ने उनके एक्सटेंशन को हरी झंडी दे दी है। अब अशोक जुनेजा अगले 6 महीने तक डीजीपी के पद पर बने रहेंगे। अशोक जुनेजा 1989 बैच के अफसर हैं। बता दें कि, 5 अगस्त 2022 को उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी बनाया गया था। वहीं सूत्र बताते हैं कि, गृह विभाग ने नए डीजीपी के लिए नामों का पैनल केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी कर ली थी। पैनल में भेजे गए नामों में से किसी एक नाम पर केंद्र सरकार की मुहर लगती, इन नामों में अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता के नाम प्रमुख रूप से शामिल थे। इसके अलावा पवन देव भी एक मजबूत चेहरे के रूप में देखे जा रहे थे, पैनल भेजे जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ती इससे पहले इसे रोक दिया गया हैं।

अशोक जुनेजा के रिटायर होने के बाद उनकी सेवा वृद्धि किए जाने की संभावना के पीछे कई वजह गिनाई जा रही है। राज्य में भाजपा सरकार के काबिज होने के बाद से नक्सल मोर्चे पर मिल रही सफलता एक बड़ी वजह है। वहीं बीते छह महीने में करीब डेढ़ सौ नक्सली मारे जा चुके हैं। बड़ी तादाद में नक्सलियों ने सरेंडर किया है। वहीं अर्धसैनिक बलों के साथ राज्य पुलिस के बीच समन्वय का असर है कि नक्सल मोर्चे पर पहली बार बड़ी सफलता मिल रही है। कहते हैं कि, जुनेजा को एक्सटेंशन दिए जाने की संभावना के पीछे इस विषय को ही आधार माना जा रहा है। वहीं साय सरकार भी नक्सलवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए है। कहते हैं कि, डीजीपी बदलने से समन्वय में किसी तरह की संभावित अनदेखी पर सरकार कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती। इसे भी एक कारण माना जा सकता हैं।

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Aug 03 2024, 21:38

राजधानी में मंत्रिमंडल समिति की बैठक: सत्ता-संगठन के आगामी कार्यक्रमों पर हुआ मंथन, साव बोले-

रायपुर- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मंत्रियों की तीन घंटे तक चली बैठक समाप्त हो गई है. बैठक की जानकारी उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दी. उन्होने कहा कि प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने आज लगातार कई बैठकें कीं, जिनमें प्रदेश पदाधिकारी, कोर कमिटी और मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल हुए. बैठक में “एक पेड़ मां के नाम” कार्यक्रम के तहत सभी मंत्रियों को इसे अपने प्रभार के जिलों और क्षेत्रों में निचले स्तर तक ले जाने का निर्देश दिया गया है.

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान है कि “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को तेज गति से आगे बढ़ाया जाए. इसके अलावा उन्होने बताया कि पूरे प्रदेश में 15 अगस्त को “हर घर तिरंगा” अभियान चलाया जाएगा, जिसमें सभी जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को पूरी ताकत से भाग लेना है. युवा मोर्चा तिरंगा यात्रा का आयोजन करेगा, और 14 अगस्त को विभाजन की विभीषिका दिवस के रूप में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि आज की पीढ़ी को इसके बारे में जानकारी मिल सके.

निकाय चुनाव पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि सरकार के स्तर पर तैयारी चल रही है, वार्डों का परिसीमन जारी है और जन समस्या पखवाड़ा चल रहा है. उन्होंने बताया कि हम हर समस्या का समाधान करने के लिए तत्पर हैं. बैठक में लिए गए निर्णयों से संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और जनता के बीच सरकार की योजनाओं को प्रभावी रूप से पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.

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Aug 03 2024, 21:16

लगातार बारिश के बीच स्वर्णप्राशन के लिए आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में उमड़ी भीड़ 1370 बच्चों का कराया गया स्वर्णप्राशन

रायपुर-     दिन भर लगातार बारिश और झड़ी के बीच आज स्वर्णप्राशन के लिए अभिभावक बड़ी संख्या में बच्चों को लेकर रायपुर के आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय पहुंचे। बच्चों के व्याधिक्षमत्व, पाचन शक्ति, स्मरण शक्ति, शारीरिक शक्ति वर्धन एवं रोगों से बचाव के लिए यहां आज 1370 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया। आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय के कौमारभृत्य विभाग द्वारा हर पुष्य नक्षत्र तिथि में शून्य से 16 वर्ष के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया जाता है। स्वर्णप्राशन के साथ ही डॉ. लवकेश चंद्रवंशी ने बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण भी किया।

शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय परिसर में आयुष विभाग की संचालक इफ्फत आरा, प्राचार्य प्रो. डॉ. जी.आर. चतुर्वेदी, चिकित्सालय अधीक्षक प्रो. डॉ. प्रवीण कुमार जोशी और कौमारभृत्य विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. नीरज अग्रवाल के निर्देशन में स्वर्णप्राशन कराया गया। स्वर्णप्राशन समन्वयक डॉ. लवकेश चन्द्रवंशी ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह काफी लाभदायक है। महाविद्यालय के स्नातकोत्तर एवं स्नातक छात्र-छात्राएं हर महीने इसमें महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय द्वारा इस वर्ष की अन्य पुष्य नक्षत्र तिथियों 25 जनवरी को 1235, 21 फरवरी को 1420, 18 मार्च को 1720, 16 अप्रैल को 1410, 13 मई को 1256, 10 जून को 1802 और 8 जुलाई को 1342 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया था।

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Aug 03 2024, 21:07

अब जंगल में ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों की ओर नहीं जाते पहाड़ी कोरवा राजकुमारी के कदम वनांचल की राजकुमारी ने शुरू की जिंदगी की नई पारी

रायपुर-     बात कुछ महीने पहले की ही है। राजकुमारी की जिंदगी किसी राजकुमारी की तरह तो दूर की बात, एक सामान्य इंसान की तरह भी न थी। जंगल में रहना, तेंदू-चार बीनना,बकरी चराना, घर में बाड़ी में काम करना तो कभी खेतों में हल चलाना और सुबह-शाम चूल्हें फूंकना राजकुमारी के जिंदगी की जद्दोजेहद में शामिल थी। शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर पेंड्रीडीह गाँव की पहाड़ी कोरवा महिला राजकुमारी की ख्वाहिश तो थी कि वह पढाई करें और कुछ नौकरी करें। पढ़ाई की उनकी यह ख्वाहिश पूरी तरह से पूरी नहीं हो सकी। लेकिन जितना भी पढ़ी थीं, उन्हें समझ थी कि पढ़ाई ही एक ऐसा माध्यम है जो उन्हें और और उनके समाज को उन्नति की राह पर आगे ले जा सकता है। एक उम्र के साथ ही घर वालो द्वारा रिश्ता तय करने के बाद ससुराल आई राजकुमारी को जब मालूम हुआ कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा जिले के शिक्षित पहाड़ी कोरवाओं को नौकरी दी जा रही है तो उन्होंने देरी नहीं की। अपना आवेदन दिया और पक्के इरादों के साथ जंगल से दूर आकर शहर में नौकरी शुरू की। अब जब नौकरी मिल गई है तो पहाड़ी कोरवा राजकुमारी की दिनचर्या ही बदल गई है। पहले सुबह उठते ही जो कदम उबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर जंगल की ओर जाया करते थे, अब वह जिंदगी की नई पारी और एक नई जिम्मेदारी के साथ स्कूल की ओर आती है।

कोरबा ब्लॉक के सुदूरवर्ती ग्राम पेंड्रीडीह की पहाड़ी कोरवा राजकुमारी ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन अचानक से उन्हें जंगल छोड़कर शहर आना पड़ेगा। उन्हें तो लगता था कि वह जंगल में ही पैदा हुई और अब जिंदगी इन्हीं जंगल में ही बीतेगी। जिले के शिक्षित बेरोजगार पहाड़ी कोरवा जनजाति के युवाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल किए जाने के पश्चात वनांचल की राजकुमारी की किस्मत भी एकाएक बदल गई। अपना आवेदन जमा करने के साथ ही भृत्य पद के लिए चयनित हुई पेंड्रीडीह की राजकुमारी ने जंगल से शहर आकर नौकरी की शुरुआत की। आठवीं पास राजकुमारी ने बताया कि जंगल के आसपास ही उनके पुरखो की जिंदगी कटी है, वह भी काट रही थी। अचानक से शहर आना और यहाँ रहना कुछ अलग सा लगता है,लेकिन यह सब मंजूर है,क्योंकि आज वह जितनी पढ़ाई की उसी के हिसाब से उसे नौकरी मिली है। राजकुमारी का कहना है कि वह यदि जंगल में रहती तो उन्हें और उनके बच्चों को भी उन्हीं माहौल में ढलना पड़ता। उन्होंने बताया कि गाँव में आठवीं तक कि पढ़ाई पूरी करने के बाद शादी हो गई और वह अपने ससुराल में जाकर रहने लगी। उन्होंने अपनी दिनचर्या को बहुत कठिन बताते हुए कहा कि पहाड़ी कोरवा का परिवार ऐसे ही चुनौती और संघर्षमय जीवन व्यतीत करता आया है। उन्हें जब नौकरी मिली तो यह भी एक चुनौती की तरह है। धीरे-धीरे वह स्कूल में काम सीख रही है। यहाँ स्कूल के माहौल को देखकर लगता है कि हम लोग कितना पीछे हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए शिक्षा का कितना महत्व है। पहाड़ी कोरवा राजकुमारी ने बताया कि आने वाले समय में वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहेगी। उन्हें जो नौकरी मिली है,इससे मिलने वाले वेतन से उसकी आर्थिक समस्या दूर होगी तथा बच्चों का बेहतर ढंग से परवरिश कर पायेगी। पहाड़ी कोरवा राजकुमारी को शहर के एनसीडीसी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भृत्य के पद पर डीएमएफ से मानदेय के आधार पर जिला प्रशासन द्वारा नौकरी दी गई है।

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Aug 03 2024, 20:43

हरेली तिहार मनाने सज गया मुख्यमंत्री निवास, रहचुली झूला, गेड़ी और साजसज्जा वाली बैलगाड़ियों से दिख रही रौनक

रायपुर-     हरेली तिहार की तैयारियों के लिए सजा मुख्यमंत्री निवास एक छोटे से गांव के रूप में नजर आ रहा है जहां हर तरफ हरेली की धूम है। मुख्यमंत्री निवास एक ग्रामीण मड़ई मेला की तरह सुंदर साजसज्जा में नजर आ रहा है। रहचुली झूला, गेड़ी और सुंदर बैलगाड़ियों से पूरा परिसर हरेली की रौनक से दमक रहा है।

कल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय हरेली के अवसर पर परंपरागत तरीके से पूजा करेंगे। हरेली के मौके पर पशुधन की पूजा की जाती है। खेती किसानी की शुरूआत में मनाया जाने वाला यह पर्व धरती के प्रति हमारी कृतज्ञता को व्यक्त करता है और इस भावना के अनुरूप मुख्यमंत्री पूजा के पश्चात किसान भाइयों को आधुनिक कृषि उपकरणों का वितरण भी करेंगे।

समय बदलता है लेकिन छत्तीसगढ़ अपनी परंपराएं नहीं छोड़ता। हवाई झूलों के दौर में भी रहचुली झूला की परंपरा छत्तीसगढ़ के लोग याद रखते हैं जो उन्हें अपने ग्रामीण अंचल और पुरखों से जोड़ती है। हरेली के पावन अवसर पर रहचुली झूले पर चढ़ते हैं और याद करते हैं कि मनोरंजन के माध्यम बदले हैं मनोरंजन नहीं बदला है। इस अवसर पर अतिथिगण रहचुली के उत्साह को फिर से याद करेंगे। गेड़ी के उत्साह को याद करेंगे। सीसी रोड से पहले के दिनों में जब ग्रामीण सड़कें मानसून की उफान में कीचड़ में तब्दील हो जाती थीं तब गेड़ी सबसे सुरक्षित जरिया होता था ताकि कीचड़ से बच सकें। साथ ही हरेली के मौके पर बारंबार गेड़ी चढ़कर सावन मास के उत्साह को जाहिर किया जाता था।

हरेली के मौके पर बैल भी सजते हैं और बैलगाड़ी भी सजती है। अपने पशुधन के सम्मान के लिए, उनकी पूजा के लिए यह बड़ा पर्व होता है। खेती किसानी की तैयारियों के बीच धरती माता के अभिवादन का यह त्योहार है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अपने परिवार सहित परंपरागत तरीके से हरेली की पूजा करेंगे।

हरेली के मौके पर ग्रामीण खेल भी यादगार होते हैं। गेड़ी दौड़ जैसी कई प्रतिस्पर्धाएं होती हैं। परंपरागत छत्तीसगढ़ी खेलों का जादू इस दिन उफान पर होता है। मुख्यमंत्री निवास में भी इसकी पूरी तैयारी की गई है। पिट्ठूल, भौरा जैसे खेल विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगे। साथ ही परंपरागत छत्तीसगढ़ी पकवान चीला, खुरमी, ठेठरी, अइरसा आदि का भी आनंद लेंगे। इस मौके पर सबसे खास लोक संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन है। राऊत नाचा, करमा नृत्य आदि छत्तीसगढ़ के परंपरागत नृत्यों का आयोजन होगा। इस अवसर पर विविध लोकगीतों की प्रस्तुति भी होगी।

छत्तीसगढ़ में हरेली हर जगह अपनी विशिष्ट सुंदरता और विशिष्ट रूपों तथा तरीकों से मनाई जाती है। प्रदेश का हर अंचल अपनी सांस्कृतिक सुंदरता के साथ अपने को व्यक्त करता है। हरेली के अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में इनकी भी प्रस्तुति होगी।

हरेली त्योहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का त्योहार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम लगाने का आह्वान देश की जनता से किया है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हरेली के दिन एक पेड़ मां के नाम लगाने का आह्वान किया है ताकि अपनी जननी और जन्मभूमि दोनों के प्रति प्रदेश के सभी नागरिक अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सकें।

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Aug 03 2024, 20:35

मंत्री ओ.पी चौधरी ने नगर तथा ग्राम निवेश विभाग की समीक्षा की

रायपुर-     आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओ. पी चौधरी ने आज यहां न्यू सर्किट हाउस सिविल लाइन में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग की समीक्षा की, जिसमें राज्य के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारी उपस्थित हुए।

मंत्री श्री चौधरी ने विभागीय समीक्षा बैठक में आवासीय कालोनियों के विकास अनुज्ञा, नियमितिकरण, विकास योजना तथा भवन निर्माण अनुज्ञा में सरलीकरण हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने ऑनलाईन प्रक्रिया में आ रही कठिनाईयों के संबंध में विस्तार से चर्चा की तथा उक्त समस्या को देखते हुए साफ्टवेयर में सरलीकरण करते हुए समस्त कार्यालय प्रमुखों को प्रकरणों का समय सीमा में निराकरण सुनिश्चित करने निर्देशित किया।

मंत्री ओ. पी चौधरी द्वारा नए जिलों में कार्यालयों की स्थापना एवं कर्मचारियों के पद सरंचना के पुनःनिर्धारण पर भी चर्चा की गई साथ ही राज्य के प्रमुख जिले रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगाँव जैसे बड़े शहरों में कर्मचारियों-अधिकारियों के पद सरंचना में वृद्धि करने पर भी जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की उचित व्यवस्था से आमजनों के प्रकरणों का निराकरण सुगमता से समय-सीमा पर किया जा सकता है।

मंत्री ओ. पी चौधरी ने संचालक सौरभ कुमार को यह निर्देशित किया कि समस्त अधिकारी-कर्मचारी निर्धारित समय में कार्यालय में उपस्थित रहकर आमजनों के प्रकरणों का निराकरण करें। कार्यो में पारदर्शिता एवं तत्परता दिखनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि मिलने के समय का निर्धारण कर इसकी सूचना कार्यालय के सूचना पटल पर अवश्य लगाए। इस अवसर पर आवास एवं पर्यावरण की सचिव आर. संगीता, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के संचालक सौरभ कुमार, अपर संचालक संदीप बांगड़े, सहित समस्त क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रमुख अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।