मुख्यमंत्री श्री साय ने किया आठ करोड़ रुपए से अधिक लागत से बने पाँच कन्या छात्रावासों का शुभारंभ

रायपुर-     मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज आरंग में पाँच कन्या छात्रावासों का शुभारंभ किया। पाँचो छात्रावासों के शुरू हो जाने से अनुसूचित जाति की तीन सौ कन्याओं की अपनी पढ़ाई के लिए आवासीय सुविधा मिलेगी। इन छात्रावासों की लागत आठ करोड़ छह लाख रुपये से ज्यादा है। मुख्यमंत्री ने पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आरंग 100 सीटर लागत 174.67 लाख, प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास मंदिर हसौद, 50 सीटर लागत 174.67 लाख, अनुसूचित जाति कन्या आश्रम आरंग 50 सीटर लागत 162.76 लाख, अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आश्रम 50 सीटर लागत 162.76 लाख, नवीन प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास आरंग 50 सीटर लागत 152.97 लाख रूपए का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कन्या छात्रावास परिसर में एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत रामफल के पौधे का रोपण किया।

इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश के सभी हॉस्टल, छात्रावासों में दो हजार सीटों की वृद्धि करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने माइनर नगर वितरक शाखा क्रमांक-एक पोढ़ापार रसोटा तुलसी केशला के जीर्णाेद्धार, आरंग एसडीएम और तहसील कार्यालय के कर्मचारियों के लिए आवास के निर्माण, आरंग रेस्ट हाउस का विस्तार और जीर्णाेद्धार करने की घोषणा की। इस मौके पर विधायक गुरू खुशवंत साहेब की मांग पर भण्डारपुरी गुरुद्वारा परिसर के निर्माण के लिए 17 करोड़ रुपये की मंज़ूरी भी दी गई।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छात्रावास के लोकार्पण कर छात्राओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि इन भवनों के माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग की हमारी बेटियां सुविधापूर्ण तरीके से अपनी शिक्षा को जारी रख सकेंगी और अच्छी तरह पढ़-लिखकर अपने माता-पिता और हमारे प्रदेश का नाम रोशन करेंगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा विकास का मूल मंत्र है। शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम ही नहीं है बल्कि उससे भी बढ़कर एक आदर्श समाज की नींव है। किसी भी कार्य को अच्छी तरह कर पाने के लिए शिक्षा का अहम योगदान होता है। 15 साल प्रदेश में डॉ. रमन सिंह की सरकार रही, इन 15 सालों में प्रदेश में शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्य हुए। उस समय हमारे प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान टॉप में रहे। उसी का परिणाम है कि आज प्रदेश में 10 से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन के साथ विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता है। हमारी सरकार को कुछ ही माह हुए हैं इतने कम समय में हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदेश की जनता को दी गई गारंटियों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इस क्रम में आरंग विधानसभा के विकास के लिए भी हमने कम समय में 17 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है। पीएम श्री योजना में छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों को शामिल किया गया है। इन स्कूलों के विकास के लिए केंद्र सरकार से 02 करोड़ रूपए का बजट मिलेगा, जिसका उपयोग स्कूल में अच्छे शिक्षकों की उपलब्धता, शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से दिल्ली जाकर आईएएस, आईपीएस परीक्षा की तैयारी करने वाले एसटी, एससी, ओबीसी वर्ग के छात्रों के लिए दिल्ली में निर्धारित हॉस्टल में सीटों की संख्या की बढ़ोतरी करते हुए उसे 200 किया गया है।

मंत्री रामविचार नेताम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार समाज के बेहतरी, उत्थान और विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा कि इन कन्या छात्रावासों के शुभारंभ से छात्राओं को बड़ी सुविधा मिलेगी। मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही हैै कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भवन विहीन 180 छात्रावासों के बिल्डिंग निर्माण की स्वीकृति मिली है। वर्तमान में 180 में से 121 भवन के निर्माण के लिए 210 करोड़ रूपए का टेंडर भी लगा दिया गया है। 69 छात्रावास बिल्डिंग निर्माण के लिए निविदा भी अपलोड की जा रही है। प्रदेश के 295 भवनविहीन छात्रावास और आश्रम के भवन निर्माण के लिए भी हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। श्री नेताम ने आगे कहा कि हमारी सरकार ने खराब स्थिति वाले छात्रावास के मेंटेनेंस कर उन्हें सर्वसुविधा युक्त बनाने का भी कार्य कर रहे हैं। छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल और अनुकूल सुविधाएं सुनिश्चित कर रहे हैं। एसटी-एससी वर्ग के लिए छात्रावासों आश्रमों में निर्धारित संख्या 3757 है, जिनमें 1,97,000 सीटें है। कई जगहों में आश्रम छात्रावासों में भर्ती की प्रक्रिया भी जारी है। प्रदेशभर में हमने नवीन एकलव्य विद्यालय भी खोले हैं।

उल्लेखनीय है कि इन छात्रावास-आश्रमों में अनुसूचित जाति की छात्राओं को पढ़ाई के लिए प्रवेश दिया जाएगा, जहाँ रहकर वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगी। छात्रावासों में सुसज्जित शयन कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, क्लास रूम्स सहित भोजन कक्ष और पर्याप्त संख्या में शौचालय तथा स्नानागार बनाये गये है। भवनों में बिजली-पानी की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई गई है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लगभग 20 स्कूली छात्राओं को आने-जाने के लिए निः शुल्क साइकिलें भी वितरित की।

आरंग में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने श्रमिक कल्याण की विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को भी लाभान्वित किया। उन्होंने मिनीमाता महतारी योजना के तहत श्रमिक परिवार की दस महिलाओं को बीस-बीस हज़ार रुपये की सहायता दी। श्री साय ने नोनी सशक्तिकरण योजना के तहतश्रमिक परिवार की लगभग पंद्रह मेधावी छात्राओं को भी बीस -बीस हज़ार रुपये की राशि के चेक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने दो निर्माण श्रमिकों की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि भी प्रदान की। यह राशि निर्माण श्रमिक मृत्यु-दिव्यांग सहायता योजना के तहत दी गई। श्री साय ने दो बुजुर्ग श्रमिकों को बीस बीस हज़ार रुपये की सहायता श्रमिक सियान सहायता योजना के तहत प्रदान की। श्रमिकों के पाँच मेधावी बच्चों को उनकी पढ़ाई जारी रखने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए तीन तीन हज़ार रुपये की सहायता भी दी गई। इस योजना के तहत एक साल में नब्बे दिन निर्माण श्रमिक के रूप में काम करने वाले पंजीकृत श्रमिक के दो बच्चों को पहली कक्षा से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए एक हज़ार रुपए से दस हज़ार रुपए तक की सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम में पाँच पशुपालकों को डेयरी व्यवसाय के लिए तीन लाख रुपये से अधिक की सहायता राशि भी प्रदान की। श्री साय ने पशु मित्र योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को भी लगभग तीन लाख रुपये का मानदेय वितरित किया।

स्वच्छता दीदियों और स्वच्छता कमांडोज के मानदेय के लिए 25.86 करोड़ जारी
रायपुर-    राज्य शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय द्वारा नगरीय निकायों में कार्यरत स्वच्छता दीदियों और स्वच्छता कमांडोज के मानदेय के लिए 25 करोड़ 86 लाख रुपए जारी किए गए हैं। इस राशि से उन्हें जुलाई, अगस्त और सितम्बर का मानदेय प्रदान किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के अनुमोदन के बाद विभाग ने सभी नगरीय निकायों को राशि जारी कर दी है। मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न नगरीय निकायों में 9232 स्वच्छता दीदियां और 1937 स्वच्छता कमाण्डोज काम कर रही हैं।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने शहरों में स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी कार्यों में गुणात्मक सुधार के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत काम कर रहीं स्वच्छता दीदियों और स्वच्छता कमाण्डोज को नियमित रूप से समय-सीमा में मानदेय भुगतान के निर्देश दिए हैं। उनके निर्देश पर शहरों में स्वच्छता गतिविधियों की निरंतरता बनाए रखने के लिए प्रदेश के 11 नगर निगमों में कार्यरत 4099 स्वच्छता दीदियों, 43 नगर पालिकाओं की 2557 और 112 नगर पंचायतों की 2576 स्वच्छता दीदियों के मानदेय भुगतान के लिए नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा 19 करोड़ 94 लाख 11 हजार 200 रुपए जारी किए गए हैं। नगरीय निकायों में प्लेसमेंट में कार्यरत् 14 नगर निगमों के 460 स्वच्छता कमाण्डोज, 43 नगर पालिकाओं के 726 और 112 नगर पंचायतों के 751 स्वच्छता कमाण्डोज के तीन महीनों के मानदेय के लिए पांच करोड़ 92 लाख 29 हजार 300 रुपए जारी किए गए हैं।
उल्लेखनीय है भारत सरकार द्वारा संचालित स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत राज्य के सभी नगरीय निकायों में स्थानीय स्वसहायता समूहों द्वारा डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व पृथक्कीकरण, एसएलआरएम सेन्टर का संचालन-संधारण और आर्गेनिक कचरे की कम्पोस्टिंग के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। इसके क्रियान्वयन से नगरीय निकायों में स्वच्छता का वातावरण निर्मित हुआ है। साथ ही महिला स्वसहायता समूहों की 9232 स्वच्छता दीदियों और 1937 स्वच्छता कमाण्डोज के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं।
कांग्रेस के बयान पर BJP प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव का पलटवार, कहा – टिप्पणी वहीं लोग करते हैं जिनकी प्रभु राम के प्रति आस्था नहीं

रायपुर-     भाजपा प्रदेश पदाधिकारी की बैठक को लेकर प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने कहा, सभी प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चा और प्रवक्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रदेश कार्य समिति की बैठक की समीक्षा की गई. 10 जुलाई से आज तक जो कार्यक्रम तय हुए थे उस पर चर्चा की गई.

निगम मंडल आयोग की नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस के तंज पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने कहा, कांग्रेस को जो कहना है कहे. अभी चुनाव का दौर चला था, लंबा समय इस बार चुनाव में लग गया. चुनाव के बाद सरकार ने तेज गति से काम किया. अभी भी मुख्यमंत्री का लगातार प्रवास चल रहा है. बहुत ज्यादा दिन की बात नहीं है जो यह कह रहे हैं.

भगवान राम के अस्तित्व पर कांग्रेस के सवालों को लेकर पलटवार करते हुए किरण सिंहदेव ने कहा, इस तरीके की टिप्पणी वही लोग कर सकते हैं, जिनकी भगवान राम के प्रति आस्था नहीं है. पूरे देश-विदेश से लोग अयोध्या जा रहे हैं भगवान के दर्शन करने, निश्चित रूप से यह कोई पहला विषय नहीं है, जब कोई भगवान राम के अस्तित्व पर टिप्पणी कर रहा हो. कांग्रेस ने तो इस पर हमेशा से कोर्ट केस के समय भी अपने तरफ से तरह-तरह के बयान दिए.

संगठन के कामों को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने कहा, संगठन के विषय और सरकार के विषय सबके अपने मापदंड होते हैं. हमारे संगठन के कार्यकर्ता होने के नाते कुछ लिमिट होती है. जो संगठन के कार्यक्रम होते हैं उसे लेकर के विधायकों और मंत्रियों की उपस्थिति सुनिश्चित करना हमारा काम होता है. संगठन के कार्यक्रमों को लेकर हमारे जो जिम्मेदारी है, वह हम पूरा करते हैं.

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर पेराई सीजन वर्ष 2023-24 के गन्ना किसानों को शत-प्रतिशत भुगतान जारी

रायपुर-   छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार अन्नदाता किसानों के हित में निरंतर कार्य कर रही है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है। इसी क्रम में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना, राम्हेपुर द्वारा पेराई सीजन 2023-24 के तहत गन्ना किसानों को एफआरपी गन्ना भुगतान अंतर्गत 6 करोड़ 02 लाख रुपए का भुगतान जारी किया गया है। इस भुगतान के साथ ही कारखाना द्वारा अब तक कुल 113 करोड़ 52 लाख रुपए का भुगतान गन्ना किसानों को किया जा चुका है। इस प्रकार पेराई सत्र 2023-24 में गन्ना बेचने वाले सभी किसानों को 100 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया है।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि भोरमदेव शक्कर कारखाना द्वारा सभी किसानों का 100 प्रतिशत भुगतान पूरा कर दिया गया है। इसके साथ ही, किसानों को जल्द ही रियायती दर पर 50 किलो शक्कर भी प्रदान की जाएगी। त्योहारी सीजन के मद्देनजर गन्ना बिक्री से प्राप्त राशि के कारण किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर है।

भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी एफआरपी की शत-प्रतिशत राशि का भुगतान कर रहा है। क्षेत्र के किसानों की जागरूकता और उच्च गुणवत्ता के गन्ना की आपूर्ति के कारण इस वर्ष रिकवरी में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को इस वर्ष पिछले वर्ष से अधिक रिकवरी राशि प्राप्त होगी। इस राशि का भी भुगतान जल्द ही किया जाएगा, जिससे किसानों में उत्साह का माहौल है।

यह उल्लेखनीय है कि एफआरपी और रिकवरी राशि शक्कर कारखाना द्वारा दी जाती है, जबकि गन्ना प्रोत्साहन या बोनस राशि छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विभाग द्वारा दी जाती है। राज्य सरकार के कृषि बजट में बोनस राशि को भी शीघ्र गन्ना किसानों को प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।

छत्तीसगढ़ का परंपरागत तिहार हरेली


छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार का विशेष महत्व है। हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है। इस त्यौहार से ही राज्य में खेती-किसानी की शुरूआत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्यौहार परंपरागत् रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान खेती-किसानी में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं और घरों में माटी पूजन होता है। गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद लेते हैं। इस त्यौहार से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोक पर्वों की महत्ता भी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा है। परंपरा के अनुसार वर्षों से छत्तीसगढ़ के गांव में अक्सर हरेली तिहार के पहले बढ़ई के घर में गेड़ी का ऑर्डर रहता था और बच्चों की जिद पर अभिभावक जैसे-तैसे गेड़ी भी बनाया करते थे। हरेली तिहार के दिन सुबह से तालाब के पनघट में किसान परिवार, बड़े बजुर्ग बच्चे सभी अपने गाय, बैल, बछड़े को नहलाते हैं और खेती-किसानी, औजार, हल (नांगर), कुदाली, फावड़ा, गैंती को साफ कर घर के आंगन में मुरूम बिछाकर पूजा के लिए सजाते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ के चीला का भोग लगाया जाता है। अपने-अपने घरों में अराध्य देवी-देवताओं के साथ पूजा करते हैं। गांवों के ठाकुरदेव की पूजा की जाती है।

हरेली पर्व के दिन पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई जाती है। गांव में यादव समाज के लोग वनांचल जाकर कंदमूल लाकर हरेली के दिन किसानों को पशुओं के लिए वनौषधि उपलब्ध कराते हैं। गांव के सहाड़ादेव अथवा ठाकुरदेव के पास यादव समाज के लोग जंगल से लाई गई जड़ी-बूटी उबाल कर किसानों को देते हैं। इसके बदले किसानों द्वारा चावल, दाल आदि उपहार में देने की परंपरा रही हैं।

सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरेली पर्व मनाया जाता है। हरेली का आशय हरियाली ही है। वर्षा ऋतु में धरती हरा चादर ओड़ लेती है। वातावरण चारों ओर हरा-भरा नजर आने लगता है। हरेली पर्व आते तक खरीफ फसल आदि की खेती-किसानी का कार्य लगभग हो जाता है। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धोकर, धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला भोग लगाया जाता है। गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उनको नारियल अर्पण किया जाता है।

हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है। परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते है। गेड़ी बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उन्हें दो भागों में बांटा जाता है। उसे नारियल रस्सी से बांध़कर दो पउआ बनाया जाता है। यह पउआ असल में पैर दान होता है जिसे लंबाई में पहले कांटे गए दो बांसों में लगाई गई कील के ऊपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती हैं, जो वातावरण को औैर आनंददायक बना देती है। इसलिए किसान भाई इस दिन पशुधन आदि को नहला-धुला कर पूजा करते हैं। गेहूं आटे को गूंथ कर गोल-गोल बनाकर अरंडी या खम्हार पेड़ के पत्ते में लपेटकर गोधन को औषधि खिलाते हैं। ताकि गोधन को विभिन्न रोगों से बचाया जा सके। गांव में पौनी-पसारी जैसे राऊत व बैगा हर घर के दरवाजे पर नीम की डाली खोंचते हैं। गांव में लोहार अनिष्ट की आशंका को दूर करने के लिए चौखट में कील लगाते हैं। यह परम्परा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान है।


हरेली के दिन बच्चे बांस से बनी गेड़ी का आनंद लेते हैं। पहले के दशक में गांव में बारिश के समय कीचड़ आदि हो जाता था उस समय गेड़ी से गली का भ्रमण करने का अपना अलग ही आनंद होता है। गांव-गांव में गली कांक्रीटीकरण से अब कीचड़ की समस्या काफी हद तक दूर हो गई है। हरेली के दिन गृहणियां अपने चूल्हे-चौके में कई प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती है। किसान अपने खेती-किसानी के उपयोग में आने वाले औजार नांगर, कोपर, दतारी, टंगिया, बसुला, कुदारी, सब्बल, गैती आदि की पूजा कर छत्तीसगढ़ी व्यंजन गुलगुल भजिया व गुड़हा चीला का भोग लगाते हैं। इसके अलावा गेड़ी की पूजा भी की जाती है। शाम को युवा वर्ग, बच्चे गांव के गली में नारियल फेंक और गांव के मैदान में कबड्डी आदि कई तरह के खेल खेलते हैं। बहु-बेटियां नए वस्त्र धारण कर सावन झूला, बिल्लस, खो-खो, फुगड़ी आदि खेल का आनंद लेती हैं।

आइए इस हरेली धरती माँ का श्रृंगार करें, एक पेड़ मां के नाम लगाएं

रायपुर-     छत्तीसगढ़ की संस्कृति अपनी अति विशिष्ट परंपराओं और पर्वों के लिए जानी जाती है और हर पर्व, प्रकृति के पीछे गहरे समर्पण की मिसाल देता है। हरियाली को लेकर ऐसा ही दुर्लभ पर्व हरेली है, जब पूरी धरती हरीतिमा की चादर ओढ़ लेती है। धान के खेतों में रोपा लग जाता है और खेतों में चारों ओर प्रकृति अपने सुंदर नजारे में अपने को व्यक्त करती है। धरती माता का पूरा स्नेह पृथ्वीवासी या हर जीव-जन्तु पर उमड़ता है और इस स्नेह के प्रतिदान के लिए हम हरेली में प्रकृति को पूजते हैं। इस बार हरेली पर्व पर एक और खुशी हमारे प्रदेशवासियों के साथ जुड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ माँ के नाम पर लगाने के अभियान का आगाज किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में यह अभियान पूरे उत्साह से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने हरेली के अवसर पर लोगों से पेड़ लगाने की अपील की है। यह पेड़ वे अपनी माँ के नाम लगाएंगे साथ ही धरती माँ के नाम लगाएंगे, जो धरती हमें इतना कुछ देती है, उसके श्रृंगार के लिए पौधा लगाएंगे और सहेजेंगे। यह पौधा हमारी हरेली की स्मृतियों को सुरक्षित रखने के लिए भी यादगार होगा। साथ ही प्रदेश भर में जहां भी खुले मैदानों में पौधरोपण के आयोजन होंगे वहां लोग गेड़ी का आनंद भी लेंगे। अपनी प्रकृति और परिवेश से जुड़ने और इसे समृद्ध करने से बढ़कर सुख और क्या होगा।

छत्तीसगढ़ का पहला लोक पर्व हरेली

छत्तीसगढ़ का सबसे पहला लोक पर्व हरेली है, जो लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था से परिचय कराता है। हरेली का मतलब हरियाली होता है, जो हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है। हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। घर में महिलाएं तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं। हरेली में जहाँ किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, आपस में नारियल फेंक प्रतियोगिता करते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं।

हरेली के दिन गांव में पशुपालन कार्य से जुड़े यादव समाज के लोग सुबह से ही सभी घरों में जाकर गाय, बैल और भैंसों को नमक और बगरंडा का पत्ता खिलाते हैं। हरेली के दिन गांव-गांव में लोहारों की पूछपरख बढ़ जाती है। इस दिन गांव के लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं। ग्रामीणों द्वारा घर के बाहर गोबर से बने चित्र बनाते हैं, जिससे वह उनकी रक्षा करे।

हरेली से तीजा तक गेड़ी दौड़ का आयोजन

हरेली त्यौहार के दिन गांव के प्रत्येक घरों में गेड़ी का निर्माण किया जाता है, मुख्य रूप से यह पुरुषों का खेल है घर में जितने युवा एवं बच्चे होते हैं उतनी ही गेड़ी बनाई जाती है। गेड़ी दौड़ का प्रारंभ हरेली से होकर भादो में तीजा पोला के समय जिस दिन बासी खाने का कार्यक्रम होता है उस दिन तक होता है। बच्चे तालाब जाते हैं स्नान करते समय गेड़ी को तालाब में छोड़ आते हैं, फिर वर्षभर गेड़ी पर नहीं चढ़ते हरेली की प्रतीक्षा करते हैं। चूंकि वर्षा के कारण गांव के कई जगहों पर कीचड़ भर जाता है, इस समय गेड़ी पर बच्चे चढ़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते जाते हैं उसमें कीचड़ लग जाने का भय नहीं होता। बच्चे गेड़ी के सहारे कहीं से भी आ जा सकते हैं। गेड़ी का संबंध कीचड़ से भी है। कीचड़ में चलने पर किशोरों और युवाओं को गेड़ी का विशेष आनंद आता है। रास्ते में जितना अधिक कीचड़ होगा गेड़ी का उतना ही अधिक आनंद आता है। वर्तमान में गांव में काफी सुधार हुआ है गली और रास्तों पर काम हुआ है। अब ना कीचड़ होती है ना गलियों में दलदल। फिर भी गेड़ी छत्तीसगढ़ में अपना महत्व आज भी रखती है। गेड़ी में बच्चे जब एक साथ चलते हैं तो उनमें एक दूसरे से आगे जाने की इच्छा जागृत होती है और यही स्पर्धा बन जाती है। बच्चों की ऊंचाई के अनुसार दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाते हैं और बांस के टुकड़े को बीच में फाड़कर दो भाग कर लेते हैं, फिर एक सिरे को रस्सी से बांधकर पुनः जोड़ देते हैं इसे पउवा कहा जाता है। पउवा के खुले हुए भाग को बांस में कील के ऊपर फंसाते हैं पउवा के ठीक नीचे बांस से सटाकर 4-5 इंच लंबी लकड़ी को रस्सी से इस प्रकार बांधते है, जिससे वह नीचे ना जा सके लकड़ी को घोड़ी के नाम से भी जाना जाता है। गेड़ी में चलते समय जोरदार ध्वनि निकालने के लिए पैर पर दबाव डालते हैं जिसे मच कर चलना कहा जाता है।

नारियल फेंक प्रतियोगिता

नारियल फेंक बड़ों का खेल है इसमें बच्चे भाग नहीं लेते। प्रतियोगिता संयोजक नारियल की व्यवस्था करते हैं, एक नारियल खराब हो जाता है तो तत्काल ही दूसरे नारियल को खेल में सम्मिलित किया जाता है। खेल प्रारंभ होने से पूर्व दूरी निश्चित की जाती है, फिर शर्त रखी जाती है कि नारियल को कितने बार फेंक कर उक्त दूरी को पार किया जाएगा। प्रतिभागी शर्त स्वीकारते हैं, जितनी बार निश्चित किया गया है उतने बार में नारियल दूरी पार कर लेता है तो वह नारियल उसी का हो जाता है। यदि नारियल फेंकने में असफल हो जाता है तो उसे एक नारियल खरीद कर देना पड़ता है। नारियल फेंकना कठिन काम है इसके लिए अभ्यास जरूरी है। पर्व से संबंधित खेल होने के कारण बिना किसी तैयारी के लोग भाग लेते है।

बस्तर क्षेत्र में हरियाली अमावस्या पर मनाया जाता है अमुस त्यौहार

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा हरियाली अमावस्या पर अपने खेतों में औषधीय जड़ी-बूटियों के साथ तेंदू पेड़ की पतली छड़ी गाड़ कर अमुस त्यौहार मनाया जाता है। इस छड़ी के ऊपरी सिरे पर शतावर, रसना जड़ी, केऊ कंद को भेलवां के पत्तों में बांध दिया जाता है। खेतों में इस छड़ी को गाड़ने के पीछे ग्रामीणों की मान्यता यह है कि इससे कीट और अन्य व्याधियों के प्रकोप से फसल की रक्षा होती है। इस मौके पर मवेशियों को जड़ी बूटियां भी खिलाई जाती है। इसके लिए किसानों द्वारा एक दिन पहले से ही तैयारी कर ली जाती है। जंगल से खोदकर लाई गई जड़ी बूटियों में रसना, केऊ कंद, शतावर की पत्तियां और अन्य वनस्पतियां शामिल रहती है, पत्तों में लपेटकर मवेशियों को खिलाया जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इससे कृषि कार्य के दौरान लगे चोट-मोच से निजात मिल जाती है। इसी दिन रोग बोहरानी की रस्म भी होती है, जिसमें ग्रामीण इस्तेमाल के बाद टूटे-फूटे बांस के सूप-टोकरी-झाड़ू व अन्य चीजों को ग्राम की सरहद के बाहर पेड़ पर लटका देते हैं। दक्षिण बस्तर में यह त्यौहार सभी गांवों में सिर्फ हरियाली अमावस्या को ही नहीं, बल्कि इसके बाद गांवों में अगले एक पखवाड़े के भीतर कोई दिन नियत कर मनाया जाता है।

डीईओ के कई ठिकानों पर ACB का छापा, आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर पहुंची है टीम

बिलासपुर-   छत्तीसगढ़ में एक बार फिर एसीबी ने छापा मारा है. आज सुबह बरसते पानी में ACB की टीम ने बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी के घर छापा मारा. उनके कई ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की जा रही है.

बिलासपुर के नूतन कॉलोनी स्थित आवास में एसीबी की कार्रवाई चल रही है. बिलासपुर के अलावा कवर्धा स्थित निवास पर भी एसीबी की टीम पहुंची है. आय से अधिक संपत्ति की शिकायतों के बाद एसीबी ने छापेमारी की है.

जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू के निवास पर एसीबी के अधिकारियों की दबिश की सूचना स्थानीय पुलिस को भी नहीं दी गई है. इसके कारण जिले के अधिकारियों को भी देर तक इसकी भनक नहीं लग पाई. सुबह जब कालाेनी के लोग जागे तो उन्हें पूरे मामले की जानकारी हुई. फिलहाल एसीबी के अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी के निवास पर दस्तावेज खंगाल रहे हैं. नूतन कालोनी में रहने वाले जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू मूल रूप से कवर्धा के रहने वाले हैं.

हरेली की खुशियां बिखरेंगी मुख्यमंत्री निवास में, आयोजन की तैयारी का उत्साह जोरशोर से

रायपुर-    हरेली के उल्लास को संजोने मुख्यमंत्री निवास परंपरागत तरीके से सजाया जा रहा है। हरेली के दिन 4 अगस्त को यहां किसान भाइयों के हल खुरपी नजर आयेंगे। गेड़ी में लोगों का उत्साह नजर आयेगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं उनके मंत्रिमंडल सहयोगी तथा अतिथिगण इस अवसर पर हरेली का आनंद लेंगे और परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करेंगे।

हरेली तिहार के मौके पर मुख्यमंत्री सबसे पहले विधिविधान से कृषि उपकरणों की पूजा करेंगे। हरेली के अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ अंचल में लोग अपने अपने लोकगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अंचल के सभी नृत्य एवं लोकगीतों का आयोजन करने कहा है ताकि पूरा छत्तीसगढ़ समवेत रूप में मुख्यमंत्री निवास में अपने पूरे सांस्कृतिक वैविध्य में नजर आये।

करमा, राउत नाचा के सुंदर गीतों और लयबद्ध नृत्य के साथ आयोजन की शुरूआत होगी। फिर परंपरागत खेलों का आयोजन होगा। इसमें डंडा, भौंरा, बांटी जैसे खेल होंगे। हरेली आयोजन में सबसे यादगार गेड़ी होती है गेड़ी में चलकर लोग पुराने दिनों को याद करेंगे।

मुख्यमंत्री इस अवसर पर हरेली त्योहार से जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा करेंगे। साथ ही वे जनमानस को हरेली का संदेश भी देंगे। इस बार हरेली इस मायने में भी खास है कि पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम लगाने का संदेश दिया है और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में लोग बढ़चढ़कर इसमें हिस्सा ले रहे हैं। चूंकि हरेली त्योहार प्रकृति का ही त्योहार है इसलिए मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में प्रदेश के नागरिकों से कहा है कि धरती मां ने हमें अमूल्य संसाधन दिये हैं। छत्तीसगढ़ की धरती बहुत सुंदर धरती है। अपनी धरती मां का श्रृंगार करने एक पेड़ जरूर लगाएं। इस दिन पूरे प्रदेश में लोग पौधे लगाएंगे। हरेली त्योहार में सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ ही किसान भाइयों को भी कृषि उपकरणों का वितरण किया जाएगा।

निकाय चुनाव पर BJP प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन बोले – पूरी मुस्तैदी से तैयारी कर रहे कार्यकर्ता, रायपुर दक्षिण उपचुनाव को लेकर कही ये बात…

रायपुर-    भाजपा प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन आज दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी का संगठन हमेशा काम करता है. यही कारण है कि हमारा संगठन हमेशा संचालित कहलाता है. आज उसी की दृष्टि से पार्टी का आगामी कार्यक्रम हर घर तिरंगा, एक पेड़ मां के नाम, विभाजन विभीषिका दिवस ऐसे कई कार्यक्रम की समीक्षा करेंगे. साथ ही पिछले दिनों हमारे संगठन की जो कार्य समिति हुई, सबकी समीक्षा होगी.

प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने कहा, संगठन और सशक्त रूप से कैसे चले, सरकार की जो गतिविधि है उस पर संगठन का क्या उपयोग हो सकता है, इन सभी पर चर्चा होगी. नगरी निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव पर उन्होंने कहा, संगठन अपनी पूरी तैयारी कर रहा है. हमारे कार्यकर्ताओं की निश्चित रूप से उसमें भूमिका होने वाली है. हमारे कार्यकर्ता मुस्तादी से उसकी तैयारी कर रहे हैं.

अग्निपथ योजना पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के बयान पर नितिन ने कहा, यह इंडिया एलायंस के लोग हैं. वही गाना गाएंगे जो सब लोग गा रहे हैं. हेमंत सोरेन को पहले यह बताना चाहिए कि झारखंड की जनता की जमीन जो अपने नाम किया, उसका सच क्या हैं? अग्निवीर का सच देश का युवा जानता है कि कैसे देश की सेवा को सशक्त रखना है. देश के युवाओं को सैनिक की ट्रेनिंग लेने के बाद भी राज्य सरकार उन्हें मौका दे रही है. अग्निवीर योजनाओं से हमारे युवाओं को मौका मिलेगा.

रायपुर दक्षिण उपचुनाव में बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बन जाने के बाद इस विधानसभा में कांग्रेस की उम्मीद ज़्यादा, इस सवाल पर प्रदेश प्रभारी ने कहा, कांग्रेस की उम्मीदें तो राजनंदगांव में भी बढ़ी हुई थी. उनकी उम्मीदें तो हर जगह बड़ी रहती है. उम्मीद के साथ-साथ कर्म भी करना पड़ता है. जिन्होंने काम ही नहीं किया वह उम्मीद क्यों करते हैं.

विरासत को हमेशा बचाना चाहती है भाजपा

कल छत्तीसगढ़ में हरेली का त्यौहार मनाया जाएगा, इस पर नितिन नबीन ने कहा, भाजपा विरासत को हमेशा बचाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने हमेशा विरासत पर चोट किया है. चाहे वह छत्तीसगढ़ का हो, चाहे वह भारतीय संस्कृति का हो, हर विरासत पर चोट किया है, यही कारण है आज कांग्रेस का अस्तित्व समाप्ति की ओर है.

लगातार हो रही बारिश से राजधानी के कई हिस्से हुए जलमग्न, रेलवे अंडर ब्रिज सहित कई इलाकों में भरा पानी
रायपुर- प्रदेश की राजधानी में लगातार हो रही अच्छी बारिश के चलते कई इलाके जल मग्न हो गए हैं. शुक्रवार देर रात शरु हुई बारिश लगातार दूसरे दिन भी जारी है. ऐसे में रायपुर के कई इलाकों में पानी भर गया है. जलभराव के चलते स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रायुपर के गुढ़ियारी में रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे दो फीट से ऊपर पानी भर गया है. जिससे लोगों को आवाजाही में परेशानी हो रही है. वहीं प्रोफेसर कॉलोनी सहित शहर के की इलाकों में जलभराव की समस्या देखने को मिल रही है. बरसात के कारण नालियों का पानी सड़कों पर आ गया है. स्थानीय लोग गंदे पानी से भरे सड़क से होकर गुजरने के लिए मजबूर हो गए है.

मौसम विभाग ने शनिवार को भी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश की संभावना जताई है. ऐसे में इन इलाकों में जलभराव की स्थिती बने रहने से लोगों की समस्याएं भी बढ़ सकती है. गंदे पानी के बीच से होकर गुजरने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है.