आईसीयू में 55 लाख के 22 वेंटिलेटर, भटकते हैं मरीज
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए सरकार गंभीर है। अफसरों की लापरवाही कहें या जनप्रतिनिधियों की उदासीनता। तीन साल पूर्व 55 लाख से खरीदे गए वेंटिलेटर खुद आईसीयू में पहुंच गए हैं।
इससे सरकारी अस्पतालों में हर रोज आने 50 से अधिक गंभीर मरीजों को आईसीयू सुविधा नहीं मिल पाती। जिससे सिर में गंभीर चोट, हार्ट अटैक सहित अन्य गंभीर रोगों के मरीज निजी अस्पतालों या वाराणसी के ट्रामा सेंटर जाने के लिए विवश हैं। वजह है कि वेंटिलेटर चलाने के लिए न तो टेक्नीशियन हैं और न ही अब वेंटिलेटर चलने की स्थिति में है।कोरोना महामारी के दौरान इसकी चपेट में आने वाले रोगियों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था।
इससे न सिर्फ सरकारी बल्कि निजी अस्पताल तक में जगह नहीं बची थी। बेहतर सुविधा न मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की जान भी चली गई। गंभीर रोगियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड से सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर भेजे। कालीन नगरी में करीब 22 वेंटिलेटर खरीदे गए थे। इनमें नार्मल, फेस मास्क और मैकेनिकल वेंटिलेटर शामिल हैं।
नार्मल श्रेणी के वेंटिलेटर की कीमत दो से सवा दो लाख रुपये। फेस मास्क श्रेणी की 5.70 लाख रुपये व मैकेनिकल वेंटिलेटर की कीमत छह लाख रुपये से अधिक है।
चिकित्सकों की मानें तो सिर और सीने में गंभीर चोट, हार्ट अटैक, लकवा, लीवर और किडनी के काम नहीं करने व ऑपरेशन करने के बाद कुछ मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन उस दौरान आए वेंटिलेटर महामारी खत्म होने के बाद सिर्फ शोपीस बनकर रह गए। भदोही के महाराजा बलवंत सिंह चिकित्सालय के मातृ शिशु विंग के एक कमरे में सभी वेंटिलेटर को रखा गया है। इनमें से अधिकांश वेंटिलेटर तालों में बंद होने के कारण धूल फांक रहे हैं। कई वेंटिलेटर खराब हो गए हैं।
अस्पतालों में सुविधा की है जरूरत
जिले में सौ शैय्यायुक्त संयुक्त अस्पताल व दो जिला स्तरीय सरकारी एवं ब्लाॅक स्तरीय छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। अस्पतालों में डाक्टर, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय व स्टाफ नर्स सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी तैनात हैं। जनपद के कोविड एल-2 अस्पताल में मौजूदा समय में 22 वेंटिलेटर भी उपलब्ध हैं। बावजूद इसके अभी तक जनपद के किसी भी सरकारी अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) की सुविधा नहीं है।
- वेंटिलेटर चलाने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है। जिसके बिना उसका संचालन मुश्किल है। 100 शैय्या परिसर में 50 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट का निर्माण चल रहा है। निर्माण पूरा होने पर यहां गंभीर मरीजों के उपचार को गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) की अत्याधुनिक सभी सुविधाएं मरीजों को मिलेंगी
डाॅ. संतोष कुमार चक, सीएमओ।
Jul 25 2024, 17:36