राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित गुरु दक्षिणा कार्यक्रम कोदई में सम्पन्न
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संजीव सिंह बलिया।संघ दुनिया का शायद अकेला समाजसेवी संगठन होगा जो आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर है और किसी से चंदा नहीं लेता है।रवि भूषण जी प्रांत संपर्क प्रमुख ने बारीकी से एक एक बात को बताया संघ से जुड़े लोग भी साल में केवल एक बार अपनी तरफ से दक्षिणा देते हैं, जिसे गुरु दक्षिणा कहा जाता है। डॉ. हेडगेवार ने संघ को आत्म निर्भर बनाया और इसके लिए गुरू दक्षिणा की परपंरा शुरू की।
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से व्यास पूर्णिमा से रक्षा बंधन तक यानी एक महीने तक गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम चलता है। इस दौरान स्वयंसेवक संघ में गुरु माने जाने वाले भगवा ध्वज के सामने ये समर्पण राशि रखते हैं। इसे पूरी तरह गुप्त रखा जाता है। यानी दक्षिणा की राशि और देने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है। लेकिन हर पैसे का पूरा हिसाब रखा जाता है।
गुरु की जगह भगवा ध्वज को किया स्थापित
1928 में गुरु पूर्णिमा के दिन से गुरु पूजन की परंपरा शुरू हुई। जब सब स्वयं सेवक गुरु पूजन के लिए एकत्र हुए तब सभी स्वयंसेवकों को यही अनुमान था कि डॉक्टर साहब की गुरु के रूप में पूजा की जाएगी। लेकिन इन सारी बातों से इतर डॉ. हेडगेवार ने संघ में व्यक्ति पूजा को निषेध करते हुए प्रथम गुरु पूजन कार्यक्रम के अवसर पर कहा, “संघ ने अपने गुरु की जगह पर किसी व्यक्ति विशेष को मान न देते हुए परम पवित्र भगवा ध्वज को ही सम्मानित किया है। इसका कारण है कि व्यक्ति कितना भी महान क्यों न हो, फिर भी वह कभी भी स्थिर या पूर्ण नहीं रह सकता।
आरएसएस में गुरु दक्षिणा की अवधारणा
गुरु दक्षिणा की अवधारणा के संबंध में कुछ बातों का उल्लेख जरूरी है। दरअसल, गुरु दक्षिणा की कल्पना पहले के दिनों में संगठन के भीतर से धन इकट्ठा करने और इसके विस्तार का समर्थन करने के लिए और "सर्वोच्च गुरु" के रूप में भगवा ध्वज के महत्व को स्थापित करने के लिए दो-आयामी उपाय के रूप में की गई थी। समय बीतने के साथ, गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम उन स्वयंसेवकों से भी जुड़ने का एक बड़ा माध्यम बन गया, जो आमतौर पर आरएसएस की गतिविधियों में नियमित रूप से शामिल नहीं होते हैं। साल में कम से कम एक बार आरएसएस उनसे जुड़ पाता है। सबसे महत्वपूर्ण सबक जो गुरु दक्षिणा कार्यक्रम से लिया जा सकता है, वह ईमानदारी है। जिसके साथ सारा पैसा संभाला जाता है और कैसे पैसे का उपयोग संगठन में किया जाता है। संघ को मिलने वाले पैसे और खर्च का हर साल ऑडिट होता है और पूरी राशि बैंकों में जमा होती है। इस गुरुदक्षिणा कार्यक्रम के मौके पर प्रेम प्रकाश शुक्ल धर्म जागरण प्रान्त प्रमुख,सभा की
अध्यक्षता किये अखिलेश सिंह, ,राधेश्याम सिंह जिला मार्ग संपर्क प्रमुख... रुद्र प्रताप सिंह मंडल कार्यवाह, मोहन सिंह, शेषनाथ सिंह ,तेज बहादुर सिंह, दिवाकर सिंह, योगेन्द्र सिंह, संजीव सिंह, संजय सिंह, बलवंत सिंह, नितीश सिंह, प्रेम शंकर राजभर,विशाल सिंह, सुमीत सिंह,बिट्टू सिंह, राजवीर सिंह, सोनू वर्मा,विद्यासागर जोशी,अंश सिंह ,शुभम प्रजापति,आदि लोग प्रतिभाग करे।








संजीव सिंह बलिया। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के डिप्लोमा संघ कार्यालय लखनऊ में एक आपातकालीन बैठक की गई। जिसमें शिक्षक, शिक्षा मित्र, अनुदेशक संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि ऑनलाइन अटेंडेंस अव्यावहारिक है जो कि कर्मचारी सेवा नियमावली एवं सेवा शर्तों के विरुद्ध है अतः ये आदेश पूरे प्रदेश के शिक्षकों शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को स्वीकार नहीं है ।
संजीव सिंह बलिया। बैरिया की बदहाल विद्युत व्यस्था की गूंज अब लखनऊ में सुनाई देगी।बैरिया से सपा विधायक जयप्रकाश अंचल यहां की बदहाल बिजली व्यवस्था का मुद्दा विधानसभा में उठाएंगे।
बलिया। अमृत स्टेशन योजना के अंतर्गत बलिया रेलवे स्टेशन को 34.93 करोड़ की लागत से पुनर्विकसित किया जा रहा है। लगभग 85 फीसदी कार्य पूरा हो जाने के बाद बलिया शहर के बीचो-बीच स्थित इस रेलवे स्टेशन की खूबसूरती देखते ही बन रही है। दो प्रमुख नदियों गंगा और घाघरा के जंक्शन पर स्थित यह शहर वाराणसी से 140 किमी. पूर्व और लखनऊ से लगभग 380 किमी दूर स्थित है। देश के स्वतंत्रता इतिहास में बड़ी संख्या में यहां के स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान दिया है। बलिया पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी डिवीजन के अंतर्गत एनएसजी-3 श्रेणी का स्टेशन है, जिसमें चार प्लेटफार्म हैं। बलिया स्टेशन से 48 गाड़ियां संचालित हो रही हैं। लगभग 18 हजार यात्रियों का आवागमन प्रतिदिन होता है। इस व्यस्त रेलवे स्टेशन पर अन्त्योदय एक्सप्रेस व सुपर फ़ास्ट ट्रेनों समेत राजधानी एक्सप्रेस भी रुकती है। अमृत स्टेशन योजना के अन्तर्गत बलिया रेलवे स्टेशन पर किये जा रहे उन्नयन एवं सुधार कार्यो में स्टेशन भवन का विस्तार, स्टेशन भवन के मुखड़े का सुन्दरीकरण के साथ सुधार कार्य, वीआईपी कक्ष में सुधार के आधुनिकीकरण एवं एसी लाउंज का निर्माण कार्य लगभग 85 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। इसके अतिरिक्त ट्रैफिक सर्कुलेशन में सुधार और सर्कुलेटिंग एरिया का सौंदर्यीकरण कार्य भी हो रहा है। स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार पर 40 मीटर विस्तार का प्रावधान कार्य, 10 वर्ग मीटर में दिव्यांगजन सुविधाओं वाले शौचालयों का प्रावधान का कार्य, स्टेशन के अग्रभाग एवं उन्नयन कार्यों में सुधार, 96 वर्ग मीटर में एसी वेटिंग हॉल के निर्माण का कार्य, 60 वर्गमीटर में नये शौचालय ब्लॉक का निर्माण,1800 वर्ग मीटर के पार्किंग क्षेत्र का निर्माण कर उसमें टू व्हीलर, थ्री व्हीलर एवं फोर व्हीलर पार्किंग कार्य, लिफ्ट और एस्केलेटर के साथ 12 मीटर चौड़े फुट ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य, 2280 वर्गमीटर प्लेटफार्म शेल्टरों का प्रावधान, स्टेशन पर अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप बेहतर साइनेज, लिफ्ट और एस्केलेटर का प्रावधान कर आसान नेविगेशन के माध्यम से यात्री अनुभव को बढ़ाने सहित विभिन्न निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि कार्यों के पूर्ण हो जाने पर बलिया रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों एवं उपयोगकर्ताओं को जहाँ एक ओर उन्नत एवं आधुनिक यात्री सुख-सुविधाओं का लाभ मिलेगा। वहीं दूसरी ओर रेल परिसर में प्रवेश करते ही उन्हें सुखद अनुभूति भी मिलेगी।
Jul 25 2024, 08:29
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