मोदी सरकार कुछ दिनों की मेहमान', टीएमसी की रैली में अखिलेश का दावा
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पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की शहीद दिवस के मौके पर आयोजित रैली में समाजवादी पार्टी की प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने धर्मतला की रैली में भाग लेते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर दमकर हमला बोला। अखिलेश ने दावा किया कि केन्द्र की एनडीए सरकार जल्द गिरने वाली है।
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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भारत को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश रचने वाली ताकतों को अस्थायी सफलता मिल सकती है, लेकिन अंततः उनकी पराजय होगी। केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार लंबे समय तक नहीं टिकेगी, यह जल्द ही गिर जाएगी। अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने अपना विश्वास जनता पर से खो दिया है। अब उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
अखिलेश ने कहा कि केंद्र की सत्ता में विभाजनकारी ताकतें बैठी हैं जो देश को बांटकर राज करना चाहती हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे। निकट भविष्य में उन्हें पराजित किया जाएगा। सपा प्रमुख ने आगे कहा कि बंगाल व यूपी के लोगों ने देश को बांटने वाली ताकतों के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी, जो महज कुछ दिनों के लिए सत्ता में मेहमान हैं। अखिलेश यादव इस रैली में लोकसभा चुनाव परिणाम की भी चर्चा करते दिखे। उन्होंने उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदर्शन की चर्चा की। सपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बंगाल की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को बैक फुट पर धकेल दिया है।
सपा प्रमुख ने कहा कि बंगाल ने उन्हें हराया, यूपी भी इस लड़ाई में शामिल हुआ। केंद्र में सत्ता में बैठी यह सरकार, जिसे लोगों की परवाह नहीं है, जल्द ही गिर जाएगी। वे सत्ता के लिए बेताब हैं। हम उन्हें गिरते हुए देखेंगे और जल्द ही हम खुशी के दिन देखेंगे। हम सकारात्मक राजनीति में विश्वास करते हैं। लोगों के जीवन में बदलाव का समय आ गया है। संविधान और देश को बचाने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा।
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से शहीद दिवस रैली का आयोजन धर्मतला में किया गया। इसमें तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को भी आमंत्रित किया। ममता बनर्जी इस रैली के जरिए पश्चिम बंगाल में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रही हैं। पश्चिम बंगाल के राजनीतिक मैदान में ममता बनर्जी ने अपनी ताकत का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में किया। अब उनकी तैयारी विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू हो गई है।






पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की आग में झुलस रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन देशभर में उग्र रूप ले चुका है। इस प्रदर्शन में अब तक 150 लोगों की मौत हो गई है जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हालात को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने देश में देशव्यापी कर्फ्यू को आज दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया है। पहले यह सुबह 10 बजे तक के लिए तय था। हिंसा के चलते देश के कई शहरों में मोबाइल और इंटरनेट की सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है। इधर, बांग्लादेश में आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टियों जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसी ताकतों के हाथों में चला गया है। जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसी शक्तियां इसके पीछे हैं। ये ताकतें पूरी तरह से पाकिस्तान और चीन समर्थक मानी जाती हैं। ऐसे में इन शक्तियों की बढ़ती ताकत निश्चित रूप से भारत के लिए मुश्किल पैदा करेगी। सेंटर फॉर रिचर्स इन इंडो बांग्लादेश रिलेशंस कोलकाता द्वारा प्रकाशित पुस्तक हिंदू डिक्रेसेंट बांग्लादेश एंड वेस्ट बंगाल के लेखक और बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ बिमल प्रमाणिक कहते हैं कि आंदोलन से पूरी तरह से साफ है कि आंदोलन छात्रों के हाथ से निकलकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया है। आरक्षण विरोधी आंदोलन ने हसीना सरकार विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया है।उन्होंने कहा कि ऐसे में बांग्लादेश की स्थिति निश्चित रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है. बांग्लादेश से सटे इलाके त्रिपुरा, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और यहां तक झारखंड जैसे राज्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ने के आसार हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के मजबूत होने से भारत की सीमावर्ती इलाकों में कट्टरपंथी ताकतों को बल मिलेगा और अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में भारत सरकार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है। पड़ोसी देशों में अशांति के कारण देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती की जा रही है, लेकिन भारत की सीमा पर बीएसएफ पूरी तरह से सतर्क है। हिंसा प्रभावित देश से लोग पलायन कर रहे हैं।यहां से भारी संख्या में लोग अलग-अलग देशों में जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, देशभर में बीजीबी जवानों की तैनाती से सीमा पर बीजीबी जवानों की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में घुसपैठ की आशंका के चलते बीएसएफ भारतीय सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर रही है। बता दें कि साल 2021 में भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 2,951 लोगों को गिरप्तार किया गया था। इनमें 2036 बांग्लादेशी नागरिक थे और 58 रोहिंग्या थे। 2022 में सीमा पर 2,966 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इनमें 1951 बांग्लादेशी और 79 रोहिंग्या थे। 2023 में 2,565 लोगों को अरेस्ट किया गया था, इनमें 1548 बांग्लादेशी और 86 रोहिंग्या थे। इस साल 15 जुलाई तक 1032 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें 693 बांग्लादेशी और 21 रोहिंग्या हैं।

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Jul 21 2024, 16:39
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