बंगाल के राज्यपाल की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जानें किया है अनुच्छेद 361, जिसकी समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
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पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला कर्मचारी द्वारा दायर याचिका की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्च सहमत हो गया है। महिला ने राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जिसमें संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को दी गई छूट को चुनौती दी गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 361 के उन प्रावधानों की समीक्षा करने पर सहमत हो गया जो राज्यपालों को किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे से ‘‘पूर्ण छूट'' प्रदान करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी है और महिला कर्मचारी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है।
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महिला से यौन उत्पीड़न के आरोप में बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि यह अनुच्छेद संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का अपवाद है और यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। इसी के खिलाफ महिला याचिकाकर्ता ने विशिष्ट दिशा-निर्देश तैयार करने के निर्देश मांगे हैं, जिसके तहत राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट प्राप्त
याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य पुलिस के माध्यम से मामले की जांच करने और राज्यपाल का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि अनुच्छेद 361 के तहत मिली छूट का राज्यपाल किस तरह से इस्तेमाल कर सकता है इस पर भी दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 361 जांच के खिलाफ बाधा नहीं बन सकता. दीवान ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि जांच ही न हो, साक्ष्य अभी जुटाए जाने चाहिए। उन्होंने अदालत से मांग की कि राज्यपाल के खिलाफ जांच को अनिश्चितकाल के लिए नहीं टाला जा सकता।याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि राज्यपाल आपराधिक कृत्यों को लेकर इस छूट का दावा नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि इस इम्यूनिटी से उन्हें मुकदमा शुरू करने के लिए राज्यपाल का पद छोड़ने का इंतजार करना पड़ेगा, जो अनुचित है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
पश्चिम बंगाल के राजभवन की महिला कर्मचारी ने 2 मई को राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला का आरोप है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी. तब राज्यपाल ने उसके साथ बदसलूकी की थी।








Jul 19 2024, 18:38
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