चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटना पर राहुल गांधी ने सरकार को घेरा, कुप्रबंधन और उपेक्षा को ठहराया जिम्मेदार
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उत्तर प्रदेश के गोंडा में हुए रेल हादसे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दुख जताया है। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से राहत और बचाव कार्य में सहयोग की अपील की। साथ ही हादसे के लिए सरकार को घेरा। कांग्रेस सांसद ने रेल हादसे को सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही का नतीजा बताया।बता दें कि उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही एक ट्रेन के आठ डिब्बे मोतीगंज तथा झिलाही रेलवे स्टेशनों के बीच पटरी से उतर गये। इस घटना में 3 यात्रियों की मौत हो गयी तथा 30 अन्य घायल हो गये।
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नेता प्रतिपक्ष ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, उत्तर प्रदेश के गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से कई यात्रियों की मौत की खबर बेहद दुखद है। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि वे राहत एवं बचाव कार्यों में हर संभव सहायता प्रदान करें।
कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि लगातार हो रही रेल दुर्घटनाएं अत्यंत चिंताजनक हैं और सरकार के कुप्रबंधन और उपेक्षा का परिणाम है। राहुल गांधी ने कहा, लगातार हो रही रेल दुर्घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं और ये सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही का नतीजा हैं। कुछ दिन पहले लोको पायलटों से हुई चर्चा और हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं पर रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट से भी यह बात स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा, सरकार को तत्काल इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यात्रियों की सुरक्षा तथा दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए अपनी रणनीति देश को बतानी चाहिए।
बता दें कि यूपी के गोंडा में गुरुवार को चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए। रेलवे अधिकारियों के अनुसार यह हादसा बुधवार दोपहर करीब 2.35 बजे हुआ। हादसे में तीन यात्रियों की मौत हो गई, जबकि करीब 30 लोग घायल हो गए। यह दुर्घटना उत्तर प्रदेश के गोंडा और झिलाही के बीच स्थित पिकौरा में हुई। गोंडा के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। दुर्घटना के कारण कई ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अधिकारियों को घटनास्थल पर पहुंचने और तुरंत राहत उपायों में तेजी लाने का निर्देश दिया था। यूपी के सीएम ने जिला प्रशासन को घायलों का उचित इलाज करने का आदेश दिया है।








नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका समेत अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है। जिसमें अब तक 39 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 2,500 से अधिक लोग घायल हो गए। ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ढाका के रामपुरा इलाके में सरकारी बांग्लादेश टेलीविजन भवन की घेराबंदी कर दी और इसके अगले हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया। साथ ही वहां खड़े अनेक वाहनों को आग लगा दी। इससे वहां पत्रकारों सहित कई कर्मचारी फंस गए। दरअसल एक दिन पहले यानी बुधवार को ही बांग्लादेश के सरकारी टीवी बीटीवी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना का इंटरव्यू लिया था। *स्कूल-कॉलेज अनिश्चितकाल के लिए बंद* बढ़ती हिंसा के कारण अधिकारियों को गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं के साथ-साथ राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को भी बंद करना पड़ा। आधिकारिक समाचार एजेंसी ने बताया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों को विफल करने के लिए इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया है। शेख हसीना सरकार ने हिंसा को देखते हुए देश के सभी स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही हालात को काबू करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही राजधानी सहित देश भर में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को तैनात किया गया है। *बांग्लादेश मे बवाल की वजह* बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया। बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।


Jul 19 2024, 13:39
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