कोच द्रविड़ को 5 करोड़ तो, अगरकर को 1.., जानिए, टीम इंडिया में कैसे होगा 125 करोड़ रुपए की राशि का बंटवारा ?

भारतीय क्रिकेट टीम ने ICC पुरुष T20 विश्व कप 2024 में जीत हासिल की, इस प्रारूप में अपना दूसरा खिताब हासिल किया। भारत ने 29 जून, 2024 को ब्रिजटाउन के केंसिंग्टन ओवल में आयोजित एक रोमांचक फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 7 रनों से हराया। टीम ने इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में 2007 में T20 विश्व कप जीता था।

अपनी विजयी जीत के बाद, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम के लिए एक बड़े पुरस्कार की घोषणा की। BCCI सचिव जय शाह ने खुलासा किया कि भारतीय टीम को पुरस्कार राशि के रूप में 125 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह राशि आधिकारिक तौर पर मुंबई में विजय परेड के दौरान टीम को सौंपी गई। शाह ने कहा कि पुरस्कार राशि खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ, कोच और चयनकर्ताओं के बीच वितरित की जाएगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 125 करोड़ रुपये में से मुख्य टीम के 15 सदस्यों में से प्रत्येक को 5 करोड़ रुपये मिलेंगे। मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को भी 5 करोड़ रुपये मिलेंगे। बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर, फील्डिंग कोच टी. दिलीप और गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे को 2.5-2.5 करोड़ रुपये मिलेंगे। तीन फिजियोथेरेपिस्ट, तीन थ्रोडाउन विशेषज्ञ, दो मसाज थेरेपिस्ट और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच को 2 करोड़ रुपये मिलेंगे। अजीत अगरकर की अगुआई वाली पांच सदस्यीय चयन समिति के प्रत्येक सदस्य को 1 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके अलावा चार रिजर्व खिलाड़ी रिंकू सिंह, शुभमन गिल, आवेश खान और खलील अहमद को 1 करोड़ रुपये मिलेंगे।

बता दें कि, भारतीय टीम में 42 व्यक्ति शामिल थे, जिनमें वीडियो विश्लेषक, BCCI स्टाफ सदस्य (जैसे मीडिया अधिकारी) और टीम के लॉजिस्टिक्स मैनेजर शामिल थे। पुरस्कार राशि से शेष 10.5 करोड़ रुपये इन सदस्यों के बीच आवंटित किए जाएंगे। भारतीय टीम का प्रभावशाली प्रदर्शन और उसके बाद का जश्न उनके क्रिकेट इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वैश्विक मंच पर उनके कौशल और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

15 सदस्यीय भारतीय टीम

 रोहित शर्मा (कप्तान), यशस्वी जायसवाल, विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), शिवम दुबे, हार्दिक पंड्या (उप-कप्तान), रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप सिंह, युजवेंद्र चहल, संजू सैमसन (विकेटकीपर), मोहम्मद सिराज.

कोच द्रविड़ को 5 करोड़ तो, अगरकर को 1.., जानिए, टीम इंडिया में कैसे होगा 125 करोड़ रुपए की राशि का बंटवारा ?


भारतीय क्रिकेट टीम ने ICC पुरुष T20 विश्व कप 2024 में जीत हासिल की, इस प्रारूप में अपना दूसरा खिताब हासिल किया। भारत ने 29 जून, 2024 को ब्रिजटाउन के केंसिंग्टन ओवल में आयोजित एक रोमांचक फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 7 रनों से हराया। टीम ने इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में 2007 में T20 विश्व कप जीता था।


अपनी विजयी जीत के बाद, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम के लिए एक बड़े पुरस्कार की घोषणा की। BCCI सचिव जय शाह ने खुलासा किया कि भारतीय टीम को पुरस्कार राशि के रूप में 125 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह राशि आधिकारिक तौर पर मुंबई में विजय परेड के दौरान टीम को सौंपी गई। शाह ने कहा कि पुरस्कार राशि खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ, कोच और चयनकर्ताओं के बीच वितरित की जाएगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 125 करोड़ रुपये में से मुख्य टीम के 15 सदस्यों में से प्रत्येक को 5 करोड़ रुपये मिलेंगे। मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को भी 5 करोड़ रुपये मिलेंगे। बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर, फील्डिंग कोच टी. दिलीप और गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे को 2.5-2.5 करोड़ रुपये मिलेंगे। तीन फिजियोथेरेपिस्ट, तीन थ्रोडाउन विशेषज्ञ, दो मसाज थेरेपिस्ट और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच को 2 करोड़ रुपये मिलेंगे। अजीत अगरकर की अगुआई वाली पांच सदस्यीय चयन समिति के प्रत्येक सदस्य को 1 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके अलावा चार रिजर्व खिलाड़ी रिंकू सिंह, शुभमन गिल, आवेश खान और खलील अहमद को 1 करोड़ रुपये मिलेंगे।

बता दें कि, भारतीय टीम में 42 व्यक्ति शामिल थे, जिनमें वीडियो विश्लेषक, BCCI स्टाफ सदस्य (जैसे मीडिया अधिकारी) और टीम के लॉजिस्टिक्स मैनेजर शामिल थे। पुरस्कार राशि से शेष 10.5 करोड़ रुपये इन सदस्यों के बीच आवंटित किए जाएंगे। भारतीय टीम का प्रभावशाली प्रदर्शन और उसके बाद का जश्न उनके क्रिकेट इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वैश्विक मंच पर उनके कौशल और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।


15 सदस्यीय भारतीय टीम

रोहित शर्मा (कप्तान), यशस्वी जायसवाल, विराट कोहली, सूर्यकुमार यादव, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), शिवम दुबे, हार्दिक पंड्या (उप-कप्तान), रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, अर्शदीप सिंह, युजवेंद्र चहल, संजू सैमसन (विकेटकीपर), मोहम्मद सिराज.
राहुल गांधी के बचाव में उतरे ज्योतिर्लिंग मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, बोले- इन लोगों को दंड मिलना चाहिए...

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा अपने भाषण विवाद खड़ा करने के कुछ दिनों बाद, ज्योतिर्लिंग मठ के 46वें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को कांग्रेस नेता की टिप्पणियों का समर्थन किया है। दरअसल, संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि, जो लोग हिंसा करते हैं, वही पूरे समय हिंसा, हिंसा, नफरत, असत्य की बातें करते हैं। 

इसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि राहुल गांधी ने "पूरे हिंदू समुदाय को हिंसक" कहा है, ये बहुत गंभीर बात है। अब विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राहुल गांधी का भाषण हिंदू धर्म के खिलाफ नहीं था। उन्होंने कहा कि, हमने राहुल गांधी का पूरा भाषण सुना। वह साफ तौर पर कह रहे हैं कि हिंदू धर्म में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि गांधीजी के बयान का केवल एक हिस्सा फैलाना सही नहीं है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।

बता दें कि, राहुल की टिप्पणी से लोकसभा में हंगामा मच गया था, जिसके कारण स्पीकर ने उनके भाषण के कुछ हिस्सों को रिकॉर्ड से हटा दिया था। राहुल गांधी सत्र शुरू होने वाले दिन से ही संसद में NEET पर चर्चा की मांग कर उन्हें थे, उन्हें लोकसभा स्पीकर ने कहा भी था कि आपको मौका मिलेगा, पूरी डिटेल में बोलिएगा। पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव हो जाने दीजिए, उसी दौरान आप NEET पर भी बोल सकते हैं। हालाँकि, इसको लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था और 2 दिनों तक धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पाई थी / फिर जब राहुल गांधी के बोलने का अवसर आया, तो वे भगवान शिव, ईसा मसीह, श्री गुरु नानक और इस्लाम में दुआ में हाथ उठाती तस्वीर लेकर संसद में पहुँच गए। NEET पर तो उन्होंने कम बोला, लेकिन विवाद मचाने वाली सामग्री ज्यादा बोल दी। 

ऐसा नहीं है कि, केवल हिन्दू हिंसक वाले बयान पर ही कोई विवाद हुआ हो, उस पर तो हिन्दू धर्मगुरु शंकराचार्य ने राहुल गांधी को क्लीन चिट भी दे दी है। किन्तु इस्लाम और सिख धर्म में अभय मुद्रा बताने वाले बयान पर भी राहुल गांधी की निंदा हुई है। इस्लाम और सिख धर्म के धर्माचार्यों ने कहा है कि, राहुल को बिना ज्ञान के नहीं बोलना चाहिए, हमारे धर्म में कोई अभय मुद्रा नहीं है। ऑल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा है कि संसद में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इस्लाम में ऐसा कुछ नहीं है, यहाँ मूर्ति पूजा नहीं होती है और न ही किसी तरह की मुद्रा होती है। इस्लाम में मुद्रा हराम है। वहीं, शीर्ष सिख संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने भी कहा कि, पवित्र गुरबानी और गुरुओं की शिक्षाओं को पूर्ण ज्ञान के बिना राजनीतिक बहस का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। गुरु साहिब ने ऐसी किसी मुद्रा या आसन को मान्यता नहीं दी है। 

इस्लाम और सिख धर्म के गुरुओं ने तो राहुल गांधी को फटकार लगा दी, लेकिन शंकराचार्य का कहना है कि, राहुल के बयान में हिन्दू विरोधी कुछ भी नहीं। ये वही शंकराचार्य हैं, जिन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन पर भी सवाल उठाए थे। दरअसल, राहुल गांधी ने कहा था कि, ''जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, वे चौबीसों घंटे नफरत, हिंसा और असत्य में लिप्त रहते हैं।'' जिसके बाद राहुल गांधी ने फ़ौरन अपना बयान बदलते हुए कहा था कि, वे भाजपा-RSS कि बात कर रहे हैं, जो अपने आप को हिन्दू कहते हैं। हालाँकि, इससे पहले भी राहुल गांधी कई हिन्दू विरोधी बयान दे चुके हैं। जैसे एक बयान में उन्होंने कहा था कि, ''जो लोग मंदिर जाते हैं, वही बाहर आकर लड़की छेड़ते हैं।'' अब मंदिर केवल भाजपा या RSS के हिन्दू तो जाते नहीं। फिर एक बयान में उन्होंने कहा था कि, ''हमें इन हिन्दुत्ववादियों को एक बार फिर देश से बाहर निकालना है।'' अब कांग्रेस की साथी शिवसेना (उद्धव गुट) भी कहती है कि हमारा हिंदुत्व असली है, तो राहुल गांधी किन हिन्दुत्ववादियों की बात कर रहे थे ?

एक बार राहुल गांधी ने हिन्दू-हिंदुत्व को अलग अलग बता दिया था, एक बार ये भी कहा था कि, मैं किसी भी तरह के हिंदुत्व में यकीन नहीं करता। उनकी ही साथी पार्टी DMK के नेता सनातन के समूल नाश की बातें बार बार दोहरा रहे थे, कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी उदयनिधि स्टालिन का समर्थन किया था, जिस पर राहुल मौन रहे थे। तो क्या सारे सनातन धर्म वाले भी भाजपा-RSS के लोग हैं ? आज राहुल गांधी ने इस्लाम और सिख समुदाय को लेकर एक भ्रामक बयान दिया, जिसके बाद उन्हें इन दोनों समुदायों से फटकार मिल गई, अब उम्मीद है कि वे इन दोनों समुदायों पर सोच समझकर बोलेंगे। हाँ, हिन्दुओं पर वे बोल सकते हैं, बार-बार लगातार, क्योंकि, भारत में हिन्दू नहीं रहते, यहाँ रहते हैं, यादव, जाट, दलित, ठाकुर, ब्राह्मण, कुर्मी, आदिवासी, बनिए और भी बहुत सारे लोग, लेकिन हिन्दू नहीं। और फिर बचे-कूचे अगर कुछ लोग विरोध करें भी, तो उन्हें समझाने के लिए शंकराचार्य तो हैं ही।

किसी को क्यों बचा रहे ? संदेशखाली में CBI जांच रुकवाने पहुंचे ममता सरकार और कांग्रेस नेता को SC का दो टूक जवाब


आज सोमवार (8 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने आज संदेशखली हिंसा की CBI जांच के निर्देश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार,, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस निर्देश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित सदस्य शाहजहां शेख और उनके अनुयायियों द्वारा संदेशखली में भूमि हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच CBI से कराने का आदेश दिया गया था। यही जांच रुकवाने ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमे वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनका पक्ष रखा, हालाँकि शीर्ष अदालत ने याचिका ठुकरा दी, जिससे CBI जांच का रास्ता साफ़ हो गया। 

यह मामला इससे पहले 29 अप्रैल को आया था, जब जस्टिस गवई ने कहा था कि, "किसी (अपराधी) को बचाने में राज्य को इतनी दिलचस्पी क्यों ? जवाब में, ममता सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा था कि राज्य सरकार के बारे में टिप्पणियां थीं, जबकि उसने पूरी कार्रवाई की थी। इसके बाद बंगाल सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी गई, इस शर्त के साथ कि याचिका के लंबित रहने का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए आधार के रूप में नहीं किया जाएगा।


आज सोमवार को, सिंघवी ने तर्क दिया कि आरोपित निर्देशों में न केवल यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की घटनाओं को शामिल किया गया है, बल्कि अन्य मामलों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि कथित राशन घोटाला जिसके लिए 43 FIR दर्ज किए गए थे। कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा कि, "CBI को दूरगामी निर्देश अधिकतम दो FIR तक सीमित हो सकते हैं, जो ED अधिकारियों से संबंधित हैं। अब आरोपित निर्देश सभी चीजों (जैसे राशन घोटाला) को कवर करते हैं।"

हालांकि, अदालत सिंघवी की इस बात से सहमत नहीं थी, क्योंकि उसका मानना था कि सभी FIR संदेशखली से संबंधित थीं और इस तरह, आरोपित आदेश एक सर्वव्यापी आदेश नहीं था। न्यायमूर्ति गवई ने अफसोस जताया कि राज्य सरकार ने कई महीनों तक कुछ नहीं किया, और फिर से एक पुराना सवाल उठाया यानी राज्य को किसी को क्यों बचा रहा है ? इस पर कांग्रेस नेता और वकील सिंघवी ने स्पष्ट किया कि विवादित आदेश में सामूहिक रूप से टिप्पणियां की गई थीं, भले ही कथित राशन घोटाले के संबंध में बहुत काम किया गया था।

याचिका को स्वीकार करने के लिए राजी न होने पर पीठ ने अपना आदेश पारित कर दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि विवादित आदेश में की गई टिप्पणियों से CBI को निष्पक्ष रूप से अपनी जांच करने में कोई बाधा नहीं आएगी। बता दें कि, संदेशखली में अशांति तब शुरू हुई जब ED अधिकारियों पर स्थानीय 'बाहुबली' शाहजहां शेख के अनुयायियों द्वारा कथित रूप से हमला किया गया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब यौन उत्पीड़न और भूमि हड़पने की व्यापक रिपोर्टें शाहजहां और उसके अनुयायियों को जिम्मेदार ठहराया गया, जो पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल TMC से जुड़े हुए थे।


13 फरवरी, 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न और जबरन कब्जा की गई आदिवासी भूमि पर समाचार पत्रों की रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया। सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस की "लुका-छिपी" रणनीति पर चिंता जताई और सार्वजनिक वितरण प्रणाली घोटाले की निष्पक्ष जांच की बात कही, जिसमें TMC नेता शाहजहां शेख एक प्रमुख आरोपी था। हाई कोर्ट ने CBI जांच के आदेश पारित किए और निर्देश दिया कि राज्य सरकार उन लोगों की भूमि वापस करने के लिए एक आयोग का गठन करे, जिनकी भूमि हड़पी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह पीड़ितों को मुआवजा दे, क्योंकि सरकार ने भी स्वीकार कर लिया था कि भूमि वास्तव में हड़पी गई थी।

उत्तर 24 परगना के जिला परिषद के कर्माध्यक्ष के रूप में चुने गए शाहजहां शेख संदेशखली से उत्पन्न लगभग 42 आपराधिक मामलों में मुख्य आरोपी थे। लंबे समय तक फरार रहने के बाद हाई कोर्ट में मामला पहुँचने के बाद लगभग 50 दिनों के बाद उन्हें बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

क्या है संदेशखाली विवाद

बता दें कि, संदेशखाली इलाके में सैकड़ों कि तादाद में महिलाएं, फरार TMC नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थी। उनका कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है।

जब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी थी। मीडिया को वहां जाने नहीं दिया जा रहा था। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया गया था।
असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, रिलीफ कैंप में पहुंचा बांटा लोगों का दर्द
#congress_leader_rahul_gandhi_visit_assam_manipur

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को असम और मणिपुर के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उसके बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचे। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद कांग्रेस नेता का यह दोनों पूर्वोत्तर राज्यों का पहला है।

बता दें कि असम इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज असम के सिलचर पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। यूथ केयर सेंटर थलाई में राहत शिविरों का दौरा किया। असम दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे संसद में असम में आने वाली बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।' उन्होंने कहा कि असम को 'अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।'

असम बाढ़ प्रभावितों से मिलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे। यहां उन्होंने जिरीबाम हायर सेकेंडरी स्कूल में सेटअप राहत शिविर का दौरा किया। इसके बाद वह इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी का ये मणिपुर का तीसरा और पूर्वोत्तर में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला दौरा है। मणिपुर पहुंचने से पहले सुबह साढ़े तीन बजे जिरीबाम में जबरदस्त गोलीबारी हुई है। यह गोलीबारी करीब 3.30 घंटे तक चलती रही। जिरीबाम के गुलारथल इलाके में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 3.30 बजे फायरिंग करनी शुरू की वो करीब 7 बजे तक चली। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में भारी संख्या सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया।

मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की चपेट में है। छह जून को हिंसा की हालिया घटना हुई थी। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।
महिलाओं को पीरियड लीव मिलनी चाहिए या नहीं? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
#women_menstrual_leave_supreme_court_refuses_to_hear_petition_for_leave
महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अवकाश को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को पीरियड लीव देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीति से जुड़ा है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर अदालतों को गौर करना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस संबंध में एक आदर्श नीति तय करने के लिए सभी पक्षों और राज्यों के साथ बातचीत करने को कहा है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पीरियड लीव को लेकर कहा कि यह छुट्टी महिलाओं को वर्कफोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। ऐसे में इस लीव को जरूरी बनाने से महिलाएं वर्कफोर्स से दूर हो जाएंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकारों को इस पर नीति बनाने की और बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला सरकार की नीति का पहलू है जिस पर कोर्ट को गौर नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के सामने अपनी बात रखने की छूट देते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव से निवेदन करते हुए कहा कि वह नीतिगत स्तर पर इस मामले को देखें और सभी पक्षों से बात करके फैसला लेकर तय करें कि क्या इस मामले में एक आदर्श नीति बनाई जा सकती है।

वकील शैलेंद्रमणि त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट से महिलाओं के लिए पीरियड लीव के दौरान होने वाली समस्या के चलते राज्य सरकारों को छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकारों को महिलाओं के लिए लीव की समस्या में छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। इस याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है। इस जनहित याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी तौर पर लागू करने के निर्देश सरकार को देने की गुहार अदालत से लगाई गई है। याचिका में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म संबंधित दर्द अवकाश दिए जाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका, संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज

#supreme_court_rejects_west_bengal_government_plea_against_calcutta_high_court_order

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली मामले में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र का मनोबल गिराया है।

इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? उस समय कोर्ट ने कहा था मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद होगी।

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका, संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज
#supreme_court_rejects_west_bengal_government_plea_against_calcutta_high_court_order

सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में संदेशखाली मामले में महिलाओं के यौन शोषण-जमीन हथियाने और राशन घोटाले से जुड़े सभी मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज कर दी है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया और पूछा कि राज्य सरकार को इस मामले में इतनी दिलचस्पी क्यों है? आखिरकार राज्य सरकार किसी को बचाना क्यों चाहती है? वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र का मनोबल गिराया है।

इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कैसे कर सकती है? उस समय कोर्ट ने कहा था मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद होगी।
सिर्फ 6 दिन में अदृश्य हुए बाबा बर्फानी, जानें क्या है वजह

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कश्मीर के अनंतनाग जिले में हर साल गर्मियों में अमरनाथ यात्रा होती है। अमरनाथ के पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग की संरचना होती है। गर्मियों में जब गुफा के अंदर पानी जम जाता है, तब शिवलिंग का आकार बढ़ जाता है। यह माना जाता है कि यह संरचना भगवान शिव का रूप है। सदियों से इस शिवलिंग के आकार को आध्यात्मिक महत्व दिया जाता रहा है। जिसके दर्शन के लिए लाखों लोग हर साल पहुंचते हैं। हालांकि इस साल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को निराशा हुई है। दरअसल, यात्रा शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही शिवलिंग यानी बाबा बर्फानी अदृश्य हो गए। 29 जून को ही अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी और 6 जुलाई को अमरनाथ गुफा की शिवलिंग पिघल गई. साल 2008 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब यात्रा शुरू होने के 10 दिन से भी कम समय में अमरनाथ का शिवलिंग अदृश्य हुआ है. यानी अमरनाथ यात्रा खत्म होने से पहले ही बाबा बर्फानी पिघल गए।

अमरनाथ यात्रा में समय से पहले बाबा बर्फानी के विलीन होने के मुख्य कारणों में मौसम एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। पिछले साल सर्दियों कम बर्फबारी हुई थी और हाल ही में कश्मीर संभाग में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण बाबा बर्फानी का आकार प्रभावित हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान बहुत अधिक तापमान के कारण पिघलने की प्रक्रिया तेज हो गई है। 

2008 के बाद यह पहली बार है कि यात्रा के पहले 10 दिनों के भीतर बर्फ का शिवलिंग पूरी तरह से गायब हो गया है। बाबा बर्फानी के पिछले दस सालों की बात करें तो 2014 से बाबा बर्फानी के पिघलने का सिलसिला तेज हो गया। साल 2014 में 71 दिन तक बाबा बर्फानी के दर्शन हुए थे उसके बाद वो अदृश्य हो गए थे। 2015 में तो मात्र 48 दिन में ही पिघल गए थे।

• साल 2016 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2017 में 48 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2018 में 36 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2019 में 28 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2020 में 38 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2021 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2022 में 42 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2023 में 35 दिन बाद ही पिघल गए थे

• साल 2024 में 6 दिन बाद ही पिघल गए थे

बाबा बर्फानी के इतने जल्दी विलीन हो जाने के बाद अब तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ लोग इसे प्रकृति का बड़ा संकेत मान रहे तो कुछ लोग इसके पीछे बढ़ते तापमान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, मूल समस्या जलवायु परिवर्तन है। पहाड़ी क्षेत्रों में खासतौर पर इस बार गर्मी बहुत बढ़ी है। दरअसल, यह एक अल नीनो वर्ष है, जो आमतौर पर कश्मीर हिमालय में कम बर्फबारी लाता है। यह लंबे समय तक शुष्क रहने का कारण बनता है।

जम्मू कश्मीर में अभी बी प्रचंड गर्मी से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में भीषण गर्मी के चलते लोग काफी परेशान है।0 इसके साथ ही तापमान लगातार नए रिकार्ड बना रहा है। जहां पिछले एक हफ्ते से कश्मीर घाटी में गर्मी और बारिश न होने से परेशानियां बड़ा दी हैं। वहीं, पहाड़ों में पड़ने वाली गर्मी के चलते पहाड़ों में ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आई है, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। ऐसे में मौसम विभाग की तरफ से इस गर्मी के बाद होने वाली बारिशों से होने वाली बाढ़ और भूस्खलन को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के प्रमुख डॉ मुख़्तार अहमद ने बताया कि पिछले कई सालों में ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान में दो डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी होती है तो हवा में नमी की मात्रा 7 प्रतिशत तक जाती है, जिससे बाढ़ आने का कारण बना रहता है।

फ्रांस में त्रिशंकु संसद के हालात, चुनावी नतीजे आने के बाद भड़की हिंसा

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फ्रांस चुनाव के दूसरे राउंड में बड़ा बदलाव देखने मिला है।रविवार की रात फ़्रांस के लिए उम्मीद से उलट नतीजों वाली रात थी। संसदीय चुनाव के नतीजे चौंकाने वाल रहे। पहले दौर में पहले स्थान पर रहने वाली दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली आखिरी दौर में आखिरी स्थान पर पहुंच गई है। फ्रांस के संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन की बढ़त के बाद राजधानी पेरिस समेत पूरे देश में हिंसा भड़क उठी है।

वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ़्रंट 182 सीटों के साथ पहले स्थान पर है। जबकी बुरी तरह पिछड़ी मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।पहले चरण में सर्वाधिक मत जीतने वाली धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे नंबर रही है। लेकिन इनमें से किसी के पास भी बहुमत के आंकड़े नहीं हैं और फ़्रांस में त्रिशंकु संसद के हालात बन गए हैं।फ्रांस में अनिश्चितता की ऐसी स्थिति बन गई है, जो पहले कभी नहीं देखी गई।

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मध्यमार्गी गठबंधन दूसरे स्थान पर और दक्षिणपंथी तीसरे स्थान पर आया. इस चुनावों से तीन प्रमुख राजनीतिक गुट उभरे हैं- फिर भी उनमें से कोई भी 577 सीटों वाले निचले सदन नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों के करीब नहीं पहुंच पाया है। यहां सबसे बड़े गुट बनकर उभरे वामपंथी गठबंधन को 182 सीटें मिली हैं। वहीं मैक्रों के गठबंधन को 168 सीटें, जबकि धुर दक्षिणपंथी रैसेमबलेमेंट नेशनल और उसके सहयोगियों को 143 सीटें मिली हैं।

जैसे ही चुनाव के नतीजे आने शुरू हुए हजारों लोग पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक पर इकट्ठा हुए। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांसीसी चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल में वामपंथी गठबंधन की जीत की संभावना के बाद पेरिस में जश्न और हिंसा दोनों का माहौल बन गया। धुर-वामपंथी गठबंधन के अप्रत्याशित रूप से आगे निकलने की खबर पर हजारों लोग जश्न मनाने के लिए पेरिस के प्लेस डे ला रिपप्लिक में जमा हो गए। नतीजों से नाराज और नतीजों के बाद जश्न मना रहे लोग सड़को पर आ गए है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। 

ब्रिटिश टैबलायड द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह पता नहीं चल पाया है कि बढ़ते तनाव के बीच सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी किस दल के समर्थक है। इसके पहले यह आशंका जताई गई थी कि अगर दक्षिणपंथी जीत जाते हैं तो हिंसा भड़क सकती है।