कौन हैं किर स्टार्मर जो बनेंगे ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री, नर्स मां और कारीगर पिता का बेटा कैसे पहुंचा सत्ता के शीर्ष पर?

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कीर स्टार्मर ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे। उनकी लेबर पार्टी ने आम चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की है।14 साल बाद लेबर पार्टी की सत्ता में वापसी हो रही है और वो भी ऐतिहासिक जीत के साथ। लेबर पार्टी अब तक 410 सीटें जीत चुकी है।

पार्टी की कमान संभालने के 4 साल के अंदर रचा इतिहास

कीर स्टार्मर ने लेबर पार्टी की डोर साल 2020 में उस समय संभाली थी जब पार्टी को पिछले 85 साल में सबसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। उस समय स्टार्मर ने पार्टी की जीत को ही अपना मिशन बना लिया था, जिसको उन्होंने 4 साल के अंदर ही पूरा कर दिखाया और भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापस आए।

स्टार्मर खुद को कहते हैं "मजदूर वर्ग की पृष्ठभूमि" वाला

कीर स्टार्मर का संसदीय क्षेत्र साल 2015 से हॉबर्न और सेंट पैनक्रास है। स्टार्मर ख़ुद को "वर्किंग क्लास की पृष्ठभूमि" से बताते हैं। उनके पिता एक टूलमेकर थे और उनकी माँ एक नर्स के रूप में काम करती थीं। उनकी माँ को स्टिल्स रोग था जो एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है। उन्होंने रीगेट ग्रामर स्कूल में पढ़ाई की है। उनके दाखिला लेने के दो साल बाद ये एक निजी स्कूल बन गया था। 16 साल की उम्र तक उनकी फीस स्थानीय परिषद भरता था। 

यूनिवर्सिटी जाने वाले वह अपने परिवार के पहले सदस्य

बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे। स्कूल के बाद यूनिवर्सिटी जाने वाले वह अपने परिवार के पहले सदस्य बने और लीड्स यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। स्टार्मर ने लीड्स यूनिवर्सिटी में कानून में ग्रेजुएशन की, जहां वो लेबर क्लब के सदस्य बने। 1985 में उन्होंने बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) की डिग्री हासिल की। लीड्स के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में क़ानून की पढ़ाई की। ऑक्सफोर्ड के सेंट एडमंड हॉल में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और 1986 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ सिविल लॉ (बीसीएल)किया. जिसके बाद वो बैरिस्टर बने।

राजनीतिक सफर

कीर स्टार्मर साल 2015 से राजनीति में सक्रिय हैं। साल 2015, 2017, 2019 में उन्होंने लगातार तीन बार जीत हासिल की और 2020 में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभाली। 16 साल की उम्र से ही स्टार्मर राजनीति में सक्रिय थे, उनका रुझान लेबर पार्टी की तरफ था। वह 16 साल की उम्र में लेबर पार्टी यंग सोशलिस्ट्स के सदस्य बन गए थे। राजनीति के साथ-साथ स्टार्मर पेशे से बैरिस्टर हैं। साथ ही उन्होंने नॉर्थ आयरलैंड पुलिसिंग बोर्ड में मानवाधिकार सलाहकार की जिम्मेदारी निभाई और 2002 में उन्हें क्वीन्स काउंसल भी नियुक्त किया गया था।

ब्रिटेन में अब की बार 400 पार, लेबर पार्टी की बंपर जीत, कीर स्टार्मर होंगे अगले पीएम

#ukelectionresult 

ब्रिटेन में इस बार के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ है। अब तक के नतीजों में ब्रिटेन की जनता सत्ता में बड़ा बदलाव करती दिख रही है। ब्रिटेन में लेबर पार्टी 14 साल बाद सत्ता में वापसी करने जा रही है। लेबर पार्टी सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 326 सीटों का आँकड़ा पार कर चुकी है।लेबर पार्टी अब तक 410 सीटें जीत चुकी है जबकि मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी 119 सीटें ही अभी तक जीत सकी है।पिछले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी ने जहां जीत हासिल की थी, वहां कई सीटों पर कंजर्वेटिव पार्टी इस बार तीसरे स्थान पर खिसक गई है। 

लेबर पार्टी के नेता ने कहा, परिवर्तन यहीं से शुरू होता है

चुनावों आंकड़ों के बाद ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री लेबर पार्टी के किएर स्टार्मर का बनना तय है। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर होलबोर्न एवं सेंट पैनक्रास सीट से जीत गए हैं । लेबर पार्टी को मिली जीत पर 61 वर्षीय स्टार्मर ने कहा, मैं आपकी आवाज बनूंगा, आपका साथ दूंगा, हर दिन आपके लिए लड़ूंगा। लेबर पार्टी के नेता ने कहा, परिवर्तन यहीं से शुरू होता है क्योंकि यह आपका लोकतंत्र है, आपका समुदाय है, आपका भविष्य है। आपने मतदान किया है। अब समय आ गया है कि हम अपना काम करें।

परिणामों से सीखने के लिए बहुत कुछ-सुनक

निवर्तमान प्रधानमंत्री सुनक ने कहा कि इन परिणामों से सीखने और विचार करने के लिए बहुत कुछ है। ब्रिटेन के आम चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मतदाताओं से कहा, मुझे माफ कर दीजिए। ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री सुनक ने उत्तरी इंग्लैंड में रिचमंड एवं नॉर्थलेरटन सीट पर 23,059 वोट के अंतर के साथ दोबारा जीत हासिल की, लेकिन वह देश में 14 साल की सरकार के बाद अपनी पार्टी को दोबारा से जीत हासिल कराने में असफल रहे।

कंजर्वेटिव पार्टी के इतिहास की सबसे बुरी हार

कंजर्वेटिव पार्टी की ये उसके इतिहास की सबसे बुरी हार है। 2019 के चुनाव में 650 सीटों वाली संसद में कंजर्वेटिव पार्टी को 364 सीटों पर जीत मिली थी और बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री बने थे। उसे पिछली बार की तुलना में 47 सीटों का फ़ायदा हुआ था। लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल उलट है। ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 326 सीटों का आँकड़ा पार करना होता है। 2019 के चुनाव में विपक्षी लेबर पार्टी की सीटों की संख्या घटकर 203 रह गई थी। यहाँ तक कि लेबर पार्टी अपनी कई पारंपरिक सीटें गँवा बैठी थी।

ब्रिटेन में अब की बार 400 पार, लेबर पार्टी की बंपर जीत, कीर स्टार्मर होंगे अगले पीएम*
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ब्रिटेन में इस बार के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ है। अब तक के नतीजों में ब्रिटेन की जनता सत्ता में बड़ा बदलाव करती दिख रही है। ब्रिटेन में लेबर पार्टी 14 साल बाद सत्ता में वापसी करने जा रही है। लेबर पार्टी सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 326 सीटों का आँकड़ा पार कर चुकी है।लेबर पार्टी अब तक 410 सीटें जीत चुकी है जबकि मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी 119 सीटें ही अभी तक जीत सकी है।पिछले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी ने जहां जीत हासिल की थी, वहां कई सीटों पर कंजर्वेटिव पार्टी इस बार तीसरे स्थान पर खिसक गई है। *लेबर पार्टी के नेता ने कहा, परिवर्तन यहीं से शुरू होता है* चुनावों आंकड़ों के बाद ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री लेबर पार्टी के किएर स्टार्मर का बनना तय है। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर होलबोर्न एवं सेंट पैनक्रास सीट से जीत गए हैं । लेबर पार्टी को मिली जीत पर 61 वर्षीय स्टार्मर ने कहा, मैं आपकी आवाज बनूंगा, आपका साथ दूंगा, हर दिन आपके लिए लड़ूंगा। लेबर पार्टी के नेता ने कहा, परिवर्तन यहीं से शुरू होता है क्योंकि यह आपका लोकतंत्र है, आपका समुदाय है, आपका भविष्य है। आपने मतदान किया है। अब समय आ गया है कि हम अपना काम करें। *परिणामों से सीखने के लिए बहुत कुछ-सुनक* निवर्तमान प्रधानमंत्री सुनक ने कहा कि इन परिणामों से सीखने और विचार करने के लिए बहुत कुछ है। ब्रिटेन के आम चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मतदाताओं से कहा, मुझे माफ कर दीजिए। ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री सुनक ने उत्तरी इंग्लैंड में रिचमंड एवं नॉर्थलेरटन सीट पर 23,059 वोट के अंतर के साथ दोबारा जीत हासिल की, लेकिन वह देश में 14 साल की सरकार के बाद अपनी पार्टी को दोबारा से जीत हासिल कराने में असफल रहे। *कंजर्वेटिव पार्टी के इतिहास की सबसे बुरी हार* कंजर्वेटिव पार्टी की ये उसके इतिहास की सबसे बुरी हार है। 2019 के चुनाव में 650 सीटों वाली संसद में कंजर्वेटिव पार्टी को 364 सीटों पर जीत मिली थी और बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री बने थे। उसे पिछली बार की तुलना में 47 सीटों का फ़ायदा हुआ था। लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल उलट है। ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 326 सीटों का आँकड़ा पार करना होता है। 2019 के चुनाव में विपक्षी लेबर पार्टी की सीटों की संख्या घटकर 203 रह गई थी। यहाँ तक कि लेबर पार्टी अपनी कई पारंपरिक सीटें गँवा बैठी थी।
खत्म हुआ इंतजार, सोशल मीडिया पर दिखा मिर्जापुर 3 का भौकाल, खली मुन्ना भैया की कमी, देखो लोगों के रिएक्शन

'गजब भौकाल है रे बाबा...।' ऐसा हम नहीं, लोग बोल रहे हैं। क्योंकि 5 जुलाई आ चुकी है। और प्राइम वीडियो पर 'मिर्जापुर सीजन 3' स्ट्रीम होना शुरू हो गया है। जिसे देखने के बाद लोगों ने अपने रिएक्शन्स सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं। कालीन भैया के लापता होने से लेकर गुड्डू भैया के गद्दी पर बैठने तक, जो भी उथल-पुथल हुई है, वो देख सब खुशी के मारे उछल रहे हैं। आइए जानते हैं कि लोगों के रिव्यू के हिसाब से इस बार का सीजन कैसा है।

Mirzapur Season 3 का इंतजार लोग लंबे समय से किया जा रहा था। बीते दो सीजन्स को लोगों ने खूब पसंद किया था। और आगे की कहानी जानने के लिए फैंस आतुर हो रहे थे। जिस पर फुल स्टॉप लगाते हुए मेकर्स ने आखिरकार पासा फेंक दिया है और सबका ध्यान मिर्जापुर की कुर्सी की तरफ खींच लिया है। 10 एपिसोड की इस सीरिज को लेकर लगातार तरह-तरह से प्रमोशन सोशल मीडिया पर किया जा रहा था। और अब ये रात 12 बजे से स्ट्रीम होनी शुरू हो गई है।

'मिर्जापुर सीजन 3' देखे के बाद एक यूजर ने लिखा, 'बाबूजी का ही बेटा है। मिर्जापुर सीजन 3 गजब भौकाल है रे बाबा। कंट्रोल, पावर, इज्जत।' एक यूजर ने बीना त्रिपाठी और नौकरानी राधिया का एक क्लिप शेयर किया, जिसमें स्पॉयलर ही रिवील कर दिया। वहां, कालीन भैया की बीवी का बेटा डिस्कवरी चैनल सुनते ही रोते-रोते चुप हो जाता है, जिसके बाद लोग कहते हैं- बाऊ जी का ही बेटा है।

एक यूजर ने लिखा, 'मिर्जापुर सीजन 3 गजब भौकाल, बवाल हैं। मुन्ना भैया मुन्ना भैया तो शुरू में ही चल बसे। कंट्रोल, पॉवर, इज्जत।' हालांकि एक यूजर ने सीरीज के 7वें एपिसोड को वाहियात बताया है। कहा कि इस बार कालीन भैया को शोपीस की तरह इस्तेमाल किया गया है। पुराने किरदारों का उनकी क्षमता के हिसाब से उपयोग नहीं किया गया। मुन्ना भैया से ही था मिर्जापुर, और वो नहीं तो ये सीजन नहीं।

एक यूजर ने सीजन 3 को नापसंद करते हुए कहा, 'एक्सल मूवीज आपको इस सीजन को लाने में 4 साल लगे लेकिन फिर भी सब बर्बाद कर दिया। लानत है यार।' इसके अलावा एक और सीन शेयर किया गया, जिसमें गुड्डू पंडित और गोलू के बीच एक किसिंग सीन देखने को मिलता है। जो रिश्ते में जीजा और सालीसाहिबा हैं। ये देख लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'बहुत कुछ रह गया... 3 में वो मजा नहीं है, जो 1 और 2 में था। इस बार तो मुन्ना भैया बहुत याद आए। कोई अच्छे डायलॉग नहीं। 5 में से 2 रेटिंग दूंगा।' और कुछ ने मुन्ना भैया के डेड बॉडी वाली फोटो शेयर कर लिखा, 'पर मुन्ना भैया तो अमर थे।'

मजबूरी में शुरू हुई गैंगस्टरबाजी का मजा ले रहे गुड्डू पंडित, मिर्जापुर की गद्दी का मिजाज संभाल पाएंगे या नहीं? गुड्डू के गुबार को, गेम प्लान से मैनेज कर रहीं गोलू का गोल पूरा होगा या नहीं? जौनपुर के जूनियर शुक्ला उर्फ शरद, पूर्वांचल पर पकड़ की ओपन पोजिशन में सिक्का भिड़ाकर पापा का सपना पूरा कर पाएंगे या नहीं? 

प्रेम के प्रपंच में भाई को भेंट चढ़ा चुके छोटे त्यागी का अगला टारगेट क्या होगा? मौत के मुहाने से लौट रहे कालीन भैया के लिए अब मिर्जापुर रेड कार्पेट बिछाएगा या कांटे? और सबसे टॉप प्रायोरिटी बात… मुन्ना भैया मृत्यु की शैय्या से लौटेंगे या निपटे हुए ही रहेंगे? ‘मिर्जापुर’ का दूसरा सीजन जनता के लिए ढेर सारे सवाल छोड़कर गया था. और जवाब आ गया है ‘मिर्जापुर 3’ के साथ. मगर हर जवाब की नियति है, एक नए सवाल से टकराना… और अब टक्कर का सवाल है- क्या ‘मिर्जापुर 3’, शो की बाट जोहती जनता की मूड पर फिट है? या फिर ये आउट ऑफ सिलेबस हो गया है?!

गुड्डू पंडित (अली फजल) पहले बागी बने, फिर गुंडे, फिर गैंगस्टर और अब उनको बनना है बाहुबली. पहले सीजन से ही ये क्लियर हो गया था कि गुड्डू पंडित असल में पावर-पिपासु हैं ही नहीं. ये आदमी इस संसार में केवल अराजकता का एजेंट है. अब जब उसके पास मिर्जापुर की पावर है तो वो करेगा क्या? 

‘मिर्जापुर 3’ शुरू होता है गोलू (श्वेता त्रिपाठी) से, जो कालीन भैया उर्फ अखंडानंद त्रिपाठी या उनकी डेड बॉडी मिले बिना सांस नहीं लेगी. कालीन भैया सिर्फ ‘किंग ऑफ मिर्जापुर’ नहीं थे, पूर्वांचल की पावर को जोड़ने वाला एक पावर ग्रिड थे. उनके जाने से अब ये पावर बिखर रही है. गुड्डू भले उनकी कुर्सी पर बैठकर खुद को खलीफा घोषित कर दें, लेकिन पावर का ये नियम है कि वो मिलती नहीं, कमाई जाती है. 

और अपने खराब फ्यूज के लिए मशहूर/बदनाम गुड्डू का सबसे बड़ा चैलेंजर है जौनपुर का नया झंडाबरदार शरद शुक्ला, सुपुत्र ऑफ रतिशंकर शुक्ला. जिसे गुड्डू ने एक सांस में क-ख-ग पढ़ते हुए मार दिया था. मगर शरद पढ़ा लिखा चतुर-चालाक-चौकस लड़का है. और सब्र का भरपूर भंडार रखे हुए इस लड़के का दिमाग ए-बी-सी भी नहीं, अल्फा-बीटा-गामा पढ़ता है. 

गुड्डू ने तो थोक के भाव दुश्मन कमाए ही हैं, गोलू के हिस्से भी एक दिलजला आया है. भरत त्यागी बनकर जी रहा, उसका जुड़वा छोटा भाई, शत्रुघ्न. गोलू के चक्कर मे पड़कर भाई खो चुका शत्रुघ्न अब आशिकी में केकड़ा बनने जा रहा है (ये रेफरेंस शो देखकर समझ आएगा). पंडित परिवार के सिर नया दुख आया है. एडवोकेट रमाकांत पंडित (राजेश तैलंग) ने सीजन 2 में गुड्डू को बचाने के लिए एस. एस. पी. मौर्या की हत्या की थी. अब वकील साहब स्वयं जेल में हैं और कैदियों को देखकर उनकी नैतिकता का कांटा डगमगाने लगा है. उनका घर अब उनकी बेटी का प्रेमी रॉबिन (प्रियांशु पैन्युली) के जिम्मे है. 

इधर कालीन भैया की पत्नी बीना (रसिका दुग्गल), त्रिपाठी परिवार के आखिरी चिराग को मिर्जापुर की आंधियों से बचाने में जुटी हैं. गुड्डू को उनका फुल सपोर्ट है. और उधर लखनऊ में स्वर्गीय मुन्ना त्रिपाठी की पत्नी, मुख्यमंत्री माधुरी यादव (ईशा तलवार) के सामने भी सर्वाइवल का सवाल बहुत तगड़ा है. 

माधुरी को अपने पिता की परंपराओं पर चल रहे उनके पॉलिटिकल साथियों और दुश्मनों से निपटना है. वो प्रदेश को भयमुक्त प्रदेश भी बनाना चाहती है और बाहुबलियों में कानून का भय भी भरना चाहती है. मगर बदले और ईगो के ईंधन से हॉर्सपावर जेनरेट करने वाली इस प्रजाति का इलाज पॉलिटिक्स से होना नामुमकिन ही है. बाहुबली, जगत के संहारकर्ता को अपने हठ से प्रसन्न कर चुके भस्मासुर हैं. बस देखना है कि सतत दुस्साहस, हनक और निष्ठुरता की थाप पर नृत्य करते इन राक्षसों में कौन अपने सिर पर हाथ पहले रखता है!

‘मिर्जापुर’ का एक ट्रेडमार्क रहा है, खून-खच्चर से दर्शकों को शॉक करना. मगर पहले सीजन से तीसरे तक आते-आते इसका इस्तेमाल अब ज्यादा समझदारी से होने लगा है. ‘मिर्जापुर 3’ की खासियत इसकी इंटेलिजेंस है. पिछले दो सीजन के मुकाबले, अब किरदार दिमाग ज्यादा लगा रहे हैं, यहां तक कि गुड्डू भी. वायलेंस गुड्डू की यूएसपी है, ये बात शो के राइटर्स ने भी समझी है और इसे ध्यान से इस्तेमाल किया है. लेकिन गुड्डू को हमेशा भभकते देखने की इच्छा रखने वालों को ये बात थोड़ी कम पसंद आएगी. हालांकि, शो के अंत में जेल के अंदर डिजाइन एक फाइट सीक्वेंस में इसकी पूरी भरपाई है. 

‘मिर्जापुर 3’ में कॉमिक रिलीफ पहले दो सीजन के मुकाबले काफी कम है. जहां है भी, वो कहानी में थोड़ी जबरन घुसाई लगती है और मूड को डिस्टर्ब ही करती है. जैसे एक अंडरकवर कॉप किरदार और प्रदेश के गृहमंत्री की जबरन गलत शब्द पढ़ने की नौटंकी. मिर्जापुर में शुरू से ही कई कहानियां आपस में क्रॉस होती हैं. इस बार इसे बहुत बेहतर तो डील किया गया है, मगर शत्रुघ्न त्यागी का सब-प्लॉट और एक्सप्लोर किया जाना चाहिए था. सीजन 2 में भी त्यागियों का मामला अधूरा सा रह गया था, इस बार भी वो मेन मुद्दे में बहुत ज्यादा योगदान नहीं दे पाए. 

दूसरे सीजन में आया एक नया किरदार, जनता का फेवरेट बन गया था. इस बार उसे और ज्यादा अच्छे से दिखाए जाने की उम्मीद थी, मगर शो ने यहां निराश किया. राइटिंग में किरदारों को मार देना अक्सर ये दिखाता है कि राइटर उससे बेनिफिट नहीं निकाल पा रहे और उसे ख्वामख्वाह की जटिलता मानकर निपटा दिया गया है. लेकिन इस किरदार से काफी कुछ काम लिया जा सकता था. 

इस बार शो का असली मजा बांधा है शरद शुक्ला और माधुरी ने. इन दो किरदारों की राइटिंग बहुत ठोस है. दो यंग, अच्छे पढ़े लिखे और एक नए यूनिवर्स में जीने का ख्वाब देखते लोगों का, विरासत में मिले कीचड़ में उतरना. और सिर्फ बैलेंस बनाना ही नहीं, उसमें पांव जमाना, एक देखने लायक डेवलपमेंट है. 

‘मिर्जापुर 3’ में सबसे ज्यादा मजा आता है महिला किरदारों को देखते हुए. बीना, माधुरी, गोलू, रधिया और जरीना अपनी-अपनी रौ में दमदार लगते हैं. डायरेक्टर्स गुरमीत सिंह और आनंद अय्यर के साथ-साथ राइटर्स की टीम को इसके लिए क्रेडिट दिया जाना चाहिए. कलम में बारूद भरकर लिखे पुरुष किरदारों के बीच, ऐसे असरदार महिला किरदार बड़े भौकाली लगते हैं.

तीसरे सीजन में आकर ‘मिर्जापुर’ किरदारों के ट्रीटमेंट, कंफ्लिक्ट और कैमरे की नजर से डिटेल्स दिखाने में भी बेहतर हुआ है. डायलॉग हमेशा की तरह तैशबाजी से भरे हैं और इमोशंस वाले सीन्स में आपको इमोशंस महसूस होते हैं. शो ने अपना एक और फीचर बरकरार रखा है, किसी भी परिस्थिति में आप किरदारों से जैसे बर्ताव की आशा करते हैं, वो वैसा बिल्कुल नहीं करते. उसका ठीक उल्टा भी नहीं करते, बल्कि कुछ अलग ही कर देते हैं.

मिर्जापुर से लाख शिकायतें हों, मगर एक्टर्स के काम के मामले में इस शो का लेवल बहुत ऊपर है. अली फजल, पंकज त्रिपाठी, रसिका दुग्गल और श्वेता त्रिपाठी तो पहले ही सीजन से लगातार फॉर्म में हैं. ये अपने किरदारों में आधा रत्ती भी गलती नहीं करते. लेकिन इस बार अंजुम शर्मा और ईशा तलवार ने अपने किरदारों को, परफॉरमेंस से कमाल का वजन दिया है. दोनों एक्टर्स की बॉडी लैंग्वेज, आवाज का उतार-चढ़ाव और आंखें कमाल का असर छोड़ती हैं. विजय वर्मा जैसे ही माहौल बनाते हैं, राइटिंग उनका साथ छोड़ देती है. जिस एक्टर ने शायर का किरदार किया है उसका काम भी दमदार है. और हमेशा की तरह सपोर्टिंग कास्ट भी ठोस असर करती है.

मिर्जापुर में शुरू से ही एक मोरल स्केल यानी नैतिकता के कांटे की कमी रही है. जो अब तीसरे सीजन में और ज्यादा महसूस होती है. 6 साल और तीन सीजन सर्वाइव कर चुके इस शो में अभी तक किसी एक किरदार से आप किसी तरह की नैतिकता की कोई उम्मीद नहीं कर सकते. ये ठीक है कि एक पूरे डार्क, कुरूप संसार को स्क्रीन पर रचने के लिए ऐसा जरूरी है. लेकिन एंटरटेनमेंट के जाल में एक तार इस बात का भी होना जरूरी है कि दर्शक किरदारों को सपोर्ट करने का मन बनाए. जब ये नहीं होता तो उसी कोने से दर्शक का अटेंशन निकल भागता है. किसी को उसका एम्बिशन पूरा करते देखना चाहे. 

शॉक वैल्यू के लिए किरदारों का सांचा तोड़ देना एक अपवाद हो तो दिलचस्प लगता है, सरप्राइज करता है. लेकिन ऐसा करते चले जाना भी दोहराव ही है, जो बोर भी कर सकता है. ‘मिर्जापुर 3’ के अंत में आते-आते शो के दो सबसे प्रमुख किरदार जो करते हैं, उसकी उनसे उम्मीद ही नहीं थी. जहां एक से उसके शाही बर्ताव और वादा निभाने की उम्मीद थी, वहीं दूसरे से परिवार के लिए पिघलने की एक मिडल क्लास आकांक्षा भी थी. हालांकि, कुल मुलाकर ‘मिर्जापुर 3’ शॉक-सरप्राइज-सनक से ध्यान तो जरूर बांधे रखता है. एक्टर्स की शानदार परफॉरमेंस और किरदारों का तैश, एड्रेनलिन तो बढ़ाता ही है. डायलॉगबाजी और क्लाइमेक्स में कालीन भैया का खेल सोने पे सुहागा है.

धीरेंद्र शास्त्री के जन्मदिन पर दर्शन को उमड़ा भक्तों का हुजूम, 4 जिलों से बुलानी पड़ी एक्स्ट्रा फोर्स

 यूपी के हाथरस दुर्घटना के पश्चात् अब मध्य प्रदेश में पुलिस प्रशासन की सांस फूली हुई है. इसका कारण है विख्यात कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्मदिन. छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम में धीरेंद्र शास्त्री का जन्मोत्सव मानने देशभर से लाखों की संख्या में लोग पहुंचे हुए हैं. बाबा के श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की हैं तथा आसपास के 4 जिलों की फोर्स बुलाई है.  

छतरपुर SSP आगम जैन ने बताया, बागेश्वर धाम में 250-300 से ज्यादा पुलिस बल लगा दिया गया है. इसके साथ ही एक्स्ट्रा पुलिस बल भी अन्य जिलों से बुलाया गया है. इसमें पड़ोसी जिलों रीवा, पन्ना, टीकमगढ़ एवं सागर का पुलिस बल भी सम्मिलित है. पुलिस जवान बागेश्वर धाम में धीरेंद्र शास्त्री के जन्मोत्सव कार्यक्रम में सुरक्षा की व्यवस्था देखेंगे. इसके साथ ही बात यदि बागेश्वर धाम की करें तो वहां पर आयोजकों की तरफ से मंच भी सजा लिया गया है. जन्मोत्सव कार्यक्रम के पोस्टर एवं बैनर एक दिन पहले ही लगा दिए गए हैं. इतना ही नहीं, जहां पर जन्मोत्सव कार्यक्रम होना है, उस टिनसेट में कई हजारों श्रद्धालुओं ने जगह रोक ली है. 

फिलहाल पुलिस एवं प्रशासन के सामने बागेश्वर धाम में भीड़ को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल भरा है जिससे किसी भी तरह की दुर्घटना न हो. हालांकि, बागेश्वर बाबा ने एक वीडियो भी जारी किया है. इस वीडियो में उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से घर पर रहकर ही जन्मोत्सव मनाने की अपील की थी. बावजूद इसके जन्मोत्सव के पहले ही बागेश्वर धाम में लोगों का हुजूम उमड़ चुका है तथा लोग दिल्ली-मुंबई तक से जन्मोत्सव अवसर पर बाबा की एक झलक पाने के लिए बेताब हो रहे हैं.

सरकार बनने के बाद पहली बार पीएम मोदी से मिले चंद्रबाबू नायडू, आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा नहीं, जानें क्या मांगा*
#chandrababu_naidu_meets_pm_modi_seeks_support_from_central_govt_for_andhra_pradesh
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि नायडू, जिनकी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) भाजपा नीत एनडीए सरकार में महत्वपूर्ण साझेदार है, ने आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिए जाने की स्थिति में राज्य के लिए अधिक सहायता मांगी है। प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रमुख सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख ने 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद उसके सामने आई चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्य के विकास को गति देने के लिए केंद्रीय सहायता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा विशेष श्रेणी के दर्जे के बदले में सहायता बढ़ाने की वकालत की। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू दिल्ली के दो दिवसीय दोरे पर हैं। उन्होंने राज्य से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पीयूष से भी मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि नायडू अन्य केंद्रीय मंत्रियों से भी मिल सकते हैं, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी शामिल हैं। इन मुलाकातों के बाद उन्होंने मोदी के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश के, ‘राज्यों के बीच एक पावरहाउस’ के रूप में फिर से उभरने की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज आंध्र प्रदेश के कल्याण और विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मेरी रचनात्मक बैठक हुई। मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में हमारा राज्य, दूसरे राज्यों के बीच एक पावरहाउस के रूप में फिर से उभरेगा। वर्तमान में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी सरकार के तहत आंध्र प्रदेश का कुल कर्ज मार्च 2023 के अंत तक 67 प्रतिशत बढ़कर 4,42,442 करोड़ रुपये हो गया था। 31 मार्च 2024 तक राज्य का सकल राजकोषीय घाटा 55,817.50 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो 2018-19 में 35,441 करोड़ रुपये से 57 प्रतिशत अधिक है।
अमृतपाल और राशिद आज लेंगे लोकसभा सदस्य की शपथ, कोर्ट से मिली है पैरोल

#amritpal_and_rashid_will_take_oath_as_lok_sabha_members_today 

पंजाब के खडूर साहिब से लोकसभा सदस्य निर्वाचित अलगाववादी अमृतपाल सिंह और जम्मू-कश्मीर के बारामुला से चुनाव जीतने वाले शेख अब्दुल राशिद को आज लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ दिलाई जाएगी। शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के चैंबर में शपथ दिलाई जाएगी। बता दें कि राशिद फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। वहीं खालीस्तानी अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। 

राशिद आतंकी फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में है। इसके लिए उसे दो घंटे की हिरासत पैरोल दी गई है। असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल को चार दिन की सशर्त पैरोल मिली है। इस दौरान वह न तो कोई राजनीतिक बयान देगा और न ही उसका कोई वीडियो बनाया जा सकेगा। फोटो भी नहीं खींचे जा सकेंगे। बता दें कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब में कई मामले दर्ज हैं। अमृतपाल के खिलाफ अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला करने और पुलिसकर्मियों संग बदसलूकी करने को लेकर केस दर्ज किया गया है।

अमृतपाल को सिर्फ अने माता-पिता, भाई और पत्नी से मुलाकात करने की अनुमति दी गई है। पंजाब में अमृतपाल के जाने की मनाही है। बता दें कि अमृतपाल को इसी शर्त पर पैरोल दी गई है कि वह कोई राजनीतिक बयान नहीं देगा और उसका कोई वीडियो नहीं बनाया जा सकेगा और ना ही तस्वीर ली जा सकेगी।

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने गए रशीद ने हालिया लोकसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराकर बारामूला सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव आयोग ने नवनिर्वाचित सांसद शेख अब्दुल रशीद को जम्मू कश्मीर में बारामूला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके चुनावी खर्च विवरण में अधिक विसंगति को लेकर एक नोटिस भेजा था।

ब्रिटेन में अबकी बार स्टार्मर सरकार! चुनावी नतीजों में ऋषि सुनक को करारी हार, लेबर पार्टी को मिला बहुमत

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ब्रिटेन चुनाव में वोटों की गिनती जारी है, लेकिन तस्वीर लगभग साफ हो गई है। लेबर पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ ब्रिटेन की सत्ता पर काबिज होने जा रही है और लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं।उनकी पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा (326) पार कर लिया है। लेबर पार्टी पूरे 14 साल बाद सत्ता में वापसी कर रही है। वहीं, ऋषि सुनक ने कंजर्वेटिव पार्टी की हार स्वीकार कर ली है।

यूनाइटेड किंगडम (यूके) में आम चुनाव के लिए डाले गए वोटों की आज गिनती हो रही है। मुकाबला लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर और कंजर्वेटिव पार्टी के ऋषि सुनक के बीच है। ऋषि सुनक की पार्टी की पिछड़ रही है। मतगणना के बीच सुनक ने हार स्वीकार कर ली है। हालांकि, ब्रिटेन के निवर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपनी सीट से जीत गए हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि लेबर पार्टी ने यह आम चुनाव जीत लिया है। मैंने कियर स्टारमर को उनकी जीत पर बधाई देने के लिए फोन किया है। सुनक ने ये भी बताया कि आज शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से सत्ता परिवर्तित होगी।

सुनक ने कहा कि मैं कंजर्वेटिव पार्टी के कई अच्छे, मेहनती उम्मीदवारों की हार की जिम्मेदारी लेता हूं, जो आज रात अपनी कोशिशों, अपने स्थानीय रिकॉर्ड और अपने समुदायों के प्रति समर्पण के बावजूद हार गए। मुझे इसका दुख है। मैंने बतौर प्रधानमंत्री अपना सौ फीसदी देने की कोशिश की। अब मैं लंदन जाऊंगा, जहां मैं प्रधानमंत्री का पद छोड़ने से पहले आज रात के परिणाम के बारे में और अधिक बताऊंगा।

जानकारी के मुताबिक, लेबर पार्टी ने आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन की संसद में बहुमत के लिए जरूरी सीटें जीत ली हैं। सुबह 5 बजे तक लेबर पार्टी ने 650 में से 326 सीटें जीत ली थीं। लेबर पार्टी के नेता कियर स्टारमर अब बहुमत की सरकार बनाएंगे। स्टारमर ने लंदन के टेट मॉडर्न संग्रहालय में समर्थकों से कहा कि हमने यह कर दिखाया। उन्होंने कहा कि कहा कि 'देश के लोग परिवर्तन के लिए तैयार हैं और दिखावे की राजनीति को खत्म करने के लिए उन्होंने मतदान किया है।

एग्जिट पोल ने अनुमान में बता दिया था कि यूके में किसकी सरकार बनने जा रही है। एक्जिट पोल्स के मुताबिक, यूके की लेबर पार्टी का वनवास आज खत्म हो सकता है और केयर स्टार्मर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन सकते हैं।

बता दें कि ब्रिटेन में कुल संसदीय सीटों की संख्या 650 है। बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 326 सीटें जीतने की आवश्यकता होती है। देश में 2019 में हुए आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी 365 सीटों पर जीती थी वहीं लेबर पार्टी ने 202 सीटें जीती थीं।

हाथरस के पीड़ितों से मिले राहुल गांधी, बोले-पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलना चाहिए, हादसे के लिए प्रशासन को ठहराया जिम्मदार

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हाथरस में मंगलवार को एक स्वयंभू संत के सत्संग में भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। कई अन्य घायल भी हो गए थे। कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अलीगढ़ और हाथरस पहुंचकर पीडित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दिया।दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा राहुल गांधी सुबह-सुबह अलीगढ़ के पिलखना पहुंचे। यहां वह हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से मिले।अलीगढ़ के पिलखना गांव में हाथरस हादसे के पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद वह हाथरस पहुंचे हैं। हाथरस के ग्रीन पार्क के विभव नगर में उन्होंने पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की। राहुल ने आशा देवी, मुन्नी देवी एवं ओमवती के परिजनों से मुलाकात की. उन्हें सांत्वना दिया। भगदड़ में तीन परिवार के चार लोग मारे गए हैं।

अलीगढ़ के थाना अकराबाद क्षेत्र के गांव पिलखाना में शुक्रवार प्रात कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पहुंचकर हाथरस सत्संग हादसे के मृतक मंजू उसके छह वर्ष के बेटे पंकज अन्य परिवार की शांति देवी व प्रेमवती के पीड़ित परिजनों को सांत्वना दी। घटना को दुखद बताते हुए पीड़ित परिजनों से घटना के बारे में जानकारी करने के साथ मृतक मंजू की सास को राहुल गांधी ने आश्वस्त किया कि वह अपने स्तर से हर संभव उनकी मदद करेंगे और कहा कि अब वह इस स्तर पर है कि पीड़ित परिवारों की लड़ाई लड़ने के साथ उनकी सरकार द्वारा हर संभव मदद करायेंगे।

अलीगढ़ और हाथरस में पीड़ित परिवारों से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि हाथरस हादसा बेहद दुखद है। हाथरस में पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि इस हादसे में जो भी प्रभावित लोग हैं उन्हें तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को मुआवजा राशि भी बढ़ानी चाहिए। इस हादसे के लिए राहुल गांधी ने प्रशासन को जिम्मेदार बताया है। राहुल गांधी ने कहा कि प्रशासन से बड़ी गलती हुई है।

बता दें कि मंगलवार को एक सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई। वहीं कई लोग घायल भी हो गए। इस हादसे के बाद से यूपी की योगी सरकार ने शीघ्र जांच करने के लिए कई टीमों का गठन भी किया है। इसके अलावा पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान भी किया गया है।

Movie: Ruckus in parliament Directed by Rahul Gandhi
Movie: Ruckus in parliament Directed by Rahul Gandhi