भाग्‍यमती कौन थी,क्या था हैदराबाद से उनका रिश्ता? जानें

हैदराबाद। मूसी नदी के तट पर बसे निजामों के शहर हैदराबाद की तंग गलियों मे आज भी इतिहास के कुछ राज़ दफ्न हैं। कुछ ऐसे राज़ जो सदियाँ बीत जाने के बावजूद लोगों के लिए कौतूहल का कारण बने हुए हैं। इस राज़ से पर्दा उठाने की कोशिशें तो बहुत हुईं लेकिन हर बार राज़ और भी गहराता गया। ये राज़ निजामों के इस शहर के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।

दरअसल पुराने हैदराबाद शहर की तंग गालियों मे आज तकरीबन 600 साल बाद भी एक अनूठी प्रेम कहानी की मिसालें लोगों की जुबान पर हैं। ये प्रेम कहानी जोधा-अकबर तथा शाहजहाँ और मुमताज़ महल की प्रेम कहानियों से भी पुरानी है। 

धर्म और इलाकों के बंधनों से अलग इस प्रेम कहानी का क्लाइमेक्स ही बाद मे चल कर एक विशाल नगर की स्थापना का कारण बनता है।

 

दरअसल, पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी के दौरान दक्कन का पठार और आन्ध्र की भूमि बहमनी सुल्तान अलाउद्दीन हसन बहमन शाह के अधीन थी, जो प्राचीन विजयनगरम साम्राज्य के समान ही वैभवशाली और ताकतवर सल्तनतों के रूप मे पहचानी जाती थी। हालांकि, 1518 ई० आते-आते बहमनी सल्तनत पाँच टुकड़ों मे विभाजित हो गया। ये पांचो हिस्से यानी- अहमदनगर की निजामशाही, गोलकुंडा की कुतुबशाही, बीदर की बारीदशाही, बेरार की ईमादशाही और बीजापुर की आदिलशाही के रूप मे चर्चित हुई। इन्हीं मे से एक गोलकुंडा की कुतुबशाही ने मूसी नदी के पश्चिमी तरफ स्थित प्राचीन काकतीय वंश के किले गोलकुंडा के पुनर्निर्माण कराया, जिसका नाम उसने मुहम्मदनगर रखा। 

कुली शाह और भाग्‍यमती

तकरीबन 80 सालों तक गोलकुंडा से मुहम्मदनगर का शासन संभालने वाले कुतुबशाही वंश का 14 वर्षीय वारिस सुल्तान मोहम्मद कुतुब कुली शाह बना, जिसे मूसी नदी के दूसरी तरफ चिचलम नामक गाँव (वर्तमान मे चारमीनार के समीप) मे रहने वाली एक बला की खूबसूरत हिन्दू युवती भाग्‍यमती से प्रेम हो गया। इसके बाद शुरू हुई आज के आधुनिक हैदराबाद की सबसे पहली प्रेम गाथा। सुल्तान और भाग्‍यमती का प्यार वक्त के साथ परवान चढ़ने लगा। फिर क्या था, सुल्तान अब हर शाम चिचलम अपनी प्रेयसी भाग्‍यमती से मिलने पहुँचने लगा।

 

तेज बारिश वाली वो शाम...  

कहते हैं एक बार सुल्तान भाग्‍यमती से मिलने चिचलम के लिए गोलकुंडा किले से रवाना हुआ, लेकिन उस शाम शुरू हुई मूसलाधार बारिश से मूसी नदी पूरे उफान पर थी। नदी मे वेग इतना था की उसके किनारों पर बसे कई मकान नदी की धारा मे बह गए। बावजूद इसके, सुल्तान अपनी खूबसूरत प्रेयसी से मिलने को बेकरार था। अंगरक्षकों और सलाहकारों की तमाम आपत्तियों तथा नाव के बिना भी सुल्तान नदी पार करने की जिद पर अड़ गया। 

हद तो तब हो गयी जब वह मूसी की तेज धार में बगैर नाव के और जान की परवाह किए ही अपने घोड़े के साथ कूद पड़ा, जिसे देख कर उसके अंगरक्षक और सलाहकारों मे चीख-पुकार मच गयी। मगर उस शाम जैसे सच्चे प्रेम की हिफाजत करने आसमान से फरिश्ते उतर आए थे और बिना किसी नुकसान के सुल्तान और उसका घोड़ा नदी के दूसरे किनारे पर पहुँच चुके थे। बताते हैं की अपने बेटे के दिल मे किसी लड़की के लिए बेशुमार मोहब्बत देख कर कुली शाह के पिता इब्राहिम कुली कुतुब शाह ने मूसी नदी पर एक पुल का निर्माण कराया, जिसे आज भी पुराने पुल के नाम से जाना जाता है। 

भाग्‍यनगरम और हैदराबाद

कुछ समय बाद ही कुलीशाह ने शहर का नाम बादल कर अपनी प्रेयसी भाग्‍यमती के नाम पर भाग्‍यनगरम रखा। हालांकि, कुली शाह से सन 1589 मे निकाह के बाद भाग्‍यमती ने इस्लाम कबूल कर लिया और उसका नाम हैदर महल रखा गया। जिसके बाद कुतुब कुली शाह ने शहर का नाम दुबारा से बदल कर अपनी प्रिय रानी हैदर महल के नाम पर हैदराबाद रखा

पहली सेल्फी का इतिहास, आइए जानते हैं किसने ली थी पहली सेल्फी

अगर आप सोच रहे हैं की सेल्फी आज कल की खोज है तो आप गलत हैं।

 सेल्फी की खोज आज से लगभग 200 साल पहले हो गई थी। साल 1839 में 30 वर्षीय रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने फिलाडेल्फिया में अपनी सेल्फी ली थी। 

रॉबर्ट ने अपने पिता की दुकान के पीछे वाले हिस्से में कैमरा सेटअप किया। 

इसके बाद उन्होंने लेंस कैप बाहर निकाले, फ्रेम के सामने 5 मिनट दिए और लेंस कैप दोबारा लगा दिया। 

उसके बाद जो तस्वीर निकलकर आई, उसे पहला सेल्फ-पोर्ट्रेट और अब की भाषा में 'सेल्फी' कहा गया। 

इसके बाद रॉबर्ट एक मशहूर फोटॉग्रफर के तौर पर पहचाने जाने लगे। उनके पिता का लैंप का बिजनेस था, जिसे उन्होंने 20 सालों तक चलाया।

 बाद में अमेरिका के सबसे बड़े लैंप व्यवसाय के तौर पर रॉबर्ट ने अपने बिजनेस को एक नई पहचान दी। 

कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि रॉबर्ट को पहली 'सेल्फी' लेने में 3 मिनट लगे थे। तस्वीर आने के बाद उन्होंने लिखा था, "The first light picture ever taken"

अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक बज एलड्रिन ने साल 1966 में जेमिनी 12 मिशन के दौरान अंतरिक्ष से सेल्फी ली थी।

 कुछ लोगों का मानना है कि दरअसल, 'पहली सेल्फी' यही थी। बज़ ऐल्ड्रिन, अपनी इस उपलब्धि को ट्वीट कर बता चुके हैं कि उन्होंने स्पेस से पहली सेल्फी ली थी। 

इस सेल्फी में उनके अलावा बैकग्राउंड में धरती दिख रही है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में उन्होंने बताया था, मुझे उस वक्त बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि मैं एक सेल्फी ले रहा हू । 1966 के अपने ट्रेनिंग मिशन में ऐल्ड्रिन एक्सट्रा व्हीक्युलर ऐक्टिविटी की जांच कर रहे थे। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अपना करियर साल 1963 में शुरू किया था।

साल 2013 में मिली Selfiee को मिली पहचान

साल 2013 में प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में सेल्फी शब्द को शामिल किया गया। सेल्फी को कुछ यूं परिभाषित किया गया।

 ''एक फोटोग्राफ, जिसे किसी ने खुद लिया है या अपने स्मार्टफोन या वेबकैम से ली गई अपनी ही तस्वीर, जिसे किसी सोशल मीडिया वेबसाइट पर पोस्ट किया गया हो।'' 

'Selfiee' को साल 2013 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने Word of the Year का खिताब भी दिया था।