*कौशल प्रशिक्षण केंद्र की संचालिका नाताशाही रवैया, छात्रों के ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट्स देने को तैयार नहीं, जानें क्या है मामला*
आशीष कुमार
मुज़फ्फरनगर- 2013 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शासन उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन की शुरुआत युवाओं को रोजगार देने और उनके भविष्य को सुधारने के लिए ट्रेनिंग के बाद नौकरी देकर बेरोजगारी को दूर करने के लिए की गई थी। इस योजना के द्वारा युवाओं के कौशलों का विकास करके उनको समृद्धि की ओर अग्रसर करना था। परंतु यह योजना वर्तमान में धरातल पर फलीभूत होती नजर नहीं आ रही है। इसका एक जीता जागता उदाहरण मुजफ्फरनगर के लालबाग अंकित विहार पचेंडा रोड स्थित उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन कौशल प्रशिक्षण केंद्र बेसलाइन मानव उत्थान समिति केंद्र पर नजर आया।
यहां पर प्रशिक्षण ले रहे बच्चों के साथ केंद्र संचालिका पूजा अरोड़ा के द्वारा न सिर्फ बदसलूकी की गई बल्कि उनके हाई स्कूल और इंटर के ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट्स भी अपने पास जमा कर लिए और लाख मांगने पर भी केंद्र संचालिका उन्हें देने को तैयार नहीं हुई। केंद्र संचालिका की ये तानाशाही पूर्ण रवैया काफी दिनों से सामने आ रहा है। प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों द्वारा जब अपना प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद सर्टिफिकेट की मांग की गई और अपने ऑरिजिनल डाक्यूमेंट्स की बात की गई तो केंद्र संचालिका द्वारा उनके साथ अभद्रता की गई और उनके फोन तक उठाने संचालिका ने बंद कर दिए।
बच्चों ने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा उन्हें पहले निःशुल्क मशीन किट और बैग आदि देने की भी बात की गई थी। लेकिन उन्हें आज तक कुछ भी मुहैया नहीं कराया गया। बच्चों का कहना है कि सिलाई के लिए धागा भी वह खुद ही खरीद कर लाते हैं।
केंद्र संचालिका से जब इस बाबत बात की गई तो वह अपनी सफाई देती नजर आई ऑरिजिनल डाक्यूमेंट्स रखने की बात पर वह कोई सही जवाब नहीं दे पाई।
इस मामले में जब उत्तर प्रदेश कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल लखनऊ से फ़ोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह निशुल्क प्रशिक्षण है इसमें किसी भी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती और ना ही कोई ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट जमा किए जाते हैं अगर ऐसा कोई कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह योजना युवक को रोजगार देने के लिए और उनके भविष्य को सुधारने के लिए बनाई गई थी जबकि इस केंद्र की संचालिका द्वारा न केवल सरकारी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है, बल्कि सरकारी योजनाओं का दुष्प्रचार भी किया जा रहा है क्योंकि निशुल्क योजना होने के बाद भी इसके द्वारा पान 500 रुपए वसूल किया जा रहे हैं। इस योजना के प्रपत्र में कहीं भी ऑरिजिनल डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता ही नहीं है। सिर्फ फोटो स्टेट कॉपी की ही जरूरत होती है। ऐसे में संचालिका द्वारा ऑरिजिनल डाक्यूमेंट्स जमा कराकर बच्चों का शोषण किया जा रहा है। जिससे बच्चे दबाव में बने रहे और संचालिका के विरुद्ध कोई भी आवाज ना उठा पाए इस केंद्र में प्रशिक्षण पर ही बच्चे सभी गरीब घर से आते हैं ऐसे में उन बच्चों से पैसे वसूलना और उनका शोषण करना हमारे युवाओं को को किस दिशा में ले जा रहा है यह सोचनीय है।
Jun 29 2024, 17:15