टेंडर घोटाला में जेल में बंद कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम ने दिया मंत्री पद से इस्तीफा,इसके जगह बन सकते हैँ इरफ़ान अंसारी मंत्री

झा.डेस्क

सोमवार को बड़ी खबर आई है, टेंडर कमीशन घोटाले में रांची की होटवार जेल में बंद आलमगीर आलम ने ग्रामीण विकास मंत्री पद और सीएम चंपाई सोरेन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। 

हाल ही में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने आलमगीर से सारे विभाग छीन लिए थे।

आपको बता दें कि, आलगीर आलम टेंडर कमीशन घोटाले में जेल में बंद हैं और अब उनकी जगह पर जामताड़ा से कांग्रेस विधायक डॉ. इरफान अंसारी को मंत्री बनाने के पूरे आसार हैं।

बता दें कि, राज्य सरकार ने बीते शुक्रवार को आधिकारिक अधिसूचना जारी कर आलमगीर आलम को आवंटित किए गए सभी संसदीय कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग तथा पंचायती राज विभागों को वापस ले लिया था। 

टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार आलमगीर आलम को ईडी ने 14 दिनों की पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार भेज दिया गया।

टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार आलमगीर आलम को ईडी ने 14 दिनों की पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार भेज दिया गया।

विश्लेषण: झारखंड में इंडी गठबंधन शासन का पांच साल,क्या आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए सही है उनका रिपोर्ट कार्ड...? (भाग -1)

(विनोद आनंद)

लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ।चुनाव परिणाम भी सामने आए इस चुनाव में इंडी गठबंधन ने पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन कर कुछ सीटें हासिल की। लेकिन क्या यह सफलता आगामी विधानसभा चुनाव में भी हासिल होगी।यह मंथन का विषय है।साथ ही हम यहां विश्लेषण करेंगे कि जनता के बीच उनका रिपोर्ट कार्ड में कितना उपलब्धि और कितनी विफलता है जिसके सहारे आगामी विधानसभा में जनता इन्हें अपना मत देकर फिर एक बार मौका दे सकती है।

 क्योंकि लोकसभा चुनाव केंद्र सरकार के कार्य,उसकी नीति और जनता के अपेक्षाओं पर सरकार कितना उतर पायी इसके मूल्यांकन के आधार पर जनता तय करती है। वहीं राज्य के सरकार चुनने के लिए जनता राज्य सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करती है। विधान सभा चुनाव में जनता का का मतदान होगा झारखंड सरकार का काम- काज पर। राज्य सरकार के काम काज से वह कितना संतुष्ट है इस पर निर्भर करेगा कि वह किसे मतदान करें।

झामुमो के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का कार्यकाल पांच साल पूरा होने जा रहा है।ऐसे हालात में अब मौजूदा सरकार को अगली रणनीति अपने कार्य और उपलब्धि के हिसाब से तय करनी होगी और जनता के बीच इसी मुद्दा को लेकर जाना होगा।

झामुमो के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार का कार्यकाल पांच साल पूरा होने जा रहा है।ऐसे हालात में अब मौजूदा सरकार को अगली रणनीति अपने कार्य और उपलब्धि के हिसाब से तय करनी होगी और जनता के बीच इसी मुद्दा को लेकर जाना होगा।

इसके लिए यहां झामुमो के पांच साल के उसके कार्य और नीति का विश्लेषण और किस क्षेत्र में सरकार सफल रही और कौन सा वजह है जो उसके लिये निगेटिव रहा इसका विश्लेषण जरूरी हो जाता है।

वैसे झारखंड का दुर्भाग्य रहा है कि राज्य गठन के बाद लगातार कई वर्षों तक यहां स्पष्ट जनादेश जनता ने नही दिया इसलिए सरकार यहां स्थिर नही रही।इसीलिए संसाधन से परिपूर्ण इस राज्य के विकास का रफ्तार जो होना चाहिए वह भी नही हुआ।जबकी इसके साथ ही उत्तराखंड और छतीसगढ़ राज्य भी बने। आज छतीसगढ़ में औधोगिक विकास हुआ।रोजगार का अवसर खुला।झारखंड में राज्य गठन के बाद जो भी हुआ उसे ठीक तो नही कहा जा सकता लेकिन पिछले 10 साल में स्पष्ट जनादेश की दो सरकारें आयी इसके पूर्व भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्व में पांच साल सरकार चली और वर्तमान में झामुमो के नेतृत्व में सरकार चल रही है।इन दो सरकार के कार्यकाल जनता के कसौटी पर कितना खड़ा उतरा और राज्य के विकास और स्वच्छ प्रशासन के दिशा में सरकार कितना स्पष्ट नीति बना पायी इसका मूल्यांकन के अनुसार ही जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करती रही है।

पूर्ण बहुमत के साथ गुजरा सरकार का पांच साल


वैसे दूसरी बार झारखंड में हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी।इस लिए विकास के गुंजाइस पूरी तरह थी।अब मौजूदा सरकार इन पांच सालों में कुछ प्रयास जरूर किया जिस से राज्य में विकास की संभावनाएं जगी। 

उसमे सरकार की कई योजनाएं ऐसी थी जिसका प्रयोग पहली बार हो रहा था।जो जनता के लिए बिल्कुल नया और उम्मीदों भरा था। ऐसी योजनाओं में आप के द्वार आपकी सरकार थी।इस योजनाओं के तहत सरकार के प्रतिनिधि पंचयत स्तर तक जनता के बीच आयी और उनकी समस्याएं सुनी, बहुत हद तक उनकी समस्याओं का समाधान किया।उनके बीच उनके जीवन स्तर सुधारने के लिए राशि का सीधा वितरण किया।

   इस पहल के पीछे सरकार की मंशा रही की जो भी योजनाएं जनता को दी जा रही है वह सीधा जनता तक पहुंचे। बीच मे कोई विचौलिया नही हो।बहुत हद तक यह योजना सफल रही। लोगों को लाभ मिला।सरकार की इस योजना को लेकर प्रशंसा भी हुई।

वैश्विक आपदा में कुशल प्रबंधन


हेमंत सरकार जब सत्ता में आयी उस समय सरकार के खजाना में बहुत कम पैसा था।जिसका खुलसा हेमंत सरकार ने सत्ता संभालते ही किया। लेकिन इसके वाबजूद कुशलता पूर्वक सरकार नें सत्ता का प्रबंधन किया और स्थिति संभाली।

    दुर्भाग्यवश वह भयानक दौर भी था। वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी का फैलाव हो रहा था।चारो तरफ मौत का तांडव जारी था।अस्पतालों के बाहर लम्बी कतारें लगी थी।ऑक्सीजन और दवा के बिना लोग तड़प तड़प कर मर रहे थे।ऐसे दौर में विकास के सारे कार्य ठप्प हो गयी। सरकार की प्राथमिकता लोगों को जान बचाना,इलाज की व्यवस्था करना था।इस दौर में हेमंत सरकार की प्रबंधन कुशल प्रबधन के रूप में देखी गयी। इलाज की व्यबस्था और यथा सम्भव कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुव्यवस्थित तरीका से किया गया। लॉक डाउन के समय झारखंड के प्रवासी मज़दूर जहाँ भी फंसे थे उन्हे अपने घर लाने के लिए हेमंत सरकार ने जो मानवीय पहल किया और राज्यों से वेहतर थी।जिसके करण अपनी सरकार पर वहाँ जानता का भरोसा बढ़ा।इन परिस्थिति से निकलने के बाद सरकार बेहतर काम करने का प्रयास किया।

पुरानी पेंशन योजना लागू


वर्ष 2004 में अटल जी ने सरकारी कर्मचारी की पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना बहाल की जिसको लेकर् कर्मचारियों में आक्रोश था। सरकार इसे अतिरिक्त बोझ बताते हुए 2003 के बाद जितनी बहाली हुई है उसे पहले से चली आ रही पेंशन की वैसी सुविधा नही मिलेगी जो सुविधा पहले के कर्मचारी को मिल रही थी।उसके लिए नई व्यवस्था लागू की गयी।कर्मचारियों में इसको लेकर आक्रोश था।जिसको देखते हुए कई राज्य सरकार ने इसे पुन:बहाल किया। हेमंत सरकार ने भी इस योजना को पुन:बहाल कर दिया जिससे कर्मचारी में खुशी है।

राष्ट्रीय राजनीति में हेमंत सोरेन की धमक


स्पष्ट जनादेश मिलने के वाद हेमंत सोरेन ने जिस कूटनीति का अनुसरण किया वह एक सफल राजनीतिज्ञ की पहचान थी।उन्होंने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री,गृह मंत्री,राष्ट्रपति तथा अन्य नेताओं से मिले।इस औपचारिकता को भले ही साधारण घटना माना गया लेकिन सियासी गलियारी में इसको लेकर कई मायने रहे।इस बीच हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्य मंत्री के रूप मैन देश में एक मज़बूत चेहरा के रुप में पहचान बनायी।नक्सल विरोधी अभियान

हेमंत सोरेन के शासन काल मे नक्सलियों के विरुद्ध लगातार अभियान चलाये गये। सरकार की मंशा रही कि या तो नक्सली के रुप मे भटके झारखंड के युवा मुखधारा में वापस लौटे या पुलिस कार्रवाइ के लिए तैयार रहे। सरकार को इसमें पर्याप्त सफलता भी मिली। कई लोगों ने आत्मसमर्पण किया। कई लोग मुठभेड़ में मारे गये।कई लोग पकड़े भी गये।    इसका परिणाम हुआ कि बहुत हद तक झारखंड का कई क्षेत्र नक्सली के दहशत से मुक्त हुए। हलाकि पूर्ण रूपेण राज्य को नक्सली आतंक से मुक्ति नही मिली लेकिन बहुत हद तक इस पर अंकुश लगा है। झारखंड की मौज़ूदा सरकार की यह बड़ी उपलब्धि माना जा रहा हप्रतिभाओं को उच्चतर शिक्षा के लिए प्रोत्साहन

 हेमंत सरकार को एक और पहल को काफी सराहा गया वह है वह है प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति देकर उच्चत्तर शिक्षा के लिए विदेश भेजना।हेमन्त सोरेन ने इसके लिए योजना बनाई और कई गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजानोट-आगामी एपिशोड में पढ़े मौजूदा सरकार का वह पक्ष जिससे सरकार बैकफुट पर चली गयी और आज राज्य के पूर्व सीएम सहित कई लोग जेल में ह

कोल्हान क्षेत्र के सात जर्जर सड़कों के पुनर्निर्माण के लिए टेंडर जारी,बजट 8 करोड़ 78 लाख रुपये,पुरा करने का समय 8 माह


झारखंड डेस्क

विधान सभा चुनाव 8 माह बाद होना तय है।इस बीच राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार जानता के मन लुभावन योजनाओं से खुश करने में कोई कसर नही छोडना चाहती है। झारखंड सरकार भी कोल्हान क्षेत्र में विकास योजना के जरिये जनता पर अपना प्रभाव छोड़ना चाहती है।इसी लिए मानगो क्षेत्र की सात जर्जर सड़कों का पुनर्निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिया है। इन सड़कों की कुल लंबाई 9.19 किलोमीटर है। इनके निर्माण पर कुल आठ करोड़ 78 लाख रुपये से अधिक की लागत आएगी।

 सड़कों का निर्माण पूरा करने के लिए आठ माह की अवधि तय की गई है। ये सभी सड़कें मानगो नगर निगम क्षेत्र की हैं। अब इनका निर्माण पथ निर्माण विभाग का जमशेदपुर प्रमंडल करवाएगा। मानगो नगर निगम ने इसके लिए अनापत्ति दे दी है।

इसके बाद ही पथ निर्माण ने इसका स्टीमेट बनाया और टेंडर निकाला है। इन सड़कों के निर्माण से जमशेदपुर पश्चिम विधान सभा क्षेत्र की करीब 50 हजार की आबादी को लाभ होगा। जिन सड़कों का निर्माण होना है इनमें शंकोसाई रोड नंबर-5 से गुडरूबासा डिमना बस्ती, हयात बस्ती तक सड़क शामिल हैं। इसकी लंबाई 1.6 किलोमीटर है। दूसरी सड़क बालीगुमा बगान एरिया से जेवी महतो होम रोड है जिसकी लंबाई 1.3 किलोमीटर है।

तीसरी सड़क शंकोसाई रोड नंबर-5 नियर ब्रिज से केदार बगान रोड तक है। इसकी लंबाई 1.650 किलोमीटर है। चौथी सड़क ओल्ड पुरुलिया रोड में येसू भवन से अलीबाग कॉलोनी रोड तक है। इसकी लंबाई एक किलोमीटर है। पांचवीं सड़क मानगो पारडीह रोड नंबर-2 से रोड नंबर 7 तक मदीना मस्जिद रोड तक है। इसकी लंबाई 1.5 किलोमीटर है।

छठी सड़क मानगो-डिमना रोड से राजेन्द्र नगर रोड है। यह सड़क भी एक किलोमीटर लंबी है। और सातवीं सड़क मानगो-पारडीह रोड में एकतरा बस्ती हलधर महतो कॉलोनी रोड है। इसकी लंबाई 1.140 किमी है।

छोटे से गांव से निकल कर एक साधारण सा युवक बना झारखंड में राजनितिक दलों के लिए चुनौती,देखना है अगले विधानसभा चुनाव में क्या होता है उसका जलवा...?


झारखंड डेस्क

झारखंड के धनबाद जिला के एक छोटे से गांव से निकल कर एक युवक बाहर आता है।भाषा,खातियान के आधार पर स्थानीय पहचान और हक हकुक की बात करने के लिए लोगों के बीच खड़ा होता है।गांव के लोग जुटते ,फिर अगल बगल, और अब पूरे झारखंड के युवा उसके पीछे हो जाते।अब वह युवक

छोटे-बड़े गांव-कस्बों में अपनी गाड़ी (जीप) के बोनट पर खड़े होकर भाषण देता है। उस युवा नेता को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। ‘युवा टाइगर’ के रूप में चर्चित इस छात्र नेता के भाषण में सिर्फ स्थानीय मुद्दे, युवाओं को रोजगार, भाषा और अपने हक-अधिकार की बात होती हैं। 

जींस और टी-शर्ट पहने इस नेता की बातें भी स्थानीय भाषा में इस तरह से सीधी-सरल होती है कि उन्हें सुनने आए ग्रामीणों पर बड़ा इसका प्रभाव पड़ता है। रांची, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़ और धनबाद जिले में गांव-गांव घूम कर अपने संगठन को मजबूत बनाने वाले इस शख्स ‘जयराम महतो’ पर बीजेपी-कांग्रेस समेत अन्य दलों के बड़े नेताओं की भी नजर है। 

जयराम महतो खुद स्वीकार करते हैं, कांग्रेस-बीजेपी और अन्य पार्टियां उन्हें आगामी चुनाव में मनचाही सीट देने का ऑफर दे रही हैं। लेकिन उन्होंने जनता के मुद्दों को प्रभावी तरीके से उठाने के लिए झारखंड भाषा खतियानी संघर्ष समिति नामक संगठन बनाया है। उसने लोकसभा चुनाव में झारखंड के आठ लोकसभा सीट पर कैंडिडेट उतारा, खुद साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट लाकर बड़ी पार्टी को चुनौती दी है।हर सीट पर तीसरे स्थान पर रहा, धनबाद, रांची,में भी उसका प्रदर्शन शानदार रहा और अब अगले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल का स्वरूप देने की तैयारी में वह जूट गया।जिसके कारण झारखंड में राष्ट्रीय पार्टी सहित स्थानीय राजनितिक दल की हवा गुम है। उसने लोकसभा चुनाव में कुछ विधानसभा चुनाव में इतना अच्छा प्रदर्शन किया है कि यह तो तय हो गया।कुछ विधान सभा चुनाव जीत कर यह युवा राजनितिक सफर की शुरुआत करने में सफल रहेगा।

रांची से लेकर दिल्ली तक उठाएगा जयराम आवाज

जयराम महतो का कहना है कि झारखंड निर्माण की कल्पना को पूरा करने के लिए युवाओं की राजनीति में भागीदारी बहुत जरूरी है। युवाओं को सक्रिय रूप से आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य अलग होने के 23 साल बीत जाने के बाद भी राज्य की स्थिति नहीं बदली। आज भी राज्य के लोग बुनियादी ज़रूरतों के लिए जद्दोजहद करते नज़र आ जाएंगे। अगर स्थिति को बदलना है तो अपनी आवाज को राजधानी रांची और दिल्ली सदन तक पहुंचाना होगा। बदलाव के लिए सड़क से उठाकर युवाओं को सदन भेजने की तैयारी करनी होगी। जयराम महतो यह भी कहते है कि जब तक परिवारवाद का सिलसिला चलता रहेगा, झारखंड निर्माण के उद्देश्यों को पूरा नहीं किया जा सकता। हमें नीति और नियत दोनों बदलनी होगी और थोपी हुई राजनीति को हटाना होगा और अपना भविष्य खुद चुनना होगा।

उसके राजनीति का मुद्दा होगा स्थानीय युवाओं को रोजगार और भाषा

जयराम महतो कहते हैं कि झारखंड में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां है, छोटे-बड़े कई उद्योग है, लेकिन मुंबई-गुजरात और दिल्ली में सबसे ज्यादा मजदूर झारखंड के ही हैं। राज्य के युवा बेरोजगार बैठे हैं। बाहरी लोगों को नौकरियां मिल रही हैं। झारखंड के युवा रोजगार की तलाश में पलायन पर मजबूर हैं। इस व्यवस्था को बदलने के लिए आंदोलन में युवाओं को आगे आना होगा। वे झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने और स्थानीय-क्षेत्रीय भाषाओं को जानने वाले लोगों को ही तृतीय-चतुर्थ वर्ग की सरकारी नौकरियां देने के लिए लंबे समय से आवाज बुलंद कर रहे हैं।

आगामी विधानसभा मे उसका क्या होगा जलवा..?

जयराम महतो का 8 लोकसभा सीट पर जो वोट का स्थिति रहा, और कुछ विधानसभा सीटों पर जिस तरह मत प्रतिशत रहा उस हिसाव से विधानसभा चुनाव् में उसका जलवा दिखेगा।अब आने वाल समय तय करेगा कि वह किस विचारधारा का समर्थक होता है या किस दल के साथ जाता है उसके हिसाब से उसके राजनितिक भविष्य का सफर तय होगा।

लगातार जीत के बाद भी मोदी 3.0 कैबिनेट में निशिकांत दुबे को नही मिली जगह,बाजी मार गये संजय सेठ,जानिए क्यों..?


 झारखंड डेस्क

 झारखंड से दो-दो मंत्रियों ने मोदी 3.0 कैबिनेट में अपनी जगह बनायी है। कोडरमा से सांसद अन्नपूर्णा देवी जहां कैबिनेट मंत्री बनी है, तो वहीं रांची से सांसद चुने गये संजय सेठ को राज्य मंत्री बनाया गया है। संजय सेठ का नाम थोड़ा चौकाने वाला रहा है। पहले अटकलें थी कि निशिकांत दुबे को मोदी 3.0 में मौका मिल सकता है, लेकिन जातिगत समीकरण में निशिकांत पर संजय सेठ भारी पड़ गये। लिहाजा लगातार जीत के बावजूद निशिकांत दुबे को कैबिनेट से बाहर रहना पड़ गया।

जहां तक अन्नपूर्णा देवी का सवाल है तो वो पहले से ही मोदी कैबिनेट की मजबूत दावेदार रही थी। वो पहले भी अन्नपूर्णा देवी मोदी कैबिनेट की हिस्सा रही थी। इस बार कोडरमा सीट से दोबारा जीतने के बाद उन्हें मोदी कैबिनेट में मौका मिला है। वहीं संजय सेठ को अनुभव का फायदा मिला है। 

इसी साल झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होना है, लिहाजा झारखंड के समीकरणों को ध्यान में रखकर कैबिनेट में प्रतिनिधित्व दिया गया है।

कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी और रांची सांसद संजय सेठ दोनों सांसद दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। अन्नपूर्णा देवी यादव समाज से आती है। चुनाव में ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए भाजपा ने अन्नपूर्णा देवी के चेहरे को मौका दिया है। सांसद संजय सेठ के जरिए वैश्य समुदाय, जनजातीय समाज और अन्य को साधने की तैयारी है।

2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। राजद में रहने के दौरान उन्हें लालू प्रसाद यादव की करीबी नेताओं में से एक माना जाता था।

बीजेपी में उन्हें संगठन और सरकार दोनों में बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई। 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें पहले झारखंड प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया गया था। बाद में बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हरियाणा का सह प्रभारी भी बनाया गया था। वह झारखंड और बिहार से चार बार विधायक भी रह चुकी हैं।

मौसम विभाग ने 11 जून तक के लिए हीटवेव का अलर्ट किया जारी ,15 के बाद मिल सकती है थोड़ी राहत,जानिए मौसम का हाल..!


झारखंड डेस्क

झारखंड में गरमी अभी और झुलसाने वाली है। मौसम विभाग ने 11 जून तक के लिए हीटवेव का अलर्ट जारी किया है। हालांकि इस दौरान बादलों की लुकाछिपी भी जारी है। कुछ इलाकों में गरमी के बावजूद बीच-बीच में बूंदाबांदी होगी। वहीं आकाशीय बिजली का भी कहर देखने को मिलेगा। 

ज्यादातर जगहों में तापमान 40 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। जबकि न्यूनतम तापमान 28 डिग्री के आसपास होगा।

मौसम विभाग के मुताबिक झारखंड के उत्तर, पश्चिम, मध्य औऱ निकवटर्ती उत्तर- पूर्वी भागों में लू चलेगी। हालांकि बाकी हिस्सों में 11 जून तक मध्य और दक्षिणी भाग में गर्जन के साथ हल्के से मध्यम दर्जे के बारिश की संभावना है। राज्य के कई हिस्सों में आसमान में हल्के बादल नजर आ सकते हैं, लेकिन इससे किसी बड़े राहत की उम्मीद नहीं है।

मौसम विभाग की मानें तो झारखंड के पलामू, चतरा, कोडरमा, गढ़वा, गिरिडीह, देवघर , गोड्डा के इलाके शामिल है। जबकि पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम के साथ- साथ सिमडेगा, गुमला और खूंटी के इलाकों में आसमान में बादल छाये रहेंगे।

हालांकि 12 जून तक सबसे ज्यादा गर्म इलाकों में गढ़वा, पलामू , चतरा और लातेहार का इलाका शामिल है। 12 जून तक राज्य के दूसरे हिस्सों में मौसम बदल सकता है। राज्य में जिन इलाकों में आज बारिश की संभावना है, उनमें लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम शामिल है। हालांकि मौसम विभाग ने 15 जून के बाद राहत की बात कही है।

15 जून के बाद मानसून का असर दिखने लगेगा। प्रदेश के कई हिस्सों में अगले सप्ताह से प्री मानसून की आहट दिखायी देने लगेगी। गरज चमक के साथ बारिश भी होगी। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार झारखंड में तय समय के पहले ही मानसून पहुंचेगा। मानसून को लेकर अच्छी खबर ये भी है कि पिछली बार से ज्यादा इस बार बारिश होगी।

भटिंडा फाल में डूबने से किशोर की मौत, साथ आए तीन साथी हो गए फरार


धनबाद : पर्यटन स्थल भटिंडा फाल मुनीडीह में रविवार को स्नान कर रहे चार नाबालिग लड़कों में से एक निखिल सिंह की डूबने से मौत हो गई। 

इधर उसके डूबने के बाद उसके तीनों साथी डर से उसके कपड़े लेकर भाग गए। तीनाें में से किसी ने भी मृतक छात्र के परिजनों को घटना की जानकारी नही दी।इधर सूचना पाकर स्थानीय गोताखोरों ने निखिल को फाल से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। 

सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में ले लिया। लेकिन, मृतक की पहचान नहीं हो सकी। इसके बाद पुलिस ने पार्किंग स्टैंड से उस स्कूटी का नंबर पता लगाया जिससे चारों नाबालिग दोस्त यहां पहुंचे थे।इसके बाद यह पता चला कि मृतक किशोर सरायढेला कोआपरेटिव कालोनी के महेंद्र सिंह का पुत्र निखिल सिंह था। यह भी पता चला कि चारों नाबालिग दोस्त एक स्कूटी से सरायढेला से भटिंडा फाल पहुंचे थे। चारों में से किसी के घर वालों को उनके भटिंडा जाने की जानकारी नहीं थी।

चाईबासा के टोंटो थाना क्षेत्र में पुलिस ने किया नक्सली कैंप को ध्वस्त, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

झारखंड डेस्क

पूरे झारखंड में नक्सलियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के दौरान पश्चिमी सिंहभूम पुलिस को रविवार को बड़ी सफलता मिली है। अभियान के दौरान पुलिस को चाईबासा के टोंटो थाना क्षेत्र के रेंगड़ाहातू व तुम्बाहाका के बीच सेकरपी के जंगल में नक्सली कैंप मिला। पुलिस ने कैंप को ध्वस्त कर बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किया।

बताते चलें कि, प्रतिबंधित भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के विरुद्ध विगत 10.10.2023 से जिला पुलिस, झारखंड जागुवार, कोबरा बटालियन व सीआरपीएफ द्बारा कोल्हान के जंगलों में अभियान चलाया जा रहा है। 

भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के शीर्ष नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, चमन, कांडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया, अश्विन अपने दस्ता के सदस्यों के साथ सक्रिय हैं।

माओवादियों के विध्वंसक कार्य को रोकने के लिए उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसमें पुलिस बल को अब तक कई सफलताएं मिल चुकी हैं। इतनी बड़ी मात्रा में हथियार व सामान बरामद होना पुलिस की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।

नक्सलियों के कैंप से पुलिस ने 7.62 एम एम जी -1, 7.62 एमएमएल एम जी बट बैरल -2, .303 बोर रायफल -1, 7.62 एमएमएसएल आर-1, 2 इंच मोर्टार -1, रिवाल्वर -1, 0.22 देसी रायफल, बोल्ट एक्शन बैरल काकिंग हैंड्स-1, देसी रायफल-1, देसी डबल बैरल रायफल-1, 303 बोर रायफल बट-1, 9 एम एम पिस्टल -1, कारतूस -435, देसी पिस्टल मैगजीन -2, मैंगजीन पाउच -1, मोबाइल फोन -9, नक्सल साहित्य -5, एवं अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद हुए हैं। इस अभियान की सफलता का श्रेय चाईबासा पुलिस, झारखंड जागुवार व सीआरपीएफ बटालियन के जवानों को जाता है।

पांच फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर ठगी करने वाले साइबर अपराधी गिरफ्तार


रांची : CID ​​की साइबर क्राइम ब्रांच ने रेड मारकर रांची और पश्चिम बंगाल में फर्जी CBI अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने वाले पांच साइबर अपराधियों को दबोच लिया।

गिरफ्तार साइबर अपराधियों ने 28 लाख रुपये की ठगी की थी। CID ​​की साइबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस गिरोह का सरगना योगेश अग्रवाल है जो रांची के स्थानीय पते और लोगों की जानकारी टेलीग्राम के जरिए हांगकांग में बैठे अपने साथियों को मुहैया कराकर विदेशी सर्वर के जरिए ठगी करवाता था।

मुख्य सरगना योगेश अग्रवाल रांची और गुड़गांव जैसे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नामों से फर्जी कंपनियां खोलकर लोगों से उनमें निवेश करवाता था।

CID ने जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि साइबर अपराधियों ने खुद को CBI दिल्ली का सीनियर अधिकारी बताकर रांची निवासी मनीष प्रकाश को कॉल किया।

इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष कुमार से कहा कि उनके खिलाफ अवैध Advertising Harassment का केस किया गया है।

अगर आप CBI में आकर मामले का निपटारा नहीं करते हैं, तो 90 दिनों के अंदर आपके पूरे परिवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा।

फर्जी सीबीआई अधिकारियों ने मनीष प्रकाश से यह भी कहा कि अगर वह कुछ पैसे बैंक में निवेश कर दें तो आरोप लगाने वाले व्यक्ति को भी मैनेज किया जा सकता है।

इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष प्रकाश को ऐसे सबूत और फर्जी दस्तावेज दिखाए कि मनीष को पूरी तरह से यकीन हो गया कि वह किसी और की वजह से बड़े घोटाले में फंस गए हैं।

धीरे-धीरे साइबर अपराधियों द्वारा बताए गए अलग-अलग खातों में 28 लाख रुपये जमा हो गए। कुछ दिनों के बाद जब पीड़ित को साइबर अपराधियों के बारे में पता चला तो उसने साइबर थाने में जाकर मामला दर्ज कराया।

विदेशी सर्वर के माध्यम से ठगी की मिली जानकारी

मामला दर्ज होने के बाद जब CID ​​की Cyber ​​Crime Branch ने साइबर अपराधियों की तलाश शुरू की तो पता चला कि रांची और पश्चिम बंगाल से विभिन्न विदेशी सर्वर के जरिए ठगी की जा रही है।

तकनीकी सूचना टीम के सहयोग से CID ​​की Cyber ​​Crime Branch की टीम ने रांची के विशाल शर्मा, आशीष कुमार, अंकित अग्रवाल, योगेश अग्रवाल और पश्चिम बंगाल के विशाल शर्मा को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से हांगकांग, इंडोनेशिया और अमेरिका की करेंसी भी बरामद हुई है।

गुमला पुलिस ने 5 लाख के इनामी नक्सली रवि गंझू को गिरफ्तार किया,पुलिस की मानी जा रही है बड़ी उपलब्धि


गुमला:गुप्त सूचना के आधार की गुमला जिले के जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र में छापेमारी कर पुलिस ने

भाकपा माओवादी संगठन के 10 लाख के इनामी माओवादी जोनल कमांडर रवि गंझू को गिरफ्तार कर लिया है।

एसपी कार्यालय की ओर से गिरफ्तारी की पुष्टि की गई है। पुलिस थोड़ी देर में एसपी प्रेसवार्ता कर मामले का खुलासा करेंगे।

छापेमारी के दौरान अन्य माओवादी भागने में सफल

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गिरफ्तार माओवादी के पास से कोई हथियार बरामद नहीं किया गया है। बताया जाता है कि माओवादी रवि गंझू चतरा टंडवा क्षेत्र में सक्रिय था और शुक्रवार को अपने दस्ते के साथ क्षेत्र में पहुंचा था । इस दौरान पुलिस को गुप्त सूचना मिल गई। जिसके आधार पर पुलिस ने घेराबंदी शुरु कर दी और रवि गंझू को धर दबोचा। हालांकि इस दौरान दस्ता में शामिल अन्य माओवादी भागने में सफल रहे।

 पिछले वर्ष माओवादियों के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। जिसमें पांच लाख रुपये का इनामी माओवादी कमांडर लाजिम अंसारी और जोनल कमांडर बुधेस्वर उरांव को मार गिराया गया था। उसके बाद गुमला में माओवादी बैकफुट पर आ गए थे। हालांकि रविंद्र गंजू का दास्ता क्षेत्र में सक्रिय होकर बीच-बीच में छिटपुट घटनाओं को अंजाम दे रहा था। इस कारण रवि गंझू की गिरफ्तारी गुमला पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है।

 गिरफ्तार माओवादी से पूछताछ में अहम जानकारी मिलने की संभावना है। जिसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।