पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 127वीं जयंती की पूर्व संध्या पर बिस्मिल के वैचारिक अधिष्ठान और सशस्त्र क्रांति विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
गोरखपुर। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की 127वीं जयंती के पूर्व संध्या पर "बिस्मिल के वैचारिक अधिष्ठान और सशस्त्र क्रांति" विषयक संगोष्ठी का आयोजन
दाऊदपुर स्थित गुरुकृपा संस्थान के सभागार में किया गया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान, गोरखपुर की जेल में 19 दिसंबर 1927 को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा फांसी दिए जाने के पूर्व किए गए वैचारिक क्रांति, क्रांतिवीरों को एच.आर.ए. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोशिएशन के माध्यम से संगठित करने जैसा दुरूह कार्य, क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन हेतु साहित्य लेखन तक की यात्रा पर वक्ताओं ने विचार रखे।
अखिल भारतीय क्रांतिकारी सम्मान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन एच॰आर॰ए॰ भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था।
एच.आर.ए. की स्थापना में लाला हरदयाल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्रकैद की सज़ा दी गई।
उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर जिले के खिरनी मुहल्ले में जन्में रामप्रसाद अपने पिता मुरलीधर तथा माता मूलमती के दूसरे संतान थे। उनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष एकादशी तद्नुसार 11 जून 1897 को हुआ जबकि गोरखपुर जेल में ब्रिटिश शासन द्वारा फांसी दिए जाने से उनका बलिदान 19दिसंबर 1927 को हुआ।
संगोष्ठी का संचालन महेश चंद्र दूबे तथा अध्यक्षता अनिरूद्ध पांडेय एडवोकेट ने किया।
गोष्ठी में प्रमुख रूप से प्रदीप त्रिपाठी अश्वनी पांडेय, अभिषेक त्रिपाठी, घनश्याम पांडेय, उमेश राय, अजय कुमार, प्रमोद शुक्ला, इंद्रजीत गौंड, नीलेश पांडे, सुनील शुक्ला, संजय बरनवाल, राजेश्वरी, ममता, रमा, अमरेंद्र सिंह, बीरू दूबे आदि उपस्थित थे।
Jun 10 2024, 18:19