समाचार लेखन' विषय पर एड ऑन कोर्स/ सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ
गोंडा। श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के हिंदी विभाग ने 'समाचार लेखन' विषय पर एड ऑन कोर्स/ सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किया। महाविद्यालय के ललिता शास्त्री सभागार में 25 अप्रैल से 30 अप्रैल के मध्य प्रतिदिन 4 घंटे सैद्धांतिक एवं 01 घंटे प्रायोगिक वाले इस शिक्षण-प्रशिक्षण में विद्यार्थी पत्रकारिता की आधारभूत जानकारी के साथ समाचार लेखन की प्रविधि सीख सकेंगे।
कल गुरुवार को सभागार में प्रातः 8:00 बजे विद्यार्थियों के पंजीकरण के साथ उद्घाटन सत्र का प्रारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ पत्रकारिता के अंतर्गत समाचार लेखन विषयक कोर्स को संचालित करने के लिए हिंदी विभाग को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता देश-दुनिया और समाज को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। इस अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि पत्रकारों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करने और उसे मजबूत बनाने में ऐतिहासिक योगदान दिया है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कोर्स के अंतर्गत विद्यार्थियों को तन्मयता के साथ सीखने की सलाह दी।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र नाथ मिश्र ने उद्घाटन सत्र में 'समाचार क्या है' विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस धरती को खूबसूरत बनाने के लिए पत्रकारिता सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पत्रकारिता में समाज को सुंदर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि जाति, क्षेत्र, भाषा, भूगोल, रंग आदि भेदों को भुलाकर एक श्रेष्ठ पत्रकार बना जा सकता है।
प्रो. जय शंकर तिवारी ने समाचार लेखन का उद्भव और विकास समझाते हुए कहा कि कागज और छापाखाना की खोज के साथ ही पत्रकारिता का प्रारंभ होता है। भारत में सन् 1550 ई. में पुर्तगालियों द्वारा गोवा में और तमिलनाडु में प्रेस की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि भारत में समाचार पत्र का प्रारंभ अंग्रेज पत्रकार जेम्स आगस्टस हिकी की पत्रकारिता से होता है। इसके साथ ही यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत में समाचार लेखन का उद्भव सत्ता के प्रतिरोध से शुरू होता है। प्रथम हिंदी समाचार पत्र उदंत मार्तंड से लेकर हिंदी पत्रकारिता के वर्तमान रूप तक हुए विकास-क्रम को प्रोफेसर तिवारी ने समझाया।
कोर्स के संबंध में हिंदी विभाग के सहायक आचार्य अच्युत शुक्ल ने क्रमबद्ध ढंग से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम से आप बहुत-कुछ सीख सकेंगे। उद्घाटन सत्र का संचालन हिंदी विभाग की प्रवक्ता डॉ. मुक्ता टंडन ने किया। 'उद्घोष' दीवार पत्र के संपादकद्वय पुष्कर बाबू और जीतेशकांत पांडेय ने अपने संपादन अनुभव को साझा किया।
कोर्स के दूसरे दिन पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी ने समाचार लेखन के मूलभूत तत्त्वों की जानकारी दी। समाचार लेखन की प्रविधि समझाते हुए क्या, कौन, कहाँ, क्यों, कब, कैसे जैसे छह ककारों की पत्रकारिता में भूमिका समझाई। उन्होंने कहा कि समाचार तरह-तरह के होते हैं। जन संचार माध्यमों के बदलते परिदृश्य में पत्रकारिता का रूप-रंग भी बदला है।
श्री द्विवेदी ने कहा कि अच्छे समाचारों की विशेषता यह है कि वे यथार्थ, वस्तुपरक, निष्पक्ष और पत्रकारिता की आचार संहिता के अनुकूल हों।
पत्रकार को क्या नहीं लिखना चाहिए इसकी भी जानकारी आवश्यक है।
दूसरे सत्र में पत्रकार एस.एन. शर्मा ने पत्रकारिता में शीर्षकीकरण और इंट्रो को समझाया। उन्होंने कहा कि पत्रकार को भाषा-प्रयोग में सावधान होना चाहिए। फीचर, रिपोर्ताज और लाइव स्टोरी की अलग-अलग विशेषताओं को उन्होंने बताया।
लाइव रिपोर्टिंग, डेस्क रिपोर्टिंग, फोटो पत्रकारिता के अलग-अलग आयामों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि सूचना विस्फोट और सोशल मीडिया के इस दौर में भी प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता घटी नहीं है, बल्कि बढ़ती गई है।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र नाथ मिश्र और कोर्स के समन्वयक अच्युत शुक्ला ने आमंत्रित वक्ताओं का स्वागत किया। संचालन डॉ. मुक्ता टंडन और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. जय शंकर तिवारी ने किया।
Apr 26 2024, 18:45