पोषण पोटली नहीं आई काम , 12348 कुपोषित
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। कुपोषित बच्चों की हालत में सुधर नहीं हो रहा है। सुपोषण मिशन का कोई फायदा नहीं हो रहा है। हर महीने कुपोषितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पांच हजार से अधिक बच्चे अतिकुपोषित श्रेणी में हैं जबकि कुल कुपोषितों की संख्या 12 हजार 348 हो गई है।बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रहा है। इसके बावजूद कुपोषण के मामले कम नहीं हो रहे हैं। वर्ष 2014 में प्रदेश सरकार ने सुपोषण मिशन की शुरुआत की थी। आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन दिवस आयोजित किए जाने लगे। आंगनबाड़ी केंद्रों से गर्भवती महिलाओं और किशोरियों के पौष्टिक आहार, टीकाकरण आदि की व्यवस्ता की गई। इसके बाद भी कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी नहीं आई।आईसीडीएस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में कुपोषित बच्चों की संख्या जहां 10 हजार 540 थी जबकिफरवरी में यह बढ़कर 11 हजार 590 तक पहुंच गई। मार्च में हुए वजन दिवस के बाद 12 हजार 348 कुपोषित पाए गए। कुपोषण को खत्म करने के लिए शुरू की गई पोषण पोटली योजना भी कारगर नहीं साबित हो रही है। विभाग अब इसको बंद करने की तैयारी में कर रहा है।
पोषण पुनर्वास केेंद्र का भी मतलब नहीं
बच्चों के कुपोषण को खत्म करने के लिए जिला अस्पताल ज्ञानपुर में पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों से गंभीर अति कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। 10 बेड का केंद्र कभी कभार ही भरता है। कभी दो तो कभी तीन बच्चे ही यहां पहुंचते हैं। केंद्र के कर्मचारियों का कहना है कि आंगनबाड़ी एवं सहायिकाएं यहां बच्चों को लेकर नहीं आती। जिससे उनका उपचार नहीं हो पाता।
तीन महीने में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा
माह मैम सैम अति कुपोषित
जनवरी 4520 1520 4500
फरवरी 4859 1740 4999
मार्च 5335 1954 5059
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एक नजर आईसीडीएस विभाग
आंगनवाड़ी केंद्र- 1496
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- 1320
बच्चों की संख्या - 1,32, 805
आठ से 10 साल पूर्व कुपोषित बच्चों की संख्या 40 से 50 हजार तक होती थी। उस समय से काफी सुधार हुआ है। वर्तमान में मौसम बदला हुआ है, जिससे बच्चों की तबियत खराब चल रही है। इससे मार्च में मैम,सैम बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। - मंजू वर्मा , डीपीओ
Apr 17 2024, 13:43