सिद्धिदात्री की उपासना के साथ नवरात्र संपन्न

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। नवरात्र पर्व के नौ दिनों में मां अंबे के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना करने की परंपरा है। आज चैत्र शुक्ल नवमी है। इस दिन भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करते हैं।

पौराणिक ग्रंथों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना गया है। मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं।

शास्त्रों के मुताबिक माता की कृपा से ही देवी-देवताओं को भी सिद्धियां प्राप्त हुईं। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शंकर का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसके चलते उन्हें अर्द्धनारीश्वर की संज्ञा भी दी जाती है।देवी आराधना के पवित्र पर्व वासंतिक नवरात्र के नौवें दिन बुधवार को आदिशक्ति के सिद्धिदात्री स्वरूप की उपासना की गई। इसी के साथ भगवती आराधना के नौ दिनी अनुष्ठान का समापन हो गया।

नवरात्र में नौ दिन तक उपवास रखने वाले व्रतियों ने कन्या पूजन के साथ व्रत का पारण किया। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन बुधवार को जिले के देवी मंदिरों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। वैदिक मंत्रोच्चार और देवीगीतों से चप्पा-चप्पा भक्तिभाव में लीन नजर आया। छोटे से लेकर बड़े मंदिरों तक पर बड़ी संख्या में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने हवन-पूजन किया और मां भगवती से सुख-सौभाग्य की कामना की।

ज्ञानपुर से लगे घोपइला देवी मंदिर पर सुबह से ही दर्शन-पूजन और हवन आदि करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। मंदिर पर दिन के 11 बजे से कन्यापूजन और उन्हें भोजन कराने का सिलसिला शुरू हो गया, जो शाम तक चलता रहा। कुंवारी कन्याओं को भोजन कराकर व्रतियों ने उन्हें दक्षिणा और फल आदि का दान किया।

पोषण पोटली नहीं आई काम , 12348 कुपोषित

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। कुपोषित बच्चों की हालत में सुधर नहीं हो रहा है। सुपोषण मिशन का कोई फायदा नहीं हो रहा है। हर महीने कुपोषितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पांच हजार से अधिक बच्चे अतिकुपोषित श्रेणी में हैं जबकि कुल कुपोषितों की संख्या 12 हजार 348 हो गई है।बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रहा है। इसके बावजूद कुपोषण के मामले कम नहीं हो रहे हैं। वर्ष 2014 में प्रदेश सरकार ने सुपोषण मिशन की शुरुआत की थी। आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन दिवस आयोजित किए जाने लगे। आंगनबाड़ी केंद्रों से गर्भवती महिलाओं और किशोरियों के पौष्टिक आहार, टीकाकरण आदि की व्यवस्ता की गई। इसके बाद भी कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी नहीं आई।आईसीडीएस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में कुपोषित बच्चों की संख्या जहां 10 हजार 540 थी जबकिफरवरी में यह बढ़कर 11 हजार 590 तक पहुंच गई। मार्च में हुए वजन दिवस के बाद 12 हजार 348 कुपोषित पाए गए। कुपोषण को खत्म करने के लिए शुरू की गई पोषण पोटली योजना भी कारगर नहीं साबित हो रही है। विभाग अब इसको बंद करने की तैयारी में कर रहा है।

पोषण पुनर्वास केेंद्र का भी मतलब नहीं

बच्चों के कुपोषण को खत्म करने के लिए जिला अस्पताल ज्ञानपुर में पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों से गंभीर अति कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है। 10 बेड का केंद्र कभी कभार ही भरता है। कभी दो तो कभी तीन बच्चे ही यहां पहुंचते हैं। केंद्र के कर्मचारियों का कहना है कि आंगनबाड़ी एवं सहायिकाएं यहां बच्चों को लेकर नहीं आती। जिससे उनका उपचार नहीं हो पाता।

तीन महीने में कुपोषित बच्चों का आंकड़ा

माह मैम सैम अति कुपोषित

जनवरी 4520 1520 4500

फरवरी 4859 1740 4999

मार्च 5335 1954 5059

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एक नजर आईसीडीएस विभाग

आंगनवाड़ी केंद्र- 1496

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- 1320

बच्चों की संख्या - 1,32, 805

आठ से 10 साल पूर्व कुपोषित बच्चों की संख्या 40 से 50 हजार तक होती थी। उस समय से काफी सुधार हुआ है। वर्तमान में मौसम बदला हुआ है, जिससे बच्चों की तबियत खराब चल रही है। इससे मार्च में मैम,सैम बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। - मंजू वर्मा , डीपीओ

आपरेशन काॅरिडोर नहीं, हिचकोले खा मरीज

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय में ऑपरेशन कॉरिडोर न होने से मरीजों को ऑपरेशन थिएटर से ऊबड़-खाबड़ रास्तों से इमरजेंसी वार्ड तक ले जाया जाता है।

कॉरिडोर के लिए छह महीने पहले प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन मंजूरी नहीं मिल पाई है।जिला चिकित्सालय में हर दिन 800 से 900 मरीजों की ओपीड़ी होती है। हर महीने 10-15 ऑपरेशन किए जाते हैं। ज्यादातर ऑपरेशन प्रसव से संबंधी होते हैं। जनरल सर्जरी के मामले कम ही आते हैं।

आपरेशन के बाद मरीज को इमरजेंसी वार्ड में भेजना पड़ता है। जिला चिकित्सालय की बिल्डिंग पुरानी है। यहां संसाधनों की कमी है। ऑपरेशन थियेटर से इमरजेंसी की दूरी लगभग 80 मीटर है। यह रास्ता ऊबड़-खाबड़ है। चिकित्सकों का कहना है कि दोनों के बीच कॉरिडोर होना चाहिए। कॉरिडोर नहीं होने से आपरेशन के बाद मरीजों को परेशानी होती है।

वर्जन:

पूर्व में भेजा गया प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो सका। कॉरिडोर के लिए कार्ययोजना शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरु किया जाएगा। पुरानी बिल्डिंग होने के कारण तमाम समस्याएं है, जिसे समाधान किया जा रहा है। -- डॉ. राजेंद्र कुमार, सीएमएस

घोप‌इला मंदिर पर 19 को भंडारे में हो शामिल

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। ज्ञानपुर क्षेत्र स्थित घोप‌इला मंदिर में 19 अप्रैल को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

गांव निवासी राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि चैत्र नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक दर्शन - पूजन को बड़ी तादाद में लोग आते हैं। प्रत्येक की तरह इस साल भी 19 अप्रैल को शाम को चार बजे से लेकर देर रात तक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

सहालग में भरेगा उड़ान, सामानों के सज ग‌ए बाजार

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। चैत्र नवरात्र शुरू होने के साथ ही खरमास का भी समापन हो गया। 18 अप्रैल से शादी - विवाह का सीजन शुरू हो रहा है। शुभ लगन केवल अप्रैल माह तक ही है, लेकिन म‌‌ई जून में भी जमकर शादियां होगी। ऐसे में कारोबार को बुस्टर डोज की उम्मीदें हैं। इसे लेकर जनपद में बाजार सज गए हैं।

बता दें कि इस साल ठंड के सीजन में भी शादियों की धूम थी। लेकिन गांवों में अधिकांश लोग अप्रैल व म‌ई माह में ही शादियां करते हैं। उसका कारण रबी फसलों की कटाई - मड़ाई के बाद खेतों का खाली होना, महानगरों में बच्चों की छुटियां होने पर प्रवासियों का आना होता है। शादियों के सीजन में सूबे के सबसे छोटे जनपद भदोही में करोड़ों का कारोबार होता है।

इससे लाभान्वित होने वाले कारोबारियों में होटल, ढाबा, मैरिज लाॅन संचालक, आभूषण कारोबारी, कैटरिंग,टेंट कारोबारी आदि है। उधर,इस साल अप्रैल में ही शुभ मुहूर्त है।

मां दुर्गा का मोहक रुप है देवी महागौरी, इनकी पूजा से बढ़ती है सकारात्मक ऊर्जा

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही।नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रुप श्री महागौरी है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था।

तभी से इन्हें उज्ज्वला स्वरुपा महागौरी,धन ऐश्वर्य प्रदायिनी,चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। मां दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी महागौरी है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है।

मां गौरी का ये रुप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है‌। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल हैं। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।

इनका स्वभाव अति शांत है।नैत्र नवरात्र के आठवें दिन मंगलवार को आदि शक्ति मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी विधि-विधान से पूजी गईं। देवी मंदिरों से लेकर लोगों के घरों तक देवी मंत्रों से गांव और नगर गुंजायमान रहे। घंट-घड़ियाल की आवाज से पूरा वातावरण देवीमय हो गया।

कड़ी धूप के बाद भी आस्था में डूबे भक्त मां की एक झलक पाने को बेताब रहे। साधकों ने मां जगत जननी जगदंबा के महागौरी के स्वरूप में पूजन -अर्चना की। देवी मंदिरों में दर्शन पूजन में भक्तों की सुबह से ही लंबी कतार लगी रही।

अष्टमी पर ज्यादातर देवी भक्तों ने व्रत रखा और वे माता रानी के पूजन- अर्चन में लगे रहे। नगर के घोपइला माता मंदिर पर भोर से ही आदि शक्ति के दर्शन को भक्तों की कतार लगी रही शुक्रवार को घोपइला मंदिर में भंडारे का आयोजन किया गया है। जिसमें भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ेगी।

*धूप से खेत में झुलस रही सब्जी फसल*

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। धूप से सब्जी की फसल झुलस रही है। सिंचाई के दो दिन बाद ही खेतों में दरार पड़ जा रही है। झुलस रही सब्जी फसल को किसान कैसे बचाएं यह चिंता सताए जा रही है।

यही नहीं, खेतों में ज्यादा पानी छोड़े जाने से सब्जी का फल सड़कर खराब हो रहा है। सब्जी की सिंचाई को लेकर किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। चिलचिलाती धूप में किसान सब्जी सफल कैसे बचाएं यह समझ नहीं पा रहे हैं। खेत की गहरी भराई करने पर सब्जी फल सड़ जा रहा है। हल्की सिंचाई से दो दिनों में ही खेत सूख जा रहा है। ऐसे में कृषक बार - बार सब्जी फसल की सिंचाई करने पर विविश हो रहें हैं। इन दिनों मौसम की मार से भिंडी,करेला, कद्दू, नेनुआ, लौकी,की फसल ज्यादा प्रभावित हो रही है।

तीखी धूप आंखों के लिए घातक, बरतें सावधानी,सावधानी न रखने पर इंफेक्शन का खतरा

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। अप्रैल माह आधा बीत गया है। इसके साथ ही मौसम का मिजाज भी पूरी तरह से बदल चुका है। तीखी, धूप, गर्मी व उमस ने कहर ढाया शुरू कर दिया है। ऐसे में आंखों के प्रति थोड़ी सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। इन दिनों आंखों में एलर्जी आम बात हो जाता है।

जरुरत पर चिकित्सकों से परामर्श लेकर इससे बच सकते हैं। ज्ञानपुर के महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय के नेत्र विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि भीषण गर्मी में तीखी धूप आंखों के लिए नुकसानदायक होती है। इससे बचना ही एक मात्र सबसे अच्छा उपाय है।

उन्होंने बताया कि इस इस दिनों आंखों में एलर्जी, खुजलाहट, पानी गिरना,फंगल इंफेक्शन, कीड़े रेगना आदि की शिकायतें आ रही है। इससे संबंधित मरीज को रात में नीदें नहीं आती। अधिक देर रात तक मोबाइल रात में भी देखना नुकसानदायक होता है। उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए चश्मा जरुर पहनें।

गर्म हवा व लू से बचाव को लेकर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एडवाइजरी जारी

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार अप्रैल व जून माह में अधिक तापमान रहने के साथ ही हीट व चलने की संभावना है। इसे लेकर जिलाधिकारी विशाल सिंह द्वारा समस्त अधिकारियों को होट वेव से बचाव के लिए विभागवार दायित्व जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया। वहीं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भदोही द्वारा एडवाइजरी जारी कर लू से बचाव के उपाय, लक्षण व उपचार आदि के बारे में बताया है।

जिलाधिकारी विशाल सिंह ने अपील करते हुए कहा है कि जनसामान्य लू से बचाव को लेकर बताये उपायों को अमल में लायें और अपना बचाव करें ।अपर जिलाधिकारी/प्रभारी अधिकारी दैवीय आपदा श्री कुंवर वीरेन्द्र मौर्य ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार अप्रैल माह में अधिक तापमान रहने की संभावना है तथा हीट वेव चलने की संभावना है। ऐसे में हीटवेब(लू) से बचाव के लिए आवश्यक एहतियातें बरती जायें तथा सुरक्षात्मक उपायों को अपनाया जाये।

आपदा लिपिक ने बचाव के तरीके बताते हुए कहा कि गर्मी हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके। उन खिड़कियों व दरवाजों पर, जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आतीं हैं, काले परदे लगाकर रखना चाहिए। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। बच्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़ें। जहां तक सम्भव हो घर में ही रहें तथा सूर्य के ताप से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें। संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें। मादक पेय पदार्थों का सेवन न करें। घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें।

उन्होंने बचाव के बारे में बताते हुए कहा कि धूप में खड़े वाहनों में बच्चों या पालतू जानवरों को न छोड़ें।

खाना बनाते समय घर के खिड़की दरवाजे आदि खुले रखें जिससे हवा का आना जाना बना रहे। नशीले पदार्थों, शराब अथवा अल्कोहल से बचें। उच्च प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें तथा बासी भोजन कतई न इस्तेमाल करें इसके साथ ही संतुलित व हल्का आहार लें। दोपहर के समय यदि बहुत आवश्यक हो तभी घर से धूप में बाहर निकलें अन्यथा धूप में जाने से बचें और यदि जाना ही पड़े तो सिर को जरूर ढकें। घर में पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छांछ, मट्ठा, बेल का शर्बत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आम का पना इत्यादि का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि अभी आगे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा इसलिए गर्मी से बचाव के लिए विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए।

कब लगती है लू

गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्लूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग,, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसंस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सावधान रहें।

लू के लक्षण

गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में  तेजी,व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना  अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है।

कागजों पर फाॅगिंग, गांवों में दवाओं का छिड़काव नहीं

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिले में गर्मी के साथ मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। निकाय क्षेत्रों से लगायत ग्रामीण इलाकों में मच्छरों के कारण संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विभाग ने अभी से संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन फॉगिंग के नाम पर केवल कोरमपूर्ति हो रही है। निकाय क्षेत्रों में केवल कागजों पर फॉगिंग कराई जा रही है।

ग्रामीण इलाकों में अब तक दवाओं का छिड़काव नहीं शुरू हो सका है।जिले में पिछले साल डेंगू के रिकार्ड मरीज सामने आए थे। बीते पांच साल में सबसे अधिक 2023 में 280 डेंगू के मरीज मिले थे। जिले की सात निकायों में कुल साढे तीन लाख और 546 ग्राम पंचायतों में 16 लाख की आबादी रहती है। जिले में गर्मी बढ़ने के बाद पिछले कुछ दिनों से मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। मच्छर के काटने से डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड समेत अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है।

इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग अभी से अलर्ट मोड पर भी आ गया है और गांव-गांव संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रहा है, लेकिन इसके उलट अब तक गांवों में दवाओं का छिड़काव शुरू नहीं हो सका है। दूसरी तरफ निकायों की भी वहीं स्थिति है। जिले की सात निकायों में कुछ को छोड़कर अन्य में केवल कागजों पर फॉगिंग कराई जा रही है। इससे मच्छरों को पनपने का डर बना हुआ है। निकायों के साथ ग्रामीण अंचलों में जगह-जगह फैले कचरे इसकी आशंका को बढ़ावा दे रहे हैं। विभाग के अनुसार संक्रामक रोगों का खतरा मानसून के सीजन में सबसे अधिक होता है, लेकिन अगर पहले से तैयारियां पुख्ता रहे तो मानसून सीजन में संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका कम रहेगी।

संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है। अभी तक हर विभाग की रिपोर्ट अच्छी मिली है। फॉगिंग भी नियमित रूप से हो रही है। यदि कहीं नहीं की जा रही है, तो इसे लेकर निकाय प्रशासन से बातचीत की जाएगी। - राम आसरे पाल, जिला मलेरिया अधिकारी, भदोही।