मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच हो : माले

लखनऊ। भाकपा (माले) ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की बांदा में मौत की न्यायिक जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि अंसारी की मौत हत्या भी हो सकती है, इसलिए सच्चाई को सामने लाने के लिए न्यायिक जांच जरुरी है।राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि मौत से पहले पूर्व विधायक ने अदालत में एक बार कहा था कि उन्हें मारने के लिए खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है, जिससे वे अस्वस्थ हो गए थे।

पिछले दिनों जब इलाज के लिए उन्हें बांदा के मेडिकल कालेज में भर्ती किया गया था, तब उनके बड़े भाई व सांसद अफजाल अंसारी ने उनसे मिलने के बाद कहा था कि मुख्तार को जहर देकर मारने की कोशिश की जा रही है। ताकि वे माफिया ब्रजेश सिंह के खिलाफ गवाही न दे सकें, क्योंकि मुख्तार की गवाही होने पर ब्रजेश को सजा हो सकती है।

सांसद ने आरोप लगाया था कि मुख्तार को मारने की साजिश में जेलकर्मी, अफसर व सरकार की संलिप्तता है। इसी बीच मुख्तार की मौत और घटना में परिस्थिति जन्य साक्ष्य से उनकी हत्या की आशंका प्रबल हो जाती है। इसलिए मामले में न्याय करने के लिए निष्पक्ष और उच्च स्तरीय न्यायिक जांच हो। सरकार द्वारा घोषित मजिस्ट्रेटी जांच अपर्याप्त है।

मुख्तार की मौत को अखिलेश ने बताया सरकारी अराजकता, स्वामी प्रसाद ने साजिश की जतायी आशंका

लखनऊ। मुख्तार अंसारी की मौत को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकारी अराजकता करार दिया है और इसे यूपी में कानून व्यवस्था का शून्य काल बताया है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्या ने एक्स पर लिखा कि स्वाभाविक हत्या नहीं, यह साजिश प्रतीत होता है।अखिलेश यादव ने अपने ‘एक्स’ पर लिखा,‘ हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

’ उन्होंने आगे लिखा,‘ - थाने में बंद रहने के दौरान - जेल के अंदर आपसी झगड़े में - जेल के अंदर बीमार होने पर - न्यायालय ले जाते समय - अस्पताल ले जाते समय - अस्पताल में इलाज के दौरान - झूठी मुठभेड़ दिखाकर - झूठी आत्महत्या दिखाकर - किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वह पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी है। जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।”

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा, “स्वामी यह स्वाभाविक मौत नहीं हत्या की साजिश प्रतीत होती है, पहले डाक्टरों के पैनल ने अस्पताल से डिस्चार्ज किया और कुछ घंटो बाद ही उनकी मौत, पारिवारिजनों द्वारा लगाए गये हत्या की साजिश की पुष्टि करती है। अतः पूरे घटना क्रम की जांच मा. उच्च न्यायालय की देखरेख में होना चाहिए यहाँ तक कि पोस्टमार्टम भी मा. उच्च न्यायालय के किसी जज के अभिरक्षण में ही किया जाना चाहिए, जिससे कि न्याय का गला घोटने वालों का चेहरा बेनक़ाब हो सके तथा थानो, जेलों, पुलिस अभिरक्षण में साजिशन किये जा रहे इस प्रकार के हत्याओं के फैशन पर विराम लग सके।

मुख्तार के अंत से मऊ समेत पूर्वांचल की राजनीति से माफियावाद भी हुआ रुखस्त

लखनऊ। सदर के पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। फिलहाल वह बांदा जेल में बंद थे और काफी बीमार चल रहे थे। हाल ही में उनको बांदा के मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत स्थिर होने पर फिर से उन्हें मंडल कारागार बांदा भेज दिया गया था। मुख्तार अंसारी मऊ से रिकॉर्ड पांच बार विधायक रहे और कई मामलों में सलाखों के पीछे चल रहे थे।उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को माफिया मुख्तार का गढ़ मना जाता रहा है। माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के ऊपर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से लेकर दंगे तक के लगभग 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से कई मुकदमों में उसे सजा भी हो चुकी थी।

1996 से शुरू हुई सक्रिय राजनीति का 2022 में अंत

90 के दशक में गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी और जौनपुर में सरकारी ठेकों को लेकर गैंगवार शुरू हो गए थे। इस दौर में इन जिलों में सबसे चर्चित नाम रहा मुख्तार अंसारी का। मुख्तार अंसारी 1996 में पहली बार बसपा से मऊ सदर से विधायक बना और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुख्तार ने मऊ को अपना गढ़ बनाया और यहां से लगातार पांच बार 2022 तक विधायक रहा। मुख्तार अंसारी ने 2002 में बसपा से टिकट न मिलने पर निर्दल मऊ सदर से चुनाव लड़ने का फैसला किया और जीत हासिल की। उसके बाद उसने अपनी खुद की पार्टी का गठन किया और कौमी एकता दल के नाम से चुनाव मैदान में उतर गया और लगातार दो बार जीत हासिल की।

2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार ने एक बार फिर बसपा का दामन थामा और अपनी पार्टी कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर लिया और जीत हासिल की। 2022 में विधान सभा चुनाव में किन्ही कारणों से उसने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इस सीट पर अपने बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा और मुख्तार की विरासत मऊ सदर पर अब्बास ने जीत हासिल कर ली।30 जून 1963 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में सुबहानउल्लाह अंसारी और बेगम राबिया के घर जन्में मुख्तार अंसारी तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी से मुख्तार के दो बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी हैं।

पूर्वांचल का माफिया और राजनीति का मुख्तार

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के लगभग दो दर्जन लोकसभा और 120 विधानसभा सीटों पर माफिया मुख्तार अंसारी का सीधा या आंशिक प्रभाव माना जाता रहा है। कभी पूर्वांचल के वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी।इन जिलों में मुख्तार अंसारी और इसके कुनबे का दबदबा माना जाता रहा है। यही वजह थी कि कभी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तो कभी मायावती ने मुख्तार को अपनाया। मायावती ने तो मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा तक कह डाला।किसी जमाने में महात्मा गांधी के करीबी रहे मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। वहीं मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान महावीर चक्र विजेता रहे। मुख्तार अंसारी के पिता भी अपने समय के बड़े नेताओं में शुमार रहे।

मऊ को बनाया अपना गढ़

कभी जिसके नाम की तूती पूर्वांचल के दर्जनों जिले में बोलती थी आज उसका नाम अपने नाम के साथ जोड़ने को लोग कतरा रहे हैं। लोग कहते हैं कि अस्सी और नब्बे के दशक में जिस माफिया मुख्तार अंसारी के नाम से सरकारी ठेके खुला करते थे, अवैध वसूली हुआ करती थी। कभी जिसका करीबी होना लोग शान समझते थे आज उस माफिया मुख्तार अंसारी के नाम को अपने नाम के साथ जोड़ने से लोग कतरा रहे हैं। 90 के दशक से शुरू हुआ मुख्तार का रसूख 2017 तक आते-आते ध्वस्त होना शुरू हुआ और आलम यह रहा की योगी सरकार के अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे हैं मुहिम में 2024 तक माफिया मुख्तार की लगभग 500 करोड़ की संपत्ति या तो जब्त की जा चुकी है या उस पर बुलडोजर चलाया जा चुका है।

राजूपाल हत्याकांड के छह दोषियों को उम्रकैद, एक को चार साल की सजा

लखनऊ। बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड के सभी सात आरोपितों को लखनऊ के स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने छह दोषियों को उम्रकैद और एक को चार साल की सजा सुनाई है।

पुलिस हिरासत में मारे गए अतीक अहमद और अशरफ भी राजू पाल हत्याकांड में नामजद थे। जिंदा बचे सात आरोपितों- आबिद, फरहान, जावेद, अब्दुल कवी, गुल हसन, इसरार और रंजीत पाल को दोषी करार दिया गया है। इनमें से आबिद, जावेद, अब्दुल कवी, गुल हसन, इसरार और रंजीत पाल को आजीवन कारावास और 50-50हजार रुपये की सजा सुनाई गई है। वहीं फरहान को अवैध हथियार रखने का दोषी माना गया है। उसे चार साल की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा हुई है।

उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी 2005 को तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज के धूमनगंज में ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस जांच में सामने आया था कि विधानसभा चुनाव में माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराने के कारण राजूपाल की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड में माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ भी दोषी थे, लेकिन कुछ युवाओं ने प्रयागराज में उनकी हत्या कर दी थी।

मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत मामले की उच्च स्तरीय जांच हो : मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत मामले की उच्च-स्तरीय जांच की मांग सरकार से की है।पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि मुख़्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं उनकी उच्च-स्तरीय जांच जरूरी है, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक। कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।

मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच करवाए यूपी सरकार : रामगोपाल यादव

लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर न्यायिक जांच की मांग करते सरकार पर निशाना साधा है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखते हुए पूर्व विधायक माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच करवाए जाने की मांग करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जिन परिस्थितियों में मृत्यु हुई वह अत्यंत चिंताजनक है।

उन्होंने न्यायालय ने अर्जी देकर पहले ही जहर के द्वारा अपनी हत्या की आशंका व्यक्त की थी। मौजूदा व्यवस्था में न तो कोई जेल में सुरक्षित, न पुलिस कस्टडी में और न ही अपने घर में सुरक्षित है। प्रशासनिक आतंक का माहौल पैदा करके लोगों को मुंह बंद रखने को विवश किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से सवाल करते हुए लिखा है क्या मुख्तार अंसारी के द्वारा न्यायालय ने दी गई अर्जी के आधार पर कोई न्यायिक जांच के आदेश करेगी यूपी सरकार?।

एंबुलेंस कांड से बाराबंकी में खुला था मुख्तार का आपराधिक खाता, बाराबंकी के फर्जी पते पर खरीदी थी एंबुलेंस

लखनऊ। मुख्तार अंसारी का बाराबंकी जिले में आपराधिक खाता दो अप्रैल 2021 को एंबुलेंस कांड से खुला था। इसी क्रम में मुख्तार अंसारी व उसके गिरोह के बदमाशों पर दूसरा मुकदमा 25 मार्च 2022 को दर्ज किया गया, जिसमें मऊ, गाजीपुर, लखनऊ और प्रयागराज के 12 बदमाशों को नामजद किया गया। बहुचर्चित एंबुलेंस कांड से जुड़े इन दोनों मुकदमों में पुलिस ने मुख्तार सहित सभी आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।

31 मार्च 2021 को पहली बार यह एंबुलेंस चर्चा में आई

गाजीपुर जिले के यूसुफपुर मोहम्मदाबाद का मूल निवासी मुख्तार अंसारी पंजाब जेल में निरुद्ध होने के दौरान निजी एंबुलेंस यूपी 41 एटी 7171 का प्रयोग करता था, जिससे वह न्यायालय पेशी पर जाता था। इसमें उसके साथ असलहाधारी बदमाश रहते थे। 31 मार्च 2021 को पहली बार यह एंबुलेंस चर्चा में आई, जिसके बाद दो अप्रैल 2021 दो तत्कालीन एआरटीओ पंकज सिंह ने मऊ के श्याम संजीवनी अस्पताल की संचालिका डा. अल्का राय पर जालसाजी का मुकदमा लिखाया था। 21 मार्च 2013 में पंजीकृत यह एंबुलेंस बाराबंकी कोतवाली नगर के मुहल्ला रफीनगर के मकान नंबर 56 के पते पर पंजीकृत कराई गई थी। पते के लिए लगाए गए वोटर कार्ड का सत्यापन किया गया तो पता ही गलत मिला। तत्कालीन सीओ नवीन सिंह इस एंबुलेंस को पांच अप्रैल 2021 को पंजाब से बाराबंकी लेकर आए थे, जो अब कोतवाली नगर के मालखाना में है।

चार जुलाई 2021 को पुलिस ने सभी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया

मुकदमे की विवेचना में पुलिस ने मुख्तार अंसारी को आइपीसी की धारा 120 (बी) के तहत साजिशकर्ता करार देकर नामजद किया था और इसके बाद उसके गिरोह के अन्य बदमाशों का नाम प्रकाश में आता गया। चार जुलाई 2021 को पुलिस ने सभी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इसके बाद 25 मार्च 2022 में तत्कालीन नगर कोतवाल सुरेश पांडेय ने मुख्तार व उसके 12 साथी बदमाशों पर गैंगस्टर का मुकदमा कराया। गिरोह के सदस्यों की करोड़ों की संपत्ति को भी गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत कुर्क किया जा चुका है।

यह लोग हुए नामजद

गैंगस्टर के मुकदमे में मऊ जिले के बलिया मोड़ स्थित श्याम संजीवनी अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की संचालिका डा. अल्का राय, डा. शेषनाथ राय, थाना सरायलखंसी के अहिरौली निवासी राजनाथ यादव, ग्राम सरवां के आनंद यादव, गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद के मंगलबाजार यूसुफपुर के सुरेंद्र शर्मा, सैदपुर बाजार मुहल्ला रौजा के मो. शाहिद, फिरोज कुरैशी, अफरोज उर्फ चुन्नू, जफर उर्फ चंदा, सलीम, प्रयागराज के थाना करेली के वसिहाबाद सदियापुर के मो. सुहैब मुजाहिद और लखनऊ के वजीरगंज थाना के लारी हाता कालोनी के मो.जाफरी उर्फ शाहिद को नामजद किया गया। दोनों मुकदमों में न्यायालय में सुनवाई हो रही है

श्याम संजीवनी अस्पताल के नाम मुख्तार लिया था एम्बुलेंस

मुख्तार अंसारी मऊ की श्याम संजीवनी हॉस्पिटल के नाम पर एम्बुलेंस ले लिया था। इसका प्रयोग वह जेल से पेशी में जाने में करता था। पंजाब के रोपण जेल से मोहाली कोर्ट जाने में मुख्तार अंसारी ने इस ऐंबुलेंस का प्रयोग किया था। जिसका पंजीकरण बाराबंकी परिवहन विभाग में होना पाया गया। जांच के दौरान पता चला कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे वर्ष 2013 में ऐंबुलेंस बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी। बाराबंकी संभागीय परिवहन विभाग ने जब इस ऐंबुलेंस की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि इसका रिनिवल ही नहीं कराया गया था और दस्तावेजों में डॉ. अल्का राय की फर्जी वोटर आईडी से पंजीकृत पाई गई। मामले में मुख्तार अंसारी समेत 12 अन्य लोगों पर जालसाजी और गैंगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। जिस मुकदमे में आरोपियों की संपत्तियों पर कुर्की की कार्रवाई की गई।

भाजपा की लहर में भी बाहुबली मुख्तार अंसारी ने दर्ज की थी बड़ी जीत, अब खत्म हो गया माफिया का किरदार

लखनऊ। कभी हार न मानने वाले, कभी न हारने वाले मुख्तार अंसारी आखिरकार जिंदगी और मौत की जंग में हार गया। इसी के साथ उसके किरदार का भी अंत हो गया। यूपी 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर होने के बादजूद मुख्तार अंसारी ने जीत की कुर्सी अपने नाम की थी। बाहुबली मुख्तार अंसारी ने बीजेपी के सहयोगी दल के प्रत्याशी महेंद्र राजभर को 7464 मतों से करारी शिकस्त दी थी। महेंद्र भाजपा के सहयोगी दल भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार थे। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर दिया गया था।

पहली बार मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर ही विधानसभा चुनाव जीता था।फिर जीत का सिलसिला जारी रहा। दो बार मुख्तार निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरा और जीता भी था। एक बार फिर 2007 में मुख्तार बसपा में शामिल हो गया। आपराधिक मामले सामने आऩे के बाद 2010 में बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया था। इसी बाद मुख्तार अपने भाइयों के साथ मिलकर कौमी एकता दल का गठन किया। जिसके बाद साल 2012 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कौमी एकता दल के टिकट पर मऊ सीट से जीत हांसिल की थी। मुख्तार अंसारी पर 65 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उसकी शस्त्र लाइसेंस, गैंगेस्टर, मन्ना सिंह व गवाह हत्याकांड, विधायक निधि सहित की मामलों में एमपी एमएलए कोर्ट में पेशी चल रही थीं।

तीन माह मथुरा जेल में रहा था मुख्तार ,मऊ दंगे में गाजीपुर से मथुरा जेल भेजा गया था अंसारी

लखनऊ। माफिया मुख्तार अंसारी मथुरा जेल में भी तीन माह बंद रह चूका है। मऊ दंगे में उसे यहां स्थानांतरित किया गया था। मऊ में 14 अक्टूबर 2005 में भरत मिलाप कार्यक्रम के दौरान दंगा भड़क गया था। आरोप लगा था कि तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी के इशारे पर सामूहिक दुष्कर्म का फर्जी मुकदमा मऊ कोतवाली में दर्ज कराया गए था। इस मामले में वर्ष 2010 में तीन माह तक जिला कारागार में मुख़्तार अंसारी को रखा गया था।

मुख्तार को गाजीपुर जेल से यहां शिफ्ट किया गया और 17 नंबर बैरक में रखा गया था। उसके बाद आगरा जेल शिफ्ट कर दिया गया था। मथुरा जेल में तीन नंबरदारों की ड्यूटी सुरक्षा को लगाई गई थी। इसके बाद भी मुख्तार को हमेशा अपनी जान का खतरा रहता था। यहां उनके भाई अफजाल अंसारी मुलाकात को आए और उनके पास टिफिन में मीट था, जिसे मुख्तार को खिलाना चाहते थे। मगर, उस वक्त तैनात अधीक्षक एक महिला थीं , उन्होंने अफजाल अंसारी को मय टिफिन अंदर नहीं जाने दिया। यह मामला अफजाल ने संसद में उछाला और प्रोटोकाल न दिए जाने की शिकायत की थी।

माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, प्रदेश में बढ़ाई गई सुरक्षा

लखनऊ। यूपी की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई। जेल की बैरक में मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब होने पर जेल प्रशासन रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले आया जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। सूचना मिली कि मुख्तार को आईसीयू से सीसीयू में भर्ती करना पड़ा। यहां मुख्तार के इलाज में 9 डॉक्टरों की टीम लगी थी। मुख्तार अंसारी की मौत से जुड़ी खबर आने के बाद मऊ और गाजीपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है जबकि राज्य भर में धारा 144 लागू कर दी गई।

उल्टी की शिकायत होने के बाद अस्पताल में कराया गया भर्ती

मुख्तार की मौत के बाद जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया कि आज शाम 8:25 बजे बंदी मुख्तार अंसारी को उल्टी की शिकायत के बाद बेहोशी की हालत में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया। नौ डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में लगी थी लेकिन भरसक प्रयास के बावजूद हार्ट अटैक आने से मुख्तार की मौत हो गई।दूसरी ओर, लखनऊ में 5 केडी मुख्यमंत्री आवास पर चल रही बड़ी बैठक चल रही है जिसमें डीजीपी प्रशांत कुमार, एडीजी एलओ अमिताभ यश भी मौजूद हैं। मुख्यमंत्री आवास से घटनाक्रम पर पैनी नजर रखी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसी भी हाल में अप्रिय घटना न हो, इसके लिए निर्देश दिये हैं।

देर रात में जारी किया गया मौत का बुलेटिन

इससे पहले गुरुवार शाम जेल में मुख्तार अंसारी की तबीयत फिर से खराब होने की जानकारी मिलने पर जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल, पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल कई थानों की पुलिस के साथ मंडल कारागार पहुंचे। करीब 40 मिनट तक जेल के अंदर सभी अधिकारी रहे। अंदर क्या हो रहा है किसी को कोई जानकारी नहीं मिली। चासीस मिनट बाद एम्बुलेंस आई जिसमें मुख्तार अंसारी को रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। हार्ट अटैक की खबर सामने आने पर मेडिकल कॉलेज के बाहर मीडिया का हुजूम लग गया। देर रात में उनकी मौत होने की खबर सामने आई।

सोमवार की रात को पेट में दर्द होने पर कराया गया था भर्ती

सोमवार की रात मुख्तार मुख्तार को पेट दर्द की शिकायत पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। जहां डॉक्टर ने उसे कब्जियत बताकर एनिमा लगाया था। उसे 14 घंटे तक मेडिकल कॉलेज में रखकर देर शाम उसी दिन जेल में शिफ्ट कर दिया गया। बुधवार को जिला अस्पताल के डॉक्टर के पैनल ने उसकी पुनः जांच की थी। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया था कि उसकी हालत में सुधार हो रहा है, उसे कुछ दवा भी दी गई। इस बीच एमपी एमएलए कोर्ट ने भी मुख्तार के स्वास्थ्य के बारे में संज्ञान लेते हुए जेल अधीक्षक से मेडिकल रिपोर्ट तलब की थी।

भाई ने खाने में मुख्तार को जहर देने का लगाया था अारोप

जानकारी के लिए बता दें कि जिस दिन मुख्तार की हालत बिगड़ी थी उस दिन परिवार के लोग भी उसे देखने आए थे। यहां मीडिया के समक्ष मुख्तार के बेटे उमर अंसारी एवं भाई अफजाल अंसारी ने खाने में मुख्तार को जहर देने का आरोप लगाया था। इसके पहले मुख्तार के वकील ने बाराबंकी कोर्ट में भी मुख्तार के हवाले से खाने में जहर देने का आरोप लगाया था लेकिन जेल प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। अब उनकी मौत से तमाम तरह के सवाल फिर उठ रहे हैं।

मनबढ़ किस्म का मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गैंग से जुड़ा

मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ था। एक अच्छा क्रिकेटर रहा मनबढ़ किस्म का मुख्तार 80 के दशक में साधु-मकनू गैंग से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर जरायम जगत की बारीकियों को समझा और धीरे-धीरे खुद का अपना गैंग खड़ा कर माफिया सरगना बन गया। वर्ष 1997 में मुख्तार अंसारी का अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) पुलिस डोजियर में दर्ज किया गया। 25 अक्तूबर 2005 को मुख्तार जेल की सलाखों के पीछे गया तो फिर बाहर नहीं निकल पाया। इस बीच वर्ष 1996 से 2022 तक वह मऊ सदर विधानसभा से पांच बार लगातार विधायक चुना गया।

आठ बार हुई सजा 18 महीने में मुख्तार को

जानकारी के लिए बता दें कि मुख्तार अंसारी को 21 सितंबर 2022: मारपीट, धमकाने सहित अन्य आरोपों में लखनऊ के आलमबाग थाने में दर्ज मुकदमे में सात वर्ष की कठोर कारावास की सजा और 37 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। इसके बाद 23 सितंबर 2022: लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। इसी प्रकार से 15 दिसंबर 2022: गाजीपुर के कोतवाली थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष की सजा। 5 लाख रुपये जुर्माना। 29 अप्रैल 2023: गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 वर्ष की सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये जुर्माना।

5 जून 2023: वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज हत्या मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा। 1 लाख रुपये जुर्माना। 27 अक्तूबर 2023: गाजीपुर के करंडा थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में मुख्तार अंसारी को 10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा। पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया। 15 दिसंबर 2023: वाराणसी के भेलूपुर थाने में दर्ज धमकाने के मामले में 5 वर्ष 6 माह की कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना। 13 मार्च 2024: धोखाधड़ी, कूटरचना व आपराधिक साजिश और आयुध अधिनियम के तहत उम्रकैद की सजा। 2.02 लाख रुपये जुर्माना।