अब अजमेर शरीफ पर बवाल! दरगाह में शिव मंदिर पर क्या हैं दोनों पक्षों के दावे

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यूपी के संभल जिले में मस्जिद के सर्वे के बाद बवाल मचा हुआ है। इसी बीच राजस्थान के अजमेर शरीफ को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। जिसके बाद यूपी के संभल में स्थित जामा मस्जिद के बाद अब राजस्थान के अजमेर में दरगाह शरीफ का सर्वे हो सकता है। एक निचली अदालत ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था। याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई थी।

हिंदू सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा 25 सितंबर को अजमेर न्यायालय में अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा करते हुए वाद दायर किया था।अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हिंदू संकट मोचन मंदिर तोड़कर बनाने का दावा अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने एएसआई दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामला विभाग को नोटिस भेजा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर रखी गई है। दूसरे पक्ष को सुना जाएगा और इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जानी है। बुधवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा कि इससे संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है

क्यों शुरू हुआ विवाद?

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इसी साल सितंबर के महीने में अजमेर दरगाह केस से जुड़ी याचिका अदालत में दायर की थी। मगर इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने याचिका के साथ सबूत पेश करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं ने 38 पन्नों का सबूत अदालत के सामने रख दिया, जिन्हें देखकर अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई की तारीख दे दी है

मुस्लिम पक्ष की राय

अजमेर दरगाह की देखभाल करने वाली अंजुमन मोइनिया फकीरा कमेटी के सचिव सय्यद सरवर चिश्ती का कहना है कि हिंदू पक्ष के आरोप पूरी तरीके से बेबुनियाद हैं। इस तरह के दावे देश में सांप्रदायिक शांति को भंग कर सकते हैं। मक्का और मदीना के बाद यह दरगाह मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम मानी जाती है। इस तरह के कदम से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को ठेस लगी है।

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर शुरू होने जा रहे सालाना उर्स के मेरे से पहले नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेवा का दावा है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में प्राचीन शिव मंदिर है। अपने इस दावे के समर्थन में 1911 में प्रकाशित एक पुस्तक (हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब- अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव) को अजमेर की अदालत में सबूत के तौर पर पेश भी किया गया है।

भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर, जहां आज भी खौलता रहते है पानी, जुड़ी है रहस्यमयी कहानी भगवान शिव के क्रोध से।

भारत में भगवान शिव के बहुत से प्राचीन और चमत्कारी मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों में अलग-अलग तरह के रहस्य और चमत्कार देखने को मिलते हैं. जिसमें किसी मंदिर का शिवलिंग साल दर साल बढ़ रहा है, तो कोई शिव मंदिर कलयुग के अंत का संकेत देता है. उन्हीं में से एक भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर भी है. जहां कड़कती ठंड में भी पानी उबलता रहता है. यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है. जिसका पता आज तक कोई भी वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाया है. वहीं इस मंदिर और यहां के उबलते पानी से जुड़ी भगवान शिव की एक कथा प्रचलित है. आइए जानते हैं कि आखिर कहां है यह रहस्यमयी मंदिर और क्या है इसकी कहानी?

कहां है ये मंदिर?

भगवान शिव का यह अनोखा और रहस्यमयी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से लगभग 45 किलोमीटर दूर मणिकर्ण में स्थित हैं. यह हिंदू और सिख दोनों ही धर्मों का एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है. मणिकर्ण से होकर पार्वती नदी बहती है, जिसके एक तरफ शिव मंदिर है और दूसरी तरफ गुरु नानक देव का ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जिसे मणिकर्ण साहिब के नाम से जाना जाता है. यहां का उबलता पानी आज भी एक रहस्य है, जिसके बारे में विज्ञान भी कुछ नहीं बता पाया है.

क्या है कहानी?

भगवान शिव के इस मंदिर से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित हैं. वैसे तो शिव जी को भोलेनाथ कहा जाता है, लेकिन जब वह क्रोध आता है तब उनके प्रकोप से कोई भी नहीं बचता है. कथा के अनुसार, एक बार नदी में क्रीड़ा करते हुए माता पार्वती की के कान का कुंडल का मणि पानी में गिर गया था. जो बहते हुए पाताल लोक पहुंच गया था. जिसके बाद भगवान शिव ने मणि को ढूंढने के लिए अपने गणों को भेजा, लेकिन बहुत ढूंढने पर भी वह उन्हें मणि नहीं मिली. जिससे भगवान शिव नाराज हो गए और अपना विकराल रूप धारण कर अपने तीसरा नेत्र खोल लिया. महादेव के क्रोध के कारण नदी का पानी उबलने लगा, जो आज भी है.

भगवान शिव का यह विकराल रूप देखकर नैना देवी प्रकट हुई और उन्होंने पाताल में जाकर शेषनाग से भगवान शिव को यह मणि वापस लौटाने को कहा. जिसके बाद शेषनाग ने महादेव को माता पार्वती की मणि लौटा दी. शेषनाग ने पाताल लोक से जोर की फुंकार भरी और जगह-जगह ढेर सारी मणियां भी धरती लोक पर आ गईं. माता पार्वती की मणि मिलने के बाद भगवान शिव ने उन सभी मणियों को पत्थर बनाकर नदी में वापस डाल दिया.

स्नान करने से मिलती है रोगों से मुक्ति

यहां लोगों की मान्यता है कि जो भी इस पवित्र जल में स्नान करता है. उनके सभी त्वचा के रोग खत्म हो जाते हैं. इसके अलावा मान्यता है कि श्रीराम ने कई बार इस जगह पर भगवान शिव की आराधना और तपस्या की थी. आज भी श्रीराम की तपस्या स्थली मणिकर्ण में भगवान राम का एक पुराना और भव्य मंदिर है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

बीजेपी ने राहुल गांधी पर लगाया राष्ट्रपति के अनादर का आरोप, जानें पूरा मामला

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भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संविधान दिवस के मौके पर संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते समय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं किया। संविधान दिवस के 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं करने को लेकर बीजेपी ने राहुल गांधी पर अहंकार का आरोप लगाया है।

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कथित वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि कांग्रेस नेता ने उनका अभिवादन इसलिए नहीं किया क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन भी नहीं किया। सिर्फ इसलिए कि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं, एक महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार हैं? यह कैसी ओछी मानसिकता है?"

यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने कांग्रेस पर राष्ट्रपति की आदिवासी पहचान के कारण उनका 'अपमान' करने का आरोप लगाया है। इस साल की शुरुआत में, पीएम मोदी ने टिप्पणी की थी कि राष्ट्रपति के राम मंदिर जाने और देश की भलाई के लिए प्रार्थना करने के दो दिन बाद, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने घोषणा की थी कि मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया जाएगा। मोदी ने कहा था, क्या यह देश, आदिवासियों, माताओं और बहनों का अपमान नहीं है।

काले कुत्ते को क्यों माना जाता है काल भैरव का वाहन? जानें इसके पीछे की कहानी और धार्मिक मान्यताएं.

भगवान शिव के रौद्र रूप को काल भैरव कहा जाता है. जहां भगवान शिव का वाहन नंदी बैल है. वहीं काल भैरव का वाहन एक काल कुत्ता है. वैसे तो सभी देवी-देवताओं का कोई न कोई वाहन जरूर होता है. जिनके पीछे कोई न कहानी जरूर होती है. क्या आपकों पता है कि भगवान काल भैरव ने एक कुत्ते को ही अपना वाहन क्यों बनाया. आखिर इसके पीछे क्या वहज हैं.

काला कुत्ता कैसे बना भैरव का वाहन?

धर्मिक ग्रंथों के अनुसार, काला कुत्ता काल भैरव का वाहन है. काल भैरव जहां भी जाते हैं. उनका वाहन हमेशा उनके साथ रहता है. लेकिन काल भैरव कभी भी उसकी सवारी नहीं करते बल्कि काला कुत्ता हमेशा उनके साथ चलाता है. मान्यता है कि काल भैरव ने काले कुत्ते को अपना वाहन इसलिए चुना क्योंकि काल भैरव का स्वरूप उग्र है और कुत्ते को भी उग्र पशु के रूप में देखा जाता है. कुत्ता कभी भय नहीं रखता. वह न तो रात के अंधेरे से डरता है. लेकिन जैसे ही कोई उसपर हमला करता है तो वह उससे अधिक उग्र होकर हमला करता है.

साथ ही कुत्ते को तेज बुद्धि के साथ सबसे वफादार और रक्षा करने वाला एक पशु माना जाता है. कुत्तों को लेकर यह भी माना जाता है कि कुत्ते में बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करने की क्षमता होती है. कुत्ता सूक्ष्म जगत की आत्माओं को देख सकता है. भैरव को श्मशान निवासी बताया गया है. श्मशान में पशु के रूप में केवल कुत्ते ही दिखाई देते हैं. ऐसे में कुत्ता भैरव का साथी बना.

काल भैरव पूजन का महत्व

तंत्र शास्त्र में काल भैरव का विशेष स्थान प्राप्त है. मान्यात है कि काले कुत्ते को कला भैरव का वाहन मानकर उसकी पूजा करने स बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है.

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

बारामती में वोट डालने के बाद अजित पवार बोले, 'मैं ही जीतूंगा'
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महाराष्ट्र और झारखंड में बुधवार, 20 नवंबर को मतदान हो रहा है। भारत का सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र, विधानसभा के सभी 288 सदस्यों के लिए एक ही चरण में मतदान कर रहा है। झारखंड में, शेष 38 सीटों के लिए मतदान हो रहे  है, क्योंकि 13 नवंबर को 43 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान हुआ था, जिसमें 64.86 प्रतिशत मतदान हुआ था।

इन सबके बीच अजित पवार ने वोट डालने के बाद अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि वह जीतेंगे l हालाँकि यह सिर्फ शुरुआत है और अन्य लोग भी अपना वोट डालेंगे, और नातिजे 23 नवंबर को जारी होंगे l

इन दोनों राज्यों में विधान सभा चुनावों के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और उत्तराखंड में 15 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव भी बुधवार को हो रहे हैं।


महाराष्ट्र में, सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे समाप्त होगा। महाराष्ट्र में कुल 9,64,85,765 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 1,16,355 सेवा मतदाता शामिल हैं। भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने पूरे राज्य में 1,00,186 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं। पिछले विधानसभा चुनावों के बाद से महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं।


कभी सहयोगी रहे भाजपा और शिवसेना ने कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, मुख्यमंत्री की भूमिका को लेकर मतभेदों के कारण भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया और कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बना।


हालांकि, झारखंड में 14,218 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ और 31 बूथों को छोड़कर शाम 5 बजे तक जारी रहेगा, जहां मतदान शाम 4 बजे समाप्त होगा। सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले भारत ब्लॉक और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच राज्य में चुनाव में कड़ी टक्कर है।


सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे मतदाताओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। इसमें मतदान केंद्रों तक जाने वाली अच्छी स्थिति वाली सुलभ सड़कें और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि ये इमारतें सुचारू मतदान अनुभव प्रदान करने के लिए आवश्यक न्यूनतम सुविधाओं से सुसज्जित हों।
अमेरिका-ईरान में खत्म होगा तनाव! एलन मस्क ने की ईरानी राजदूत से मुलाकात

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दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की लिस्ट में शुमार एलन मस्‍क अब अलग ही अवतार में नजर आ रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कारोबारी एलन मस्क पॉलिटिशियन का रोल भी निभाने लगे हैं। ट्रंप के करीबी अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात को अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मस्क ईरान-अमेरिका के बीच टेंशन खत्‍म करने में लगे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को वो यूनाटेड नेशन में ईरान के राजदूत से मिले। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक दोनों नेताओं ने किसी गुप्त जगह पर मुलाकात की। दोनों के बीच एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई। हालांकि न तो ट्रंप की टीम के सदस्यों ने या फिर ईरान के दूतावास ने इस मुलाकात की पुष्टि की है। अगर मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि हो जाती है तो इससे साफ हो जाएगा कि ट्रंप सरकार ईरान के साथ संबंध बेहतर करने का इरादा रखती है।

ईरान से जुड़े दो सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि मस्क ने इस मीटिंग के लिए पहल की थी, वहीं ईरानी डिप्लोमैट ने जगह का चयन किया था। दोनों पक्षों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत की। सूत्रों ने कहा कि ईरानी डिप्लोमैट बातचीत से खुश नजर आए। रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत के दौरान ईरानी डिप्लोमैट ने मस्क को सलाह दी कि उन्हें सरकार से छूट लेकर अपना कारोबार ईरान ले जाना चाहिए। ईरान और मस्क ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

बता दें कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन इस बार सत्ता पर काबिज होने से पहले ही ट्रंप ने ईरान के साथ तनाव कम करने की कोशिश शुरू कर बड़े संकेत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एलन मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात के दौरान राजदूत ने मस्क से अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने और तेहरान में व्यापार करने की अपील की। 

ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किए गए समझौते को तोड़ दिया था। यह समझौते बराक ओबामा की सरकार के दौरान किए गए थे। जिसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच दूरियां काफी ज्‍यादा बढ़ गई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही ईरान के सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी को अमेरिकी सेना ने बगदाद में मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात पैदा हो गए थे।

धर्म को खतरे में बताने वालों की पार्टी खतरे में है’ भाई के लिए चुनाव प्रचार कर रहे रितेश देशमुख का तीखा भाषण

#those_who_claim_religion_is_in_danger_their_party_in_a_soup_says_actor_riteish_deshmukh

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और सभी पार्टियां चुनावी प्रचार में जुटी हैं। इस बीच बॉलीवुड एक्टर रितेश देशमुख भी चुनावी मैदान में उतर गए हैं और अपने दोनों भाइयों के लिए प्रचार कर रहे हैं।कांग्रेस के लिए प्रचार करते हुए रितेश देशमुख ने राज्य सरकार और बीजेपी पर तीखा हमला बोला।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बॉलीवुड अभिनेता रितेश देशमुख ने अपने भाई और कांग्रेस नेता धीरज देशमुख के लिए चुनाव प्रचार किया।कांग्रेस के लिए प्रचार करते हुए उन्होंने कहा कि लोग दावा करते हैं कि उनका धर्म खतरे में हैं, लेकिन वास्तव में उनकी पार्टी खतरे में है। रविवार की रात एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो ईमानदारी से काम नहीं करते हैं, उन्हें धर्म की जरूरत पड़ती है। रितेश लातूर में अपने भाई के लिए प्रचार कर रहे हैं। इस क्षेत्र में धीरज का सामना भाजपा के रमेश कराड से होने वाला है।

रितेश देशमुख ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, भगवान श्रीकृष्म कहते हैं कि कर्म ही धर्म है। जो ईमानदारी से अपना काम करता है, वह धर्म कर रहा है। धर्म की जरुरत उन्हें होती है जो काम नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा, जो यह दावा करते हैं कि उनका धर्म खतरे में हैं, यह उनकी पार्टी है जो खतरे में है। वे अपनी पार्टी और खुद को बचाने के लिए अपने धर्म से प्रर्थना करते हैं। उन्हें बोल दीजिए कि हम अपने धर्म की रक्षा कर लेंगे, आप पहले विकास पर बात कीजिए।

रितेश देशमुख ने विपक्षी पार्टी पर हमला करते हुए आगे कहा, देश के शिक्षित यूथ के पास नौकरियां नहीं हैं और उन्हें नौकरियां देना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही एक्टर ने किसानों की बात करते हुए कहा, किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य नहीं मिल रहा है। रितेश देशमुख ने इस बात की तरफ भी इशारा किया कि साल 2019 के चुनाव में धीरज ने 1.21 लाख वोटों से जीत हासिल की। रितेश देशमुख ने जनता से कहा कि धीरज देशमुख को इतना वोट करो कि विपक्षी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाए। रितेश देशमुख ने साथ ही लोगों से उनकी वोट की कीमत समझने पर जोर दिया।

बता दें कि महाराष्ट्र के लातूर जिले की दोनों विधानसभा सीटों से पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के दो बेटे अमित देशमुख और धीरज देशमुख कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रितेश के बड़े भाई अमित लातूर सिटी विधानसभा से चुनावी मैदान में हैं, जबकि छोटे भाई धीरज लातूर ग्रामीण सीट से दूसरी बार चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, बॉलीवुड एक्टर रितेश देशमुख अपने दोनों भाइयों के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं।

एक ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने से दूर होती है आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां, जानें क्या है मान्यता

भारत में देवी-देवताओं के बहुत से प्राचीन मंदिर हैं. इन मंदिरों से जुड़ी मान्यताओं के चलते यहां साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. जिनमें से एक मंदिर ऐसा भी है जहां देवी मां के दर्शन मात्र से लोगों की आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां दूर होती हैं. साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

कहां है यह मंदिर?

देवी मां का यह अनोखा मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में नैनीताल झील के उत्तरी छोर में स्थित है. इस मंदिर का नाम नैना देवी मंदिर हैं. यह मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में एक हैं.

यहां गिरे थे माता सती के नेत्र

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव माता के मृत शरीर को लेकर कैलाश जा रहे थे, तब अलग-अलग स्थानों पर माता के शरीर के अंग गिरे. जहां भी वह अंग गिरे, उन जगहों को माता के शक्तिपीठ स्थापित हो गए. यहां माता सती के नेत्र गिरे थे. इस मंदिर में मां दो नेत्र के रूप में विराजमान है.

आंखों का इलाज

नैना देवी मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था है. यहां भक्त अपनी आंखों की बीमारी के साथ आते हैं और माता के आशीर्वाद से उनकी आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. यहां हर तरह की आंखों की बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर की अनोखी मान्यता के चलते यहां पूरे साल भक्तों की भीड़ लगी रहती है.

गणेश जी के साथ है विराजमान

इस मंदिर में माता गर्भगृह में विराजमान है. वही उनके साथ भगवान गणेश और माता काली की भी विराजमान हैं.

वार्षिक महोत्सव

इस मंदिर में हर साल सितंबर माह में नंदा अष्टमी के दिन नैना देवी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जो कि आठ दिन तक चलता है. इस दौरान सुबह ब्रह्म मुहूर्त में माता सुनंदा का डोला भक्तों को दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण में रखा जाता है. जिसके बाद तीन से पांच दिन बाद इसे पूरे नगर में घुमाया जाता है. फिर रात्रि में इस नैनी झील में विसर्जित कर दिया जाता है. इसके साथ ही पास के मैदान में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है.

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

यमराज का अनोखा मंदिर: जहां आत्माओं की पेशी होती है और स्वर्ग-नर्क का होता है फैसला

यमराज के नाम से ही मृत्यु का भय मन में आ जाता है. जिसके लिए हर साल लोग दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी की शाम को यम का दीपक जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है. लेकिन धरती पर एक ऐसा मंदिर भी है जहां यमराज का दरबार लगता है. यहां मृत्यु के बाद आत्माओं की पेशी होती है और उनको कर्म के अनुसार स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है. इसके अलावा चित्रगुप्त हर एक इंसान के अच्छे-बुरे हर एक कर्म का हिसाब रखते हैं. आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में.

कहां है यमराज का मंदिर?

यमराज का यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के चंब जिले के भरमौर में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं. इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में लोग बाहर से ही यम देवता के हाथ जोड़ लेते हैं. ये मंदिर एक घर की तरह दिखाता है. जहां एक खाली कमरा मौजूद है, मान्यता है इस कमरे में ही यम देवता विराजमान हैं. यहां पर एक और कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष कहा जाता है.

यम का दरबार

मान्यता है कि हिमाचल के इस प्राचीन मंदिर में यमराज का दरबार लगता है. जहां यम के दूत आत्माओं को यमराज के सामने पेश करते हैं. जहा चित्रगुप्त उन आत्माओं के कर्मों का हिसाब कर लेखा-जोखा पेश करते हैं. उसके बाद यमराज कर्मों के हिसाब से फैसला करते हैं कि कौन सी आत्मा स्वर्ग जाएगी और किस आत्मा को नरग को घोर दुख भोगना होगा. उसके बाद ही आत्माओं को स्वर्ग या नरक भेजा जाता है.

इन दरवाजों से जाती है आत्मा

गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार बताए गए हैं. मान्यता है कि उसी तरह यमराज के इस मंदिर में चार अदृश्य दरवाजे हैं. जो कि सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हुए हैं. इन चार दरवाजों से होकर ही आत्मा स्वर्ग और नरक जाती है. कहा जाता है कि जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे काम किए होते हैं और जो भी पुण्य आत्माएं होती है. वह सभी सोने से बने दरवाजे से होते हुए स्वर्ग जाती है. वहीं जिन लोगों के जीवन भर पाप किया होता है, उनकी आत्मा लोहे के दरवाजे से नरक भेजा जाता है

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

कमला हैरिस और ट्रम्प के बिच है काटें की टक्कर, ट्रम्प ने 900 से अधिक रैलियों में भाग लेने का किया दावा

#trump_claims_to_have_attended_more_than_900_rallies

Kamala Harris & Donald Trumph

कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को पेन्सिलवेनिया के लिए एक गरमागरम लड़ाई के साथ इस साल के राष्ट्रपति पद की दौड़ को समाप्त कर दिया, एक ऐसे राज्य में मतदाताओं से अपनी अंतिम अपील की जो अगले राष्ट्रपति को तय करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। हैरिस ने फिलाडेल्फिया में अपना दिन आर्ट म्यूज़ियम की प्रतिष्ठित सीढ़ियों पर समाप्त किया, जिसे रॉकी फ़िल्म ने प्रसिद्ध किया था, जहाँ उन्होंने घोषणा की, "गति हमारे पक्ष में है।" इससे पहले, उन्होंने एलेनटाउन, स्क्रैंटन और पिट्सबर्ग का दौरा किया था, और प्यूर्टो रिकान रेस्तरां में मतदाताओं से जुड़ने के लिए रीडिंग में रुकी थीं, यहाँ तक कि अभियान स्वयंसेवकों के साथ घर-घर जाकर प्रचार भी किया था।

"यह चुनाव से एक दिन पहले है, और मैं बस यह कहना चाहती थी कि मुझे आपका वोट मिलने की उम्मीद है," हैरिस ने एक महिला से कहा, जिसने पहले ही डेमोक्रेटिक टिकट के लिए अपना मत डाल दिया था। इस बीच, ट्रम्प ने अपना दिन उत्तरी कैरोलिना में शुरू किया और मिशिगन में समाप्त किया, लेकिन रास्ते में रीडिंग और पिट्सबर्ग में भी रुके। पूर्व राष्ट्रपति ने प्रत्येक स्थान पर उग्र भाषण दिए, जिसमें मतदाता धोखाधड़ी के बारे में निराधार दावों को प्रवासी अपराध के बारे में चेतावनियों और अमेरिका को "पुनर्जीवित" करने के वादों के साथ मिलाया गया। "कल आपके वोट से, हम अपने देश की हर समस्या को ठीक कर सकते हैं और अमेरिका और पूरी दुनिया को गौरव की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं," ट्रम्प ने भीड़ से कहा।

जबकि हैरिस ने भविष्य के लिए आशावाद पर ध्यान केंद्रित किया और ट्रम्प का नाम लेने से परहेज किया, रिपब्लिकन उम्मीदवार ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर बार-बार हमला करते हुए पीछे नहीं हटे। उनके साथी, ओहियो सीनेटर जेडी वेंस ने अटलांटा में अपनी रैली के दौरान इस भावना को दोहराया, उन्होंने घोषणा की, "हम वाशिंगटन, डीसी में कचरा बाहर निकालने जा रहे हैं, और कचरे का नाम कमला हैरिस है।"

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के इलेक्शन लैब के अनुसार, रविवार तक 82 मिलियन से अधिक अमेरिकी पहले ही अपना वोट डाल चुके हैं, जो पूरे अमेरिका में शुरुआती और मेल-इन वोटिंग को ट्रैक करता है। मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज़, डेमोक्रेट्स के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और कमला हैरिस के साथी, इस बात पर 'निराशा' व्यक्त करते हैं कि रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनका राष्ट्रपति पद का मुक़ाबला 'बहुत नज़दीकी' है। "मुझे लगता है कि यह मुझे निराश करता है, क्योंकि मुझे लगता है कि चुनाव बहुत ही स्पष्ट है, लेकिन यह आश्चर्यजनक नहीं है। देश वास्तव में विभाजित है। वहाँ कुछ लोगों का समूह है जो इसे समझ गया है, और मुझे लगता है कि उन्होंने लोगों को यह सोचने पर मजबूर करने का एक शानदार काम किया है कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हर कोई एक जैसा है," उन्होंने स्टीफन कोलबर्ट के साथ लेट शो में कहा। 

वही विदेश मंत्री एस जयशंकर, जो वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रहे हैं, ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच चुनावी मुक़ाबले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले पाँच राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में लगातार प्रगति देखी गई है और वे आशा करते हैं की आगे भी ये ताल मेल बना रहेगा। 

अब अजमेर शरीफ पर बवाल! दरगाह में शिव मंदिर पर क्या हैं दोनों पक्षों के दावे

#claimoftempleinsideajmer_dargah

यूपी के संभल जिले में मस्जिद के सर्वे के बाद बवाल मचा हुआ है। इसी बीच राजस्थान के अजमेर शरीफ को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। जिसके बाद यूपी के संभल में स्थित जामा मस्जिद के बाद अब राजस्थान के अजमेर में दरगाह शरीफ का सर्वे हो सकता है। एक निचली अदालत ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यहां पहले एक शिव मंदिर था। याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई थी।

हिंदू सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा 25 सितंबर को अजमेर न्यायालय में अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को शिव मंदिर होने का दावा करते हुए वाद दायर किया था।अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह हिंदू संकट मोचन मंदिर तोड़कर बनाने का दावा अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने एएसआई दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामला विभाग को नोटिस भेजा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर रखी गई है। दूसरे पक्ष को सुना जाएगा और इस मामले में अग्रिम कार्रवाई की जानी है। बुधवार को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा कि इससे संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए जाएंगे। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है

क्यों शुरू हुआ विवाद?

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इसी साल सितंबर के महीने में अजमेर दरगाह केस से जुड़ी याचिका अदालत में दायर की थी। मगर इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने याचिका के साथ सबूत पेश करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं ने 38 पन्नों का सबूत अदालत के सामने रख दिया, जिन्हें देखकर अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई की तारीख दे दी है

मुस्लिम पक्ष की राय

अजमेर दरगाह की देखभाल करने वाली अंजुमन मोइनिया फकीरा कमेटी के सचिव सय्यद सरवर चिश्ती का कहना है कि हिंदू पक्ष के आरोप पूरी तरीके से बेबुनियाद हैं। इस तरह के दावे देश में सांप्रदायिक शांति को भंग कर सकते हैं। मक्का और मदीना के बाद यह दरगाह मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम मानी जाती है। इस तरह के कदम से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को ठेस लगी है।

अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर शुरू होने जा रहे सालाना उर्स के मेरे से पहले नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेवा का दावा है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में प्राचीन शिव मंदिर है। अपने इस दावे के समर्थन में 1911 में प्रकाशित एक पुस्तक (हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब- अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव) को अजमेर की अदालत में सबूत के तौर पर पेश भी किया गया है।

भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर, जहां आज भी खौलता रहते है पानी, जुड़ी है रहस्यमयी कहानी भगवान शिव के क्रोध से।

भारत में भगवान शिव के बहुत से प्राचीन और चमत्कारी मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों में अलग-अलग तरह के रहस्य और चमत्कार देखने को मिलते हैं. जिसमें किसी मंदिर का शिवलिंग साल दर साल बढ़ रहा है, तो कोई शिव मंदिर कलयुग के अंत का संकेत देता है. उन्हीं में से एक भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर भी है. जहां कड़कती ठंड में भी पानी उबलता रहता है. यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है. जिसका पता आज तक कोई भी वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाया है. वहीं इस मंदिर और यहां के उबलते पानी से जुड़ी भगवान शिव की एक कथा प्रचलित है. आइए जानते हैं कि आखिर कहां है यह रहस्यमयी मंदिर और क्या है इसकी कहानी?

कहां है ये मंदिर?

भगवान शिव का यह अनोखा और रहस्यमयी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से लगभग 45 किलोमीटर दूर मणिकर्ण में स्थित हैं. यह हिंदू और सिख दोनों ही धर्मों का एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है. मणिकर्ण से होकर पार्वती नदी बहती है, जिसके एक तरफ शिव मंदिर है और दूसरी तरफ गुरु नानक देव का ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जिसे मणिकर्ण साहिब के नाम से जाना जाता है. यहां का उबलता पानी आज भी एक रहस्य है, जिसके बारे में विज्ञान भी कुछ नहीं बता पाया है.

क्या है कहानी?

भगवान शिव के इस मंदिर से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित हैं. वैसे तो शिव जी को भोलेनाथ कहा जाता है, लेकिन जब वह क्रोध आता है तब उनके प्रकोप से कोई भी नहीं बचता है. कथा के अनुसार, एक बार नदी में क्रीड़ा करते हुए माता पार्वती की के कान का कुंडल का मणि पानी में गिर गया था. जो बहते हुए पाताल लोक पहुंच गया था. जिसके बाद भगवान शिव ने मणि को ढूंढने के लिए अपने गणों को भेजा, लेकिन बहुत ढूंढने पर भी वह उन्हें मणि नहीं मिली. जिससे भगवान शिव नाराज हो गए और अपना विकराल रूप धारण कर अपने तीसरा नेत्र खोल लिया. महादेव के क्रोध के कारण नदी का पानी उबलने लगा, जो आज भी है.

भगवान शिव का यह विकराल रूप देखकर नैना देवी प्रकट हुई और उन्होंने पाताल में जाकर शेषनाग से भगवान शिव को यह मणि वापस लौटाने को कहा. जिसके बाद शेषनाग ने महादेव को माता पार्वती की मणि लौटा दी. शेषनाग ने पाताल लोक से जोर की फुंकार भरी और जगह-जगह ढेर सारी मणियां भी धरती लोक पर आ गईं. माता पार्वती की मणि मिलने के बाद भगवान शिव ने उन सभी मणियों को पत्थर बनाकर नदी में वापस डाल दिया.

स्नान करने से मिलती है रोगों से मुक्ति

यहां लोगों की मान्यता है कि जो भी इस पवित्र जल में स्नान करता है. उनके सभी त्वचा के रोग खत्म हो जाते हैं. इसके अलावा मान्यता है कि श्रीराम ने कई बार इस जगह पर भगवान शिव की आराधना और तपस्या की थी. आज भी श्रीराम की तपस्या स्थली मणिकर्ण में भगवान राम का एक पुराना और भव्य मंदिर है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

बीजेपी ने राहुल गांधी पर लगाया राष्ट्रपति के अनादर का आरोप, जानें पूरा मामला

#bjp_claims_rahul_gandhi_did_not_greetings_of_president

भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संविधान दिवस के मौके पर संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते समय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं किया। संविधान दिवस के 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं करने को लेकर बीजेपी ने राहुल गांधी पर अहंकार का आरोप लगाया है।

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कथित वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि कांग्रेस नेता ने उनका अभिवादन इसलिए नहीं किया क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन भी नहीं किया। सिर्फ इसलिए कि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं, एक महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार हैं? यह कैसी ओछी मानसिकता है?"

यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने कांग्रेस पर राष्ट्रपति की आदिवासी पहचान के कारण उनका 'अपमान' करने का आरोप लगाया है। इस साल की शुरुआत में, पीएम मोदी ने टिप्पणी की थी कि राष्ट्रपति के राम मंदिर जाने और देश की भलाई के लिए प्रार्थना करने के दो दिन बाद, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने घोषणा की थी कि मंदिर को गंगाजल से शुद्ध किया जाएगा। मोदी ने कहा था, क्या यह देश, आदिवासियों, माताओं और बहनों का अपमान नहीं है।

काले कुत्ते को क्यों माना जाता है काल भैरव का वाहन? जानें इसके पीछे की कहानी और धार्मिक मान्यताएं.

भगवान शिव के रौद्र रूप को काल भैरव कहा जाता है. जहां भगवान शिव का वाहन नंदी बैल है. वहीं काल भैरव का वाहन एक काल कुत्ता है. वैसे तो सभी देवी-देवताओं का कोई न कोई वाहन जरूर होता है. जिनके पीछे कोई न कहानी जरूर होती है. क्या आपकों पता है कि भगवान काल भैरव ने एक कुत्ते को ही अपना वाहन क्यों बनाया. आखिर इसके पीछे क्या वहज हैं.

काला कुत्ता कैसे बना भैरव का वाहन?

धर्मिक ग्रंथों के अनुसार, काला कुत्ता काल भैरव का वाहन है. काल भैरव जहां भी जाते हैं. उनका वाहन हमेशा उनके साथ रहता है. लेकिन काल भैरव कभी भी उसकी सवारी नहीं करते बल्कि काला कुत्ता हमेशा उनके साथ चलाता है. मान्यता है कि काल भैरव ने काले कुत्ते को अपना वाहन इसलिए चुना क्योंकि काल भैरव का स्वरूप उग्र है और कुत्ते को भी उग्र पशु के रूप में देखा जाता है. कुत्ता कभी भय नहीं रखता. वह न तो रात के अंधेरे से डरता है. लेकिन जैसे ही कोई उसपर हमला करता है तो वह उससे अधिक उग्र होकर हमला करता है.

साथ ही कुत्ते को तेज बुद्धि के साथ सबसे वफादार और रक्षा करने वाला एक पशु माना जाता है. कुत्तों को लेकर यह भी माना जाता है कि कुत्ते में बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करने की क्षमता होती है. कुत्ता सूक्ष्म जगत की आत्माओं को देख सकता है. भैरव को श्मशान निवासी बताया गया है. श्मशान में पशु के रूप में केवल कुत्ते ही दिखाई देते हैं. ऐसे में कुत्ता भैरव का साथी बना.

काल भैरव पूजन का महत्व

तंत्र शास्त्र में काल भैरव का विशेष स्थान प्राप्त है. मान्यात है कि काले कुत्ते को कला भैरव का वाहन मानकर उसकी पूजा करने स बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है.

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

बारामती में वोट डालने के बाद अजित पवार बोले, 'मैं ही जीतूंगा'
#ajit_pawar_claims_his_win_after_casting_vote_in_baramati



महाराष्ट्र और झारखंड में बुधवार, 20 नवंबर को मतदान हो रहा है। भारत का सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र, विधानसभा के सभी 288 सदस्यों के लिए एक ही चरण में मतदान कर रहा है। झारखंड में, शेष 38 सीटों के लिए मतदान हो रहे  है, क्योंकि 13 नवंबर को 43 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान हुआ था, जिसमें 64.86 प्रतिशत मतदान हुआ था।

इन सबके बीच अजित पवार ने वोट डालने के बाद अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि वह जीतेंगे l हालाँकि यह सिर्फ शुरुआत है और अन्य लोग भी अपना वोट डालेंगे, और नातिजे 23 नवंबर को जारी होंगे l

इन दोनों राज्यों में विधान सभा चुनावों के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और उत्तराखंड में 15 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव भी बुधवार को हो रहे हैं।


महाराष्ट्र में, सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे समाप्त होगा। महाराष्ट्र में कुल 9,64,85,765 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 1,16,355 सेवा मतदाता शामिल हैं। भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने पूरे राज्य में 1,00,186 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं। पिछले विधानसभा चुनावों के बाद से महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं।


कभी सहयोगी रहे भाजपा और शिवसेना ने कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, मुख्यमंत्री की भूमिका को लेकर मतभेदों के कारण भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया और कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बना।


हालांकि, झारखंड में 14,218 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ और 31 बूथों को छोड़कर शाम 5 बजे तक जारी रहेगा, जहां मतदान शाम 4 बजे समाप्त होगा। सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले भारत ब्लॉक और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच राज्य में चुनाव में कड़ी टक्कर है।


सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे मतदाताओं की सुविधा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। इसमें मतदान केंद्रों तक जाने वाली अच्छी स्थिति वाली सुलभ सड़कें और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि ये इमारतें सुचारू मतदान अनुभव प्रदान करने के लिए आवश्यक न्यूनतम सुविधाओं से सुसज्जित हों।
अमेरिका-ईरान में खत्म होगा तनाव! एलन मस्क ने की ईरानी राजदूत से मुलाकात

#elon_musk_meets_iran_un_ambassador_reports_claim

दुनिया के सबसे ज्यादा अमीरों की लिस्ट में शुमार एलन मस्‍क अब अलग ही अवतार में नजर आ रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कारोबारी एलन मस्क पॉलिटिशियन का रोल भी निभाने लगे हैं। ट्रंप के करीबी अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात को अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव को खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मस्क ईरान-अमेरिका के बीच टेंशन खत्‍म करने में लगे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को वो यूनाटेड नेशन में ईरान के राजदूत से मिले। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक दोनों नेताओं ने किसी गुप्त जगह पर मुलाकात की। दोनों के बीच एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई। हालांकि न तो ट्रंप की टीम के सदस्यों ने या फिर ईरान के दूतावास ने इस मुलाकात की पुष्टि की है। अगर मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि हो जाती है तो इससे साफ हो जाएगा कि ट्रंप सरकार ईरान के साथ संबंध बेहतर करने का इरादा रखती है।

ईरान से जुड़े दो सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि मस्क ने इस मीटिंग के लिए पहल की थी, वहीं ईरानी डिप्लोमैट ने जगह का चयन किया था। दोनों पक्षों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत की। सूत्रों ने कहा कि ईरानी डिप्लोमैट बातचीत से खुश नजर आए। रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत के दौरान ईरानी डिप्लोमैट ने मस्क को सलाह दी कि उन्हें सरकार से छूट लेकर अपना कारोबार ईरान ले जाना चाहिए। ईरान और मस्क ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

बता दें कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन इस बार सत्ता पर काबिज होने से पहले ही ट्रंप ने ईरान के साथ तनाव कम करने की कोशिश शुरू कर बड़े संकेत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एलन मस्क और ईरानी राजदूत की मुलाकात के दौरान राजदूत ने मस्क से अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने और तेहरान में व्यापार करने की अपील की। 

ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किए गए समझौते को तोड़ दिया था। यह समझौते बराक ओबामा की सरकार के दौरान किए गए थे। जिसके बाद से ही ईरान और अमेरिका के बीच दूरियां काफी ज्‍यादा बढ़ गई थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान ही ईरान के सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी को अमेरिकी सेना ने बगदाद में मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात पैदा हो गए थे।

धर्म को खतरे में बताने वालों की पार्टी खतरे में है’ भाई के लिए चुनाव प्रचार कर रहे रितेश देशमुख का तीखा भाषण

#those_who_claim_religion_is_in_danger_their_party_in_a_soup_says_actor_riteish_deshmukh

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और सभी पार्टियां चुनावी प्रचार में जुटी हैं। इस बीच बॉलीवुड एक्टर रितेश देशमुख भी चुनावी मैदान में उतर गए हैं और अपने दोनों भाइयों के लिए प्रचार कर रहे हैं।कांग्रेस के लिए प्रचार करते हुए रितेश देशमुख ने राज्य सरकार और बीजेपी पर तीखा हमला बोला।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बॉलीवुड अभिनेता रितेश देशमुख ने अपने भाई और कांग्रेस नेता धीरज देशमुख के लिए चुनाव प्रचार किया।कांग्रेस के लिए प्रचार करते हुए उन्होंने कहा कि लोग दावा करते हैं कि उनका धर्म खतरे में हैं, लेकिन वास्तव में उनकी पार्टी खतरे में है। रविवार की रात एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो ईमानदारी से काम नहीं करते हैं, उन्हें धर्म की जरूरत पड़ती है। रितेश लातूर में अपने भाई के लिए प्रचार कर रहे हैं। इस क्षेत्र में धीरज का सामना भाजपा के रमेश कराड से होने वाला है।

रितेश देशमुख ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, भगवान श्रीकृष्म कहते हैं कि कर्म ही धर्म है। जो ईमानदारी से अपना काम करता है, वह धर्म कर रहा है। धर्म की जरुरत उन्हें होती है जो काम नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा, जो यह दावा करते हैं कि उनका धर्म खतरे में हैं, यह उनकी पार्टी है जो खतरे में है। वे अपनी पार्टी और खुद को बचाने के लिए अपने धर्म से प्रर्थना करते हैं। उन्हें बोल दीजिए कि हम अपने धर्म की रक्षा कर लेंगे, आप पहले विकास पर बात कीजिए।

रितेश देशमुख ने विपक्षी पार्टी पर हमला करते हुए आगे कहा, देश के शिक्षित यूथ के पास नौकरियां नहीं हैं और उन्हें नौकरियां देना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही एक्टर ने किसानों की बात करते हुए कहा, किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य नहीं मिल रहा है। रितेश देशमुख ने इस बात की तरफ भी इशारा किया कि साल 2019 के चुनाव में धीरज ने 1.21 लाख वोटों से जीत हासिल की। रितेश देशमुख ने जनता से कहा कि धीरज देशमुख को इतना वोट करो कि विपक्षी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाए। रितेश देशमुख ने साथ ही लोगों से उनकी वोट की कीमत समझने पर जोर दिया।

बता दें कि महाराष्ट्र के लातूर जिले की दोनों विधानसभा सीटों से पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के दो बेटे अमित देशमुख और धीरज देशमुख कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रितेश के बड़े भाई अमित लातूर सिटी विधानसभा से चुनावी मैदान में हैं, जबकि छोटे भाई धीरज लातूर ग्रामीण सीट से दूसरी बार चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, बॉलीवुड एक्टर रितेश देशमुख अपने दोनों भाइयों के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं।

एक ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने से दूर होती है आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां, जानें क्या है मान्यता

भारत में देवी-देवताओं के बहुत से प्राचीन मंदिर हैं. इन मंदिरों से जुड़ी मान्यताओं के चलते यहां साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. जिनमें से एक मंदिर ऐसा भी है जहां देवी मां के दर्शन मात्र से लोगों की आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां दूर होती हैं. साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

कहां है यह मंदिर?

देवी मां का यह अनोखा मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में नैनीताल झील के उत्तरी छोर में स्थित है. इस मंदिर का नाम नैना देवी मंदिर हैं. यह मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में एक हैं.

यहां गिरे थे माता सती के नेत्र

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव माता के मृत शरीर को लेकर कैलाश जा रहे थे, तब अलग-अलग स्थानों पर माता के शरीर के अंग गिरे. जहां भी वह अंग गिरे, उन जगहों को माता के शक्तिपीठ स्थापित हो गए. यहां माता सती के नेत्र गिरे थे. इस मंदिर में मां दो नेत्र के रूप में विराजमान है.

आंखों का इलाज

नैना देवी मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था है. यहां भक्त अपनी आंखों की बीमारी के साथ आते हैं और माता के आशीर्वाद से उनकी आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. यहां हर तरह की आंखों की बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है. मंदिर की अनोखी मान्यता के चलते यहां पूरे साल भक्तों की भीड़ लगी रहती है.

गणेश जी के साथ है विराजमान

इस मंदिर में माता गर्भगृह में विराजमान है. वही उनके साथ भगवान गणेश और माता काली की भी विराजमान हैं.

वार्षिक महोत्सव

इस मंदिर में हर साल सितंबर माह में नंदा अष्टमी के दिन नैना देवी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जो कि आठ दिन तक चलता है. इस दौरान सुबह ब्रह्म मुहूर्त में माता सुनंदा का डोला भक्तों को दर्शन के लिए मंदिर प्रांगण में रखा जाता है. जिसके बाद तीन से पांच दिन बाद इसे पूरे नगर में घुमाया जाता है. फिर रात्रि में इस नैनी झील में विसर्जित कर दिया जाता है. इसके साथ ही पास के मैदान में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है.

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

यमराज का अनोखा मंदिर: जहां आत्माओं की पेशी होती है और स्वर्ग-नर्क का होता है फैसला

यमराज के नाम से ही मृत्यु का भय मन में आ जाता है. जिसके लिए हर साल लोग दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी की शाम को यम का दीपक जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है. लेकिन धरती पर एक ऐसा मंदिर भी है जहां यमराज का दरबार लगता है. यहां मृत्यु के बाद आत्माओं की पेशी होती है और उनको कर्म के अनुसार स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है. इसके अलावा चित्रगुप्त हर एक इंसान के अच्छे-बुरे हर एक कर्म का हिसाब रखते हैं. आइए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में.

कहां है यमराज का मंदिर?

यमराज का यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के चंब जिले के भरमौर में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं. इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में लोग बाहर से ही यम देवता के हाथ जोड़ लेते हैं. ये मंदिर एक घर की तरह दिखाता है. जहां एक खाली कमरा मौजूद है, मान्यता है इस कमरे में ही यम देवता विराजमान हैं. यहां पर एक और कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष कहा जाता है.

यम का दरबार

मान्यता है कि हिमाचल के इस प्राचीन मंदिर में यमराज का दरबार लगता है. जहां यम के दूत आत्माओं को यमराज के सामने पेश करते हैं. जहा चित्रगुप्त उन आत्माओं के कर्मों का हिसाब कर लेखा-जोखा पेश करते हैं. उसके बाद यमराज कर्मों के हिसाब से फैसला करते हैं कि कौन सी आत्मा स्वर्ग जाएगी और किस आत्मा को नरग को घोर दुख भोगना होगा. उसके बाद ही आत्माओं को स्वर्ग या नरक भेजा जाता है.

इन दरवाजों से जाती है आत्मा

गरुड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार बताए गए हैं. मान्यता है कि उसी तरह यमराज के इस मंदिर में चार अदृश्य दरवाजे हैं. जो कि सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हुए हैं. इन चार दरवाजों से होकर ही आत्मा स्वर्ग और नरक जाती है. कहा जाता है कि जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे काम किए होते हैं और जो भी पुण्य आत्माएं होती है. वह सभी सोने से बने दरवाजे से होते हुए स्वर्ग जाती है. वहीं जिन लोगों के जीवन भर पाप किया होता है, उनकी आत्मा लोहे के दरवाजे से नरक भेजा जाता है

Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

कमला हैरिस और ट्रम्प के बिच है काटें की टक्कर, ट्रम्प ने 900 से अधिक रैलियों में भाग लेने का किया दावा

#trump_claims_to_have_attended_more_than_900_rallies

Kamala Harris & Donald Trumph

कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को पेन्सिलवेनिया के लिए एक गरमागरम लड़ाई के साथ इस साल के राष्ट्रपति पद की दौड़ को समाप्त कर दिया, एक ऐसे राज्य में मतदाताओं से अपनी अंतिम अपील की जो अगले राष्ट्रपति को तय करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। हैरिस ने फिलाडेल्फिया में अपना दिन आर्ट म्यूज़ियम की प्रतिष्ठित सीढ़ियों पर समाप्त किया, जिसे रॉकी फ़िल्म ने प्रसिद्ध किया था, जहाँ उन्होंने घोषणा की, "गति हमारे पक्ष में है।" इससे पहले, उन्होंने एलेनटाउन, स्क्रैंटन और पिट्सबर्ग का दौरा किया था, और प्यूर्टो रिकान रेस्तरां में मतदाताओं से जुड़ने के लिए रीडिंग में रुकी थीं, यहाँ तक कि अभियान स्वयंसेवकों के साथ घर-घर जाकर प्रचार भी किया था।

"यह चुनाव से एक दिन पहले है, और मैं बस यह कहना चाहती थी कि मुझे आपका वोट मिलने की उम्मीद है," हैरिस ने एक महिला से कहा, जिसने पहले ही डेमोक्रेटिक टिकट के लिए अपना मत डाल दिया था। इस बीच, ट्रम्प ने अपना दिन उत्तरी कैरोलिना में शुरू किया और मिशिगन में समाप्त किया, लेकिन रास्ते में रीडिंग और पिट्सबर्ग में भी रुके। पूर्व राष्ट्रपति ने प्रत्येक स्थान पर उग्र भाषण दिए, जिसमें मतदाता धोखाधड़ी के बारे में निराधार दावों को प्रवासी अपराध के बारे में चेतावनियों और अमेरिका को "पुनर्जीवित" करने के वादों के साथ मिलाया गया। "कल आपके वोट से, हम अपने देश की हर समस्या को ठीक कर सकते हैं और अमेरिका और पूरी दुनिया को गौरव की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं," ट्रम्प ने भीड़ से कहा।

जबकि हैरिस ने भविष्य के लिए आशावाद पर ध्यान केंद्रित किया और ट्रम्प का नाम लेने से परहेज किया, रिपब्लिकन उम्मीदवार ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर बार-बार हमला करते हुए पीछे नहीं हटे। उनके साथी, ओहियो सीनेटर जेडी वेंस ने अटलांटा में अपनी रैली के दौरान इस भावना को दोहराया, उन्होंने घोषणा की, "हम वाशिंगटन, डीसी में कचरा बाहर निकालने जा रहे हैं, और कचरे का नाम कमला हैरिस है।"

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के इलेक्शन लैब के अनुसार, रविवार तक 82 मिलियन से अधिक अमेरिकी पहले ही अपना वोट डाल चुके हैं, जो पूरे अमेरिका में शुरुआती और मेल-इन वोटिंग को ट्रैक करता है। मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज़, डेमोक्रेट्स के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और कमला हैरिस के साथी, इस बात पर 'निराशा' व्यक्त करते हैं कि रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनका राष्ट्रपति पद का मुक़ाबला 'बहुत नज़दीकी' है। "मुझे लगता है कि यह मुझे निराश करता है, क्योंकि मुझे लगता है कि चुनाव बहुत ही स्पष्ट है, लेकिन यह आश्चर्यजनक नहीं है। देश वास्तव में विभाजित है। वहाँ कुछ लोगों का समूह है जो इसे समझ गया है, और मुझे लगता है कि उन्होंने लोगों को यह सोचने पर मजबूर करने का एक शानदार काम किया है कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हर कोई एक जैसा है," उन्होंने स्टीफन कोलबर्ट के साथ लेट शो में कहा। 

वही विदेश मंत्री एस जयशंकर, जो वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रहे हैं, ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच चुनावी मुक़ाबले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले पाँच राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में लगातार प्रगति देखी गई है और वे आशा करते हैं की आगे भी ये ताल मेल बना रहेगा।