68 साल की उम्र में अभिनेता अक्षय कुमार के ट्रेनर से हासिल किया ब्लैक बेल्ट, जाने संघर्षों व आत्मबल की अनोखी दास्ता
गोरखपुर। जिस उम्र में लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं, बीमारियों से घिर जाते हैं। उस उम्र में शहर की एक बुजुर्ग ग्रहणी ने और लोगों के लिए नजीर पेश किया है, उनकी इस काबिलियत और जज्बे को सभी उम्र के लोग सलाम कर रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं महानगर के राजेंद्र नगर पश्चिम की रहने वाली 68 वर्षीय जागृति वर्मा की, जिन्होंने इस उम्र के पड़ाव में मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हासिल कर यह साबित कर दिया है कि जनून वालों के लिए उम्र बस एक नंबर है। इस आयु में ब्लैक बेल्ट का तमका हासिल करने वाली वह पूर्वांचल की पहली महिला है।
गीत, संगीत की शौकीन जागृति वर्मा ने घुटनों का दर्द दूर करने के लिए योग की शरण ली, योग सिखने के लिए उन्होंने 62 वर्ष की उम्र में योद्धा ट्रेनिंग सेंटर ज्वाइन किया। वहां मार्शल आर्ट सिखाया जा रहा था, केंद्र पर बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग करते देखा तो उनके मन में भी इसे सीखने की इच्छा जागृत हुई और उन्होंने अभ्यास शुरू कर दिया। बच्चे, युवा और बुजुर्ग के हाथ, पैर, दिमाग व आंख के संतुलन में अंतर होता है। स्फूर्ति व चपलता भी जरूरी होती है। इस वजह से पहले साल थोड़ी झिझक हुई लेकिन लगातार अभ्यास से मुश्किलें आसान होती गई। ब्राउन बेल्ट के लिए जागृति वर्मा दिल्ली गई, वहां परीक्षा हुई और वह ब्राउन बेल्ट से सम्मानित हुई।
उनकी जिज्ञासा यही खत्म नही हुई और उनके मनोबल को उनके पति एमजीपीजी के भौतिक विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ सुबोध चन्द्र वर्मा ने भरपूर प्रोत्साहित किया। उनके व योद्धा मार्शल आर्ट्स क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम किशुन व महिला विंग की प्रमुख अनुप्रिया आनंद ने कड़ा प्रशिक्षण व परिश्रम कराया और फिर ब्लैक बेल्ट के लिए प्रदेश भर के परीक्षार्थी बनारस के सारनाथ पहुंचे। वहां फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार के साथ मार्शल आर्ट सीखने वाले मेहुल बोहरा मुख्य ट्रेनर व अतिथि के रूप में मौजूद थे। उन्होंने परीक्षा ली जिसमें जागृति वर्मा पास हुई और उन्हें मेहुल बोहरा ने ब्लैक बेल्ट से सम्मानित किया।
68 वर्षीय ब्लैक बेल्ट जागृति वर्मा ने बताया कि यह भारतीय शौर्य कला यानी इंडियन मार्शल आर्ट का कमाल है इसके कारण वह उम्र के चौथे पायदान पर पहुंचने के बाद भी मार्शल आर्ट सिख सखी और ब्लैक बेल्ट हासिल कर पाई। इंडियन मार्शल आर्ट काफी सॉफ्ट आर्ट है, इसे 7 साल से लेकर 70 साल तक की उम्र का कोई भी बेहद आसानी से सीख सकता है। भारतीय शौर्य कल हिंसा की बजाय संतुलन सिखाती है, इसमें संपूर्ण योग समाहित है। यही कारण है कि प्राचीन युग में इस सांसारिक लोगों के साथ-साथ बैरागियों ने भी अपनाया था। यह शरीर की आंतरिक और वाहय शक्तियों के जागरण की विधा है, यह कला मानव शौर्य जाग्रत करती है। इस कला के माध्यम से शरीर शक्ति, आत्म शक्ति और मन कि शक्ति को जगा कर प्रचंड शरीर बाल आत्म बल और मनोबल हासिल किया जा सकता है। यह कला मानव को महामानव बनने की विधा है, संसार की उत्पत्ति के साथ ही इस कला की भी उत्पत्ति हुई थी।
मान्यता है कि यह कला भगवान शिव की 16 कलाओं में से एक है। प्राचीन काल में इसे देवी, देवताओं, राजाओं, राजकुमारों और बैरागियों ने अपनाया था। प्राचीन धर्म ग्रंथो में इसका उल्लेखनीय निःयुद्ध के रूप में मिलता है। लड़कियों और महिलाओं के लिए तो यह क्षेत्र अत्यंत विशिष्ट है। नारी सुरक्षा और महिला हिंसा की आज के इस दौर में भारतीय सौर्य कल लड़कियों और महिलाओं को सुरक्षा को और सुरक्षित रखने के साथ ही स्वयं सक्षम भी बन सकता है। हर लड़की महिला को इंडियन मार्शल आर्ट अवश्य सीखना चाहिए नारी समाज को यही मेरा संदेश है।
Mar 28 2024, 16:23