*मदनपुरा इंटरकॉलेज में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य मंच का गठन हुआ*

खजनी गोरखपुर।ब्लॉक क्षेत्र के मदनपुरा गांव में स्थित नवभारत कृषक इंटरकॉलेज मदनपुरा में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य मंच का गठन किया गया। जिसमें उपस्थित विद्यार्थियों को स्वास्थ्य एवं बिमारियों से बचाव के लिए अपनाए जाने वाले विभिन्न उपायों की विस्तार सहित जानकारियां दी गईं।

इस दौरान इंटरकाॅलेज में आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मनीषा चौबे द्वितीय पुरस्कार खुशी तृतीय पुरस्कार दिव्या तथा 10 बच्चों को अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार देत कर सम्मानित किया गया। इस दौरान डा.त्रिवेणी कुमार द्विवेदी डॉ.सी.बी. यादव,विकास कुमार, विजय कुमार,सुबेश राय एवं विद्यालय के प्राचार्य शैलेन्द्र कुमार,सीमा तिवारी,प्रिया रौनियार, सुनीता राय, सुरेन्द्र मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

*टीबी और कुष्ठ रोगी खोजने में मददगार बनेंगे आयुष, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सक*

गोरखपुर। जिले के आयुष, यूनानी और होम्योपैथिक चिकित्सक भी टीबी और कुष्ठ रोगी खोज कर उनका उपचार करवाने में मददगार बनेंगे । इसी उद्देश्य से पहली बार जिले के ऐसे तीन सौ से अधिक चिकित्सकों का एनेक्सी भवन सभागार में गुरूवार की देर शाम तक संवेदीकरण किया गया ।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में हुई इस संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान चिकित्सकों को यह भी बताया गया कि गैर सरकारी नियमित चिकित्सक के अलावा अगर कोई चिकित्सक नया टीबी मरीज खोज कर नोटिफिकेशन करता है तो उसे राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 500 रुपये सूचनादाता के तौर पर उसके खाते में दिये जाते हैं ।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिला क्षय और जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ गणेश यादव ने कहा कि अगर किसी को भी दो सप्ताह से अधिक की खांसी, पसीने के साथ बुखार, सीने में दर्द, बलगम में खून आने, सांस फूलने, भूख न लगने और अत्यधिक कमजोरी की दिक्कत हो तो उसे टीबी की जांच अवश्य करवानी चाहिए । इसकी सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) पर भी उपलब्ध है ।

 जांच में टीबी की पुष्टि होने पर मरीज का इलाज शुरू कर दिया जाता है और उसके निकट सम्पर्कियों की भी जांच कर बचाव के सभी उपाय किये जाते हैं। टीबी मरीज जब उपचार लेना शुरू कर देता है तो तीन सप्ताह के बाद उससे दूसरे लोगों को टीबी संक्रमण की आशंका नहीं रह जाती है । यही वजह से कि टीबी के लक्षण वाले अधिकाधिक मरीजों की टीबी जांच कर समय से उनका उपचार करने पर जोर है ।

 सभी चिकित्सकों को चाहिए कि अपने ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच से दस फीसदी की टीबी जांच अवश्य करवाएं।

डॉ गणेश यादव ने कहा कि अगर शरीर पर सुन्न दाग धब्बे हैं जो चमड़ी के रंग से हल्के हों तो यह कुष्ठ रोग हो सकता है । इसके जांच और इलाज की सुविधा सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है ।

 जांच व इलाज में देरी होने पर यह दिव्यांगता और विकृति का रूप ले सकता है । उपचार लेने वाले कुष्ठ रोगी से इसके संक्रमण का खतरा नहीं होता है । कुष्ठ न तो पूर्व जन्म का पाप है और न ही यह वंशानुगत बीमारी है।

 छह माह (पीबी कुष्ठ रोग) से एक वर्ष तक (एमबी कुष्ठ रोग) के इलाज से यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है । कुष्ठ मरीजों को जिला कुष्ठ रोग कार्यालय द्वारा विभिन्न विभागीय और सामाजिक योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है जिसके लिए किसी भी कार्यदिवस पर सम्पर्क किया जा सकता है ।

कार्यक्रम को क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ मीनू सोनी, जिला होम्योपैथिक अधिकारी डॉ मीना दोहरे, मंडलीय यूनानी अधिकारी डॉ अब्दुल बारी और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय आनंद ने भी सम्बोधित किया । 

इस मौके पर उप जिला क्षय रोग अधकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कंसल्टेंट डॉ दीपक चतुर्वेदी, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र, मिर्जा आफताब बेग और आसिफ प्रमुख तौर पर मौजूद रहे ।

मिलीं कई अहम जानकारियां

कार्यक्रम की प्रतिभागी व आयुष चिकित्सक डॉ स्वाति त्रिपाठी ने बताया कि वह 14 वर्षों से प्रैक्टिस कर रही हैं। टीबी के बारे में तो बेसिक जानकारी थी लेकिन पहली बार इससे जुड़ी योजनाओं के बारे में इतने विस्तार से जानकारी मिली है । 

हमे बताया गया है कि खांसी और बुखार वाले पांच से दस फीसदी मरीजों की टीबी जांच अवश्य करवानी है । टीबी मरीज का इलाज चलने तक प्रति माह 500 रुपये की दर से पोषण के लिए धनराशि उसके खाते में भेजी जाती है । पिछले 13 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे आयुष चिकित्सक डॉ धनंजय ने बताया कि कुष्ठ के बारे में पहली बार विस्तार से जानने को मिला है । सुन्न दाग धब्बों के अलावा नसों में सूजन और मोटापन के लक्षण वाले मरीजों की स्क्रिनिंग कर कुष्ठ जांच करवाना है। कुष्ठ का सम्पूर्ण इलाज संभव है ।

जिले की स्थिति

डॉ गणेश यादव ने बताया कि जिले में इस समय 277 कुप्ठ रोगी उपचाराधीन हैं। 9496 ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 361 ड्रग रेसिस्टेंट मरीज भी उपचार ले रहे हैं । 

जिले में 122 फीसदी टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन हुआ है । अधिकाधिक टीबी और कुष्ठ मरीजों को खोज कर उपचार देने के उद्देश्य से जिले में प्रभावशाली समूहों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

*गोरखपुर में जल्द शुरू होगा सीबीजी का कमर्शियल उत्पादन*

गोरखपुर। जल्द ही गोरखपुर देश के बायो फ्यूल उत्पादन करने वाले जिलों की रैंकिंग में शामिल हो जाएगा। इसके लिए धुरियापार के बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स में कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) के कमर्शियल उत्पादन की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। अक्टूबर 2023 से ही यहां स्थापित प्लांट का ट्रायल जारी है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इसका औपचारिक उद्घाटन होगा।

गुरुवार को कमिश्नर अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश और मुख्य विकास अधिकारी संजय मीना ने इंडियन ऑयल की तरफ से लगाए गए प्लांट का निरीक्षण कर ट्रायल का अवलोकन किया और इसे पूर्णरूप से संचालन योग्य बनाने के आयामों पर चर्चा की।

धुरियापार की बंद पड़ी चीनी मिल के 50 एकड़ परिसर में बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराने की जिम्मेदारी इंडियन ऑयल काॅरपोरेशन लिमिटेड के पास है।

इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 18 सितंबर 2019 को किया था। इस कॉम्प्लेक्स में पहले चरण में सीबीजी और दूसरे चरण में एथेनाल का उत्पादन होना है। पहले चरण में सीबीजी प्लांट तैयार हो गया है जबकि दूसरे चरण में 900 करोड़ रुपये से टूजी (सेकेंड जेनरेशन) एथेनॉल प्लांट का निर्माण होगा। 169 करोड़ रुपये की लागत वाली सीबीजी प्लांट में प्रतिदिन 230 टन कचरे से 28 टन बाॅयो गैस बनाई जाएगी। इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद अक्टूबर 2023 से ही ट्रायल चल रहा है। इसमें पराली (पुआल, गेहूं के डंठल, मक्के की डाठ, गन्ने की पत्ती) और गोबर का इस्तेमाल किया जाएगा।प्लांट में कमर्शियल उत्पादन शुरू होने के साथ ही प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से पांच हजार लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

सीबीजी प्लांट का ट्रायल देखने पहुंचे कमिश्नर व डीएम को इंडियन ऑयल के अधिकारियों ने बताया कि कम्प्रेस्ड बायो गैस के उत्पादन के साथ ही यहां प्रतिदिन 150 कुंतल बायो खाद भी तैयार होगी। इस खाद को किसान प्लांट से सीधे खरीद सकेंगे। बायो खाद से मिट्टी की उर्वरा शक्ति के साथ फसलों की पैदावार भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन पराली व गोबर की आवश्यकता को देखते हुए अभी से इंतजाम किया जा रहा है ताकि प्लांट का संचालन निर्बाध हो सके।

बायो फ्यूल कॉम्प्लेक्स से किसानों को सर्वाधिक फायदा होगा। इसमें कच्चे माल के रूप में अब तक खेतों में जला दी जाने वाली पराली, अन्य अपशिष्ट और गोबर का प्रयोग होगा। प्लांट की ओर से इन चीजों की खरीद की जाएगी, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। इसके साथ ही उत्पादन से वितरण तक विभिन्न प्रकार के रोजगार भी सृजित होंगे।

*आर्थ्रोस्कॉपी दूरबीन विधि से निकाला गया घुटने का बड़ा ट्यूमर*

गोरखपुर।24 साल के बड़हलगंज के सिविल इंजीनियर नवनीत सिंह बिसेन को पिछले 3 साल से दाहिने घुटने में दर्द और सूजन था। 1 साल पहले SGPGI लखनऊ में दिखाने पर MRI कराया गया तो पता चला की उसके दाहिने घुटने में tumor है. उसके बाद नवनीत कई जगह इलाज कराते रहे मगर कोई लाभ नहीं मिला।

वरिष्ठ जोड़ प्रत्यारोपण एवं दूरबीन विधि के ऑपरेशन के विशेषज्ञ डॉ इमरान अख्तर को दिखाने पर उन्होंने कल दिनांक 6 फरवरी 2024 को दूरबीन विधि( आर्थ्रोस्कॉपी) द्वारा 4 मिलीमीटर छोटे छेद से ट्यूमर के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसे निकाल दिया. ऑपरेशन के दिन से ही मरीज को दर्द और सूजन से राहत हो गई और उसने आज से ही अच्छे से चलना शुरू कर दिया।

डॉ इमरान अख्तर ने बताया की जोड़ों का दूरबीन विधि ( आर्थ्रोस्कॉपी) द्वारा बहुत सारी बीमारियों का इलाज संभव हो जाता है, 4 मिलीमीटर छोटे छेद से पूरा ऑपरेशन हो जाता है , ऑपरेशन के बाद दर्द बहुत कम होता है ,खून का स्राव ना के बराबर होता है, और मरीज अगले दिन से चलना शुरू कर देता है इससे उसके अंदर ठीक होने का आत्मविश्वास जाग उठता है. यह सुविधा अब गोरखपुर में उपलब्ध है।

*भारत-नेपाल सीमावर्ती थारू जनजाति क्षेत्रों में चतुर्थ गुरू गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 9 फरवरी को होगा आयोजित*

 गोरखपुर ।विगत चार वर्षों से "नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन (एन०एम०ओ०)" गोरक्ष प्रान्त एवं अवध प्रान्त एवं अन्य सहयोगी संगठनों के सम्मिलित प्रयासों से भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा का सफल आयोजन करता रहा है।यह यात्रा भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में थारू जनजातीय एवं समीपवर्ती क्षेत्रों के 6 जिलों (लखीमपुर खीरी, बहराईच्च, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर एवं महराजगंज) में थारू जनजाति सहित सर्वसमाज के रोगियों की सेवा में आयोजित होती रही है। तीन दिन तक चलने वाले इस स्वास्थ्य सेवा यात्रा में 800 चिकित्सक उन्हीं के बीच रहेंगे और 290 गावों में जाकर लोगों की बीमारियों का निःशुल्क इलाज करेंगे।

चिकित्सा क्षेत्र में राष्ट्री स्वयंसेवक संघ की आनुशांगिक शाखा "नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन' गोरक्ष प्रान्त इस वर्ष गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 08 फरवरी से फिर निकालने जा रहा है। यह यात्रा 8, 9, 10 एवं 11 फरवरी 2024 तक चलेगी। (प्रान्त विद्यार्थी प्रमुख) डॉ अखिलेश्वर धर दूबे यात्रा संरक्षक डा महेन्द्र अग्रवाल व डा मंगलेश श्रीवास्तव (महापौर गोरखपुर) ने बुद्धवार को प्रेस क्लब गोरखपुर में पत्रकारों को बताया कि महापौर डा मंगलेश श्रीवास्तव, प्रान्त प्रचारक आर०एस०एस० सुभाष व मण्डलायुक्त अनिल ढींगरा गोरखनाथ मन्दिर से 08 फरवरी दोपहर 03 बजे यात्रा को रवाना करेंगे।

उत्तराखण्ड, बिहार व नेपाल के सीमावर्ती जिले (लखीमपुर खीरी, बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर व महराजगंज) जिलों में थारू जनजाति के साथ ही सर्वसमाज के मरीजों की सेवा करेंगे। सेवाकार्य का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यात्रा संरक्षक ने बताया कि इस स्वास्थ्य सेवा यात्रा में बी०आर०डी० मेडिकल कालेज गोरखपुर, एम्स गोरखपुर, पीआईडीएस गोरखपुर, देवरिया मेडिकल कालेज, आजमगढ़ मेडिकल कालेज, बस्ती मेडिकल कालेज व सिद्धार्थ नगर मेडिकल कालेज तथा प्राइवेट प्रैक्टिशनर के 800 चिकित्सक 09 से 11 फरवरी तक सेवा कार्य करेंगे।

चिकित्सकों की टोली 290 गावों में जाकर करीब सवा लाख से अधिक मरीजों की सेहत का संस्कार देगी।

उन्होंने बताया कि लोगों को बीमारी से बचाने के साथ ही चिकित्सकों में भी राष्ट्रीयता, नैतिकता व देशप्रेम का भाव जागृत करने का निरन्तर प्रयास किया जा रहा है।"नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन" के सचिव डा अमित सिंह श्रीनेत ने बताया कि पिछले वर्ष यह यात्रा 22 से 24 फरवरी तक आयोजित हुई थी।

 उस समय 52 मेडिकल कालेजों के 650 चिकित्सकों ने 280 शिविर लगाकर 85000 मरीजों का निःशुल्क उपचार, जांच करके दवायें दी थीं। उन्होंने कहा कि देशभर में सबसे अधिक रोगियों का ईलाज गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा में ही हो रहा है।

डा0 अमित सिंह ने बताया कि 09, 10 फरवरी को नोतनवा, निचलौल व सिद्धार्थनगर में कैम्प लगाकर रोगियों का निःशुल्क ईलाज तथा दवाइयां वितरित की जायेंगी। 

11 फरवरी को फरेन्दा तथा महराजगंज पी०जी कालेज में मेगा कैम्प की भी व्यवस्था की गयी है।प्रेस कॉन्फ्रेन्स मे महापौर डा0 मंगलेश श्रीवास्तव, डा० महेन्द्र अग्रवाल, डा० अमित सिंह श्रीनेत, बी०आर०डी० मेडिकल कालेज के डा0 अमरेश सिंह, डा० विभा सिंह, प्रान्त प्रचार प्रमुख आर०एस०एस० उपेन्द्र द्विवेदी आदि मौजूद रहेंगे।

*राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य ने किया मदरसों का निरीक्षण*

गोरखपुर। अपने दो दिवसीय गोरखपुर दौरे पर आए उ0प्र0 अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य बख्शीश अहमद वारसी ने बुधवार को नगर क्षेत्र में स्थित मदरसों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जामिया रिजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, मदरसा जियाउल उलूम गोरखनाथ और अंजुमन इस्लामिया ख़ूनीपुर का निरीक्षण करते हुए मदरसों में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों से मिले।

आपको बताते चलें कि अंजुमन इस्लामिया पहुंचने पर आयोग के सदस्य बख्शीश अहमद वारसी का स्वागत वहां उपस्थिय गुरुजनों द्वारा किया गया और अंगवस्त्र के अलावा फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया। बख्शीश अहमद वारसी ने मदरसे में चल रही शैक्षणिक गतिविधियों का निरीक्षण किया।

इस दौरान आयोग के सदस्य ने कहा कि आयोग को लेकर पूर्वांचल के लोगों में जागरूकता नही है। हमें लोगों में जागरूकता पैदा करने की ज़रूरत है ताकि अधिक से अधिक लोगों को न्याय मिल सके।

*अबकी बार 400 पार के मिशन पर जुटने की जरूरत : सहजानंद राय*

ओमप्रकाश श्रीवास्तव

गोरखपुर। बुधवार को भारतीय जनता पार्टी गोरखपुर क्षेत्र के सभी विभाग एवं प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय पदाधिकारियों की बैठक पार्टी कार्यालय रानीडीहा में संपन्न हुई । यहां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर व्यापक रणनीति बनाई गई।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय ने कहा कि भाजपा निरंतर संगठनात्मक प्रक्रिया के माध्यम से आगे बढ़ती रहती है। भाजपा संगठन और सरकार के आपसी समन्वय के परिणाम स्वरूप आज जनहित के कार्यों का एक नया आयाम दिख रहा है।

समाज के हर वर्ग चिकित्सक, प्रबुद्ध, अधिवक्ता, शिक्षक, किसान ,व्यापारी, छात्र, नारी शक्ति का सम्मेलन आयोजित कर सीधा संवाद किया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप भारतीय जनता पार्टी द्वारा चलाए जा रहे सभी अभियानों में समाज के हर वर्ग का भरपूर सहयोग, समर्थन व आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।

उन्होंने भाजपा के सभी विभागों व प्रकोष्ठों के पदाधिकारी को अपने-अपने निवास स्थान से संबंधित दो बूथों को गोद लेने का संकल्प दिलाया। क्षेत्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार 400 के पार का लक्ष्य संगठन के कार्यकर्ताओं को दिया है। ऐसे में विभाग और प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों को इस लक्ष्य को मिशन के रूप में लेने की जरूरत है।

भारतीय जनता पार्टी प्रकोष्ठ/ विभाग के प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने सभी विभागों प्रकोष्ठों में चल रहे संगठनात्मक कार्यों की समीक्षा करते हुए आगामी कार्य योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने संपर्क से समर्थन पर जोर देते हुए कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बूथ स्तर पर सभी विभाग एवं प्रकोष्ठ के पदाधिकारी वहां निवास कर रहे अपने कार्यकर्ताओं को पन्ना प्रमुख बनाकर, और स्वयं भी पन्ना प्रमुख बनकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी करें।

उन्होंने भाजपा की नीतियों और केंद्र और राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने का आह्वान भी किया। बैठक संचालन क्षेत्रीय महामंत्री सुनील गुप्ता ने किया। इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता राम जियावन मौर्य, प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक डा अजय मणि त्रिपाठी,

व्यवसायिक प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक सीए ओपी मिश्रा, चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश डा अभय मणि त्रिपाठी, प्रदेश संयोजक पंचायत प्रकोष्ठ रमेश सिंह, प्रदेश संयोजन एनजीओ प्रकोष्ठ संदीप शाही, प्रदेश सह संयोजक अजय सिंह, क्षेत्रीय संयोजक मीडिया संपर्क विभाग सिद्धार्थ शंकर पांडेय, सह संयोजक अंकित मिश्रा राष्ट्रवादी, क्षेत्रीय सह मीडिया प्रभारी राहुल तिवारी, डा. वाई सिंह, डा. मनोज यादव, पियूष मिश्रा,अनादि प्रिय पाठक, भोला अग्रहरी, अजय सिंह, सह संयोजन राजेश प्रकाश मिश्रा,विष्णु जयसवाल सहित भाजपा के सभी विभागों और प्रकोष्ठों के क्षेत्रीय संयोजक और सह संयोजक मौजूद रहे।

*सीएम सिटी में बड़ा खेला, विभिन्न पार्टियों के 12 पार्षदों ने ली भाजपा की सदस्यता*

गोरखपुर। लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में बड़ा खेला सभी विपक्षी पार्टियों के साथ कर दिया। जिसमें समाजवादी पार्टी, बसपा सहित अन्य पार्टियां भी शामिल है। सीएम सिटी भी इस खेला से अछूता नहीं रहा यहां के भी नगर निगम के 12 पार्षदों ने लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

सदस्यता ग्रहण करने वालों में समाजवादी पार्टी के विश्वजीत त्रिपाठी सोनू, निर्दल पार्षद समद गुफरान साजू, अरविंद, रीता, सतीश चंद, सरिता यादव, मीना देवी, छोटेलाल, दिनेश उर्फ शालू, जयंत कुमार, बबलू गुप्ता उर्फ छट्टी लाल, भोला निषाद, माया देवी, समीना (बसपा) सौरभ विश्वकर्मा शामिल रहे।

इसमें विश्वजीत त्रिपाठी सपा से कार्यकारिणी सदस्य भी हैं। अब कार्यकारिणी में भाजपा के दस पार्षद हो जायेंगे। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले पार्षदों ने डबल इंजन की सरकार को पूर्ण रूप से समर्थन देने का वादा भी किया उन्होंने कहा कि भाजपा की जनकल्याणकारी योजनाएं और नीतियों से वह प्रभावित होकर भाजपा को मजबूती देने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में कम से कदम मिलाकर चलने का कार्य करेंगे।

*आरबीएसके के प्रयासों से टीबी मुक्त हो कर पढ़ने लिखने लगा हरीश*

गोरखपुर। नौ वर्ष का हरीश भी अब दूसरे बच्चों की तरह पढ़ाई लिखाई तो करता ही है, खेलकूद में भी सबसे आगे रहता है । अब वह अपने प्राइमरी स्कूल का होनहार बच्चा बन चुका है । यह सब संभव न हो पाता अगर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) सरदारनगर की टीम ने उसमें गैर संक्रामक एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी की पहचान समय से न की होती ।

टीम ने न केवल बीमारी को पहचाना बल्कि जिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाकर जांच और इलाज में मदद की । जो टीबी हरीश को दिन प्रतिदिन कमजोर बना कर पढ़ाई में बाधा पैदा कर रही थी, वह मात्र छह माह के इलाज में ठीक हो गयी ।

सरदारनगर ब्लॉक के शिवपुर के रहने वाले हरीश की 46 वर्षीय मां शारदा बताती हैं कि वर्ष 2022 की शुरूआत में उसके गर्दन में गांठ निकलने लगी। हल्का फुल्का बुखार भी होता था । वह कुछ खा नहीं पाता था। इससे दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था ।

हरीश का पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। उसे आसपास के कई चिकित्सकों को दिखाया गया, लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो सकी । इलाज में करीब दस हजार रुपये खर्च भी हो गये ।

परिवार में आय का साधन हरीश के पिता दीनानाथ की एकमात्र कमाई है जो पेशे से इलेक्ट्रिशियन हैं। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि हरीश को किसी उच्च चिकित्सा केंद्र में दिखाया जा सके ।

शारदा ने बताया कि अप्रैल 2022 में आरबीएसके की टीम ने गांव के प्राइमरी स्कूल का दौरा किया । हरीश वहां पर कक्षा तीन का छात्र था । चिकित्सक डॉ अरूण कुमार त्रिपाठी और ऑप्टोमैट्रिस्ट अमित बरनवाल ने उन्हें भी स्कूल बुलाया और बताया कि उनके बच्चे में एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी की आशंका है ।

यह टीबी एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती है लेकिन समय से इलाज न होने पर बच्चे के लिए दिक्कत बढ़ सकती है । टीम ने बच्चे को जिला क्षय रोग केंद्र ले जाकर तत्कालीन जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ रामेश्वर मिश्र को दिखाया । उन्होंने बच्चे को एक्स्ट्रा पल्मनरी की टीबी जांच के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर किया, जहां जांच के बाद टीबी की पुष्टि हो गयी ।

शारदा बताती हैं कि हरीश का इलाज 27 अप्रैल 2022 को शुरू हुआ और छह महीने में वह ठीक हो गया । दवाएं प्रति माह सरदारनगर पीएचसी से ही मिलीं । वह बताती हैं कि बच्चे के इलाज में शिक्षक कृष्णमुरारी का भी विशेष योगदान है, जिनकी मदद से ही आरबीएसके टीम द्वारा स्क्रिनिंग हो सकी ।

अब भी टीम हरीश का फॉलो अप कर रही है, हांलाकि उसे कोई दिक्कत नहीं है । गले की गांठ भी खत्म हो चुकी है । इलाज के दौरान 3000 रुपये खाते में भी मिले जिसकी मदद से हरीश को प्रोटीनयुक्त खानपान जैसे दूध, अंडा, सोयाबीन, फल, हरी सब्जियां आदि खिलाईं जा सकीं।

पांच बच्चों का कराया इलाज

आरबीएसके चिकित्सक डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ हरिओम पांडेय और डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना के दिशा निर्देशन में टीम ने टीबी के पांच बाल मरीजों की पहचान करवा कर इलाज की सुविधा दिलाई है ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी और जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव के निर्देशन में प्रत्येक वर्ष टीबी स्क्रिनिंग के संबंध में आरबीएसके टीम को प्रशिक्षित किया जाता है । इससे मरीजों की पहचान करने में टीम को आसानी होती है ।

ठीक हुए 337 टीबी पीड़ित बच्चे

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि वर्ष 2023 में टीबी से ग्रसित 1113 मरीज ओपीडी, एचडब्ल्यूसी, आरबीएसके टीम आदि के सहयोग से खोजे गये । इनमें से 337 बच्चे इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं । बाकी का इलाज जारी है । समय से पहचान हो जाने पर टीबी का इलाज छह माह में आसानी से हो जाता है ।

इलाज में देरी करने पर टीबी ड्रग रेसिस्टेंट हो जाता है, जिसका इलाज जटिल है और इसमें डेढ़ से दो साल तक का समय लग जाता है ।

लक्षण दिखे तो कराएं जांच

अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, लगातार कमजोरी, भूख न लगना, बलगम में खून आना, पसीने के साथ रात में बुखार जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत टीबी जांच कराई जानी चाहिए।

जिले में आरबीएसके की 38 टीम कार्य कर रही हैं जो स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाती हैं। इन टीम की मदद से बाल मरीजों का इलाज कराया जा सकता है । सिर्फ गैर उपचाराधीन फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है। वह भी इलाज शुरू होने के तीन सप्ताह बाद एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती ।

शरीर के बाकी अंगों की टीबी गैर संक्रामक होती है । मरीज से बिना भेदभाव किये उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें और जनपद को टीबी मुक्त बनाएं।

*दिग्विजयनाथ पी जी कॉलेज के शिक्षक डॉ पवन कुमार पाण्डेय ने नेटवर्क डिवाइस डिजाइन को कराया इंटरनेशनल पेटेंट*

गोरखपुर। डॉ पवन कुमार पाण्डेय ने कहा की नेटवर्क घुसपैठ का पता लगाने और रोकथाम के लिए स्मार्ट डिवाइस के डिजाइन का इंटरनेशनल पेटेंट ग्रांट यूनाइटेड किंगडम से प्राप्त हुआ है, यह प्रस्तावित उपकरण समकालीन नेटवर्क वातावरण में बढ़ती साइबर-सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करता है। एडवांस मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और वास्तविक समय की निगरानी का लाभ उठाते हुए, एसडी-डीपीएनआई एक गतिशील और अनुकूली घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली प्रदान करता है।

उन्होंने आगे कहा की नेटवर्क ट्रैफ़िक पैटर्न का लगातार विश्लेषण करके, डिवाइस सामान्य व्यवहार और संभावित खतरों के बीच अंतर करता है, जिससे झूठी सकारात्मकता में काफी कमी आती है। मुख्य विशेषताओं में स्वचालित प्रतिक्रिया तंत्र, उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस और मौजूदा सुरक्षा बुनियादी ढांचे के साथ सहज एकीकरण शामिल हैं। एसडी-डीपीएनआई साइबर-सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जो नेटवर्क घुसपैठ के उभरते परिदृश्य के खिलाफ एक बुद्धिमान और सक्रिय रक्षा प्रदान करता है, इंटरकनेक्टेड सिस्टम की अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

इस उपलब्धि का श्रेय हमारे पूज्य महाराज जी एवं वर्तमान मुख्यमंत्री ,उत्तर प्रदेश को जाता है ,जिनका उद्बोधन हमें निरंतर प्रेरित करता है साथ ही हमारे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो ओमप्रकाश सिंह एवं आइ.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर प्रो परीक्षित सिंह की प्रेरणा हमें इस प्रकार के कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार के कार्य में पूरी टीम का योगदान होता है और इस पेटेंट डिजाइन टीम में  मुख्य सहयोगी के रूप में  चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से हरीश सैनी , डॉ ललित कुमार, ज्योति सैनी, अनूप आर्य एवं पानीपत इंजीनियरिंग कॉलेज से डॉ दिनेश वर्मा और डॉ दीपक कौशिक रहे हैं।

डॉ पवन ने कहा की हम गोरखपुर मंडल से जुड़े सभी विश्वविद्यालयों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों का आह्वाहन करते हैं की आप लोग भी साथ आएं और हम सभी मिलकर गोरक्षपीठ की इस पावन धरती को अनुसंधान एवं पेटेंट के क्षेत्र में विश्व पटल पर स्थापित करें।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि

मैंने जबसे प्राचार्य पद संभाला है तबसे लेकर पठन- पाठन के साथ - साथ सेमिनार,रिसर्च ,पुस्तक प्रकाशन और पेटेंट्स भी मेरी प्राथमिकता में रहे हैं। 

जब भी हमारी बैठक माननीय मुख्यमंत्री जी से होती है तो शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उनका भी जोर बार- बार सेमिनार,रिसर्च , पुस्तक प्रकाशन और पेटेंट्स को लेकर रहता है। 

मैं भाग्यशाली हूं की मेरी पास महाविद्यालय की ऐसी टीम है जो हमारे आइ.क्यू.ए.सी कोऑर्डिनेटर प्रो परीक्षित सिंह के साथ सेमिनार, रिसर्च,पुस्तक प्रकाशन और पेटेंट्स पर कार्य कर रही है।

महाविद्यालय के साथ ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद भी आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है की हमारे कंप्यूटर विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर ने " नेटवर्क घुसपैठ का पता लगाने और रोकथाम के लिए स्मार्ट डिवाइस डिजाइन" का यू.के.से एक इंटरनेशनल पेटेंट ग्रांट प्राप्त किया है। मैं इस अवसर पर डॉ पवन पाण्डेय सहित पूरी टीम को शुभकामनाएं देता हूं।

आई.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर प्रो परिक्षित सिंह ने डॉ पवन पाण्डेय को बधाई देते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ये पल हमारे लिए गौरव का है ।

प्राचार्य जी ने जब मुझे आई.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी तो मेरी लिए इस पद पर कार्य करते हुए संस्था की गुणवत्ता के उन्नयन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी।

परंतु  डॉक्टर पवन पाण्डेय जैसे युवा सहयोगी साथियों के सहयोग से निश्चित तौर पर आई.क्यू.ए.सी की पूरी टीम ने शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु बेहतर कार्य करते हुए अन्य शिक्षण संस्थानों से हमारे शिक्षकों ने अवार्ड एवं सम्मान भी प्राप्त किया है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा कॉलेज को  गोरखनाथ स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ है।

आई.क्यू.ए.सी कोऑर्डिनेटर होने के नाते हम रिसर्च ,पुस्तक प्रकाशन एवं पेटेंट के क्षेत्र में गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के साथ- साथ अन्य शैक्षणिक संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के साथ भी समझौता ज्ञापन पर  हस्ताक्षर कर शैक्षणिक उन्नयन हेतु कार्य करेंगे। 

वर्तमान में यूजीसी द्वारा नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव होने जा रहा है और अब वही संस्थान नैक मूल्यांकन में उत्कृष्ट लेवल प्राप्त कर पाएंगे जो पठन-पाठन के साथ साथ रिसर्च, पुस्तक प्रकाशन, पेटेंट्स, समझौता ज्ञापन के माध्यम से फैकल्टी एक्सचेंज पर कार्य करेंगे।