अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन का हुआ लोकार्पण, बाल विवाह मुक्त भारत का खाका पेश करती है यह पुस्तक
किशनगंज : अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में चल रहे 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान के दौरान गैर सरकारी संगठन जन निर्माण केंद्र ने राज्य के किशनगंज जिले में भुवन ऋभु की किताब 'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज' का लोकार्पण किया।
प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के प्रखर अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्यर्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के सलाहकार भी हैं। बाल विवाह से सबसे ज्यादा प्रभावित 300 से ज्यादा जिलों में नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहद अहम दस्तावेज के रूप में यह किताब एक समग्र वैचारिक आधार, रूपरेखा और कार्ययोजना पेश करती है। इस अभियान का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह का पूरी तरह खात्मा और इस तरह हर साल 15 लाख बच्चियों को बाल विवाह से बचाना है। अभियान खास तौर से देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सरकारी नीतियों और कानूनों के क्रियान्वयन पर केंद्रित हैं।
इस किताब का लोकार्पण बाल विवाह पीड़ित/कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने किया। इस मौके पर उप विकास आयुक्त सह प्रभार जिलाधिकारी ,किशनगंज के अतिरिक्त सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई एवं सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांक भी मौजूद थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डी डी सी ने कहा बाल विवाह की चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन बहुत कुछ बाकी है क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढ़ियों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा।
'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन' सुझाती है कि 2030 तक राष्ट्रीय बाल विवाह दर को 5.5 प्रतिशत तक लाना संभव है- ये संख्या वो देहरी है जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी।
भुवन ऋभु अपनी किताब में लिखते हैं, “जरूरत है बस समस्या की गंभीरता को समझते हुए दृढ़ संकल्प के साथ यह कहने की कि, ‘अब और नहीं’। पैदा होते ही मां को खो देने, बेचे जाने, बलात्कार का शिकार होने का मतलब एक बच्चे का बार-बार मरना है।”
इस अवसर पर गैर सरकारी संगठन जन निर्माण केंद्र के संध्या कुमारी बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में 'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन' को एक सामयिक और अहम हस्तक्षेप बताते हुए कहा, “नागरिक समाज और सरकार, दोनों ही बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समर्पण से काम कर रहे हैं। लेकिन हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद अब भी बड़ी तादाद में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं और इस अपराध से मुकाबले के लिए जब तक हमारे पास एक समन्वित योजना नहीं होगी, तब तक बाल विवाह के खिलाफ टिपिंग प्वाइंट के बिंदु तक पहुंचना एक मुश्किल काम होगा। यह किताब 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने का एक रणनीतिक खाका पेश करती है। यह किताब हमें प्रेरित करने के साथ उम्मीद बंधाती है कि बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का हमारा लक्ष्य सिर्फ सपना ही नहीं रहेगा, यह साकार होकर रहेगा।”
किताब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक योजना की रूपरेखा भी पेश करती है। यह 'पिकेट' रणनीति के माध्यम से सरकार, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों से नीतियों, निवेश, संम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक पारिस्थितिकी जहां बाल विवाह फल-फूल नहीं पाए और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती है।
गैर सरकारी संगठन कैलाश सत्यर्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन देश के कोने-कोने के 288 जिलों में कार्यरत 160 संगठनों के साथ मिल कर स्थानीय और जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है। ये सभी संगठन 16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत दिवस की तैयारियों में जुटे हैं। इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश दिया जाएगा कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए। ।
16 अक्तूबर 2023 बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की पहली वर्षगांठ है और तब से लेकर अब तक सामुदायिक सदस्यों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के प्रयासों से हजारों बाल विवाह रोके गए हैं और लाखों लोगों ने अपने समुदायों में बाल विवाह नहीं देने की शपथ ली है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से समन्वय स्थापित कर जिला समाहरणालय से डेमार्केट होते हुए बालिका उच्च विद्यालय तक साईकिल रैली में संस्थागत सहयोग किया गया। इसके उपरांत 08 विशेष जागरूकता के कार्यक्रम किए गए। जिसमे 05 भिन्न भिन्न उच्च विद्यालय के बालिकाओं के साथ, साथ ही सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई के अध्यक्षता में प्रेस वालों के साथ परिचर्चा की गई।
उक्त कार्यक्रम में संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मुजाहिद आलम, विधिक सलाहकार पंकज कुमार झा, संस्था के सभी सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
किशनगंज से शबनम खान की रिपोर्ट
Jan 26 2024, 12:50