Purnea

Jan 23 2024, 18:58

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 127 वीं जयंती पर विधायक विजय खेमका ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया

पूर्णिया : शहर के भट्ठा सुभाष चौक पर हर वर्ष की भांति आयोजित नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 127 वीं जयंती पर सदर विधायक विजय खेमका ने नेताजी को याद कर पुष्प अर्पित कर नमन किया।

जयंती के अवसर पर राम कृष्ण मठ के स्वामी जी एवं कमिटी के लोगों के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं सहित उपस्थित लोगों ने राष्ट्रगान गाकर नेता जी अमर रहे का का जय घोष किया।

इस अवसर पर विधायक ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। 2021 में मोदी की सरकार ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस घोषित किया|

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन के करिश्माई नेता प्रेरक व्यक्तित्व को राष्ट्र याद करता है। नेताजी की जीवनी उनके क्रांतिकारी विचार और उनका कठोर त्याग, बलिदान, युवा शक्ति के लिए प्रेरणा दायक है|

श्री खेमका ने कहा कि नई जान फुकने वाले नारे तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा, दिल्ली चलो दिल्ली चलो और जय हिन्द ने आजादी की लड़ाई को और तेज कर दिया था | उच्च शिक्षा के उपरांत भी देश के लिए सिविल सेवा की पद को नेताजी ने ठुकरा दिया था |

विधायक ने कि कहा आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना कर सुभाष चन्द्र बोस ने देश की आजादी का नेतृत्व किया | उनके कथन आज भी भारत की जनता में बसे हुए है | आज का दिन उनके त्याग, बलिदान, राष्ट्रभक्ति से सिख लेने की आवश्यकता है | आज हम सब उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें।

पूर्णिया से जेपी मिश्र

Purnea

Jan 23 2024, 18:30

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की हुई समीक्षा बैठक, डीएम ने दिए कई निर्देश


पूर्णिया : आज मंगलवार को समाहरणालय स्थित प्रज्ञान सभागार में जिलाधिकारी कुंदन कुमार की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की मासिक समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में जिलाधिकारी कुंदन कुमार द्वारा सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में संचालित ओपीडी में ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जांच करने का निर्देश देते हुए, टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से गांव गांव के समान्य मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया है।

इस दौरान सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, डीपीएम स्वास्थ्य सोरेंद्र कुमार दास, डीएमओ डॉ आर पी मंडल, डीआईओ डॉ विनय मोहन,आईसीडीएस डीपीओ रीना श्रीवास्तव, यूनिसेफ डीसी शिव शेखर आनंद, डीसीक्यूए डॉ अनिल कुमार, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला सहित सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य अधिकारी व आईसीडीएस सीडीपीओ उपस्थित रहे।

ओपीडी में डॉक्टरों को अधिक से अधिक मरीजों को जांच करने का निर्देश

जिलाधिकारी कुन्दन कुमार द्वारा सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में उपस्थित सभी डॉक्टरों द्वारा ओपीडी में जांच कर रहे मरीजों की जानकारी ली गई।

सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि जिला में ओपीडी जांच 78 प्रतिशत हुआ है। रुपौली और भवानीपुर में ओपीडी सेवा अच्छा हुआ है। जिलाधिकारी द्वारा वहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को वहां पर नियमित बेहतर ओपीडी सेवा देने का निर्देश दिया है। जिससे कि वहां के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए बाहर नहीं जाना पड़े ।

इस दौरान जिलाधिकारी ने धमदाहा में हार्निया मरीज का सफल ऑपरेशन और बैसा में ब्लड प्रेशर मरीज का सफल इलाज करने पर संबंधित डॉक्टरों की प्रसन्नता की है।

जिलाधिकारी कुंदन कुमार द्वारा सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को बेहतर चिकित्सा देते हुए उसका सक्सेस स्टोरी रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है।

जिलाधिकारी द्वारा कहा गया कि बनबनखी में डॉक्टरों द्वारा ओपीडी जांच में हो रही कमी को दूर करने के लिए सिविल सर्जन द्वारा जिला स्तर की टीम बनाकर बनबनखी में उपस्थित डॉक्टरों के साथ बैठक आयोजित कर हो रही कमी को दूर किया जाए। जिस स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर की कमी है उसका रिपोर्ट किया जाए जिससे कि ओपीडी में उपस्थित सभी मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके।

इस दौरान जिले के सभी प्रखंडों के ओपीडी में ज्यादा मरीजों की जांच करने वाले 03 डॉक्टरों को जिलाधिकारी कुंदन कुमार द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है।

इसमें पहला स्थान मिले शहरी पीएसी के डॉ आर पी सिंह द्वारा ओपीडी में 2161 मरीजों की जांच की गई है। दूसरे स्थान मिले रेफरल अस्पताल अमौर के डॉ नवल किशोर भारती द्वारा ओपीडी, आकस्मिक कक्ष और अन्तःवासिय मरीज कक्ष में कुल 1886 मरीजों की जांच की गई है और तीसरा स्थान मिले रेफरल अस्पताल रुपौली के डॉ मदन मोहन द्वारा ओपीडी, आकस्मिक कक्ष और अन्तःवासिय मरीज कक्ष में कुल 1884 मरीजों की जांच की गई है।

जिलाधिकारी द्वारा अन्य डॉक्टरों को भी उनके तरह ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जांच कर उन्हें स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से गांव-गांव तक सेवा पहुँचने का करें प्रयास: जिलाधिकारी

जिलाधिकारी कुंदन कुमार द्वारा टेलीकंस्लटेंसी में पूर्णिया जिले के बेहतर प्रदर्शन के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को कई आवश्यक निर्देश दिया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा कहा गया कि टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से दूर दूर के मरीजों को आसानी से मेडिकल सहायता मिल सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग सामान्य बीमारी से ग्रसित होते हैं लेकिन व्यवस्था नहीं होने के कारण इलाज नहीं करवाते हैं। टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से लोग नजदीकी अस्पताल उपकेंद्र, एपीएचसी या हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर पहुँचकर ऑनलाइन माध्यम से प्रखंड के योग्य चिकित्सकों से मेडिकल सहायता ले सकते हैं। उसके बाद डॉक्टर के निर्देश पर एएनएम के द्वारा संबंधित बीमारी की आवश्यक दवाई लेकर उसका उपयोग कर स्वस्थ रह सकते हैं। टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से गांव गांव के लोगों को मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने का सभी अधिकारियों को प्रयास करना चाहिए। टेलीकंस्लटेंसी में पूर्णिया राज्य में पहला स्थान प्राप्त कर चुका है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को इसमें विशेष फोकस करना है ताकि पूर्णिया हमेशा टेलीकंस्लटेंसी में पहले स्थान पर रह सके। इसके लिए आंगन बाड़ी के कर्मियों को भी जोड़ने का जिलाधिकारी महोदय ने निर्देश दिया है।

पूर्णिया से जेपी मिश्र

Purnea

Jan 23 2024, 12:56

मिलने आये व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल से बोलें सीएम नीतीश कुमार, बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए लक्ष्य के साथ करें काम

डेस्क : बीते सोमवार को व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने व्यवसायियों से कहा है कि वे सभी बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लक्ष्य के साथ काम करें। 

इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अपनी आस्था व्यक्त की और व्यवसायी समाज के उत्थान और सम्मान के लिए उनके की ओर से किए गए कार्यों के लिए उनके प्रति आभार जताया। 

जदयू व्यावसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ के संयोजक ललन कुमार सर्राफ के नेतृत्व में वैश्य समाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित लोगों का प्रतिनिधिमंडल सीएम से एक अणे मार्ग स्थित उनके कार्यालय में मिला। ये सभी उन एक हजार लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने जदयू व्यावसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ की ओर से 20 एवं 21 जनवरी को जदयू मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी की सदस्यता ली थी। 

मुख्यमंत्री से मिलने वालों में कंचन गुप्ता, यूपी गुप्ता, सुरेश साहू, संतोष गुप्ता, मृदुला कुमारी, राजन गुप्ता, विनोद गुप्ता, भीमसेन प्रसाद गुप्ता, विनोद साह, शंभू कुमार, रंजीत कुमार गुप्ता, अरुण साह, नवीन उर्फ नगीना चैरसिया, नीरज चैरसिया, सुनील कुमार सिन्हा, एनपी प्रियदर्शी, अभिनंदन कुमार एवं सिद्धार्थ कुमार चैरसिया शामिल हैं।

Purnea

Jan 23 2024, 12:29

ठंड में स्कूलों को बंद रखने को लेकर शिक्षा विभाग और पटना डीएम मे ठनी, जिलाधिकारी ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को लिखा कड़ा पत्र

डेस्क : इस कड़ाके की ठंड में स्कूलों को खोलने के शिक्षा विभाग के आदेश को लेकर शिक्षा विभाग और पटना जिलाधिकारी के बीच ठन गई। पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह स्कूलों को बंद रखने पर अड़ गए हैं। डीएम 23 जनवरी तक आठवीं कक्षा के स्कूलों को बंद रखने के अपने आदेश पर कायम हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक को उन्होंने इस संबंध में कड़ा पत्र लिखा है।

डीएम ने अपने पत्र में कहा है कि कड़ाके की ठंड के मद्देनजर आठवीं तक स्कूल बंद किए गए हैं। स्कूल बंद करने से पहले शिक्षा विभाग की अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे जवाबी पत्र में जिलाधिकारी ने कहा है कि पटना जिले में शीतदिवस की स्थिति और कम तापमान के हालात बने हुए हैं। इसके मद्देनजर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत जिले में आठवीं तक के सभी निजी और सरकारी स्कूलों के साथ आंगनबाड़ी केंद्र और कोचिंग संस्थान को भी बंद किया गया है। धारा 144 के तहत ऐसे मामले में जिलाधिकारी के पास कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इस आदेश की अवहेलना या उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 में दंडात्मक कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।

गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सोमवार को ही पटना डीईओ को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने पटना के सभी स्कूलों को खुला रखने का निर्देश दिया। कहा कि पटना डीएम ने स्कूलों को 23 जनवरी तक बंद करने का आदेश जारी किया है। जबकि,अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने 20 जनवरी को पत्र जारी कर कहा था कि किसी भी स्कूल को बंद करने के पूर्व विभागीय अनुमति जरूरी है। पटना जिलाधिकारी के स्कूलों को बंद रखने के निर्णय पर नाराजगी जताते हुए विभाग ने इसके विपरीत आदेश जारी किया है।

Purnea

Jan 23 2024, 12:16

अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए लगा भक्तों रेला, बढ़ती भीड़ के बीच फिलहाल रोकी गई एंट्री, मुख्य पुजारी ने किया भक्तों से धैर्य रखने का अनुरोध

#ram_mandir_ayodhya_devotees_flood 

अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है और इसके गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है।अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद से भक्त अपने आप को दर्शन करने से रोक नहीं पा रहे हैं। हालत ऐसी है कि हजारों की संख्या में भक्त राम मंदिर के मुख्य द्वार पर इतवने कड़ाके की ठंड में भी सुबह 3 बजे से ही डेरा जमाने पहुंच चुके हैं। भक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह पूजा करने और श्री राम लला के दर्शन करने के लिए सुबह बड़ी संख्या में एकत्र हुए हैं।सुबह 7 बजे शुरू हुए दर्शनों के बाद भीड़ इतनी बढ़ गई कि वह उसे मैनेज कर पाने में दिक्‍कत आ रही थी, नतीजतन पैरा मिलिट्री फोर्स को भी यहां व्‍यवस्‍था में लगाया गया है। करीब पौने नौ बजे मंदिर महतें प्रवेश बंद कर दिया गया, लेकिन बाहर निकलने का रास्‍ता खोला रखा गया। बैरिकेटिंग लगाकर रास्ते को बंद किया गया है। सिर्फ बाहर जाने दिया जा रहा है। फिलहाल अंदर जाने का रास्ता बंद है।

रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया है। एडीजी जोन पीयूष मोडिया भारी भीड़ को देखते हुए सड़कों पर उतरे। हाइवे पर वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। एडीजी जोन ने भक्तों से अनुरोध किया है कि भारी भीड़ को लेकर शांति बनाए रखेंगे। रामलला के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार करें। अयोध्या में नो एंट्री पर रोक लगाई गई है। हाइवे पर बैरिकेडिंग कराया गया है। पुलिस बल को सुरक्षा में लगा दिया गया है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्त बड़ी संख्या में अपने आराध्य का दर्शन करने पहुंच गए हैं। रात 10 बजे मंदिर का पट बंद होने के बाद भी लोगों की भीड़ मंदिर परिसर से हटने का नाम नहीं ले रही थी। सुबह 3 बजे से ही लोग दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भक्तों से धैर्य रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि अभी अयोध्या में जिस प्रकार की भीड़ है, उसमें एक दिन में सभी भक्तों को रामलला का दर्शन कराना संभव नहीं हो पाएगा।

Purnea

Jan 23 2024, 12:02

एलन मस्क ने की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्‍थायी सदस्‍यता की वकालत, बोले-ताकतवर देश नहीं चाहते पावर छोड़ना

#elon_musk_supported_india_permanent_membership_in_unsc 

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की कवायद में काफी समय से जुटा है। कई वैश्विक नेता भी भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने के पक्ष में हैं। इसी बीच दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने भी भारत की वकालत की है। टेस्‍ला और स्‍पेसएक्‍स कंपनी के मालिक मस्‍क ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और उसे संयुक्‍त राष्‍ट्र में स्‍थायी सदस्‍यता न देना हास्‍यास्‍पद है। 

अफ्रीका को संयुक्‍त राष्‍ट्र की स्‍थायी सदस्‍यता देने की मांग को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस के एक ट्वीट के जवाब में पूछे गए एक सवाल के जवाब में एलन मस्‍क ने यह बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने कहा कि हमें संयुक्‍त राष्‍ट्र के निकायों में समीक्षा की जरूरत है। इतना ही नहीं, उन्होंने स्थायी सदस्यों को भी फटकार लगाई।

टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने अपने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है। समस्या यह है कि जिनके पास अधिक शक्ति है वे इसे छोड़ना नहीं चाहते। धरती पर सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट न मिलना बेतुका है। मेरे विचार में अफ्रीका को सामूहिक रूप से एक स्थायी सीट भी मिलनी चाहिए।

एलन मस्क का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष भारत आए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस अभी पांच दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए कदम उठाने को लेकर इस दौरान उन पर दबाव बनाएगा।

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता को लेकर बड़ा बयान दिया था। जयशंकर ने कहा था, 'दुनिया कोई भी चीज आसानी से नहीं देती है, कभी कभी लेना भी पड़ता है।'

Purnea

Jan 23 2024, 11:07

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?

#subhashchandrabosebirthanniversary 

क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

Purnea

Jan 23 2024, 10:40

अयोध्या में श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा : बिहार के सीतामढ़ी की जानकी जन्मभूमि में उत्सव, सीता मैया का नैहर निहाल

डेस्क : बीता कल 22 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन रहा। 500 साल का इंतजार खत्म हुआ और अयोध्या में एकबार फिर श्रीराम अपने जगह पर लौटे। पूरे देश में हर्ष और उत्सव का माहौल व्याप्त है। इधर श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा पर जानकी जन्मभूमि पर उत्सव हो रहा है। सीतामढ़ी से जनकपुर तक लोग निहाल हैं। अंतर्मन में उल्लास है। हृदय भाव विभोर है। घर-घर में रंगोली सजी है। दीपक जल रहे हैं। गांव-गांव में कीर्तन-भजन हो रहे हैं। अष्टयाम हो रहा है। मिठाइयां बंट रही हैं। भंडारे का आयोजन हो रहा है। 

बीते सोमवार से मठ-मंदिरों में सुबह से ही विशेष पूजा का आयोजन हो रहा है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी की जुबां से जय सियाराम के जयकारे लग रहे हैं। अयोध्या के उत्सवी माहौल की गूंज सीतामढ़ी व जनकपुरधाम सहित पूरे मिथिला में लोगों की जुबां पर सुनाई पड़ रही है। जनकपुर का जानकी मंदिर सवा लाख दीये की रोशनी से दमक रहा है।

पुनौराधाम व रजतद्वार जानकी मंदिर में सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। रामजानकी मंदिर व मठ के साथ ही देवी-देवताओं के मंदिर को भी दीपकों की रोशनी व रंगीन बल्बों की लड़ियों से सजाया गया। अपने पाहुन की खुशी में सब सराबोर हो रहे थे।

जनकपुरधाम स्थित जानकी मंदिर में फूलों की रंगोली बनाई गई सवा लाख दीप प्रज्वलित होने के बाद जानकी मंदिर का नजारा देखने लायक था। राम मंदिर, राजदेवी मंदिर, सुंदर सदन, झूलन कुंज, गायत्री पीठ, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी सहित सभी मठ-मंदिरों में भी बड़ी संख्या में राम दीप प्रज्वलित किए गए। अयोध्या के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को जानकी मंदिर सहित अन्य जगहों पर लाइव प्रसारण किया गया। श्रद्धालु जय श्रीराम का जयघोष कर रहे थे। बाद में शोभायात्रा भी निकाली गयी। सभी मठ-मंदिरों में अखंड रामधुन, सुंदरकाण्ड का पाठ तथा भंडारे आयोजित किए गए हैं। पुनौराधाम स्थित सीता कुंड में महाआरती की गयी। आरती की भव्यता इतनी थी कि पैर रखने के लिए घाट पर जगह नहीं थी।

Purnea

Jan 23 2024, 10:10

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

#ram_mandir_darshan_started

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

Purnea

Jan 23 2024, 09:56

अयोध्या में श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा : राजधानी पटना में दिनभर रामनवमी तो शाम को रहा दिवाली जैसा उल्लास

डेस्क : बीता कल 22 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन रहा। 500 साल का इंतजार खत्म हुआ और अयोध्या में एकबार फिर श्रीराम अपने जगह पर लौटे। पूरे देश में हर्ष और उत्सव का माहौल व्याप्त है। इधर राजधानी पटना में अयोध्या में निर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पुण्य अवसर पर लोगों के नेत्र सजल थे और कंठ से निकल रहा हर स्वर भाव से भरा हुआ। सुबह रामनवमी सा नजारा रहा, दोपहर में दशहरे का उत्सव तो शाम ढलते दिवाली मनती रही। भगवान राम अयोध्या में ही नहीं, पटना के रामभक्तों के मन में विराज चुके थे।

इस पावन मौके पर पटना के श्रीराम भक्तों की दिनचर्या ही बदली रही। सुबह नींद से जगे तो उस सर्वार्थसिद्धि योग के पल की प्रतीक्षा थी जिस पल भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी। सुबह सुबह मंदिरों में भक्तों तांता लगा रहा। छोटे बच्चे नहा-धोकर नए कपड़ों में सजे थे। बड़े बुजुर्ग पूजा पाठ में जुटे थे। कई लोग व्रत और उपवास पर रहे। महावीर मंदिर, राजवंशी नगर मंदिर, खाजपुरा मंदिर व राजधानी के कई मंदिरों के आगे भगवान राम के भक्त लड्डू बांट रहे थे। भजन, कीर्तन का दौर दिन भर चलता रहा।

दोपहर बाद सड़कों पर उमड़ी भक्तों की भीड़ 

सोमवार को अचानक राजधानी का मौसम भी सुधर गया। धूप निकल चुकी थी और कोहरा छंट चुका था। रामलहर के आगे शीतलहर फीका पड़ चुका था। भक्तों की टोली रामनाम का ध्वज लेकर सड़कों पर आ गई। जय हनुमान, जय सीताराम की गूंज हर जगह सुनाई देने लगी। सबके कदम थिरक रहे थे। रामधुन में पटना रम चुका था। डाकबंगला चौराहा सहित शहर के कई चौराहों पर रंगोली सजी थी। वाहनों पर भी भगवान राम और रामभक्त हनुमान के ध्वज तने थे। माथे पर चंदन तिलक से लिखे श्रीराम विराजे थे।

शाम ढलते ही रंगीन रोशनी से जगमगा उठा पटना 

शाम ढलते घर, अपार्टमेंट, चौक-चौबारे रंगीन रोशनी से जगमगा उठे। हमारे राम आए हैं, प्रभु श्रीराम आए हैं के संकीर्तन के बीच घरों के बच्चे, महिलाएं बुजुर्ग दीयों को सजाने में लगे थे। आसमान आतिशबाजियों से पटा था। महिलाएं मंगल गान गा रही थीं। घरों में पकवान बन रहे थे। मन से लेकर खान-पान तक मधुरता बनी रही।