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Jan 19 2024, 10:59

पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पहली बार अाई ईरान की प्रतिक्रिया, जानिए वहां के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने क्या कहा...

ईरान ने पड़ोसी देश पाकिस्तान पर मिसाइल अटैक किया। इसके बाद से ही दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। हालत यह हो गई कि बौखलाए पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को निष्कासित कर दिया। साथ ही तेहरान में स्थित अपने दूत को वापस ​बुला लिया। ईरान ने पाकिस्तान की सरहद में जाकर यह मिसाइल अटैक किया, जो पाकिस्तान को नागवार गुजरा। ईरान ने पाकिस्तान स्थि​त आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर ये हमला किया था। इस हमले के बाद पहली बार ईरान की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है। 

पाक सीमा में किया था मिसाइल अटैक

ईरान की पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक और मिसाइल हमले ने तूल पकड़ लिया। इसके बाद ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान के भीतर आतंकी संगठन पर हमला किया। इसका गाजा से कोई लेना-देना नहीं है। हमास फिलिस्तीन की आजादी के लिए एक प्रतिरोधी समूह है। दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमि फोरस से इतर इस मामले पर सवाल किया गया था। उन्होंने कहा कि ईरान ने किसी पाकिस्तानी नागरिक को निशाना नहीं बनाया। हमने सिर्फ जैश अल-अदल के ठिकानों पर ही हमला किया था।

पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए किया हमला

ईरान के विदेश मंत्री का कहना है कि हमारे मिसाइल और ड्रोन हमले से पाकिस्तान में किसी भी नागरिक को निशाना नहीं बनाया गया। पाकिस्तान में जैश अल-अद्ल नाम का एक ईरानी आतंकी संगठन है। इन आतंकियों ने पाकिस्तान के सिस्तान-बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों में पनाह ली है। 

हमने पाक में बैठे आतंकियों के हमलों का दिया है जवाब : ईरान

उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान में कई अधिकारियों से बात की है। इन आतंकियों ने ईरान में हमारे खिलाफ कुछ ऑपरेशन किए। हमारे सुरक्षाकर्मियों को मार गिराया। हमने उसी के अनुरूप इन पर कार्रवाई की है। हमने पाकिस्तान की जमीन पर सिर्फ ईरान के आतंकियों पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि मैंने पाकिस्तान के हमारे विदेश मंत्री से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि हम पाकिस्तान का सम्मान करते हैं, उनकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं। लेकिन हम हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते।

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Jan 19 2024, 10:34

उत्तर भारत में कोहरे और शीतलहर का डबल अटैक जारी, अभी चार दिन और हाड़ कंपाएगी सर्दी

#cold_wave_in_north_india

ठंड, कोहरा और शीतलहर के असर से पूरा उत्तर भारत परेशान है। लोगों की ये परेशानी अभी खत्म होने वाली नहीं है। मौसम विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि उत्तर भारत में लगातार ठंड और कोहरे का असर 4 दिनों तक जारी रहेगा।मौसम विभाग ने बताया है कि उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में घना कोहरा और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी पड़ने वाली है। अगले चार दिनों के लिए कोल्ड डे की संभावना जताई गई है। लोगों से कहा गया है कि वे खुद को जितना ज्यादा हो सके उतना ठंड से बचाने की कोशिश करें।

मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत में अगले तीन से चार दिनों तक घने कोहरे की स्थिति बनी रहेगी। दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत तक लोगों को अगले चार दिनों तक शीतलहर से निजात मिलने की उम्मीद नहीं है।मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में शुक्रवार की सुबह घना कोहरा छाया रहेगा। वहीं, तापमान सात डिग्री से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज हो सकता है। उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में अगले दो दिनों तक घने से बहुत ज्यादा घने कोहरे की संभावना जताई गई है। घने कोहरे के मद्देनजर विभाग ने शुक्रवार और शनिवार के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। बृहस्पतिवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 6.6 दर्ज किया गया। 

लगातार ठंड के प्रकोप के कारण यातायात पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। देश की कई ट्रेने और फ्लाइट्स देर से चल रही हैं। मौसम साफ नहीं रहने के कारण ट्रेन अपने निर्धारित समय से काफी देरी से चल रही है। दिल्ली से लगभग 30 ट्रेने काफी देर से चल रही हैं। सोमा सेन ने कहा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अरब सागर से नमी हावी रहेगा। देखा जाए तो अगले कुछ दिनों में मौसम का असर काफी हावी रहेगा। वहीं हिलालय वाले क्षेत्रों में बर्फबारी भी देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि संभवत: अगले 3-4 दिनों तक लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी के उतरी भाग में काफी ठंड बढ़ सकती है। लोगों को राहत नहीं मिलेगी

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Jan 19 2024, 09:57

लापरवाही या हादसाःवडोदरा में 14 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?

#gujarat_vadodara_boat_capsized_incident

गुजरात में वडोदरा में नाव पलटने की घटना में 12 स्कूली छात्रों और दो शिक्षिकाओं समेत 14 की मौत हो गई। मामले में पुलिस ने 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा रहा है।वडोदरा नाव हादसे की जांच में सामने आया है कि नाव में क्षमता से अधिक लोग सवार थे। यह भी सामने आया है कि बच्चों को लाइफ जैकेट भी नहीं दी गई थी। घटना के बाद भ्रष्ट कांट्रैक्टर परेश शाह फरार है तो वहीं दूसरी वडोदरा पुलिस की क्राइम ब्रांच में दो लोगों को इस मामले में अरेस्ट किया है। 

नाव में क्षमता से अधिक लोग सवार थे

बता दें कि गुजरात में वडोदरा शहर के हरनी झील में गुरुवार को छात्र पिकनिक मनाने आए थे और हरनी झील में नाव की सवारी कर रहे थे कि तभी दोपहर में यह हादसा हो गया। वडोदरा नाव हादसे की जांच में सामने आया है कि नाव की कुल क्षमता 14 की लेकिन भ्रष्ट कांट्रैक्टर ने ज्यादा कमाई के चक्कर में 23 छात्रों और 4 शिक्षकों को नाव पर सवार कर दिया। अधिकारियों ने बताया था कि नाव में 27 लोग सवार थे, जिनमें 23 विद्यार्थी और चार शिक्षक शामिल थे। 

लाइफ जैकेट के बगैर थे बच्चे

गुजरात के गृह राज्य मंत्री सांघवी ने पत्रकारों से कहा, नौका पलटने की घटना में 12 छात्रों और दो शिक्षकों की मौत हो गई। कुल 18 छात्रों और दो शिक्षकों को बचाया गया। हमें पता चला है कि नौका पर केवल 10 छात्र ही लाइफ जैकेट पहने हुए थे जो साबित करता है कि इसमें आयोजकों की गलती थी। सांघवी ने बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि अन्य दोषियों को पकड़ने के लिए टीम गठित की गई है।

10 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

गुजरात सरकार ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए और वडोदरा जिला कलेक्टर को 10 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि कलेक्टर को उन कारणों और परिस्थितियों की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया गया है जिसकी वजह से यह त्रासदी हुई. यह भी जांच करने निर्देश दिया गया कि क्या ठेकेदार या किसी अधिकारी की ओर से कोई लापरवाही हुई थी और ऐसी घटनाओं से भविष्य में कैसे बचा जा सकता है।

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Jan 18 2024, 19:02

सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बता चुके उदयनिधि का अब प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विवादित बयान, बोले- मस्जिद तोड़कर बने मंदिर का समर्थन नहीं

#you_will_not_able_to_use_aadhaar_card_to_correct_date_of_birth_in_epfo 

सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया से करने के बाद देश में तीखे विरोध का सामना कर चुके उदयनिधि स्टालिन ने अब अब राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया है। उदयनिधि स्टालिन ने कहा है कि मस्जिद गिराकर मंदिर बनाना स्वीकार्य नहीं है।उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और युवा मामलों के मंत्री हैं।इससे पहले उन्होंने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिया था।सनातन धर्म को लेकर दिये बयान पर उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा।

उदयनिधि स्टालिन अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। अब उदयनिधि ने कहा है कि हम या हमारी पार्टी के नेता किसी भी मंदिर निर्माण के खिलाफ नहीं हैं, हां लेकिन हम उस स्थान पर मंदिर बनाने का समर्थन नहीं करते हैं जहां एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था।स्टालिन ने ये भी कहा कि- जैसा कि हमारे नेता ने कहा था कि धर्म और राजनीति को न मिलाएं। हम अब भी इस पर कायम हैं। हम किसी भी मंदिर के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जहां पहले मस्जिद थी, उसे ध्वस्त करके जो मंदिर बनाया गया है, उसका समर्थन नहीं कर सकते।

उदयनिधि स्टालिन ने पहले सनातन धर्म को लेकर भी विवादित बयान दिया था। दो सितंबर को उन्होंने एक समारोह के दौरान सनातन धर्म को डेंगू, मलेरिया, कोरोना जैसी महामारियों से जोड़ा था। इस मामले में16 जनवरी को पटना की एक अदालत ने तमिलनाडु के मंत्री और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को नया समन जारी किया था। उनके बयान के खिलाफ यहां शिकायत दर्ज कराई गई थी। पटना की एमपी-एमएलए अदालत ने उदयनिधि स्टालिन को 13 फरवरी को अदालत में हाजिर होने के लिए कहा है।

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Jan 18 2024, 16:21

जन्म तिथि के लिए प्रूफ के तौर पर 'आधार कार्ड' की मान्यता खत्म, ईपीएपओ का बड़ा फैसला

#you_will_not_able_to_use_aadhaar_card_to_correct_date_of_birth_in_epfo 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अब आधार कार्ड को डेट ऑफ बर्थ प्रूफ के लिए वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं मानेगा। ईपीएफओ ने डेट ऑफ बर्थ प्रूफ के वैलिड डाक्यूमेंट्स की लिस्ट से आधार कार्ड को हटाने का फैसला यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के आदेश के बाद लिया है। इसे लेकर ईपीएफओ द्वारा सर्कुलर भी जारी किया जा चुका है।

ईपीएफओ द्वारा 16 जनवरी, 2024 को जारी किए गए सर्कुलर में बताया गया कि आधार जारी करने वाली सरकारी एजेंसी यूआईडीएआई से एक पत्र प्राप्त हुआ है। इसमें कहा गया है कि जन्मतिथि के प्रमाण पत्र के रुप में स्वीकार दस्तावेजों की लिस्ट से आधार को हटाया जाए। इसके ईपीएफओ ने जन्मतिथि प्रमाण के रूप में स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों की लिस्ट में से आधार का नाम हटा दिया। 

इन दस्तावेजों का होगा इस्तेमाल

ईपीएफओ के अनुसार, जन्म तिथि के लिए प्रूफ के लिए दसवीं कक्षा का सर्टिफिकेट इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं, किसी सरकारी बोर्ड या यूनिवर्सिटी से जारी हुई अंक तालिका भी इस काम के लिए प्रयोग में लाई जा सकती है। स्कूल छोड़ने के वक्त जारी होने वाला प्रमाण पत्र और ट्रांसफर सर्टिफिकेट के माध्यम से भी जन्म तिथि में बदलाव हो सकेगा। इतना ही नहीं, अगर सिविल सर्जन ने ऐसा कोई मेडिकल प्रमाण पत्र जारी किया है, जिसमें जन्म तिथि अंकित है, तो उसे भी ईपीएफओ मान्यता देगा। साथ ही पासपोर्ट, पैन नंबर, डोमिसाइल सर्टिफिकेट और पेंशन दस्तावेज को भी मान्यता प्रदान की गई है। आधार कार्ड को केवल पहचान पत्र एवं निवास स्थान के प्रमाण पत्र के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए।

आधार कार्ड का इस्तेमाल पहचान के सत्यापन करने के लिए

इससे पहले 22 दिसंबर 2023 को UIDAI ने निर्देश जारी कर कहा था कि आधार कार्ड का इस्तेमाल किसी व्यक्ति पहचान का सत्यापन करने के लिए हो सकता है, लेकिन ये डेट ऑफ बर्थ का सबूत नहीं है। UIDAI ने कहा था कि जन्म तिथि के सबूत के तौर पर दिए जाने वाले दस्तावेजों की लिस्ट से आधार कार्ड को हटा दिया गया है। UIDAI ने अपने सर्कुलर में कहा था कि आधार एक विशिष्ट 12 अंकों की आईडी है। इसे भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है। यह पूरे देश में आपकी पहचान और स्थायी निवास के सबूत के तौर पर मान्य है। इस पर डेट ऑफ बर्थ दी गई है पर इसे बर्थ प्रूफ के तौर पर उपयोग नहीं किया जाए।

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Jan 18 2024, 15:39

प्राण प्रतिष्ठा के दिन पूरे देश में आधे दिन की छुट्टी का ऐलान, केंद्र सरकार ने जारी किया आदेश

#pran_prathista_half_day_in_all_central_government_offices 

अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।अगर ये कहा जाए कि इस उत्सव को लेकर पूरा देश उत्साहित है तो गलत नहीं होगा। इस बीच केन्द्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। 22 जनवरी को अयोध्‍या राम मंदिर प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस खास दिन पर सरकारी दफ्तरों में हॉफ डे वर्क का निर्णय लिया गया है। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन यानी 22 जनवरी को पूरे देश में आधे दिन की छुट्टी रहेगी। केंद्र सरकार ने 22 जनवरी को आधे दिन की छुट्टी का आदेश जारी कर दिया है।

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को आधे दिन के लिए सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों को आधे दिन का ब्रेक दिया जाएगा। ये ब्रेक 22 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। उन्होंने कहा कि भारी जनभावनाओं को देखते हुए ये फैसला लिया गया है।

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Jan 18 2024, 15:29

अदन की खाड़ी में जहाज पर ड्रोन से हमला, भारतीय नौसेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब

#arab_sea_drone_attack_merchant_ship

अरब सागर में मर्चेंट शिप पर हमले का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कुछ दिन से ड्रोन के जरिए व्यापारिक जहाज को टारगेट किया जा रहा है। कड़ी में एक बार फिर जहाज पर ड्रोन अटैक किया गया है।जिस जहाज को हमलावरों ने निशाना बनाया है, उस पर चालक दलों में 9 भारतीय समेत कुल 22 सदस्य सवार थे। हालांकि भारतीय नौसेना ने तेजी से जवाबी कार्रवाई की। इससे सभी को सुरक्षित बचा लिया गया है।

भारतीय नौसेना ने बताया कि आईएनस विशाखापत्तनम अदन की खाड़ी में मिशन पर तैनात है। बुधवार रात करीब 11.11 बजे समुद्री लुटेरों की तरफ से हमले और ड्रोन से निशाना बनाए जाने की खबर मिली। मार्शल आइलैंड के झंडे वाले इस व्यापारिक जहाज- एमवी जेनको पिकार्डी (MV Genco Picardy) से मदद मांगे जाने पर नौसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। नौसेना ने बताया कि आईएनएस विशाखापत्तनम मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता रखता है।

नौसेना ने बताया कि अदन की खाड़ी में समुद्री लुटेरों पर नजर रखने की ड्यूटी पर तैनात आईएनएस विशाखापत्तनम मिशन मोड में काम करता है। अदन की खाड़ी में हमले के खतरे से जुड़ी कॉल पर तत्काल जवाब देते हुए नौसेना ने करीब एक घंटे बाद संकट में फंसे व्यापारिक जहाज को खोज निकाला। रात करीब 12.30 बजे व्यापारिक जहाज- एमवी जेनको पिकार्डी को मदद मुहैया कराई गई। नौसेना ने बताया कि इस पोत पर नौ भारतीय समेत चालक दल के कुल 22 सदस्य सवार थे। हमले का माकूल जवाब दिया गया और जहाज को हमलावरों से सुरक्षित बचा लिया गया।

बता दें कि बीते कुछ महीनों से ईरान समर्थित हूथी समुदाय के लड़ाके लगातार मर्चेंट शिप को निशाना बना रहे हैं। जिसके चलते अमेरिका-ब्रिटेन सहित कई देशों ने मिलकर यमन में हूती के ठिकानों एयर स्ट्राइक किया। वहीं भारत ने इन दोनों जगहों पर अपने युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। बीते 4 जनवरी को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में लाइबेरिया के फ्लैग वाले लीला नोफोर्क जहाज को हाईजैक कर लिया था। जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स पोर्टल पर एक मैसेज भेजा था। इसमें कहा गया था कि 4 जनवरी की शाम को 5-6 समुद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे थे। इस बात की जानकारी मिलते ही भारतीय नौसेना ने हाईजैक किए गए जहाज को छुड़ाने के लिए वॉरशिप आईएनएस चेन्नई और मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P81 को रवाना किया गया था। इसके बाद इसमें सवार सभी 15 भारतीयों सहित कुल 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित बचाया गया था।

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Jan 18 2024, 14:47

गौरवपूर्ण अयोध्या का विवादित इतिहास, जिसने देश की राजनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित किया

#controversial_history_of_glorious_ayodhya

अयोध्या का आरंभ जितना गौरवपूर्ण है, बाद का इतिहास उतना ही विवादित, शायद दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला विवाद रहाष हालांकि पिछली पांच शताब्दी से चला आ रहा तनाव अब खत्म हो गया है। अब वहां रामलला विराजमान होने वाले हैं।

अयोध्या के अध्याय में विवाद की बुनियाद उस वक्त पड़ी, जब बाबर ने मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया। आजादी के पहले से लेकर आजादी के बाद तक ये वो विवाद रहा, जिसने देश की राजनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। जिसने हिंदू-मुस्लिम के बीच एक कभी ना पाटी जा सकने वाली खाई खोद दी। इसकी वजह से हिंसा और खून खराबा हुआ, लोग मारे गए, सालों तक देश की सबसे बड़ी अदालत में इस समस्या को सुलझाने के लिए सुनवाइयां हुई, दलीले पेश की गई। तक जाकर ये विवाद खत्म हुआ।

अयोध्या में उस स्थल पर मस्जिद बनवाया गया था, जिसे हिंदू अपने आराध्य भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। कहा जाता है कि मुगल राजा बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई। जिसे बाबरी मस्जिद का नाम दिया गया। इसके साथ ही विवाद की बीज बो दी गई थी। जो साल दर साल बढ़ते बढ़ते एक विशाल वृक्ष बना गया। जिसकी शाखांए अयोध्या से निकलकर पूरे देश में छा गई। यानी ये मसला देशव्यापी बन चुका था।

कहा जाता है कि अयोध्या में इस मुद्दे को लेकर पहली सामप्रदायिक हिंसा की 1853 में हुई थी। जब निर्मोही अखाड़ा ने ढांचे पर दावा कर दिया। निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि जिस स्थल पर मस्जिद खड़ा है, वहां एक मंदिर हुआ करता था, जिसे बाबर के शासनकाल में नष्ट किया गया। अगले 2 सालों तक इस मुद्दे को लेकर अवध में हिंसा भड़कती रही। इस दौरान 1855 तक, हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही इमारत में पूजा या इबादत करते रहे। ये वो समय था जब देश स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था। उस वक्त 1857 के पहले आंदोलन के कारण अयोध्या का मामला थोड़ा ठंडा पड़ गया। इसी दौरान 1859 में ब्रिटिश शासकों ने मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी गई। परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दी गई।

इस बीच दोनों समुदायों के बीच तनाव बढता ही जा रहा था। मंदिर-मस्जिद विवाद कुछ सालों में इतना भयावह हो गया कि मामला पहली बार कोर्ट में पहुंचा। हिंदू साधु महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी, हालांकि कोर्ट ने ये अपील ठुकरा दी। जज पंडित हरिकृष्ण ने यह कहकर इसे खारिज कर दिया कि यह चबूतरा पहले से मौजूद मस्जिद के इतना करीब है कि इस पर मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

ऐसा नहीं है कि कोर्ट के इस आदेश के बाद सबकुछ शांत हो गया। यूं कह सकते हैं कि इसके बाद से मामला और गहराता गया। जिसके बाद सिलसिलेवार चला तारीखों का सिलसिला।

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Jan 18 2024, 13:17

प्राण-प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर पर डाक टिकट जारी, 48 पेज की किताब भी रिलीज

#pm_modi_releases_postal_stamp_regarding_ram_mandir

22 जनवरी को अयोध्या श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने वाला है। उससे पहले देश भर में भक्ति पूर्ण माहौल देखने को मिल रहा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने आज राम जन्मभूमि मंदिर पर स्मारक डाक टिकट जारी किया है। पीएम मोदी ने कुल 6 डाक टिकट जारी किये हैं।इसके साथ ही उन्होंने श्री राम पर जारी डाक टिकटों की एक पुस्तिका भी जारी की है। 48 पेज की इस किताब में 20 देशों के टिकट हैं। इसके बाद पीएम मोदी ने वीडियो संदेश भी जारी किया है।

पीएम मोदी ने कुल 6 डाक टिकट जारी किए हैं। इनमें राम मंदिर, भगवान गणेश, हनुमान, जटायु, केवटराज और मां शबरी शामिल हैं। टिकटों पर राम मंदिर, चौपाई ‘मंगल भवन अमंगल हारी’, सूर्य, सरयू नदी और मंदिर में और उसके आसपास की मूर्तियों की आकृति बनाई गई है।श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर स्मारक डाक टिकट को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसे पंचभूत रूप दिया गया है। इसमें सूर्य की किरणों और चौपाई की स्वर्ण पत्ती इस लघु शीट को एक राजसी प्रतीक बनाती है। पांच भौतिक तत्व यानी आकाश, वायु, अग्नि, पृथ्वी और जल, जिन्हें पंचभूत के रूप में जाना जाता है, इसमें आभास कराते हैं। कुल मिलाकर ये सभी तत्व भक्ति भाव प्रदर्शित करने वाले हैं और पंचमहाभूतों का पूर्ण सामंजस्य का अहसास कराते हैं।

वहीं, 48 पन्नों की की एक पुस्तक रिलीज की गई है। जिसमें अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा, कंबोडिया और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों सहित 20 से अधिक देशों द्वारा जारी किए गए डाक टिकट शामिल हैं। यह स्टाम्प पुस्तक विभिन्न समाजों पर श्री राम की अंतर्राष्ट्रीय अपील को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है।

इस दौरान पीएम मोदी ने एक संदेश भी जारी किया। पीएम मोदी ने कहा, नमस्कार, राम राम... आज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अभियान से जुड़े एक कार्यक्रम से जुड़ने का सौभाग्य मिला है। आज राम मंदिर को समर्पित 6 विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किए गए हैं। विश्व के अलग अलग देशों में राम से जुड़े जो डाक टिकट जारी हुए हैं। उनका एलबम भी रिलीज हुआ है। मैं सभी रामभक्तों को बधाई देता हूं। पोस्टल स्टैंप का एक काम, उन्हें लिफाफों पर लगाना, उनकी मदद से पत्र, संदेश या जरूरी कागज भेजना। लेकिन ये पोस्टल स्टैंप एक अनोखी भूमिका निभाते हैं। पीएम मोदी ने कहा, ये पोस्टल स्टैंप विचारों, इतिहास और ऐतिहासिक अवसरों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम भी होते हैं। जब कोई डाक टिकट जारी होता है, जब इसे कोई भेजता है,तो वह सिर्फ पत्र नहीं भेजता बल्कि पत्र के माध्यम से इतिहास के अंश को दूसरे तक पहुंचा देता है। ये सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं है। ये इतिहास की किताबों के रूपों और ऐतिहासिक क्षणों का छोटा रूप भी होते हैं। इनसे युवा पीढ़ी को भी बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलता है। इन टिकट में राम मंदिर का भव्य चित्र है। पीएम मोदी ने कहा, इस काम में डाक विभाग को राम ट्रस्ट के साथ साथ संतों का भी साथ मिला है। मैं संतों को प्रणाम करता हूं।

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Jan 18 2024, 12:34

बिलकिस केस के 11 दोषियों में से तीन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग

#three_out_of_11_convicts_in_bilkis_case_reached_sc_demanding_extension

बिलकिस बानो मामले के तीन दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. तीनों ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग की। गोविंदभाई नाई, रमेश रूपाभाई चंदना और मितेश चिमनलाल भट ने अलग-अलग कारणों से समय बढ़ाने की अपील की है। तीनों दोषियों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा।बता दें कि इससे पूर्व 8 जनवरी को इस मामले के 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और दो सप्ताह के अंदर ही दोषियों को जेल भेजने का निर्देश दिया था।दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करना होगा। 

दोषियों के वकील ने कहा कि समर्पण करने का समय रविवार को समाप्त हो रहा है। अदालत से गुजारिश है कि आवेदनों को जल्द सूचीबद्ध कर सुनवाई करे। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि तीन आवेदन हैं जिनमें कहा गया है कि आत्मसमर्पण करने और जेल में रिपोर्ट करने के लिए समय बढ़ाने की मांग हैं, लेकिन बेंच का पुनर्गठन होना है। रविवार को समय समाप्त होने के कारण रजिस्ट्री पीठ के पुनर्गठन के लिए सीजेआई से आदेश मांगेगी। पीठ ने कहा कि ऐसे में अदालत कल मामले पर सुनवाई करेगी, जब सीजेआई पीठ का पुनर्गठन करेंगे।

बता दें कि साल 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बाने को साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी की गई थी। इसी मामले में 11 दोषियों की सजा में राज्य सरकार ने कटौती की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए नया आदेश जारी किया था। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि सजा में छूट का गुजरात सरकार का आदेश बिना सोचे समझे पारित किया गया और पूछा कि क्या ‘‘महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध के मामलों में सजा में छूट की अनुमति है’’, चाहे वह महिला किसी भी धर्म या पंथ को मानती हो। 

सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना को रिहा किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के फैसले को रद्द कर दिया है।