*उत्तर भारत में कोहरे का 'कर्फ्यू', सड़क से लेकर आसमान तक यातायात प्रभावित, जानें अपने राज्य का हाल*

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देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इस हालात में लोगों की “कुल्फी” जम गई है। उत्तर-पश्चिमी दिशाओं से चल रही बर्फीली हवाओं से पारा लगातार गिर रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, कोहरे का यह दौर तीन दिनों तक बने रहने की उम्मीद है।

कोहरे की वजह से विजिबिलिटी काफी कम हो गई है। गाड़ियों और ट्रेनों की रफ्तार भी धीमी हो गई है। ट्रेनों में हो रही देरी की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इधर सड़कों पर भी वाहन चालकों को फॉग लाइट का सहारा लेना पड़ रहा है। दिल्ली के साथ-साथ नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में भी कोहरे का यही हाल है। वहीं तापमान भी 5 डिग्री से कम बना हुआ है। शुक्रवार को दिल्ली में सीजन की सबसे ठंडी सुबह रही थी। मौसम विभाग ने शनिवार और रविवार के लिए कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया है।

दिल्ली का तापमान शिमला और देहरादून से भी कम

इस समय दिल्ली का तापमान शिमला और देहरादून से भी कम है। यहां लोगों को शीतलहर के साथ कोहरे की डबल मार झेलनी पड़ रही है। आज पूरा दिल्ली-एनसीआर घने कोहरे की चपेट में है। इसकी वजह से कई जगहों पर जीरो विजिबिलिटी है। दिल्ली में न्यूनतम तापमान 3.5 डिग्री पहुंच गया है। सफदरजंग और पालम में विजिबिलिटी जीरो है। दिल्ली में आज देर तक जीरो विजिबिलिटी रहने का भी रिकॉर्ड बना है।

5 दिनों तक नहीं मिलेगी ठंड और कोहरे से राहत

आईएमडी के मुताबिक, अगले 4-5 दिनों तक पूरे उत्तर भारत में घने से बहुत घना कोहरा रहने की संभावना है। इसके साथ ही ठंड से अभी राहत नहीं मिलेगी। वहीं अगले 4 दिनों तक देश के उत्तर पश्चिम इलाकों में कोल्ड से लेकर सीवियर कोल्ड डे रहने के आसार हैं। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में आज शीतलहर चलने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 

तापमान शून्य से 5 डिग्री नीचे पहुंचा

वही बात करें जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तो यहां कई क्षेत्रों में तापमान शून्य से 5 डिग्री नीचे पहुंचा हुआ है, जिसके कारण पानी जम जा रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भी कड़ाके की ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है।

*आज से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा, 15 राज्य, 6700 किमी और 300 से ज्यादा सीटों को साधने का लक्ष्य*

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कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा आज से शुरू हो रही है। राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी आज से भारत जोड़ों न्याय यात्रा शुरू करने जा रही है। इसके लिए राहुल गांधी दिल्ली से मणिपुर के लिए रवाना होने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे।हालांकि, राहुल अभी तक दिल्ली से रवाना नहीं हो पाए हैं। घने कोहरे के चलते उनकी फ्लाइट में देरी हो रही है। मणिपुर से दोपहर 12 बजे यात्रा शुरू होने का कहा गया था। हालांकि, अब इसकी संभावना कम नजर आती है।

यात्रा की इसकी शुरुआत पहले इंफाल से होने वाली थी, लेकिन बाद में पार्टी ने जगह बदलकर 34 किलोमीटर दूर थौबल कर दी गई। कांग्रेस सीनियर लीडर जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी इंफाल आएंगे और सबसे पहले खोंगजोम युद्ध स्मारक जाएंगे। इस युद्ध स्मारक का महत्व सिर्फ मणिपुर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है।

कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने कहा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। भारत न्याय यात्रा का मकसद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय है। इस यात्रा में राहुल युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करेंगे।20 मार्च को खत्म होने वाली यात्रा 15 राज्य और 110 जिलों के 337 विधानसभा सीटों को कवर करेगी। इस दौरान राहुल गांधी बस से और पैदल 6 हजार 713 किलोमीटर से ज्यादा का सफर करेंगे।

मणिपुर सरकार ने कहा है कि यह कार्यक्रम एक घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए। साथ ही एन. बिरेन सिंह सरकार ने कहा है कि इसमें भाग लेने वालों की संख्या 3,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके पीछे मणिपुर की सरकार ने दलील दी है कि क्योंकि आयोजन की जगह नेशनल हाइवे से लगा हुआ है, लिहाजा यातायात को वैकल्पिक रास्ते की ओर मोड़ना होगा। ऐसे में यात्रा के लिए इन नियमों को मणिपुर सरकार के जिला अधिकारी ने साझा किया है।

*महाराष्ट्र में कांग्रेस को जोरदार झटका, मिलिंद देवड़ा ने तोड़ा 55 साल पुराना रिश्ता, शिंदे कैंर में होंगे शामिल*

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महाराष्ट्र में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस बात की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से दी। उन्होंने एक पोस्ट करके कहा कि उनका एक महत्वपूर्ण अध्याय खत्म हुआ। खबर है कि मिलिंद देवड़ा आज ही एकनाथ शिंदे कैंप में शामिल हो सकते हैं। कहा जा रहा है देवड़ा आज दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री के वर्षा बंगले में पहुंचकर सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

कांग्रेस के पूर्व नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, आज मेरी राजनीतिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन हुआ। इंडियन नेशनल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से मैंने अपना त्यागपत्र दे दिया है। पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता ख़त्म। मैं वर्षों से उनके अटूट समर्थन के लिए सभी नेताओं, सहकर्मियों और कार्यकर्ताओं का आभारी हूं।

एकनाथ शिंदे की शिवसेना से जुड़ने की अटकलें

चर्चा है कि वह शिवसेना के एकनाथ शिंदे धड़े से जुड़ सकते हैं। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने इन अटकलों को ‘अफवाह’ बताया था। हालांकि देवड़ा ने शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि वह अपने समर्थकों के साथ चर्चा कर रहे हैं।

दक्षिण मुंबई सीट उद्धव गुट को दिए जाने की अटकलें

मिलिंद देवड़ा महाराष्ट्र के दिवंगत दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे हैं। मिलिंद दक्षिण मुंबई संसदीय सीट से संसद रह चुके हैं। हालांकि इस बार यह सीट इंडिया गठबंधन की सहयोगी शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) को दिए जाने की अटकलें हैं। इस बीच देवड़ा का यह कदम सामने आया है।

बनाए गए थे सीडब्ल्यूसी के संयुक्त कोषाध्यक्ष

बता दें कि हाल ही में जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी का ऐलान हुआ था तब पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मिलिंद देवड़ा को संयुक्त कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही उन्होंने ये इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया। मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने की वजह इंडिया गठबंधन को बताया जा रहा है।

रामध्वजा लेकर 13000 फ़ीट की ऊंचाई से थाईलैंड में प्रयागराज की अनामिका शर्मा ने लगाई छलांग, विदेश में गूंजा श्रीराम का नाम

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 हाल ही में, प्रयागराज की 22 वर्षीय स्काइडाइवर अनामिका शर्मा ने बैंकॉक में आश्चर्यजनक रूप से 13,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई। इस दौरान अनामिका ने 'जय श्री राम' का झंडा फहराया। चूंकि 22 जनवरी 2024 को अभिषेक समारोह होने जा रहा है, इसलिए अनामिका का ये कदम और भी मायने रखता है। अनामिका ने थाईलैंड में 13000 फीट की उंचाई से राम ध्वजा के साथ स्काई डाइव कर राम मंदिर के प्रति अपनी आस्था और खुशी, दुनिया के सामने प्रकट की है। थाईलैंड में रामभक्त हनुमान को देश का रक्षक माना जाता है।  

इससे पहले अनामिका शर्मा प्रोफेशनल स्काई-डाइविंग का लाइसेंस पाने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बनी थीं। उन्हें जनवरी 2022 में दुबई ड्रॉप ज़ोन से ए श्रेणी पेशेवर यूनाइटेड स्टेट्स पैराशूट एसोसिएशन (यूएसपीए) लाइसेंस मिला था। उस समय अनामिका एक उभरती हुई इंजीनियर थीं जो कि प्रयागराज की रहने वाली थीं। उनके पिता अजय कुमार शर्मा एक सेवानिवृत्त जूनियर वारंट अधिकारी और भारतीय वायु सेना के प्रशिक्षित कमांडो हैं। वह एक पेशेवर स्काइडाइवर भी हैं और वे भारत में एकमात्र पिता-बेटी की जोड़ी हैं जो पेशेवर स्काइडाइवर भी हैं। अनामिका की एक बहन भी है। 

उन्होंने अपनी पहली छलांग 11 साल की उम्र में 10,000 फीट से लगाई थी। इससे उनमें एक पेशेवर स्काइडाइवर बनने की इच्छा पैदा हुई और अगस्त-सितंबर 2021 में वह प्रशिक्षण के लिए मॉस्को चली गईं। उसी वर्ष नवंबर में, वह प्रशिक्षण के लिए दुबई भी गईं और जनवरी 2022 में उन्हें अपना पेशेवर लाइसेंस मिल गया। लाइसेंस प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला होने के अलावा, वह हमारे देश की केवल पांचवीं महिला पेशेवर स्काई-डाइवर हैं। आज तक, उन्होंने 10 विभिन्न प्रकार के पैराशूट और छह अलग-अलग विमानों का उपयोग करके 42 छलांग लगाई है। इस रोमांचक खेल के प्रति उनका प्रेम बचपन से ही उनके पिता के मार्गदर्शन में विकसित हुआ है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता के दोस्त और एक कुशल स्काइडाइवर संतोष नागराज को भी दिया है। संतोष के पास स्वयं श्रेणी डी यूएसपीए लाइसेंस है।

*राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा लेख, बोले-भगवान ने भक्त को चुना है

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22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। इससे पहले देशभर में भव्य तैयारी हो रही है। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी का अहम बयान सामने आया है।उन्होंने इसे दिव्य सवप्न की पूर्ति करारा दिया और कहा कि वह अयोध्या पहुंचकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने के लिए आतुर हैं।आडवाणी ने कहा है कि वो केवल रथ के सारथी रहे लेकिन ये भाग्य का फ़ैसला है कि एक दिन राम मंदिर हक़ीक़त बन जाएगा।उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है।

आडवाणी ने कहा है कि 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के दिव्य मंदिर में श्रीराम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे। मैं धन्य हूँ कि मैं अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनूँगा।'राष्ट्रधर्म' नाम की एक हिन्दी पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं।‘श्री राम मंदिर: एक दिव्‍य स्वप्‍न की पूर्ति’ नाम का ये लेख, पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपने वाला है।पत्रिका का ये अंक 22 तारीख को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी लोगों को दिया जाएगा।इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, "मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्‍या में श्रीराम का मंदिर अवश्‍य बनेगा।

उन्होंने लिखा, रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए किया गया 'रामजन्मभूमि आंदोलन! 1947 केबाद के भारत के इतिहास में एक निर्णायक और परिणामकारी घटना सिद्ध हुई। हमारे समाज, राजनीति तथा राष्ट्रीय पहचान की भावना पर इसका गहरा प्रभाव रहा है।

आडवाणी ने आगे लिखा कि उस समय नरेंद्र मोदी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं थे लेकिन उसी समय नियति ने उन्हें भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए चुन लिया था। आडवाणी ने कहा कि उन्होंने जब रथ यात्रा शुरू की थी तब उन्हें यह नहीं पता था कि यह यात्रा देश में एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी। लेकिन उसी दौरान भगवान राम ने अपने भव्य मंदिर के निर्माण के लिए अपने भक्त (नरेंद्र मोदी) को चुन लिया था। उन्होंने लिखा, जब प्रधानमंत्री मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वो भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा।

श्रीराम एक आदर्श राजा भी थे--'धर्म' के जीवंत अवतार। इसलिए सुशासन के प्रतीक 'रामराज्य' की अवधारणा को भारत के लिए आदर्श के रूप में प्रचारित किया गया। यद्यपि श्रीराम हिंदुओं के लिए पूजनीय पवित्र धार्मिक विभूति हैं, साथ ही वे भारत की उस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय पहचान के भी एक प्रमुख प्रतीक हैं, जो समान रूप से प्रत्येक नागरिक की धरोहर है। श्रीराम के जीवन की कहानी, 'रामायण', भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की निरंतरता का स्रोत और वाहक दोनों है और इसने शताब्दियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी, भारतीय मानस को बहुत प्रभावित किया है। इसलिए पिछले लगभग 500 वर्षों से, कोटि-कोटि भारतीयों की हार्दिक इच्छा रही है कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण हो।

राम मंदिर आंदोलन को अपनी राजनीतिक यात्रा की सबसे अधिक निर्णायक और परिवर्तनकारी घटना बताते हुए आडवाणी ने आंदोलन के दौरान के अपने कई अनुभवों को भी लेख में साझा किया है। आडवाणी ने राजनीति में दशकों तक उनके साथी रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए यह भी कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की कमी बहुत खल रही है।

'हम भाग्यशाली हैं, जो ऐसा प्रधानमंत्री मिला..', पीएम मोदी के 11 दिवसीय अनुष्ठान को संत समाज ने सराहा

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 विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रमुखों और आध्यात्मिक हस्तियों ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 11 दिवसीय विशेष धार्मिक अभ्यास शुरू करने के फैसले के लिए शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है। परमार्थ निकेतन आश्रम के चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मोदी के आह्वान से चौतरफा उत्साह बढ़ा है, उन्होंने कहा कि लोगों को खुद को राष्ट्रीय हित के लिए समर्पित करना चाहिए। उन्होंने एक संदेश में कहा कि, "हम भाग्यशाली हैं कि हमें उनके जैसा प्रधानमंत्री मिला। मंदिर 500 साल के संघर्ष और बलिदान के बाद बन रहा है।"

वहीं, जूना अखाड़े के स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि मोदी की घोषणा से पता चलता है कि वह न केवल एक दुर्लभ प्रशासक हैं, बल्कि एक अद्वितीय उपासक भी हैं और उन्होंने कहा कि संतों और कई धार्मिक संगठनों ने भी 22 जनवरी को मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के लिए विभिन्न अनुष्ठान और कार्यक्रम किए हैं। उन्होंने कहा कि, "हर किसी को कुछ धार्मिक अभ्यास का पालन करना चाहिए। 'प्राण प्रतिष्ठा' वैश्विक भाईचारे, सद्भाव और खुशी के लिए है और इसीलिए प्रधान मंत्री ने भी विशेष धार्मिक अभ्यास शुरू किया है।"

एक बयान में, आध्यात्मिक गुरु श्री एम ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को मानव जाति की खुशी की भावना से कुछ धार्मिक अभ्यास करना चाहिए और मोदी के फैसले की सराहना की। हरिद्वार में धार्मिक हस्तियों द्वारा एक "हवन" भी आयोजित किया गया, जिन्होंने प्रधानमंत्री के संकल्प की सफलता के लिए प्रार्थना की। मोदी ने शुक्रवार को 11 दिवसीय विशेष धार्मिक अभ्यास शुरू किया, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में पहले कभी नहीं जैसी भावनाओं का अनुभव करने की बात कही।

प्रधान मंत्री ने कहा कि भगवान ने उन्हें "प्राण प्रतिष्ठा" अभ्यास के दौरान सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक साधन के रूप में चुना है और वह इसे ध्यान में रखते हुए 11 दिवसीय धार्मिक अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सभी भारतीयों और भगवान राम के भक्तों के लिए एक पवित्र अवसर है और हर कोई 22 जनवरी को उस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है, जब राम की मूर्ति को उस स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा, जहाँ उनका जन्मस्थान हैं।

1992 को विवादित ढांचे के गिरने से MP के इस कारसेवक ने गवाए थे पैर', अब रामलला को लेकर PM मोदी से की ये भावुक अपील

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 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इसको लेकर देशभर में भारी उत्साह है। यह हर सनातनी के लिए गर्व का क्षण हैं। सालों बाद राम लला अपने मंदिर में विराजित होने जा रहे हैं। ऐसे में कारसेवकों का भी उत्साह चरम पर है। ऐसे में कारसेवा के चलते दिव्यांग हुए मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी के राम लला के दर्शन लाभ कराने की भावुक अपील की है।  

 

6 दिसंबर 1992 का वो दिन, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए हजारों रामभक्त अयोध्या उमड़े थे। तब उन हजारों के आंकड़े में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए भोपाल के अचल सिंह मीना भी वहां पहुंचे थे। उस समय उनकी आयु लगभग 30 साल थी। अचल सिंह मीना विवादित ढांचे को गिराने के लिए ऊपर चढ़ गए थे। थोड़ी देर पश्चात् जब ढांचा गिरा, तो उसका एक हिस्सा अचल सिंह की पीठ पर गिरा तथा वो दिव्यांग हो गए। तत्पश्चात, अचल सिंह मीणा भोपाल के पास स्थित एक गांव में गुमनामी की जिंदगी गुजारने पर विवश हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन का सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ। जो कभी 2 सीटों वाली राजनीतिक पार्टी थी, वो आज केंद्र में और देश के अधिकतर प्रदेशों में सरकार चला रही है। लेकिन, इस आंदोलन में कई चेहरे ऐसे थे जो गुमनाम होकर रह गए।  

मीडिया से चर्चा करते हुए अचल सिंह मीणा ने इच्छा जताई है कि रामलला के दर्शन और अयोध्या में जाने का उनका सपना पूरा हो। इसके लिए अचल सिंह मीणा ने पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से गुहार लगाई है कि 22 जनवरी के बाद ही सही, किन्तु एक बार उसे रामलला के दर्शनों का लाभ करा दें। 3 दिसंबर 1992 को अचल तब 30 साल के थे। तब बजरंग दल के जिला संयोजक तथा वर्तमान में भोपाल की कोलार सीट से MLA रामेश्वर शर्मा के साथ भोपाल से पुष्पक एक्सप्रेस में बैठकर लखनऊ और फिर वहां से फैजाबाद पहुंचे थे। 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के चलते गुंबद के एक हिस्से का मलबा अचल की पीठ पर गिरा तथा कमर के नीचे के पूरे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। अचल को पहले फैजाबाद में भर्ती करवाया तथा उसके बाद गांधी मेडिकल कॉलेज लखनऊ ले गए, जहां उसे होश आया। तब से वो चल नहीं सकते।

नीतीश कुमार ने “इंडिया” का संयोजक बनने से किया इनकार, बोले-कांग्रेस के किसी नेता को दी जाए जिम्मेदारी

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विपक्षी दलों के गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी कांग्रेस-टीएमसी, तो कभी कांग्रेस-आप और कभी समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस के तनातनी की खबरें आती रही हैं। हालांकि विपक्षी गठबंधन बीजेपी की मोदी सरकार को हराने के लिए एकजुट होने की भी पैरवी करता आया है। इस बीच इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की नजदीक आती तारीखों के बीच आज इंडिया गठबंधन की बैठक हुई।लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन की शनिवार को वुर्चअल मोड में बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव आया, तो नीतीश कुमार ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस के किसी नेता को ‘इंडिया’ गठबंधन का संयोजक बनाया जाए।

इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक समाप्त होने के बाद नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले बिहार सरकार के मंत्री संजय झा बयान सामने आया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का कांग्रेस ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने कहा कांग्रेस का ही चेयरमैन बने. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंक पर कांग्रेस और अन्य दलों से जल्द से जल्द फैसला लेने का आग्रह किया।

ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे नहीं हुए शामिल

विपक्षी गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व की अहम बैठक में गठबंधन को मजबूत करने, सीट बंटवारे के लिए रणनीति बनाने और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। यह बैठक वर्चुअली हुई।जिसमें 10 पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, शरद पवाार, डी राजा, मल्लिकार्जुन खरगे, उमर अब्दुल्ला, राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, लालू यादव-तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, डी राजा, शरद पवार शामिल हैं। हालांकि बैठक से पहले ही विपक्ष को झटका लगा और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। साथ ही शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे भी विपक्षी गठबंधन की इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

कांग्रेस-चीएमसी के बीच नहीं बन पाई बात

ममता बनर्जी के बैठक में शामिल ना होने पर टीएमसी ने कहा कि उन्हें बैठक के लिए शॉर्ट नोटिस पर सूचना दी गई और साथ ही कांग्रेस ने बैठक के एजेंडे के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी। हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब टीएमसी ने कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार किया है। गुरुवार को ही टीएमसी ने बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार कर दिया था। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटें देने की पेशकश कर रही हैं और ज्यादा से ज्यादा तीन पर वह मान सकती हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है।

अयोध्या में भगवान राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही टूटेगा 43 वर्षों का मौनी बाबा का मौन व्रत, पढ़िए, उनकी प्रतिज्ञा

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1980 से मौन रहने वाले एक संत आखिरकार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद भगवान राम का नाम लेते हुए अपना पहला शब्द बोलेंगे। मध्य प्रदेश के 'मौनी बाबा' ने आखिरकार 44 साल में पहली बार 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ने का फैसला किया है। वह 10 साल की उम्र से मौन हैं, जिससे उन्हें 'मौनी बाबा' नाम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के वक़्त उनका नाम मोहन गोपाल दास रखा गया था, माना जाता है कि 'मौनी बाबा' उन कार सेवकों में से थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने 10 वर्ष की छोटी सी आयु में ही मौन व्रत ले लिया था। कई लोग सोच रहे होंगे कि, फिर वे अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? दरअसल, वह ऐसा चाक और स्लेट का उपयोग करते हैं। वह कभी-कभी कलम और कागज का भी उपयोग करते हैं। सन्यासी 1984 से नंगे पैर घूम रहे हैं, जब उन्होंने भगवान राम को "अयोध्या के सिंहासन" पर स्थापित करने के बाद ही चप्पल पहनने का संकल्प लिया था।

मौनी बाबा कागज पर लिखकर बताते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जरूर मिलेगा। निमंत्रण की आस में मौनी बाबा हर दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया है । मौनी बाबा का मूल स्थान सूर्य नगर पुलाव बालाजी है। हालाँकि, वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के दतिया के मंदिरों में रहते हैं।

मौनी बाबा के अलावा झारखंड की 'मौनी माता' भी 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ देंगी। झारखंड के धनबाद में जन्मी महिला सरस्वती देवी ने 30 साल पहले मौन व्रत लिया था। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तो सरस्वती देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक सरयू के तट पर पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वह कुछ नहीं बोलेंगी। उनकी लंबी चुप्पी ने उन्हें 'मौनी माता' (मूक मां) का नाम दिया है। सरस्वती देवी के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि वह राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास से प्रेरित थीं। उनके शिष्यों ने उन्हें 22 जनवरी को मंदिर आने का निमंत्रण दिया हैा

1980 से मौन रहने वाले एक संत आखिरकार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद भगवान राम का नाम लेते हुए अपना पहला शब्द बोलेंगे। मध्य प्रदेश के 'मौनी बाबा' ने आखिरकार 44 साल में पहली बार 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ने का फैसला किया है। वह 10 साल की उम्र से मौन हैं, जिससे उन्हें 'मौनी बाबा' नाम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के वक़्त उनका नाम मोहन गोपाल दास रखा गया था, माना जाता है कि 'मौनी बाबा' उन कार सेवकों में से थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने 10 वर्ष की छोटी सी आयु में ही मौन व्रत ले लिया था। कई लोग सोच रहे होंगे कि, फिर वे अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? दरअसल, वह ऐसा चाक और स्लेट का उपयोग करते हैं। वह कभी-कभी कलम और कागज का भी उपयोग करते हैं। सन्यासी 1984 से नंगे पैर घूम रहे हैं, जब उन्होंने भगवान राम को "अयोध्या के सिंहासन" पर स्थापित करने के बाद ही चप्पल पहनने का संकल्प लिया था।

मौनी बाबा कागज पर लिखकर बताते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जरूर मिलेगा। निमंत्रण की आस में मौनी बाबा हर दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया है । मौनी बाबा का मूल स्थान सूर्य नगर पुलाव बालाजी है। हालाँकि, वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के दतिया के मंदिरों में रहते हैं।

मौनी बाबा के अलावा झारखंड की 'मौनी माता' भी 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ देंगी। झारखंड के धनबाद में जन्मी महिला सरस्वती देवी ने 30 साल पहले मौन व्रत लिया था। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तो सरस्वती देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक सरयू के तट पर पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वह कुछ नहीं बोलेंगी। उनकी लंबी चुप्पी ने उन्हें 'मौनी माता' (मूक मां) का नाम दिया है। सरस्वती देवी के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि वह राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास से प्रेरित थीं। उनके शिष्यों ने उन्हें 22 जनवरी को मंदिर आने का निमंत्रण दिया है।

बंगाल में साधुओं से हैवानियत, बच्चा चोर समझकर भीड़ ने निर्वस्त्र कर पीटा, बीजेपी ने ममता सरकार को घेरा

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पश्चिम बंगाल में पालघर जैसी घटना सामने आई है। यहां भीड़ द्वारा साधुओं की पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा लगातार राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोल रही है।

पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया

गुरुवार शाम को यहां भारी भीड़ ने यूपी के 3 साधुओं को बच्चा चोर समझकर बेरहमी से पीटा। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया है।यह मामला पुरुलिया जिले का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसका 30 सेकंड का वीडियो भी वायरल हो रहा है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि बंगाल में अब पालघर जैसी घटना सामने आई है।मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने निर्वस्त्र कर पीटा है।

सेल प्रमुख अमित मालवीय ने शेयर किया वीडियो

अमित मालवीय ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “ममता बनर्जी की चुप्पी पर शर्म आनी चाहिए! क्या ये हिंदू साधु आपकी मान्यता के योग्य नहीं हैं? यह अत्याचार जवाबदेही की मांग करता है।” इस घटना की तुलना 2020 के पालघर मॉब लिंचिंग से करते हुए अमित मालवीय ने लिखा, ”पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से बिल्कुल चौंकाने वाली घटना सामने आई… मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा।” यह दावा करते हुए कि पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है, भाजपा नेता ने कहा, “ममता बनर्जी के शासन में, शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को राज्य संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या की जा रही है।

ये है पालघर का मामला

बता दें कि 16 अप्रैल, 2020 को 72 साल के संत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के सुशील गिरी महाराज के साथ एक कार ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। दोनों साधू अपने गुरु के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे। दोनों ही साधुओं पर कार ड्राइवर पर बच्चा चोरी करने का आरोप लगाकर भीड़ ने हत्या की थी।