*गोरखपुर महोत्सव संगीतमय नाटक लोकनायक तुलसीदास का हुआ मंचन*
गोरखपुर। गोरखपुर महोत्सव 2024 में गुरुवार की रात्रि गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में सन रोज संस्थान की भव्य प्रस्तुति रामचरितमानस के रचयिता एवं संत कवि के जीवन पर आधारित शिक्षाप्रद भक्ति एवं संगीतम नाटक लोकनायक तुलसीदास मंचित किया गया। लोकनायक तुलसीदास के जीवन पर आधारित उनके जन्म से श्री राम के दर्शन तक की कृतियों को दृश्य वध करने का लेखक, मंचिय परिकल्पना एवं निर्देशक विवेक कुमार अस्थाना का प्रयास सफल रहा।
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म होते ही राम का नाम बोला, जिससे उनका नाम रामबोला पड़ गया, लेकिन जन्म लेते ही तुलसीदास की माता की मृत्यु हो जाती है और पिता ने उन्हें त्याग देते हैं और दी मां ने उन्हें पालन पोषण करते हुए गुरुकुल में दीक्षा के लिए भेजा जहां आचार्य ने उन्हें गुरु नंद हरिदास मिलते हैं और नंद हरिदास शिक्षा और दीक्षा दी और रत्नावली के पिता दीनबंधु पाठक के आग्रह पर तुलसीदास की शादी रत्नावली कराते हैं। तुलसीदास पत्नी रत्नावली की सुंदरता और उनके प्यार में इतना डूब जाते हैं कि पूजा पाठ को कम करने लगते है और रत्नावली को मायका जाने से नहीं देते, लेकिन एक दिन तुलसीदास के अनुपस्थिति में रत्नावली का भाई घर आता है और रत्नावली बिना बताए अपने भाई के साथ मायका चली जाती हैं। तुलसीदास जब घर में आते हैं तू रत्नावली को न पाकर वह बेचैन हो जाते हैं और आंधी तूफान भारी अर्ध रात्रि में रत्नावली के मायका पहुंचते हैं जहां उन्होंने सांप को रस्सी समझकर घर में कूदते जाते हैं।
अर्धरात्रि में रत्नावली के पिता माता और भाभी तुलसीदास को देखकर हैरान हो जाते हैं जिसमें भाभी के व्यंग भारी शब्दों से रत्नावली का गुस्सा तुलसीदास पर फूट पड़ता है जिससे तुलसीदास आहट होते हैं और वह घर त्याग कर गृहस्थ जीवन करने का प्रण कर लेते हैं। गोस्वामी तुलसीदास श्री राम की खोज में निकल पड़ते हैं और बजरंगबली के आशीर्वाद से उन्हें श्री राम का दर्शन मिलता है। नाटक के अंत में रामचरितमानस, प्रभु श्री राम और तुलसीदास को जोड़ने का सुंदर दृश्य दिखाया गया है।
एलईडी पर सुंदर दृश्य, केके सिंह का जबरदस्त संगीत और राजेश कुमार श्रीवास्तव, शिवकुमारी गुप्ता, केके सिंह की गायकी, मुमताज खान विवेक अस्थाना, नंदा राम चौधरी सहित समस्त कलाकारों की संवाद एवं रूप सज्जा राधेश्याम एवं सेट डिजाइन देश दीपक, कुलदीप, रंगदीपन सुनील कुमार से दृश्य मंच पर जीवंत दिखा।
लोकनायक तुलसीदास के पात्रों में कथा गायक- डॉ. ब्रजेंद्र नारायण, रामबोला- दिव्य अस्थाना, तुलसीदास- अनिल कुमार गुप्ता, बालक नंददास- प्रियांशु, आचार्य जी- बेचन गौड़, गुरुजी- नरहरिदास व मानसिंह- हरीश शर्मा, रत्नावली- बबीता शर्मा, रामबोला के पिता पंडितजी एवं नाभादास- नारेंद्र कुमार, श्रीपद व नंददास- उपेंद्र तिवारी, दाई मां- वीना आनंद, रत्नावली के पिता पं. दीनबंधु पाठक- डॉ. अमरचंद श्रीवास्तव, रत्नावली की माता- मेनका श्रीवास्तवा, रत्नावली की भाभी- प्रिया गुप्ता, भाई- महेंद्र कश्यप, अकबर- अखिलेश सिंह, रहीम- राकेश कुमार, पंडित व मंदिर पुजारी- राजेश कुमार श्रीवास्तव, बालक श्रीराम- देव अस्थाना, प्रभु श्रीराम- नंदा राम चौधरी, पांडा- अनीश वारसी, सिपाही 1- कुलदीप शर्मा सिपाही 2- सुरेश कुमार यादव, कैदी- राहुल शर्मा, गुरुकुल में छात्र- किशन, कार्तिक पासवान, पियूष, प्रतीक पासवान, आलोक मंडल, उमेश चंद एवं अन्य लोग। विवाह में गीत मंडली में महिलाएं- शिवकुमारी गुप्ता, सोनिका यादव, रूपा, गीता साहनी एवं अन्य।
मंच परे में रूपसज्जा- राधेश्याम, सेट डिजाइन- देश दीपक, कुलदीप शर्मा, अनीश वारसी, वस्त्र विन्यास एवं सामग्री- वीना आनंद, निहारिका अस्थाना, रंगदीपन- सुनील कुमार, गायक एवं गायिका- राजेश कुमार श्रीवास्तव, के.के सिंह, शिव कुमारी गुप्ता। वीडियो ग्राफिक्स और एडिटिंग- संतोष श्रीवास्तव, विवेक अस्थाना रहे।
मंचन में सहयोग डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, उमेश चंद, विजय खेमका, शाहब तारिक का रहा। भक्ति एवं संगीतमय नाटक लोकनायक तुलसीदास में 10 वर्ष से 70 वर्ष तक के 50 से 60 कलाकारों को एक साथ मंच पर उतरने का सफल प्रयास लेखक, मंच परिकल्पना एवं निर्देशक विवेक कुमार अस्थाना का रहा जिसके जबरदस्त निर्देशन से लोग अंत तक नाटक देखने के लिए बैठे रहे।
Jan 12 2024, 21:06