राजनाथ सिंह ने ब्रिटिश पीएम सुनक से की मुलाकात, बोले-भारत अब कमजोर नहीं है, चीन का भी नजरिया बदला

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ब्रिटेन दौरे पर हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री ने बुधवार को 10 डाउनिंग स्ट्रीट में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक बातचीत के एजेंडे में रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय मुद्दे शामिल थे। इसके अलावा मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर जारी वार्ता की प्रगति पर भी चर्चा की गई।राजनाथ सिंह ने यहां रक्षा मंत्री ग्रांट शाप्स और विदेश मंत्री कैमरन के साथ भी मुलाकात की है। 

अपने ब्रिटेन दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधावर को लंदन में इंडिया हाउस में एक सामुदायिक स्वागत समारोह में शामिल हुए। राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम में भारत और चीन के बीच जारी तनाव को लेकर भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीन को भारत का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, लेकिन हम चीन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं मानते हैं, शायद चीन ऐसा मानता है। हम किसी को भी अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं मानते। राजनाथ सिंह ने कहा, 2020 में, भारत और चीन के बीच आमना-सामना हुआ और हमारे सुरक्षा बलों ने जो बहादुरी दिखाई, शायद यही कारण है कि चीन का भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। उन्हें एहसास हो गया है कि भारत अब कमजोर नहीं है। पहले हम रक्षा उपकरणों के आयातक सबसे बड़े हुआ करते थे, लेकिन अब जब रक्षा वस्तुओं के निर्यात की बात आती है तो हम शीर्ष 25 देशों में हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एक लेखक ने भी भारत को लेकर एक लेख लिखा है। चीन सरकार भी मानती है कि भारत में हुए आर्थिक और रणनीतिक बदलावों के चलते भारत की अर्थव्यवस्था एक रणनीतिक ताकत बन गई है। हम किसी को अपना दुश्मन नहीं देखते लेकिन ये बात दुनिया जानती है भारत और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं। हम सभी के साथ अपने रिश्ते बेहतर करना चाहते हैं।

लंदन में राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष ग्रांट शाप्स के साथ ब्रिटेन-भारत रक्षा उद्योग के सीईओ के गोलमेज सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि भारत ब्रिटेन के साथ सह-निर्माण पर केंद्रित एक समृद्ध रक्षा साझेदारी की कल्पना करता है. गोलमेज बैठक में ब्रिटेन के रक्षा उद्योग के कई मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के अधिकारी, ब्रिटेन-भारत व्यापार परिषद (यूकेआईबीसी) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।इस दौरान कई प्रमुख रक्षा कंपनियां जैसे- बीएई सिस्टम्स, जीई वर्नोवा, जेम्स फिशर डिफेंस, लियोनार्डो एसपीए, मार्टिन-बेकर एयरक्राफ्ट कंपनी लिमिटेड, एसएएबी यूके, थेल्स यूके, अल्ट्रा-मैरीटाइम रोल्स-रॉयस, एडीएस ग्रुप और एमबीडीए यूके शामिल हुए। सिंह ने इसके बारे में एक्स पर कहा कि रक्षा उद्योग जगत के वरिष्ठों के साथ शानदार बातचीत हुई। भारत सहयोग और सह निर्माण की कल्पना करता है। दोनों देशों की ताकतों का समन्वय कर हम एक साथ महान काम कर सकते हैं।

अयोध्या जाएंगे लालकृष्ण आडवाणी, राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में होंगे शामिल

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अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन के लिए तैयारियां जोरों-शोरों पर चल रही हैं।इस बीच राम मंदिर आंदोलन का चेहरा रहे लालकृष्ण आडवाणी को लेकर बड़ी खबर आ रही है।बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी 22 जनवरी को अयोध्या जाएंगे। वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे। इसकी जानकारी विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने दी है।

अभी तक उनकी तबीयत और उम्र को देखते हुए कहा जा रहा था कि शायद वे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न हो सकें, लेकिन अब उनकी उपस्थिति पर मुहर लग गई है। राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए पहले ही निमंत्रण दिया गया था। हालांकि उनकी उम्र को देखते हुए यह तय नहीं था कि वे अयोध्या पहुंचेंगे। हालांकि तब विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक वक्तव्य जारी कर कहा था कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया गया है। दोनों नेताओं के आवास पर जाकर ट्रस्ट के नेताओं ने उन्हें निमंत्रण पत्र सौंपा है।  

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक कृष्ण गोपाल और राम लाल, आलोक कुमार ने बुधवार को लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता दिया।आलोक कुमार का कहना है कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उनकी यात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी को सभी जरूरी मेकिकल सुविधाएं और अन्य व्यवस्थाएं मुहैया करवाई जाएंगी।

राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि समारोह के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है, लेकिन अपील यही है कि कृपया वह ना आएं। क्योंकि उनकी उम्र बहुत ज्यादा है। ठंड का मौसम रहेगा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि आडवाणी के बारे में बार बार सवाल पूछना उनका मजाक उड़ाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को भव्य मंदिर का उद्घाटन करेंगे और रामलला की मूर्ति की स्थापना में शामिल होंगे। इसके अलावा प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए संतों को भी निमंत्रण दिया गया है। वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है। इंडिया गठबंधन में शामिल कई घटक दलों ने अयोध्या जाने से मना किया है। वहीं, समारोह में शामिल होने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुप्पी साधे हुए हैं।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस के शामिल नहीं होने पर पार्टी नेताओं ने ही उठाए सवाल, आलाकमान को दे डाली नसीहत

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अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस ने किनारा कर लिया है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को आरएसएस और बीजेपी का इवेंट बताकर इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है।कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले पर कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता ने आपत्ति जताई है। गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने एक्स पर आलाकमान के फैसले की आलोचना की।मोढवाडिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर श्रीराम को आराध्य देव बताते हुए कहा है कि कांग्रेस को इस तरह के राजनीतिक निर्णयों से दूर रहना चाहिए था।वहीं, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है।

गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने एक्स पर आलाकमान के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के एक पोस्ट को टैग करते हुए कहा कि भगवान राम हमारे आराध्य हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का मामला है। राम मंदिर के मामले में कांग्रेस को राजनीतिक निर्णय नहीं लेना चाहिए।

इधर, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि श्रीराम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला है, आज दिल टूट गया। 

गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर ने भी हाईकमान को नसीहत दी है कि उन्हें जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए। डैमेज कंट्रोल के तौर पर दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये शंकराचार्यों के हिसाब से नहीं हो रहा है, बीजेपी उनका अपमान कर रही है।

इससे पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बनाए रखने का ऐलान किया था।कांग्रेस ने बयान जारी कर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है कि भगवान राम हमारे देश में लाखों लोगों द्वारा पूजे जाते हैं। धर्म एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आरएसएस/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है। बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए आगे लाया गया है।

वहीं, कर्नाटक में राम मंदिर अभिषेक का जश्न मन रहा है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में कर्नाटक सरकार ने आलाकमान के फैसले का बचाव किया। कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि हम सभी हिंदू हैं। मैं हिंदू हूं। मैं राम भक्त हूं। मैं हनुमान भक्त हूं। हम सभी यहां से प्रार्थना करते हैं। राम हमारे दिल में हैं। हमारे दिल में राजनीतिकरण के लिए कुछ भी नहीं है।

दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में कड़ाके की ठंड का यलो अलर्ट, अभी और बढ़ेगा सितम, मौसम विभाग ने चेताया

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पूरे उत्तर भारत में ठंड का कोहराम जारी है।इस समय दिल्ली में न्यूतनतम तापमान छह से सात डिग्री सेल्सियस के बीच है। वहीं अधिकतम तापमान 15 डिग्री के आसपास बना हुआ है। उधर, हरियाणा और पंजाब के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान घने कोहरे की चपेट में है।शीतलहर चल रही हैष जिसने लोगों का जीवन मुहाल हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक अभी इस हालात से राहत के आसार नहीं है। 17-18 जनवरी के बाद इसमें कमी आ सकती है।

पहाड़ों से आने वालीं सर्द हवाओं के कारण पंजाब, हरियाणा समेत पूरा उत्तर भारत भीषण शीतलहर की चपेट में है। धूप नहीं निकलने से ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम विभाग ने दिल्ली, पंजाब व हरियाणा में भीषण सर्दी का यलो अलर्ट जारी किया है।

इस हफ्ते नहीं मिलेगी राहत

मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस सप्ताह किसी हाल में सर्दी से राहत नहीं मिलने वाली। संभावना है कि इस पूरे हफ्ते न्यूनतम तापमान छह से 7 डिग्री के बीच बना रहेगा। वहीं अधिकतनम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। चूंकि अधिकतम तापमान और न्यूतनतम तापमान में अंतर कम होने की संभावना है।ऐसे में हो सकता है कि दिन के समय में भी लोगों को सर्दी से राहत ना मिले. उम्मीद है कि मकर संक्रांति के बाद मौसम में थोड़ा सुधार आएगा।

अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को ईडी का समन, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आज पूछताछ के लिए बुलाया

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केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तलब किए जानेवाले नेताओं में एक और विपक्षी नेता का नाम जुड़ गया है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा है।न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि उन्हें गुरुवार (11 जनवरी) को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।फारूख अब्दुल्ला से जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में उनसे पूछताछ होगी।

ईडी ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर ईडी ने साल 2022 में आरोप पत्र दायर किया था। ईडी ने सीबीआई द्वारा वर्ष 2018 में इसी मामले मे दायर आरोप पत्र के आधार पर केस दर्ज किया था। यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के फंड के हेरफेर से संबंधित है। इस फंड को क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों सहित कई लोगों ने अपने व्यक्तिगत बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया था। ईडी ने जेकेसीए के पदाधिकारियों के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की।

बता दें कि फारूक अब्दुल्ला साल 2001 से 2012 तक जेकेसीए के अध्यक्ष थे।इस चार्जशीट में अब्दुल्ला के साथ-साथ जेकेसीए के तब के अधिकारी अहसान अहमद मिर्जा, मीर मंजूर गजानफर आदि को आरोपी बनाया गया था। ऊपर लगे आरोप की जांच ईडी और सीबीआई दोनों कर रही हैं।फारूक अब्दुल्ला पर आरोप है कि जेकेसीए के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।

बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घटाले से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने समन भेजा था। इसके अलावा दिल्ला आबकारी मामले को लेकर ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कई बार समन भेजे हैं। विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार के ऊपर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं।

क्या है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक दर्जा विवाद? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा किसी खास मजहब का नहीं

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इस पर विवाद चल रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के जटिल मुद्दे पर सुनवाई शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई शिक्षण संस्थान किसी कानून द्वारा विनियमित है। महज इसलिए उसका अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा समाप्त नहीं हो जाता।वहीं, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि राष्ट्रीय चरित्र को देखते हुए एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर बहस के दौरान केंद्र सरकार ने ब्रिटिश राज की याद दिलाई। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक राष्ट्रीय संस्थान है। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी लिखित दलील में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि स्वतंत्रता से पहले भी यह राष्ट्रीय महत्सव का ही थी। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। स्थापना के समय बने दस्तावेजों में ही इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान ही बताया गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किसी धर्म विशेष का विश्वविद्यालय नहीं है और ना ही हो सकता क्योंकि राष्ट्रीय महत्व रखने वाला कोई संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता।

केंद्र सरकार का पक्ष सुनने के बाद सीजेआ डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी टिप्पणी दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अल्पसंख्यक का दर्जा तभी दिया जा सकता है, जब संस्थान किसी अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित किया गया हो? क्‍या ऐसा कानून नहीं है कि केवल अपने समुदाय के छात्रों को ही यूनिवर्सिटी-स्कूल या कॉलेज में दाखिला दें? किसी भी समुदाय के स्टूडेंट को दाखिला दे सकते हैं? अनुच्छेद 30 स्थापना, प्रशासन और संचालन की बात करता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट मानक नहीं है, जो 100% प्रशासित करने का अधिकार देता हो। आज भारतीय समाज में कुछ भी निरंकुश नहीं है। मानव जीवन का हर पहलू किसी न किसी तरह से नियमों के अधीन होता है।

बता दें क‍ि पिछले कई दशकों से संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा कानूनी विवाद में फंसा है। साल 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसके विरोध में याचिका दायर की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के विवादास्पद मुद्दे को सात जजों की पीठ के पास भेज दिया था। दरअसल, यूपीए की केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2006 के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। उसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी हाईकोर्ट के फैसले को अलग से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक पत्र में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए वह अपनी दाखिला नीति में परिवर्तन कर सकता है। तत्कालीन केंद्र सरकार के अनुमति के बाद विश्वविद्यालय ने एमडी–एमएस के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश नीति बदलकर आरक्षण प्रदान किया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस फैसले के खिलाफ डॉक्टर नरेश अग्रवाल व अन्य इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए, वहां पीठ का फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के खिलाफ आया। हाई कोर्ट का फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के खिलाफ था। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जहां आदेश दिया गया कि जब तक कोई फैसला नहीं मिलता तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी।

शिंदे गुट ही असली शिवसेना, फैसला पढ़ते हुए स्पीकर ने कहा- सीएम शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव के पास नहीं

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महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज का दिन कापी अहम है।महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया। 16 बागी विधायकों के अयोग्यता पर फैसले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को बड़ा झटका दिया है।महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधायकों की आयोग्यता पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी ही असल शिवसेना है। विधानसभा में फैसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश में सभी बिन्दुओं पर गहन विचार करते हुए यह फैसला लिया गया है।

राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में सभी घटनाक्रमों पर सिलसिलेवार ढंग से प्रकाश डाला। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्नों के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान की सर्वोपरि है। हम उनका 2018 का संशोधित संविधान स्वीकार नहीं कर सकते। यह संसोधन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। उन्होंने इस दौरान शिवसेना के संगठन में चुनाव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि साल 2018 में संगठन में चुनाव नहीं है। हमें 2018 के संगठन नेतृत्व को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे पास सीमित मुद्दा है और वह यह है कि असली शिवसेना कौन है। दोनों ही गुट अपने असली होने का दावा कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग के कई फैसलों का दिया हवाला

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग के कई फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि दोनों धड़ों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों पार्टियों के विचार अलग-अलग हैं। एकमात्र पहलू बहुमत का है। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा। उन्होंने कहा कि 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। 

उद्धव के पास शिंदे को हटाने का अधिकार नहीं

महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने फैसला पढ़ते हुए कहा उद्धव ठाकरे के पास एक नाथ शिंदे को नेता पद से हटाने का अधकिार नहीं है। वह शिंदे को नहीं हटा सकते। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि उद्धव के पास शिवसेना के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिंदे को हटाने के लिए उद्धव को बहुमत की जरूरत थी जो उनके पास नहीं था। वह सिर्फ इसलिए किसी को नहीं हटा सकते कि कोई व्यक्ति उन्हें पसंद नहीं है। इसलिए शिंदे को हटाया जाना गलत था। यदि शिंदे को हटाया जाना था तो इसका फैसला कार्यकारिणी का होना चाहिए था।राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर उद्धव गुट का रुख साफ नहीं है। इसी के साथ 25 जून 2022 के कार्यकारिणी के प्रस्तावों को स्पीकर ने अमान्य करार दिया है। 

बता दें कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के कुछ विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार से बगावत कर दी थी। एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से राज्य के नए मुख्यमंत्री बन गए। शिंदे ने अपने समर्थकों के साथ दावा किया कि उनकी पार्टी ही असली शिवसेना है। इस पर उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए एक याचिका दाखिल की थी। उद्धव ठाकरे की याचिका के बाद ही एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका दाखिल कर दी थी। कोर्ट ने सारा मामला विधानसभा स्पीकर के पाले में डाल दिया कि स्पीकर ही विधायकों की योग्यता-अयोग्यता का फैसला करेंगे। इसके लिए पहले तो 31 दिसंबर की तारीख तय की गई थी।बाद में इसे बढ़ाकर 10 जनवरी का दिन मुकर्रर कर दिया गया।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होगी कांग्रेस, कहा-ये बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम

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अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की शिरकत को लेकर जारी कयास पर विराम लग गया है। कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को आरएसएस और बीजेपी का इवेंट बताकर किनारा कर लिया है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।बता दें कि पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को इसमें भाग लेने के लिए निमंत्रण मिला था। इसके बाद से ही कांग्रेस के समारोह में शामिल होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे।

“बीजेपी-आरएसएस ने राम मंदिर को राजनीतिक परियोजना बना दिया”

अब कांग्रेस ने बयान जारी कर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से नकार कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है कि भगवान राम हमारे देश में लाखों लोगों द्वारा पूजे जाते हैं। धर्म एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आरएसएस/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है। बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए आगे लाया गया है।

”अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ के लिए”

कांग्रेस के बयान में आगे कहा है कि, स्पष्ट है कि एक अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है। 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करते हुए एवं लोगों की आस्था के सम्मान में मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी एवं अधीर रंजन चौधरी भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।

अडानी ने भारतीय नौसेना के लिए बनाया आत्मनिर्भर मानवरहित अत्याधुनिक ड्रोन, जानिए क्या है इसकी विशेषता

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने आज यानी 10 जनवरी 2024 को हैदराबाद में पहले स्वदेश निर्मित दृष्टि 10 स्टारलाइनर (Drishti 10 Starliner) अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) यानी ड्रोन का शिलान्यास किया। इस अनमैन्ड एरियल व्हीकल यानी ड्रोन का निर्माण अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा हुआ है।

अडाणी ने भारतीय नौसेना के लिए बनाया आधुनिक ड्रोन

 भारत की सुरक्षा के लिए अडाणी द्वारा बनाए गए इस दृष्टि 10 स्टारलाइनर मानव रहित हवाई वाहन के फ्लैग-ऑफ सेरेमनी का नेतृत्व मुख्य अतिथि एडमिरल आर हरि कुमार ने किया। इस बीच उनके साथ नौसेना के 75 सैनिक भी मौजूद थे। उन्होंने भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब से अपने रोडमैप का जिक्र करते हुए रक्षा और सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता को सफल और सक्षम बनाने के लिए अडाणी ग्रुप की जमकर तारीफ भी की है।

उन्होंने कहा है कि, "समुद्री बल में आत्मनिर्भर बनने के लिए ISR टेक्नोलॉजी एक बड़ा बदलाव लाने वाला कदम भी कहा जा रहा है। दृष्टि 10 के आने से हमारी नौसेना की शक्तियां बढ़ने वाली है। यह हमारे लिए किसी सपने का सच होने जैसा ही है भारत में ही मौजूद 60 फीसद से भी अधिक समानों की सहायता से इस UAV का निर्माण किया गया है। इस नई UAV के बारे में कहा गया कि इसे नौसेना के समुद्री अभियानों में शामिल किया जाने वाला है, और इसके लिए यह UAV हैदराबाद से पोरबंदर के लिए उड़ान भरने वाला है।

अडाणी की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक UAV की खास बातें

इस यूएवी को अडाणी डिफेंस और एयरोस्पेस के द्वारा बनाया गया है। इसे इंडिया में बनाया गया है, यानी यह मेड इन इंडिया UAV है। इसे बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजों में से कुल 60% चीजें भी भारतीय ही बतायी जा रही है। इस UAV में 450 Kg पेलोड क्षमता है।

यह एक मानव रहित UAV है, यानी इस ड्रोन को चलाने के लिए किसी इंसान की भी आवश्यकता नहीं है। यह बारिश समेत सभी तरह के मौसम में उड़ान भर पाएगा। यह 36 घंटे तक मजबूती से टिके रहने में सक्षम है।

यह एक अत्याधुनिक इंटेलिजेंस, सर्विलांस एंड रिकॉनेसंस (ISR) मंच है। यह सभी हवाई क्षेत्रों में उड़ान भर पाएगा।

अडाणी एंटरप्राइजेज के वाइस प्रेसिडेंड ने कहा कि, "अडाणी के लिए थल, वायु और नौसेना सीमाओं की सुरक्षा, खुफिया, निगरानी और निर्यात के मामले में भारत को ग्लोबल मैप पर लाना प्रमुख प्राथमिकता है।

कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, मणिपुर में भारत जोड़ों न्याय यात्रा की नहीं मिली मंजूरी, अब मचेगा सियासी बवाल

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कांग्रेस ने की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 14 जनवरी से शुरू होने जा रही है। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद कांग्रेस पार्टी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ करने का फैसला किया है, जो कि मणिपुर से शुरू होनी है और मुंबई में खत्म होगी। हालांकि, मणिपुर के जिस ग्राउंड से यात्रा शुरू होनी है, उसके लिए मणिपुर सरकार ने मंजूरी देने से मना कर दिया है।

मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक के मेघचंद्र ने यात्रा की मंजूरी के लिए पार्टी नेताओं की एक टीम के साथ, बुधवार सुबह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि मुलाकात के दौरान सीएम ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया। के मेघचंद्र ने कहा, ‘सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार यात्रा की अनुमति नहीं दे सकती है।

यात्रा का राजनीतिकरण ना करें- वेणुगोपाल

वहीं मणिपुर सरकार के फैसले पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, यह राजनीतिक प्रयास नहीं है और यात्रा का राजनीतिकरण ना करें। वेणुगोपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मणिपुर पीसीसी प्रेसिडेंट ने न्याय यात्रा की अनुमति चीफ सेक्रेटरी से मांगी थी। उन्होंने कहा की 5 दिन में जवाब देंगे, लेकिन जब जवाब नहीं आया तो खुद पीसीसी प्रेसिडेंट सचिव के पास अनुमति मांगने गए तो उन्होंने फिर कल शाम का वादा किया है। इसके बाद आज हमारे लोग सीएम से मिले तो उन्होंने भी कहा यात्रा को अनुमति नहीं दे सकते। ये यात्रा राजनीतिक नहीं है, राहुल गांधी वहां राजनीति करने नहीं जा रहे, वो शांति का संदेश देने जा रहे हैं। हम कोई तमाशा नहीं करना चाहते लेकिन ये ठीक नहीं।

इन राज्यों सो होकर गुजरेगी बारत जोड़ो न्याय यात्रा

बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र में समाप्त होगी। वेणुगोपाल ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मकसद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय है। इस यात्रा में राहुल युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करेंगे। बस यात्रा से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाएगा। यात्रा में कुछ छोटे हिस्से को रुक-रुककर पैदल भी कवर किया जाएगा।

भारत जोड़ो यात्रा रही थी सफल

इससे पहले राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 से 30 जनवरी 2023 तक भारत जोड़ो यात्रा की थी। 145 दिनों की यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर जम्मू-कश्मीर में खत्म हुई थी। तब राहुल ने 3570 किलोमीटर की यात्रा में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया था।श्रीनगर में यात्रा के समापन के मौके पर शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में राहुल ने कहा था- मैंने यह यात्रा अपने लिए या कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए की है। हमारा उद्देश्य उस विचारधारा के खिलाफ खड़ा होना है जो इस देश की नींव को नष्ट करना चाहती है।यात्रा के दौरान राहुल ने 12 सभाओं को संबोधित किया था, 100 से ज्यादा बैठकें और 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस की थीं।